Nokia, ये नाम सुनते ही शायद आप अपने पुराने फोन को याद करते होंगे वो मजबूत 3310 जिसकी बैटरी कभी खत्म ही नहीं होती थी और हजारों बार गिरने के बाद भी कोई प्रॉबलम नहीं आती थी लेकिन क्या हुआ उस कंपनी का जिसने एक वक्त फोन्स की दुनिया पर राज किया था सबको लगता है कि Nokia का जमाना खत्म हो चुका है खासतोर से 2008 के बाद जब iPhone और Android जैसे स्मार्टफोन्स ने दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू किया था। पर क्या Nokia की गहानी सच में खत्म हो चुकी है। नहीं दोस्तों, Nokia ने चुपचाप एक ऐसा कदम उठाया था जिसने उसे फिर से बढ़ाया। फिर से टेलिकॉम के दुनिया में लाकर खड़ा कर दिया है जी हाँ जो लोग इस ब्रेंड को भुला चुके थे वो अब फिर से नोकिया का नाम सुन रहे हैं और इसका कारण है नोकिया का 5G टेकनोलॉजी में शांदार वापसे लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है आखिर कैसे? एक ऐसी कमटनी जो लगबग बरबाद हो चुकी थी उसने इतना बड़ा कमबैक कैसे किया? इसी अद्बूत वापसी की कहानी क्या आप सोच सकते हैं कि आज की टेलिकॉम कंपनी नोकिया कभी कागच और रबर के जूते बनाती थी हाँ सुनने में अजीब लगता है लेकिन नोकिया का सफर यही से शुरू हुआ था 90s के दशक में नोकिया ने एक बोल्ड कदम उठाते हुए और वहीं से इसकी असली उडान सुरू हुई थी अब जरा ये सोचिए कि 1996 में Nokia का revenue 8.7 billion dollars था और फिर mobile की दुनिया में इसने ऐसा दबदबा बनाया कि 2008 तक ये आंकडा 74 billion dollars डॉलर्स को पार कर गया नोकिया के फोन्स ने दुनिया को वो डियरिविल्टी और भरोशा दिया जो शायद ही किसी और कंपनी ने दिया हो हर कोई इसकी स्टर्डी डिजाइन और लांग लास्टिंग बैटरी का फैन था लेकिन जैसे टेकनोलॉजी बदलती गई वैसे लोगों की पसंद भी बदलने लगे अब लोग मजबूत फोन से जादा स्टाइलिश्ट स्लीक डिजाइन्स और एडवांस्ट फीचर्स वाले स्मार्टफोन के तरफ अट्रैक्ट हो रहे थे और यही पे नोकिया के सामने असली च जो मजबूती कभी इसकी सबसे बड़ी ताकत हुआ करती थी वही अब इसके लिए बोज बन चुकी थी नोकिया का वो दोर जब वो मोबाइल इंडिस्ट्री का राजा था अब धीरे धी खासतोर से 9 जनवरी 2007 का वो दिन मोबाइल इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ क्योंकि इसी दिन स्टीब जॉब्स ने दुनिया के सामने अपना पहला iPhone लाउंच किया था ये सिर्फ एक नया फोन नहीं बलकि मोबाइल टेकनोलोजी में एक नई रिवलूशन थी जो उस समय के सभी फोन से बिलकुल ही अलग था लोग इस नए डिवाइस को देखकर हैरान हो चुके थे iPhone ने ट्रेडिशनल मोबाइल फोन्स की परिभाशा को ही बदल दी दिया था लेकिन दूसरी तरफ Nokia जो उस वक्त Mobile Industry का King हुआ करता था उसने इस नए Player को सीरियसली लिया ही नहीं उन्हें लगा कि iPhone की touchscreen practical नहीं है और इसकी manufacturing काफी महगे होगी Nokia के engineers ने तो ये तक कहा कि iPhone उनके drop test को पार ही नहीं कर सकता जो उनके हिसाब से phone का एक main selling point होता था उन्होंने सोचा कि iPhone का जो sleek और नाजुक design है वो आम लोगों के लिए suitable नहीं है लेकिन असल में Nokia इस चीज को समझने में पूरी तरफ fail हो गया था कि लोग अब मजबूत phones की बजाए पतले और स्टाइलिस फोन