हेलो बच्चों आप सभी का स्वागत है इस वीडियो में और इस वीडियो में यहां पर हम लोग पढ़ रहे हैं क्लास ए के सिक्स के चैप्टर नंबर फर्स्ट को जिसका नाम है द इंडियन कांस्टिट्यूशन और यहां पर इस चैप्टर के साथ हम लोग क्लास एट के सिविक्स की शुरुआत कर रहे हैं और यहां पर हम लोग पढ़ रहे हैं इस चैप्टर को एनसीआरटी किताब की मदद से यानी कि एनसीआरटी किताब की मदद से लाइन बाय लाइन एक्सप्लेनेशन के साथ पूरे चैप्टर को पूरी तरीके से हम समझेंगे इसके साथ ही इस चैप्टर के ऊपर मैंने एक और वीडियो बनाया है जिसमें कि आपको पूरा चैप्टर नोट्स के जरिए पॉइंट वाइज समझाया गया है अगर आप वो देखना चाहते हैं तो वो भी जाकर के देख सकते हैं हमारे चैनल पर अवेलेबल है ठीक है तो यहां पर यह चैप्टर क्या है चैप्टर है द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन जिसको कि हिंदी में हम कहेंगे भारतीय संविधान ठीक है तो यहां पर इस चैप्टर में हमें पढ़ना क्या है हमें यहां पर इस चैप्टर में पढ़ना है इंडियन कांस्टिट्यूशन के बारे में भारतीय संविधान के बारे में तो हम लोग भारतीय संविधान के बारे में क्या पढ़ने वाले हैं तो सबसे पहले इस पॉइंट को थोड़ा सा हम लोग क्लियर कर लेते हैं फिर हम इस चैप्टर की शुरुआत करेंगे तब हमें आईडिया होगा कि भाई क्या पढ़ेंगे हम तो यहां पर देखिए इंट्रो में ही आपका एक लास्ट में समझाया गया है कि हमने अभी तक जो पिछला साल पढ़ा था क्लास सेवंथ आपने पढ़ा था वहां पर आपने एक तरीके से कांस्टीट्यूशन के कुछ बेसिक चीजें जैसे कि इ क्वालिटी के बारे में साथ में वोटिंग के बारे में और भी तरीके तरीके की चीज सोसाइटी से रिलेटेड पढ़ी थी ठीक है वहां पर कई बार कांस्टीट्यूशन शब्द का जिक्र आया था कांस्टिट्यूशन की बात की गई थी तो यहां पर है कि आपने कभी यह सोचा आपके मन में ख्याल आया कि भाई यह कांस्टिट्यूशन होता क्या है कांस्टिट्यूशन की क्यों हमें जरूरत है और साथ ही कांस्टिट्यूशन कैसे लिखा गया हमारे देश का और हमारे देश के कांस्टिट्यूशन को किसने लिखा यह सब चीजें यहां पर इस चैप्टर में हमें समझना है अब इस चीज़ को समझने के बाद हम इस चैप्टर में समझेंगे कि हमारे देश का जो संविधान है हमारे देश का जो कॉन्स्टिट्यूशन है इसके कुछ खास बातें क्या हैं यानी कि की फीचर्स क्या है हमारे देश के कॉन्स्टिट्यूशन का यह सब चीज़ें यहां पर हम लोग क्लियर करेंगे अब आइए हम लोग शुरुआत करते हैं चैप्टर को और सबसे पहले समझते हैं कि भाई यह कॉन्स्टिट्यूशन होता क्या है और कॉन्स्टिट्यूशन की हमें क्यों जरूरत होती है ठीक है अब यहां पर आप सभी जो हैं बच्चे हैं आप सब भी बहुत सारे गेम्स खेलते हैं बहुत सारे खेल खेलते हैं जैसे कि आप में से बहुत सारे बच्चों को फुटबॉल खेलना पसंद होगा बहुत सारे बच्चों को क्रिकेट खेलना पसंद होगा और बहुत सारे बच्चे होंगे जो कि दूसरे खेल खेलते होंगे जैसे कि बैडमिंटन हो गया टेनिस हो गया या फिर आपको कबड्डी खेलते होंगे बहुत सारे आप खेल खेलते हैं आप कोई भी खेल खेलते हैं जैसे कि यहां पर फुटबॉल खेलते हैं या फिर क्रिकेट खेलते हैं तो हर खेल को खेलने के लिए कुछ बेसिक रूल्स होते हैं जैसे कि फुटबॉल बॉल अगर आप खेलने