स्वागत है आपका अपने चैनल एक लव्यास नातक पे और मेरा नाम है सचिन और आज की इस वीडियो में हम पढ़ने वाले हैं बिये प्रोग्राम का जो सब्जेक्ट होता है MIL Hindi A और सेमेस्टर वन और सेमेस्टर टू दोनों में ही फिर वो Hindi MIL पढ़ता है तो Unit First में से जो आपका ग जो टॉपिक है राजभाशा, राष्टभाशा पार्ट सेकिन और पार्ट थर्ड में हम इस वीडियो को कंप्लीटली हतम कर देंगे तो आईए वीडियो को स्टार्ट करते हैं और आपको बताना चाहूँगा कि आप मुझे इंस्टाग्राम पे फॉलो कर सकते हैं मेरा यूजर नेम आपके सामने है तो अगर हम बात करें स्लेबस की तो इकाई एक जो कि हिंदी भाषा की जो इकाई एक है यानि कि इसमें हमने का अधुनिक भारते भाषाओं का उद्भव और विकास कर लिया है और आज जो हम करेंगे वो है ग यानि की राजभाषा, राष्टभाषा और संपर्कभाषा के रोप में हिंदी तो आईए स्टार्ट करते हैं तो परिचे से स्टार्ट करेंगे राष्टभाषा का अर्थ है राष्ट की भाषा ठीक है राष्टभाषा यानि की language of a nation किसी देश की भाषा ठीक है ऐसा मतलब ऐसी language या ऐसी भाषा जिसका प्रियोग देश की हर भाषा के लोग आसानी से कर सकें और बोल सकें और लिख सकें देखो रास्ट भाषा का सिंपल सा मतलब यही है कि ऐसी भाषा जो पूरे राष्ट में समझी और बोली जा सके ठीक है जो कि अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग हैं वो भी उस भाषा को समझ सके इतनी बड़ी वो भाषा हो ठीक है और मतलब सभी लोग उसको आसानी से ब अंग्रेजी सरकार ने अंग्रेजों की मतलब जो अंग्रेजों के हमारे यहां पर जो मतलब शासन हुआ था अंग्रेजों का तो आजादी के पहले के अगर हम बात करें तो अंग्रेजी सरकार ने अंग्रेजी के माध्यम से यानि कि इंग्लिश की माध्यम से सारा काम चलाया फ्रांस जाता है तो वहां की उनकी फ्रेंच है कोई जर्मन जाता है मतलब यह जर्मनी जाता है तो उनकी जर्मन लैंग्विज है इंग्लैंड कोई जाता है तो उनके पास अपनी इंग्लिश लैंग्विज है तो हर मतलब देश में अपने मतलब सभी की एक भाषा होना बहुत जरूरी होती है और ऐसी भाषा जो अपने देश की हो वह भाषा केवल हिंदी है ठीक है मतलब हमारे देश के अंदर हम देखें तो ऐसी भाषा की अगर हम बात करें जो काफी बड़ी हो और हर कोई से लगब� राष्ट शब्द का परियोग किसी देश तता वहाँ बसने वाले लोगों के लिए किया जाता है ठीक है अब राष्ट यानिकी नेशन राष्ट का मतलब होता है कोई देश ठीक है और परतेक राष्ट यानिकी हर देश का अपना स्वतंत रस्तेत होता है मतलब देखो हर देश भारत की ही अगर हम बात करें तो अलग-अलग जातियां अलग-अलग धर्म के लोग यहां पर रहते हैं विभिन स्थानों अथवा प्रांतों में रहने वाले लोगों की भाषा भी अलग-अलग होती है देखो जहां पर अगर कोई मतलब साउथ इंडिया में रहता है तो वहा तो अलग-अलग स्तान, अलग-अलग प्रांतों के हिसाब से वहाँ के रहने वाले लोगों की भाषा भी अलग-अलग होती है। इस भिन्नता के साथ उनमें एकता भी बनी रहती है। आगे देखते