हेलो फ्रेंड्स, दोस्तों आज की इस वीडियो में हम देखेंगे के रेड ब्रिक्स, फ्लाईस ब्रिक्स, एसी ब्लोक्स, सीलसी ब्लोक्स और सोलिड कॉंक्रीट ब्लोक्स में क्या डिफरेंसीज हैं और आपके घर के लिए इन में से सबसे बेस्ट क्या रहेगा तो वीडियो में बने रहें, चलिए ज्यादा समय नए खराब करते हुए वीडियो को सुरू करते हैं नमबर वन है रॉ मेटेरियल तो अगर रेड ब्रिक्स की बात करें, जिनने फायर क्ले ब्रिक्स भी कहा जाता है रेड ब्रिक्स को बनाने के लिए मिनिक चार मेटेरिल चाहिए होते हैं क्ले, शेल, वाटर और कमब्स्टीबल मेटेरियल कले इसका सबसे primary raw material होता है जिसके लिए local available natural soil यूज़ की जाती है कभी-कभी bricks की properties को बढ़ाने के लिए इन्हें shale भी mix जा जाता है shale एक fine-grained sedimentary rock होती है जो bricks और clay की strength और plasticity को बढ़ाने के साथ साथ help करती है drying और finishing process के समय shrinkage को कम करने में तीसरा पानी mix किया जाता है clay और shale को bricks की form में shape देने के लिए जो एजे बांडर एक्ट करता है और चोटा है कमश्टिबल मेटियल्स ब्रिक्स को हार्ड करने और स्टेंट देने के लिए इन्हें फाइड किल में एक हाई टेंपरेचर पर 900 से 1200 डिग्री सेल्सियस तक पकाया जाता है जिनमें कमश्टिबल मेटियल जैसे कोईला लकड़ी और अधर फ्यूल यूज के जाते हैं सेकंड फ्लाई एस ब्रिक्स फ्लाई एस सिमिट सैंड और वाटर वहीं AAC ब्लॉक्स सिमेट सैंड लाइम एलूमिनियम पाउडर वाटर और एरेजन एजेंट के मिक्चर से तैयार किया जाते हैं वहीं CLC ब्लॉक्स यानि के सेलुलर लाइटवेट कंक्रीट ब्लॉक्स सिमेट सैंड वाटर और फॉर्मिक एजेंट के मिक्चर से बनाए एंड एग्रिगेट और वाटर एमिक्चर से तैयार के जाते हैं नेक्स्ट है सेप और साइज रेट ब्रिक्स और फ्लायस ब्रिक्स के स्टेंडर्ड मोडलर और नोन मोडलर दोनों साइज सेम ही रहते हैं जो 190 x 90 x 90 mm और 190 x 90 x 40 mm के standard modular size और 230 x 110 x 75 mm और 230 x 110 x 30 mm non-standard modular sizes में बनाई जाती हैं हाँ इनमें red bricks का shape और size इतना accurate नहीं मिल पाता क्योंकि लेबर द्वारा manually तैयार की जाती हैं पर flyers bricks का shape और size red bricks के comparison में बिल्कुल perfect रहता है ऐसे ही AC blocks और CLC blocks इन दोनों के size भी same रहते हैं AC blocks और CLC blocks मिली चार तरह के size में आते हैं पहला size है 625 x 200 x इंटू सो एमेम इसे हम चारीज के ब्लॉक के नाम से जानते हैं सेकंड साइज है 625 इंटू 200 इंटू डेट्स एमेम का इसे हम चेंज के ब्लॉक के नाम से जानते हैं थर्ड है 625 इंटू 200 इंटू 200 एमेम जिसे हम आठ इंच के ब्लॉक के नाम से जानते हैं और चोटा है 625 इंटू 200 इंटू 227 इसे हम नोएंच के ब्लॉक के नाम से जानते हैं इसके अलावा 400-600 इंटू वाइज हाइट 200-300 इंटू और विट सो से ढाई सो अब तक के साइज में भी एसी ब्लॉक बनाए जाते हैं जो साइज मैनुफेक्चर टू मैनुफेक्चर डिपेंड करते हैं और सोलिट कोंक्रीट ब्लॉक्स की लेंथ 400-600 एमेम तक हाइट 200-100 एमेम तक और विट्ठ 50-300 एमेम के स्टेंडर्ड साइज में अवेलेबल