जाएंगे तो उस फुटबॉल का बेसिक रूल है कि आप बॉल को हाथ से टच नहीं कर सकते हैं यानी कि जो प्लेयर्स हैं गोलकीपर को छोड़ कर के वो लोग बॉल को हाथ से टच नहीं कर सकते यह फुटबॉल का बेसिक रूल है लेकिन इसके अलावा भी सैकड़ों की संख्या में 100 से भी ज्यादा रूल्स हैं जो कि फुटबॉल खेल में अप्लाई होते हैं जैसे प्लेयर की संख्या कितनी होगी जो फील्ड होगा उसका साइज कितना होगा टाइम कितना होगा कितने देर में फुटबॉल खेला जाएगा इस तरीके से बहुत सारे रूल्स होते हैं इन सभी रूल्स के आधार पर ही हम लोग फुटबॉल खेल को खेलते हैं इसी प्रकार से हम लोग जब क्रिकेट खेलते हैं तो क्रिकेट खेलने के लिए भी बहुत सारे रूल्स होते हैं जैसे कि प्लेयर्स की संख्या कितनी होगी 11 होगी यहां पर एक बैट्समैन होगा बैट्समैन का पेयर होगा दोनों दौड़ करके रन ले सकते हैं चौका मार सकते हैं विकेट कीपर होता है फील्डर्स होते हैं एक बॉलर होता है इस प्रकार के बहुत सारे रूल्स होते हैं तो भाई सोचो कि एक छोटी सी चीज है क्या है खेल क्या है एक छोटा सा चीज है भाई हम लोग मस्ती के लिए मजाक के लिए भाई खेल खेलते हैं मजा करने के लिए वैसे प्रोफेशनली भी लोग खेलते हैं लेकिन भाई बात क्या है यह चीज को चलाने के लिए हम लोग क्या कर रहे हैं रूल्स एंड रेगुलेशन बना रहे हैं कि भाई तुमको क्या करना है फुटबॉल खेलना है तो किक मारना है पैर से हाथ से नहीं टच करना है हाथ से अगर टच टच करोगे तो तो पेनाल्टी मिलेगा फाउल माना जाएगा इस प्रकार की चीजें होती हैं तो भाई सोचो कि यहां पर जो खेल है इसको चलाने के लिए हम लोग इतने रूल्स एंड रेगुलेशन बना रहे हैं फॉलो कर रहे हैं तो अगर हमें इतना बड़ा देश चलाना है हमारे समाज को चलाना है देश को चलाना है या फिर देश को मान लो कि देश की बात नहीं करते किसी भी ऑर्गेनाइजेशन को चलाना है कोई भी संस्था हम लोग बना रहे हैं तो उसको चलाने के लिए भी कुछ बेस रूल्स एंड रेगुलेशन होने चाहिए कि भाई कौन आदमी क्या काम करेगा किसकी क्या जिम्मेदारी होगी किसको क्या करना है कौन क्या नहीं कर सकता है इस प्रकार के कुछ रूल्स एंड रेगुलेशन होंगे जिसको कि देश के सभी लोग मानेंगे तब जाकर के हमारा देश सही तरीके से चलने पाएगा हम किसी ऑर्गेनाइजेशन की बात करें तो वो ऑर्गेनाइजेशन सही तरीके से चलने पाएगा तो भाई सिंपल बात में बात करें तो यह कांस्टिट्यूशन क्या होता है कांस्टिट्यूशन एक प्रकार से सेट ऑफ रूल्स होता है सेट ऑफ बेसिक रूल्स जो कि किसी देश को चलाने के लिए या फिर किसी भी ऑर्गेनाइजेशन को चलाने के लिए लिखा जाता है अब आप कांस्टिट्यूशन शब्द को अभी तक पढ़े हैं आपने तो सिर्फ आपने इंडिया के बारे में पढ़ा कि भाई इंडिया का कांस्टिट्यूशन है और दूसरे देशों का कांस्टिट्यूशन है लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ देशों का कांस्टिट्यूशन होता है आप अगर बात करेंगे जो हमारे देश में पॉलिटिकल पार्टीज होती हैं जैसे कि बीजेपी हो गया कांग्रेस होग गया आम आदमी पार्टी हो गया या फिर आपका बीजू जनता दल हो गया या फिर समाजवादी पार्टी हो गया जितने भी पॉलिटिकल पार्टीज होते हैं उन सभी पॉलिटिकल पार्टीज का अपना कांस्टिट्यूशन होता है मतलब क्या