Transcript for:
Exploration of the Indian Freedom Struggle

एवरीवन वेलकम बैक ू पीड बांगला फाउंडेशन य चैनल स क्लास तु नेक्स्ट चैप्टर हिस्ट चैप्टर फोर सता ग कथा बशिष्ट और विश्लेषण तो अब एक बोल चैप्टर मेन मेन टॉपिक गुलो तुम ब इपोर्ट से के ब हाईलाइट ए प आसर ज आज फ दे अवश आग लेक्चर देखते की हिस्ट्री पॉइंट लॉजिकली सा आसर जा से प्र पटर रेडी तो आजके टॉपिक हो स कने लडी हम की देखे लास्टर इंग्रज शासन विरुद्ध बिपत भारत जुड़ आंदोलन चलत आंदोलन बोलते प्रचुर हम ब आदिवासी विद्रोह क पताल विद्रोह कोल विद्रोह मुंडा विद्रोह च विद्रोह बिपत प्लस प्रचुर कृषक आंदोलन पटर ससी फकीर विद्रोह वाबी आंदोलन फराजी आंदोलन रने प्स त नील विद्रोह नील विद्रो हम देख ब ब एक घटना जर फले की ब्रिटिश सरकार के कि नील कमीशन बशर री करते बा नील कमीशन एव नील विद्रोह अभिजोग कृषक चाग लो से कि फाइनली मेने ने माने की नील विद्र कि आंचलिक विक्षिप्त संग्राम होते होते होते होते नील विद्र ब जायगा गलो आजके संघ ग कथा मने एर प आजके विद्रोह कथा पबो से कि विशाल आका हो माने प्रथम स की प्रथम ्र था माने स्वाधीनता न स्रा संग्राम एक दिने एक द तो विषय जाना खूब जरूरी आजके हम आराम से रे ब खा धनता उने मानुष कतो विद्रोह कतो मानुष कतो कष्ट पे रक्त संग्राम जि ज रेडी सिलेब तो आजके संताने हो मानेद होग ब ब आकार की होते चले त म आज प प्रथम प महाद्र 1857 साल महा विद्रोह तार पर प विद्रोह विद्रोह छ की हो सेखाने हम किछ किछ सभा समिति कथा प ए देन प हमद विभिन्न विख्यात विख्यात ग्रंथ कीग माध्यम अत्याचार विरुद्ध न लेखालेखी चल विन ग्रंथ विन्न चित्र बा ब चित्र र कि बख्या जिनिस जान ले प्रथम 1857 साल महा विद्रोह तो 1857 साल महा विद्रोह बा टा के बलाय हो सिपाही विद्रोह ट नाम सिपाही विद्रोह महा विद्रोह सिपाही विद्रोह तो सिपाही विद्रोह लो होचे प्रथम माने प्रथम सशस्त्र सघ बध विद्रोह सिपाई विद्र प्रथम सस्त्र संग बद्र विद्रोह एव टा कोथा कि होलो ना 1857 साले 1857 पू उत्तर पूर्व मध पू भारतवर्ष पप दि मेनली उत्तर पूर्व मने बोलला लो तो 1857 साले तखन खाने बड़ला लेन लॉर्ड कैनिंग लॉर्ड कैनिंग समय शासन काले उत्तर मध्य [संगीत] पूर्व भारते एक जिनिस बो कखन होलो सेही समय बड़ लाट के कोथा होए लो भारते विस्तीर्ण [संगीत] अंचल जुड़ असल मजा ईस्ट इंडिया कपनी सिपाही देर मने अल्टीमेटली बते सिपाही जरा सिपाही विद सिपाही कथा बोल तो सिपाही किंतु भारतीय [संगीत] हो अंग्रेज शासन विरुद्ध सशस्त्र संग्राम टा हो सिपाही विद्रोह मजार बप की मजने की बोल देख 187 साले सम के बला ना बला लर्ड कैंग शासन काले को उत्तर पूर्व मध्य भारत विस्तीर्ण अचले कालो ईस्ट इंडिया कंपनी जरा भारतीय सिपाही ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीय सिपाही कादर विरुद्ध इंग्रज शासन विरुद्ध सशस्त्र संग्राम ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीय सिपाही की मज देश कांड ओद सिपाही कि भारती लो रा किंतु ने रोप थ सिपाही ध ध आने भारतीय निदर गार्ड बनि खेलो भारतीय निदर के सिपाही ब खे सिपाही े र करतो एव र करतो बोले कि तराने सद रे ब मज होलो जरा र के र सिपाही तुमरा वंचित करछ खाने लो प्रॉब्लम माने जे सिपाही इंग्रज दे रक्षा करछ इंग्रज शासन माने इंग्रज शासन समय ब्रिटिश इंडिया सॉरी ईस्ट इंडिया कंपनी जे शासक जरा लो तार के ए सिपाही किंतु रक्षा करतो किंतु सेही ईस्ट इंडिया कंपनी किंतु सिपाही देर प्रति भीषण उदासीन लो तार विभिन्न विषय वंचित खेलो ता एकदम सल्प मायने देतो ता प्रचंड बशी खाटा तो ता अज्ञ करा होतो माने सब मिलिए भीषण सिपाही मध खोप लो ए खोप लो ताले कार विरुद्ध इंग्रज शासन विरुद्ध एवं तार जन होलो प्रथम सशस्त्र संबद्ध विद्रोह सेटाई हो सिपाही विद्रोह क्लियर सिपाही विद्रोह बार घटना गुलो की की लो प्रथम 1857 साले बरम परुरे देशीय पतक वाहिनी विद्रोह शुरू होलो मेन कारण कि ठीक सिपाही सिपाही भी असंतोष अनेक कारण र कारण आ तो मेनली की हो विद्र की लो बरम देशी पदा हिनी विद्रोह शुरु करलो आई रिपीट कारण आ लाइ कारण प ठीक तो बरम प्रथम