स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर जिसको एंसिस और रोमंस पिलर्स ऑफ हरकुलिस के नाम से पहचानते थे यह एक तंग चैनल है जो अटलांटिक ओशन को मेडिटरेनियन सी के साथ जोड़ता है यह छोटा समुंदरी चैनल दुनिया के दो अहम कॉन्टिनेंट्स के बीच से गुजरता है जिनका कम से कम फासला सिर्फ 13 किमी है इस पॉइंट पे अफ्रीका और यूरोप इतने करीब हो जाते हैं कि एक तरफ खड़े होकर देखा जाए तो दूसरा कॉन्टिनेंट आसानी से देखा जा सकता है लेकिन अभी तक इनको आपस में जोड़ने के लिए कोई ब्रिज नहीं बनाया गया दोनों कॉन्टिनेंट्स को आपस में जमीनी रास्ते से जोड़ने के लिए पिछली कई दहाई हों से बेशुमार प्रपोजल्स दिए जा चुके हैं यह रास्ता काफी इंपॉर्टेंट है क्योंकि यह यूरोपियन यूनियन की 45 करोड़ और अफ्रीका की 150 करोड़ की आबादी को आपस में जोड़ने के काम आ सकता है इसका दोनों कॉन्टिनेंट्स की इकोनॉमी पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा ट्रेड बढ़ सकेगी ट्रांसपोर्टेशन बेहतर होगी और टूरिज्म भी काफी हद तक बढ़ जाएगा पर सवाल यह है कि जब इतने ज्यादा फायदे भी हैं तो फिर अभी तक स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर पर कोई ब्रिज क्यों नहीं बनाया गया जम टीवी की वीडियोस में एक बार फिर से खुशामदीद नाजरीन स्टेट ऑफ जिब्राल्टर दो अहम वाटर बॉडीज को आपस में जोड़ता है अटलांटिक ओशन और मेडिटरेनियन सी ये स्टेट करीब 57 किमी लंबा जबकि स्पेन के टफा और मोरोको के सरीज पॉइंट से इसकी चौड़ाई सिर्फ 8 मील या फिर 13 किलोमीटर है और गहराई की बात की जाए तो पूरे स्ट्रेट की एवरेज डेप्थ करीब 1200 फीट या फिर 365 मीटर है यह स्ट्रेट देखने में जितना छोटा लगता है उतना ही इसकी अहमियत बहुत ज्यादा है क्योंकि यह मेडिटरेनियन और अटलांटिक ओशन के बीच एक कुदरती रास्ता है इसके बरक्स स्विस कनाल को देखा जाए तो यह मैन मेड कनाल रेड सी और मेडिटरेनियन के बीच शिप्स के लिए एक रास्ता फराह करता है स्विस कैनाल की विड्थ बहुत कम है जिसमें फुल साइज के बहरी जहाजों के फंसने का खतरा हमेशा मंडला रहा होता है स्टेट ऑफ जिब्राल्टर बड़ी साइज की कार्गो शिप्स के लिए एक खुला रास्ता फराह करता है जिसकी वजह से यहां से गुजरने वाली शिप्स की तादाद भी काफी ज्यादा है स्विस कैनाल से हर साल 20000 शिप्स गुजरती हैं पनामा कैनाल से 14000 और स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर से हैरत अंगेज तौर पे सालाना 1 लाख से ज्यादा शिप्स गुजरती हैं बहुत सारी कार्गो वेसल्स वेस्टर्न हेमिस्फीयर से कीम सामान मिडिल ईस्ट अफ्रीका और यूरोप तक लाती हैं जबकि कुछ स्विस कैनाल को क्रॉस करके एशिया और चाइना तक भी जाती हैं इसी तरह मिडिल ईस्ट से वेस्टर्न यूरोप या फिर अमेरिका जाने के लिए भी शिप्स को स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर को ही इस्तेमाल करना पड़ता है और क्योंकि स्टेट ऑफ जिब्राल्टर फॉसिल फ्यूल रिच मुल्कों के करीब है इसी वजह से ऑयल वसल्स का यहां से गुजरना भी रोज का मामूल है एक रिपोर्ट के मुताबिक स्ट्रेट से डेली करीब 300 ऑयल वसल्स गुजरती हैं जिनकी मालियन अरबों डॉलर होती है स्टेट ऑफ जिब्राल्टर आलमी मार्केट्स के लिए एक अहम ट्रेडिंग रूट है और इसी की वजह से ही करीबी कंट्रीज का रोजगार भी जुड़ा है स्पेन का एल जजीर पोर्ट जो यूरोप का सबसे बड़ा शिपिंग पोर्ट है और मोरोको में टेंजर