Coconote
AI notes
AI voice & video notes
Try for free
🧠
समस्या समाधान और आलोचनात्मक सिद्धांत
Sep 22, 2024
प्रॉब्लम सॉल्विंग और क्रिटिकल थेरीज़
परिचय
प्रॉब्लम सॉल्विंग थेरीज़
और
क्रिटिकल थेरीज़
में अंतर को समझने की कोशिश।
प्रॉब्लम सॉल्विंग थेरीज़ पारंपरिक और मेनस्ट्रीम IR (अंतरराष्ट्रीय संबंध) की थेरीज़ मानी जाती हैं।
प्रॉब्लम सॉल्विंग थेरीज़
विशेषताएँ:
पारंपरिक समस्या समाधान पर केंद्रित।
मौजूदा संरचना और पावर डायनामिक्स को स्वीकार करती हैं।
वेल्यू फ्री दिखाई देने की कोशिश करती हैं।
स्टेट सेंट्रिक, राज्य के सुरक्षा और प्रैक्टिकल समाधान पर ध्यान देती हैं।
वेस्टर्न सेंट्रिक बायस का आरोप।
NGO और अन्य गैर-राज्य अभ िनेता की भूमिका की अनदेखी कर देती हैं।
क्रिटिकल थेरीज़
विशेषताएँ:
फ्रैंकफर्ट स्कूल से प्रेरित, सामाजिक न्याय और इमेंसिपेट्री पॉलिटिक्स को प्रोत्साहित करती हैं।
मौजूदा पावर संरचना को सवाल करती हैं और बदलाव का समर्थन करती हैं।
सामाजिक संदर्भ पर जोर, स्टेट सेंट्रिक से आगे बढ़ती हैं।
नॉर्मेटिव स्तर पर क्रिटिक करती हैं।
उदाहरण: सोशल कंस्ट्रक्टिविज़्म, पोस्ट मॉडर्निज़्म, फेमिनिज़्म, ग्रीन थेरी।
पावर इंबैलेंस का कारण और ट्रांसफॉर्मेशन पर ध्यान देती हैं।
प्रमुख विभाजन
प्रॉब्लम सॉल ्विंग थेरीज़ का ध्यान स्टेट सेंट्रिक विश्लेषण पर रहता है जबकि क्रिटिकल थेरीज़ पावर स्ट्रक्चर को क्रिटिक करती हैं।
प्रॉब्लम सॉल्विंग थेरीज़ सिस्टम को एक्सप्लेन करती हैं, जबकि क्रिटिकल थेरीज़ ट्रांसफॉर्मेशन की बात करती हैं।
निष्कर्ष
प्रॉब्लम सॉल्विंग और क्रिटिकल थेरीज़ का उद्देश्य और दृष्टिकोण अलग-अलग होते हैं।
प्रॉब्लम सॉल्विंग थेरीज़ पारंपरिक हैं, जबकि क्रिटिकल थेरीज़ सामाजिक न्याय और बदलाव पर केंद्रित होती हैं।
सूत्रधार
संदीप सिंह द्वारा प्रस्तुति।
आगे और वीडियो में विस्तार से विश्लेषण जारी रहेगा।
📄
Full transcript