दे पहिनी विद्र शु होलो लोचल ला शु होलो से होलो देशीय पथिक वाहिनी सिपाही मंगोल पांडे ब्रिटिश ऑफिसर के गुली मेरे दिए तार जन मंगोल पांडे फासी होय खान थे किंतु सिपाही विद्रोह शुरू होय तो मे मासे रपरे मिराज सेना छावनी विद्रोह शुरू होलो प्रथमे बरपुर त बराक त मे मा मेरा सेना चाहनी एव धीरे धीरे की होलो सिपाही दिल्ली दखल करलो एव सेही समय मुघल सम्राट ले द्वितीय बहादुर शाह से द्वितीय बहादुर शाह के ू मुस्लिम निर् सिपाही निद सम्राट बोले घोषणा तार माने की जने आंदोलन बरते प हिंदू मुस्लिम क्रिन बध सब मा न तो स मिले ल सम बहादुर बदर सम हिंदुस्तान सम्राट बोले मेने निलो एव कौन जायगा होलो ना आजमगढ़ रोहिला खंड बेनारस कानपुर झासी लखनऊ ग्वालियर समस्त जगा मेन नेता केके ले ताया टोपी नाना साहेब खान बहादुर खान कुवार सिंह रानी लोखी भाई वेरी इंपोर्टेंट पुरुष बसे उनी किंतु लड़ाई नेमे लेन उनी निजे लेन एकजन रानी विद्रोह शामिल होए लो कारा कारा कौन कन वर्ग मानुष ना कृषक तालुकदार पासी गुजर भाटी प्रति निम्न वर्गीय मानुष प्रथमे विद्रोह प्राथमिक जनलो कि की की दवारा झाल ल कुठार तीर धनुक सब नि किंतु ब्रिटिश ली तार जा तुमार धरो युद्धे जावा बा संग्राम तार प्रस्तुति तार का किछु न फाइनली की बोला जाय ज उत्तर प्रदेश और बिहार ए जायगा कृषक और पुरन जमीदार स पुरातन जमीदार ठीक विषय लास्ट चैप्टर पड़े पुरातन जमीदार ब्रिटिश की जा बरा न जा जमीदार ते बचार जाए तो पु क पुन जमीदार और कृषक रा सध महाजन एव नन जमीदार कैटेगरी किंतु ब्रिटिश चालू करलो ब्रिटिश द्वारा निर्वाचित न जमीदार अचार सम उत्तर प्रदेश बहार बो टना प्र ब कारण बोला उित बट स उ मेन कारण कारण की की लो विद्रोह कारण लो प्रथम कारण हो द द हो सिपाही विद्रोह मेजर कारण फर्स्ट सिपाही बंच सेकंड ए राइफल ट बं करने रेडी बोले प्रच कम तन दे होतो ब बशी खानो होतो ता भीषण अजा कर होतो ठीक ता मने देखो राके रक्षा कर तो तो ता भा उचित कि भा होतो ना ता फले सिपाही मने दिनर पर दिन धरे एकने ख असंतोष जमा होते शुरु एव ताप कि जमीदार मजन र अत्याचार चलतो तो मेन सिपाही बंच केन बं बोलला खूब तन कम लो ता अजा होतो ता र शोषण अत्याचार कर होतो ता फले सिपाही म बप ा दिए ता विद्रोह कारण के हम भाग कर विद्रोह कारण के रकम भागे भाग करते प फर्स्ट राजनैतिक राजनैतिक की आस जे खन ब्रिटिश की करतो को अंचल मने होलो ना ने ठीक शासन का संपन्न हो ना राजा प ना राज दखल सेकंड की सिप नी सपनी की कोन राजा अप मारा जा त राज दल रण ने सम रण सामाजिकरण ट समस्त का सिपाही र कर भार सरका उच प ब सरकारी प प्स भारती विन सामाजिक प्रथा सेग कि निषिद्ध हो ठीक भारतीय विभिन्न सामाजिक प्रथा के कि निषिद्ध करा होलो न टूथ ओके नेक्स्ट अर्थन कारण अर्थन कारण की अर्थन कारण प राजस्व बृद्धि अतिरिक्त ह चौ राज जमीदार ब बा जमीदार ब ग्राम प्लस देशी बाणिज्य कु शिल्प कटली ध ध दि नि जागा जित्र ने कम द बिक्री ले की भार तु ण शिल्प बोन ने तो न शिल्प विलने हाते हो ले दम ब देख ल हैंडलूम प्रोडक्ट दाम एक बेय ब हस्त शिल्प दाम बे रा बान ओद रोप ल लखाना तो डेफिनेटली ओ दाम सस्ता बेचते प तो रा सस्ता देश बेचे दि आद देश हस्त शिल्प एकनी बे दाम सेग के किते प ना तार फले प्रचूर देशीय बाणिज्य देशीय कुटी शिल्प एग किंतु ध्वंस होए जाय अर्थनीति कारण गलो एर पर अस धर्मी कारण धर्मी कारण म की लो ना क्रिश्चन मिशनरी जरा लो तरा भारतीय प्रचुर अज्ञ करतो एव तखन एक ल लो तुम धर्मांतर क्रिश्चन होए जाओ तुमने की बो उच्चता ला कर माने तुम भारती तुम धर्म निक तुम धर्मांतर न जाओ प्र ले की तुम समा तुम उतर उ बप लो प्लस मेन हो गल्प एनफ राइफल ट की सिपाही ए राइफल बहार करते होतो जस्ट मिनट ओके सो एनफ राइफल की सिपाही बन ब्रिटिश के म ब प्रोटेक्ट ना खू ब ने ख रकम गुज लो गुज ना कि स की किप तुम से कीते होतो मुख दि टा के खुलते होतो मुख दि ल टाट म सुर गोरु ददर चरबी मिश ठीक ले एक्चु टे की गुज प्रथम लो काने काने बने डेफिनेटली जरा हिंदू मुस्लिम सिपा ता धर्म कलो च च ले धर्म समस दे समस होलो श रा तु र न सम ब करो अचार करो