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History and Impact of the Turkish Invasion

टर्किश इनवेजंस द एज ऑफ कॉन्फ्लेट 1000 टू 128 800 एडी से 1000 एडी के बीच हुई नॉर्थ इंडिया के डोमिनेशन के लिए ट्रा पर्टाइट स्ट्रगल के बारे में हमने पिछले लेक्चर में जाना जो नॉर्थ इंडिया की तीन मेन पावर्स यानी पार्लर्स राष्ट्रकूटस और प्रतिहारस के बीच हुई 200 साल चली इस स्ट्रगल के एंड में यानी लगभग 1000 एडी में तीनों एंपायर वीक हो गए और नॉर्थ इंडिया में एक तरह का पॉलिटिकल डिसइंटीग्रेशन हो गया इसके अलावा वेस्ट और सेंट्रल एशिया के पॉलिटिकल सिनेरियो में भी हमें रैपिड चेंजेज देखने को मिले इन सिचुएशंस के चलते टक्स का नॉर्थ इंडिया में इनकर्जन स्टार्ट हुआ आज की इस कहानी में हम 1000 से 1200 एडी के बीच हुए टर्किश इनवेजंस की बात करेंगे और देखेंगे कि कैसे इस पीरियड के एंड में इंडिया में टक्स का रूल सेट अप हुआ सबसे पहले ब्रीफ में देखते हैं कि वेस्टर्न और सेंट्रल एशियन रीजन और दूसरी तरफ नॉर्थ इंडियन रीजन में क्या चेंजेज हुए जिनके कारण इवेडर्स ने इंडिया को इन्वेद किया बैक ड्रॉप टू इनवेजंस नाइंथ सेंचुरी के एंड में वेस्ट एशिया का अब्बास द कैलिफेट्स में था इसकी जगह एक सीरीज ऑफ स्टेट्स ने ली जिन पर इस्लामा इज्ड टक्स का रूल था सेंट्रल अथॉरिटी के डिक्लाइन के बाद प्रोविंशियल गवर्नर्स ने अपने आप को असर्ट किया और इंडिपेंडेंट स्टेटस असम करना स्टार्ट कर दिया अंपायर्स रैपिड राइज और फॉल हो रहे थे और टर्किश ट्राइब्स का कंटीन्यूअस इनकर्जन चालू था यह टर्किश ट्राइब्स रथसप्तमी का फेज स्टार्ट हुआ जिसके कारण नॉर्थ वेस्टर्न बॉर्डर में टर्किश एक्सपेंशन पर अटेंशन नहीं दिया गया नाइंथ सेंचुरी के एंड तक काबुल कांधल और और उसके साउथ के एरियाज को अलहिंद या इंडिया का पार्ट माना जाता था इस एरिया में कई हिंदू और बुद्धिस्ट श्राइन थे जिनमें से सबसे इंपॉर्टेंट थी बुद्ध की 53.5 मीटर टॉल स्टैचू ऑफ बामिया सेंट्रल एशिया की रिवर ऑक्सस जिसको आज अमु दरिया कहा जाता है तक के एरिया को कई डायनेस्टीज रूल कर रही थी जिनमें से कुछ ने अपना डिसेंट कनिष्क से क्लेम किया एथ सेंचुरी से ही इस रीजन में वहां के लोकल रूलरसोंग्स के बीच टसल चल रहा था इस तरह इंडिया के नॉर्थ वेस्टर्न बॉर्डर के दोनों साइड लगातार सिचुएशन अनस्टेबल रही एक तरफ प्रतिहार एंपायर के डिक्लाइन के बाद हुआ पॉलिटिकल डिसइंटीग्रेशन और दूसरी तरफ इस्लामा इज्ड टक्स का एक्सपेंशन के लिए बढ़ता एंबिशन अब आगे बढ़ते हैं और देखते हैं वेस्ट एशियन गजनवीद एंपायर के बारे में जिनका इंडिया के प्लंडर में मेजर हाथ रहा द गजनवीड्स नाइंथ सेंचुरी के एंड में ट्रांस ऑक्सिया खुरासान और ईरान के कुछ पार्ट्स समानिया डिसेंट