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Impacts of Digital Platforms on Society

मैंने हमेशा कहा है कि सीज़ंस और जो सीरीज Netflix पर लोग देखते हैं, लिमिटलेस अमाउंट ऑफ टाइम अपना जाया करते हैं, उससे उनके दिमाग पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। सोशल मीडिया की वजह से या फिर बंज कंज्यूम करने की वजह से एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म्स को सोचने की कैपेबिलिटी खराब कर लेते हैं अपनी। लेकिन इसके साथ-साथ मैंने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स चाहे वो YouTube हो या Netflix हो जिस पर कुछ इनफॉर्म्ड और हकायक पर मबनी और साथ-साथ जो कि सोशल डिबेट्स को शुरू करवा सकें। ऐसी बहुत सी चीजें देखी और सीखा भी है उससे। रिसेंटली एक सीरीज जिसके बारे में एक बहुत बड़ी डिबेट शुरू हुई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ऊपर Facebook पे, YouTube पे, Instagram पे हर जगह, Twitter पे मैंने उसको देखा कि उसके बारे में बात की जा रही है। उसका नाम है एडलेसेंस और वो एक बच्चे की कहानी है। वो कहानी क्या है? आप लोगों में से जिन लोगों ने वो देख ली है, उनको इल्म होगा। जिन्होंने नहीं देखी, थोड़ा सा स्पॉइलर देना पड़ेगा। उसकी वजह यह है कि बहुत ही अहम सोशल इशू को वो एड्रेस करती है। उसके बारे में इस सीरीज को बनाया गया है। तो इस बार जब मैंने यह देखा कि ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर क्योंकि ये ब्रिटिश सीरीज है। ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर के एस स्टमर ने Facebook पोस्ट मैंने उनकी देखी कि वो ये क्या कह रहे हैं कि मैंने अपने बच्चों के साथ बैठकर इसको देखा है। इट वास अ डिफिकल्ट वॉच कि इसको देखना खासा मुश्किल लगा मुझे और वो इसीलिए कह रहे हैं कि मुझे भी मुश्किल लगा। हर किसी को लगा हुआ जिसने वो देखी है क्योंकि जो पहलू उसमें उजागर किया गया है वो बड़ा डिस्टर्बिंग है मेंटली। ठीक है? उन्होंने कहा कि यह इतने मुश्किल इशू पर बनी है लेकिन मैं तारीफ करूंगा इसकी टीम की और इस तरह की कन्वर्सेशंस और गुफ्तगू और डिस्कशंस हमें करनी पड़ेंगी। यहां तक ऐलान कर दिया कि हम इस सीरीज को तमाम ब्रिटिश स्कूल्स में फ्री दिखाएंगे। ठीक है? यानी कि अवेयरनेस के लिए इसको पब्लिक किया जाएगा ताकि सिर्फ Netflix के व्यूअर्स नहीं बल्कि पब्लिक स्कूल्स जो ब्रिटेन के अंदर हैं वहां पर मौजूद बच्चे भी इसको देखें और इस तरह के इवल से बच सकें। इससे पहले कि मैं स्टोरी की डिटेल में जाऊं और इस कल्चर का आपको एक पूरा बैकग्राउंड बताऊं जो इस फिल्म में दिखाया गया है। आप यह देखिए कि एक मुल्क का प्राइम मिनिस्टर एक ऐसी सीरीज की तारीफ कर रहा है जो कि उसके मुल्क की सबसे ज्यादा खौफनाक हकीकत बच्चों से मुतालिक उसको उजागर करती है। हमारे मुल्क में यही जिंदगी तमाशा या इस तरह की जो फिल्में बनी जो कि मुआशरे में होने वाले वायलेंस के हवाले से बात कर रही थी। एक मिनट में उनको बैन कर दिया गया। फर्क यह है कि वहां पर वो अपनी गलती मानने की अभी तक जुर्रत रखते हैं और रिफॉर्म करने की कोशिश करते हैं अपने मुआशरे को। ठीक है? हमारे यहां पर क्या है कि अगर ऐसा सीजन या सीरीज यहां बनी होती तो पहला बयान ये आता कि यह हमारे मुल्क के मनफी पहलू को उजागर कर रही है। इसीलिए इसको तो नहीं लगना चाहिए या फिर इसमें सहनी ताकतें उनका प्रोपेगेंडा इनवॉल्व है। इसीलिए वो मुल्क का नाम पाकिस्तान का नाम बदनाम करना चाहती हैं। तो हम ये आम शहरियों को नहीं देखने देंगे। तो पहला रिस्पांस यहां पर यही होता। लेकिन ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर को एडमायर करना चाहिए इस बात पर कि उन्होंने इसको इस अवेयरनेस को फैलाने के लिए मजीद एक डायलॉग का आगाज किया। तो जनाब इस सीरीज में जिसकी चार एपिसोड है सिर्फ वो जब मैंने देखी तो मैं मान गया इस बात को कि जो इस पर डिबेट हो रही है वो बहुत ही इंपॉर्टेंट मसले के बारे में है। वो मसला क्या है जनाब? एडलेसेंस नामी इस सीरीज में दिखाया गया है कि जेमी मिलर नाम का एक बच्चा होता है स्कूल में पढ़ता है। असल में इस बच्चे का नाम ओवन कूपर है। इसका पहला रोल था ये एंड ही डिड अ फैंटास्टिक जॉब अनबिलीवेबल जॉब। इतनी जबरदस्त एक्टिंग की उसने तो दिखाया यह गया कि वो ऐसा बच्चा है जिसको सोशली आइसोलेट किया गया जिसको स्कूल में कोई मुंह नहीं लगाता। और