साइटोस्केलेटन
परिभाषा
- साइटोस्केलेटन का मतलब होता है स ेल का ढांचा।
- यह मुख्य रूप से युक्रियोटिक कोशिकाओं में होता है।
साइटोस्केलेटन के प्रकार
- माइक्रोट्यूब्यूल
- माइक्रोफिलामेंट
- इंटरमीडिएट फिलामेंट
1. माइक्रोट्यूब्यूल
- परिभाषा: प्रोटीन संरचना जो सेल के ढांचे को प्रदान करता है।
- स्ट्रक्चर: 13 प्रोटीन के फिलामेंट से बना होता है (अल्फा और बीटा ट्यूबुलिन)।
- कार्य:
- यांत्रिक समर्थन प्रदान करना।
- सेल की गति में मदद करना।
- स्पिंडल फाइबर्स का निर्माण करना।
2. माइक्रोफिलामेंट
- परिभाषा: प्रोटीन संरचना जो सेल को समर्थन देती है।
- स्ट्रक्चर: एक्टिन प्रोटीन से बना होता है।
- कार्य:
- प्लाज्मा मेंब्रेन को समर्थन देना।
- साईटोप्लाज़्म की गति में मदद करना।
- अमीबॉइड गति में मदद करना।
3. इंटरमीडिएट फिलामेंट
- परिभाषा: प्रोटीन संरचना जो न्यूक्लियस को समर्थन देती है।
- स्ट्रक ्चर: एसिडिक प्रोटीन से बना होता है।
- कार्य:
- न्यूक्लियस को संरचनात्मक समर्थन देना।
- क्रोमैटिन का स्कैफोल्ड बनाना।
सेंट्रोसोम और सेंट्रियोल
- परिभाषा: वे नॉन-मेम्ब्रेनस संरचना हैं।
- स्ट्रक्चर: 2 सिलेंड्रिकल स्ट्रक्चर (सेंट्रियोल्स) 90 डिग्री पर व्यवस्थित होते हैं।
- कार्य:
- स्पिंडल फाइबर का निर्माण करना।
- बेसल बॉडी का निर्माण करना।
सीलिया और फ्लैजेला
- परिभाषा: ये प्लाज्मा मेंब्रेन के एक्सटेंशन हैं।
- स्ट्रक्चर: सीलिया में 9+2 व्यवस्था होती है, जबकि फ्लैजेला में 9+2 व्यवस्था होती है।
- कार्य:
- सीलिया: सैल की गति में मदद करते हैं।
- फ्लैजेला: जल में गति में मदद करते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- साइटोस्केलेटन का मुख्य कार्य सेल की संरचना और गति को बनाए रखना है।
- तीन प्रकार के साइटोस्केलेटन होते हैं जो विभिन्न कार्यों में मदद करते हैं।
- मेटाबॉलिज्म और सेल डिवीजन में साइटोस्केलेटन का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
निष्कर्ष
साइटोस्केलेटन एक महत्वपूर्ण संरचना है जो सेल के समर्थन, गति और विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।