का मानते थे नॉर्थ और ईस्टर्न फ्रंटियर्स में वह लगातार नॉन मुस्लिम ट्राइब्समैन से बैटल कर रहे थे इसी बीच एक नए तरह के सोल्जर्स गाजी उभर कर आए जो फाइटर्स होने के साथ ही मिशनरीज भी थे सम्मानित गवर्नर्स में से एक टर्किश स्लेव था अल्पतिजिन जिसने समय के साथ अपना एक इंडिपेंडेंट किंगडम में सेट अप किया इनका मेन मकसद था इस्लामिक लैंड्स को प्रोटेक्शन देना इसी कॉन्टेक्स्ट में 998 से 1030 के बीच महमूद गजनी की थ्रोन पर बैठा महमूद के रूल में रेनियम पेट्रियट जम और पर्जन लैंग्वेज और कल्चर का रिसर्जेंस हुआ यानी टक्स अब ना सिर्फ इस्लामा इज्ड थे बल्कि पसिना इज्ड भी हो गए यही कल्चर टक्स 200 साल बाद इंडिया में लाने वाले थे एक तरफ जहां महमूद को मिडिवल मुस्लिम हिस्ट रियंस ने इस्लाम का हीरो माना वहीं दूसरी ओर इंडिया में उसकी मेमोरी एक प्लंडरर और डिस्ट्रॉयर ऑफ टेंपल्स की है ऐसा कहा जाता है कि महमूद ने 17 बार इंडिया में रेड्स की इनिशियली यह रेड्स हिंदू शही रूलरसोंग्स आनंदपाल को 1009 में महमूद ने डिफीट किया यह बैटल डिसाइसिव रही क्योंकि इस बैटल में शाही का वर्चस्व खत्म हुआ और महमूद ने झेलम तक अपनी टेरिटरी एक्सपेंड कर ली एक नोटवर्थी बात यह रही कि कोई भी राजपूत रूलर ने शाही की मदद नहीं की और गुर्जर प्रतिहार के कमजोर होने के कारण भी शाही ने यह बैटल ऑलमोस्ट अकेले ही लड़ा 105 से अगले 6 साल तक महमूद ने इंडो गजेट प्लेंस में कई एक्सपेडिन किए रिच टेंपल्स और टाउंस को लूटा जिससे उसको सेंट्रल एशियन वॉर्स में मदद मिली उसकी सबसे डेयरिंग रेड्स 108 में कन्नौज और 1025 में सोमनाथ गुजरात की रेड्स थी कोई भी स्ट्रांग स्टेट नहीं होने के कारण महमूद ने बिना किसी रेजिस्टेंस के रेड्स को अंजाम दिया लेकिन किसी भी स्टेट को एनेक्स नहीं किया इंडो गंजे रीजन गजनी से दूर होने के कारण इनको एनेक्स नहीं किया लेकिन नॉर्थ वेस्ट इंडिया के कुछ रीजंस को जरूर उसने एनेक्स किया 1025 की सोमनाथ की रेड में महमूद राजपूत्स को शौक देने के ऑब्जेक्टिव से आया वहां उसने शिवलिंगम को डिस्ट्रॉय कर दिया वापसी में उसको रेजिस्टेंस देने वाले जाट्स को उसने एक साल बाद वापस आकर पनिश किया 1030 में उसकी डेथ हुई दोस्तों यहां यह समझना जरूरी है कि नॉर्थ वेस्ट इंडिया यानी पंजाब और मुल्तान के कॉंक्ड ने नॉर्थ इंडिया की पॉलिटिक्स को कंप्लीट चेंज कर दिया टक्स ने पहली बार नॉर्थ वेस्ट इंडिया की माउंटेंस को क्रॉस किया और इंडो गजेट रीजन तक के एरिया को ओपन कर दिया इसके बावजूद अगले 150 साल तक टक्स इस रीजन तक अपनी कॉक्वेस्ट एक्सटेंड नहीं कर पाए इसके मेन कारण थे सेंट्रल एशिया और नॉर्थ इंडिया में चल रही पॉलिटिकल टसल और इंस्टेबिलिटी सेलजुक एंपायर से डिफीट के बाद गजनवीद एंपायर भी श्रिंक