रहती है यह भी मैनुफेक्चर टू मैनुफेक्चर डिफरेंट हो सकती है नेक्स्ट कंप्रेसिव स्टेंड कंप्रेसिव स्टेंड का मतलब है कि कौन सी ब्रिक कितना लोड बियर कर सकती है जिसमें रेड ब्रिक की कंप्रेसिव स्टेंड टू पंट 5 टू 10 न्यूटन पर एमेम स्क्वेयर या आप कहा सकते हैं कि 35 सो केजी 35 N per mm2 तक प्रोवाइड करता है पर मार्किट में रेड ब्रिक्स की मैक्सिमम कॉंप्रेसिव स्टेंथ 7.5 N per mm2 तक ही अवेलेबल रहती है सेकिन फ्लाईस ब्रिक्स की कॉंप्रेसिव स्टेंथ नॉर्मली क्ले ब्रिक के मुकाबले 3 गुना जादा होती है जो 10-12 N per mm2 तक होती है यानि के 100-120 Kg per cm2 तक AC ब्लोक की कॉंप्रेसिव स्टेंथ 3-5 N per mm2 और 30-50 Kg per cm2 तक रहती है compressive strength इसकी density के base पर vary करती है, जो 2.5 to 3 newton per mm square और 25 to 30 kg per cm2 तक रहती है, और solid concrete block की compressive strength, 3 to 7 newton per mm square और 30 to 70 kg per cm2 तक रहती है, अब इन सभी की compressive strength totally depend करती है, इनके mix design, इनकी density, manufacturing process और curing condition पर, यहाँ पर समझने वाली बात यह है, कि सबसे ज़्यादा strength fly ash brick की होती है, और red bricks second number पर है, और थर्ड नंबर पर है solid concrete block, सबसे कम strength यहाँ पर CLC block और AC block की रहती है, पर इससे आप यह direct मत मान लेना कि AC block बेकार होते हैं, क्योंकि AC blocks वहीं पर बहुत ज़्यादा consider के जाते हैं, जहाँ पर ज़्यादा compressive strength की जुरूर नहीं होती, और हमें building का load कम करना होता है, इसे हम आ� नेक्स्ट है मोटार कंजॉप्शन रेड ब्रिक्स में इसके प्रोपर सेप और साइज में नाई होने के कारण और नंबर जॉइंट्स भी ज्यादा होने के कारण इसमें ज्यादा मोटार कंजॉप्शन होती है और इसके इरेगुलर सर्फेसिस के कारण इसमें प्लास्टर की इन सब में मोटार कम रिक्वाइड होती है इनके फ्लैट इवन परफेक्ट सरफेज और नमबर आफ जॉइंट कम होने के कारण इससे लेवर कोश्ट तो कम लगती है साथ ही साथ काम भी फास्ट होता है और तो और इनका सेप और साइज परफेक्ट होने के वज़े से प्रशिक्ष पर से ज्यादा नहीं होना चाहिए अच्छी क्वालिटी की इंट को अगर हम 24 घंटों के लिए पानी में डालकर छोड़ दें तो उसे उसके वजन से 20 परसेंट से ज्यादा पानी नहीं अब्जोर करना चाहिए यह एक अच्छी क्वालिटी 12% तक होती है इसके वजन से जो Red Bridge के comparison में लगबग आदी ही होती है एक AAC ब्लोक का water absorption इसके weight से 10% ज़्यादा नहीं होना चाहिए AAC ब्लोक अपने low water absorption property के कारण जाने जाते हैं इसलिए Humid और coastal areas में construction के लिए perfect रहते हैं और recommend के जाते हैं एक CLC ब्लोक का water absorption इसके weight से 7.5-12% तक ही होना चाहिए 800-1100 kg per cubic meter तक की density वाले cellular blocks का CLC blocks का water absorption सब bricks और blocks से कम रहता है जो CLC blocks की दिवारों में cracks आने को कम करता है और solid concrete blocks का water absorption भी