साथ-साथ सबसे बड़ा मसला यह है कि खवातीन की अटेंशन उसको मिल नहीं पाती। तो वहां पर मौजूद एक बच्ची जिसका नाम केटी होता है वो इस लड़के की एक तस्वीर पर Instagram पर जाके उसको ट्रॉल करती है मॉडर्न टर्मिनोलॉजी में और बुली करती है। वो किस तरह से करती है? वो इस तरह से करती है कि वो उसको इनसेल कहती है और वो भी इमोजीस के थ्रू मीम्स के थ्रू। अब इनसेल क्या होता है? यह मैं आपको बाद में बताता हूं। लेकिन यह करने की वजह से उनकी आपस में बहस और लड़ाई होती है और वह बच्चा उस लड़की का मर्डर कर देता है और यह सोचता है कि मैंने तो कुछ गलत नहीं किया और उसके बाद में उसको पुलिस पकड़ के ले जाती है। उसका ट्रायल होता है। उसके वालिदैन को पता चलता है और मुआशरा भी उसको कोई लोग सपोर्ट करते हैं। कोई शेम करता है। तो इस पर वो मबनी है। मैं पूरी कहानी सुनाने के लिए नहीं आया कि इस सीरीज की आपको पूरी एक समरी बता के यहां पर चला जाऊं। बल्कि मैं यह बताने आया हूं कि यह नया कल्चर जो कि आपके बच्चों के हाथ में जो स्मार्टफोनस हैं उसके थ्रू वो फैला रहे हैं। शायद आपको इसका इल्म ही ना हो और आपको पता ही ना हो कि वो बच्चा जो आपके सामने बिल्कुल नॉर्मल बिल्कुल ठीक और बिल्कुल वेल बिहेव्ड लग रहा है। वो असल में अंदर से एक वायलेंट क्रिमिनल बनता जा रहा है। यह जांचने के लिए आपको इस कल्चर की गहराई में जाना पड़ेगा कि आज के सोशल मीडिया के ऊपर जजी के साथ क्या हो रहा है। अब जजी कौन है? जजी वो हैं जो 90ज यानी कि लेट 90ज में 96 ऑनवर्ड्स पैदा हुए या 2010 से पहले पहले पैदा हुए। उसके बाद जनरल अल्फा आ जाती है। इस एज ब्रैकेट के बच्चे ठीक है? इनका जो सोशल मीडिया इंटरेक्ट करने का एक डिमिनर है वही इतना तब्दील है कि जिस तरह से ये आइडियाज कन्व करते हैं जो इनके एटीट्यूड्स हैं और जिस तरह से यह लैंग्वेज और साइंस का इस्तेमाल करते हैं, सिंबल्स का इस्तेमाल करते हैं, उसके तहत कौन सा कल्चर परवान चढ़ रहा है? आज जरा इसकी बात करते हैं। तो इनसेल का मैंने लफज़ बोला। इनसेल कल्चर और इनसेल मूवमेंट है क्या? जरा यह सुन लें। इसको कहते हैं इनवोलंटरी सेलिब्रेट यानी के एक ऐसा शख्स, एक ऐसा मर्द मोस्टेंटली अ मेल जो कि फ्रस्ट्रेट हुआ हुआ है बाय हिज लैक ऑफ सेक्सुअल एक्सपीरियंस। यानी कि एक ऐसा मर्द जो चाहता है कि वो खवातीन से बात करे, इंटरेक्ट करे, उनके साथ ताल्लुक कायम करे। लेकिन क्योंकि उनको उनकी अटेंशन ही नहीं मिल पाती। तो इसीलिए फिर उनको इनसेल कहा जाता है इस तरह के मर्दों को जो कि अपने आप को खुद आइडेंटिफाई करवाना शुरू कर देते हैं कि मैं इनसेल हूं। यानी कि आई वांट टू बी इन कांटेक्ट विद वुमेन बट दे डोंट गिव अ डैम अबाउट मी एंड दे डोंट गिव एनी हीट टुवर्ड्स मी एज वेल। कोई अटेंशन नहीं देती। या फिर इसको एक स्लैंग के तौर पर सोशल मीडिया पे उन लोगों को कहा जाता है जो कि खवातीन के खिलाफ नफरत और जहर उगल रहे होते हैं। तो इनसेल्फ मूवमेंट का आगाज सोशल मीडिया के 2015-16 के बाद मुख्तलिफ प्लेटफॉर्म्स पर हमने देखा। जिस तरह से हमने ये देखा कि रेडिट नामी जो प्लेटफार्म है उस पे बहुत ज्यादा ग्रुप्स बने। 2017 में वहां पे सबसे बड़े आर इनसेल नामी ग्रुप को बैन कर दिया गया। ठीक है? क्योंकि उसके ऊपर होता क्या है कि यह तमाम मर्द इकट्ठे होते हैं और यह डिस्कशंस करते हैं कि हमारा कसूर नहीं है कि हमें अटेंशन नहीं दी जा रही। यह खवातीन का कसूर है क्योंकि वो इतनी सेलेक्टिव हैं और उनकी सिलेक्शन की वजह से क्या होता है कि वो सिर्फ चंद मर्दों को अटेंशन देती हैं और हम सब फ्रस्ट्रेशन में बैठे रहते हैं। अब इसको फिल्म के अंदर भी एडलेसेंस के अंदर भी दिखाया गया सीजन के अंदर। सॉरी और वैसे भी एक इनसेल्फ बिलीफ है ये जिसका नाम है 80 रूल। 80 रूल क्या है? वो पेरितो प्रिंसिपल भी इसको कहते हैं जो कि एक इटालियन इकोनॉमिस्ट थे जिनका नाम था विलफ्रेडो पेतो। अच्छा अब इस प्रिंसिपल के तहत इस इकोनॉमिस्ट ने क्या कहा था कि 80% ऑफ आउटकम्स हैव 20% ऑफ कॉजेस। 