होकर गजनी और पंजाब तक सीम रह गया तो दोस्तों ब्रीफ में एक बार अगर देखें तो महमूद गजनी की रेड्स की इफेक्ट्स कुछ इस प्रकार थे खाबर पास जो कि एक तरह से गेटवे ऑफ इंडिया था वह अब परमानेंटली फॉरेनर्स के कब्जे में आ गया था इंडिया के राजपूत स्टेट्स डिफीट हो चुके थे और डिमराइज भी इंडिया की पॉलिटिकल डिवीजन और डिस यूनिटी अब फॉरेनर्स के सामने एक्सपोज हो चुकी थी सिटीजंस का होलसेल मासेकर हुआ सिटीज और टेंपल्स को लूटा गया और इस्लाम में फोर्सेबल कन्वर्जंस देखने को मिले तो ओवरऑल अभी तक हमने देखा कि कैसे महमूद अ गजनी ने इंडिया को इवेट तो किया पर टक्स नॉर्थ इंडिया में अपना रूल सेटअप नहीं कर पाए पर इसके चलते नॉर्थ इंडिया में कई राजपूत स्टेट्स उभर कर आए आइए जानते हैं इनके बारे में द राजपूत स्टेट्स प्रतिहार एंपायर के ब्रेक होने के बाद नॉर्थ इंडिया में कई राजपूत स्टेट्स एसिस्टेंसिया ड़ वालास ऑफ कन्नौज परमार्स ऑफ मालवा और चौहानस ऑफ अजमेर कुछ स्मॉल डायनेस्टीज भी सेटअप हुई जैसे कालाचूरी ऑफ जबलपुर चंदेलास ऑफ बुंदेलखंड चालुक्यास ऑफ गुजरात तोमर्स ऑफ दिल्ली एट्र बंगाल पाला के रूल में ही रहा और कुछ समय बाद वहां सेनाज का रूल सेटअप हुआ अपने पीक पर ाद वार किंगडम बिहार के मुंगेर से दिल्ली तक एक्सटेंड करता था इसके ग्रेटेस्ट रूलर थे गोविंद चंद्र फ्रॉम 1114 टू 1155 कन्नौज इसकी कैपिटल थी और बनारस सेकंड कैपिटल ड वार्स गजनवीद रेड्स के सबसे बड़े डिफेंडर माने जाते हैं चौहानस ने 10थ सेंचुरी के एंड में नाडोल में अपनी कैपिटल सेटअप की विग्रहराज जो कि चौहानस के ग्रेटेस्ट रूलर में से माने जाते हैं ने अजय मेरू यानी प्रेजेंट डे अजमेर में अपनी कैपिटल सेटअप की विग्रह राज ने दिल्ली के तोमर्स को 1151 में डिफीट करके दिल्ली को कैप्चर किया मालवा के परमार्स के फेमस रूलर भोज से विग्रहराज लगातार कॉन्फ्लेट में रहे चौहानस के सबसे फेमस रूलर रहे पृथ्वीराज द थर्ड जिन्होंने 1177 में थ्रोन संभाली थ्रोन संभालते ही पृथ्वीराज ने एक्सपेंशन की विगस पॉलिसी को स्टार्ट कर दिया इसके चलते कई छोटे-छोटे राजपूत स्टेट्स को उन्होंने अपने अंडर में कर लिया लेकिन लेकिन गुजरात के चालुक्य रूलरसोंग्स में रहे इन्हीं राइवल्रीज के कारण राजपूत रूलरसोंग्स और राजपूत से स्ट्रगल के बारे में मोहम्मद अफ गूर रीतस की शुरुआत गजनी के वसल्स यानी एक तरह के जागीरदार के रूप में हुई लेकिन जल्दी ही उन्होंने गजनवीद एंपायर को खत्म कर दिया इस दौरान ईरान में एक नया एंपायर क्रिएट हुआ रजमी एंपायर जिन्होंने रीस के सेंट्रल एशियन एमिशंस पर रोक लगाई इसके चलते अब रीजस के पास इंडिया की तरफ एक्सपेंशन करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था 1173 में शहाबुद्दीन मोहम्मद और मोहम्मद अफ गूर