हेलो गाइस मैं आपका भाई दोस्त एजुकेटर ऑफ इकोनॉमिक्स लव कौशिक स्वागत करता हूं आपका कॉमर्स वाला में एंड दिस इज द वन शॉट ऑफ द चैप्टर नंबर टू इंडियन इकोनमी 1950 टू 1990 ऑफ द बुक इंडियन इकोनॉमिक डेवलपमेंट बहुत ही मजा आने वाला है मैं कह रहा हूं बिल्कुल बेसिक से स्क्रैच से आपको एडवांस लेवल पर लेकर जाऊंगा यहां पर जितनी थ्योरी आपको मुश्किल लगती है वो बहुत इंटरेस्टिंग लगने लगेगी क्योंकि मैं आपको एक कहानी के तौर पे समझाऊंगा और बड़ा मजा आने वाला है क्योंकि बच्चों को हमेशा से ही ये डाउट रहता है सर थ्योरी हम कर लेते हैं लेकिन ये समझ नहीं आता कि पेपर में क्वेश्चन आएगा तो उसका आंसर कैसे फ्रेम करना है इस वीडियो के अंदर मैं आपको बुक के पीछे जो बहुत सारे क्वेश्चंस होते हैं या प्रीवियस ईयर में एग्जाम में आए हुए हैं क्वेश्चंस वो सिलेक्टेड क्वेश्चंस आंसर्स के साथ प्रोवाइड करने वाला हूं मजा आपको पूरा आने वाला है तो दोस्तों जब आप इस चैप्टर को समझोगे तो एक माइंड मैप तुम्हारे दिमाग में मैं क्रिएट करूंगा और उससे आपको बहुत आसानी होगी कि हां भाई सीक्वेंस क्रिएट हो गया है तो पहले एक बेसिक बात आपको बताता हूं ये चैप्टर का नाम रखा है 1950 से 1990 क्योंकि हमारी बुक ने हमारे कंटेंट को ब्रेक किया है तीन पार्ट में चैप्टर नंबर वन में हमने पढ़ा कि आजादी से पहले बेसिकली 1950 से पहले हमारे देश के क्या हालात थे चैप्टर नंबर थ्री में हम पढ़ेंगे 1990 के बाद हमारे देश के क्या हालात थे लेकिन ये चैप्टर नंबर टू है ये 40 साल में हमने अपने देश को कैसे डेवलप किया कौन सा तरक्की का रास्ता अपनाया कौन-कौन सी पॉलिसीज अपनाई वो सब इस चैप्टर के अंदर पढ़ना है तो दिमाग के अंदर एक अप्रोच तो सेट है कि हां भाई इन 40 वर्षों के अंदर ही बेसिकली हम चीजें पढ़ने वाले हैं लेकिन सच्चाई ये है किताब के अंदर जो कंटेंट है वो थोड़ा आगे पीछे भी है कुछ बातें 1950 से पहले की भी पढ़ लेंगे कुछ बातें 1990 के बाद की भी पढ़ लेंगे चाहे आप संदीप गर्ग से पढ़ रहे हो चाहे सुभाष डे से पढ़ रहे हो चाहे आपके स्कूल के अंदर टीआर जैन वीक के लगवाई है चाहे तुम एनसीआरटी से पढ़ रहे हो उन सबका पूरा प्रॉपर कंटेंट यहां पर दे रहा हूं टेंशन मत लेना बस एक बार ऐसे ही वीडियो को पॉज करके झटके से लाइक कर दो ताकि पता लग जाए यार आप प्यार कितना करते हो तो लाइक हो जानी चाहिए वीडियो उसके बाद चलते हैं दोस्त यहां पर है ना आप एक माइंड मैप क्रिएट कर लो पूरे चैप्टर का कंटेंट कि इस चैप्टर में चार ही आइटम पढ़ने हैं आपको पहला आइटम है प्लानिंग कमीशन भाई हमने हमारी कंट्री ने प्लान किया कि क्या-क्या चीजें हमें अचीव करनी है कौन-कौन सी प्रॉब्लम को सॉल्व करना है तो वो प्लानिंग में पढ़ेंगे फिर हमारे देश में कौन-कौन सी फैक्ट्रीज होंगी क्या-क्या फैक्ट्रीज को लेकर हमारे देश के ग्रोथ प्लांस हैं वो सब इंडस्ट्रियल पॉलिसी में और देश की एग्रीकल्चर को सुधारने की एग्रीकल्चरल पॉलिसी बनाई यहां पर ग्रीन रेवोल्यूशन पढ़ते हैं बेसिकली और एक्सपोर्ट इंपोर्ट की भी हमने पॉलिसी बनाई उसको फॉरेन ट्रेड पॉलिसी बोलते हैं तो सबसे पहले हम पढ़ेंगे प्लानिंग कमीशन लेकिन इसको पढ़ाने से पहले एक बेसिक रूपरेखा तैयार कर लेते हैं जब हमारा देश आजाद हुआ ना तो हमारे देश ने मिक्स्ड इकोनॉमिक सिस्टम अपनाया अब ये होता क्या है ये समझा देता हूं देखो दोस्तों इस पूरी दुनिया में जितनी भी कंट्री है उन सभी कंट्री को तीन पार्ट में डिवाइड किया गया है यानी तीन टाइप्स ऑफ इकोनॉमिक सिस्टम होते हैं एक होती है कैपिटलिस्टिक इकॉनमी दूसरी होती है सोशलिस्टिक इकॉनमी तीसरी होती है मिक्स्ड इकॉनमी कैपिटलिस्टिक इकॉनमी उस इकॉनमी को बोलते हैं जहां पर देश के अंदर क्या सामान बनाना है क्या सामान बनाकर बेचना है ये सब डिसाइड करती है वो लोग जो सरकारी नहीं है मतलब गवर्नमेंट की यहां पर ना के बराबर दखल अंदाजी है प्राइवेट सेक्टर अपनी मर्जी से कुछ भी सामान बना के यहां बेचता है इसका एग्जांपल है जापान और अमेरिका यहां पर देख रहे हो अमेरिका में खुलेआम गन भी बिक रही है तो जिस चीज में कंपनीज़ को प्रॉफिट है वो यहां पर बना के बेचा जाता है तो कैपिटलिस्टिक इकॉनमी के अंदर मेन मोटिव होता है प्रॉफिट मैक्सिमाइजेशन समाज गया भाड़ में अगर सड़क पे एक तरफ ₹500 का नोट पड़ा हो और एक तरफ किसी की जान जा रही हो तो कैपिटलिस्टिक इकॉनमी वाले लोग ₹500 का नोट उठाएंगे किसी की जान नहीं बचाएंगे ऐसी इकॉनमी होती है कि प्रॉफिट पे ही फोकस करते हैं हां जी दूसरी टाइप ऑफ इकॉनमी होती है सोशलिस्टिक इसका एग्जांपल चाइना रशिया चाकोसुलोवाकिया नॉर्थ कोरिया क्यूबा है ये ऐसे देश होते हैं जहां पर क्या सामान बनाना है क्या बेचना है इन सब चीजों को डिसाइड करती है गवर्नमेंट बेसिकली ज्यादातर रोल गवर्नमेंट का ही होता है प्राइवेट सेक्टर का ना के बराबर रोल होता है यहां के देशों का यहां का मेन मोटिव होता है सोशल वेलफेयर समाज का भला अब हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी इन्होंने सोचा यार कुछ तो नुकसान सोशलिस्टिक इकॉनमी का भी है यहां पर लोग दबा दबा सा फील करते हैं फ्रीडम नहीं होती चाइना रशिया में लोग थोड़ा ऐसा फील कर रहे हैं अब अमेरिका जापान जैसे देश हैं यहां पर फ्रीडम कुछ हद से ही ज्यादा है कुछ भी बना के बेच रहे हैं तो दोनों इकॉनमी के कुछ-कुछ नुकसान है इन दोनों को रिमूव कर दो और इन दोनों इकॉनमी के जो फायदे हैं उसको अपना लो तो इंडिया ने अपनाया मिक्स्ड इकोनॉमिक सिस्टम मिक्स्ड इकोनॉमिक सिस्टम एक ऐसा इकोनॉमिक सिस्टम होता है जहां पर हम कुछ फीचर्स कैपिटलिस्टिक इकॉनमी के अपनाते हैं और कुछ फीचर्स सोशलिस्टिक इकॉनमी के अपनाते हैं यानी यहां पर प्राइवेट सेक्टर और गवर्नमेंट सेक्टर दोनों मिलकर बढ़िया काम करते हैं इस इकॉनमी के दो ही ऑब्जेक्टिव होते हैं अडानी अंबानी Airtel बिरला ये सब सोच रहे हैं प्रॉफिट मैक्सिमाइजेशन और सरकार सोच रही है सोशल वेलफेयर कुछ काम धंधे प्राइवेट सेक्टर करता है तो सरकार की भी कंपनीज़ चलती हैं जैसे कि इंडियन ऑयल भारत पेट्रोलियम हिंदुस्तान पेट्रोलियम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड एनटीपीसी एनएचपीसी ओएनgसी गैस अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड तो गवर्नमेंट भी अपना काम कर रहे हैं प्राइवेट सेक्टर भी अपना काम कर रहे हैं दोनों मस्त चिल कर रहे हैं ऐसा नहीं है कि गवर्नमेंट प्राइवेट सेक्टर पे भारी है और ऐसा भी नहीं है कि प्राइवेट सेक्टर गवर्नमेंट पे भारी है मस्त चिल चल रहा है तो पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने कैपिटलिज्म और सोशलिज्म दोनों को मिक्स करके हमारे देश में चूज़ कर लिया मिक्स्ड इकोनॉमिक सिस्टम इसके बाद सारी कहानी शुरू होती है देखो जी नया-नया देश आजाद हुआ है कुछ ना कुछ तो समस्या होगी कोई ना कोई तो प्रॉब्लम होगी तो उस प्रॉब्लम को सॉल्व कैसे करें उसके लिए एक प्रॉपर प्लानिंग सिस्टम होना चाहिए तो इंडिया ने एक प्लानिंग कमीशन बनाई प्लानिंग कमीशन का मतलब एक ऐसा ग्रुप बनाया जहां पर बहुत अच्छी-अच्छी सोच रखने वाले लोग बैठते हैं बहुत बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट बैठते हैं और डिसाइड करते हैं कि देश को आगे कैसे बढ़ाया जाए तो उस कमीशन को प्लानिंग कमीशन बोलते हैं तो 15 मार्च 1950 को हमारे देश के अंदर प्लानिंग कमीशन को इस्टैब्लिश किया गया डेट यहां पर आपके लिए लिखी है और आपको बता दिया है कि इसके चेयरमैन पंडित जवाहरलाल नेहरू थे यानी मेन बात यही है कि प्लानिंग कमीशन का चेयरमैन वही होता था जो देश का प्रधानमंत्री होता था बस और कुछ इकोनॉमिस्ट और कुछ दूसरे यहां पर बैठते हैं जो चर्चा करते हैं कि देश में क्या होना चाहिए क्या नहीं होना चाहिए अब दोस्तों यह पूरा प्लानिंग का जो कांसेप्ट है हमने रशिया से कॉपी किया रशिया का नाम उस टाइम सोवियत यूनियन हुआ करता था फिर रशिया का नाम बदल के यूएसएसआर हो गया आज के टाइम में रशिया का नाम रशिया ही है और रशियन तो तुम्हें पता है बहुत बढ़िया है ठीक है कोई बात नहीं उधर मत जाओ इधर आ जाओ रशियन हथियार बोल रहा हूं डिफेंस सिस्टम बोल रहा हूं राइट हां इंडिया ने भी यूज़ कर रखे हैं तो भाई अब प्लानिंग कमीशन के अंदर हम क्या करते थे इंडिया में यह देखा जाता था कि कुछ-कुछ प्रॉब्लम्स हैं सारी प्रॉब्लम्स को एक बार में सॉल्व तो कर नहीं सकते तो हर 5 साल में कुछ प्रॉब्लम्स को सॉल्व किया जाएगा 5 साल में हमने कहा कि 5 साल का एक प्लान बनाएंगे उस प्लान के अंदर कुछ प्रॉब्लम को सॉल्व कर लेंगे फिर जो दूसरी प्रॉब्लम्स हैं उनको अगले 5 साल में सॉल्व करेंगे फिर जो और प्रॉब्लम है उसको अगले 5 साल में सॉल्व करेंगे तो 5- 5 साल के हमारे देश में प्लान बनाए गए इन सभी प्लानिंग के सिस्टम को बोला जाता है फाइव ईयर प्लानिंग सिस्टम तो छोटी-छोटी प्रॉब्लम्स को हम सॉल्व करते थे जैसे कि गरीबी दूर करना बेरोजगारी दूर करना देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की फैसिलिटी बिजली पानी ये सब प्रोवाइड करना स्कूल बनवाना हॉस्पिटल बनवाना ये सब प्रॉब्लम्स लेकिन दोस्त कुछ ऐसी चीजें थी जो हमारी कंट्री को पता था कि वो 5 10 20 सालों में अचीव नहीं हो सकती उसके लिए लंबा टाइम लगेगा तो प्लानिंग कमीशन ने कुछ अपने लॉन्ग टर्म