मतलब कि समाजवादी पार्टी है तो उस पार्टी के अंदर क्या हो सकता है क्या नहीं हो सकता है कैसे कोई प्रेसिडेंट बनेगा कैसे आप जिला परिषद के सदस्य बनेंगे कैसे पार्टी के मेंबर बनेंगे इस तरीके के कुछ बेसिक सेट ऑफ रूल्स होंगे जिसके तहत पार्टी चलेगी उसी प्रकार से हर पार्टी का बेसिक सेट ऑफ रूल होता है उसी प्रकार से दुनिया में जितने भी देश हैं इन सभी देशों ने क्या किया अपने-अपने देश में समाज को चलाने के लिए सोसाइटी को मैनेज करने के लिए कुछ बेसिक सेट ऑफ रूल्स तय किए जिसको कि देश की जनता स्वीकार करती है तकि यह जो बेसिक सेट ऑफ रूल हैं उसके तहत हमारा देश चलेगा जैसे इंडिया में उदाहरण के लिए कुछ बातें देखते हैं इंडिया में भाई हमारा कांस्टिट्यूशन है यहां पर बेसिक सेट ऑफ रूल क्या है बेसिक सेट ऑफ रूल सबसे पहला क्या है भाई कि हमारे देश में इंडिया में क्या होगा भाई डेमोक्रेसी होगा आपने पिछले साल पढ़ा था कांता के बारे में चैप्टर आपने शुरुआत की थी जब ऑन इ क्वालिटी चैप्टर शुरू करते हैं तो वहां पर कांता को देखा था कि भाई कांता जा रही है वोट डाल ले तो भाई वहां पर क्या है हमारे देश में क्या है डेमोक्रेसी ये एक बेसिक सेट ऑफ रूल है हमारे देश का इसी प्रकार से हमारा देश का बेसिक सेट ऑफ रूल क्या है कि हमारे देश में है क्या फंडामेंटल राइट्स क्या है भाई फंडामेंटल राइट्स हमारे देश में है मतलब क्या मतलब कि जो लोग हैं उनके पास इक्वलिटी का अधिकार है सभी लोग इक्वल हैं एक तरीके से फ्रीडम का अधिकार है सभी लोग फ्री हैं तो यह इस प्रकार के कुछ बेसिक सेट ऑफ रूल हैं जिसके तहत हमारा देश चलता है और हमारे देश में जितनी भी चीजें सिर्फ बेसिक सेट ऑफ रूल की बात नहीं होती है हमारे देश में जितने भी प्रोविजंस बनेंगे कोई भी कानून बनेगा कोई भी चीज आप करेंगे वो आप कांस्टिट्यूशन के हिसाब से ही करेंगे आप अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकते जैसे आपको अगर किसी को आज मन करता है कि जाकर के किसी को थप्पड़ मार दें या किसी को गाली दे दें आप नहीं दे सकते हैं क्यों क्योंकि कांस्टिट्यूशन उस बात की आजादी नहीं देता है आप किसी का अपमान नहीं कर सकते हैं किसी के ऊपर हाथ नहीं उठा सकते हैं किसी के साथ बदतमीजी नहीं कर सकते हैं क्यों क्योंकि कांस्टिट्यूशन सभी लोगों को इक्वलिटी का दर्जा देता है साथ में अगर आप क्राइम करते हैं तो उसके लिए भी प्रोविजंस हैं हमारे देश में जो कि कांस्टिट्यूशन के आधार पर बनाए गए हैं तो यहां पर बात क्या है कांस्टिट्यूशन क्या है कांस्टिट्यूशन एक प्रकार से सेट ऑफ रूल है जिसमें क्या है जो कि एक प्रकार से तय करता है कि देश में क्या हो सकता है और क्या नहीं हो सकता है समझ गए कांस्टिट्यूशन के बारे में अगर देखें तो यहां पर यही सारे बातें लिखी गई हैं क्या कहा गया है कहता है कि लाइक गेम्स लाइक दीज गेम्स कौन से गेम्स भाई क्रिकेट या फिर फुटबॉल की बात की गई है जो कि मैंने आपको समझाया उन्हीं की बात की गई है लाइक दीज गेम्स अ सोसाइटी आल्सो हैज कांस्टीट्यूटिव रूल्स दैट मेक इट व्हाट इट इज एंड डिफरेंशिएबल में रूल्स होते हैं गेम्स में रूल्स होते हैं उसी प्रकार से दुनिया में हर