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भारतीय संविधान का परिचय

हेलो एवरीबॉडी स्वागत है आप सभी लोगों का लव वाला पर मैं हूं इस तरह खान आपकी लव मैटर और आज से हम लोग अलग फाउंडेशन बैच पे एक नए सब्जेक्ट की शुरुआत करने वाले हैं फ्रॉम टुडे वे आर गोइंग तू स्टार्ट ओवर डी कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया तो ये सब्जेक्ट हम लोग देखें अगर ये टॉपिक हम लोग देखें तो हर एक स्टूडेंट चाहे वो कंप्यूटर एग्जाम का स्टूडेंट हो चाहे वो डॉ स्टूडेंट हो जो नॉर्मल सेमेस्टर के लिए ये वीडियो देखा हो उसके लिए बहुत बहुत इंपॉर्टेंट है मतलब अगर आप देखें कोई भी एग्जाम उठा के तो कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया इसे डी फर्स्ट मेजर सब्जेक्ट विच इसे बिन एस्क्ड तो बहुत इंपॉर्टेंट है और इस सीरीज में यहां पे हम लोग सारे टॉपिक को कर करने वाले हैं ये आपके लिए मोर इंपॉर्टेंट बेनिफिशियल होने वाली है तो और तक की आपको बने रहना है आज के सेशन में हम लोग कॉन्स्टिट्यूशन के साथ शुरुआत कर रहे हैं और आज के लेक्चर में हम लोग इंट्रोडक्शन तू डी कॉन्स्टिट्यूशन लेने वाले हैं इसमें हम लोग इंट्रोडक्शन लेंगे कॉन्स्टिट्यूशन का साथ ही साथ हम लोग जो हिस्टोरिकल बैकग्राउंड है हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का क्योंकि एक दिन में तो कॉन्स्टिट्यूशन प्रिपेयर नहीं होता है इसकी लंबी हिस्ट्री है तो उसका एक ब्रीफ आउटलुक लेने वाले हैं तो चलिए डेली टारगेट देख लेते हैं सबसे पहले हम लोग इंट्रोडक्शन ऑफ तू डी कॉन्स्टिट्यूशन यहां पे हम लोग ये समझेंगे की कॉन्स्टिट्यूशन एक एन डॉक्यूमेंट होता क्या है क्या इंर्पोटेंस है हमारी कंट्री में कॉन्स्टिट्यूशन की साथ ही साथ हम लोग हिस्टोरिकल बैकग्राउंड लेने वाले हैं कॉन्स्टिट्यूशन का क्योंकि जैसा की मैंने कहा की एक दिन का आ एक दिन में कॉन्स्टिट्यूशन प्रिपेयर होता नहीं है ये लंबे समय से इसकी तैयारी चल रही होती है तो इस तरह से 1600 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में आई है वहां से लेकर के 1950 जब हमारा संविधान लागू कर दिया जाता है ये पूरा सफर हम लोग देखेंगे ब्रीफ में देखेंगे ठीक है तो सबसे पहले अगर मैं आप लोगों ये सवाल पूछो की कॉन्स्टिट्यूशन होता क्या है अकॉर्डिंग तू यू व्हाट इसे कॉन्स्टिट्यूशन आपके अकॉर्डिंग क्या है देखिए हमारे जो भारत है हमारी कंट्री में कॉन्स्टिट्यूशन को ग्रैंड ओम माना जाता है ग्रैंड ओम मतलब ये होता है की जितने भी ऑर्गन्स हैं जितने भी प्रिंसिपल ऑर्गन्स हैं हमारे कंट्री के जो गवर्न करते हैं चाहे वो एग्जीक्यूटिव हो गया चाहे वो लेजिसलेच्योर हो गया चाहे वो ज्यूडिशरी हो गया वो अपनी पावर को कहां से जेन करते हैं कॉन्स्टिट्यूशन से जेन करते हैं जितनी भी लॉस हमारी कंट्री में है वो अपनी पावर को कहां से जेन करते हैं कॉन्स्टिट्यूशन से जेन करते हैं तो यानी की कॉन्स्टिट्यूशन जो होता है वह हेड होता है और वो सारे ऑर्गन्स को सारे लॉस को सारे एंटिटीज को क्या करता है पावर देता है तो इसको क्या कहा जाता है इसको कहा जाता है ग्रैंड नो ठीक है यह मत भूलिएगा तो कॉन्स्टिट्यूशन को अगर फाइंड करने की कोशिश करें जो कॉन्स्टिट्यूशन है वो लेनडिएस्ट कॉन्स्टिट्यूशन नहीं है आईटी मिंस एन डॉक्यूमेंट हेविंग एन स्पेशल लीगल सेंटी विच सेट्स आउट डी फ्रेमवर्क और प्रिंसिपल फंक्शंस प्रिंसिपल फंक्शंस किसके किसके फंक्शंस बताता है किसकी फंक्शंस बताता है कॉन्स्टिट्यूशन ऑर्गन्स के फंक्शंस बताता है और ये ऑर्गन्स क्या हो गए ये ऑर्गन्स हो गए आपके एग्जीक्यूटिव लेजिसलेच्योर और ज्यूडिशरी ठीक है आप कॉन्स्टिट्यूशन में देखोगे एग्जीक्यूटिव लेजिसलेच्योर ज्यूडिशरी के प्रॉपर फंक्शंस जो है अच्छे तरीके से डिवाइडेड है और ये जो डिवीजन है ये डिवीजन है ये किस कॉन्सेप्ट को जन्म देता है इस कॉन्सेप्ट को जो डिवीजन की बात हम लोग कर रहे हैं इसको हम लोग क्या कहते हैं इसको हम लोग कहते हैं सिपरेशन ऑफ पावर्स सिपरेशन ऑफ पावर में इंटरफेयर नहीं करेगा सबकी अपनी अपनी पावर होगी और यही जो है हमारे कॉन्स्टिट्यूशन में भी अडॉप्टेड है ठीक है आ ऑर्गन्स ऑफ डी गवर्नमेंट ऑफ डी स्टेट और डिक्लेयर्स डी प्रिंसिपल गवर्मेंट डी ऑपरेशन ऑफ ऑर्गन्स और डिक्लेअर इस एन प्रिंसिपल्स गवर्निंग डी ऑपरेशन ऑफ डोज ऑर्गन्स कॉन्स्टिट्यूशन में वो प्रिंसिपल्स बताए जाते हैं किस तरह से उन ऑर्गन्स के द्वारा गवर्नेंस चलेगी हमारी कंट्री में तो बेसिकली कॉन्स्टिट्यूशन इस नोट डिफाइंड लेकिन अगर आप जनरल साइंस में समझे तो वह ग्रैंड ओम है ग्रैंड ओम के साथ होते होते की साथ ही साथ एक डॉक्यूमेंट है जो फ्रेमवर्क ले डॉ करता है प्रिंसिपल गवर्निंग ऑर्गन्स के किस तरह से वो