की तरफ जादा attract हो रहे हैं Nokia अभी अपनी इसी गलत फहमी में था कि इसी बीच iPhone ने धीरे मार्केट में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी योजर्स को टच स्क्रेन का नया एक्सपीरियंस काफी ज़्यादा पसंद आया और इस तरह के स्मार्टफोन के डिमांड बढ़ने लगे इतना कुछ होने के बाद भी नोकिया ने जबकि असल में ये कोई ट्रेंड नहीं लगबख एक साल बाद नोकिया को अपनी गलती का एहसास हुआ और इसे समझ आया बहुत देर हो चुकी थी आईफोन ने मार्केट पर अपना कब्जा जमा लिया था और बाकी कंपेटीटर्स भी स्मार्टफोन बनाने की होड में लग चुके थे फर इक्जांपल 2008 में HTC और Google ने मिलकर दुनिया का पहला Android बेस्ट स्मार्टफोन T-Mobile G1 लॉंच किया जो आईफोन का सीधा कंपेटीटर था लेकिन अब सवाल था कि Nokia इस बदलते दौर में कैसे रिस्पॉंड करेगा क्योंकि Nokia के लिए चुनोती अब सिर्फ आईफोन के साथ नहीं थी बलकि Android के साथ आने वाले नए प्लेयर्स के साथ भी थी स्क्रीन स्मार्टफोन्स ने पूरी मोबाइल मार्केट को ही बदल दिया था और अब नोकिया को इस बतलाव के साथ एडाप्ट करना जरूरी था। स्टोरीज दिया गया था नोकिया को इस फोन से बहुत उम्मीदे थी लेकिन ग्राउंड रियालिटी इससे बिल्कुल अलग निकल कर सामने आती है जहां आईफोन ने यूजर् experience देने पर focus किया था वही n97 की touch screen बेहदी unresponsive थी इसके एलावा slide out keyboard जो इस phone का सबसे main feature था वो भी पूरी तरफ fail रहा वैसे तो n97 में बहुत सारी कमिया थे लेकिन इसके fail होने का सबसे मेन रेजन था इसका operating system Symbian Nokia अगर चाहता तो वो बदलती trend को देखकर अपनी स्मार्ट फोन्स के लिए Android को चुन सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया ये Symbian OS Nokia के पुराने फोन्स में यूज होता था और 2009 के स्मार्ट स्मार्टफोन्स के सामने ये पूरी तरह से आउटडेटेड हो चुका था। ये ना सिर्फ कॉम्प्लेक्स था बलकि इसमें फ्लेक्सिबिल्टी की भी कमी थी। यही वज़ा थी कि N97 के लॉच होने के दोरान नोकिया के ओनलाइन एप स्टोर में सिर्फ 500 अपलिकेशन्स अवेलबल थी। जबकि उस वक्त एपल के एप स्टोर में एक लाग से ज़ाधा एप्स आ चुकी थी। ऐसे में लोगों का इंटरस्ट N97 से कम होता चला गया। उनका ये स्मार्टफोन आईफोन को टक कर देगा लेकिन Nokia की जबरदस्ट ब्रेंडिंग और टॉप नॉच हाटवेर क्वालिटी के बावजूद एंड 97 बुरी तरह से फेल हो गया और इस कमपनी का रेवेन्यू 23% से गिर कर 57 बिलियन डॉलर्स पर आ गया जो इसके एक साल पहले 74 बिलियन डॉलर्स के उपर था मार्केट में ये Nokia के लिए और इसकी वज़ा से कमपनी को पहली बार ये एसास हुआ कि टेकनोलॉजी की इस नई दौर में क्रिप्टो मार्केट में एक नई वीव आ चुकी है और इसके इंपैक्ट से बिटकोइन अपने ऑल टाइम हाई पर है इस तरह का बुल रन आमतौर पर कुछ महीनों तक चलते हैं और यही टाइम होता है बड़े प्रॉफिट्स बनाने का और इंडिया का सबसे फ्यूचर्स ट्रेडिंग में नए हो तो पहले पंध्र पेंटर दिनों के लिए आपको मिलता है 100% फी रीबेट मतलब बिल्कुल जीरो फीस क्वाइन स्विच फाइनेंशियल इंटेलिजेंस प्रोब्लम पर अपना भरोषा दिखाया है इनका एक और शांतार फीचर है स्मार्ट इनवेस्टमेंट इसमें आपको बस अपना पैसा परिश्ट करना है और टॉप