काने ने ब लो एकचल आन एन राइफल समस शु होलो एव समस ले की प्रॉब्लम तो विन र जमा हो फाइनली ए राइफल एकदम एकम प्रसाद उ की होलो अमली विद्र शुद्र की बप फला प महाद्र चरित्र प्रकृति खूब गुरुत्व पूर्ण प्रश्न की ब प्रप लिख पॉइंट महाद्र चरित्र प्रकृति बोलते गले प्रचूर जन के प्रचुर रकम बख किरकम के बोले जाती विद्र के बोले सिपाही विद्र के बोले भार प्रथम स्वाधीनता संग्राम तो प्रथम के बो सिपाही विद्र बोले जन रें जन के दादा भाई नौरोजी प्रमुख उनारा की बोलले सिपाही निद जनलो ओ निद समस्या निरा विद्रोह करलो एव शु सिपाही ए अंश ग्रहण ता जन ए सर्प सामग्र सिपाही विद्रोह आ का ते किछु कर लो ना साधारण मानुष बा आरो जरा जरा लो सई विद्रोह थे शित समाज साधारण मानुष ए विद्रोह अंश ग्रहण करनी एव जरा देशी राजा लो तरा इंग्रज समर्थन ना वा सिपाही विद्र ना बो नाद मनु होलो र जातीय विद्रोह बोने बोलो की जातीय विद्रो इंगलैंड पार्लिमेंट बेंजामिन उ बो जाती विद्र होमस ड गुरुत्व पूर्ण के काल मार्क्स काल मार्क्स जातीय विद्रोह बोले की प्रथमिक शु सिपाही समस्या होलो शु सिपाही विद्रोह करलो टा शुरू होले परवर्ती कि टा गण आंदोलन परिणत होलो पु समाज सई एक साथे झाप पड़े एव तार प्रमाण स्वरूप खाने की बला हो ना मोघल शेष सम्राट जिनी से द्वितीय बहादुर शाह के धर्म वर्ण निविे हिंदू मुसलमान सई एक साथे निद जातीय सम्राट बोले मेने निए एव उना के किंतु हिंदुस्तान सम्राट बोले पू हिंदुस्तान सम्राट बोले रा मेने लो त जन के गण आंदोलन जातीय विद्रोह बोला थाके र विनय सावरकर विनय दामोदर सावरकर तो विनय सावरकर की बोले भारत प्रथम स्वाधीनता संग्राम सिपाही विद्र के बोले भार प्रथम स्वाधीनता संग्राम धप सुन सरकार रनाथ मुखर्जी उ बोले जातीय मुक्ति संग्राम एव स्वाधीनता युद्ध डॉक्ट रमेश चंद्र मजु एम एन राय बोलेले सामंत श्रेणी विद्रोह तो एक जन एक रकम सिपाही विद्रोह के ब्याख्या करलो तो ही हो सिपाही विद्रोह प्रकृति बा चरित्र जे बोलो नान एकजन एक रकम ट बख्या दिए भार प्रथम स्वाधीनता संग्राम ता माने की स्वाधीनता जे स्वाधीनता पथे हम ए ट क्षेत्रे प्रथम संग्राम जाती ा स्न जा मुक्ति मु न मा प्रति प्रति प्रश्न टॉपिक तु तो शित बाली बाली समाज त दे तो सिपाही विद्रोह एक्चु कि भी एव दुख दुख बोना नि आचरण एव ब शलता से शांति प्रिय बांगली खूब लो भावे मेने ने शांति प्रि बाली पना अ तो ता जन विभिन्न पत्र पत्रिका विद्र विरुद्ध मत प्रकाशित एव दुर्गादास बंदोपाध्याय की बोलेले विद्र ब शन ने चले ले से मुस्लिम शासन माने मोल साम्राज शासन सामंत तांत्रिक व्यवस्था से फिरे आस ने बसली मेने त की कीमत किशोरी मित्र सं चरण मुखर्जी हरिचंद्र मुखर्जी जोना सर्वाधिकारी ई चंद्र गुप्त सचना ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन नेशन एरा कि समालोचना करलो दुर्गादास बंदोपाध्याय विद्रोही बांगली एव काली प्रसन्न सिंह हुतुम पचार न ए दते लिखे बांगली पखे इंग्रज विरुद्ध मुख खोला सहज लो ना विभिन्न कारण बांगली इंगेज विरुद्ध मुख खुलते पनी बांगली बबर पाश्चात्य प्रीति इंग्रज प्रीति ए एक बपर लो सम ज ज हम देखे आगे नव बाब एक संस्कृति कल्चर जे उ सद प्रक पत्रिका ई ब तो बांगली मनो सिपाही विद्रोह प्रती सिपाही विद्रोह फलाफल स्वरूप विद्रोह फलाफल स्वरूप द घटना गुरुत्व पूर्ण भारत शास हो महारानी घोषणा पत्र भारत शासन आईने की होलो विद्रोह सिपाही विद्रोह देखे विद्रोह व्यापकता देखे ब्रिटिश सरकार माने इंग्लैंड की सरकार तरा बुझे गलो ज माने की बोल ईस्ट इंडिया कंपनी के दिए भारतवर्ष मतो तो एक बड़ देश के शासन करा संभव न की ईस्ट इंडियन कंपनी ण संस् रा कि शु मात्र बबसा बाणिज्य लने शु मुनाफा अर्जन करबो शु टाका पसा ो मनोभाव भारत मतो एतो बड़ एक देश जेखाने नाना भाष भाषी लोक नाना संप्रदाय लोक नाना जाति र्ण तो बड़ एक देश केद दरा सान सभ ना सिपाही विद्रोह बपता थे कि इंगल सरकार बुझे तो र जन की होलो ज ईस्ट इंडिया कंपनी शासन अवसान टलो ठीक ओके टा प्रने 8 साले ओके अन ट न महारानी विक्टोरिया न हा भारते शासन भार तुले नि एव भारत पर ब्रिटिश