ऑब्जेक्टिव्स रखे लॉन्ग टर्म ऑब्जेक्टिव मतलब लॉन्ग टर्म टारगेट लॉन्ग टर्म गोल कि भैया देखा जाएगा यह अचीव कब होंगे वह चार मेन आपको ऑब्जेक्टिव पढ़ने हैं धीरे-धीरे करके मैं बताता हूं बेसिक-बेसिक बातें जरा आप मेरे साथ देख लो मैंने बताया आपको दोस्त प्लानिंग कमीशन इस्टैब्लिश हो गई 15 मार्च 1950 को ये पूरा सिस्टम कॉपी किया गया था सोवियत यूनियन से इसके चेयरमैन होते थे हमेशा ही प्राइम मिनिस्टर और हमारे देश में फाइव ईयर प्लान टोटल मिला के 12 बनाए गए हैं उसके बाद कुछ चेंजेस हुए हैं बदलाव हुए हैं इस वीडियो के अंदर धीरे-धीरे करके आप समझते रहोगे और देखते रहोगे कि क्या-क्या चेंजेस यहां पर हुए हैं लेकिन अब बात आई थी कि प्लानिंग कमीशन ने अपने चार मोटे-मोटे बड़े-बड़े ऑब्जेक्टिव बनाए हुए थे तो ये ऑब्जेक्टिव आज भी आपको दिखाई दे रहे हैं भाई साहब पहला ऑब्जेक्टिव था कि देश हमेशा तरक्की करता रहे तरक्की का नाम होता है इकोनॉमिक ग्रोथ अब कोई बोलेगा सर इकोनमिक ग्रोथ को डिफाइन करो तो जीडीपी के इनक्रीस होने को बोलते हैं इकोनमिक ग्रोथ इकोनॉमिक ग्रोथ रेफर्स टू द इंक्रीस इन जीडीपी अब जीडीपी क्या होता है देखो इस दुनिया में जितनी भी कंट्री हैं बहुत सभी कंट्रीज के अंदर कुछ ना कुछ सामान बनाया जा रहा है जूता चप्पल फ्लावर टीशर्ट कैमरा पंखा बाइक स्कूटी मोबाइल कुछ ना कुछ बनाया जा रहा है तो एक देश में एक साल के अंदर जितने भी रुपए का सामान बनाया जाता है उसको कैलकुलेट करते हैं और उस वैल्यू को बोलते हैं जीडीपी तो इंडिया के अंदर जितनी भी गुड्स एंड सर्विज एक साल में बनाई जाती है उसकी मनी वैल्यू को जीडीपी बोलते हैं तो एक लाइन में डेफिनेशन बोल देता हूं जीडीपी रेफर्स टू द सम टोटल ऑफ द मनी वैल्यू ऑफ ऑल गुड्स एंड सर्विज प्रोड्यूस्ड विद इन द डोमेस्टिक बाउंड्री ऑफ़ अ कंट्री ड्यूरिंग अ पीरियड ऑफ़ टाइम बहुत बेसिक डेफिनेशन है और लगातार जीडीपी बढ़ता रहे ये हमारे देश का टारगेट था इसको ही इकोनमिक ग्रोथ बोलते हैं आप न्यूज़पेपर में चाहे टीवी चैनल्स में देखते होंगे जीडीपी की बहुत बातें होती हैं राइट दूसरा हमारा टारगेट था सेल्फ रिलायंस या सेल्फ सफिशिएंसी इन दोनों का मतलब एक ही है दोनों को बोलते हैं आत्मनिर्भरता एक्चुअली ये क्यों बनाया गया पहले समझो जब हमारा देश आजाद हुआ तो इंडिया और पाकिस्तान दो टुकड़ों में बट गया पाकिस्तान के हिस्से में एक ऐसा बड़ा इलाका चला गया जहां पर फूड ग्रेंस का प्रोडक्शन ज्यादा होता था जैसे कि सिंध और बड़ा पंजाब एक पंजाब का हिस्सा हमारे पास है एक पंजाब का हिस्सा पाकिस्तान के पास तो इंडिया के अंदर फूड ग्रेन की शॉर्टेज हो गई गेहूं चावल की कमी बढ़ गई तो इंडिया अमेरिका से इंपोर्ट करवाता था फूड ग्रेंस तो इंडिया डिपेंडेंट हो गया अमेरिका के ऊपर तो हमारे देश ने सोचा कि भाई गड़बड़ी है ये तो हमें अमेरिका के ऊपर से डिपेंडेंसी हटानी पड़ेगी अपने देश में ही दबा के प्रोडक्शन करना पड़ेगा फूड ग्रेंस का तो हमने टारगेट रखा भाई सेल्फ सफिशिएंसी हमारा टारगेट होना चाहिए हमने टारगेट रखा मॉडर्न होने का अब ये मॉडर्नाइजेशन होने का मतलब नए कपड़े पहनना नहीं होता कटी-फटी जींस पहनना नहीं होता बिल्कुल ऐसे हवाबाजी करके घूमना नहीं होता मॉडर्नाइजेशन का मतलब होता है कि अपने देश में आप टेक्नोलॉजी को अपडेट रखो जो भी बढ़िया टेक्नोलॉजी आ रही है उसको यूज़ करो जैसे 2G फोन चलते थे फिर 3G आए 4G आए 5G आए 6G आएंगे 7G आएंगे तो हम उस टेक्नोलॉजी को अपडेट करेंगे ऐसे ही बहुत सारे एग्जांपल्स हैं मॉडर्नाइजेशन का एक और मतलब होता है कि जो समाज के अंदर गलत धारणाएं चल रही हैं जो सोसाइटी के अंदर गलत धारणाएं हैं उसको खत्म करो गलत धारणा क्या है लड़का लड़की के बीच में भेदभाव लड़कियों को स्कूल और कॉलेज ना जाने देना लड़कियों को कंपनी फैक्ट्री में काम ना करने देना काफी सारी जगह ऐसा हो रहा है तो मॉडर्नाइजेशन का मतलब अपने देश की सोशल आउटलुक को इंप्रूव करो और टेक्नोलॉजी को अपनाओ दो चीजें हैं इसके अंदर फिर तीसरा था इक्विटी इक्विटी का मतलब बराबर होना होता है अब दोस्त एक देश में अगर तरक्की हो गई तो जरूरी नहीं है उस तरक्की का फायदा सभी को होगा अमीर को भी और गरीब को भी नहीं है जरूरी तो हमारे देश का मोटिव ये था जब देश तरक्की करे तो उसका फायदा गरीब और अमीर दोनों को बराबर हो दिस इज कॉल्ड इक्विटी इन सभी ऑब्जेक्टिव से रिलेटेड एग्जाम के अंदर बहुतेंट क्वेश्चन बनता है चार नंबर का या छह नंबर का ये रहा उसका आंसर मैं एक बार आपको अच्छे से रीड करवा देता हूं तो पेन का कलर यहां पर लाल ही रख लेते हैं राइट टॉपिक है कॉमन गोल्स ऑफ फाइव ईयर प्लानिंग इन इंडिया पहला गोल था इकोनॉमिक ग्रोथ यहां पर डेफिनेशन लिखनी होगी इकोनमिक ग्रोथ रेफर्स टू इंक्रीस इन जीडीपी ऑफ़ अ कंट्री और फिर जीडीपी की डेफिनेशन लिख देंगे जीडीपी रेफर्स टू द मनी वैल्यू ऑफ़ ऑल फाइनल गुड्स एंड सर्विज प्रोड्यूस्ड इन द डोमेस्टिक बाउंड्री ऑफ़ अ कंट्री ड्यूरिंग अ पीरियड ऑफ़ टाइम वो भी ऐड कर देना इसके अंदर ड्यूरिंग अ पीरियड ऑफ़ टाइम यानी हर साल एक पीरियड ऑफ़ टाइम होता है हर साल ही इसको कैलकुलेट करते हैं दूसरा हमारा ऑब्जेक्टिव था सेल्फ रिलायंस या सेल्फ सफिशिएंसी आप दोनों में से एक ही नाम यूज़ करना फालतू में लिख के क्यों अपना टाइम वेस्ट कर रहे हो हां इट रेफर्स टू रिड्यूसिंग द डिपेंडेंस ऑन इंपोर्ट्स इंपोर्ट का मतलब विदेशों से सामान खरीदना जो हम फूड ग्रेन जैसे अमेरिका से ले रहे थे तो हमने भाई बोला तेरे ऊपर से डिपेंडेंस हटाएंगे अपने देश में प्रोडक्शन करेंगे और हमने इसको अचीव भी कर लिया था अब धीरे-धीरे इसकी कहानी बताएंगे इंडिया हैज़ अचीव्ड सेल्फ सफिशिएंसी इन फूड ग्रेंस फर्स्ट सेवन फाइव ईयर प्लान गवेंस टू सेल्फ अलायंस जो हमने फाइव ईयर प्लान बनाए थे जैसे कि पहला फाइव ईयर प्लान स्टार्ट हुआ 1 अप्रैल 1951 से लेकर 31 मार्च 1956 तक पांच साल का एक प्लान फिर 1956 से 61 तक दूसरा प्लान फिर 61 से 66 तक तीसरा प्लान ऐसे करके हमारा जो सातवें नंबर का फाइव ईयर प्लान था सातवें फाइव ईयर प्लान तक हमने सेल्फ सफिशिएंसी कोेंस दी उसके बाद नहीं थी क्योंकि ये अचीव हो गया था थर्ड ऑब्जेक्टिव मॉडर्नाइजेशन तो इट रेफर्स टू द अडप्शन ऑफ़ न्यू टेक्नोलॉजी एंड चेंजेस इन द सोशल आउटलुक मॉडर्नाइजेशन की डेफिनेशन लिखी है नई-नई टेक्नोलॉजी भी अपनाओ और अपनी सोसाइटी को इंप्रूव भी करो फॉर एग्जांपल फॉर एग्जांपल अ फार्मर कैन इंक्रीस द आउटपुट ऑन द फार्म बाय यूजिंग ट्रैक्टर एंड ट्यूबवेल कहता है एक फार्मर यानी एक किसान अपने खेत में यानी फार्म में प्रोडक्शन बढ़ा सकता है बढ़िया-बढ़िया मशीन यूज़ करो ट्रैक्टर यूज़ करो ट्यूबवेल यूज़ करो ट्यूबवेल वो होता है जिससे पानी आता है अच्छा अच्छा ठीक है तो टेक्नोलॉजी को बढ़ाओ और यूज़ करो रादर देन वर्किंग ओनली लेबर वर्क सिर्फ गधे की तरह काम मत करो उसमें टेक्नोलॉजी को अपनाओ राइट दूसरा एग्जांपल है यूजिंग द टैलेंट ऑफ़ वुमेन औरतों के टैलेंट को भी यूज़ करो बैंक में नौकरी करने दो स्कूल में पढ़ने जाने दो फैक्ट्रीज में नौकरी करने दो औरतें भी टैलेंट टैलेंटेड होती है भैया औरतों के साथ भेदभाव मत करो हम अगला है जी इक्विटी इक्विटी का मतलब जो देश के अंदर तरक्की हुई है उसका फायदा सबको मिले तो इट रेफर्स टू द रिडक्शन इनकलिटी ऑफ इनकम एंड वेल्थ इक्विटी का सही मतलब होता है अमीरी और गरीबी के बीच का भेदभाव कम करना राइट हम तो टू अचीव दिस टारगेट वेरियस पॉवर्टी एलिवेशन प्रोग्राम्स वर इंट्रोड्यूस्ड कहता है भाई अमीरी और गरीबी के बीच का टारगेट हमने रखा था कि इनको धीरे-धीरे कम करते रहेंगे गैप जो है अमीरी और गरीबी का इसको धीरे-धीरे कम करते रहेंगे इसके लिए सरकार ने गरीबी को दूर करने के बहुत सारे प्रोग्राम्स ल्च किए बहुत सारी स्कीम ल्च की जैसे कि आज के टाइम में बहुत फेमस है एक नरेगा नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005 में आया था राइट वो बहुत फेमस है उसको एम नरेगा भी बोलते हैं क्या होता है ना ये अमीर है ये गरीब है सरकार गरीबों को कुछ देगी तो गरीब ऊपर आएंगे तो ये गैप धीरे-धीरे कम हो जाएगा राइट हां तो इक्विटी एनश्योर दैट द बेनिफिट ऑफ़ ग्रोथ एंड प्रोस्पेरिटी शुड रीच द पुअर सेक्शंस आल्सो इक्विटी ये यकीन दिलाती है जो ग्रोथ और प्रोस्पेरिटी प्रोस्पेरिटी है प्रोस्पेरिटी का मतलब खुशियां ग्रोथ की वजह से जो देश में खुशियां आई हैं पैसा आया है गुड्स आई हैं उसका फायदा सबको मिले गरीबों को भी मिले अच्छा खासा हो गया ठीक है जी इतना आपको जानना था लेकिन दोस्त आज के टाइम में आपको मैं बताऊं प्लानिंग कमीशन के बारे में एंड टॉपिक पढ़ रहे हैं देखो 1950 में प्लानिंग कमीशन इस्टैब्लिश हुई 1951 में पहला फाइव ईयर प्लान बना 51 से 56 तक चला दूसरा प्लान 56 से 61 तक तीसरा प्लान 61 से 66 तक ये तीन फाइव ईयर प्लान हो गए इसके बारे में आपको ज्यादा याद रखना नहीं है बस मैं इसलिए बता रहा हूं कि यहां पर 1965 में हमारे देश का एक वॉर भी हुआ था आपको पता हो कि बाकी चोरों को हमने हराया भी था तो इस वॉर से लेकिन सिचुएशन तो कुछ खराब थी तो हमने बीच में स्टॉप कर दिया था फाइव ईयर प्लांस को बनाना तो 3 साल तक लगभग गैप आया था यहां पर इसे बोलते हैं थ्री एनुअल प्लांस बनाए या फिर प्लानिंग हॉलिडे बोल