फ्रॉम 1173 टू 1206 ने गजनी की थ्रोन संभाली गोमल पास के रास्ते से होकर मुल्तान और उच्च को कंकर किया 1178 में मोहम्मद गौरी ने गुजरात में पेनिट्रेट करना चाहा पर गुजरात रूलर ने उसको माउंट आबू के पास हुई एक बैटल में डिफीट किया और वापस लौटने पर मजबूर कर दिया 1190 तक मोहम्मद पेशावर लाहौर और सियालकोट को कंकर करके डेल्ली और गजेट दवाब पर अटैक करने के लिए रेडी हो गया वहीं दूसरी तरफ नॉर्थ इंडिया में भी चौहानस की पावर लगातार बढ़ती जा रही थी उन्होंने लार्ज नंबर ऑफ टक्स को डिफीट किया जिन्होंने राजस्थान को इवेडर की कोशिश की चौहानस दिल्ली को 1151 में ऑलरेडी कंकर कर चुके थे दिल्ली के तोमर्स को डिफीट करके इस तरह चौहानस के पंजाब की तरफ एक्सपेंशन से उनका डायरेक्ट कॉन्फ्लेट गरीद रूलर से हुआ मोहम्मद अवूर और उस समय के चौहान रूलर पृथ्वीराज चौहान के बीच बैटल अब इनएविटेबल था और यह बैटल शुरू हुई तबर हिंद फोर्ट के क्लेम से यह फोर्ट आज के पंजाब के भटिंडा में सिचुएटेड है 1191 में फर्स्ट बैटल ऑफ तराई में चौहानस ने गरीद फोर्सेस को डिफीट कर दिया लेकिन रीतस को पंजाब से रिमूव करने की कोशिश नहीं की एक साल में मोहम्मद ने अपनी फोर्सेस को रिग्रुप किया और 1192 में सेकंड बैटल ऑफ तराई हुई यह बैटल इंडियन हिस्ट्री का एक टर्निंग पॉइंट माना जाता है इंडियन फोर्सेस की स्ट्रेंथ ज्यादा थी लेकिन टर्किश आर्मी वेल ऑर्गेनाइज्ड थी इसके और भी कुछ कारण थे जो हम लास्ट सेक्शन में देखेंगे इन रीजंस के कारण चौहानस की डिफीट हुई और टर्किश आर्मीज ने अजमेर को कंकर कर लिया कुछ समय तक पृथ्वीराज को अजमेर पर रूल करने दिया गया जल्द ही कंस्पिरेशन के चार्ज में फंसाकर पृथ्वीराज को एग्जीक्यूट करवा दिया गया इस तरह कुछ ही समय में दिल्ली और ईस्टर्न राजस्थान का एरिया टर्किश रूल में आ गया यहां तक कांकर करने के बाद अब टर्किश फोर्सेस ने गंगा वैली यानी बिहार और बंगाल तक के एरिया को अपना टारगेट बनाया आइए देखते हैं कैसे इस रीजन को टक्स ने कंकर किया टर्किश कनक्स ऑफ द गंगा वैली 1192 से 1206 के बीच टर्किश रूल अब गंगा जमुना दवाब और उसके आसपास के एरिया तक एक्सटेंड हो चुका था बिहार और बंगाल को भी ओवर रन कर दिया गया दुआ में खुद को एस्टेब्लिश करने के लिए सबसे पहले टक्स को कन्नौज के पावरफुल वाला किंगडम को डिफीट करना था घाड़ वाला रूलर जयचंद्र ने दो डिकेड्स तक शांति से रूल किया तराय की बैटल के बाद मोहम्मद गौरी गजनी लौट गया और इंडियन अफेयर्स को उसके एक ट्रस्टेड स्लेव कुतुबुद्दीन ऐबक के हाथों सौंप दिया 1194 तक टक्स ने सबसे पहले अपर दोआब में कब्जा किया जिसके लिए गड़वाला ने कोई भी अपोजिशन नहीं किया इसी साल मोहम्मद इंडिया वापस आया 50000 की कैवल यानी घुड़सवार सेना के साथ जमुना