पार्लियामेंट धीने पर भारतवर्ष रूपरेखा आते चेंज हो रूपरेखा बोलने भविष आस्ते चेंज हो ईस्ट इंडिया कंपनी शासन से चेंज चले ब्रिटिश पार्लिमेंट हाते चले लो तार पर की होलो भारत शासन कार्य परिचालना जन भारत सचिव नामे एक परिषद गठन की की परिवर्तन भारत शस आ माम एव परिषद बश मंत्री सभा थे एक सदस्य तत्वावधान 15 जन सदस्य के नियोजित करय ए भारत सचिव नाम परिषद गठित होलो सेही परिषद के थाक ना एकजन तुमार ब्रिटिश मंत्री सभा थ एकजन थाक डायरेक्ट एव 15 जन सदस्य आ थाक नि एक तुमार भारत सचिव गठन करा होलो रा कि खाने शासन कार् परिचालना कर रपरे भारतर गवर्नर जनरल टाइटल परिवर्तन भारतर वाइस रॉय करा होय एव ता जनने किंतु भारत शेष गवर्नर जनरल ले लॉर्ड कैनिंग एव भारत प्रथम वाइस रयो कि ले लॉर्ड कैनिंग एव उन समय उन समय विद्रोह होलो ले भारत प्रथम वाइस रय एव अच्छा प्रथम वाइस रय एस वेल एस शेष गवर्नर जनरल दही ले लॉर्ड कैनिंग चलो देशीय राज्य ग्रास नीति पर माने राजस दे राज के आ निजर अंडर ब्रिटिश सरकार ना एव भारतीय उच्च पद नियोग होलो भारत शासन आन फले बला होलो महारा घोषणा पत्र महारा ष पत्र कीना सिचुएशन तो तो बो ही ईस्ट इंडिया कंपनी शासन अन टे दि ो ज महारानी विक्टोरिया एक घोषणा पत्र जारी साले इलाहा प्रकाश लाद महारानी नाम प्रकाशित होलो कि भारती मैगना का महा सनद नाम परिच लो अनेक बड़ ब क बला हो अल्टीमेटली किछ ला ला देखलो की की बोला ब्रिटिश सरकार भारते सामाजिक और धर्मी बप हस्तक्षेप करब ना बस ख क बला सिच कंट्रोल माने जा दो ई इंडिया कंपनी तु समसन अचार सली ब्रिटिश इंगल ज बो लो इंगलैंड सरकार रा तुम गगोल स हम तु केने ब्रिटिश सरकार बा इंगल राप ना हम तुम के देखने महारानी बोले तो की होलो ब्रिटिश सरकार भारतीय कोन रम सामाजिक धप हस्प ना सेकंड बोला होलो देशीय राजारा दतक निते पब सपनी चले ग तो देशी राजारा दतक निते पब तरा निज इच्छा अनुजाई धर्मा चरण करते पब एव जेग देशीय प्रथा सेग के मान्य करा ह जेग के ना प्रथम निषिद्ध दे सिपाही विद्र कारण हि हम से पड़े ब्रिटिश भारते आर साम्राज्य विस्तार करबे ना आरो आ आ आ सब राज्य दखल करा करबे ना प्लस जरा ब्रिटिश ह संगे जुक्तो सेही व्यक्ति बंदरा मुक्ति पाब ता की होलो ना जोगता अनुजाई सरकारी चाकरी नियोग होते पब भारती बोले त सरकारी चाकरी पाबेना भारतीय न बोले उ सॉरी भारतीय बोले सरकारी चाकरी पाब ना भारतीय बोले उच्च पद नियुक्त होते पब ना रकम कि जिनिस था ना जर जोगता क से चाकरी पाब बा सरकारी चाकरी पाब एव फाइनली ईस्ट इंडिया कंपनी साथे दे राज चक्ति आगे ने प्र राजा के प्रदा दे राज जन के सम बला णा प किंतु अल्टीमेटली कि कि ला ख आ कि से अत्याचार विन्न र शुरू तो महाद्र चैप्टर द्वितीय पर् द्वितीय पर्ब की देखब विभिन्न तख सभा समिति गड़ उठे सभा समिति गड़ उठे नो बैक ऑफ द इंसिडेंट की हो सामने तो सब देखते पा तो विद्रोह हो आदिवासी विद्रोह कृषक विद्रोह हो महा विद्रोह हो तो बाकी आर के कोथा की करछ तो ए समय विभिन्न पत्र पत्रिका माध्यमे लेखालेखी तो होतो प्लस प्रचूर सभा समिति ठेलो नो ए समस्त विषय सेखाने आलोचना होतो विभिन्न जाती जातीयता बाद बोध विष आलोचना हो जातीय संग्राम आलोचना जाती मुक्ति बप आलोचना करर जन प्रचूर सभा समिति गड़ उठे तो बेसिकली सभा समिति माम दाबी दवा पेश होतो जनमत गठन होतो एव ज बोलला सपरी भारतीय जातीयता ने क बोला होतो तो त की होलो साले जे जातीय कांग्रेस प्रतिष्ठा होलो तो जातीय कांग्रेस बेसिकली विभिन्न धरने सभा समिति गु एक फाइनल परि ठीक सभा समिति री होलो सई आला आलोचना कर विभिन्न नेता ता था करते करते करते करते फाइनली गने आइडिया कसे धारणा थे ग जातीय कांग्रेस प्रतिष्ठा होलो एव जानी स्वाधीनता संग्राम जातीय कांग्रेस विशाल अवदान ने जा कांग्रेस विभिन्न अधिवेशन तखन चलते चलते चलते चलते बा विभिन्न आलाप आलोचना थके किंतु एकटा की बोलबो संग्राम परे हम ग फाइनली स्वाधीनता पेला अच्छा ऐतिहासिक अनिल शील किंतु खूब गुरुत्व पुूर्ण ए समय टा के कोन समय टा के ना 1830 एर परेर ज समय से 1830 एर परेर समय टा के सभा समिति जुग बलाय नो ना तखन थे राजनैतिक चिंता भावना प्रसार शुरु हय जनमत गठन करर काज शुरू हय भारतीय जातीयता बाद के नि कथा बोला शुरु कारण टाइम ऐतिहासिक लल सभा समिति जोग बोले बार एक हम सभा देख प्रथम बंग भाषा प्रकाशिका सभा तो हम देखे पाश्चात्य नीति द्वारा पाश्चात्य भाषा शिक्षा ग्रहण करते ख शुरु होलो तो टा हर प 1836 साले सभा स्थापित हो एव एखाने सभापति लेन गौरी शंकर तर्क बाकी सभा समिति प्रच नाम मने रखते नन सदस एक सदस्य नाम दि सभापति के ले मने ख ंद गुप्त हर चंद्र बंदोपाध्याय प्रसन्न कुमार ठाकूर इत्यादि रा न न्यान्य सदस्य एव टा प्राथमिक भा खाने बांगला साहित्य भाषा नि विभिन्न आलोचना होतो कि परवर्ती कि टा आस्ते आस्ते एक राजनैतिक सभा परिणत होलो ठीक कालीना राय प्रस्ता ए कि एक राजनैतिक सभा परिणत हो माने राजनीति नि आलोचना कर शुरु हो प्राथमिक टा लो साहित्य संस्कृति मूलक आलोचना कर जायगा सेन थे कन्वर्ट होए होलो राजनैतिक आलोचना कर जायगा तो तार फले सदस्य म संस्कृति मूलक आलोचना राजति आलोचना द मरो दे फाइनली सभा बंद होए जा ता जमीदार सभा जमीदार सभा कब 1838 साले राधाकांत देव नाम हम कि पड़गे राधाकांत देव सभापति जमीदार सभा गठित हय एव एटा की सकल श्रेणी मानुष स्थ रक्षा करा ह सभ प्रथम बला तो खाने संपादक ले प्रस कुमार ठाकुर और जर्ज प्रि डि राम कमल से दार र प्रमुख अ समय की होलो प्रचूर यूरोपियन भारते यूरोप भारते बस करते शुरु बस शु जन रा जमीदार सभा जोगन की हो की सभा सम की आलोचना हो तो जोगन करलो तो ब्रिटिश सरकार न निष्क जमी बाजे ति माने से के बात बेसिकली समस्त कृषक बोलो जमीदार बो ते नाते राजते ना से के बात र विरुद्ध भारत सभा सॉरी जमीदार सभा प्रथम स होलो एव तार फले की ग्रामे 50 बीघा जमी के निष्क छवा हो ठीक ब च देनी बाना छ ठीक ब्रिटिश सरकार छ दिनो जमीदार सभा कि निक निक जमीत सेट विरुद्ध जमीदार सभा सड़ होलो नेक्स्ट ब्रिटिश भारत सभा ब्रिटिश भारत सभा नंग गोद उद्योग नंग गो आगे रो ज अनुगामी ता नि गो न तो तु ता उगे ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी स्थापित ठीक ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी प्लस आगे देख जमीदार सभा जमीदार सभा दूट मिली की ब्रिटिश भारत सभा बा ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन गठित होलो माने नंग गो मुखपत्र उद्योग ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी तैरी होलो ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी और जमीदार सभा दूट मिलिए बो हो ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन बा भारत ब्रिटिश भारत सभा [संगीत] ब्रिटिश खान थके टा गठित होलो दूट मिलिए के के ना ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी प्लस जमीदार सभा ए दूट मिले ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन गठित होलो देवेंद्रनाथ ठाकुर लेन खानकार सर्वप्रथम संपादक धांत देव ले सर्वप्रथम सभापति एव मुखपत्र लो हिंदू पेट्रियट हिंदू पेट किंतु सभा ता काकम सधे लेखालेखी होतो तो टा लो प्रथम सर्व भारतीय एक राजनैतिक संगठन माने की ब ब सर प्रभाव लो सर्व भारतीय एक राजनीतिक संगठन अच्छा राजनैतिक संगठन किछ किछु खूब शक्त शक्त पदप लो ना आईसीएस परीक्ष आईसीएस परीक्ष परीक्षार्थी बस बस ज बस त ब ब्रिटिश विरुद्ध प्रथम ब्रिटिश भारत सभा सुचार होलो एव लबरी कॉलेज तुले जन तरा दाबी जालो द भ पदे मल जमीदार अर्थन समा प्रतिष्ठान लो तार जन की होलो जे समाज सब स्तर मानुष कि सभा पते पारे नेक्स्ट अस भारत सभा खूब गुरुत्व पुूर्ण 18 76 साले सुरेंद्रनाथ बंदोपाध्याय सुरेंद्रनाथ बंदोपाध्याय प्रधान मुख्य नाम खाने आनंद मोहन बसु शिवनाथ शास्त्री ददर उद्योग इंडियन एसोसिएशन बा भारत सभा प्रतिष्ठित हय सुरेंद्रनाथ बंदोपाध्याय लेन हो ए सभार प्रतिष्ठा एव उनी बांगला मुकुट हीन राजा नामे परिचित लेन खूब गुरुत्व पूर्ण एकजन व्यक्तित्व तो भारत सभार मूल उद्देश्य की लो डेफिनेटली जनमत गठन ज हम आगे प जनमत गठन करा समस्त श्रेणी जनगण म ऐ स्थापन जे हम आगे सभा देखला समाज उचतर मानु म सीमाब जा बा को ग मद जा सास्कृतिक