इसके weight से 10% से कम ही रहता है यहाँ सबसे ज़्यादा water absorb करती है red bricks और fly ash bricks इसलिए red bricks और fly ash bricks से बने घरों में cracks और ceiling आने के chances सबसे ज़्यादा रहते हैं next है dry density एक red brick की dry density 1600 kg per m3 से लेकर 1920 kg per m3 तक vary करती है, जो bricks की class पर depend करती है, जैसे A class bricks की dry density होती है 1600-1720 kg per m3 तक, B class bricks की dry density होती है 1721-1820 kg per m3 तक, और C class bricks की dry density होती है 1821-1920 kg per m3 तक, एक flyers bridge की dry density 1700-2000 kg per cubic meter तक होती है, जो ordinary brick की density की तुलना में थोड़ी जादा होती है, पर इनकी compressive strength तीन गुना जादा होती है ordinary brick से. AC blocks अपनी low density की वज़े से काफी popular है, इनकी dry density की तुलना में थोड़ी जादा होती है, ड्राइडेंसिटी 550 केजी पर M क्यूब से 850 केजी पर क्यूबिक मेटर तक रहती है, जो डिपेंड करती है ब्लोक की क्लास पर, एक CLC ब्लोक के ड्राइडेंसिटी भी 600-800 केजी पर क्यूबिक मेटर तक वैरी करती है, जो ट्रेडिशनल क्ले ब्रिक्स और फ्लायस ये structure के overall load को कम करते हैं, अगर आप इन्हें construction में use करते हो तो, और एक solid concrete blocks की density, 1800-2500 kg per cubic meter तक होती है, ये density कभी भी 1800 kg per cubic meter से कम नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ये blocks load bearing structure में use के जाते हैं, और इनकी compressive strength भी 307 N per mm तक रखी जाती है, next are water uses during manufacturing, red bricks की manufacturing के साथ साथ, लगबग 1.5 लिटर तक पानी यूज होता है इससे नया सिर्फ एलेक्टिसिटी का बिल भड़ता है बलकि त्राई के लिए लेवर की कोस्ट भी एक्स्ट्रा हो जाती है पर फ्लायस ब्रिक्स की मैनिफेक्चरिंग में बहुत कम पानी यूज होता है पर हाँ साइट पर प्लेसिंग के समय इनमें पानी रिक्वायर होता है एसी ब्लोक क्योंकि स्टेम से क्योड किया जाते हैं जहां रैट ब्रिक्स में डाई लेटर पानी चाहिए पर क्योंकि में टर्क कंस्ट्रक्शन की तरह में वहीं एसी ब्लॉक में सिर्फ जीरो पॉइंट ट्री नाइन पानी ही रिक्वाइड होता है जिससे इलेक्ट्रिसिटी बिल भी कम होता है सीएसी ब्लॉक्स भी क्योंकि स्टेम सिक्योर के जाते हैं इसलिए इनकी मेजेनरी में भी पानी कम ही रिक्वाइड होता है और सोलिट कंक्रीट बातां पर नहीं होता है नेक्स्ट ब्रेकेज एंड यूटिलाइजेशन अपने बिटल नेचर के कारण रेड ब्रिक की ब्रेकेज ओन एन एवरेज 10-12% तक तो होती ही है अपने हैवी वेट और अन इवन सर्फेसिस के कारण इससे ज़्यादा भी हो सकती है जो टोटली ब्रिक्स की क्वालिटी पर डिपेंड करता है इसलिए रेड ब्रिक्स का 100% यूटिलाइजेशन पॉसिबल नहीं होता पर फ्लाईस ब्रिक्स में ट्रासपोर्ट और यूज के समय इनका 100% यूटिलाइजेशन पॉसिबल हैता है AC ब्लोक्स ब्रिटन नेचर के कारण ये आसानी से तूट जाते हैं ट्रास्पोर्टेशन की समय इसलिए इनका 100% यूटिलाइजेशन पॉसिबल नहीं होता AC