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समकालीन लोकतंत्र का एलीट सिद्धांत
Mar 27, 2025
समकालीन लोकतंत्र के सिद्धांत
परिचय
वीडियो में समकालीन लोकतंत्र के सिद्धांतों पर चर्चा की गई है, विशेष रूप से
एलीट सिद्धांत
पर।
पारंपरिक सिद्धांत लोकतंत्र को एक शासन प्रणाली के रूप में मानते हैं और इसे नैतिक दृष्टि से सही ठहराते हैं।
समकालीन सिद्धांत समाजशास्त्रीय खोजों और नैतिक आलोचनाओं के आधार पर लोकतंत्र का विश्लेषण करते हैं।
एलीट सिद्धांत
विलफ्रेडो परेटो
ने एलीट और मास्सेस के बीच के अंतर को स्पष्ट किया।
समाज को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
एलीट/अल्पसंख्यक
: उच्च श्रेणी के लोग जिनका समाज पर प्रभाव होता है।
मास्सेस/बहुसं ख्यक
: सामान्य जनता जिन्हें एलीट नियंत्रित करते हैं।
एलीट लोगों में नेतृत्व और जिम्मेदारी लेने की क्षमता होती है जो मास्सेस में नहीं होती।
कार्ल मैनहाइम के विचार
मैनहाइम ने लोकतंत्र और एलीट के बीच संतुलन की बात की।
लोगों का सीधा सरकार में भाग नहीं होता पर चुनावों के माध्यम से अपनी इच्छाएं व्यक्त कर सकते हैं।
नेताओं का चयन उनकी योग्यता के आधार पर होना चाहिए।
जोसेफ शम्पीटर के विचार
लोकतंत्र में अंतिम निर्णय राजनीतिक लीडर्स द्वारा लिया जाता है।
जनता का मुख्य कार्य अपने नेताओं का चयन करना होता है।
लीडर्स को पूर्ण नियंत्रण नहीं दिया जाता और उन्हें जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए नीतियां बनानी पड़ती हैं।
रेमंड एरन के विचार
उन्नत लोकतांत्रिक सिद्धांत में चेक्स एंड बैलेंस का महत्व है।
विभिन्न संस्थान एक दूसरे पर नजर रखते हैं जिससे लोकतंत्र में विविधता बनी रहे।
पश्चिमी लोकतंत्र में एलीट विभाजित होते हैं जिसका समाज पर प्रभाव पड़ता है।
जियोवानी सार्टोरी के विचार
लोकतंत्र का मुख्य तत्व प्रतिस्पर्धात्मक लीडर्स हैं।
लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा लीडरशिप के अभाव से होता है।
एलीट्स लोकतंत्र का मूल होते हैं और उनका चुनाव ही लोकतंत्र की दिशा तय करता है।
निष्कर्ष
एलीट सिद्धांत के अनुसार, लोकतंत्र में एलीट का नियंत्रण होता है और मास्सेस का काम उन्हें चुनना होता है।
एलीट और लोकतंत्र के बीच संतुलन आवश्यक है ताकि लोकतंत्र सही दिशा में बढ़ सके।
यह समझना आवश्यक है कि लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए लीडरशिप का उपस्थित होना महत्वपूर्ण है।
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