हैं। जो है मतलब पूरे देश में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए किया जाता है यानि कि राष्ट्र एक देश की अगर हमें एकता बनानी है तो हमें ऐसी लैंग्विज ऐसी भाषा की जरूरत होती है जिसका प्रियोग पूरे देश में हो सबसे इंपोर्टेंट काम जितने भी राष्ट भाषा कहलाती है ठीक है और ऐसी बड़ी व्यापक भाषा जो पूरे देश में मतलब बोली जाती हो लिखी जाती हो समझी जाती हो वहीं एक राष्ट भाषा है यानि कि किसी देश की भाषा और भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती है ठीक है आपको पता है मैंने आपको अभी तक मतलब बहुत सारी जो एक पूरा मैंने आपको हिंदी भाषा का जो है और मतलब सन 1947 में भारत को स्वतंतरता प्राप्त हुई सब जानते हैं और जब तक भारत में अंग्रेज शासक रहे तब तक अंग्रेजी का बोलवाला था। जब तक अंग्रेज लोग हमारे देश के अंदर थे हम जब तक उनके गुलाम थे जब तक हमारे यहाँ पे इंग्लिश का बोलवाला था। इंग्लिश सब भी प्रशासन के काम इंग्लिश में हर काम इंग्लिश में जब तक अंग्रेज यहाँ पे थ देखो जो अंग्रेज लोग थे वो तो चले गए अब ये तो possible था नहीं कि देश के सभी लोग अंग्रेजी समझते हो गरीब लोग भी हैं और भी बहुत सारे लोग हैं कई नेता भी होते हैं जिनको इंग्लिश ना आती ठीक है या उनको इंग्लिश समझ में नहीं आती तो ऐसे में अंग्रेज जब चले गए तो ये possible नहीं था कि देश के सारे कारे या हर काम अंग्रेजी में हो जब देश के सविधान का निर्मान किया गया तो यह प्रशन भी सामने आया तो बहुत ज्यादा डिबेट हुई थी बहुत बात वाद विवाद हुआ था बहस चर्चा हुई थी कि हमारे आखिर देश की राष्ट्र भाषा क्या होनी चाहिए ठीक है जिस पर सभी सैमत हों क्योंकि राष्ट्र भाषा के बिना देश के स्वतंत्र अस्थित्व के पहचा किसी राष्ट की अगर भाषा ना हो तो कहीं ना कहीं उसकी पैचान जो है वो नहीं बन पाती और कुछ लोग अंग्रेजी भाषा कोई राष्ट भाषा बनाए रखने के पक्ष में थे उस टाइम पे जब सविधान बन रहा था कि वही इंग्लेश कोई राष्ट भाषा बना मैंने अभी आपको बताया कि राष्ट भाषा वह भाषा है जिसको देश का एक बड़ा तबका समझ सके, लिख सके, ठीक है? तो जब अंग्रेजी ऐसी बाशा है, आज के टाइम में मैं बता रहा हूँ, ये तो अजाधी के टाइम की बात है, आज के टाइम में भी, आप देश के कोने में जाओ, आपको मतलब हर कोई ऐसा नहीं होगा जो इंग्लिश बोलता हो, ठीक है? आप मेंसे भी बहुत सारे हिंदी को राष्ट बाशा घोशित करने के प्रमुख तर्क अब कुछ लोगों ने तरक दिये कि देखो अंग्रेजी तो बनने से रही राष्ट बाशा लेकिन हम हिंदी को बना सकते हैं राष्ट बाशा अब हिंदी को राष्ट बाशा बनाने के लिए क्या तरक दिये गए देखो पहला तो ये तरक दिया गया कि हिंदी एक भारतिय भाशा है तो इससे हमें बिलकुल भी वो नहीं डर होगा कि भाई किसी दूसरे देश की बाशा हम अपनी राष्ट बाशा बना रहे हैं और जितनी संक्या हिंदी बोलने वालों की थी उतनी किसी भी अन्य