ब्लोक्स का ब्रेकेज टोलरेंस 3% कि सेल्स ब्लॉक्स में भी ब्रेकेज बिल्कुल नेक बराबर रहती है इसलिए इनके लाइटवेट होने के कारण इन्हें हेंडल करना और ट्रांसपोर्ट करना इजी रहता है और सोलिट कंक्रीट ब्लॉक्स के हाइट एंसाइल और कंप्रेसिव परिणान के कारण इनकी ब्रेकेज बिल्कुल नेक बराबर रहती है इसलिए सोलिट कंक्री� किसी भी मेटरेल से हीट ट्रासफर होने की लिमिट को थर्मल कंडक्टिविटी कहते हैं। रेड ब्रिक्स की थर्मल कंडक्टिविटी 0.5 वाट पर मेटर केल्विन से 1 वाट पर मेटर केल्विन तक रहती है। इसलिए रेड ब्रिक्स थर्मल इंसुलेशन के लिए बहुती परफेक्ट रहती हैं। Lime और Flyers के बीच में Pozzolani की वैट के कारण ये कम Heat जर्नेट करती हैं, जिससे आपका घर सर्दियों में ठंडा रहता है, जो इंडिया क्लाइनमिट के लिए एकदम परफेक्ट होता है. AC ब्लोक की Thermal Connectivity 0.1 to 0.7 Watt per meter Kelvin तक रहती है. As per Indian Standard Code, इनकी Maximum Thermal Connectivity Limit 0.24 Watt per meter Kelvin तक है, ये बिल्डिंग को Thermal Insulated रखते हैं.
कि सेल्सी ब्लोक की थर्मल कंडक्टिविटी 0.32 टू 0.37 वाट पर मीटर कैल्विन तक रहती है जो पांच गुना बहतर है रेड ब्रिक से और दस गुना बहतर है कंक्रीट ब्लॉक से सेल्सी ब्लॉक कोल्ड स्टोरेज के लिए एकदम पर फैक्स लाइस है और सोलिट कंक्रीट ब्लॉक की थर्मल कंडक्टिविटी 0.72 वाट पर मीटर कैल्विन तक रहती है यानि कि सोलिट कंक्रीट ब्लॉक की थर्मल कंडक्टिविटी सबसे ज्यादा रहती है नेक्स्ट साउंड इंसुलेशन और Sound Insulation यानि के एक ऐसी प्रोपर्टी जो साउंड को अंदर जाने से रोखती है किसी भी मेटरियल से तो Red Bricks की Sound Insulation प्रोपर्टी बहुत ही अच्छी होती है इनके Dense Structure के कारण एक Red Brick की 6 इंच की दिवार 45 डेसिबल तक साउंड डिडूस करती है और 9 इंच की दिवार में 50 डेसिबल तक साउंड डिडूस करती है पर Flyers Bricks पूरी तरह Sound Proof नहीं होती इनके Porous Structure के कारण Flyers Bricks 37-49 डेसिबल तक साउंड डिडूस करती है एक 4 इंच की दिवार में पर AC ब्लोक की Sound Insulation प्रोपरिटी बहुत ही अच्छी रहती है। इन में Voids होने के कारण, AC ब्लोक एक 200mm थिक वॉल में 40-50dB तक Sound Reduce करते हैं। CLC ब्लोक की Sound Insulation प्रोपरिटी भी अच्छी होती है, जो इन ब्लोक की Density और Thickness पर डिपेंड रहती है। यह लगभग 37-42 डेसिबल तक साउंड डिजूस करते हैं एक 200mm थिक वॉल में और सोलिट कंक्रीट ब्लोक्स बहुत ही अच्छे साउंड इंसुलेटर होते हैं यह साउंड को पूरी तरह अब्जोर कर लेते हैं एक 150mm थिक वॉल में यह 51 डेसिबल तक साउंड डि� नेक्स्ट टर्माइट रेजिस्टेंट रेड क्ले ब्रिक्स टर्माइट रेजिस्टेंट नहीं होती क्योंकि नेचुरल क्ले में बनाई जाती है जो एक ऑर्गेनिक मेटरियल है वहीं फ्लाईएस ब्रिक्स पूरी तरह से टर्माइट रेजिस्टेंट नेक्स्ट है इन्वार्मेंटल इंपेक्ट, रेड ब्रिक्स एक ग्रीन पॉड़ड़ नहीं है, इसकी मैनिफेक्ट्रिंग इन्वार्मेंट पर एक बहुती नेग्डिव इंपेक्ट डालती है, जैसे डिफोर्सेशन, यानि कि मिट्टी के लिए वनों की कटाई, सोयल डिग् यह अभी पूरी तरह बैन नहीं हुई है फ्लायस