80% जो चीजें होती हैं उनके 20% पीछे कॉजेस होती हैं। यानी कि मुशरे में होने वाला सोशल फिनोमिना, इकोनॉमिक फिनोमिना या इस तरह का दीगर फिनोमिना जो है 80% वो सिर्फ 20% रीज़ंस की वजह से हो रहा होता है। अब इन सेल ग्रुप्स में मौजूद लड़कों ने क्या किया? उन्होंने यह क्या उन्होंने यह प्रोपगेट करना शुरू कर दिया कि 80% ऑफ़ द वुमेन आर अट्रैक्टेड टू 20% ऑफ़ द मैन। कि 80% खवातीन सिर्फ 20% मर्दों की तरफ अट्रैक्ट होंगी। उसके अलावा वह किसी को अटेंशन नहीं देंगी। तो बाकी जो 80% मर्द है उन्हें क्या करना पड़ेगा? उन्हें फिर जबर इस्तेमाल करना पड़ेगा। सोशल चेंज की बात करनी पड़ेगी। पेट्रियाकी लानी पड़ेगी ताकि वो जो 80% मर्द इग्नोर हो रहे हैं। इनका भी बैलेंस ऑफ पावर मेंटेन हो जाए। ये जनाब इनकी थ्योरी है जिसको साइंस बिल्कुल कंफर्म नहीं करती कि इसमें कोई सर पैर इसका है या नहीं है। लेकिन इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ऊपर ये बातें होती हैं। होती किस तरह है? ये बड़ा इंटरेस्टिंग है। ये सुनिएगा आगे जाके। तो 2022 में साइकेट्रिक रिपोर्ट एक आती है जो यह कहती है कि इनसेल कल्चर के जो कोर बिलीव्स हैं वो क्या है? नंबर वन अपीयरेंस बेस्ड हैरार्की। यानी कि मुआशरे में आपको नौकरी कैसी मिलती है? आपको कितनी ओपोरर्चुनिटीज आपको पार्टनर कैसा मिलेगा? इस सारे का ताल्लुक दरअसल आपकी अपीयरेंस से है कि आप लगते किस तरह के हो। पहला उनका यह फ्लॉट बिलीफ होता है। दूसरा वो यह समझते हैं कि तमाम जो रोमांटिक रिलेशनशिप्स हैं उनका ताल्लुक भी सिर्फ आपकी शक्ल से और किसी चीज से नहीं होगा। ठीक है? फिर वो यह समझते हैं कि फीमेल हाइपरगैमी पे वो बहुत बिलीव करते हैं। यानी कि वो समझते हैं कि खवातीन वुमेन आर वेरी सेक्सुअली सेलेक्टिव व्हेन इट कम्स टू चूजिंग मैन। कि खवातीन बहुत ही ज्यादा हाइपर स्क्रूटनाइज करती हैं मर्दों को और फिर चूज़ करती हैं। किसी को भी उठा के बात नहीं करना शुरू कर देती उससे। और वो यह समझते हैं यानी कि इनसेल्स ये समझते हैं कि ये जो प्रिविलेज है खवातीन के पास देयर अवेलेबिलिटी इज अ प्रिविलेज दैट दे यूज़ फॉर सोशल एडवांसमेंट। तो यह मर्द अपने ग्रुप्स में क्या बातें करते हैं कि इस तरह की जितनी खवातीन जो हमें अटेंशन नहीं दे रही वो असल में अपनी ब्यूटी को अपनी अपीयरेंस को सोशल अपवर्ड सोशल मोबिलिटी के लिए इस्तेमाल करती हैं। इसीलिए वो सिर्फ थोड़ी सी प्रोपोर्शन के मर्दों के पीछे जाएंगी जो बहुत ज्यादा हैंडसम होंगे, बहुत मैस्कुलाइन होंगे, बहुत पैसे वाले होंगे या जिनके पास ओपोरर्चुनिटीज बहुत ज्यादा होंगी। तो इस तरह से फॉल्स बिलीफ के ऊपर ये नैरेटिव क्रिएट करते हैं। तीसरा पॉइंट यह है चौथा इनफैक्ट कि दे डिसलाइक फेमिनिज्म। यह समझते हैं कि खवातीन के पास अपनी बॉडीली ऑटोनोमी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि अगर उनके पास अपनी ऑटोनोमी हुई, अपने पार्टनर को चूज़ करने का राइट हुआ तो फिर हम तो इग्नोर होते रहेंगे। इसीलिए वो रिजिड पेट्रियर्की लेकर आओ। वो पदरशाही निजाम लेकर आओ जिसमें खातून के पास हक ही ना हो कि उसने पार्टनर चूज़ करना है। क्योंकि उसको हक मिल गया तो हम इग्नोर हो जाएंगे। यह हैं डेंजरस बिलीव्स इनके। अच्छा अब इसके ऊपर सिंबलिज्म क्या यूज़ होता है? एक रेड पिल और ब्लू पिल की थ्योरी है जो कि सोशल मीडिया के ऊपर अक्सर आपको इमोजीस यूज करते हुए बच्चे दिखाई देंगे। आपको उसका मतलब नहीं पता होगा। यह वीडियो मैं बनाई इसलिए रहा हूं कि कोई पेरेंट अगर देख रहा है तो अपने बच्चे के जो चैट्स हैं उनको कम से कम मॉनिटर करके यह देख ले कि इनमें से कोई इमोजी यूज़ तो नहीं हो रही क्योंकि लोग कर रहे हैं। आई हैव लिटरली प्रैक्टिकली सीन चिल्ड्रन हु आर डूइंग इट। इन द सिटी ऑफ़ लाहौर। ये यूके अमेरिका की बात नहीं हो रही। ठीक है? तो रेड रेड पिल ब्लू पिल थ्यरी क्या है? अब आपको पता है कि मैट्रिक्स नाम की एक मूवी थी 1999 में बनी थी। उसमें जो किनो रीफ्स का कैरेक्टर था जिसका नाम नियो था। अ वहां से इन्होंने दरअसल ये सिंबल जो है वो ड्रॉ की है और वहां से एनालॉजी ड्रॉ की है। उस मूवी में दिखाया गया कि दो किस्म की पिल्स होती हैं। एक ब्लू होती है और एक रेड होती है। अब रेड में से और ब्लू में से उसको एक चूज़ करनी होती है। अब रेड पिल का मतलब क्या है? अनकंफर्टेबल एनलाइटेंड रियलिटी यानी के आपने यह एकनॉलेज करना है कि हकीकत तो यही है और हकीकत ऐसी ही रहेगी। मैंने इसको चेंज करना है। और ब्लू पिल क्या है? ब्लू पिल यह है कि पीसफुल इग्नोरेंस यानी कि यह फिनोमिना मुआशरे में एकिस्ट करता है। मैं इसको अवॉइड करूंगा क्योंकि मैं इसको चेंज नहीं करना चाहता और ना मैं इसको एकनॉलेज करूंगा। ठीक है? मैं पीसफुली इसको इग्नोर करूंगा। तो इन सेल ग्रुप्स में रेड पिल और ब्लू पिल का इमोजी इस्तेमाल होता