आप कंट्री में गवर्नेंस करेंगे क्लियर हो गई बात आगे बढ़ते हैं डेफिनेशन के में देना चाहे तो यह क्या लिविंग लिविंग और ऑर्गेनिक डॉक्यूमेंट है डी कॉन्स्टिट्यूशन रेफर्स तू डी होल सिस्टम ऑफ गवर्नेंस ऑफ एन कंट्री कहां से गवर्नेंस होगी कॉन्स्टिट्यूशन के मध्य से होगी और कलेक्शन ऑफ रूल्स विच इस्टैबलिश्ड और रेगुलेट और गवर्नेंस डी गवर्मेंट ठीक है कॉन्स्टिट्यूशन इस नोट निराली एन लॉन्ग उसको वाली ए डॉ के नाम से आप नहीं जान सकते हो कांस्टीट्यूशनल डॉ जैसा की हम लोग कहते हैं लेकिन वो क्या है पुरी मशीनरी है बाय विच जो डी लॉस ए मेड वो ऐसी मेकैनिज्म एक ऐसी मशीनरी है जिससे हर एक जो अथॉरिटी है हमारी कंट्री में चाहे वो लिविंग अथॉरिटी हो यानी की जो आप देखोगे जो एग्जीक्यूटिव लेजिसलेच्योर ज्यूडिशरी के अंदर जो ऑफिशल्स हैं या फिर अगर आप देखो जो ऑर्गन्स हैं जो इंस्टीट्यूशंस है जो ट्रिब्यूनल से ये साड़ी पावर्स अपनी कहां से जेन करते हैं यह जेन करते हैं बाय डी कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया कहर सिंह वर्सेस दिल्ली एडवर्टिस्टेशन का कैसे था 1989 सुप्रीम कोर्ट का क्या कहा गया है इस कैसे में डी कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया इस एन कांस्टीट्यूएंट डॉक्यूमेंट फंडामेंटल तू डी गवर्नेंस ऑफ डी कंट्री आप कंट्री को किस तरह से गवर्न करोगे गवर्नेंस में क्या ए जाता है आपको पता है जो सिटीजंस है आपके कंट्री के उनको किस तरह से आप रूल कर रहे हो कितनी बात उनकी राखी जा रही है डेमोक्रेसी गवर्नेंस ये सारे शब्द हैंगिंग हैंड चलते हैं ठीक है ऑफ डी कंट्री वेयर डी पीपल ऑफ इंडिया हैव प्रोवाइड एन कांस्टीट्यूशनल पालिटी कंसिस्टिंग ऑफ सर्टेन प्राइमरी ऑर्गन्स ठीक है तो बेसिकली डेली एडमिनिस्ट्रेशन वर्सेस कहर सिंह वर्सेस दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन 1989 कैसे में भी जो कॉन्स्टिट्यूशन है उसको उसको उसका मीनिंग बताने की भी कोशिश कारी गई थी बाय डी सुप्रीम कोर्ट आगे बढ़ते हैं अब अगर हम लोग बात करें कॉन्स्टिट्यूशन के हिस्टोरिकल बैकग्राउंड की तो इसको हम लोग पांच फेस में डिवाइड कर सकते हैं सबसे पहले फैज है 1600 से लेकर के 17 65 का उसके बाद आता है 1765 से लेकर के 1858 का जो चार्ट एक्ट पास होता है 1858 का बहुत इंपॉर्टेंट हो जाता है उसके बाद 1858 से लेकर के 1990 जहां पे 1909 के जो रिफॉर्म्स हुए वो साड़ी चीज हम लोग कर करेंगे साथ ही साथ 1990 से लेकर के 1947 का फीस सबसे इंपॉर्टेंट फैज रहा और उसके बाद आता है लास्ट बट नोट डी लिस्ट 1947 जहां पे हम लोगों को इंडिपेंडेंस मिल जाति है और 1950 के बीच का फेस यहां पे फाइनली 1950 में जाके हमारे कॉन्स्टिट्यूशन एनफोर्स ए जाता है ठीक है आगे बढ़ते हैं अब सबसे पहले अगर हम लोग बात करें ईस्ट इंडिया कंपनी की तो ईस्ट इंडिया कंपनी 1600 में इंडिया में आई है और पहले अगर आपको ये जान की कोशिश करें की ईस्ट इंडिया कंपनी का एजेंडा क्या था ऑब्जेक्टिव क्या था आने का इंटर करते हैं इंडिया तो उनका ऑब्जेक्टिव रूल करना या अपने टेरिटरीज को एक्सपेंड करना नहीं था ये सबसे पहले इंडिया की जो वेल्थ थी इंडिया के जो रिस्टेंस थी चाहे वह आप कॉटन ले लीजिए चाहे वो आप स्पाइसेज ले लीजिए उन साड़ी चीजों में इंडिया बहुत ज्यादा रिच था तो उसकी रिक्नेस के चलते ये लोग इंडिया आते हैं किस लिए आते हैं ट्रेडिंग करने के लिए आते हैं तो 1600 में आते हैं आगे ट्रेडर्स लेकिन उसके बाद जब वो इंडिया आते हैं तो देखते हैं की यार इंडिया के लोग तो बड़े भोले भले तो वह क्या करने लगती है वो टेरिटोरियल एक्सपेंशन करने लगता हैं अपनी जो टेरिटरीज हैं उनको एक्सपेंड करने लगता हैं और उसके थ्रू वो कैसे करते हैं जैसे की हम लोगों ने देखा डॉक्टर ऑफ लैप्स बाय वर्स करते हैं कितनी साड़ी वर्स देखिए हम लोगों ने चाहे एंग्लो मारा मराठा वर्जन एंग्लो मैसूर वर्स हो डॉक्टर ऑफ लैब्सो इन साड़ी चीजों के चलते ये अपनी टेरिटरीज को एक्सपेंड करते हैं तो खाने के बाद ये है की आते तो यह आज ट्रेडर्स है लेकिन फिर उसके बाद ये बैक जाति है हमारे देश में उसके बाद यहां पर चार्ट एक्ट यानी की कोई एलिजाबेथ के थ्रू इस ईस्ट इंडिया कंपनी को रूल करने का 15 साल तक की रूल करने का की आपको लेजिसलेटिव पावर्स ग्रैंड कर रही है कोई एलिजाबेथ ऐसा एक चार्ट दिया गया और उसे चार्ट के चलते ईस्ट इंडिया कंपनी को लेजिसलेटिव पावर्स मिलती है तो जब भी वो इंडिया आते हैं तो उसकी थ्रू वो बहुत सारे रूल्स और रेगुलेशंस बनाते हैं इस तरह से चार्ट ऑफ 1609 1661 के थ्रू भी उनको लेजिसलेटिव पावर्ज मिलती है लेकिन 1693 का जो चैप्टर एक्ट होता है उसके थ्रू उनको कोई लेजिसलेटिव पावर्ज सच फ्रॉम डी क्वीन नहीं मिलती है अब अगर हम