ब्रिस्को बनाने में फ्लायस यूज की जाती है जो थर्मल पार्ट प्लाट से निकलती है तो इनकी मैनिफेक्ट्रिंग में यह वेस्ट यूटलाइज हो जाता है और इनकी मैनिफेक्ट्रिंग में CO2 भी कमी मिट होती है जिसकी मैनिफेक्ट्रिंग में एट्मोस्फेर में CO2 भी कमी मिट होती है जो फ्लाईस सोलिड वेस्ट की डंपिंग प्रोबलम को भी सोल करती है इसकी मैनिफेक्ट्रियर में भी कम मात्रा में CO2 इमिट होती है और सोलिड कंक्रिट ब्लोक की कास्टिंग के बाद कम से कम इसे साथ दिन क्योरिंग करना होता है इसलिए इनकी मैनिफेक्ट्रियर के समय इतना पानी यूज नहीं होता और लेस अमाउंड में CO2 इमिट होती है एट्मोस्फे नेक्स्ट है यूजिस, रेड ब्रिक्स क्योंकि बहुती स्ट्रोंग, हार्ड और डूरेबल रहती है, इसलिए इसे डिफरेंट स्ट्रक्चर के लिए यूज कर जा सकता है, जैसे रेजिडेंशियल बिल्डिंग, कमर्चल बिल्डिंग, ब्रीजिस, आर्चिस और फांडेशन इसलिए यह हाई राइज बिल्डिंग के लिए हाईली रिक्मेंट किया जाता है क्योंकि बिल्डिंग का डेड लोड कम करता है इसे इंटरनल और CLC blocks लोग कोस्ट housing और internal partition walls के लिए यूज के जाते हैं, इनके साससर जिन structure में एक अच्छी sound insulation की जूर्थ होती है, ये वहाँ भी यूज के जाते हैं, और solid concrete blocks दोनो load bearing और non load bearing walls के लिए यूज के जा सकते हैं, इसके साससर ये foundation की construction, piers, basement की दिवारे, retaining walls, garden walls, chimney और fireplaces की construction में भी मैजनरी यूनिट से सस्ती है पर इसकी ओवराल कंस्ट्रक्शन कोस्ट महंगी पड़ती है जो कि इसमें नमबर ओफ जॉइंट भी जादा होते हैं लेबर भी जादा लगती है टाइम भी जादा लगता है और मोटार भी जादा रिक्वाइड होती है दोनों प्लास्टिंग और जॉइंट्स में क्योंकि इनके bigger size और number of joints कम होने की वज़य से इन्हें plastering और joint में पहली बात तो मोटार कम रखती है, दूसरा size में बड़े होने के कारण और lightweight होने के कारण, same dimension की wall में AC block कम required होते हैं as comparison of red bricks and fly ash bricks. साती साती से time और labor दोनों बचता है और construction speed increase होती है. वैं एक CLC blocks बले ही महंगा है पर इसकी भी overall construction cost कम पड़ती है क्योंकि एक तो इसमें मोटार कम required होता है और दूसरा same dimension की wall में number of blocks भी कम ही required होते है as compared to red bricks और fly ash bricks एक Chelsea block की cost तो एक AC block की cost से भी कम पड़ती है और एक solid concrete blocks भी वैसे तो महंगा पड़ता है पर इसकी भी overall majority cost कम पड़ती है बट ये AC और Chelsea block से भी सस्ते पड़ते है ओके friends तो यहां मैंने इन सभी bricks और blocks के लगबख सभी differences कवर कर लिये हैं पर अब question ये है कि इन में से best कौन सा है? हमें क्या use करना चाहिए? चाहे वो course से related हो या फिर strength से?