है। और जो रेड पिल्ड जिसको ये कहते हैं रेड पिल्ड वो वो इंसान होता है जो यह तहया कर लेता है कि अब रियलिटी तो यही है कि 80% खवातीन हमें मुंह नहीं लगाएंगी। इसीलिए हमने इस रियलिटी को चेंज करना है और करना कैसे है? वो ऐसे करना है कि वो यह समझते हैं कि क्योंकि खवातीन की सेक्सुअलिटी और उनका जो रोमांटिक एंडेवर है वो उनका प्रिविलेज है। अब इसको हासिल करने के लिए हमें एक गेम की तरह खेलना है। जिस तरह गेम में पॉइंट नहीं स्कोर करते इसी तरह हमने यह एक्वायर करके रहना है थ्रू एनी मींस पॉसिबल। ठीक है? किसी भी तरह से वह हमने करना है। तो यह फिर खवातीन के कंसेंट को, खवातीन की बॉडीली ऑटोनमी को और खवातीन के नो कहने को एक्सेप्ट नहीं करते। बिकॉज़ दे से दे डोंट हैव द राइट। बिकॉज़ वी आर मेल और मेल सुपीरियरिटी पे इनका कोर बिलीफ है कि मेल सुपीरियर हैं खवातीन से। तो इसीलिए हम डिसाइड करेंगे किस खातून को हमसे बात करनी है, किससे नहीं करनी। उसकी वजह यह समझते हैं कि इनमें वो कैरेक्टरिस्टिक्स नहीं है कि इनको खवातीन कभी चूज करेंगी। इसी वजह से इनको फोर्स और वायलेंस का इस्तेमाल करना है। वारेन बफेट जो इकोनॉमिस्ट है उन्होंने टर्म यूज़ की थी ओवेरियन लॉटरी। यानी के जिस खातून के थ्रू आप जिंदगी में आते हैं, पैदा होते हैं। आपकी फैमिली, आपकी शक्ल, आपका प्रिविलेज वो आप डिसाइड नहीं करते। तो रैंडमनेस ऑफ लाइफ यानी कि लक जो है वो सबसे बड़ा रोल प्ले करती है जिंदगी में। तो यह भी उस ओवेरियन लॉटरी पर यकीन करते हैं कि जिनकी ओवेरियन लॉटरी लग गई वो तो ठीक हैं। हमारी नहीं लगी तो हमने वायलेंट चेंज ले आना है। ठीक है? और उसके बाद कैसे वाक्यात होते हैं ये मैं आपको आगे जाकर बताऊंगा। क्या हुआ जनाब? 2014 में कैलिफोर्निया के अंदर शूटिंग होती है जिसमें छह लोगों की जान जाती है। वो करने वाला इंसान मैं नाम नहीं लूंगा। वो वीडियो स्ट्राइक डाउन हो सकती है उससे क्योंकि ये एक वायलेंट प्रैक्टिस है। तो एक सेलिब्रिटी बना दिया गया उसको और इनसेल ग्रुप्स में उसको सेलिब्रेट किया गया क्योंकि उसने आइडेंटिफाई किया कि मैं इनसेल हूं और मैं ठीक कर रहा हूं। ये लोग इतने फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं कि फिर यह जाके दूसरों को मारते हैं। जो कि एडलेस सीजन में दिखाया गया है। तो इस तरह से हकीकी वाकया यह हुआ जिसके बाद उसको हीरो बना के पेश किया गया। 2021 टोरंटो के अंदर एक और वाक्या होता है कनाडा में जहां एक वैन लेकर एक लड़का चढ़ा देता है सबके ऊपर। 10 लोगों को मारता है और उसको कहता है यह इनसेल रिबेलियन है। यानी कि हम इंकलाब ले आए हैं और हमने ओवर थ्रो कर देना है सबको। किसको ओवर थ्रो करना है वो मैं बताता हूं आपको। सिंबलिज्म क्या है? लेकिन इस तरह से इनमें रिजेंटमेंट की फीलिंग्स होती हैं। रिवेंज की फीलिंग्स होती हैं। इसी वजह से यह हर उस आदमी को डिस्ट्रॉय करना चाहते हैं। और उस खातून को भी जो कि उनको प्रिविलेज लगता है जिसके पास ओपोरर्चुनिटीज हैं मिंगल करने की, बातचीत करने की, मिक्स होने की। ठीक है? वो जिस तरह एक कोट था फ्रेडरिक नीचे का जो रिज़ेंटमेंट पर काफी काम कर चुका है। वो कहता है नथिंग ऑन अर्थ कंज्यूम्स अ मैन मोर क्विकली देन द पैशन ऑफ रिजेंटमेंट। बदला लेने की इंस्टिंक्चुअल विल जब बिल्लत के अंदर अगर बदला लेना आ जाए और नीचे यह कहता है कि जो कमजोर होता है जो कि सेल्फ स्क्रूटनाइज। हालांकि नीचे भी बहुत मिसिस्टिक आदमी था बाय द वे। और मैं उसके बिलीव्स के ऊपर डिटेल्ड कमेंट्री कर चुका हूं कि कितने प्रॉब्लमैटिक थे खवातीन के बारे में। बट दैट डजंट मीन हज़ फिलॉसफी कैन नॉट बी एप्रोप्रिएटेड ऑन समथिंग दैट शुड बी रिफॉर्म्ड। ठीक है? तो वह यह कहता है के पैशन ऑफ रिजेंटमेंट सबसे जल्दी एक इंसान को कंज्यूम करता है। क्योंकि बदले का गुस्सा अंदर से अपनी कमजोरी पे नदामत और उसको ठीक करने की बजाय दूसरे पे गुस्सा निकालना ये इंसान के दिमाग को बिल्कुल एलिमिनेट करके रख देता है। तो ये लोग भी उसी का शिकार होते हैं। तो जनाब फिर ये करते क्या हैं? यह करते यह हैं कि सोशल मीडिया डिबेट्स के ऊपर इन ग्रुप्स के ऊपर इनकी डिस्कशंस होती हैं और किस तरह से होती हैं ये जो सिंबल्स का इस्तेमाल करते हैं जो टर्म यूज करते हैं वो आपकी समझ से बाहर होंगी। मैंने आज से कुछ अरसा पहले कुछ जजी के इस तरह दो चार बच्चों को बात करते हुए सुना जो वो टर्म यूज़ कर रहे थे। मुझे तो समझ ही