को क्रॉस करके कन्नौज की तरफ मूव करने लगा कन्नौज के पास चंदावा में जयचंद्र और मोहम्मद के बीच फियस बैटल हुआ जिसमें जयचंद्र की एरो से डेथ हो गई और उसकी आर्मी की डिफीट हुई इसके बाद मोहम्मद बनारस की ओर बढ़ा और सिटी को डिस्ट्रॉय करके वहां के टेंपल्स को डिस्ट्रॉय कर कर दिया इस तरह बिहार के बॉर्डर्स तक की ह्यूज टेरिटरी में अब टक्स का रूल सेट अप हो गया बैटल ऑफ तराई और चंदवार ने ही नॉर्थ इंडिया में टर्किश रूल के फाउंडेशन को सेट अप किया 1206 में अपनी डेथ तक मोहम्मद ने बयाना और ग्वालियर के फोर्ट्स को ऑक्यूपाइड साइड से प्रोटेक्शन देने वाले थे कुछ समय बाद ऐबक ने कलिंजर महोबा और खाजू राहु को चंदेल रूलर से कंकर किया दोआब में बेस बनाने के बाद टक्स ने नेबरिंग एरियाज में कई रेड्स की गुजरात के रूलर भीमा द सेकंड को 1197 में ऐबक ने डिफीट किया और कई टाउंस को डिस्ट्रॉय किया और प्लंडर किया एज कंपेयर टू वेस्टर्न इंडिया टक्स ईस्ट में ज्यादा सक्सेसफुल रहे बनारस के बियोंड के एरियाज के इंचार्ज बख्तियार खल जीी ने बिहार में फ्रीक्वेंसी के रूल में नहीं था इन रेड्स में उसने बिहार नालंदा और विक्र शिला की कुछ फेमस बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्रीज पर अटैक कर डिस्ट्रॉय कर दिया इसके बाद खल जीी ने 1204 में नादिया में सीना रूलर लक्ष्मण सेना को डिफीट किया और सेना कैपिटल लखनौती को ऑक्यूपाइड पुुप वैली में एक्सपेंशन करना चाहा जो कि उसके लिए खतरनाक साबित हुआ असम के माग रूलरसोंग्स और खल जीी चीफ नॉर्थ इंडिया में एक्सपेंशन कर रहे थे तब मोहम्मद सेंट्रल एशिया में गरीद एंपायर का एक्सपेंशन कर रहा था 1203 में रजमी एंपायर ने मोहम्मद गौरी को डिफीट किया जिसके बाद इंडिया में उसके कई अपोनेंट्स ने रेबल करना चालू कर दिया इनमें से एक वेस्टर्न पंजाब की ट्राइब थी खोखर्स जिन्होंने लाहौर और गजनी के बीच कम्युनिकेशंस ब्रेक कर दिए 1206 में मोहम्मद गौरी ने इंडिया में अपना लास्ट कैंपेन किया जिसमें वो खोखर्स से डील करने आया उसने खोखर्स का लार्ज स्केल स्लॉटर करवाया और वापसी के समय उसका एसिनेट हो गया तो इस तरह टर्किश आर्मी ने एक-एक करके पूरे नॉर्थ इंडिया में अपना रूल सेटअप किया मोहम्मद गौरी की डेथ के बाद भी उसके रॉयल स्लेव्स ने उसकी प्लंडर और कोंक्स की लेगासी को बनाए रखा दोस्तों सिर्फ 15 साल में नॉर्थ इंडिया के सभी लीडिंग स्टेट्स का टर्किश आर्मीज के द्वारा डिफीट होना कोई आम बात नहीं थी तो आइए एक नजर डालते हैं राजपूत रूलरसोंग्स के कंपैरिजन में इकोनॉमिकली और मिलिटर बैकवर्ड हो रिसेंट रिसर्च से पता चलता है कि टर्क के पास इंडियंस के कंपैरिजन में कोई सुपीरियर वेपन नहीं थे आयन स्टेर अपस का स्प्रेड इंडिया में एथ सेंचुरी में हो चुका