लोग बात करें चार्ट एक्ट ऑफ 17 26 की बहुत इंपॉर्टेंट चैप्टर है आपका क्योंकि इसके थ्रू बनाया गया ईस्ट इंडिया कंपनी में वोट ऑफ डायरेक्टर्स और कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स जो की फाइनली जो है रूल करने लगे रुलझ और रेगुलेशन बनाने लगी और में जो लेग इलेटिव पावर था ईस्ट इंडिया कंपनी का इन्हीं के थ्रू एक्सरसाइज कर जा रहा था हो गई बात आगे बढ़ते हैं अब क्या हुआ अब यहां पर क्या डिक्लिन होने लगा और लास्ट मुगल अंपायर की डेथ के बाद जो लास्ट मुगल एंपरर था औरंगज़ेब औरंगज़ेब की डेथ के बाद जो कंट्री के जो डेमोग्राफिक्स थी जो चीज कंट्री में चल रही थी टेरिटरीज की बात अगर मैं करूं तो औरंगज़ेब की डेथ के बाद बहुत साड़ी चीज चेंज हुई क्योंकि ये जो वांट ऑफ पावर था हर कोई पावर के लिए लड़ने बिना लगा किस तरह से एक्सपेंशन करें किस तरह से टेरिटरीज कैप्चर करें एक दूसरे की इंडिया में ही ये वर्स होने लगी क्योंकि प्रिंसली स्टेटस हुआ करते थे इस तरह से डिवीजन हुआ करता था अंपायर्स के बीच में तो औरंगज़ेब की डेथ के बाद मुगल अंपायर मुगल समराज आप देखो के एक्जिस्टेंस उसका पुरी तरह से खत्म ही एक तरह से हो गया था और उसका किसने फायदा उठाया उसका फायदा उठाया ईस्ट इंडिया कंपनी ने और ईस्ट इंडिया कंपनी ने फायदा इस प्रकार उठाया की वो अपने आपको और ज्यादा मजबूत करने लगी हमारी कंट्री में उसके बाद अगर हम लोग बात करें फाइनल ब्लू की मतलब किस तरह से जो नल इन डी कॉफी अगर हम लोग कहे ईस्ट इंडिया कंपनी का किस तरह से इंडिया में हुआ तो उसको एक बार समझ लेते हैं सबसे पहले हुई थी 1757 में 1757 में हुई थी बैटल ऑफ प्लासी बैटल ऑफ प्लासी और यहां पर बैटल ऑफ प्लासी में इन्होंने सिराजुद्दौला को ब्रिटिश फोर्सेस ने हर दिया था और उसके बाद हुई 1764 में बैटल ऑफ बक्सर बैटल ऑफ बक्सर अब ये जो बैटल ऑफ बक्सर है ना इसको ही कहा जाता है नल इन डी कॉफी जीत हो जाति है लेकिन 1764 में जो बक्सर में इनके जीत होती है उसने इनकी जो पुरी स्थापना थी उसको पक्का कर दिया हमारी कंट्री में ठीक है तो ये दोनों जो शब्द हैं इनको आपको एक तरह से दिमाग में रखना है इसको समझना के लिए आगे बढ़ते हैं उसके बाद अगर हम लोग बात करें डी लास्ट रोलर शाह आलम तू शाह आलम तू क्या करते हैं जो दीवानी राइट्स होती हैं दीवानी राइट्स दीवानी राइट जो होती है वो देते हैं किसको ईस्ट इंडिया कंपनी को दे देते हैं क्या होती है दीवानी राइट बेसिकली होती है कलेक्शन ऑफ रिवेन्यू की जो राइट्स होती हैं कलेक्शन ऑफ रिवेन्यू तू थे शाह आलम तू 1765 में यह जो दीवानी राइट्स हैं ये दे दी जाति है किसको ईस्ट इंडिया कंपनी को बाय बाय शहालम तू ठीक है तो यह चीज आपको याद रखती है क्योंकि यहां से यहां से जो दीवानी राइट्स और कलेक्शन ऑफ रिवेन्यू का जो ये राइट मिल जाता है ईस्ट इंडिया कंपनी को ये अपने आप को एक्सपेंड करने लगता हैं हालांकि ये पहले से ही अपनी फैक्टरीज इन्होंने स्थापित कर ली थी कहां पे सबसे पहले फैक्ट्री में स्थापित कारी तो सूरत में और फिर उसके बाद मद्रास में मासोले पट में ठीक है तो इनकी फैक्टरीज जो फैक्टरीज बनाना चाहिए ईस्ट इंडिया कंपनी में किस लिए फाइनली ये जो प्रोडक्ट्स बनाते थे ये ब्रिटिशर्स को ही देते थे उसका रिवेन्यू जो कलेक्ट होता था वो भी उसका जो बेनिफिट हुआ करता था वो ब्रिटिशर्स को ही हुआ करता था इंडियन स्कूल से कोई भी बेनिफिट नहीं होता था लेकिन जन की बात ये है की किस तरह से इंडिया आते हैं आज ट्रेडर्स और फिर उनको ये जो राइट मिलती है ये जहांगीर के थ्रू एक फोरमैन जो है वो जारी किया जाता है जिसके थ्रू ये फैक्टरीज स्थापित करने लगता हैं आगे बढ़ते हैं अब अगर हम लोग बात करें 1765 से लेकर के 1858 के टाइम पीरियड की तो इसके बीच बहुत सारे एनेक्टमेंट बहुत सारे लेजिसलेटिव चेंज किया गए हमारी कंट्री में इसमें सबसे पहले वाल्व रेगुलेटिंग एक्ट 1773 उसके बाद 1781 का एक्ट ऑफ सेटलमेंट उसके बाद आता है पिट्स इंडिया एक्ट 1784 उसके बाद चार्ट एक्ट ऑफ 1813 उसके बाद चार्ट एक्ट ऑफ 1833 और 1853 रिस्पेक्टिवली ठीक है तो यहां पे क्या कुछ ना कुछ लेजिसलेटिव चेंज करें जा रहे थे मां के चलिए अगर हम लोग अट्रैक्ट 1883 की बात करें 1833 की बात करें और मोस्ट स्पेसिफिकली अगर हम लोग 1909 के बड़े में पढ़ेंगे तो बहुत सारे ऐसे फोल्ड से ऐसी कमियां थी जिसको दूर करने के लिए एक और कर ट्रैक एक और एनेक्टमेंट पास किया जाता था तो बहुत सारे चेंज हुए सबसे पहले अगर हम लोग बात करें 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट की तो 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट से सबसे पहले क्या हुआ सबसे पहले स्ट्रांग कंट्रोल जो है ब्रिटिशर्स का वो हो गया कंपनी के ऊपर अभी तक