देते हैं इसको 3 साल तक हमने प्लान नहीं बनाए तो इसके बाद 1969 से 74 तक हमने प्लान बनाया ये चौथा था 74 से 79 तक प्लान बनाया ये पांचवा प्लान था फिर एक साल प्लान नहीं बनाया गैप आ गया यहां पर सरकार गिर गई थी एक तो उस टाइम गैप आ गया था फिर हमने 1980 से लेकर 85 तक पांचवा फाइव ईयर प्लान बनाया 85 से लेके 90 तक छठा फाइव ईयर प्लान बनाया और इसके बाद देश के अंदर बहुत बड़ा चेंज आया था हमने लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन ग्लोबलाइजेशन को यहां पर इंट्रोड्यूस किया था ये सब चैप्टर नंबर थ्री में पढ़ोगे कि चेंज क्या आया था देश कहां फंस गया था तो हमने 2 साल यहां पर प्लान नहीं बनाए 2 साल का यहां पर गैप हो गया ये सात फाइव ईयर प्लान बन चुके हैं सातवां प्लान ये था यहां तक हमने सेल्फ सफिशिएंसी को बहुत ज्यादाेंस दी थी इसके बाद आठवां प्लान हमारा आया 1992 से 1997 तक नौवां प्लान 197 से 2002 तक 10वां प्लान 2002 से 2007 तक 11वां प्लान 2007 से 2012 तक और 12वां प्लान 2012 से 2017 तक ये हमारा 12th फाइव ईयर प्लान था कुल मिला के देश के अंदर 12 फाइव ईयर प्लान बनाए गए लेकिन इस बीच में ही इस टाइम के बीच में ही 1 जनवरी 2015 को 1 जनवरी 2015 को हमारे देश ने नीति आयोग बना दिया नीति आयोग एक थिंक टैंक है थिंक टैंक मतलब एक ऐसा टैंक जहां पर सोचने वाले पॉलिसी मेकर इकोनॉमिस्ट बैठे होते हैं ये बना दिया और घोषित कर दिया इसी दिन कि अब हम प्लानिंग कमीशन को खत्म कर देंगे एक बार बस ये 12वां प्लान खत्म होने दो नीति आयोग राइट जी हां बना दिया अब नीति आयोग की फुल फॉर्म पेपर में आ जाती है कई बारी इसको बोलते हैं नेशनल [संगीत] इंस्टट्यूशन ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया आयोग भाई आयोग को इंग्लिश में कमीशन ही बोलते हैं क्या-क्या लिया एन आई टी आई और आयोग नीति आयोग ये इसकी फुल फॉर्म है एक्चुअली फिर इसने टेकओवर किया आगे देश के प्लानिंग सिस्टम को तो नीति आयोग ने प्लान बनाया 2017 1 अप्रैल 2017 से और बोला कि इसका प्लान 2032 तक चलेगा तो ये 15 ईयर का प्लान था 15 ईयर प्लान बनाया इसने प्लानिंग कमीशन पांच-प साल के प्लान बनाती थी इसने अभी बनाया है 15 ईयर का प्लान देखो आगे फिर क्या करती है इस प्लान को बोला बहुत लंबा प्लान जो बहुत लंबा प्लान होता है उसको बोलते हैं पर्सपेक्टिव प्लान तो हमारा ये पर्सपेक्टिव प्लानिंग सिस्टम नीति आयोग से स्टार्ट हुआ नीति आयोग के भी चेयरमैन प्रधानमंत्री ही होते हैं बस आपको बता देता हूं ऐसा माना जाता था कि प्लानिंग कमीशन थोड़ा सेंट्रलाइज थी मतलब प्लानिंग कमीशन में सेंट्रल गवर्नमेंट की ही इन्वॉल्वमेंट होती थी तो नीति आयोग जो बनाया गया है इसके अंदर सेंट्रल गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट के भी मिनिस्टर्स को शामिल किया जाता है ताकि थोड़ा नीचे तक जाकर सोचा जाए तो ठीक है नई ऑर्गेनाइजेशन बन गई है आपको इतना ही पढ़ना है इस इसके लिए आगे चलते हैं मैं आपके दिमाग के अंदर वो चार्ट क्रिएट कर चुका हूं कि इस पूरे चैप्टर में आपको चार आइटम पढ़ने हैं एक प्लानिंग कमीशन है ये आपका डन हो चुका है अब प्लानिंग कमीशन के बारे में छोटा सा फैक्ट रह गया है बस उसको बता के ये डन है फिर बाकी बचे हुए तीन करेंगे मैं आपको एग्रीकल्चर पॉलिसी कराऊंगा फिर कराऊंगा इंडस्ट्रियल पॉलिसी और फिर कराऊंगा फॉरेन ट्रेड पॉलिसी चैप्टर खत्म ठीक है हम अच्छा जी क्या बचा है सर प्लानिंग कमीशन से रिलेटेड दोस्त देखो जब हमने दूसरा फाइव ईयर प्लान बनाया ना 1956 से 61 तक तो यहां पर एक बहुत ही मेन बंदे के साथ देश की इनवॉल्वमेंट हुई प्लानिंग करने में इस बंदे का नाम था प्रशांत चंद्रा महालानोबिस इनको हम प्यार से पीसी महालानोबिस भी बोलते हैं सेकंड फाइव ईयर प्लानिंग से जुड़े थे ये वाइस चेयरमैन थे क्योंकि मेन चेयरमैन तो प्राइम मिनिस्टर होते थे इन्होंने इस टाइम विदेशों से बहुत बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट को बुलाकर देश की प्लानिंग की रूपरेखा रचवाई और यहां पर दोस्तों इन्होंने कोलकाता के अंदर एक इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट ओपन किया जहां से आज भी तुम मास्टर्स की डिग्री कर लो इकोनॉमिक्स में तो करियर फुल सेट है इनको बोला जाने लगा ये इंडियन प्लानिंग के आर्किटेक्ट हैं आर्किटेक्ट कौन होता है जो नक्शा बनाता है तो इंडियन प्लानिंग का नक्शा यही तैयार करके चले गए थे तो लिख भी देता हूं पीसी माला नोबिस इज नोन एज द आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन प्लानिंग ये भी आ जाता है कई बार क्वेश्चन तो आप इसको क्रैक कर दोगे राइट इतनी कहानी हो गई प्लानिंग कमीशन खत्म अब आ जाते हैं कैटेगरी नंबर टू पे जिसका नाम है मेरे दोस्त एग्रीकल्चर सेक्टर अब इन 40 वर्षों के अंदर आपको एग्रीकल्चर सेक्टर के बारे में पढ़ना है तो क्या-क्या पढ़ना है पहला पॉइंट एग्रीकल्चर सेक्टर में क्या-क्या प्रॉब्लम थी फिर उस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन रिफॉर्म का मतलब होता है सुधार और इस सुधार में एक पॉइंट आएगा ग्रीन रेवोल्यूशन यह तीन आइटम पढ़ेंगे हमारा एग्रीकल्चर सेक्टर भी खत्म हो जाएगा तो पहले प्रॉब्लम समझ लो एग्रीकल्चर सेक्टर में प्रॉब्लम हमने चैप्टर नंबर वन में पढ़ ली थी पहली प्रॉब्लम थी कि हमारे देश के अंदर एक जमींदारी सिस्टम चल रहा था जो बहुत ज्यादा टैक्स कलेक्ट करते थे फार्मर से और फिर ब्रिटिश गवर्नमेंट को जाकर दे देते थे फिर अंग्रेजों ने कोई खास एफर्ट नहीं किए हमारे देश के एग्रीकल्चर सेक्टर को डेवलप करने के लिए यहां पर लो लेवल ऑफ टेक्नोलॉजी था और प्रॉपर इनपुट्स अवेलेबल नहीं थे इनपुट्स मतलब जैसे कि अच्छी क्वालिटी के सीड्स अच्छी क्वालिटी की बोले तो फर्टिलाइज़र्स पेस्टिसाइड्स अवेलेबल नहीं थे खेती के लिए तो ये बहुत बुरी-बुरी बातें थी अंग्रेजों ने कैश क्रॉप्स पे फोकस करवाया कमर्शियलाइजेशन ऑफ एग्रीकल्चर करवाया तो इन सभी प्रॉब्लम से इंडिया परेशान था एग्रीकल्चर सिस्टम जूझ रहा था अब मतलब बता देता हूं इन चीजों का क्या होता है दोस्तों खेती करने के लिए एक बढ़िया खाद की जरूरत पड़ती है उस बढ़िया खाद को बोलते हैं फर्टिलाइजर जब खेती करते हैं तो कीड़े-मकोड़े मारने की दवाई चाहिए होती है उस दवाई को बोलते हैं इंसेक्टिसाइड जब खेती कर रहे होते हैं तो उड़ने वाले कीड़े को पेस्ट बोलते हैं तो उड़ने वाले कीड़े टिड्डी दल उसको मारने की दवाई चाहिए होती है उसे बोलते हैं पेस्टिसाइड तो अंग्रेजों की तरफ से कोई भी ऐसा इनपुट प्रोवाइड नहीं किया गया जिससे इंडिया का एग्रीकल्चर सिस्टम सुधरे और सारा तो मानसून के ऊपर डिपेंड था बारिश आएगी तो ठीक है पानी की सुविधा अंग्रेजों ने दी नहीं तो कुल मिला के किल कर दिया अब इस चीज को सॉल्व करने के लिए हमारे देश में कुछ रिफॉर्म लिए गए रिफॉर्म का मतलब होता है सुधार सुधार ये लिए गए कि एक तो भाई अंग्रेजों ने बहुत ज्यादा अमीर बना दिया था जमींदार को और जो फार्मर्स थे वो बहुत ही घटिया क्वालिटी की लाइफ जी रहे थे तो देश आजाद होते ही सबसे पहले इन सबको हटाया गया जो जमींदार वगैरह थे इस सिस्टम को खत्म किया गया और जमीन से रिलेटेड बहुत सारे मेजर लिए गए फिर जाके हमने अपने देश के अंदर टेक्नोलॉजी को इंप्रूव किया ये सुधार थे कुल मिला के सभी सुधार को दो पार्ट में डिवाइड करते हैं आपको कोई पूछे कि भाई एग्रीकल्चर सेक्टर में जो रिफॉर्म हुए थे एग्रीकल्चर सेक्टर में जो सुधार हुए थे इसकी कितनी कैटेगरी है दो कैटेगरी है एक है लैंड रिफॉर्म मतलब जमीन से रिलेटेड कुछ सुधार हुए एक है ग्रीन रेवोल्यूशन इसमें हमने टेक्नोलॉजी से रिलेटेड सुधार किए तो इसलिए इसको बोलते हैं इंस्टीट्यूशनल रिफॉर्म जमीनी रिफॉर्म इसको बोलते हैं टेक्निकल रिफॉर्म यहां पर टेक्नोलॉजी के रिफॉर्म किए गए अच्छा भाई क्या सुधार कर दिया जमीन से रिलेटेड एक-एक करके पढ़ते हैं भाई पहला सुधार जमीन से रिलेटेड कि इन पनौतियों को हटा दिया जमींदार को रिमूव कर दिया साइड हो जाओ बेटा बहुत हो गया तुमने अंग्रेजों के जमाने में बहुत कुछ माल कमा लिया अब तुम्हारा सिस्टम खत्म तुम्हारे पास बहुत सारी जमीनें हैं ना सरकार ने इन जमीनों को छीन-छीन कर गरीबों को बांट दिया और रूल बना दिया देश में कि भाई एक बंदे के पास जमीन की मैक्सिमम कितनी ओनरशिप हो सकती है लिमिट डिसाइड कर दी अब ये लिमिट आपको याद नहीं रखनी क्योंकि इसके ऊपर हर स्टेट में अलग लिमिट थी तो जमीन के ऊपर लिमिट लगा दी और फिर जब भी कोई बंदा अपनी जमीन को किसी को किराए पर देगा तो वो उससे मनचाहा किराया नहीं वसूल सकता सरकार ने बोला सरकार ने किराए को भी कंट्रोल किया सरकार ने यहां पर लोगों को बोला कि भाई अगर तुम्हारी जमीन अलग-अलग जगह है जैसे कि मान लो मेरी जमीन हरियाणा में है दिल्ली में है यूपी में है तो मेरे को उस पर अगर प्रोडक्शन करना है तो हरियाणा यूपी दिल्ली अलग-अलग जगह ट्रैक्टर खरीदना पड़ेगा अलग-अलग जगह ट्यूबवेल लगाना पड़ेगा जिससे पानी जाए सरकार बोलती है तू तो परेशान हो जाएगा तो एक काम कर तेरी तीनों लैंड को हम एक जगह मर्ज कर देते हैं तो हरियाणा और यूपी से मेरी जमीन सरकार ने ली और मुझे दिल्ली में दे दी तो सही है जमीन मर्ज करके दे दी मुझे तो अब एक ही ट्रैक्टर हर जगह काम कर देगा तो इसको