नहीं आ रही थी। मैंने डिक्शनरी निकाल कर सर्च करने की भी कोशिश की। लेकिन वह अल्फाज़ डिक्शनरी में मौजूद ही नहीं थे। उससे मुझे अंदाजा हुआ कि यह तो अंग्रेजी का भी इस्तेमाल नहीं कर रहे। इनकी तो लैंग्वेज ही कुछ और बन चुकी है। यह तो सिंबल्स में बात कर रहे हैं और नई कैच फ्रेजेस इन्वेंट कर रहे हैं। तो अब जो इन सेल ग्रुप्स के अंदर लैंग्वेज यूज़ होती है और उसका मतलब है जरा मैं आपको यह बता दूं। सबसे पहले यह हर उस मर्द को जो कि मैस्कुलाइन होता है, अट्रैक्टिव होता है और टॉप पर होता है मेल सोशल हैरार्की के अकॉर्डिंग टू देम। यानी कि जिसके पास खवातीन की अटेंशन है। यह उसको चैट कहते हैं। सी एच ए डी और बहुत मर्तबा आपने Instagram पे सोशल मीडिया पे यह वर्ड लिखते हुए लोगों को सुना होगा। होगा। मैं यह नहीं कह रहा जिसने भी यह वर्ड यूज़ किया वो दरअसल इनसेल है और वो वायलेंस वायलेंस की बात करना चाह रहा है। नहीं बट यह टर्मिनोलॉजी वो अपने आइडियाज को फैलाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। ये कह रहा हूं। ठीक है? नंबर टू फिर एक टर्म यूज़ करते हैं ये लोग जिसका नाम है स्टेसी। नाउ स्टेसी इज यूज्ड फॉर एन अट्रैक्टिव फीमेल जो कि सोशल हरार्की। फीमेल सोशल हरार्की की टॉप के ऊपर आती है। और इससे वह सबसे ज्यादा नफरत शो करते हैं। बिकॉज़ वुमेन हु आर अट्रैक्टिव एंड वुमेन हुम दे डिजायर आर एक्चुअली द वुमेन दे हेट द मोस्ट बिकॉज़ दे नो दे कांट एक्वायर देम। तो उनको यह स्टेसीज कह कर बुलाते हैं। और इसके अलावा एक और यह टर्म यूज करते हैं मैनोस्फियर यानी के यह एक ऐसी अलायंस को सिग्निफाई करता है जिसमें मैनस राइट एक्टिविस्ट भी हो सकते हैं मर्दों के हक के एक्टिविस्ट। अल्फा मेल इन्फ्लुएंसर्स एंड्रूटेट टाइप चीजें भी हो सकती हैं। अभी रिसेंटली एक मर्डर हुआ है जिसमें एक बंदे ने जब उसकी सर्च हिस्ट्री निकाली एंड्रूटेट की वीडियोस देख रहा था। ठीक है? तो इस तरह के लोग हो सकते हैं। फिर यंग मेल्स जो कि मीनिंगलेसनेस का शिकार हैं सोसाइटी में वो एक मैनोस्फीयर का हिस्सा बन जाते हैं। मैनोस्फियर यानी कि एन एंटायर यूनिवर्स ऑफ़ मैन हु लैक मीनिंग हु आर नलिस्टिक आल्सो हु टॉक अबाउट मेल सुपीरियरिटी एंड असर्टिंग इट ओवर वुमेन थ्रू द फोर्स ऑफ़ वायलेंस। ठीक है? तो मैनुस्फियर की टर्म का यह मतलब है। फिर लुक्स मैक्सिंग की एक टर्म है जिसका मतलब है कि सोशल रीजंस को अवॉइड करें और अपने ऊपर काम करें। अपने फ्लॉस को एलिमिनेट करें। अट्रैक्टिव बनने की कोशिश कैसे करनी है? हाउ टू ल्यूअर वुमेन टू बिलीव दैट यू आर अट्रैक्टिव। उसके लिए फिर आप मसल बिल्डिंग और वो सब करें। ठीक है? तो वो भी टर्म यूज़ होती है। फिर साथ-साथ यह कि यह जिस तरह की टर्मिनोलॉजीस इस्तेमाल करते हैं उसमें आपको मीम्स भी दिखाई देंगे बहुत से जिसमें चैड मीम्स की एक पूरी सीरीज होती है। इसके अलावा बेकी की एक टर्म इस्तेमाल करते हैं। वो खवातीन जो अनडिजायरेबल हैं जो कन्वेंशनली खूबसूरत नहीं है अकॉर्डिंग टू दी पीपल जो कि आउटस्पोकन है। और बहुत मर्तबा आपने वो क्रिश्चियन बेल के मीम्स भी देखे होंगे जिसमें ये किसी चैड अल्फा मेल को या सिग्मा मेल को सिग्निफाई कर रहे हैं। ठीक है? के और वो बता रहे हैं कि ही हैज़ वन एंड द अदर अदर्स हैव लॉस्ट बेसिकली। तो इस तरह से ये एक और मीम है जिसमें ये कहते हैं ग्रीन फ्लैग्स आर बोरिंग। रेड फ्लैग बनना चाहिए। तो ये ग्रेजुअली इस तरह के आइडियाज को बच्चों के दिमागों में डालते हैं और बहुत से बच्चे इससे पहले कि वो बड़े हो जिस तरह सीजन में दिखाया गया है कि बच्चा एक अभी अर्ली स्टेजेस में है। स्कूल में, अर्ली ग्रेड्स में है। वो पहले ही ऑब्टेन कर लेता है कि अब तक क्योंकि किसी लड़की ने मुझसे बात नहीं की। सो आई एम द अगलीएस्ट पर्सन ऑन अर्थ एंड दैट इज व्हाई आई वोंट स्पेयर देम। सो इट गेट्स यू टू बिलीव दैट यू आर कंप्लीटली डिस्कारेड फ्रॉम द सोसाइटी एंड यू हैव टू सी योर रिवेंज ऑन इट। नेगिंग की एक प्रैक्टिस फिर ये करते हैं। नेगिंग की टर्म यूज़ करते हैं। उसका मतलब यह है कि आप इग्नोर करो, अंडरमाइन करो और इंसल्ट करो हर अट्रैक्टिव खातून को। तो इनकी रिसेंटमेंट जो मैंने नीचे के आईडिया की बात की। अंदर का जो गुस्सा और कमजोरी होती है दिमागी उसको यह खवातीन के खिलाफ नफरत में ट्रांसफॉर्म करके इतने वायलेंट गुफ्तगू का शिकार कर देते हैं कि फिर यह खवातीन को कंप्लीटली डीह्यूमनाइज