सोसाइटी में आपको कुछ बेसिक सेट ऑफ रूल्स होते हैं जिसके तहत वह सोसाइटी चलती है जैसे अगर हम लोग बात करें इंडिया का हमने देखा बेसिक सेट ऑफ रूल में क्या है भाई हमारे देश में फंडामेंटल राइट है हमारे देश में डेमोक्रेसी है हमारे देश में और भी तरीके के पॉलिटिकल सिस्टम जैसे हमारे देश में प्रधानमंत्री होगा हमारे देश में राष्ट्रपति होगा हमारे देश में इलेक्शन होंगे तो भाई पार्लियामेंट बैठेगी इस प्रकार के बेसिक सेट ऑफ रूल है लेकिन आप हमारे पड़ोसी देश में चले जाते हैं ना में चले जाते हैं तो वहां का सोसाइटी डिफरेंट है वहां के लोगों ने अलग प्रकार का कांस्टिट्यूशन बनाया है जहां पर जो बेसिक सेट ऑफ रूल है वह डिफरेंट है हमारे देश में जैसे डेमोक्रेसी है उस प्रकार से चाइना में डेमोक्रेसी नहीं है क्यों क्योंकि वहां का सोसाइटी डिफरेंट है वहां के लोगों की नीड डिफरेंट है जरूरत डिफरेंट है तो यहां पर यही चीज कहता है कि हर सोसाइटी का अपना बेसिक कांस्टीट्यूटिव रूल होता है जिसके तहत वह सोसाइटी चलती है कहता है कि इन लार्ज सोसाइटीज इन व्हिच डिफरेंट कम्युनिटीज ऑफ पीपल लिव टुगेदर दीज रूल्स आर फ फॉर्मुले थ्रू कंसेंसस एंड इन मॉडर्न कंट्रीज दिस कंसेंसस इज यूजुअली अवेलेबल इन रिटन फॉर्म कहता है कि देखो कई बार क्या होता है कि जो दुनिया के बड़े-बड़े देश होते हैं वहां पर कई प्रकार के लोग रहते हैं जैसे तुम इंडिया की बात करो तो इंडिया में अगर तुम ध्यान दिए हो कभी तो तुम्हें पता होगा कि भाई इंडिया में कई धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं कई भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं अलग-अलग इलाके में रहने वाले लोगों का कल्चर अलग-अलग है तो यहां पर बात है कि भाई यहां पर हमारे जैसे देश में जो कि काफी बड़े हैं साइज में कहां जहां पर काफी एक प्रकार से लोगों में डिफरेंसेस हैं वहां पर जो सोसाइटी के लिए रूल्स बनाए जाते हैं वह लोगों से कंसेंसस लेकर बनाया जाता है मतलब सभी लोगों से बात करके डिस्कशन करके तैयार करके रूल्स बनाए जाते हैं और उन रू को हम लोग रिटेन फॉर्म में लिख देते हैं और यही जो रिटन डॉक्यूमेंट है इसी को एक प्रकार से कांस्टीट्यूशन यहां पर कहा गया है ठीक है कांस्टिट्यूशन को आप कई प्रकार से डिफाइन कर सकते हैं कांस्टिट्यूशन को किताब के रूप में भी आप कह सकते हैं कांस्टिट्यूशन को बेसिक सेट ऑफ रूल के रूप में भी आप कह सकते हैं ठीक है तो यहां पर हम लोग समझ गए कि भाई कांस्टिट्यूशन क्या होता है ठीक है कांस्टिट्यूशन क्यों इंपॉर्टेंट होता है तो यहां पर अगर हम लोग बात करें तो आगे हम लोगों का यही आंसर मिल लेगा कि कांस्टिट्यूशन क्यों इंपॉर्टेंट होता है व्हाई डज द कंट्री नीड अ कांस्टिट्यूशन यानी दुनिया में किसी भी देश को कांस्टिट्यूशन की क्यों जरूरत है यह चीज अब हम यहां पर पढ़ने वाले हैं तो यहां पर अगर हम लोग देखें तो यह तस्वीर आप देख रहे हैं यहां पर शायद यह तस्वीर आपको क्लियर नहीं दिख रहा होगा लेकिन आप जब अपने किताब में देखेंगे तो यह तस्वीर आपको क्लियर दिखेगा यह तस्वीर किस चीज की है भाई यह तस्वीर यहां पर आपको एक प्रकार से दिखा रहा है कि यह कांस्टीट्यूएंट