ढंग से समझाता हूं कि ये थे क्या सबसे पहले लैंड रिफॉर्म को समझते हैं मेरे दोस्त पॉइंट वाइज समझेंगे यहां पर आपके लिए लिखा हुआ है आ जाओ जी लैंड रिफॉर्म लैंड रिफॉर्म में हमने इंटरमीडिएटरीज जैसे जमींदारी सिस्टम के जो बिचोलिए थे जो टैक्स कलेक्ट करके अंग्रेजों को देते थे इसको रिमूव कर दिया रिमूव करने को बोलते हैं अबोलिशन एक खत्म खात्मा लैंड सीलिंग करी एक जमीन की मैक्सिमम लिमिट कितनी हो सकती है एक बंदे के पास उसको डिसाइड किया हां हद से ज्यादा जमीन कोई नहीं रख सकता ऐसा कुछ फिर किया हमने कंसोलिडेशन ऑफ लैंड होल्डिंग मतलब एक बंदे की जमीन यहां है यहां है यहां है तो सरकार ने इन तीनों टुकड़ों को मर्ज करके एक ही जगह दे दिया कि भाई तू यहां रख ले एक ही ट्रैक्टर में सारा काम चल जाएगा तू अच्छे से इसको ग्रो कर पाएगा इसको बोलते हैं कंसोलिडेशन मतलब जोड़ना मर्ज करना फिर सरकार ने रेंट को रेगुलेट किया रेगुलेट का मतलब कंट्रोल हर कोई अपनी अपनी जमीन के लिए मनचाहा किराया नहीं वसूल सकता किराएदार से राइट यहां डिसाइड किया गया कि मैक्सिमम 1/3 यानी 33% किराया वसूल सकता है जो भी उसकी अर्निंग होगी उसका फिर कोऑपरेटिव फार्मिंग को सरकार ने प्रमोट किया कोऑपरेटिव का मतलब होता है दोस्त टीम सरकार कहती है इंडिविजुअल फार्मर्स से अच्छा काम टीम कर सकती है तो जितने भी फार्मर्स हैं सब अपने-अपने ग्रुप बना लो ग्रुप बना के फार्मिंग करो तो जल्दी प्रोडक्शन होगा एक से भले दो दो से भले चार ग्रुप बनाओगे तो आपको जो सीड फर्टिलाइजर इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड खरीदने हैं वो आप सब मिलकर एक दुकान पे खरीदने जाओगे ज्यादा क्वांटिटी में खरीदोगे तो आपको सस्ते मिलेंगे तो बारगेनिंग भी हो जाएगी तो ऐसा भी हो सकता है तो बहुत फायदे थे इस चीज़ के एक्सप्लेनेशन देखते हैं भाई वन शॉट है तो एक्सप्लेनेशन के साथ करते हैं यहां पर इसको इसके तीन ही पॉइंट इंपॉर्टेंट हैं जो सबसे ज्यादा है बाकी नीचे दिए हुए हैं लैंड रिफॉर्म का मतलब क्या होता है भाई साहब जो भी जमीन की लैंड होल्डिंग है लैंड होल्डिंग का मतलब जमीन की ओनरशिप है उसके सिस्टम को चेंज करना लैंड रिफॉर्म कहलाता है तो लैंड रिफॉर्म रेफर्स टू द चेंज इन द ओनरशिप ऑफ लैंड होल्डिंग्स और ये बेसिकली इन सभी पांच पोर्शन में डिवाइड करते हैं इसको पहला है अबोलेशन ऑफ इंटरमीडिएटरीज यानी जमींदारी सिस्टम ऑफ लैंड सेटलमेंट रेवेन्यू वाज़ रिमूव्ड ओके ये पहला सुधार था अच्छा किया इनको कुत्तों को हटा दिया फिर लैंड सीलिंग लैंड सीलिंग का मतलब सील करना सील का मतलब होता है लिमिट लिमिट डिसाइड कर देना कि एक बंदे के पास मैक्स टू मैक्स कितनी जमीन हो सकती है तो इट रेफर्स टू फिक्सिंग द मैक्सिमम साइज ऑफ़ लैंड व्हिच कुड बी ऑन बाय एन इंडिविजुअल एक इंडिविजुअल कितनी जमीन ऑन कर सकता है इट इज़ डन टू ब्रिंग द इक्विटी टू द एग्रीकल्चर सेक्टर कोई पूछे कि भैया लैंड सेलिंग क्यों की थी इक्विटी लाने के लिए ताकि सबके पास लगभग बराबर-बराबर सी जमीन हो फिर भाई कंसोलिडेशन ऑफ लैंड होल्डिंग किया इट मींस टू ब्रिंग लैंड होल्डिंग ऑफ अ फार्मर टू वन प्लेस रादर देन स्कैटर्ड इन पीसेस स्कैटर्ड का मतलब होता है टुकड़ों में बटना फ्रेगमेंटेशन भी बोलते हैं इसको इंग्लिश में है ना तो जिस-जिस की टुकड़ों में बंटी हुई लैंड है अलग-अलग पीस में जो सेवरल प्लेसेस में है अलग-अलग जगह पर है उसको एक जगह लेकर आ जाओ सरकार का ये मेन मोटिव था ताकि वो अच्छे से तरक्की कर सके फिर गवर्नमेंट ने रेगुलेशन ऑफ रेंट निकाला 1/3 ऑफ़ अर्निंग किसी का तुम मैक्स टू मैक्स चार्ज कर सकते हो नहीं तो इससे भी कम चार्ज हो रहा था और कोऑपरेटिव फार्मिंग आया टीम में मिलके फार्मिंग करो जिससे लोग सस्ते में सामान खरीद पाए और कलेक्टिव बार्गेनिंग कर पाए बार्गेनिंग का मतलब होता है मोलभाव करना सामान के लिए रेट कम करवाना फार्मर भी तो बहुत सारा सामान खरीदते हैं स्टार्टिंग के तीन बड़े इंपॉर्टेंट है अब आपको एक अंदर की बात बताता हूं जिससे रिलेटेड एग्जाम में क्वेश्चन मिलता है भाई सरकार ने लैंड सेलिंग तो करी थी अब बहुत सारे चालाक लोगों ने सरकार के कानून का फायदा उठाया यहां पर यह लैंड रिफॉर्म्स ज्यादा सक्सेसफुल इसलिए नहीं हुए क्योंकि जब लैंड सीलिंग हो गई ना लिमिट डिसाइड हो गई तो एक जमींदार जिसके पास बहुत सारी जमीन थी उसने अपनी जमीन का कुछ हिस्सा अपने भाई के नाम कर दिया कुछ दोस्त के नाम कर दिया कुछ बीवी के नाम कर दिया कुछ रिलेटिव के नाम कर दिया और बोला कि भाई मेरे पास तो बहुत थोड़ी जमीन है तो सरकार फिर उससे जमीन नहीं छीन पाई तो इस लॉ का बहुत मिसयज किया गया इसलिए लैंड रिफॉर्म्स ज्यादा सक्सेसफुल नहीं हुए लेकिन फिर भी वेस्ट बंगाल और केरला जैसे दो स्टेट्स में बहुत अच्छे से पॉलिसीज को अप्लाई किया गया जहां पर ये सक्सेसफुल हुए तो पेपर में क्वेश्चन आता है ऐसे कौन से दो स्टेट हैं जहां पर लैंड रिफॉर्म सबसे ज्यादा सक्सेसफुल हुए तो आंसर इज़ केरला एंड वेस्ट बंगाल प्लीज भूलना मत देखो यार थ्योरी का चैप्टर है तो थ्योरी को थ्योरी के ढंग से ही किया जाएगा लेकिन एक कनेक्शन तो सेट किया जाता है वो कनेक्शन आपको सेट करना है तो मैंने बोला भाई दो तरीके के अ रिफॉर्म्स पढ़ने हैं आपको एक लैंड रिफॉर्म और दूसरा ग्रीन रेवोल्यूशन जिसे टेक्निकल रिफॉर्म बोलते हैं लैंड रिफॉर्म आप कंप्लीट कर चुके हो अब आ जाते हैं ग्रीन रेवोल्यूशन पे ये बहुत इंपॉर्टेंट है ग्रीन रेवोल्यूशन नाम से ही पता लगता है ग्रीन की बात हो रही है क्या ग्रीन हरी-हरी चीजों की बात हो रही है जो हमारे खेतों में फसलें होती है ना वो हरे रंग की होती है इस वजह से बेसिकली इसका नाम ग्रीन रेवोल्यूशन रखा गया है एग्रीकल्चर से रिलेटेड है हां कहीं फिर जाकर गेहूं ब्राउन हो जाता है लेकिन स्टार्टिंग में फसलें तो हरी होती है रेवोल्यूशन का मतलब होता है क्रांति ग्रीन रेवोल्यूशन का मतलब एक ऐसी बड़ी क्रांति एक ऐसा आंदोलन लेकर आना जिससे हम अपने देश के अंदर फूड ग्रेंस का प्रोडक्शन बढ़ा दें फूड ग्रेन जैसे गेहूं चावल मक्का बाजरा जौ यह सब चीजें मक्का को इंग्लिश में क्या बोलते हैं मक्का को इंग्लिश में आजकल तो जब मॉल्स वगैरह में या बाहर तुम खरीदते हो तो पता है ना स्वीट कॉर्न बोल देते हैं लेकिन फसल के नाम पे उसको मेज़ बोलते हैं मेज़ की स्पेलिंग कमेंट सेक्शन में लिख दो अभी वीडियो को पॉज करके मैं मान जाऊं आपको ज को इंग्लिश में बोलते हैं बार्ले राइट और बाजरे को तो बाजरा ही बोलते हैं ठीक है तो बेसिकली ये था ग्रीन रेवोल्यूशन लेकिन कहानी ये है कि ग्रीन रेवोल्यूशन कब हमारे देश में आया ग्रीन रेवोल्यूशन के आने की तारीख कहीं पर भी गिवन नहीं है तो कोई भी एग्जैक्ट तारीख नहीं है बस ये बोलते हैं मिड 1960 में हमारे देश में ग्रीन रेवोल्यूशन आ गया एक्चुअली हमारे देश ने ना न्यू एग्रीकल्चर पॉलिसी बनाई थी 1961 में तो वहां पर फूड ग्रेन के प्रोडक्शन को बढ़ाने की मुहिम पहले ही चालू हो चुकी थी लेकिन ग्रीन रेवोल्यूशन उस एग्रीकल्चर पॉलिसी का हिस्सा बना मिड 1960 में मिड 1960 का मतलब कहीं ना कहीं हो गया 1965 के बाद 1960 1960 से 70 को बोलते हैं मिड मतलब उसका आधा 1965 से ऊपर राइट हां तो ग्रीन रेवोल्यूशन स्टार्ट हुआ और ग्रीन रेवोल्यूशन में हमने बहुत ही बेहतरीन क्वालिटी ऑफ़ सीड्स को यूज़ किया उन सीड्स को बोलते थे हाई यील्ड वैरायटी सीड्स उन सीड्स के यूज करने से हमारे देश में प्रोडक्शन बहुत ज्यादा बढ़ गया मान लो कि पहले प्रोडक्शन इतना होता था एक लड़ी में मान लो पहले प्रोडक्शन इतना होता था लेकिन जब से वो सीड्स आए हैं तो प्रोडक्शन गेहूं का इतना ज्यादा होने लगा तो वही है कि भाई साहब अच्छी क्वालिटी के सीड्स यूज़ करोगे तो ज्यादा प्रोडक्शन होगा लेकिन एक बात बताऊं आपको अंदर की ग्रीन रेवोल्यूशन के साथ एक बात थी अगर आपको अपने देश में वह एचवाईवी सीड्स यूज करने हैं ना तो उसके साथ आपको कुछ और चीजें भी यूज करनी ही पड़ेंगी जैसे कि फर्टिलाइजर होने चाहिए अच्छे इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड और पानी की फैसिलिटी वरना ग्रीन रेवोल्यूशन किसी काम में नहीं आएगा कोई फायदा नहीं होगा वो सीड्स प्रोडक्शन नहीं बढ़ाएंगे तो इन सब चीजों की जरूरत पड़ी तो आपसे सीधा-सीधा क्वेश्चन पूछेगा व्हाट इज ग्रीन रेवोल्यूशन तो उसका जवाब यह है ग्रीन रेवोल्यूशन का मतलब होता है फूड ग्रेन का प्रोडक्शन बढ़ाना बाय यूजिंग एचवाईवी सीड्स अलोंग विद फर्टिलाइजर पेस्टिसाइड इंसेक्टिसाइड एंड वाटर फैसिलिटी वाटर फैसिलिटी को इरीगेशन बोलते हैं अब ये एचवाईवी सीड्स इंडिया में कौन लेकर आया तो इनका नाम था एम एस स्वामीनाथन एम एस स्वामीनाथन को ग्रीन रेवोल्यूशन का फादर भी बोलते हैं इंडिया में लेकिन पूरी दुनिया में ग्रीन रेवोल्यूशन का फादर बोलते हैं नॉर्मन ई बरॉग को मेक्सिकन एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट थे तो नॉर्मन ई बरॉग ग्रीन रेवोल्यूशन के फादर हैं लेकिन इंडिया में ग्रीन रेवोल्यूशन के फादर एम एस स्वामीनाथन है तो दोनों वर्ड अलग-अलग है ध्यान रखना लो जी ये भाई साहब थे ये बोलते थे इफ एग्रीकल्चर फेल्स एवरीथिंग एल्स विल फेल एग्रीकल्चर गया सब गया तो फादर ऑफ इंडियास ग्रीन रेवोल्यूशन एम एस स्वामीनाथन इतनी अच्छी इनकी तस्वीर है आज