करते हैं और यह कहते हैं कि इनको जिंदा ही नहीं रहना चाहिए वायलेंस होता है तो जनाब यह था सारा कांसेप्ट तो इस तरह के इन सेल ग्रुप्स आपको बहुत से दिखाई देंगे सोशल मीडिया के ऊपर दिखाई देंगे और सिर्फ वेस्ट में नहीं यहां पर भी दिखाई देंगे और एक चीज आपने खुद नोटिस की होगी बड़े होते हुए इस मुआशरे में सबक्टिनेंट के मुशरे में, हिंदुस्तान में, पाकिस्तान में के स्कूल्स के अंदर, कॉलेजेस के अंदर कुछ ऐसे मर्द होंगे जो बहुत ईजीली खवातीन की अटेंशन को एक्वायर कर लेते हैं। और उसी क्लास में कुछ बच्चे होते हैं जो कि फिर बहुत ही ज्यादा एक्सट्रीम व्यूज रखना शुरू कर देते हैं। क्योंकि अंदर से उनके अंदर यह गिल्ट आना शुरू हो जाता है। दैट व्हाई वी आर नॉट गुड इनफ टू गेट अ वुमेन अट्रैक्टेड टू अस। ठीक है? और उसकी वजह से वह जिन बिलीफ्स पर यकीन करना शुरू हो जाते हैं वो कल को जाके एक ऐसी फॉल्स जेंडर बिलीव्स की वजह से एक ऐसे ताल्लुकात कायम करने पे उनको मजबूर करता है जिसमें कोई भी इक्विटी नहीं होती। वो किसी खातून की रिस्पेक्ट नहीं करते। खवातीन को सेक्सुअलाइज करते हैं। कैट कॉल करते हैं। उनको हैरास करते हैं। क्योंकि अंदर से यह वजह नहीं होती कि उनका यह दिल कर रहा है। वजह यह होती है कि वो डिप्र्राइव्ड और आउटलाइयर फील करते हैं। इसीलिए तो यह फिनोमिना आपको यहां पर दिखाई देगा कि सीवियरली रिप्रेस्ड मुआशरों के अंदर भी इसकी फॉर्म बहुत वायलेंट हो जाती है। मैंने खुद देखा है कि बहुत ज्यादा लोग मिसोजनिस्ट जो यहां पर सीवियर नफरत का इजहार कर रहे होते हैं। खातून की शक्ल देख के गाली निकालते हैं। को अंदर से फ्रस्ट्रेटेड होते हैं। क्योंकि उनके पास ओपोरर्चुनिटीज नहीं होती। इसी वजह से वो उनसे नफरत करना शुरू कर देते हैं। और वो यह समझते हैं कि हमारा कसूर तो है ही नहीं किसी चीज के अंदर कि हम अपनी पर्सनालिटी को डेवलप करते या हम एक पोलाइट इंसान बनने की कोशिश करते। अपनी ग्रूमिंग पे काम करते, अपने माइंड पे काम करते या अपने गोल्स पे फोकस करते। वो तो हमने किया नहीं। हमारा फोकस तो सारा डे वन से खवातीन के ऊपर रहा और उन्होंने भी हमें आगे से रेसिप्रोकेट नहीं किया तो अब हम इनको जिंदा नहीं छोड़ेंगे। तो इस तरह की डेप्रिवेशन मुशरे के अंदर यह तमाम चीजों को बहुत ज्यादा तोल देती है और मैंने तो यह खुद होते हुए देखा है। तो अब इसकी फॉर्म तब्दील हो गई है। अब इस फॉर्म में इन सेल ग्रुप्स के अंदर इमोजीस के जरिए बहुत ही खतरनाक गुफ्तगू भी होती है। ये ये जो आप इमोजी स्क्रीन पर देख रहे हैं, यह सारी ड्रग्स की नशे से मुतालिक इमोजीस हैं। ठीक है? जिसमें मैं अब नाम ले नहीं सकता लेकिन हर किस्म का सब्सटांस ये जो हॉर्स बना हुआ है ये कैटामिन को डिनोट करता है। इसके अलावा यह जो मोबाइल फोन बना हुआ दिखाई दे रहा है यह यूज करते हैं ये अपनी कन्वर्सेशन में इसका मतलब है डीलर्स यानी कि डीलर लिखना नहीं है ये यूज़ कर देना है। अब अगर वालिदैन को नहीं पता लॉ इनफोर्समेंट तक को नहीं पता यहां पे तो उन्हें क्या पता ये कन्वर्सेशन डिकोड कैसे करनी है। ये सारे जजी के अंदर ये इमोजीस इस्तेमाल हो रहे हैं। ठीक है? इसके अलावा यह जो लीफ का एक इमोजी है इसका भी आपको पता है कि मेवाना को डिनोट करता है। इसके अलावा यह जो पिल आपको रेड और येलो नजर आ रही है ये एमडीएमए को डिनोट करता है। आगे चल तो कुछ वायलेंस से मुालिक मीम्स भी हैं जिसमें यह जो स्कल है इसका इस्तेमाल करते हैं क्राइम के लिए। इसके अलावा थ्रेट का इस्तेमाल करते हैं एंबुलेंस के लिए। और इसके अलावा इडलॉजिकल एक्सट्रीमिज्म की अगर बात करें तो यह जो एक आपको हाथ का सिंबल दिखाई दे रहा है यह फार राइट का साइन है। इसके अलावा हैजहक दिखाई दे रहा होगा। यह नियोनाजीस का साइन है। और ब्लैक जो फ्लैग एक्सट्रीमिज्म का साइन है। आगे इनसेल के मीम्स भी दिखाई देते हैं जिसमें रेड और येलो पिल दिखाई दे रही है। इसके अलावा बींस जो है यह बनाकर एक दूसरे को भेजेंगे। अगर किसी ने किसी की पिक्चर के नीचे बींस बना दी हैं इसका मतलब है उसने उसको इनसेल कहा है। अब हमें तो पता ही नहीं होगा इसका मतलब क्या है जब तक हमें इन इमोजीस को डिकोड ना करना आएगा। इसके अलावा 100 का जो साइन है इसको भी वो 80-20 रूल के लिए यूज करते हैं कि जिसके पिक्चर के नीचे 100 लिख दिया। अब मैं नहीं कह रहा कि आप सब जो 100 लिखते हैं उसका यह मतलब है। लेकिन इनसेल ग्रुप्स में इसका मतलब यह है