सीटेट और शिक्षण परीक्षा की तैयारी
प्रमुख मनोवैज्ञानिक और उनके सिद्धांत
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जीन पियाजे (Jean Piaget):
- संज्ञानात्मक विकास के चरणों का सिद्धांत।
- पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (Pre-operational stage): बच्चे प्रतीकों का उपयोग कर वस्तुओं का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
- ठोस संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage): बच्चों में विकेंद्रिकरण और रिवर्सिबिलिटी की क्षमता विकसित होती है।
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लॉरेंस कोहल्बर्ग (Lawrence Kohlberg):
- नैतिक विकास के चरणों का सिद्धांत।
- प्री-कन्वेंशनल, कन्वेंशनल, और पोस्ट-कन्वेंशनल स्तर।
- आलोचना: सिद्धांत में पश्चिमी संस्कृति और जेंडर बायस का समावेश।
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लेव व ायगोत्स्की (Lev Vygotsky):
- सामाजिक-सांस्कृतिक विकास का सिद्धांत।
- क्षेत्रीय विकास का जोन (Zone of Proximal Development - ZPD)।
- प्राइवेट स्पीच और सामाजिक संवाद का महत्व।
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बेंजामिन ब्लूम (Benjamin Bloom):
- ब्लूम की वर्गीकृत प्रणाली (Bloom's Taxonomy)।
- संज्ञानात्मक, प्रभावात्मक, और मनोवैज्ञानिक क्षेत्र।
- उच्च क्रम के चिंतन कौशल (Higher Order Thinking Skills) का विकास।
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हावर्ड गार्डनर (Howard Gardner):
- बहु बुद्धिमत्ता का सिद्धांत (Multiple Intelligences Theory)।
- तार्किक-गणितीय, भाषाई, संगीत संबंधी बुद्धिमत्ता।
- आलोचना: बुद्धिम त्ता के मापन की चुनौती।
शिक्षण परीक्षा की महत्वपूर्ण बातें
- परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न अक्सर इन मनोवैज्ञानिकों के सिद्धांतों से संबंधित होते हैं।
- परीक्षा की तैयारी में इन सिद्धांतों का गहन अध्ययन आवश्यक है।
- इन सिद्धांतों के व्यावहारिक अनुप्रयोग और आलोचनाओं को समझना भी महत्वपूर्ण है।
ब्लूम की टेक्सोनॉमी का महत्व
- शिक्षण उद्देश्यों का वर्गीकरण।
- ज्ञान, समझ, अनुप्रयोग, विश्लेषण, संश्लेषण, और मूल्यांकन के स्तर।
- उच्च क्रम के चिंतन कौशल को प्रोत्साहित करना।
नैतिक विकास और सामाजिक प्रभाव
- नैतिकता का विकास सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भों में होता है।
- बच्चों की नैतिकता उनके सामाजिक परिवेश से प्रभावित होती है।
तैयारी के टिप्स
- सभी मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के बुनियादी और उन्नत पहलुओं को समझें।
- प्रश्नों का अभ्यास करें जो इन सिद्धांतों के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं।
- समय प्रबंधन और परीक्षा पैटर्न को समझना भी आवश्यक है।
ये नोट्स सीटेट और अन्य शिक्षण परीक्षाओं की तैयारी में सहायक साबित हो सकते हैं।