क्या था ब्रिटिशर्स का असेट्स कंट्रोल नहीं था ईस्ट इंडिया कंपनी के ऊपर लेकिन 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट से जो ब्रिटिशर्स थे उनका कंपनी के ऊपर कंट्रोल हुआ अब ये क्यों हुआ देखिए जब ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई और जब दीवानी राइट्स दे दी गई ईस्ट इंडिया कंपनी को रिवेन्यू कलेक्शन की और अगर अन्य भी पावर्स दी गई तो उसके बाद शुरू हो गई मेल एडमिनिस्ट्रेशन यानी की अब जो सर्वेंट थे कंपनी के यह में रोलर से क्योंकि जो जिनकी कंपनी थी वो ऑलरेडी इंग्लैंड में थे तो अब जो कंपनी के सर्वेंट थे वो में रुलर्स थे अब कंपनी सर्वेंट के अंदर जो एम्पलाइज आया करते थे उन एम्पलाइज की सैलरी बहुत कम हुआ करती थी उसे कम सैलरी के चलते वह एम्पलाइज जो थे वो पुर जो इंडियन पीपल थे इंडियन गरीब लोग थे उनसे ये लोग एक्सट्रैक्ट करते थे कुछ ना कुछ गिफ्ट ले लेते थे पैसा ले लेते थे उनको एक्सप्लोइट करते थे तो उसे करण क्या हुआ जब ये साड़ी प्रॉब्लम्स अराइज हुई साथ ही साथ उसका जो कैपिटल अमाउंट था वो खत्म हो गया अब इस कैपिटल अमाउंट के खत्म होने का करण था की भाई फैमिन ए गया कंट्री में आप अच्छी तरीके से एडमिनिस्टर नहीं कर का रहे थे भले ही आपके पास दीवानी राइट्स थे लेकिन आपका एडमिनिस्ट्रेशन अच्छी तरीके से नहीं हो का रहा था तो उसके बाद जब ये बात ब्रिटिशर्स के सामने जाति है ब्रिटिश पार्लियामेंट के सामने जाति है की ईस्ट इंडिया कंपनी जिसको रूल करने के लिए चार्ट पास किया गया था और वो अगर अभी डिफिशिएंसी में है यानी की उसके पास पैसे नहीं है और उसके जो ऑनर्स है कंपनी के जो मलिक है वो रिच होते अरे और कंपनी डिफॉल्ट में ऐसा कैसे हो सकता है तो उसके बाद बेसिकली ये जो रेगुलेटिंग एक्ट है 1773 का ये पास किया गया जो यहां पे ब्रिटिशर्स की जो है स्ट्रांग कंट्रोल हो गई कंपनी के ऊपर अब यहां पे सर वारेन हेस्टिंग्स को पहले गवर्नर जनरल ऑफ बंगाल बनाया जाता है ठीक है 1773 के एक्ट से ही गवर्नर जनरल ऑफ बंगाल इसको बनाया जाता है सर वारेन हेस्टिंग्स को ठीक है अब यहां पे कल के सुप्रीम बहुत ज्यादा होती है तो बॉम्बे मद्रास जो भी मतलब आप देखोगे जो टेरिटरी थी वो बंगाल के सबोर्डिनेट थे जो भी लॉस फ्रेम कारी जाएगी वो बंगाल के थ्रू ही करें जाएंगे साथ ही साथ 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के मध्य से एक सुप्रीम कोर्ट बनाया गया था आते क्लियर हो गई बात तो ये कुछ मेजर चेंज थे जो रेगुलेटिंग एक्ट 1773 की मध्य से करेंगे आगे बढ़ते हैं अब देखिए 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट यहां पे क्या किया गया जो कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स थे उनको कमर्शियल अफेयर्स दे दिए गए जैसे की मैंने बताया था कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स ऑफ बोर्ड ऑफ कंट्रोल बनाया गया और बोर्ड ऑफ कंट्रोल को पॉलीटिकल अफेयर्स दिए गए साथ ही साथ यहां पे चेन एक क्यूट इंडिया आते से ये हुआ था की 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट से जो ब्रिटिश टेरिटरीज इंडिया में हुआ करती थी उनको पहले बार ब्रिटिश पजेशन का नाम दिया गया की जो इंडियन टेरिटरी सी है तो ये इंडियन टेरिटरीज तो इनको ब्रिटिश पोसेशंस का नाम इट्स 1784 से पहले बार दिया जाता है अब अगर हम लोग बात करें चार्ट एक्ट ऑफ 1833 की तो सबसे बड़ा चेंज जो है वो ये किया गया जो गवर्नर जनरल ऑफ बंगाल थे उनको गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया का नाम दिया और ऐसे पहले जो गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया बनते हैं वो बनते हैं लॉर्ड विलियम बेंटिक ठीक है लॉर्ड मैकाले इंडिया की पहले डॉ कमीशन की स्थापना कारी जाति है चेयरमैनशिप किसकी होती है लॉर्ड मेकाले की बहुत बड़ी शख्सियत है कमेंट क्षेत्र में बताइएगा किसके लिए लॉर्ड मैकल सबसे ज्यादा फेमस है ठीक है साथ ही साथ स्टार्टड ब्रिटिश कॉलोनाइजेशन ऑफ इंडिया अब इसके मध्य से क्या हुआ जो ब्रिटिश कॉलोनाइजेशन था इंडिया का वो शुरू हो गया था 1833 के चार्ट एक्ट से कॉलोनाइजेशन यानी की कॉलोनी बनाने लगे थे ब्रिटिशर्स अपनी कॉलोनी बनाने लगे थे साथ ही साथ यहां पे जो एक्ट्स ऑफ पार्लियामेंट थे जो ब्रिटिश पार्लियामेंट के जो भी एनेक्टमेंट हुआ करते थे वो अब इंडिया पे भी लागू कर दिए गए साथ जो लेजिसलेटिव पावर्स थी गवर्नर जनरल इन काउंसिल की यहां पे एक फोर्थ मेंबर एड कर दिया गया ये लेजिसलेटिव पावर्ज किसके थ्रू एन गवर्न कारी जाएगी एक्सरसाइज कारी जाएगी तो आईटी एडिट डी फोर्थ मेंबर जो की डॉ मेंबर था ठीक है अब अगर हम लोग बात करें चार्ट ऑफ 1853 की ये लास्ट चट्टरासी था और इसमें जो में चेंज किया गया वो ये की