असेंबली की तस्वीर है लेकिन यहां पर बता रहा है कि 1934 में जो इंडियन नेशनल कांग्रेस थी जो कि हमारे देश की आजादी को लीड आजादी के लिए मूवमेंट को लीड कर रही थी कि भाई देश को आजाद कराना है आंदोलन करना है उस आंदोलन को लीड कर रही थी उस इंडियन नेशनल कांग्रेस ने डिमांड किया कि हमें मिलना चाहिए कांस्टीट्यूएंट असेंबली क्या मिलना चाहिए कांस्टीट्यूएंट असेंबली हमें बनाना चाहिए मतलब क्या मतलब हमें संविधान सभा बनाना चाहिए एक ऐसी असेंबली बनानी चाहिए जो कि हमारे देश के लिए कांस्टिट्यूशन का निर्माण करेगी संविधान का निर्माण करेगी मतलब कि जब इंडिया आजाद हो जाए किस समय की बात हो रही है 1934 जिस समय इंडिया गुलाम था अंग्रेजों का गुलाम था उस समय यहां पर कांस्टीट्यूएंट असेंबली बनाने की बात हो रही थी कि भाई हम लोग जब आजाद हो जाएंगे तब हमारा देश कैसा होगा हमारे देश में क्या-क्या चीजें लीगल होगी क्या इल्लीगल होगी उसको तय करने के लिए यहां पर कांस्टीट्यूएंट असेंबली बनाने की बात हो रही थी कि भाई कांस्टीट्यूशन हम लोग बना लेते हैं कि जब देश आजाद होगा तब उसको लागू कर दिया जाएगा तो यहां पर कहता है कि ड्यूरिंग द सेकंड वर्ल्ड वॉर दिस असर्शन फॉर द इंडिपेंडेंट कॉन्सिटर फाउंड ओनली फॉर्म्ड ओनली ऑफ इंडियन गेड मोमेंटम एंड दीज वार कन्वीन इन दिसंबर 1946 कहता है कि देखो भाई जब सेकंड वर्ल्ड वॉर का समय चल रहा था यूरोप में चल रहा था इंडिया के लोग भी उसमें पार्टिसिपेटेड थे इंडिया के सैनिक वगैरह भी उसमें जा रहे थे तो उस समय में यहां पर जो लीडर्स थे जो कि एक प्रकार से आजादी के लिए आंदोलन को लीड कर रहे थे उन्होंने डिमांड को बहुत जोर से उठाया कि हमें क्या मिलना चाहिए कंसीट असेंबली मिलना चाहिए मतलब कि हमें अपने देश का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बनाना चाहिए और यहां पर इस बात को स्वीकार कर लिया गया कब जब अंग्रेजों ने तय किया कि भाई हम लोग इंडिया छोड़ कर के अब जाने वाले हैं अब यहां पर हम लोग राज नहीं करेंगे और हमारे देश में दिसंबर 1946 में ये जो कांस्टीट्यूएंट असेंबली थी इसको कन्वीन कर दिया गया ठीक है मतलब एक प्रकार से चालू कर दिया गया उसका काम वगैरह शुरू कर दिया गया पेज टू में आपको तस्वीरें दिखेंगी ठीक है ये भी तस्वीर आपको कांस्टीट्यूएंट असेंबली की यहां पर दिख रही है अब कांस्टीट्यूएंट असेंबली क्या थी भाई एक प्रकार की सभा थी असेंबली थी जिसने भारत के लिए कॉन्स्टिट्यूशन बनाने का काम किया था संविधान बनाने का काम किया था तो भाई संविधान किसने बनाया है सिंपल आंसर है कि हमारे देश की कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने बनाया है जिसमें कि इंडिया के हर एक इलाके से हर हिस्से से हर प्रकार के लोग हर भाषा बोलने वाले लोग हर जाति के लोग हर धर्म के लोग हर कल्चर के लोग वहां पर प्रेजेंट थे सभी ने डिस्कशन करके कंसेंसस से क्या किया हमारे देश के लिए संविधान बनाने का काम किया कांस्टिट्यूशन बनाने का काम किया अब यहां पर कांस्टिट्यूशन बनाने के लिए जो कंसंट असेंबली थी उसने दिसंबर 1946 से लेकर नवंबर 1949 तक इन्होंने मीटिंग्स किए बैठी इस प्रकार से क्या किया मीटिंग