पोर्ट भी तेजी से बढ़ता जा रहा है ट्रेड और टूरिज्म से होने वाले इन फाइनेंशियल बेनिफिट्स के पेशे नजर बहुत से लोग हैरान हैं कि दुनिया के इन दो हिस्सों को मिलाने के लिए अभी तक एक भी ब्रिज क्यों नहीं बना बनाया गया ऐसा नहीं है कि इस पर सोच विचार नहीं की गई 1979 से लेकर कई फीजिबिलिटी स्टडीज और प्रपोजल्स दिए गए हैं लेकिन कुछ मसले हैं जिनकी वजह से यहां ब्रिज बनाना इतना आसान नहीं होगा सबसे पहले बात करते हैं इस ब्रिज की कॉस्टिंग पर एस्टिमेट्स के मुताबिक स्टेट ऑफ जिब्राल्टर पर ब्रिज बनाने की कीमत 5 अरब से 20 अरब डॉलर तक भी जा सकती है क्योंकि यह ब्रिज दुनिया के दूसरे बड़े ब्रिजे के मुकाबले में काफी मुश्किल होगा एक तो यह कि यहां जैसा भी ब्रिज बनाना होगा उसको ऐसे डिजाइन किया जाए कि नीचे से दुनिया के सबसे बड़े बहरी जहाज भी आसानी से गुजर सकें जो कि कहना तो आसान है लेकिन करना शायद काफी मुश्किल यह मुश्किल क्यों है इस पर बाद में बात करते हैं लेकिन यह पांच से 20 अरब डॉलर्स की कॉस्टिंग बर्दाश्त कौन करेगा जाहिर है स्टेट ऑफ जिब्राल्टर से जो कंट्रीज फायदा उठा रही हैं यह कॉस्ट उन्हीं को भरनी पड़ेगी यानी कि स्पेन और मोरोको पर आज तक इन दोनों कंट्रीज की पॉलिटिकल लीडरशिप कभी भी कोई एग्रीमेंट नहीं कर पाई स्पेन का कहना है कि ब्रिज से ज्यादा फायदा मोरोको को होगा तो ज्यादा कॉस्ट वो बर्दाश्त करें जबकि मोरोको की लीडरशिप चाहती है कि यह कॉस्ट 5050 डिवाइड हो दूसरा मसला है ब्रिज की फीजिबिलिटी का यानी कि इसके बनने के बाद यह कितना फायदेमंद होगा मिसाल के तौर पे यूके और फ्रांस के बीच बनाए जाने वाले चैनल टनल की बात की जाए तो इस पर 145 अरब यूएस डॉलर्स का खर्चा आया था लेकिन हर साल इस टनल को 2 करोड़ से ज्यादा पैसेंजर्स इस्तेमाल करते हैं एक पैसेंजर यूके से 121 पाउंड्स या फिर 150 यूएस डॉलर्स में फ्रांस तक पहुंच सकता है यानी हर साल यह टनल करीब 30 अरब डॉलर की कमाई करता है अपनी कंस्ट्रक्शन कॉस्ट से भी डबल इसी तरह अगर स्टेट ऑफ जिब्राल्टर पर ब्रिज बना भी दिया जाए तो क्या यह इतना कमा कर देगा कि ब्रिज की कॉस्ट आसानी से निकाली जा सके इस चीज को काफी शक की निगाह से देखा जाता है क्योंकि मोरोको एक ऐसा मुल्क है जिसकी जीडीपी सिर्फ 130 बिलियन डॉलर्स है यानी पाकिस्तान से भी आधी अगर यहां 5 अरब यूएस डॉलर्स का भी ब्रिज बना और कम से कम फीस $20 भी रखी जाए तो जहां यूके से फ्रांस के चैनल टनल को सालाना 2 करोड़ पैसेंजर्स इस्तेमाल कर रहे हैं वहीं स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर के ब्रिज को सालाना 25 करोड़ पैसेंजर्स के इस्तेमाल करने पर ब्रिज की कॉस्ट निकाली जा सकती है जो कि काफी टिक नंबर है अगला मसला है ब्रिज की कंस्ट्रक्शन का जैसा कि आपने जाना कि स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर शिप्स के लिए काफी बिजी रूट है इस चीज को नजर में रखते हुए यहां एक ऐसा ब्रिज बनाना होगा जो इस ट्रैफिक को डिस्टर्ब ना करें इसके लिए ब्रिज की उंचाई काफी ज्यादा रखनी होगी जो कि इंजीनियर्स के लिए एक बहुत बड़ा चैलेंज होगा स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर की एवरेज डेप्थ तो 1200 फीट है लेकिन किसी-किसी मकाम पर यह 3000 फीट से भी ज्यादा गहरा है यानी कि दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग बुर्ज खलीफा से भी ज्यादा आज तक