एक सेपरेट लेजिसलेटिव काउंसिल बनाई गई 12 मेंबर्स की चार्ट एक्ट ऑफ 1853 से एक सेपरेट लेजिसलेटिव काउंसिल बनाई गई जिसमें 12 मेंबर्स थे साथ ही साथ में चेन जो था इंपॉर्टेंट चेंज यह था की सिविल सर्विसेज को इंट्रोड्यूस किया गया था एक ओपन बेस्ड कंपटीशन ठीक है जो आज को हम लोग कॉम्पिटेटिव एग्जाम देख रहे हैं सिविल सर्विस एग्जामिनेशन उसको इंट्रोड्यूस किया गया था 1853 के चार्ट एक्ट से याद रखिएगा साथ ही साथ सिपरेशन ऑफ लेजिसलेच्योर फ्रॉम एग्जीक्यूटिव ठीक है इसको मैं व्हाइट से लिख दे रही हूं सिपरेशन ऑफ लेजिसलेच्योर फ्रॉम एग्जीक्यूटिव अब यह फर्स्ट पॉइंट में देख सकते हैं इस तरह से काउंसिल बनाई गई 12 मेंबर की तो ये एक में एजेंडा ये था की लेजिसलेच्योर को एग्जीक्यूटिव से सेपरेट करने का साथ लोकल रिप्रेजेंटेशन का जो कॉन्सेप्ट था वो पहले बार प्रेसिडेंट में आया 1853 के चार्ट एक्ट से ठीक है आगे बढ़ते हैं अब देखिए अगर हम लोग बात करें गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858 की बहुत फंडामेंटल चेंज किया गए जैसे की सबसे पहले आप देख सकते हैं गवर्नर जनरल को वायसराय का नाम दिया गया और ऐसे पहले वायसराय बनते हैं लॉर्ड कैनिंग याद रखिएगा ये कई बार एग्जाम में पूछा गया है लॉर्ड कैनिंग के ऊपर क्वेश्चन तो बेसिकली गवर्नर जनरल जो है उनका नाम चेंज करके वायसराय कहलायेंगे साथ ही साथ जो बोर्ड ऑफ कंट्रोल और कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स जो हम लोग देखते चले ए रहे हैं उनको अबॉलिश कर दिया जाता है 1858 के कर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्सिस सॉरी चार्ट एक्ट्स का तो अंत हो गया 1853 में ही बोर्ड ऑफ कंट्रोल और कोर्ट ऑफ डायरेक्टर जो है वो अबॉलिश किया जाते हैं 1858 के गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट से साथ ही साथ सेक्रेटरी ऑफ स्टेट जो है उनको पावर दे दी जाति है चाहे वो बोर्ड ऑफ कंट्रोल हो चाहे वो कमर्शियल अफेयर्स हो चाहे वो पॉलीटिकल अफेयर्स हो किसको पावर दे दी गई इन दोनों ही की ये दे दी जाति है सेक्रेटरी ऑफ स्टेट का ऑफिस बना दिया जाता है और इस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को कंप्लीट अथॉरिटी दे दी जाति है पुरी अथॉरिटी चाहे वो रूल मेकिंग हो चाहे वो रेगुलेशंस हो चाहे वो गवर्नेंस कौन करेगा सेक्रेटरी ऑफ स्टेट करेगा और इस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को एसिस्ट कौन करेगा इसके लिए 15 मेंबर की एक अकाउंट सी बनाई जाति है इस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को एसिस्ट करने के लिए 15 मेंबर्स काउंसिल बनाई जाति है और यहां पे जो 15 मेंबर्स काउंसिल होती है ना ये इसको एसिस्ट करेगी ऑन डी टॉपिक जी पे भी जैसे डॉ बन डॉ मेकिंग है डिसीजन मेकिंग है कोई भी एडमिनिस्ट्रेटिव चेंज करने हैं तो उसके ऊपर इनको एसिस्ट कर जाएगा और ये जो आप देख रहे हो ना जो वॉइस राय है ये भी सब ऑलरेडी था अंदर डी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट बहुत बड़ी पोजीशन बनाएगी थी ये सेक्रेटरी ऑफ स्टेट की साथ ही साथ सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को बॉडी कॉरपोरेट बनाया जाए बनाया गया ये जो 1858 का गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट था इसके थ्रू सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को बॉडी कॉरपोरेट बनाया गया है यानी की अब इसको स भी किया जा सकता है और ये सूट ला भी सकता है इन डी नाम ऑफ डी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट आईटी वज मेड एन बॉडी कॉरपोरेट ठीक है इंडिया में सूट अगर लाया जाता है तो वो किसके नाम पे लाया जाता है इंडिया में अभी करेंटली बॉडी कॉरपोरेट कौन अथॉरिटी है कमेंट क्षेत्र में शेर करिए आगे बढ़ते हैं अब अगर हम लोग बात करें इंडियन काउंसिल एक्ट 1909 की ठीक है इसको क्या कहा जाता है इसको वेरी फेमस लेट इस नॉन आज डी मुरली मिंटो रिफॉर्म्स ठीक है यहां पे सेक्रेटरी कौन थे और वायसराय कौन थे ये आपको कमेंट क्षेत्र में बताना है मैं नहीं बताऊंगी ठीक है मुरली मिंटू रिफॉर्म्स के नाम से फेमस था साथ ही साथ इससे जो में चेंज किया गया वो ये गया जो लेजिसलेटिव की जो लेजिसलेटिव काउंसिल जो थी उसका साइज इंक्रीज किया गया है यानी की डी नंबर ऑफ मेंबर्स इन डी लेजिसलेटिव काउंसिल व इंक्रीज चाहे वो सेंट्रल लेजिसलेटिव काउंसिल हो चाहे वो प्रॉवेंशियल लेजिसलेटिव काउंसिल हो ठीक है साथ ही साथ जो इनडायरेक्ट इलेक्शंस का जो प्रिंसिपल था इलेक्शंस के प्रिंसिपल को रिकॉग्नाइज किया गया और 1909 के इंडियन काउंसिल आते से जो मुस्लिम थे उनको सेपरेट इलेक्टरेट दिया गया यानी की मुस्लिम देवर रिप्रेजेंटेटिव डायरेक्टली ठीक है