दैट यू आर रेड पिल्ड। ठीक है? और इसके अलावा यह जो रेड कलर के फसेस हैं, यह एंटी वुमेन फसेस हैं। तो इस तरह से यह इमोजीस का इस्तेमाल कर रहे हैं जनाब। और अगर तमाम पेरेंट्स अवेयर नहीं होते, उन बच्चों को यह नहीं बताते कि तुम्हें अपने आप से नफरत करने की जरूरत नहीं है। जिंदगी में इतनी अर्ली स्टेज पे खवातीन को पर्सुएट करने के अलावा भी कोई और काम हो सकता है। और सबसे बड़ी चीज यह कि यह तमाम फॉल्स बिलीफ हैं। आप खुद देखिए कि आपको सैकड़ों ऐसे खवातीन और मर्द मिल जाएंगे जिन्होंने अपने जितने अट्रैक्टिव पार्टनर्स को कन्वेंशनली अट्रैक्टिव और ब्यूटीफुल की बात कर रहा हूं। ऑब्जेक्टिवली नहीं ऑब्जेक्टिव क्या होता है मुझे नहीं पता। नहीं चूज़ किया उन्होंने उनको। इसका मतलब यह है कि फेस इज नॉट द ओनली थिंग दैट मैटर्स व्हेन चूजिंग अ पार्टनर। लेकिन इनके फॉल्स बिलीफ होते हैं। तो यह आपको यह बिलीव करवाते हैं। तो बच्चों को बचाने के लिए आपको इनकी लैंग्वेज इनकी टर्म्स का पता होना चाहिए। आजकल जेंजी जिन टर्म्स में बात कर रही है वो समझ ही नहीं सकता कोई। क्योंकि वो अंग्रेजी नहीं है। मिसालें देता हूं। नंबर वन पे है स्ले। अब ये स्ले का टर्म यूज़ करेंगे। उसके लिए जो एक्सीलेंट है। यू आर स्लेइंग। यू आर डूइंग अ वंडरफुल जॉब। इसका मतलब यह है। नंबर टू लिट इसका भी तकरीबन यही मतलब है कि अमेजिंग एक्स्ट्राऑर्डिनरी कमाल कर दिया आपने। इसके अलावा बेट का टर्म यूज़ करते हैं अब हर चीज पे। ओके की बजाय बैट लिख देंगे। डू यू वांट टू गो फॉर अ वॉक? आगे से रिप्लाई आएगा बैट। फ्लेक्स का टर्म बहुत ज्यादा यूज़ करेंगे। इसका मतलब है फ्लॉट करना। ठीक है? बोस्ट करना। फिर सिंप की एक नई टर्म आ गई है एजेंसी के अंदर। ठीक है? जिसका मतलब यह है कि समवन हु इस शोइंग एक्सेसिव अटेंशन टू देयर क्रश। यानी कि कोई अगर मेरे पीछे बहुत ज्यादा अटेंशन लेकर आ रहा है, पर्सुएट कर रहा है मुझे तो वो सिंप है। शी और ही इज माय सिंप। इन टर्म्स का किसी को पता ही नहीं है जिस जिस कॉन्टेक्स्ट में ये लेते हैं उसको। ठीक है? फिर वाइब हर चीज में वाइब का टर्म यूज़ करना। वाइब नहीं आ रही। वाइब नहीं आ रही। भाई ये कौन सी जुबान है? मुझे नहीं समझ आती। लेकिन चल ठीक है। मैं यह नहीं कह रहा। मैं कभी ये यूज़ नहीं करता। कभी कबभार इनमें से एक आधा सिर्फ सारे नहीं। मुंह से निकल सकते हैं। बट वह भी सिर्फ सोशल कंडीशनिंग ही है। कन्विक्शन नहीं है। इसके अलावा हर चीज में गोट यूज़ करेंगे। ग्रेटेस्ट ऑफ़ ऑल टाइम। ठीक है? स्टैन का टर्म यूज़ करेंगे। ऑब्सेसिव फैन इसका मतलब है स्टैन। ठीक है? लो की की टर्म यूज़ करेंगे। तो, यह मॉडर्न टर्मिनोलॉजीस भी आपको दिखाई दे रही हैं कि इनमें कहीं भी आपको वो कन्वेंशनल अंग्रेजी या ग्रामेटिकल सेंस दिखाई नहीं देगी। उसकी वजह है कि दे आर टॉकिंग इन सिंबल्स इन अब्रविएशंस एंड इन प्रिसाइज मैनरिज्म क्योंकि लैंग्वेज यूज़ करना इज नॉट कूल। नील पोस्टमैन ने अम्यूजिंग ऑस्ट टू डेथ किताब में कहा था वी आर ऑल ग्रेट अब्रीविएटर्स मीनिंग दैट नन ऑफ़ अस हैज़ द विट टू नो द होल ट्रुथ। द टाइम टू टेल इट इफ वी बिलीव्ड वी डिड और एन ऑडियंस सो गलेबल एस टू एक्सेप्ट इट। वो कहता है कि हम सिर्फ बड़ी चीजों को एब्रविएशंस बनाने के काबिल ही रह गए हैं। उसकी वजह यह है कि हम में से किसी के पास इतना दिमाग ही नहीं बचा कि कॉम्प्लेक्स और कॉम्प्रहेंसिव और एक एक्सटेंसिव और एक लंबी बात को समझ सकें। इसीलिए हर चीज को छोटा करके बयान करो। और हमारे पास इतना वक्त ही नहीं बचा। ना हमारे पास ऐसी ऑडियंस है समझने वाले हैं जो कि सच को कबूल भी करें। इसीलिए हर चीज एक सिंबल बन के रह जाएगा। यहां भी आज की जनरेशन सिंबल्स में गुफ्तगू कर रही है। इसके अलावा 2020 की एक रिसर्च कहती है कि 25 फीसद राइज हुआ है जजी के डिप्रेशन के एपिसोड्स में। यह सब वो बच्चे हैं जो शदीद डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। और उसके बाद यह वायलेंस का रास्ता इख्तियार कर लेते हैं क्योंकि इनको अटेंशन दी नहीं जाती। और इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का सीवियरली नेगेटिव यूज़ ये कर रहे हैं। साहिर हसन नामी एक लड़का जो कि साजिद हसन पाकिस्तानी एक्टर का बेटा है। उसने रिसेंटली मीडिया ने रिपोर्ट किया। यह बताया कि दो साल से वो Snapchaat पर ड्रग्स बेच रहा है एलिजिडली और उसके दोस्त या जो भी है उस केस की आप इन्वेस्टिगेशन पढ़ सकते हैं और वो कहता है कि इसमें बहुत ज्यादा पैसा लोगों ने कमाया है। तो ये जो प्लेटफॉर्म्स हैं ये इन कामों में इस्तेमाल हो रहे हैं। हमें इल्म ही नहीं है। 