था टर्किश बोज लॉन्ग डिस्टेंस तक एरोज को शूट कर सकते थे लेकिन इंडियन बोज ज्यादा एक्यूरेट और डेडली थे जिसमें एरोज को पॉइजन में डिप किया जाता था हैंड टू हैंड कॉम्बैट में इंडियन सर्ड्स दुनिया की बेस्ट सर्ड्स मानी जाती थी इंडियंस के पास एलिफेंट्स का भी एडवांटेज था लेकिन यह पॉसिबल है कि टक्स के स्विफ्ट और स्टर्डी थे इंडियंस की मेन वीकनेस थी सोशल और ऑर्गेनाइजेशनल वीकनेस बढ़ते फ्यूड इजम के कारण लोकल लैंडे एलिमेंट्स और चीफ बढ़ते चले गए जिसके चलते एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर और मिलिट्री ऑर्गेनाइजेशन वीक हो गया रूलरसोंग्स की तरह मूव करने की प्रैक्टिस नहीं थी जिससे वह लंबी डिस्टेंस तक जा पाते और फाइट और मनवर कर पाते राजपूत के पास हैवली आर्म्ड कैवल और माउंटेड आर्चर्स की लार्ज बॉडी भी नहीं थी दूसरी तरफ टक्स के ट्राइबल स्ट्रक्चर और एकता और खालिसा सिस्टम्स के कारण टक्स लार्ज स्टैंडिंग आर्मीज इकट्ठा कर सकते थे जो कि लंबे समय तक बैटल करने के लिए तैयार थी इता सिस्टम में एक टर्किश चीफ को एक पीस ऑफ लैंड अलॉट किया जाता आता था जिसे एकता बोलते थे स्टेट को दिए जाने वाले लैंड रेवेन्यू और टैक्सेस को टर्किश चीफ कलेक्ट करता था इसके बदले में उसको रूलर की सर्विस में एक बॉडी ऑफ ट्रूप्स मेंटेन करनी होती थी यह इता ग्रांट्स हेरेडिटरी नहीं थी खालिसा उन लैंड पीसे को बोलते थे जिनका रेवेन्यू डायरेक्ट सुल्तान के पास जाता था इन्हीं सिस्टम्स के कारण टर्किश आर्मीज हाईली सेंट्रलाइज्ड थी कई टर्किश ऑफिसर्स स्लेव्स थे जिनको वर फेयर के लिए ट्रेन किया गया था और सुल्तान की सर्विस में ग्रो हुए इन पर सुल्तान अपना टोटल ट्रस्ट रख सकता था अब आते हैं कंक्लूजन पर कंक्लूजन राजपूत की डिफीट और टक्स का इंडियन कॉंक्ड पिछली कुछ सेंचुरी के कॉन्टेक्स्ट में देखा जाना चाहिए 10थ सेंचुरी के एंड से ही टर्क ने इंडिया और उसकी मिलिट्री ऑर्गेनाइजेशन को ऑब्जर्व करना स्टार्ट कर दिया था राजपूत्स ने टक्स के खिलाफ स्टिफ्ट की किया और कई बार टर्किश आर्मीज को डिफीट भी किया लेकिन ऐसा कहा जा सकता है कि राजपूत्स में स्ट्रेटेजिक विजन मिसिंग था काबुल और लाहौर जो कि इंडिया की आउटर बाउंड्रीज थी उनको टर्क द्वारा कैप्चर करने के बाद भी राजपूत्स ने इन रीजंस को रिकवर करने का कोई भी अटेंप्ट नहीं किया और पंजाब से गजनवीद को रिमूव करने के लिए भी कोई खास स्टेप नहीं लिया राजपूत की नजर सिर्फ इंडिया में फिक्स्ड रही और सेंट्रल एशिया में हो रहे डेवलपमेंट्स पर उनका ध्यान कम ही रहा जबकि सेंट्रल एशिया में होने वाले पॉलिटिकल चेंजेज ने हमेशा ही इंडिया की हिस्ट्री में एक की रोल प्ले किया इन्हीं कारणों के चलते टक्स ने अगले 200 साल तक नॉर्थ इंडिया में राज किया