आगे बढ़ते हैं तो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1990 से सबसे बड़ा जो चेंज किया गया वो था की दी की कोई इंट्रोड्यूस किया गया डायट की में क्या होता है तू रुलर्स देवर आर तू रुलझ क्या इसको आप डिवाइड कर सकते हो यहां पे दिया की इंट्रोड्यूस करेगी सेंट्रल और प्रोविजन रिस्क के बीच में प्रोविंशियल रिस्क को फरदर डिवाइड किया गया रिजर्व और ट्रांसफर सब्जेक्ट में साथ ही साथ यूनिटरी स्ट्रक्चर जो है जहां पर लॉस जो है सेंट्रल लेजिसलेच्योर के द्वारा बनाए जा रहे थे और ये जो लॉस सेंट्रल है जी लेक्चर बना रहा था इसको कभी चैलेंज नहीं किया जा सकता था इसीलिए इसको एक यूनिटरी स्ट्रक्चर की तरह भी आप का सकते हो की इसका एक यूनिटरी स्ट्रक्चर था उसके बाद देखिए नो रिस्पांसिबल गवर्नमेंट बाज देवर आते डी सेंटेंस सेंटर पे कोई रिस्पांसिबल गवर्नमेंट नहीं थी तो सेंट्रल गवर्नमेंट बस डायरेक्टली रिस्पांसिबल तू होम तू डी ब्रिटिश पार्लियामेंट थ्रू डी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट सेक्रेटरी और स्टेट के थ्रू जो गवर्नमेंट थी वो रिस्पांसिबिलिटी डायरेक्टली तू डी ब्रिटिश गवर्नमेंट साथ ही साथ यहां पर सेपरेट इलेक्ट्रिक जो है वो भी एक्सटेंड कर दिए गए थे लेकिन जो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट है 1990 का बहुत बुरी तरीके से फेल हो गया था तो इतना ही आपको इस पर पर्सपेक्टिव से याद रखना है आगे बढ़ते हैं अब यहां पे साइमन कमीशन का जो रोल है वो इंपॉर्टेंट हो जाता है ये सेवन मेंबर्स का कमीशन था इसलिए अपनी रिपोर्ट 1930 में सबमिट कारी सबमिट तो जरूर कर ही लेकिन इसको पुरी तरह से बॉयकॉट कर दिया गया था साइमन को बैक के नारे लगाएं गए थे क्यों क्योंकि एक जो व्हाइट कमीशन था यानी की ये जो सातों मेंबर्स थे यह सातों मेंबर्स वाइव्स थी ब्रिटिश थे और इंडिया को इसमें इंडियन मेंबर्स को इंडियन को इसमें इंक्लूड नहीं किया गया था इसीलिए इसको बॉयकॉट किया गया और ये बेसिकली आया था रिव्यू करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया है 1990 को जो रिपोर्ट इसने सबमिट कारी ये फाइनली जा के 1935 के गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट का बहुत 1935 के गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट की यह कहा जाता है की गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट जो 1935 का है ये आज का जो हमारा कॉन्स्टिट्यूशन आप देख रहे हैं ना ये कॉपी है और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया कुछ दे रहा है एक्सेप्सनस आज वेल बहुत साड़ी चीज जो है वो हटाई गई है लेकिन बहुत साड़ी चीज जो हैं आगे आईटी इसे आपको मिलेगी फ्रॉम डी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1935 सबसे पहले जो आप देखोगे गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट से इंसर्टियों किया गया वो था जो इंडिया फेडरेशन का जहां पे तीन लिस्ट में डिवाइड कर दिए गए सब्जेक्ट को फेडरल लिस्ट थी प्रॉवेंशियल ली थी और कॉन्करेंट लिस्ट थी जैसे की आज हम लोग देखते हैं तीन लिस्ट हमारे पास है यूनियन लिस्ट स्टेट लिस्ट और कौन करंट लिस्ट तो जो इंडिया फेडरेशन बनाया गया साथ ही साथ सेंटर पे भी दी की जो है वो इंट्रोड्यूस कारी गई बाय लेजिसलेच्योर कर दिया गया छह प्रोविंस में देवर वास बाय कैमरा लेजिसलेच्योर इन व्हाट इन सिक्स प्रोविंस साथ ही साथ जो 1858 का जो काउंसिल बनाया गया था उसे काउंसिल को 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट से अबॉलिश कर दिया गया साथ ही साथ बहुत बार ये एग्जाम में पूछा गया है की जो फेडरल कोड था 1937 का अपनी पावर कहां से जेन करता था इस कोर्ट की स्थापना हुई थी 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट से साथ ही साथ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी जो है एस्टेब्लिश किया गया था बाय डी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 और साथ ही साथ फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन प्रोविंशियल पब्लिक सर्विस कमीशन जॉइंट पब्लिक सर्विस कमीशन यह सारे जो हैं इंट्रोड्यूस करें गए थे 1935 के एक्ट में जैसा की अब हम लोग देखते हैं यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन और स्टेट पब्लिक सर्विस चाहे वह यूपीएससी हो चाहे वो बीपीएससी हो तो ये क्या है स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन है और साथ ही साथ जॉइंट पब्लिक सर्विस कमीशन कभी प्रावधान हमारे संविधान में मिलता है क्लियर हो गई बात 1935 के एक्ट से और देखिए क्या किया गया सेपरेट इलेक्टरेट जो है एक्सटेंड करेगा तो 1919 के एक्ट से भी और साथ ही साथ 1935 के एक्ट से सेपरेट इलेक्ट