ट्रेडर्स आपके भीहाब पर ट्रेड करते हैं पतलब आप सोते हुए भी पैसा कमा सकते हो और सबसे भी यहां बाद पाइट स्विच अब दे रहा है वन परसेंट कैस पैक और पहले 30 दिन के लिए जीरो ट्रेडिंग फीस पूइंट होता है जो दिखाता है कि इनकी financial health कितनी ज़्यादा strong है इसलिए link description और pinned comment में है तो चल्दी से coin switch को download करो और trading start कर दो Symbian OS जो कभी उनका सबसे बड़ा strength हुआ करता था वही अब उनके लिए सबसे बड़ी कमजोरी बन चुका था बिसिकली कमपनी के अंदर अब सब कुछ नए से शुरुवात करने की ज़रूरत थी और इसी दोरान नोकिया ने एक बड़ा कदम उठाते हुए स्टीफन इलॉप को नया CEO बना दिया। इलॉप जो पहले माइक्रोसॉफ्ट के अंदर बिजनस डिविजन के हेड रह च� एजेंट के तौर पर आए और उम्मीदे थी कि वो नोकिया को एक नई दिशा देंगे। कमपणी के बिगड़े हालात को देखते हुए इलोप ने अपने पहले ही दिन सभी इंप्लॉयस के साथ एक मैंडाटरी मेटिंग बुलाई। और इस मीटिंग में उन्होंने जिसने कमपणी के अंतर हरकम पचा दिया। दरसल इलोप ने साफ शब्दों में कहा कि हम एक जलते हुए प्लैटफॉर्म पर खड़े हैं। हमारे कॉमपेटीटर्स ने मार्केट को इतना तेजी से बदल दिया है जितना हमने कभी सोचा भी नहीं था। की ecosystem का एक पूरा युद्ध छिड़ चुका है इसमें hardware, software, developers और applications सभी चीजें शामिल हैं इलॉप की इस speech ने Nokia की employees और shareholders की बीच खलबली मचा दी क्योंकि ये speech ना सिर्फ Nokia की products को कमजोर दिखा रही थी बलकि market में Nokia की position को भी खराब कर रही थी और सबसे बड़ा जटका तब लगा जब ये speech public के अंदर लेख हो गई जिससे Nokia की brand image को जबरदस्त नुकसान पहुचा customers और shareholders का trust कम होने लगा और Nokia के stocks गिरने लगे हला कि elope का मकसद company को इस मुश्किल दौर से बाहर निकालना था लेकिन उल्टा इन्होंने Nokia को और ज़्यादा crisis में डाल दिया उनका मानना था कि crisis मोड में ही Nokia को सुझावादा सुधारने का रास्ता निकलेगा और यही वज़ा थी कि उन्होंने एक बड़ा और रिस्की फैसला लिया जो था सिंबियन को छोड़कर एक नए ओपरेटिंग सिस्टम पर सिफ्ट होना अब सबसे बड़ा सवाल यह था कि सिंबियन की जगह कौन सा OS आएगा जैसा कि मैंने बताया कि उस वक्त और यह Apple के iOS का सबसे बड़ा कॉमपेटिटर बन चुका था और अगर वो ऐसा करते तो शायद आज भी लेकिन इलॉप की नजरे कहीं और थी उन्होंने एंड्रोइट की जग Windows Phone OS को चुना, जो Nokia के History का सबसे गलत फैसला साबित होने वाला था। असल में, इलोप Nokia के लिए एक ऐसा OS चाहते थे, जो सिर्फ उसी के लिए बना हो। बिल्कुल वैसे ही जैसे iPhone के पास iOS है। और ये चीज Android के साथ पड़ाएगा। पॉसिबल नहीं थी क्योंकि वो एक ओपन सोर्ट सॉफ्टवेयर है जिसका इस्तिमाल कोई भी कंपनी कर सकती है। इसके अलावा इलोप का माइक्रोसॉफ्ट के साथ पहले से ही गहरा रिलेशन था। ऐसे में उन्होंने बिंडोस फोन ओयस को नोकिया का एक्सक्लॉसिव नाई बहुत बड़ा जूआ था लेकिन इलोप का मानना था कि यही वो एको सिस्टम है जो नोकिया को वापस उठाने में मदद करेगा आखिरकार फरवरी 2011 में इलोप ने एनाउंस किया कि सिम्बियन को धीरे फेज आउट किया