के टाइम में ये जिंदा नहीं है यार इनको नमस्कार है ठीक है के इनके कंट्रीब्यूशन को जिसकी वजह से आज हम सब लोग जिंदा हैं इन्होंने देश में ये मुहिम लाई इसकी वजह से फूड गेन का प्रोडक्शन बढ़ा स्पेशली वीट और राइस का प्रोडक्शन बढ़ गया टारगेट तो हर एक चीज का बढ़ाना था लेकिन वीट और राइस का प्रोडक्शन बढ़ गया अब आपको और अंदर की बात बताता हूं जो जानकर खुशी होगी आपको कि अच्छा फैक्ट के ऊपर फैक्ट है भाई साहब ग्रीन रेवोल्यूशन एक बार में पूरी कंट्री में लागू नहीं हुआ एक्चुअली एक डर था जो भी देश एचवाईवी सीड्स यूज करेगा तो एचवाईवी सीड्स अट्रैक्ट करते हैं टिड्डी दल को टिड्डी दल बहुत बड़े-बड़े टिड्डे होते हैं पूरे खेत को सेकंडों में खा जाते हैं खत्म कर देते हैं खेती तो एचवाईवी सीड्स यूज़ करेंगे तो हमारी खेती खराब होने के चांस भी है एक तो यार हम खेती करेंगे बड़ी करेंगे सारा टिड्डी दल आ जाएगा और उस खेती को खराब कर देगा ये रिस्क था इसके साथ तो हमारे देश ने शुरुआत में पंजाब में तमिलनाडु में और आंध्र प्रदेश में तीन राज्यों के अंदर ग्रीन रेवोल्यूशन को बनाया मतलब यूज़ किया 10 साल तक लगभग फिर ये सक्सेसफुल रहा कोई टिडडी दल का अटैक नहीं हुआ फिर बाद में बचे हुए भारत के अंदर रेस्ट ऑफ द स्टेट्स के अंदर हमने ग्रीन रेवोल्यूशन को अपना लिया तो ग्रीन रेवोल्यूशन कुल मिला के हमारे प्यारे देश भारत के अंदर दो फेजेस में लॉन्च हुआ फेज वन की तारीख नहीं है बस यह बोल रखा है मिड 1960 से ले मिड 19 मिड 1960 का मतलब यह होता है और मिड 1970 तक 10 सालों तक यहां कौन-कौन सा स्टेट था पंजाब पंजाब हरियाणा एक ही बात थी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश यहां पर सक्सेसफुल हो गया तो फज़ टू स्टार्ट हुआ 1975 से लेके मिड 1980 बोलते हैं मिड 1970 से मिड 1980 तक तो रेस्ट ऑफ द स्टेट्स रेस्ट ऑफ द स्टेट्स का मतलब बाकी बचे हुए भारत की जो स्टेट्स थी सब में अप्लाई कर दिया स्टार्टिंग में यहां अप्लाई हुआ था ना इसलिए यहां के फार्मर्स एज कंपेयर टू अदर स्टेट्स के फार्मर से ज्यादा अमीर भी होते हैं ठीक है तो आपको पता होना चाहिए भाई पेपर में क्वेश्चन भी आ सकता है कि डिस्कस द फेसज़ ऑफ़ द ग्रीन रेवोल्यूशन दो फज़ हैं फर्स्ट फज़ के लिए आप लिखोगे मिड 1960 से लेके मिड 1970 तक यहां पर पंजाब आंध्रा और तमिलनाडु मेन डिस्कस किया गया है सेकंड फज़ था आपका मिड 1970 से ले मिड 1980 तक यहां पर जो भी दूसरे बचे हुए स्टेट्स थे उन सबके अप्लाई किया और देश ने सेल्फ सफिशिएंसी अचीव कर ली जो प्लानिंग कमीशन में हमारा ऑब्जेक्टिव था लॉन्ग टर्म गोल था वो अचीव कर लिया सेल्फ रिलायंस बस इतना ही ध्यान रखना है इसको आगे ग्रीन रेवोल्यूशन की प्यारी सी डेफिनेशन लिखी हुई है ग्रीन रेवोल्यूशन रेफर्स टू इंक्रीस इन द प्रोडक्शन ऑफ़ फूड ग्रेंस ड्यू टू किस वजह से यूज ऑफ हाई यल्ड वैरायटी सीड्स यूज ऑफ फर्टिलाइजर पेस्टिसाइड इंसेक्टिसाइड एंड इरीगेशन फैसिलिटीज इन सबको एक साथ इस्तेमाल करके ये जो डाल रहे हैं ना दवाइयां ये ये दवाइयां ये होते हैं इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड ठीक है हम तो बस बढ़िया था ग्रीन रेवोल्यूशन बोलते हैं इसको अब नेक्स्ट टॉपिक आएगा कि भैया एचवाईवी सीड्स को और क्या बोलते हैं एचवाईवी सीड्स को हम मिरेकल सीड्स बोलते हैं मिरेकल सीड्स का मतलब होता है जादुई बीज क्यों बोलते हैं क्योंकि इन्होंने प्रोडक्शन बहुत ज्यादा बढ़वा दिया और ग्रीन रेवोल्यूशन को हम सीड वाटर फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी भी बोलते हैं क्योंकि इन सबको यूज़ करके इसने प्रोडक्शन बढ़वाया था क्या फायदा हुआ ग्रीन रेवोल्यूशन का भाई बहुत सारे फायदे हुए प्रोडक्शन बढ़ गया भाई मार्केटेबल सरप्लस आ गया फार्मर के पास जो गरीब आदमी था उसको भी फायदा हुआ क्या फायदा हुआ कैसे-कैसे डिटेल में पढ़ते हैं चलो जी ये लो जी तीन बेनिफिट है ये है जी एडवांटेजेस ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन पहला एडवांटेज है अटेनिंग मार्केटेबल सरप्लस ये क्या होता है देखो जी मान लो ग्रीन रेवोल्यूशन से पहले एक एक फार्मर उतनी ही खेती करता था जितनी खेती से वो जिंदा रह सके ऐसी खेती को बोलते हैं सब्सिस्टेंस फार्मिंग हां आजीविका के लिए फार्मिंग करता था फॉर एग्जांपल उसको 10 किलो गेहूं चाहिए तो वो 10 किलो गेहूं ही उगाता था इतना ही उगा पाता था कम प्रोडक्शन होता था अब ग्रीन रेवोल्यूशन आ गया मिरेकल सीड्स आ गए तो भाई अब फार्मर 50 किलो गेहूं उगा रहा है एग्जांपल के तौर पे तो कितना एक्स्ट्रा कमा रहा है 40 किलो गेहूं एक्स्ट्रा है अब इस 40 किलो गेहूं को वो मार्केट में बेच देगा और इस एक्स्ट्रा क्वांटिटी को बोलेंगे मार्केटेबल सरप्लस तो मार्केटेबल सरप्लस वो क्वांटिटी होती है जिसको एक फार्मर मार्केट में बेच देता है यह डिफरेंस है टोटल आउटपुट माइनस जितना उसका सेल्फ कंजमशन में काम आए उसका अच्छा जी फिर भाई फूड ग्रेन की बफर स्टॉक्स हो गई गवर्नमेंट के पास बफर स्टॉक का मतलब होता है वो क्वांटिटी ऑफ़ फूड ग्रेन जिसको सरकार इमरजेंसी में यूज़ कर ले जैसे कि देश में कोई कोरोना की तरह महामारी आ जाए कहीं अर्थक्वेक सुनामी कहीं फ्लड आ जाए तो वहां के जो विक्टिम्स होते हैं सरकार उनको फ्री में फूड ग्रेंस वगैरह प्रोवाइड करती है या राशन की शॉप्स पे रीज़नेबल प्राइस में या फ्री में अपने टारगेटेड कंज्यूमर्स को फूड ग्रेन देती है आर्मी को भी या फिर वॉर की सिचुएशन में जाता है फूड ग्रेन तो गवर्नमेंट अपने पास एक प्रॉपर क्वांटिटी ऑफ़ फूड ग्रेन जमा करके रखना चाहती है सरकार रख नहीं पा रही थी क्योंकि देश में फूड ग्रेन का प्रोडक्शन कम था जब से ग्रीन रेवोल्यूशन आया फूड ग्रेन का प्रोडक्शन बहुत ज्यादा हो गया तो सरकार ने भी अपने पास फूड ग्रेन की क्वांटिटी अच्छी खासी जमा कर ली जो कि इमरजेंसी में काम आए ये भी एक फायदा है देश को हम भाई ग्रीन रेवोल्यूशन से पहले हमारे देश में फूड ग्रेंस की शॉर्टेज थी अमेरिका से मंगाते थे हम फूड ग्रेन अमेरिका से हम फूड ग्रेन मंगाते थे अमेरिका में एक कानून था पब्लिक लॉ 480 सेक्शन इस कानून के तहत अमेरिका हमारे देश में फूड ग्रेन को बेचता था इसको सीए फाउंडेशन में पढ़ाते हैं जब सीए की तैयारी मैं कराता हूं ना तब पढ़ाता हूं वहां पर ठीक है कोई बात नहीं इसको इतना ही ध्यान रखो तो भैया अब ग्रीन रेवोल्यूशन आ गया फूड ग्रेन का प्रोडक्शन बहुत ज्यादा बढ़ गया अब जिसका प्रोडक्शन बढ़ जाता है उसकी सप्लाई बढ़ जाती है उसका रेट सस्ता हो जाता है रेट सस्ता हो जाता है तो गरीब भी अब अच्छी क्वांटिटी में फूड ग्रेन खरीद सकते थे तो यहां लिखा है बेनिफिट टू द लो इनकम ग्रुप जो गरीब लोग थे लो इनकम वाले थे वो भी अच्छी क्वांटिटी में गेहूं चावल खरीद रहे थे और अपना पेट भर रहे थे अपनी फैमिली का पेट भर रहे थे ये तो फायदे थे नुकसान पता है क्या था नुकसान एक तो तुम्हें पता ही है कि एचवाईवी सीड्स यूज करोगे तो पेस्ट के अटैक होने का चांस है यह एक नुकसान हो सकता था हुआ नहीं एक बड़ा नुकसान जो ये एचवाईवी सीड्स थे ना दोस्त मेरे राज्य ये बहुत महंगे थे तो गरीब किसान इसको कैसे खरीदेगा यह बहुत बड़ा चैलेंज था तो एक बड़ा चैलेंज यही था कि अमीर फार्मर इसको खरीद पा रहे थे तो अमीर फार्मर खरीद कर देश के अंदर ज्यादा प्रोडक्शन करें तो अमीर फार्मर की और कमाई ज्यादा हो जाएगी तो अमीर तो और अमीर हो जाएगा और गरीब खरीद नहीं पाएगा तो बेचारा और गरीब तो अमीरी और गरीबी के बीच में जो इनकलिटी थी वो बढ़ सकती थी ग्रीन रेवोल्यूशन से तो हमारा टॉपिक है कि ग्रीन रेवोल्यूशन के सामने कोई नुकसान की बात करो तो ये डिसएडवांटेजेस हैं ग्रीन रेवोल्यूशन के पहला था रिस्क ऑफ पेस्ट अटैक और दूसरा था रिस्क ऑफ इंक्रीज इन इनकम इनकलिटीज इनकम की इनकिटी बढ़ जाएगी क्योंकि यह बीज बहुत महंगे थे लेकिन सरकार भी बड़ी चालाक थी भाई सरकार ने बोला बीज बहुत महंगे हैं तो इस बीज के ऊपर सब्सिडीज प्रोवाइड कर दो सब्सिडीज का मतलब होता है पैसों की हेल्प फॉर एग्जांपल भाई ये एक कंपनी है जो एचवाईवी सीड्स फर्टिलाइजर इंसेक्टिसाइड सब कुछ इसको फर्टिलाइजर इंडस्ट्री बोल दो ये सब फार्मर को बेचेगी मान लो जी यह कह रही है कि ₹5,000 का 1 किलो गेहूं बेचूंगी मैं तेरे को बीज के तौर पर मतलब ये सब मिला के सीड फर्टिलाइजर इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड फार्मर कह रहे हैं बहुत महंगा है बहुत महंगा ही है तो भाई सरकार कहती है इस इंडस्ट्री को देख फार्मर्स को ये बेच दे तू 500 में ₹4,500 जो कम पड़ रहे हैं ये गवर्नमेंट देगी तो गवर्नमेंट इसको बोलती थी सब्सिडीज सब्सिडी का मतलब होता है फाइनेंशियल हेल्प यानी पैसों की हेल्प तो यह कंपनी को तो कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि कंपनी को तो पैसा सरकार ने दे दिया फायदा हो गया गरीब किसान को तो भाई सब्सिडी का कांसेप्ट आया सब्सिडी देनी स्टार्ट करी देने के बाद लड़ाई हो गई देश के जो इकोनॉमिस्ट थे वो आपस में वाद-विवाद करने लगे डिबेट करने लगे बहस करने लगे बोलने लगे यार ये सब्सिडीज तो गलत है क्योंकि अगर सरकार सब्सिडीज देती रहेगी तो कहीं ना कहीं सरकार का खर्चा बढ़ेगा और गवर्नमेंट का जो बजट बनता है उसके ऊपर बहुत बड़ा बर्डन आ जाएगा और ये भी बोल रहे