दे दिए गए किसको दीप प्रेस क्लास को और विमेंस को और लेबर्स को ठीक है ये साड़ी मेजर चेंज जो थी 1935 के एक्ट से करें गए थे कहां पे हमारी कंट्री में आगे बढ़ते हैं अब यहां पे जो कैबिनेट मिशन था 1946 का इसका बहुत इंपॉर्टेंट रोल है हमारे इंडिपेंडेंस में चाहे आप कांस्टीट्यूशनल रिफॉर्म्स में का लूं कैबिनेट मिशन के थ्रू ही हमारी कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली की स्थापना हुई थी याद रखिएगा सबसे पहले बात तीन मेंबर्स थे कैबिनेट मिशन में कौन-कौन थे पत्रक लॉरेंस आव सिकंदर और सरफोड़ क्रिप्स ठीक है बहुत इंपॉर्टेंट है याद रखिएगा ये तीन मेंबर्स थे इस कैबिनेट मिशन के थ्रू इंडिपेंडेंस इंडिया की जो है वो एस्टेब्लिश एक तरह से कारी गई और साथ ही साथ कांस्टीट्यूएंट असेंबली को सेटिंग अप के लिए कांस्टीट्यूएंट असेंबली किस को सेटअप करने के लिए यह कैबिनेट मिशन इंडिया में आया था साथ ही साथ कैबिनेट मिशन ने एक इंटिरिम गवर्नमेंट को फॉर्म करने के लिए भी प्रपोज किया था जैसा की आप सब लोग जानते होंगे अब आगे बढ़ते हैं बात करते हैं इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट जिसके वजह से आज हम लोग भारत के नागरिक अपनी फंडामेंटल राइट्स को एंजॉय करते हैं भारत एक आजाद देश है तो इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट ने दो कंट्रीज दो डोमिनेंस में बांट दिया है इंडिया और पाकिस्तान देखिए इंडिया पाकिस्तान के डिवीजन में बहुत साड़ी चीज जो हैं वो ए जाति है चाहे वो पार्टीशन ऑफ बंगाल है चाहे वो मोहम्मद अली जिन्ना का जो बी है बोना की हम एक सेपरेट कंट्री चाहिए है सेपरेट कंट्री चाहिए है तो बहुत साड़ी चीज जो है वो ए जाति है लेकिन इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 से दो डोमिनेंस बना दिए गए इंडिया और पाकिस्तान साथ ही साथ इंडिया वास डिक्लेयर्ड इंडिपेंडेंस अगस्त 15 199 1947 अगस्त 15 1947 को इंडिया को डिक्लेअर कर दिया गया है इंडिपेंडेंस सर्वर इन कंट्री ठीक है सावरिन बर्ड बहुत इंपॉर्टेंट है सावरेन कंट्री अच्छा एक बात आपको और मैं बताऊंगी कांस्टीट्यूएंट असेंबली जो थी ना 1947 से पहले 1947 के एक्ट में ही उसको एक सावरेन पावर दी थी वरना कांस्टीट्यूएंट असेंबली बी अगर लॉस बनती अगर ये एसओवरईटी इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के थ्रू कांस्टीट्यूएंट असेंबली को नहीं दी जाति तो आज भी हम लोग होते हैं तू डी ब्रिटिश पार्लियामेंट जो भी लॉस बनाए जाते हैं जो भी रूल्स बनाए जाते हैं वो ब्रिटिश पार्लियामेंट के सब आर्ट ही होता साथ ही साथ ये जो है इंडियन इंडिपेंडेंस है 1947 में जो वॉइस राय को ऑफिस था वो अबॉलिश कर दिया और अब ए गए गवर्नर जनरल और पहले गवर्नर जनरल कौन बनते हैं फर्स्ट गवर्नर जनरल बनते हैं लॉर्ड माउंटबेटन कांस्टीट्यूएंट असेंबली को दो डोमिनेंस में बांट दिया यानी की ये कहा की इंडिया और पाकिस्तान इंडिया और पाकिस्तान दोनों अपनी-अपनी कांस्टीट्यूएंट असेंबलीज बना लेने और अपना अपना कॉन्स्टिट्यूशन प्रिपेयर करें ताकि आपके गवर्न्ड जो है ठीक है साथ ही साथ 1946 1947 के इंडिपेंडेंस एक्ट के थ्रू एक बाउंड्री कमीशन के भी स्थापना कारी और इसके जो हेड थे वो कौन थे रेडक्लिफ ठीक है और इसी बाउंड्री कमीशन को हम लोग रेडक्लिफ लाइन जो है उसका क्रिएट किया गया और इंडिया और पाकिस्तान को डिवाइड करने वाले जो लाइन है वो है रेडक्लिफ लाइन और ये बाउंड्री कमीशन के कुछ स्थापित किया गया था अंदर सर रीक्लिफ क्लियर हो गई बात तो ये बात हो रही है आपकी इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट की जिसकी थ्रू हम लोगों को इंडिपेंडेंस मिलती है इंडिया वास डिक्लेयर्ड और सावरेन कंट्री कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली को पावर मिलती है की आप अपना कॉन्स्टिट्यूशन बनाया और अपने यूनिट्स को उसकी थ्रू गवर्नमेंट करिए साथ ही साथ यहां पे जो बाउंड्री कमीशन है उसके साथ ना कारी जाति है और रोल-राय के जो ऑफिस है उसको अबॉलिश कर दिया जाता है आगे बढ़ते हैं अब अगर हम लोग बात करें कांस्टीट्यूएंट असेंबली की बहुत कुछ भी अगर हम लोग पीछे के बड़े में सोच यानी की वो टाइम जब हम इंडिपेंडेंस मिल जाता है और उसके बाद कांस्टीट्यूएंट असेंबली जो है कॉन्स्टिट्यूशन को बनाने में ग जाति है उसका ड्राफ्ट प्रिपेयर कर जाता है वो साड़ी चीज बहुत ही ज्यादा एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी ब्यूटीफुल है उसको समझते हैं देखिए जो फर्स्ट मीटिंग थी कांस्टीट्यूएंट असेंबली की वो कब हेड हुई वो हुई 9 दिसंबर 1946 को कई बार ये साड़ी चीज जो हैं ये एग्जाम में पूछी जाति है नाइन दिसंबर 1946 आज एन सावरेन कांस्टीट्यूएंट असेंबली ऑफ इंडिया ऑन 11th