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भारतीय संविदा अधिनियम का सारांश

Apr 14, 2025

भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act)

परिचय

  • भारतीय संविदा अधिनियम का महत्व और आवेदन क्षेत्र
  • यह अधिनियम पुरे भारत में लागू होता है
  • संविदा के प्रकार और विधियों पर ध्यान केंद्रित

संविदा के तत्व

  • ऑफर (प्रस्ताव): प्रपोजल जो एक व्यक्ति दूसरे को अपनी इच्छाओं के सूचित करता है
  • एक्सेप्टेंस (स्वीकृति): ऑफर की स्वीकार्यता जिससे प्रॉमिस का निर्माण होता है
  • कंसीडरेशन (प्रतिफल): संधि में दोनों पक्षों को कुछ पाने की प्रक्रिया
  • लीगल इन्फोर्सेबिलिटी (कानूनी बाध्यता): जब एग्रीमेंट को कानूनी रूप से लागू किया जा सकता है

संविदा के प्रकार

  • वैलिड कॉन्ट्रेक्ट (मान्य संविदा): सभी आवश्यक तत्व मौजूद
  • वॉइड कॉन्ट्रेक्ट (शून्य संविदा): संविदा आरंभ में वैलिड थी लेकिन कालांतर में अवैध हो गई
  • वॉयडेबल कॉन्ट्रेक्ट (रद्द योग्य संविदा): जब सहमति स्वतंत्र नहीं है

संविदा की समाप्ति के तरीके

  • नोवेशन (नवीनकरण), अल्टरेशन (परिवर्तन)
  • रिसेशन (रद्द करना)
  • परफॉर्मेंस (प्रदर्शन) द्वारा समाप्ति

संविदा में असंगतियाँ

  • फ्री कंसेंट का अभाव (कोर्जन, फ्रॉड, मिस्टेक)
  • कोर्जन (विवशता): दबाव या धमकी के अंतर्गत
  • फ्रॉड (कपट): जानबूझकर गलत जानकारी देना
  • मिस्टेक (भूल): तथ्य की या विधि की भूल

विशेष अनुबंध

  • बेलमेंट एवं प्लेज
  • एजेंसी

संविदा का उल्लंघन और रेमेडीज

  • डैमेजेस (हर्जाना): नुकसान की भरपाई
  • इंजंक्शन: संविदा का उल्लंघन रोकने के आदेश

महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत

  • क्वांटम मेरिट: जितनी सेवा दी गई उसके अनुपात में पारिश्रमिक
  • डॉक्ट्रिन ऑफ फ्रस्ट्रेशन: संविदा की निरस्तता जब प्रदर्शन असंभव हो जाए

अनुच्छेद एवं प्रावधान

  • अनुच्छेद 2(h): संविदा की परिभाषा
  • अनुच्छेद 10: संविदा के लिए आवश्यक तत्व
  • अनुच्छेद 56: असंभव कार्यों के लिए संविदा की निरस्तता
  • अनुच्छेद 73-75: हर्जाना और कंपनसेशन के प्रावधान

निष्कर्ष

  • अनुबंधों की समझ और इसके कानूनी प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है
  • अनुबंध अधिनियम हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

यह नोट्स भारतीय संविदा अधिनियम के मुख्य बिन्दुओं का सार प्रस्तुत करते हैं और अध्ययन के लिए उपयोगी हैं।