मलक ना राजनीतिक तो सबग ओवरकम ए लो म थापन ल जनमत गठन भारत न पू जन राजनैतिक आंदोलन जातीयता बाद आंदोलन मूल उद्देश्य भारत सभ समय लर्ड लिटन शासन काले ब दमन मलक नीति जग ब प्रबलम लो भार जन प्रथम आगे बोलला 187 साले आईसीएस परीक्षा हो की तो सेने प्रतियोगी बय समा रा लो आगे 21 बर बसी ते लो तो तार की ना अस् आन ब भारतीय का स् राखा के निषिद्ध लड न तो भारती ख नि भारती आ जन त्र संग्रह निषिद्ध त की 188 साले देशीय भाषा संवाद पत्र आईन जारी करलो आईन दि की ना कोन संवाद पत्र तु देशीय भाषा लो की से समस्त सवाद पत्र रे विधि निषे जारी करा हो दे भाष प्रकाश सवाद पत्र विधि निषे आरोप करा हो अ समय इलब बिल एक पास करा होलो अच्छा तो एलो लो हो तुमार मेनली लॉर्ड लिटन ज दमन मूलक नीति तो लॉर्ड लिटन दमन मूलक नीति लो तीन न टूथ एर विरुद्ध भारत सभा सचार होलो बस रा सेटा त्र खते पबना से एव देशीय भाषा प्रकाशित सद पत्र विधि निषे भार लड टन जारी भारत सरु स बल के भारत स समर्थन जा इबर्ट बिल की होलो सी प इल्बर्ट बिल चालू की ज भारतीय विचार पतिरा यूरोपियन विचार करते प ो सी प बब भारतीय यूरोपीय विचारक समान क्षमता प्रदान की यूरोप भारती विचार कर तो निकृष्ट ू प पड़ भारती की विचार कर तो यूरोप ्र विधता एव भारत स कि इब बल समने जनमत गठन का भारती कि सम तो ता फले माने बिल दि बेसिकली भारती की तांग कृष्णा बप र का निकृष्ट भाषा उल्पा सबक दि एकदम पिछ पड़ तो तार फले की होलो भारतीय विचारक सेता आसामी बचार करते अधिकार दवा होलो होलो तो हो भारत सभ भारत स शे सामग कल्या क भारत स मा ने हिंदू मेला राजनारायण बसु नव गोपाल मित्र 67 साले हो कोलकाता नारा हिंदू मेला गठन हिंदू मेला पु विषय से लो देशीय चिंता भावना समस्त किछु देशीय चिंता भावना देशी धारा की समस्त किछ चिंता लो नव गोपाल मित्र नेशनल पेपर बर हिंदू मेला मूल उद्देश्य बोलला देशवासी निस्व प्रचे सदेश उन्नति साधन एव हिंदू मेला बरे एक बार अनुष होतो ए मेला द आ नाम लो जातीय मेला चत्र मेला अंडरलाइन इपोर्ट अच्छा हिंदू मेला प्रधान कर्म सूची की की लो देशीय विद्याल उत्साह दनने दे विद्या विद्या पना करते अच्छा ा की लो शरीर चर्चा बपे खूब माने गुरुत्व होतो कारण की योगा बा शरीर चर्चा विषय सेद दे कि नेक आगे थे चले दे सब चितारा कार्म कर क बला सदय कृषि शिल्प जात द्रव्य सामग्री प्रदर्शनी प्लस बता आवृति सांस्कृतिक विभिन्न अनुष्ठान आयोजन करा होतो रा नेशनल स्कूल नेशनल सोसाइटी नेशनल जिम्नेशियम स्थापन करय एवं नेशनल थिएटर स्थापन करा होलो तो हिंदू मेला 14 बर स्थाई होलो एव माने हिंदू मेला बेसिकली राजनैतिक अर्थनीति सांस्कृतिक सब दिक दि कि खूब प्रभावशाली लो भारतीय समाज क्षेत्रे बार तृतीय पज य की ना लेखा रेखा जातीयता बोध जातीयता बाद विकाश लेखाने उपन्यास समस्त रेखा माने चित्र अंकन ठीक तो लेखा लो आगे देखो तो समय की हो अचार मात्रा च ब्रिटिश अचार मा ्र प्रथम आनंद म बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय लिखे की की देवी चौधुरानी आगे दिन प देवी चौधुरानी कथा देवी चौधुरानी सीताराम आनंद मठ हो तु विषय आंदोलन च विद्र च विय प्रथम बोले तो आनंद विष बोल उपन्यास बोल प्रथम बंग दर्शन पत्रिका प्रकाशित एव परे 182 साले बई हिब टा प्रकाशित होलो तो उपन की बांग संकट जनक समय ी बोचार चत प सम बान ने मानु त विय कि तुले धरा हो ए 76 मन समय तु सहायता कथा बा ससी फकीर विद्रोह ज कि आनंद म तुले रा होलो प्लस जातीयता बादी चेतना भारते जातीयता बादी चेतना बप प्रच गुरुत्व की बोला देश माने शु मात्र कि देश जड़ देश के मातृभूमि रूपे पूजो करा देश प्रेमी हो धर्म एव एट जनने समस्त किछु तग करर कथा बला होलो देश प्रेम बा देश भक्ति जन समस्त किछु छड़ देवा जाय एव आत्म बलिदान कथा बला देश प्रेम जन देश माता के रक्षा कर जन तो ए देश प्रेम जन उनी की बोले आनंद पाप फल कखन पवित्र होय ना ता माने की तो पाप कर र फलो पा ब्रिटिश किंतु हमद के की देने देश जन निदर के उत्सर्ग करते देश का निद के नियोजित करते ह देश प्रेम हमद धर्म देश माता जन हमद निद के उत्सर्ग करते ह ए जातीयता बोध