थे कुछ इकोनॉमिस्ट कह रहे हैं सब्सिडी दे रहे हो तो सिर्फ गरीब बंदे के लिए बीज थोड़ी सस्ते हुए हैं ये जो बीज सस्ते हुए हैं ये गरीब और अमीर दोनों के लिए हो गए हैं तो जो सब्सिडी का बेनिफिट है वो पुअर फार्मर और रिच फार्मर दोनों को मिल रहा है लेकिन हमें तो सिर्फ पुअर फार्मर को बेनिफिट देना है और सब्सिडीज कहीं ना कहीं देख रहे हो इंडस्ट्रीज को मिल रही है इंडस्ट्रीज भी फायदे में आ रही है उनका माल बिक रहा है बढ़िया तो कुछ इकोनॉमिस्ट बोल रहे थे सब्सिडीज नहीं देनी चाहिए लेकिन कुछ इकोनॉमिस्ट थे जो कह रहे थे सब्सिडी देनी चाहिए क्योंकि अगर आपने सब्सिडी नहीं दी ना तो गरीब फार्मर तो बर्बाद हो जाएगा अमीर को फायदा हो रहा है हो दो इंडस्ट्री को फायदा हो रहा है हो दो लेकिन नहीं दी तो गरीब गया ये तो खरीद ही नहीं पाएगा देश में इनकलिटी ऑफ इनकम बहुत बढ़ जाएगी और एग्रीकल्चर अभी भी एक रिस्की बिजनेस है जो काफी हद तक बारिश पर डिपेंड करता था तो बोला भाई अगर सब्सिडी नहीं दी तो धंधा बर्बाद हो जाएगा तो कम से कम उनको कुछ करने की कोशिश तो करने दो आप दो सब्सिडीज तो ये टॉपिक जो मैं आपको पढ़ा रहा हूं ये बच्चे जनरली छोड़ के चले जाते हैं और ये पेपर के अंदर धांसू लेवल का आ जाता है इस टॉपिक को बोलते हैं दोस्त मेरे डिबेट ओवर सब्सिडीज कुछ इकोनॉमिस्ट बोल रहे थे सब्सिडी देनी चाहिए कुछ इकोनॉमिस्ट बोल रहे थे सब्सिडीज नहीं देनी चाहिए ये तो आर्गुमेंट हो गए आर्गुमेंट का मतलब तर्क बहस हो गई इकोनॉमिस्ट के बीच में वो बहस पेपर के अंदर आ जाती है तो वो बहस क्या हुई वो देख लेते हैं एक बारी दो-दो पॉइंट आपको याद करने हैं मैंने ज्यादा लिख दिए यहां पर आर्गुमेंट्स हैं इकोनॉमिस्ट जो सब्सिडीज के फेवर में थे वो बोलते थे एग्रीकल्चर इज़ स्टिल अ रिस्की बिज़नेस भाई तो रिस्क है इसके अंदर तो सरकार को कुछ ना कुछ सोचना चाहिए मेजॉरिटी ऑफ़ फार्मर्स इंडिया के अंदर वेरी पुअर है गरीब फार्मर्स है भाई सब्सिडीज दो सब्सिडीज तो दे ही रहे थे लेकिन बाद में बहस हुई फिर सरकार ने इकोनॉमिस्ट ने बोला अगर दी हुई सब्सिडीज को आप एलिमिनेट करोगे रिमूव करोगे तो सब्सिडीज की एलिमिनेशन विल इंक्रीस द इनकम इनकिटी इससे इनकम इनकलिटी हो जाएगी गरीब बंदा एचवाईवी सीड्स को खरीद ही नहीं पाएगा लेकिन कुछ इकोनॉमिस्ट अगेंस्ट थे सब्सिडीज के वो बोलते हैं सरकार अगर सब्सिडी देगी भाई ह्यूज बर्डन हो जाएगा गवर्नमेंट के बजट के फाइनेंस पे फाइनेंस का मतलब पैसा सब्सिडीज डू नॉट बेनिफिट पुअर फार्मर्स एज द बेनिफिट ऑफ अमाउंट ऑफ सब्सिडीज गो टू द फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एंड वेल्थी फार्मर वेल्थी फार्मर का मतलब अमीर फार्मर कहता है अमीर फार्मर और सब इंडस्ट्रीज जो होती है फर्टिलाइजर वाली उसको इसका फायदा होगा गरीब फार्मर को नहीं होगा ये कहना था उनका नुकसान गए तेल लेने फायदा ये वाला देखो फेवर वाले देखो तो सरकार ने डिसाइड किया कि सब्सिडी को कंटिन्यू करते हैं और एचवाईवी सीट्स पे सब्सिडी मिल रही थी यहां पर आपका खत्म होता है एग्रीकल्चर सेक्टर तो दोस्तों मैंने आपका माइंड मैप क्रिएट किया था और मैंने बताया था भाई इस चैप्टर के अंदर कुल मिला के आपको चार आइटम पढ़ने हैं सबसे पहले मैंने आपको प्लानिंग कमीशन पढ़ाया उसके बाद एग्रीकल्चर पॉलिसी पढ़ाई 1961 में लेकिन एग्रीकल्चर पॉलिसी की कुछ खास डिटेल है ही नहीं मेन तो ग्रीन रेवोल्यूशन और सब्सिडीज का कंटेंट है वही आपको ध्यान रखना है अब पढ़ेंगे हम इंडस्ट्री पॉलिसी इंडस्ट्रियल पॉलिसी का मतलब हमारे देश में जो फैक्ट्रीज हैं इंडस्ट्रीज हैं कौन बंदा कौन सामान बनाएगा यह डिसाइड करने की पॉलिसी तो हमारे देश ने स्टार्ट करी जब देश आजाद हो गया तो 1948 में सबसे पहले एक इंडस्ट्रियल पॉलिसी बनाई गई जो कि आपके कोर्स में नहीं है उसको नहीं पढ़ना फिर कुछ साल बाद 1956 में हमने इंडस्ट्रियल पॉलिसी को अपडेट किया वो अपडेट 1956 वाली वो आपको कोर्स में पढ़नी है वो पेपर में आ सकती है बहुत इंपॉर्टेंट है चलो जी बढ़ते हैं आगे इंडस्ट्रियल पॉलिसी पे तो आप पहले विजुअलाइज कर लो अपने दिमाग में क्रिएट कर लो आखिर यार ये इंडस्ट्री इंडस्ट्रियल पॉलिसी होती क्या है तो भाई फैक्ट्री से रिलेटेड और ये इंडस्ट्रीज जो भी फैक्ट्री वाले एरिया तुमने देखे होंगे इंडस्ट्रियल एरिया देखे होंगे उससे रिलेटेड पॉलिसी है कौन क्या-क्या सामान बनाएगा ये डिसाइड करना है तो इंडिया की पहली इंडस्ट्रियल पॉलिसी को बोलते थे आईपीआर 1948 आईपीआर में आई का मतलब इंडस्ट्रियल पी का मतलब पॉलिसी आर का मतलब रेजोल्यूशन रेजोल्यूशन का मतलब प्रस्ताव होता है यह बनाई गई सबसे पहले इसकी डिटेल तुम्हारे कोर्स में नहीं है तो छोड़ दो इसको फिर हमने इंडस्ट्रियल पॉलिसी रेजोल्यूशन 1956 बनाया यह आपको पढ़ना है इसके अंदर सरकार ने क्या किया सरकार ने बोला हमारे देश में जितना भी सामान बनाया जाता है जितनी भी चीजें बनाई जाती है उन सबकी तीन कैटेगरी डिवाइड कर दो कैटेगरी वन कैटेगरी टू कैटेगरी थ्री कैटेगरी वन में 17 मेन-मेन चीजें डालेंगे जैसे कि बड़ी-बड़ी हैवी मशीन हो गई न्यूक्लियर पावर हो गई रेलवे हो गई इलेक्ट्रिसिटी हो गई और हवाई जहाज की इंडस्ट्री हो गई ये सब बड़ी-बड़ी मेन 17 चीजें डाल दी इनके नाम आपको याद नहीं करने हैं और कैटेगरी बी में 12 चीजें डालेंगे ये भी हैवी इंडस्ट्री थी जैसे कि स्टील एलुमिनियम टेक्सटाइल जूट ये सब चीजें और ये देश की मोटी-मोटी सारी इंडस्ट्रीज हो गई इसके अलावा जो भी बच गया वो कैटेगरी थ्री में डाल दो अच्छा जी फिर क्या किया फिर सरकार ने बोला भाई जितनी भी चीजें कैटेगरी ए में आती है उसको गवर्नमेंट ही बनाएगी प्राइवेट सेक्टर नहीं बना सकता अगर प्राइवेट सेक्टर पहले से कुछ काम कर रहा था तो सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया 1932 में Tata एयरलाइन स्टार्ट हुई थी तो सरकार ने उसको अपने कब्जे में ले लिया बोला कि एयरलाइन तो भाई कैटेगरी ए में आती है और ये सारी चीजें देश के लिए बहुत क्रिटिकल है इसको तो हम ही कराएंगे तो यहां पर गवर्नमेंट ही सब कुछ कर रही थी पब्लिक सेक्टर मतलब गवर्नमेंट सेक्टर का मतलब पब्लिक सेक्टर ही सब कुछ प्रोड्यूस कर रहा था फिर कैटेगरी बी में जितनी भी गुड्स थी सरकार कह रही इसको भी हम करेंगे हम नहीं कर पाए तो प्राइवेट सेक्टर करेगा हां मतलब सरकार कह रही है हम फेल हो गए तो प्राइवेट सेक्टर करेगा तो इस चीज में बोलते हैं प्राइवेट सेक्टर सरकार को सपोर्ट कर रहा था एक तरीके से सपोर्ट करने को बोलते हैं सेकेंडरी रोल प्ले करना हां भाई सप्लीमेंट कर रहा था या सेकेंडरी रोल प्ले कर रहा था ये मान सकते हैं बड़ा ही बकवास पॉलिसी थी फिर जो भी कैटेगरी थ्री में आ गया उस सबको प्राइवेट सेक्टर कर सकता है जैसे कि ब्रेड बटर अंडा ऑमलेट टूथपेस्ट चीनी ये सब छोटी-मोटी चीजें कैटेगरी थ्री में थी इन सब चीजों को प्रोड्यूस कर सकता है प्राइवेट सेक्टर तो इंडस्ट्रियल पॉलिसी में यही डिसाइड हो रहा था कि कौन किस चीज को प्रोड्यूस करने की इंडस्ट्री सेट करेगा बस यही डिसाइड हो रहा था बात समझ में आई अब सरकार बोल रही है भाई प्राइवेट सेक्टर कुछ भी कर ले चाहे यहां कर ले चाहे यहां कर ले उसको लाइसेंस लेना पड़ेगा सरकार से लाइसेंस का मतलब होता है परमिशन सरकार उसको परमिशन देगी तब करेगा यानी अगर मेरे को टूथपेस्ट बनाना है तो सरकार से पूछना पड़ेगा सरकार से पूछूंगा सरकार एक डॉक्यूमेंट देगी जिसे लाइसेंस बोलते हैं तब जाके इसको कर पाएंगे तो भाई 1951 में इंडस्ट्रियल लाइसेंसिंग पॉलिसी सरकार ने बनाई उसके तहत इंडस्ट्रियल लाइसेंसिंग पॉलिसी के तहत सरकार यहां पर लाइसेंस बांट रही थी अच्छा जी तो अब इसको डिटेल में पढ़ते हैं जब सरकार ने ये पॉलिसी बनाई ना तो हमारे देश की सारी इंडस्ट्रीज को तीन पार्ट में डिवाइड किया और हर एक चीज के लिए प्राइवेट सेक्टर को लाइसेंस लेना था प्लस सरकार ने बोला कोई भी बंदा गांव देहात में इंडस्ट्री खोलेगा बैकवर्ड एरिया में इंडस्ट्री खोलेगा चाहे कैसी ही इंडस्ट्री खोल छोटी बड़ी सरकार उसको कुछ पैसे देगी और उसके टैक्स में भी कुछ छूट देगी हां अगर मान लो तुम एक बैकवर्ड एरिया में इंडस्ट्री खोलते उस टाइम तो सरकार आपको कुछ सब्सिडीज भी दे सकती थी डिपेंड करता है कि तुम क्या सामान बना रहे थे और सरकार आपको टैक्स में छूट भी देती यार जो हम इंडस्ट्री खोलेंगे हम पैसा कमाएंगे तो हमें अपने पैसे के ऊपर सरकार को टैक्स देना पड़ता है सरकार यहां पर टैक्स में आपको कुछ रियायत दे रही थी उसे टैक्स कंसेशन या टैक्स की रिबेट बोल सकते हो और सरकार ने बोला जो बंदा छोटी-छोटी इंडस्ट्री खोलेगा छोटी-छोटी इंडस्ट्री को बोलते हैं स्मॉल स्केल इंडस्ट्री वो गली मोहल्ले में खुल जाती है आसपास के लोगों को आसानी से नौकरी दे देती है तो वो चाहे बुरे इला मतलब बैकवर्ड एरिया में खोलो चाहे बढ़िया एरिया में खोलो जो बंदा स्मॉल स्केल इंडस्ट्री खोलेगा उसको भी छूट मिलेगी तुम बोल रहे हो सर क्या बोल रहे हो लिख के दे दो यार लिख के दे देते हैं यार कंटेंट लिख के देते हैं चार पॉइंट याद करने हैं आपको ध्यान रखना इंडस्ट्रियल पॉलिसी रेजोल्यूशन 1956 के बारे में चार पॉइंट ये आपकी पॉलिसी का नाम है चार पॉइंट है पहला पॉइंट आप देख रहे हो ये है पहले पॉइंट के तीन टुकड़े हैं पहले पॉइंट में बोला