तो देखें friends इन सभी bricks और blocks के अपने अपने फायदे और नुकसान हैं तो सबसे पहले तो अगर हम बात करें red bricks की तो red clay bricks का use हम सदियों से करते आ रहे हैं और तो red bricks ही हमारे इंडिया में सबसे ज़दे use किया जाता है हर छोटे गाओं से लेकर बड़े सहरों तक इसके availability और इसके ऊपर आप लोगों के भरोसे के कारण इसके compressive strength अच्छी होने के कारण ये बहुत ही मजबूत और durable होती है इसी वज़े से red bricks ने एक विश्वास बना लिया है इससे आप एक मंजिला, दो मंजिला या तीन मंजिला तक भी घर बनवा सकते हैं पर इसकी कुछ limitations यानि के नुकसान भी हैं जैसे सबसे पहली बात तो इसकी wastage बहुत होती है लगबग 8-10% तक सेकिन्ड, red bricks में वज़न ज़्यादा होने की वज़े से structure का dead load बढ़ता है नमबर जॉइंट ज्यादा होने के वजह से मोटार ज्यादा इस्तेमाल होती है जिससे लेवर कोस्ट भी भड़ जाता है चोथा इनका साइज और सेब भी फ्लाइस ब्रिक्स और ब्लोस के जैसा परफेट और अक्यूरेट नहीं होता जो प्लास्टर और पेंट की पगड को कमजोर कर देता है और सबसे बड़ी बात तो ये इन्वार्मेंटल के लिए बहुत नुकसान दायक है इसलिए स्प्रीम कोट ने इसे बंद करने के लिए आदेज दे दिये यह ज्यादा फायर रेजिस्टेंट है रेड ब्रिक से इनका सेप और साइज परफेक्ट होने के वजह से प्लास्टिंग ठिकनेस बिकम रिक्वाइड होती है जिससे ओवराल कंस्ट्रक्शन कोई बिकम हो जाती है और यह रेड ब्रिक के मुकाबले हल्की भी होती है जिससे ब इसका वेट कम होता है, इसमें number of joints कम होते हैं, इसकी compressive strength कम होती है, और इसका water absorption कम होता है, तो क्या ये बलोक बेकार है? तो ऐसा नहीं है फ्रेंड्स, इन ब्लॉक की मेन एडवांटेज यह है कि ये लाइटवेट होते हैं, इसी वज़े से बड़ी-बड़ी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स में यूज़ के जाते हैं, इससे बिल्डिंग का डेड लोड कम होता है और स्टील पर होने वाला खर्चा काम भी फास्ट होता है और इसका सेप और साइज परफेक्ट होने के वजह से इसमें प्लास्टिंग की ठिकनेस भी कमी देनी पड़ती है। कई चेगह पर दोस्त सिर्फ बाहर का प्लास्टर किया जाता है। इससे बिल्डि पहली बात तो कंप्रेसिव स्टेंट कम होने की वज़ासे ये रेजिडेंशल बिल्डिंग और लोड बेरिंग स्ट्रक्टर में यूज़ नहीं किया जा सकता सेकिन इसकी कंस्ट्रक्शन के लिए स्किल्ड मिस्ट्री और केरफुल सुपरविजन चाहिए होती है और डिसएडवांटेज देखने के बाद आप कह सकते हैं कि यह सिर्फ मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के लिए ही परफेक्ट है जहां स्पीड से काम करना होता है और कोश्टिंग भी बचानी होती है तो कंक्लूजन यह है कि अगर आप कम खर्चे में घर बनाना चाहते हैं होगे फ्रेंट्स तो आई होप के दिगई जानकार यह आप लोगों के लिए यूसफुल हैगी और आप लोगों के कुछ काम आएगी अगर फिर भी आपके कोई क्वेरी या समस्या है तो आप हमें नीचे कमेंट कर सकते हैं या नीचे और इन सभी ब्रिक्स के बारे में और ज्यादा डिटेल में जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.myengineersupport.com पर भी विजिट कर सकते हैं हमारे सभी वटसब, टेलिग्राम और वेबसाइट कलिंग नीचे वीडियो डिस्क्रिप्सन में है तब तक के लिए विरा लेना चाहूँगा और वीडियो में यहाँ तक बने रहने के लिए आप लोगों का बहुत बह