संचार जातीयता बोध संचार आनंद माम एव वंदे मातरम लो प्रधान अवदान वंदे मातरम तखन विभिन्न विप्लव आंदोलन समय बंदे मातरम गावा होतो और बंदे मातरम के किंतु फराश विप्लव समय जातीय संगीत ला मसाई त संगे तुलना होलो वंदे मातरम शक्तिशाली एक संगीत लो नेक्स्ट देख वर्तमान भारत तमान भारत के ख स्वामी विवेन स्वामी विवेकानंद हम जानी उर विभिन्न ग्रंथ एवं विभिन्न बानी उर प्रचूर बानी र र द्वारा देश जुव संप्रदाय के स्वामी विवेकानंद प्रचंड भावे किंतु प्रभावित करले तो स्वामी विवेकानंद धर्म मते मूल आधार लो हो फलित वेदांत माने धर्म चर्चा कोन व्यक्तिगत बपर नय आत्म मुक्ति होए गले हो ना टा सामग्र समा दे उन्नति साधन करते धर्म च व्यक्तिगत बन साधन भज न ता हो जाती समाज विकास जन अपहार बोल आत्म मुक्ति माने धर्म सब बा मुक्ति होलोलो करलेना बा को बप न न स् जाति एव समाज जन से त जन धर्म चर्चा प्रयोजन अच्छा विवेकानंद के इटली माइकल एंज संगे तुलना करराय इटली चित्रक माइकल एंजेलो संगे तुलना करा हो विवेकानंद के उनी चा बाला चार गंथ लिखे ग खूब फेमस की की त तमान भारत बोल की की कथा परि प्र पात तमान भारत खूब गुरुत्व पूर्ण बांगला उ बई लिखे अच्छा विवेकानंद आ के लेन उनी श्री राम कृष्ण उ आ की परिचय लो तो उनी श्री राम कृष्ण प्रधान शिष्य खूब प्रिय शिष्य ले सब प्रिय शिष्य ले राम कृष्ण साधक विवेकानंद ले र्म जोगी कष्ण देखन पथे विवेकानंद त निज मत प्रचार वर्तमान भारते उनी की बोलेन देशवासी के बोलेन देश प्रेम जन उद्ब होते सेही ब्यापार साहस उ जुगन एव स्वदेश मंत्र टा नामे अनुच्छेद र सेखाने स्वामीजी सदेश प्रति आवेग ओ बोलि व्यक्तित्व कथा माने नरने भारतवर्ष प्रति न आवेग लो बा उनी भीषण बोले भारत के स के संप्रदाय के स्ली देश जन नि के नियोजित करो तो सदेश मंत्र अनु बझा जाने लेखा र एव भारतीयर के बोला हो दास प्रति श प्रति आचरण कि उनी दा आचरण के ध जाना मेली पाश्चात्य प्रीति बप ा बोलब ना पात प्रीति इेज प्रीति दास मलक दासल आचरण के ध जाना एव भारतीय ति के उनी बोले भारतीय ति कि हमद केने मेने चलते ति पथे देश माता के भार दे के स्न करते उनी सई के जातीयता बोध प्रति स के उध तो ता मते फाइनली ज बोले देश प्रेम एव समाज कल्याण द कि जरूरी लो देखो लेखाने बो आलोचना तो ने कि देश प्रेम समा क नि नि धर्म साधना ब ना सामग समाज जन जन का लागे से देखते प्लस देश प्रेम रा देश प्रेम भावरा नि के उध करते ने अमेली ु संप्रदाय के उनी उध जाते भारतवर्ष प्रति तरा ब ननय अच्छा नेक्स्ट गोड़ गोड़ लिख रनाथ ाक ए गोड़ लिखा होलो बंगंग विरोधी आंदोलन च लड का बाला पर् विरु आंदोलन बंगंग आंदोलन बंगंग विरोधी आंदोलन सॉरी बंगंग विरोधी आंदोलन प्रेप रबींद्रनाथ गोड़ उपन्यास लिखे बंगंग विरुद्ध आंदोलन आंदोलन एव खाने उनी की की बोलेन जे गोते मेनली दे शहरे तो शित मानुष र और ग्रामे प्रचूर शशि जरम शित नय शि आलो पानी तो शहर मानुष ग्राम मानुष म विशाल बैम विशाल फ सब दि विषय गते कि खूब विशाल भा देन होलो शहर मानुष ग्रामीण मानुष म विराट फराक जिनिस देन एव उनी की बोलेन ग्राम भारतवर्ष बिन्न को दुर्बल से भे गो चि क्लिष्ट होते लागलो खूब फेमस लाइन अच्छा त उनी मा जाती वर्गत प्रभेद कि भारते स्वाधीनता बा र पथे एक बाधा भारतवर्ष की ब्रिटिश मेन तेलो साम डेफिनेटली भाषा भाषी लोक धर्म लोक जातिर लोक र्ण लोक तो बेसिकली विभिन्नता जनने कि जातिभेद प्रथा तो किछु ते त सब ब नि ए ब ओ छो जाति से जाति सब बट आद ला दि रा मालो ठीक तो उ बो जाती ण प्रद कि मेन समस्या एव ब्रा समा मद बा तु विरोध तार एक असहिष्णुता उच्च मानता उच्चतर भाव धारा की माने हमरा सर्वोत्कृष्ट रकम विषय कि उ बोलेले रबींद्रनाथ ठाकूर एव हिंदू धर्म आ की करा प्रकृत चरित्र तुले धरा होलो तो गोड़ खाने गोड़ माध्यमे की देखिए हिंदू कोनो दल बा संप्रदाय नय टा हो एक बृहत जाति ए बप उनी बते लेन तो हिंदू धर्म समस्त मानुष के माने की ध जाते मानुष ए चले ते भारतीय म जाते हम जाते ध था ए विषय किंतु तुले धरा होलो तो गोरा भाष की ज आज भारतवर्ष कोन हिंदू मुस्लिम क्रिन ए परिचय न भारतबासी ए परिचय