हुआ है कि इंडस्ट्रीज को क्लासिफाई किया गया था तीन कैटेगरीज में कैटेगरी वन कैटेगरी टू कैटेगरी थ्री कैटेगरी वन में 17 इंडस्ट्री कैटेगरी टू में 12 इंडस्ट्री और जितनी भी बची हुई है वो सारी की सारी कैटेगरी थ्री में जो प्राइवेट सेक्टर कर सकता है ये पहली फीचर है दूसरी फीचर है दोस्तों प्राइवेट सेक्टर अगर कुछ भी काम करेगा कोई भी इंडस्ट्री सेट करेगा तो द दोज़ इंडस्ट्रीज कुड बी एस्टैब्लिश्ड थ्रू अ लाइसेंस फ्रॉम द गवर्नमेंट उसको लाइसेंस लेना ही पड़ेगा सरकार से फिर टैक्स रिबेट एंड अदर कंसेशनंस वर ऑफर्ड टू दोज़ प्राइवेट एंटरप्राइज हुस इंडस्ट्रीज वर इस एस्टैब्लिश्ड इन द बैकवर्ड रीजन ऑफ द कंट्री जो बैकवर्ड इलाकों में अपनी इंडस्ट्री खोलेगा उसको टैक्स में छूट मिलेगी लेकिन स्मॉल स्केल इंडस्ट्री तुम कहीं पे भी खोल लो मोरेंस वाज़ गिवन टू द डेवलपमेंट ऑफ़ स्मॉल स्केल इंडस्ट्री थ्रू सब्सिडीज एंड टैक्स कंसेशन इनको भी मिल रही थी सब्सिडीज और टैक्स कंसेशन को एनसीआरटी में लिखा हुआ है इंडस्ट्रियल शॉप्स जैसे सोप है ना नहाने का सोप होता है वह फिसलता है तो इंडस्ट्री खोलने के लिए सरकार फिसल रही थी लोगों को कि तुम भी आओ इंडस्ट्री खोल लो इंडस्ट्रियल शॉप्स का मतलब इंडस्ट्री खोलने के लिए कुछ छूट देना फिसलाना ऐसे करना तो सरकार के द्वारा किया जा रहा था अच्छा जी ये तो इंडस्ट्रियल पॉलिसी 1956 की फीचर्स हैं चार फीचर है भाई लोग ये मत सोचना कि ये तीन फीचर है ये एक अकेली फीचर है ठीक है आपसे पूछ लेगा बताओ सेकेंडरी रोल प्राइवेट सेक्टर कहां प्ले कर रहा था तो सेकेंडरी रोल प्राइवेट सेक्टर कैटेगरी टू में प्ले कर रहा था इससे मुझे एक बात याद आई ईयर ऑन ईयर कनेक्ट कर रहे हैं अभी मैंने पहले सबसे पहले आपको पढ़ाया था कि हमारे देश में प्लानिंग कमीशन 1950 में इस्टैब्लिश हुई राइट फिर मैंने आपको पढ़ाया कि पहला प्लान 1951 में बना उसके बाद एक चीज और बतानी थी दोस्तों प्लान जो हमारे देश में बनते थे वह प्लान कितने सही हैं इसको वेरीफाई करने के लिए एक बाद में ऑर्गेनाइजेशन बनाई गई जिसे नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल बोलते हैं तो नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल 1952 में बनाई गई ये चेक करती थी कि प्लान सही है या नहीं है बस ऐसे ही बीच में एक फैक्ट लेके आ गया मैंने कहा कुछ मिस ना हो जाए चलो जी आओ अब दोस्तों जो स्मॉल स्केल इंडस्ट्री है इसको जानने की आप में इच्छा पैदा हुई होगी भाई ये होती क्या है तो स्मॉल स्केल इंडस्ट्री की डेफिनेशन टाइम टू टाइम बदलती रही है मैं आपको बताऊंगा सबसे पहले जब हमारा देश आजाद हुआ था तब के टाइम पर और फिर बताऊंगा आज के टाइम पर क्या डेफिनेशन थी तो भाई जब बोलते हैं एट द बिगिनिंग ऑफ प्लानिंग 1951 के टाइम की अगर बात करें तो स्मॉल स्केल इंडस्ट्री उसको बोलते थे जिस इंडस्ट्री में ₹5 लाख लगे हो 5 लाख से ज्यादा ना लगे हो अगर किसी भी इंडस्ट्री में इन्वेस्टमेंट हो रखी है 499000 तक की 5 लाख तक की तो उसको स्मॉल स्केल इंडस्ट्री बोलते थे आज के टाइम में कंडीशन बदल गई है अगर किसी इंडस्ट्री के अंदर मैक्स टू मैक्स 10 करोड़ की इन्वेस्टमेंट है 10 करोड़ ₹1 नहीं होना चाहिए 10 करोड़ तक की इन्वेस्टमेंट है या फिर उसकी सेल मैक्सिमम 50 करोड़ की एक साल में सेल को टर्नओवर बोल देते हैं इकोनॉमिक्स में टर्नओवर बोल देते हैं सेल को एक इंडस्ट्री जिसके अंदर मैक्स टू मैक्स इन्वेस्टमेंट मतलब उसकी लैंड बिल्डिंग एसेट्स की वैल्यू मैक्स टू मैक्स 10 करोड़ है और उसकी सेल जो वो आउटपुट प्रोड्यूस करती हो एक साल के अंदर उसकी वैल्यू मैक्स टू मैक्स 50 करोड़ है तो उसको स्मॉल स्केल इंडस्ट्री बोलेंगे ठीक है आज के टाइम में लेकिन भाई आज के टाइम में नया कानून आ गया है माइक्रो स्मॉल मीडियम एंटरप्राइज एक्ट 2006 में तो जो यहां पर स्मॉल लिखा है ना बीच में इसकी डेफिनेशन के हिसाब से देख रहे हैं हम ज्यादा नहीं देख रहे ये रियल टाइम चीज मैंने बता दी आपको इससे खैर आपके कोर्स का कोई लेनदेन नहीं है अब चलो कोई बात नहीं स्मॉल स्केल इंडस्ट्री पे फोकस कर रहे थे आईपीआर 1956 हमारी सेकंड नंबर की इंडस्ट्रियल पॉलिसी थी लेकिन दोस्तों ये इंडस्ट्रियल पॉलिसी बनाने से एक साल पहले हमारे कारवे साहब ने एक मीटिंग बिठाई थी और सोचा था कि भाई स्मॉल स्केल इंडस्ट्री को कैसे हम आगे बढ़ाएं कैसे इंप्रूव करें तो एक नंबर का क्वेश्चन आ सकता है भाई कार्वे कमेटी क्या थी कार्वे कमेटी स्मॉल स्केल इंडस्ट्री वाली कमेटी थी तो चलो जी लिखा हुआ है रोल ऑफ स्मॉल स्केल इंडस्ट्री इन अचीविंग द गोल्स ऑफ़ प्लानिंग वाज़ अंडरलाइन बाय द कार्वे कमेटी कार्वे एक इकोनॉमिस्ट का नाम था उसके उसने एक कमेटी बनाई बहुत सारे लौंडे बैठे थे यहां पर और इस कमेटी को हम विलेज एंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्री कमेटी भी बोल देते हैं 1955 में इस्टैब्लिश हुई थी उसके बाद हमारा आईपीआर 1956 आया और उसके अंदर डिसाइड किया गया हां भाई देना चाहिए अब स्मॉल स्केल इंडस्ट्री के बारे में कुछ इंपॉर्टेंट पॉइंट आपको पता होना चाहिए ये दोस्तों लोकल लोगों को एंप्लॉयमेंट देती है आसपास छोटी-छोटी फैक्ट्रियां होती है तो लोकल लोग काम कर लेते हैं एंप्लॉयमेंट जनरेशन होती है लेकिन आज हमें जरूरत है कि बड़ी-बड़ी फर्म से इसको बचाया जाए मतलब जो मेरे गली के नुक्कड़ पे सामान फैक्ट्री में बन रहा है वही सामान Reliance बना रही है वही सामान टाटा बना रही है तो भाई ये तो कंपटीशन नहीं कर सकती ना Reliance और Tata से तो सरकार को जरूरत है बड़ी-बड़ी फर्म्स को बोले कि आप वो सामान मत बनाओ जो छोटी-छोटी फर्म्स बनाती है चप्पल बनाने दो भाई उनको बना के बेचने दो ठीक है उनको बचाओ ताकि वो बड़ी फर्म से कंपटीशन ना करें और एंप्लॉयमेंट वहीं रह जाए स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज बहुत सारी प्रॉब्लम से गुजर रही हैं वो प्रॉब्लम देख लेते हैं कौन-कौन सी है आज के टाइम में तो दिस इज़ अबाउट प्रॉब्लम्स ऑफ स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज जैसे कि पैसों की कमी है फाइनेंस की कमी हां रॉ मटेरियल की शॉर्टेज है इनको जो रॉ मटेरियल चाहिए वो शॉर्ट रहता है क्योंकि इनको सप्लाई करने वाले लोग बहुत कम है वो सोचते हैं यार छोटा-मोटा माल खरीदना है इसने क्या ही मैं इसको प्रोड्यूस करूं इंटरेस्ट नहीं दिखाते तो इनको रॉ मटेरियल की शॉर्टेज रहती है डिफिकल्टीज इन मार्केटिंग इनके पास एक तो पैसों की कमी है पैसों की कमी की वजह से ये मार्केटिंग अच्छे से नहीं कर पाते टीवी के अंदर एडवर्टाइजमेंट देना इनके बस की नहीं हो पाता बड़ी Tata Reliance की ऐड आती है लेकिन छोटी-छोटी फैक्ट्रीज की ऐड कहां आती है टीवी में ये आउटडेटेड मशीनंस पे काम करते हैं जो एक इक्विपमेंट बहुत पुराने-पुराने होते हैं उस पे काम करते हैं ये लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को नहीं अपना पाते अंडर यूटिलाइज्ड एक्सपोर्ट पोटेंशियल इनकी जो पोटेंशियल है पावर है एक्सपोर्ट करने की इसको देश इस्तेमाल नहीं कर पाता क्योंकि ये मार्केटिंग ही नहीं कर पा रहे अपना माल मार्केट तक ही नहीं पहुंचा पा रहे तो एक्सपोर्ट कैसे करेंगे कंपटीशन फ्रॉम लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज इनको नुकसान दे रहा है बड़ी-बड़ी कंपनी से इनको कंपटीशन मिल रहा है चप्पल बनाते हैं लोकल लोग भी और चप्पल बना रही है Relaxo भी स्पार्क्स भी एक्शन भी nki भी एडडास भी तो प्यूमा भी बना रहा है तो इनसे कंपटीशन नहीं कर पा रही ये तो स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज को बचाने की जरूरत है भाई कोई बात नहीं है छोटे-छोटे पॉइंट्स थे आपको स्मॉल स्केल इंडस्ट्री को यहीं खत्म करना है और जैसा कि मैं आपको बता चुका हूं इस पूरे चैप्टर को हमने चार पार्ट में डिवाइड कर रखा है मेरे दोस्त तो वही कैटेगराइजेशन आपके माइंड में चलना चाहिए और आपको पता होना चाहिए कातिया कि माइंड मैप क्रिएट हो रखा है तीन पोर्शन हम खत्म कर चुके हैं चौथा पोर्शन एक्सपोर्ट इंपोर्ट पॉलिसी का आ गया है बस खत्म होने वाला है चैप्टर हां जी हां अच्छा अब बच्चा पूछेगा सर इसके नोट्स मैं कहां से डाउनलोड करूंगा दोस्त इसके नोट्स आप डाउनलोड करोगे PW की मोबाइल एप में जाओ वहां पर विश्वास बैच आपको मिलेगा विश्वास कॉमर्स 2025 आप डाल दोगे बैच मिल जाएगा वहां जाके क्लास में सेक्शन होता है नोट्स का वो आप डाउनलोड कर लेना आपको वहां नोट्स मिल जाएंगे और बहुत कुछ मिलेगा अभी बताता हूं फॉरेन ट्रेड पॉलिसी के बारे में बात कर रहे हैं भाई फॉरेन ट्रेड यानी विदेशी कंट्री से ट्रेड विदेशी कंट्री को माल बेचते हैं तो इसको एक्सपोर्ट बोलते हैं विदेशों से माल खरीदते हैं तो उसको इंपोर्ट बोलते हैं तो एक्सपोर्ट और इंपोर्ट से रिलेटेड पॉलिसी बनाना फॉरेन ट्रेड पॉलिसी कहलाती है तो हमारे देश ने भाई क्या सोचा पहली बात तो हमारा देश बार-बार यह सोचे जा रहा था कि फॉरेन कंट्री के ऊपर से डिपेंडेंसी खत्म करो अपने देश में ही माल ज्यादा से ज्यादा प्रोड्यूस करो अगर तुम विदेशों से माल जो मंगाते हो जो भी इंपोर्ट कराते हो उस चीज को बंद नहीं कर पा रहे तो एक काम करो भाई माल कम मंगवाओ लिमिट डिसाइड कर लो ढंग से समझाता हूं मान लो भाई दुबई से गोल्ड