प्रांते बाशा को बोलने वाले लोगों की नहीं थी मतलब हिंदी को जितने लोग बोलते थे उतनी कोई और बाशा नहीं थी जो मतलब ज़्यादा बोले जाती वो उस टाइम पे हिंदी समझना बहुत आसान है पाँच से शे मैने में कोई भी हिंदी सीख सकता है हिंदी ज़्यादा मुश्किल नहीं और इन सभी तरकों के साथ भारते सविधान सबा ने यह इनिश्चे किया कि हिंदी को भारत की राष्ट बाशा और देवनागर कि आगे देखते हैं हिंदी को राष्ट्रभाषा गोशित करने के बाद उसका एकदम परियोग करना कठीन था यानि कि हम एकदम से बिल्कुल उसको इस्तेमाल नहीं कर सकते राष्ट्रभाषा के रूप में और इसलिए फिर क्या हुआ कि जो आज की कर्मचारी थी ठीक है जो सरकारी कर्मचारी होते हैं उनको यह सुविधा दी गई कि सन 1965 तक केंद्रीय जो जितना भी काम होगा शासन का वो व्यावारिक रूप से अंग्रेजी में चलता रहे मतलब जिसको दिक्कत थी जिन अफसरों को जिन करमचारियों को कि वह हिंदी एकदम से नहीं प्रयोग कर सकते थे तो उनको 1965 तक केंद्रेशासन का काम जो है व्यावारिक रूप से के लिए प्रयत्न किए जाएं ऐसा उन्होंने निश्चय किया कि हम 15 साल तक हिंदी को इतना अच्छा कर देंगे कि हर करमचारी उसे समझ सके आगे देखते हैं इसमें क्या है अ इस बीच सरकारी करमचारी भी हिंदी सीख लें और करमचारीयों को हिंदी पढ़ने की विशेष सुझदाएं दी गई। इसी परकार की अन्य सुविधाई भी हिंदी को दी गई ठीक है ताकि हिंदी अंग्रेजी का स्थान पूरो नोप से ग्रहन कर ले हम चाते थे कि हमारे देश में हिंदी भाषा रहे अंग्रेजी जो दबदबा बनाई हुई थी कहीं न कहीं हिंदी उसको जाके उसका स्थान ले उसको रिप्लेस कर दे ठीक है अनेक भाषा विशेशग्य जो की भाषा के जानकार थे उनकी राय यह थी कि यदि भारते भाषाओं की लीपी को देवनागरी सुइकार कर लिया जाए तो राष्ट्रिय भावनात्मक एकता स्तापित करने में सुविदा होगी अगर हम पूरे देश की पूरे भारत की भाषाओं की जो लीपी है उसको अगर हम देवनागरी मान ले तो राष्ट्रिय भावनात्मक एकता स्तापित करने में सुविदा होगी हम एकता जल्दी से जल्दी स्तापित कर पाएंगे सभी आज जहां शासन और जनता हिंदी को आगे बढ़ाने और उसका विकास करने के लिए परिवर्तनशील है, वहां ऐसे भी कुछ लोगों की कमी नहीं है कि जो किसकी टांग पकड़कर पीछे घसिटने का प्रियर्तन करते हैं। यानि कि हमारे देश की सरकार, शासन और जनता यानि कि लोग हिंदी को आगे बढ़ाना चाते हैं हिंदी को आगे लाना चाते हैं उसका विकास करना चाते हैं लेकिन ऐसे लोगों के भी गमी नहीं हैं जो उनकी टांग कीजते हैं पीछे घसीटते हैं मतलब कहीं ना कहीं वो टांग अडाते हैं और इन लोगों में कुछ ऐसे भी हैं यानि कि हिंदी का समर्तन तो करते हैं वो सिरफ यह कहते हैं कि सरकारी भाषा बने लेकिन राष्ट्र भाषा के रूप में वो उसका विरोध करते हैं और कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उर्दू का निर्मूल पक्ष में समर्थन करते हैं यानि कि नकली समर्थन, दिखावटी समर्थन, ठीक