जाएगा और अब आगे से नोकिया के सभी नए स्मार्टफोन्स सिर्फ विंडोस ओयस पर ही काम करेंगे इस तरह स्टीफन इलोफ के फैसले ने नोकिया को एक नए रास्ते पर तो डाल दिया Lumia 800 और Lumia 710 को लॉंच किया ये दोनों स्मार्टफोन्स Windows 7.5 Mango OS पर चल रहे थे Nokia ने उम्मीद की थी कि इन फोन्स की जरिये वो मार्केट में फिर से अपनी जगा बना लेंगे लेकिन Windows Phone का इंटरफेस लोगों को पसंद ही नहीं आया जहां Android और iOS अपने यूजर्स को एक Simple और Easy to Use Experience दे रहे थे वहीं Windows Phone यूजर्स को फोन चलाने का एक नया तरीका सिखाने को मजबूर कर रहा था इसकी एलामा Windows Phone OS की कुछ Technical Limitations दे रहे थे भी थी जैसे कि इस OS में सिर्फ single core processor का use किया जा सकता था जबकि उस समय Apple और Android की फोन्स dual core और quad core processors पर काम कर रहे थे इससे Nokia के फोन्स की speed और performance market के दूसरे फोन्स से बहुत ही पीछी रह गई इनके फोन्स में front facing camera भी नहीं था जो उस वक्त users की जरूरत बन चुका था यहां तक तो फिर भी ठीक था लेकिन इनके फोन्स में सबसे बड़ी दिक्कत आई apps की दरसल Symbian की तरह Windows Phone में भी Apps की काफी कमी थी इसका reason ये था कि developers इस नए Windows Platform में interested ही नहीं थे कुल मिला कर users और developers दोनों ने ही Windows Phone को नकार दिया और इसके चलते Nokia की हालत और ज़्यादा खराब होती चली गए हलाकि Lumia 800 और Lumia 710 के बाद Nokia ने और भी कई विंडोस फोन लॉंच किये लेकिन उन में से कोई भी मार्केट के अंदर कोई खास कमाल नहीं कर सका स्टिफन इलाब का डिसिजन जो नोकिया को बचाने के लिए लिया गया था वही अब कमपनी के लिए सबसे बड़ा नुकसान साबित हो रहा था एक वक्त ऐसा था जब नोकिया पूरी दुनिया के 50% से ज़्यादा मोबाइल मार्केट को ओन करता था लेकिन 2013 तक आते ये घट कर सिर्फ 3% पर आ गया यानि नोकिया अल्मोस्ट खत्म होने के कगार पर आ चुका था Nokia के सामने financial problems इतनी ज़्यादा बढ़ गई थी कि उन्होंने अपना सबसे कीमती division mobile devices and services को बेचने का मन बना लिया और इसी मौके का फाइदा उठाने के लिए Microsoft ने 2013 में Nokia के इस division को 7.2 billion dollars में खरेद लिया Stephen Elop जो अभी तक Nokia के CEO थे अब Microsoft के इस नए group के president बन गए और इस acquisition के साथ Nokia के कई important leaders भी Microsoft के अंदर आ गए इसके बाद Microsoft ने Lumia सीरीज के अलग-अलग स्मार्टफोन्स को लॉंच किया लेकिन हकीकत में ये acquisition एक बहुत बड़ा failure साबित हुआ और करीब एक साल कोशिश करने के बाद Microsoft अपने इस mobile business को सट डाउन करने का फैसला करता है और अब जाकर finally Nokia को अकल आती है जिसके बाद इन्होंने Android फोन्स बनाना सुरू किया लेकिन अब तक बहुत देर हो चुकी थी मार्केट के दूसरी प्लेयर्स अब टेकनलोजी और इनोवेशन के मामले में Nokia से बहुत ही आगे निकल चुके थे और Android स्पेस में चाइनीस कमपणियों ने अपनी मोनापॉली इस्टेबलिश कर ली थी Nokia ने कई सालों तक कोशिश की लेकिन वो कभी भी इन नए प्लेयर्स के साथ कॉम्पीट ही नहीं कर पाया धीरे इसका मार्केट सेयर गिरता गया और नए स्मार्टफोन की चका चौद में लोग Nokia को भूल गये एक एरा का एंड हो गया। जो कंपनी एक समय पर मोबाइल फोन इंडस्ट्री का सबसे बड़ा नाम हुआ करती थी, वो अब मार्केट से पूरी तरह गायब हो चुकी थी। और लोगों ने भी मान लिया कि नोकिया अब खत्म हो चुका है। लेकिन क्या ये नोकिया की कहानी क प्रश्न नोकिया को बरबात करने में लगे हुए थे तब कंपनी ने एक बोल्ड डिश्टेब उठाते हुए राजियव सुरी को नया सीएयो बना दिया था। जानते थे कि स्मार्टफोन के फिल्ड में नोकिया के लिए वापसी बहुत ही मुश्किल होने ने Network Solutions और 5G Technology पर Focus करने का फैसला किया सुरी ने एक ऐसा रास्ता चुना जो ज़्यादा Fancy तो नहीं लेकिन Company को Stable ज़रूर कर सकता था उनका मानना था कि 5G Technology Nokia के लिए एक नए दौर की शुरुवात कर सकती है और अगर Nokia को एक बार फिर से Global Telecom Industry में अपनी जगह बनानी है तो ने 5G में First Mover होने का फायदा उठाना होगा इसी विजन के साथ Nokia ने अपनी Resources का एक बड़ा हिस्सा 5G Networks के Research and Development में इन्वेस्ट कर दिया अपने इसी इन्वेस्टमेंट की 2018 में Nokia ने अपने सबसे बड़ी breakthrough technology पेश की जो थी Reef Shark चिप सेट इन चिप को 5G network equipment में इस्तिमाल किया जाता है Simple words में बतायें तो ये चिप base station और antennas में लगाई जाती हैं जो 5G signals को transmit और receive करते हैं Reef Shark चिप का main काम है डेटा को बहुत तेजी से process करना और network की capacity को बढ़ाना ताकि एक साथ ज़ादा से ज़ादा devices को बहतर connectivity और तेजी speed मिल सके Reef Shark की bandwidth 84 gigabit पर सिकेंड तक बहुत सकती थी जो दूसरी 5G चिप्स की तुलना में तीन गुना तेज थी सिर्फ यही नहीं यह चिप्सेट 50% छोटी और पावर कंजब्सन को 64% तक कम कर रही थी इनी खूबियों के चलते हुआवे और एरिक्सन से अलखडा किया जबकि ये दोनों पहले से ही नोकिया ने दुनिया के कुछ सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनीज जैसे एटी एंट टी वुडा फोन और जापान की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी एंटिटी धोकोमों के साथ पार्टनर्शिप की इसे सिंपल वर्ट में ऐसे समझ सकते हैं कि नोकिया अपनी 5G टेकनोलाजी बेचता है साल 2020 तक नोकिया 100 से भी जादा टेलिकॉम कंपनी के साथ डील कर चुका था और 2024 तक आते आती ये नमबर 300 से भी उपर पहुँच गई है आज नोकिया चीन को छोड़ कर बाकी ग्लोबल 5G मार्केट के 29% हिस्से पर कबजा कर चुकी है इसका मतलब है कि कि दुनिया के हर सौ में से 29 नेटवर्क्स नोकिया के टेकनॉलॉजी का यूज कर रहे हैं इन डील्स के जरिये नोकिया ने अर्बो रुपए कमाए और खुद को फिर से फाइनेंसली मजबूत बनाया क्योंकि नोकिया का रेवेन्यू जो कभी गिर कर 14 बिलियन डॉलर्स के नीचे आ गया था वो 2022 में अल्मोस्ट डबल होकर 26 बिलियन डॉलर्स को क्रॉस कर गया और ये सब फॉसिबल हो पाया राजी उस्सूरी के विजन और डेडिगेशन की वज़ा से राजी उस्सूरी की लीडर्सिप के अंडर नोकिया का 5G में इन्वेस्ट करना उनकी सबसे बड़ी जीत सावित हुई बाकी दोस्तों इसी तरह अगर आप जानना चाहते हैं