ला रहे हो तुम या थाईलैंड से गोल्ड ला रहे हो तो सरकार कह रही है भाई या तो गोल्ड मत लेके आओ नहीं तो हम गोल्ड की लिमिट डिसाइड कर देंगे कि एक बंदा 10 ग्राम गोल्ड ला सकता है बस अगर तुम अमेरिका जाके सस्ते में iPhone ला रहे हो तो सरकार लिमिट डिसाइड कर देगी कि आप अनलिमिटेड iPhone नहीं ला पाओगे एक iPhone ला पाओगे इस लिमिट को बोलते हैं कोटा कोटा का मतलब लिमिट सरकार ने लिमिट डिसाइड कर दी यह हमारी पॉलिसी थी कि जो चीजें देश के लिए जरूरी नहीं है उसके ऊपर कोटा डिसाइड कर देंगे या फिर जो भी विदेशों से माल आएगा हम उसके ऊपर टैक्स लगाएंगे टैक्स ऑन इंपोर्ट इसका मतलब यह होता है अगर तुम विदेशों से ₹100 की चप्पल खरीद के लाए तो सरकार आपके ऊपर ₹100 का टैक्स लगा देगी और इंडिया में घुसोगे तो आपको ये ₹200 की पड़ेगी या नहीं मतलब मैं किसी को बोल रहा हूं भाई अमेरिका से मेरे लिए चप्पल ले आइयो ले आया एयरपोर्ट पे चेकिंग हुई अच्छा तो सरकार बोल रही है चप्पल पे तो टैक्स है कितने का ₹100 का तो ₹200 की पड़ेगी तो ज्यादा शाणा बनने की जरूरत नहीं है सरकार ने इंपोर्ट के ऊपर टैक्स लगा दिया और जो भी टैक्स इंपोर्ट के ऊपर लगाया जाता है इसको बोलते हैं इंग्लिश में टेरिफ तो टेरिफ का मतलब इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन का टैक्स होता है देश के अंदर जो ट्रांजैक्शन होते हैं उस पे जो टैक्स लगता है उसको टेरिफ नहीं बोलते इंटरनेशनल एक्सपोर्ट इंपोर्ट के टैक्स को टेरिफ बोलते हैं अच्छा जी सरकार ने बोला भाई तुम विदेशों से माल मंगाना बंद करो यही हमारी फॉरेन ट्रेड पॉलिसी है अगर तुम्हारा उस माल के बिना काम नहीं चलता तो हम उस पे या तो टेरिफ लगाएंगे या कोटा लगाएंगे नहीं तो आप ट्राई करो कि उसी चीज को अपने देश में बना लो वैसा नहीं बना सकते तो उसकी कॉपी बना लो तो इंपोर्ट जो तुम करा रहे हो उसका सब्स्टट्यूट देश में बना लो उसकी कॉपी बना लो दिस इज कॉल्ड इंपोर्ट सब्स्टट्यूशन भेजे के अंदर बात नहीं जा रही अब लो चार्ट फॉरेन ट्रेड पॉलिसी इंडिया की एक्सपोर्ट इंपोर्ट से रिलेटेड पॉलिसी थी इसके अंदर सरकार ने तीन कॉम्पोनेंट्स को फॉलो किया कॉम्पोनेंट नंबर वन इंपोर्ट इंपोर्ट सब्स्टट्यूशन सरकार बोलती थी विदेशों से जो माल आ रहा है उसकी कॉपी को इंडिया में प्रोड्यूस कर लो रिप्लेस कर दो इंपोर्ट्स को डोमेस्टिक प्रोडक्शन से पॉइंट नंबर टू टेरिफ लगाएंगे जो भी विदेशों से माल खरीदेगा उसके ऊपर टैक्स लगेगा ताकि लोग विदेशों से कम खरीदे सामान तो डिपेंडेंसी कम होएगी जब आप कम खरीदेंगे तो सरकार ने कुछ चीजों पर कोटा लगा दिया मतलब लिमिट डिसाइड कर ली कि भाई विदेशों से एक ही बोतल अलाउड है तो एक ही बोतल तुम ला सकते हो ज्यादा लाओगे तो फिर नॉट अलाउड है हां तो भाई कोटा लगा दिया तो सरकार ने काफी हद तक विदेशों से जो सामान आ रहा है उसको रेस्ट्रिक्ट करने की कोशिश की और इस कोशिश को ही बोलते हैं इंडिया की फॉरेन ट्रेड पॉलिसी क्यों करी भाई क्योंकि सरकार को दिखता है कि हम विदेशों से सामान मंगाएंगे तो हमारा फॉरेन एक्सचेंज खर्च होगा फॉरेन करेंसी का जो स्टॉक रखा होता है आरबीआई के पास वो खर्च होगा और वह कहीं बहुत ज्यादा जरूरी है इंपॉर्टेंट सामान को मंगाने के लिए अरे मुझे क्या मैं अगर अमेरिका से iPhone मंगाऊंगा तो मेरे अकाउंट से तो रुपए कटेंगे लेकिन देश का आरबीआई की तरफ से खजाना खाली होगा डॉलर का ये रूल होता है अच्छा कंटेंट ले लो कंटेंट तो हमारे देश की फॉरेन ट्रेड पॉलिसी के तीन कॉम्पोनेंट थे इंपोर्ट सब्स्टट्यूशन टेरिफ और कोटा इनके बारे में समझो टेरिफ का मतलब होता है इट रेफर्स टू द टैक्स इंपोज्ड इंपोर्टज्ड का मतलब लगाना ऑन इंपोर्टेड गुड्स और कोटा रेफर्स टू द फिक्सिंग मैक्सिमम लिमिट ऑन इंपोर्ट लिमिट ऑन इंपोर्ट क्वांटिटी कितनी क्वांटिटी विदेशों से आ सकती है ये सारी चीजें इंडिया ने की इंडिया के लिए यानी हम अपनी कंट्री के बारे में सोच रहे थे विदेश गया ऐसी तैसी कराने तो इसलिए इन सभी पॉलिसीज को बोलते हैं इनवर्ड लुकिंग पॉलिसी इनवर्ड लुकिंग मतलब अपने अंदर अंतरात्मा में झांकने की पॉलिसी तुम्हें भी ऐसा ही होना चाहिए खुद को देखो खुद तुम्हारा सिलेबस हो रहा है नहीं हो रहा खुद पढ़ाई हो रही है नहीं हो रही दूसरे गए तेल लेने वो तो कॉम्पिटिटर्स हैं तुम खुद का सिलेबस कंप्लीट करो भाई इनवर्ड लुकिंग पॉलिसी सारे बच्चे भी अपनाओ एक बार मेरे को कमेंट सेक्शन में लिख देना भाई कि हम इनवर्ड लुकिंग पॉलिसी अपनाएंगे तो मुझे पता लग जाएगा कि कौन बच्चा एंड तक पहुंचा है राइट इंपोर्ट सब्स्टट्यूशन के बारे में कंटेंट ले लो इट रेफर्स टू द रिप्लेसमेंट ऑफ़ इंपोर्ट बाय डोमेस्टिक प्रोडक्शन अपने देश में डोमेस्टिकली प्रोड्यूस कर लो घरेलू प्रोड्यूस कर लो इंपोर्ट को रिप्लेस करो इसलिए इसको इनवर्ड लुकिंग पॉलिसी भी बोलते थे और इस इंपोर्ट सब्स्टट्यूशन यानी इनवर्ड लुकिंग पॉलिसी के मेन ऑब्जेक्टिव थे दो पहला ऑब्जेक्टिव इंडिया का फॉरेन करेंसी का रिजर्व जो आरबीआई के पास रखा होता है वो खत्म हो रहा था धीरे-धीरे और दूसरा जो इंडिया की गुड्स हैं वो फॉरेन गुड्स के साथ कंपटीशन नहीं कर पा रही थी इंडिया की कैमपा कोलाa आजादी के बाद विदेशी कोका कोला से कंपटीशन नहीं कर पाई थी राइट हां तो द रिस्क ऑफ फॉलिंग फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व ऑफ इंडिया इंडिया का रिजर्व जो आरबीआई के पास रखा होता है वो धीरे-धीरे कम हो रहा था तो हम विदेशों से सामान ना मंगाए भाई इंडियन गुड्स वर अनेबल टू कमट विद फॉरेन गुड्स तो फॉरेन गुड्स से हम कंपटीशन नहीं कर पा रहे थे दिस इज़ ऑल अबाउट द फॉरेन ट्रेड पॉलिसी चारों हो गए हमारा चैप्टर पूरा क्रैक हो गया अब इस बीच में बच्चा बोलेगा सर मेरे को तो क्वेश्चन आंसर दे दो क्वेश्चन आंसर दोस्त मेरे एनसीईआरटी के पीछे जो क्वेश्चन लिखे होते हैं आप कोई भी किताब खरीद लो कोई भी रेफरेंस की बुक चाहे वो टीआर जैन हो संदीप गर्ग हो सुभाष डे हो आर के सिंगला हो राधा बहुगुणा हो कोई भी किताब हो सभी किताब ने एनसीईआरटी के क्वेश्चंस को ही सॉल्व कर रखा है और कुछ अपनी मर्जी से भी बना रखे हैं कुछ प्रीवियस ईयर के क्वेश्चंस भी हैं तो इसी हिसाब किताब से देखो आपके पास यहां पर वैरायटी ऑफ़ क्वेश्चंस वैरायटी ऑफ़ क्वेश्चंस कि उसका आंसर कैसे लिखना है पैराग्राफ में पॉइंट वाइज़ कैसे लिखना है हर एक चीज आपके पास यहां पर पेश की गई है आपके लिए एक तरीके से ये फर्रे हैं इन फर्रों को डाउनलोड कर लो भाई ग्रीन रेवोल्यूशन का दूसरा नाम इसको न्यू एग्रीकल्चरल स्ट्रेटजी भी बोलते थे और सीड वाटर फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी भी बोलते थे ऐसी चीजें आपके बहुत काम में आएगी ठीक है इंडस्ट्रियल लाइसेंसिंग का एक्ट इंडिया में 1951 में आया लेकिन लाइसेंसिंग स्टार्ट हो गई थी 52 में ऐसा था एक्ट आया था 1951 में ठीक है जी ओके बहुत बढ़िया-बढ़िया चीजें हैं यहां पर दोस्तों आपको मजा आ जाएगा ये सब क्वेश्चन आंसर आपको होने चाहिए तो आप नोट्स डाउनलोड करोगे विश्वास बैच में जाओगे विश्वास बैच की अगर स्पेलिंग समझ ना आ रही हो तो देख लेना जब ये सब स्टार्ट हुआ था ए ए कातिया ये रहा जी विश्वास कॉमर्स ऐसे फ्री बैच करके लिखा होगा ये सर्च कर लेना वहां पर फ्री में एनरोलमेंट है फोन नंबर शायद आपको डालना पड़ेगा अगर आपने एनरोल नहीं कर रखा तो बस फिर आपको मिल जाएंगे नोट्स बता देना यार कैसा पढ़ा रहे हैं मैंने तो कोशिश की थी कि लगभग 1 घंटे के अंदर आपको पूरा चैप्टर पढ़ा दूं देखो यार इंडियन इकॉनमी पढ़ाने के ना अपने-अपने अलग-अलग तरीके हैं मैं चाहता तो मैं तुम्हें ऐसे भी पढ़ा सकता था यहां कंटेंट लेकर आया ऐसे पेन लिया थर ये आंसर है ये आंसर है ये आंसर है वो रीड करके पढ़ाने की आदत नहीं है मेरी मेरी आदत है कि कांसेप्ट को इस तरीके से बताऊं कि तुम्हें रियलाइज हो रहा हो कि हां भाई सच्ची में वो चीजें घट रही है घटना घट रही है मैं यह भी हो सकता था कि आपको बहुत ज्यादा यहां पर पिक्चर एनिमेशन लेकर आऊं और उसके थ्रू समझाऊं फिर दोस्तों आपका मोटिव खत्म हो जाता आप मेरा वन शॉट देखने इसलिए आए हो ताकि आप कम टाइम में पूरा कंटेंट कर लो राइट इसलिए तो बच्चा यहां पर आता है तो कम टाइम में मैंने आपको पूरा कंटेंट करा दिया अगर मैं इस चीज पे कराने में आपको दो 2ाई घंटे और ले लेता बहुत ज्यादा एनिमेशन पेश करके तो तुम्हारा मोटिव खराब हो जाता राइट तो इस चीज के लिए मैंने वो नहीं किया अब अगली बात अगर मान लो मैं ऐसा कर भी दूं आपको इतने लंबे-लंबे टाइम में ये चैप्टर्स कराऊं तो कहीं ना कहीं आप यही करते रह जाओगे और दूसरे सब्जेक्ट पे भी फोकस करना है वो आपके खराब ना हो जाए तो इसलिए मैंने ऐसा नहीं किया और दोस्त क्वेश्चन आंसर मैंने आपको दे दिए कंटेंट आपने कर लिया तो उसके बाद आप उसको आसानी से कर सकते हो तो थैंक यू सो मच दोस्तों यह क्लास यहीं खत्म हुई है वन शॉट का सिलसिला जारी रहेगा इसके बाद थर्ड चैप्टर आएगा जिसको लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन ग्लोबलाइजेशन मैं बोलता हूं उसको इकोनॉमिक रिफॉर्म्स वो चैप्टर आएगा और आपको कब चाहिए कमेंट सेक्शन में बता दो सर जल्दी-जल्दी दे दो या फिर एक महीने बाद दे दो जब तुम्हें चाहिए तब बता देना थैंक यू सो मच जय हिंद जय भारत नमस्कार धन्यवाद