दुनिया के सबसे बड़े ब्रिज पिलर्स मिलाऊ वाया डक्ट में बने हुए हैं और उनकी ऊंचाई भी सिर्फ 1104 फीट है तो स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर में 3000 फीट से भी बड़े पिलर्स वो भी पानी के अंदर खड़े करना एक ऐसा टास्क होगा जिससे इंजीनियर्स बहुत घबराते हैं और लगे हाथ यहां पानी के स्ट्रांग करंट भी एक जैसे नहीं हैं ओशन के बॉटम पे पानी ईस्ट से वेस्ट की तरफ जाता है और सरफेस पे वेस्ट से ईस्ट की तरफ यानी अगर इतने ऊंचे पिलर्स यहां खड़े किए गए तो उनको दोनों तरफ से पानी के प्रेशर को बर्दाश्त करना होगा लेकिन इस ब्रिज को सबसे बड़ा खतरा पानी में खड़े दुनिया के सबसे बड़े पिलर से नहीं बल्कि अर्थ की टेक्टोनिक प्लेट से होगा जी हां हमारे अर्थ का क्रस्ट मुख्तलिफ सेक्शन से बना है जिनको टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं और ये हर वक्त हिल रही होती हैं और जहां पर यह प्लेट प्लेट्स एक दूसरे से मिलती हैं वहां जलजले यानी अर्थक्वेक्स बहुत आम होते हैं बदकिस्मती से अफ्रीकन और यूरेशियन प्लेट्स जिस जगह पर मिलती हैं उसी के ऊपर स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर है यानी अगर यहां ब्रिज बन भी गया तो इसका नतीजा काफी भयानक हो सकता है इस रीजन में अर्थक्वेक से बचे रहना सिर्फ वक्त का खेल है 1755 में लिस्बन अर्थक्वेक आया जिसका रेक्टर स्केल प मैग्निटिया से पोर्ग स्पेन और मोरोको में खूब तबाही मची इसी तरह 1960 में 5.7 मैग्निटिया जिसने आगा दीर और मोरोको में तबाही फेर दी यानी स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर पे ब्रिज बनाने का मतलब यह है कि इसको अटलांटिक ओशन के हाई करेंट्स का मुकाबला तो करना ही होगा ऊपर से नाइ या 10 मैग्निटिया को भी बर्दाश्त करना होगा इन सब खतरों के साथ-साथ स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर का ओशन फ्लोर भी स्टेबल नहीं है रिसर्चर का कहना है कि स्टेट के नीचे सॉफ्ट किले की लेयर्स हैं जो किसी भी स्ट्रक्चर को सपोर्ट नहीं कर सकती यह सॉफ्ट क्ले जियोलॉजिकल एक्टिविटी के दौरान या फिर किसी भी किस्म के प्रेशर पर आसानी से इधर-उधर हो सकती हैं जियोलॉजिस्ट ने खबरदार किया है कि इस इलाके में कोई भी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट इन क्ले चैनल्स की वजह से तबाह कुन तौर पर नाकाम हो सकता है पर इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों कॉन्टिनेंट्स को किसी भी तरह जोड़ा नहीं जा सकता कई अल्टरनेट्स भी दिए गए हैं जैसा कि ओशन फ्लोर के नीचे से गुजरने वाला टनल यूके और फ्रांस के बीच चैनल टनल जैसा पर यह प्रोजेक्ट की कॉस्ट को और ज्यादा बढ़ा देगा जो इस प्रोजेक्ट की फीजिबिलिटी पर सवालिया निशान खड़ा कर देता है दूसरी तरफ स्पेन और यूरोपियन यूनियन कंट्रीज का मानना है कि टनल या ब्रिज बनाने के बाद यूरोप में बहुत सारे अफ्रीकन रिफ्यूजीस या इल्लीगल इमीग्रेंट की तादाद बढ़ जाएगी जिस पर कंट्रोल पाना बहुत मुश्किल हो सकता है यही सब वजू हात हैं जिसकी वजह से स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर पर दोनों कॉन्टिनेंट्स का फासला ना होने के बावजूद भी यहां आज तक कोई ब्रिज नहीं बनाया गया उम्मीद है जम टीवी की यह वीडियो भी आप लोग भरपूर लाइक और शेयर करेंगे आप लोगों के प्यार भरे कमेंट्स का बेहद शुक्रिया मिलते हैं अगली शानदार वीडियो में