तो आगे बो बित्र म समय बप के तुले त्र म समय य डाइवर्सिटी था खब जरुरी ले श बित्र ु डाइवर्सिटी थाके ले कि की ड़ दे मा इज कि बेसिकली ड़ दित्र जन म न ना विन आंदोलन त लेखी हो माते भार नेक्स्ट ब रेखा तीन पलाम लेखा की के लिखे रेखा चित्रांकन माध्यम की की न की होलो तो भारत माता केले ना नाथ ठाकुर नाथ ठाकुर प्रथम भारत माता चि उ बंगल स्कूल ओरियंटल आर्ट भित्ति स्थापन उनी प्रतिष्ठा करन एव प्रथम यूरोपीय स्टाइल चित्र अन शुरु प्लस भारत मोगल राजपूत अजंता चित्र शैली थके उने के की बोने के आने मोघल बा राजपूत अता चित्र सने स्टाइल सेग के नि नि अपूर्व नि चित्र शैली उनी सृष्टि करले [संगीत] अच्छा 197 साले इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट एटा उनी स्थापन करले एवं र माध्यमे ए देशीय चित्र प्रदर्शनी शुरू होलो देशज चित्र ए देशीय चित्र प्रदर्शनी शुरू होए लो तो ता माने की तो प्रथम दे रोप स्टाइल चिन शुरु करले त राजपूत अ वि चित्र बो सट धुमा दे रा च चित्र बश के उ फ ले आयोजन शुरू करले देश चित्र प्रदर्शनी आयोजन शुरू करले कोथा इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट से एव उनी भारत माता चित्र एकन भारत माता ए चित्र खूब तखन विख्यात होलो एव विभिन्न सभा समावेश टा के राखा होतो भारत माता क्त्र द दिक देन हो एकटा हो भारत माता दश प्रहर धारनी देश मात्र आरे एक दिके दे जोगिनी मूर्ति एक दिके तग रूप देन अरे दि देन सर्वशक्तिमान ठीक देश माता तो रकम भा किंतु भारत माता रूप देन होलो एव मॉडर्न रिव्यू पत्रिका र प्रशंसा भारत माता चित्र प्रचुर प्रशंसा करलो ठीक नेक्स्ट गगनेंद्रनाथ ठाकुर बंग चित्र ग ठाकर के किंतु प्रथम कार्ट बला ब चित्र ब्रिटिश विन का कलाप प्रतिवाद जाना वि ब ना अ उनी रा ठाकुर होक ठाकर एवं उनी यूरोपीय पद्धति जल रंग यूरोपीय पद्धति जल रंगा होतो ए विषय खूब सुद ले प्लस फराश शिल्प शैली उनी प्रवर्तन करन ए देश उनी प्रथम येलेन तार पर रबींद्रनाथ जीवन स्मृति सब छग तार आका एवं बंग चित्रकार हिब उनी की कीलन ना विज्ञानी जगदीश चंद्र बसु आविष्कार प्रफुल राय गवेषणा रबींद्रनाथ विमान चरा सुरेंद्रनाथ समस्त देश चिन स्कूल कॉलेज आशुतोष नाद समस्त विषय के नि उ विभिन्न कार्टून बनाते ठीक शमा न विदे शासक कि कार्ट माम क होतो शक जा बाली उ बख्या ब चित्र एव उनी इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट संस्था प्रतिष्ठा संपादक लेन ज हम एक आगे प नाथ इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरियंटल आर्ट उ स्थापन नाथ और इनी ग ठकर संपादक प्रतिष्ठा संपादक ठीक दई भाईली तो उन आ की की लिखे भदर बहादुर छोट ज लिखे एव खूब बख्या लो प्लस उनी बंगल होम इंडस्ट्री एसशन टा प्रतिष्ठा और बांगली बांगला लोक शिल्प ग्रामीण शिल्प टा के उनी तुले धने तुले धरे तो ए उनी किंतु शु मात्र ंग चित्र ना आ रकम देश बशिष्ट देश तुमार विभिन्न धरने की बोल शिल्प के तुले धरा चे ही लो हमद चैप्टर चर सता तो टॉपिक आलोचना गुरुत्व पूर्ण ठीक तो की पॉइंट आंसर से आशा ब पमा डेफिनेटली तुम म प्लस माइनस कि प ो ने सु ख सुधा ठीक ले आज हम की की देखला महाद्र देखला प्लस विन सभा समिति क पलाम मेन मेन सभा समिति एव तार पर हमरा विभिन्न उपन्यास ग्रंथ जर विवेकानंद लेखा वर्तमान भारत रबींद्रनाथ ठाकर लेखा गोड़ बंकिन चंद्र चट्टोपाध्याय लेखा आनंद म की देश माता प्रति उत्सर्ग होने नि के देश माता भारतवर्ष स्वाधीनता प्रति नियोजित करते आत्या करते विषय तु रा ब्रिटिश सरकार अत्याचार कर त जनद के तग करते बाद के एते ले ना रु ते कि मल क्तब लो प्र ाक ठक वि घटना भारत माता भारत माता चित्र देखे स जातीवाद जातीयता माने कीने भारतवासी भारत देश पताका र जा सत ई र दे ार भारत जातीय सत बा 156 जन फ जातीवाद जातीयता तु अनुभूति तो जाग तो जन ब जा मानु त जन भारत माता चित्र अन तो समस्त सभा समिति क देश चि भारत माका देश माका सेम गनाथ ठाकर ब च कार्ट माम विभिन्न ब ब मनी विन्न टना तुले प्स इ विन कार्यकलाप विधता रा सम तो अश बो मेन चैप्टर मेन लेक्चर फलो कर अवश दे पिन कमेंट लिंक लो आज ने ने ले ब