है, मतलब आप कह सकते हो कि, मतलब ऐसा समर्थन जो कि सिरफ नकली समर और धीरे अब क्या हो रहा है जो पंजाब का इलाका है बंगाल का इलाका है चन्नई के जो निवासी हैं वो प्रांतियता के कारण या छेत्रियता के कारण संकींडता में फसकर अपनी भाषाओं की मांग कर रहे हैं अब जब ऐसे लोग जब कहीं पैदा होते हैं जो टांग अड़ाते हैं कामों में और ऐसे में वो दूसरों को भी भढ़काते हैं जिसके कारण पंजाब बंगाल और चन्नई के लोग भी कह रहे हैं भाई हमारी भी भाषा है ठीक है हमारी भी तमिल भाषा है बंगाल कहते हैं उसको राष्ट्रभाषा बनाओ तो अब ऐसी कहीं ना कहीं समस्या आने लगी है परन्तु सचाई तो यह है कि हिंदी ही एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके द्वारा संपूर्ण भारत को एक सूत्र में प्रवेशा सकता है क्योंकि हिंदी ही हर कोई समझता कुछ न कुछ रुकावटे बादाएं जरूर आती हैं पर हमारी सरकार हमारी केंद्र सरकार राज्य सरकार और हमारे यहां के लोग हिंदी का विकास करना चाहते हैं सरकार द्वारा अनेक योजनाएं बनाई गई हैं और उत्तर भारत में अधिकांच राज्यों में सरकारी कामकाज हिंदी में ही किया जाता है ठीक है उत्तर भारत में नोर्थ इंडिया का जो इलाका है वहां पर ज़्यादातर कामकाज जो होता है सरकारी वह हिंदी में ह राष्ट्रेकरित बैंकों ने भी हिंदी में कार्य करना आरम कर दिया है यानि कि जो मतलब हमारे राष्ट्रेकरित बैंकों ने भी हिंदी में कार्य करना शुरू कर दिया है विविन संस्ताओं और अलग-अलग संस्ताएं और अलग-अलग अकैडमी यानि कि अकादमी द्वा और आकाश मानिंग ठीक है रेडियो और हमारे जो टीवी पर दुर्दर्शन देखें तो वहां पर भी हिंदी का बहुत विकास किया गया ठीक है और काफी प्रयत्न प्रयास किया गया है कि हिंदी का विकास किया जा सके और किसी प्रदेश की जाता है उसे राज्य भाषा कहते हैं अब एक परिवाश मैंने आपके सामने पड़ी कि हम जो है राज्य भाषा किसे कहते हैं तो किसी पर्देश की राज्य सरकार, मालो कोई भी पर्देश है, जाने कि उत्तर पर्देश है, वहाँ की जो राज्य सरकार है, ठीक है, यानि कि पूर एक्जामपर आज के टाइम पर योगी सरकार है, ठीक है, तो किसी भी पर्देश की राज्य सरकार के द्वारा, उस राज वह अपने वहां की जो कामकाज की भाषा है वह कैसे रखना चाहते हैं वह राज्य की भाषा प्रशासनिक काम करते हैं तो वहां की राज्य भाषा हो जाएगी ठीक है तो यह भाषा संपूर्ण पर्देश की अधिकांत जन समुताय द्वारा बोली और समझी जाती है ठीक है ठीक है उत्तर प्रदेश है तो वहां पर पूरे में उत्तर प्रदेश में बोली जाती हो समझी जाती हो तब ही उसको राज्यभाषा बना सकते हैं प्रशासनिक दृष्टि से संपूर्ण राज्य में सर्वत्र इस भाषा को महत्व प्राप्त रहता है ठीक है यानि कि प्रश तो इस पार्ट में इतना ही जल्दी ही हम इसके बचेवे टॉपिक्स भी कर लेंगे आप चैनल को सब्सक्राइब करना बिल्कुल भी न भूलें बैल आइकन दबादे ताकि आने वाले वीडियोस के अपडेट आपको मिलते रहें और व