2022 की एक स्टडी थी जिसके मुताबिक 70% जो इनसेल लड़के थे वो क्लीनिकली डायग्नोजेबल थे। यानी के उनका इलाज होने वाला था मेंटल हेल्थ इश्यूज का। लेकिन उस पर तवज्जो नहीं दी गई। 45% को सीवियर एंजायटी होती है। रिसर्च ये कोट करती है और इस रिजेंटमेंट से वायलेंस आता है। क्योंकि वो एक मेल सुपीरियरिटी पे यकीन करते हैं। इसीलिए वो इस पर यकीन ही नहीं करते कि हम जाके मेंटल हेल्थ वाले किसी क्लीनिक में अपना इलाज करवा के आ या दिखाएं किसी प्रोफेशनल को उससे बात करें नहीं क्योंकि वो वीकनेस असर्ट नहीं करते। तो हमारे यहां पे सोशल मीडिया की लिमिटलेस कंजमशन कर रहे हैं बच्चे। ऑस्ट्रेलिया ने बेहतरीन काम किया कि 16 साल तक सोशल मीडिया को बैन कर दिया कि 16 के नीचे और 16 साल का कोई बच्चा सोशल मीडिया इस्तेमाल नहीं कर सकता। उसके बाद वाला कर सकता है। हमें भी यहां पे सोशल मीडिया स्क्रीन टाइम को रेगुलेट करना पड़ेगा। जेजी की एक बड़ी प्रपोशन सीवियर डिप्रेशन के ब्रिंक के ऊपर है। इतना ज्यादा कंटेंट, इतनी ज्यादा लाइफस्टाइल फ्लटिंग, इतना ज्यादा लाइफस्टाइल कंज्यूमरिज्म कि वो देखदेख कर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। पेरेंट्स को इल्म नहीं है क्योंकि पेरेंट्स अपना फोन स्क्रोल कर रहे हैं। अगर आपने बच्चे पैदा कर ही लिए हैं तो अब यह भी देख लीजिए कि वो बातें क्या कर रहे हैं। उनका स्क्रीन टाइम क्या है? वो किस तरह की इमोजीस, किस तरह की लैंग्वेज यूज़ कर रहे हैं। वो क्या देख रहे हैं? क्योंकि यह वो बच्चे नहीं हैं जिनको अपना माइंड ग्रो करने के लिए लोगों से मिक्स होना पड़ेगा। बाहर जाकर सोशलाइज करेंगे। गलत कंपनी में बैठेंगे फिर गलत हो जाएंगे। आज तो हाथ में स्मार्टफोन है। ऐसा एक ग्रुप ज्वाइन कर लें इनसेल्फ्स का तो कल को जाके किसी को मार के आ जाएंगे। आपको इल्म नहीं होगा। आप तो कहेंगे वो तो घर बैठा हुआ था। वो तो कभी बाहर ही नहीं निकला। एड लाइसेंस सीरीज में भी यही दिखाया कि बच्चा एंटीसोशल होता है लेकिन फिर भी वायलेंट क्राइम कर देता है क्योंकि वह उस तरह का मटेरियल कंज्यूम कर चुका है इसीलिए और वो अपने मुंह से कहता है इन्वेस्टिगेटर को कि आई एम द अगलीएस्ट इन माय क्लास तो अपने बच्चों को कॉन्फिडेंस दीजिए उनको रियल वर्ड से इंगेज करना सिखाइए सोशल मीडिया की वर्ड रियल वर्ड से अगर उनको बेहतर लगती है वो बाहर जाने को तैयार नहीं है तो फिर डिप्रेशन ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता मुस्तकबिल की जनरेशन को बचाने के लिए जो चैलेंजेस हैं उसको समझने के लिए उनकी दुनिया को समझना पड़ेगा। यह बंद कर दो, बैन कर दो से नहीं होगा। यह समझने से, उनसे दोस्ती करने से, डिस्कशंस करने से और उन पर अपना कॉन्फिडेंस बनाए रखने से हो सकता है। अगर इस पेेंटिंग को आपने बहुत जल्द चूज़ ना किया तो एक बहुत बड़ी प्रपोर्शन इस जनरेशन की डिप्रेशन में जाएगी और फिर जो एक्सट्रीमिज्म आएगा वो हमारी सोच से भी आगे है। क्योंकि मुझे तो मसला यह है कि ये सारे बच्चे जब इनके आईडी कार्ड बनेंगे तो ये फिर मूवी स्टार्स को, रॉकस्टार्स को, फुटबॉलर्स को, कॉमेडियंस को और एथलीट्स को इन लोगों को मुल्कों के वज़र आजम और सदर बनाएंगे बाद में। फिर डेमोक्रेसी भी भाड़ में गई क्योंकि इनके पास वो दिमाग ही नहीं बचेंगे जो पॉलिटिकली कॉन्शियस हो। इन्हें किसी चीज में इंटरेस्ट नहीं है। यह हर बात पे यह कहते हैं ओ आई एम बोर्ड। आई डोंट केयर गो टू हेल। यह एटीट्यूड आपको दिखाई देगा जजी के बच्चों में बिकॉज़ दे थिंक एनीथिंग दैट इज नॉट कूल इज नॉट फॉर अस। कूल ही नहीं है यह। हर वो आईडिया जो कूल नहीं है, जो बोरिंग है, इट्स बोरिंग। बकवास है। क्या करना है वो करके? जबकि ट्रुथ हमेशा कॉम्प्लेक्सिटी में होता है। इंटेलेक्चुअल एग्जॉस्टेशन आती है उससे। इंटेलेक्चुअल लेबर करनी पड़ती है। इन बच्चों को यह सब बताने के लिए इनको बहुत ही डीपली ऑब्ज़र्व और सुपरवाइज करना पड़ेगा। अदरवाइज यू आर लूजिंग अ जनरेशन। और जिस तरह से एडलेसेंस ने इस सीरीज ने इतनी बड़ी डिबेट को इंस्टिगेट किया है। हैट्स ऑफ टू इट। काश हमारा मुआशरा भी ऐसी आर्ट बनाए और इसको एक्सेप्ट करने का जिगरा दिखाए जिससे सोशल रिफॉर्म आ सके ना कि एक्सट्रीमिज्म। थैंक यू।