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पार्टनर की डेथ पर अकाउंटिंग

Jun 13, 2025

Overview

इस लेक्चर में पार्टनर की डेथ पर अकाउंटिंग ट्रीटमेंट, इंटरिम प्रॉफिट की कैलकुलेशन, और उसके ट्रीटमेंट को विस्तार से समझाया गया है।

डेथ ऑफ अ पार्टनर का परिचय

  • पार्टनर की डेथ और रिटायरमेंट में अधिकांश अकाउंटिंग एंट्रीज समान होती हैं।
  • नई बात है इंटरिम प्रॉफिट, जिसे डेथ डेट तक निकालना पड़ता है।
  • एक्जीक्यूटर वह व्यक्ति है, जो मृत पार्टनर का हिसाब संभालता है।

इंटरिम प्रॉफिट की गणना

  • प्रॉफिट दो तरह से निकाल सकते हैं: टाइम बेसिस और टर्नओवर बेसिस।
  • टाइम बेसिस: पिछले सालों के एवरेज प्रॉफिट के आधार पर यह वर्ष का प्रॉफिट अनुमानित करते हैं।
  • टर्नओवर बेसिस: पिछले साल की सेल्स और प्रॉफिट मार्जिन के हिसाब से, इस वर्ष के सेल्स पर मार्जिन लगाकर प्रॉफिट निकालते हैं।
  • प्रॉफिट निकालते समय केवल उस अवधि तक का हिसाब लें जब तक पार्टनर जीवित था।

इंटरिम प्रॉफिट का अकाउंटिंग ट्रीटमेंट

  • यदि रेशो में कोई परिवर्तन नहीं: P&L सस्पेंस अकाउंट डेबिट टू डिजीज्ड पार्टनर कैपिटल अकाउंट।
  • यदि रेशो बदल गया: गेनिंग पार्टनर कैपिटल अकाउंट डेबिट टू सैक्रिफाइसिंग पार्टनर कैपिटल अकाउंट।
  • प्रॉफिट डिस्ट्रीब्यूशन प्रॉफिट शेयरिंग रेशो के अनुसार किया जाता है।

कैपिटल व गुडविल का ट्रीटमेंट

  • मृत पार्टनर का शेयर, कैपिटल, गुडविल और अन्य बकाया को कैपिटल अकाउंट में क्रेडिट किया जाता है।
  • एक्जीक्यूटर को पेमेंट के लिए: कैपिटल अकाउंट डेबिट टू एक्जीक्यूटर।
  • आधी राशि पेमेंट करने पर: एक्जीक्यूटर डेबिट टू कैश/बैंक एंड टू एक्जीक्यूटर लोन।

प्रश्न उदाहरण व समाधान

  • इंटरिम प्रॉफिट कैलकुलेशन के लिए टाइम और टर्नओवर बेसिस के एक्जाम्पल्स विस्तार से समझाए गए।
  • कैपिटल अकाउंट तैयार करते समय कैपिटल, गुडविल, प्रॉफिट, इंटरेस्ट आदि का सही ट्रीटमेंट दिखाया गया।

Key Terms & Definitions

  • इंटरिम प्रॉफिट — वर्ष की शुरुआत से पार्टनर की मृत्यु तक फर्म द्वारा कमाया गया मुनाफा।
  • एक्जीक्यूटर — मृत पार्टनर की संपत्ति का प्रबंधक।
  • टर्नओवर बेसिस — सेल्स के आधार पर प्रॉफिट निकालना।
  • टाइम बेसिस — समय के अनुपात में प्रॉफिट का अनुमान।
  • गुडविल — फर्म की प्रतिष्ठा का मूल्य, जिसे पार्टनर बदलने पर समायोजित किया जाता है।

Action Items / Next Steps

  • पिछले वर्षों के प्रॉफिट व सेल्स के आंकड़े याद रखें।
  • इंटरिम प्रॉफिट निकालने की प्रैक्टिस करें।
  • कैपिटल अकाउंट व एक्जीक्यूटर अकाउंट की फॉर्मेटिंग समझें।
  • अगली बार एक्जीक्यूटर लोन अकाउंट की विशेष स्टडी करें।