दिसंबर दो राजेंद्र प्रसाद वास इलेक्ट स एन परमानेंट अध्यक्ष कौन बंता है परमानेंट अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद इसके टेंपरेरी अध्यक्ष कौन बनाए जाते हैं इसके टेंपरेरी अध्यक्ष कौन बनाया जाते हैं कमेंट क्षेत्र में शेर करिए चाहे गूगल ही करके करिए लेकिन कमेंट क्षेत्र में बताइए 8 अपॉइंटेड वेरियस कम्युनिटीज तू डील विद डिफरेंट एस्पेक्ट्स ऑफ डी कॉन्स्टिट्यूशन कॉन्स्टिट्यूशन के डिफरेंट एस्पेक्ट्स को डील करने के लिए बहुत साड़ी कमेटिस को स्थापना कारी गई ठीक है ऑन डी बेसिस ऑफ फर्स्ट डिस्केप अब उन कमेटी की जो रिपोर्ट्स आई उसके बेसिस पे पहले ड्राफ्ट जो है हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का उसको प्रिपेयर किया गया ठीक है ऑन 29th अगस्त 1947 एन ड्राफ्टिंग कमेटी ऑफ 7 मेंबर्स व सेटअप ऑन डी रिगार्डिंग डी कॉन्स्टिट्यूशन और दिस वज छेद में डॉक्टर बी अंबेडकर अब यह ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष कौन बने डॉक्टर बी अंबेडकर बने ठीक है तो पहले मीटिंग कब हेड हुई नाइंथ दिसंबर 1946 को हुई एक एन सावरेन कांस्टीट्यूटेड आ असेंबली कांस्टीट्यूएंट असेंबली ऑफ इंडिया और 11 दिसंबर को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को आज डी परमानेंट अध्यक्ष बना दिया जाता है कांस्टीट्यूएंट असेंबली का बहुत साड़ी समिति को बनाया गया डिफरेंट एस्पेक्ट्स पर कॉन्स्टिट्यूशन के डील करने के लिए हम अगर अपना कॉन्स्टिट्यूशन देखें तो उसमें किस तरह से एग्जीक्यूटिव लेजिसलेच्योर और ज्यूडिशरी को डिवाइड किया गया है आप लोग अच्छे से बराक में देख सकते हैं तो ऑन कम्युनिस्ट के रिपोर्ट पे एक ड्राफ्ट को प्रिपेयर किया गया एक ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई गई जिसमें 7 मेंबर्स थे और उसे ड्राफ्टिंग कमेटी को कौन हते कर रहा था डॉक्टर बी आर अंबेडकर आगे बढ़ते हैं अब यहां पे जो ड्राफ्ट कॉन्स्टिट्यूशन था उसको जनवरी 1948 में पब्लिश कर दिया गया बेसिकली पीपल ऑफ इंडिया यानी की इंडियन पीपल के लिए इंडियन इंडिया के लोगों के लिए उसको 1948 में पब्लिश किया गया और 8 महीने का टाइम दिया गया की आप ये ड्राफ्ट को डिस्कस करिए और इससे रिलेटेड अगर कोई अमेंडमेंट है तो उसको बिल्कुल प्रपोज कर सकते हैं तो लगभग 750 जो है अमेंडमेंट सजेस्ट करेगा थे जहां पे 2000 कुछ अमेंडमेंट के ऊपर डिस्कशन हुआ था और वो चेंज किया गए थे लेकिन अमेंडमेंट से रिलेटेड लगभग 7:30 अमेंडमेंट से रिलेटेड प्रपोज आए थे कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली के सामने अब यह चीज जो है यह चीज आपको याद रखती है क्योंकि यह एग्जाम में कई बार पूछा गया है कांस्टीट्यूएंट असेंबली हेड 11 सेशंस डी ड्राफ्ट कॉन्स्टिट्यूशन वास कंसीडर्ड पर 14 डेज डी कॉन्स्टिट्यूशन 2 साल 11 महीने और 18 दिन तक की मीटिंग जो है सेशंस हेड करें कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने और ड्राफ्ट कॉन्स्टिट्यूशन को 114 दिन तक की कंसीडर किया गया अमेंडमेंट के बड़े में मैंने आपको बता दिया अब देखिए अब यहां पे ये चीज जो है ये प्रीलिम्स का एक पार्ट बन जाति है क्या कहती है आर्टिकल फाइव सिक्स सेवन एट नाइन सिक्स 367 372 383 88 391 392 और 393 यह आते वंस इन फोर्स ए जाते हैं ठीक है यह जो आर्टिकल इन फोर्स ए जाते हैं तो ये जो आर्टिकल्स हैं जो मैंने अभी आपको रीड आउट करें ये एड ये एनफोर्स ए जाते हैं जैसे ही ये प्रिपेयर होता है ठीक है एनफोर्स आते वंस डी रिमेनिंग प्रोविजंस अब जो बच्चे हुए प्रोविजंस थे कॉन्स्टिट्यूशन के ये 26 जनवरी 1950 को एनफोर्स आते हैं तो इस पे क्वेश्चन पूछा जाता है एग्जामिनर पूछता है की वो कौन से प्रोविजंस है जो आते वंस इमीडीएटली जो है वो एनफोर्स हो जाते हैं अब यहां पे आप देखोगे सिटीजनशिप से रिलेटेड जो हमारे आर्टिकल हैं साथ ही साथ यहां पे आप देखोगे जो कमेंटमेंट से रिलेटेड आर्टिकल्स है 393 यह साड़ी चीज जो हैं इन फोर्स आते वंस ए जाति है और जो रिमेनिंग प्रोविजंस है यह बेसिकली आते हैं 1950 जनवरी 1950 को इन फोर्थ ठीक है तो ये जो है ये यहां पे जो कमेंट डेट है लेटेस्ट 26 जनवरी 1950 ड्राफ्ट कॉन्स्टिट्यूशन के ऊपर बहुत साड़ी डिबेट कारी गई अमेंडमेंट के लिए पूछा गया और फाइनली 11 सेशन हेड करें और इन 11 सेशंस में 114 दे तक के लिए लोग बैठे तो ये साड़ी हम लोगों ने अच्छी ब्रीफ हिस्ट्री हमारे कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया के बड़े में आई होप आप लोगों को ये साड़ी चीज थोड़ी-थोड़ी क्लियर हुई हूं अपने दिमाग में तो इसी के साथ आज का सेशन जो है हमारा पूरा होता है मिलते हैं नेक्स्ट लेक्चर में एक नए टॉपिक के साथ तब तक के लिए पढ़ाई करते रहिए टेक केयर और गुड बाय