किया डिस्कशन किया डिबेट किया बहुत सारे प्रोसेसेस हुए उसके बाद हमारा जाकर के कांस्टीट्यूशन तैयार हुआ और कांस्टिट्यूशन को हमारे देश में लागू कर दिया गया कब लागू किया गया 26 जनवरी 1950 को हमारा कांस्टिट्यूशन लागू कर दिया गया ठीक है तो यहां पर अगर हम लोग देखें तो यहां पर आगे बढ़ते हैं और मेन मुद्दे पर आते हैं तो यहां पर अगर हम लोग देखें तो क्या कह रहा है कह रहा है कि टुडे मोस्ट कंट्रीज इन द वर्ड हैव कांस्टिट्यूशन आज अगर आप दुनिया में किसी भी देश में चले जाएं तो वहां पर ज्यादा चांस है कि कांस्टिट्यूशन होगा चाहे वहां पर डेमोक्रेसी हो या फिर वहां पर किसी राजा का शासन हो या फिर वहां पर कोई सेना शासन कर रही हो किसी भी देश में आप चले जाएंगे कांस्टिट्यूशन होगा जैसे इंडिया में भी कांस्टिट्यूशन होगा चाइना में भी कांस्टिट्यूशन है म्यांमार में भी कांस्टिट्यूशन है पाकिस्तान में भी कांस्टिट्यूशन है हर देश में कांस्टिट्यूशन है समझ गए तो यहां पर क्या है कि भाई आज के समय में दुनिया के लग लगभग देशों में कांस्टिट्यूशन प्रेजेंट है कहता है कि वाइल ऑल डेमोक्रेटिक कंट्रीज आर लाइक टू हैव कांस्टिट्यूशन इट इज नॉट नेसेसरी दैट ऑल कंट्रीज दैट हैव अ कांस्टिट्यूशन आर डेमोक्रेटिक ये बहुत इंपॉर्टेंट पॉइंट है इसको ध्यान से समझिए कहता है कि देखो दुनिया में जितने भी डेमोक्रेटिक कंट्री है डेमोक्रेटिक कंट्री का मतलब आप समझ रहे हैं जहां पर जनता वोट दे कर के अपने सरकार को अपने नेता को चुनती है अपने प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को चुनती है व क्या हो गया डेमोक्रेटिक कंट्री मतलब दुनिया में जितने भी डेमोक्रेटिक कंट्री होंगे वहां पर गारंटी है कि आपको क्या मिलेगा कांस्टिट्यूशन मिल जाएगा लेकिन दुनिया में बहुत सारे देश ऐसे हैं जिन देशों में कांस्टिट्यूशन है लेकिन वहां पर डेमोक्रेसी नहीं है जैसे उदाहरण के लिए सबसे अच्छा उदाहरण हमारा पड़ोसी है चीन चाइना में कांस्टिट्यूशन है कांस्टिट्यूशन के हिसाब से देश चलता है सरकार चलती है लेकिन चाइना में डेमोक्रेसी नहीं है समझ गए यही बात यहां पर समझाने की कोशिश कर रहा है कि भाई कोई डेमोक्रेसी है देश किसी देश में डेमोक्रेसी है तो क्या होगा कॉन्स्टिट्यूशन होगा कि नहीं होगा होगा लेकिन कोई देश है उसमें कॉन्स्टिट्यूशन है तो क्या गारंटी है कि वह डेमोक्रेसी होगा नहीं क्योंकि चाइना में भी कांस्टीट्यूशन है म्यांमार में अभी के समय में सेना शासन कर रही है वहां कोई राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नहीं शासन कर रहे हैं उनको हटा दिया गया है तो सेना शासन कर रही है फिर भी उस देश में कांस्टिट्यूशन है तो भाई यही बात है कि कांस्टिट्यूशन होना और डेमोक्रेसी होना दो अलग-अलग चीजें हैं आगे देखते हैं आगे कहता है कि द कांस्टिट्यूशन सर्वस सेवरल पर्पसस कांस्टीट्यूशन के कई सारे पर्पस होते हैं कई कारणों से किसी भी देश में कांस्टिट्यूशन होता है इन सभी पॉइंट्स को इन सभी मुद्दों को अब हम यहां पर समझने वाले हैं तो यहां पर आपसे क्वेश्चन पूछा जाएगा व्हाई डज अ कंट्री नीड अ कॉन्स्टिट्यूशन किसी भी देश को कांस्टीट्यूशन की क्यों जरूरत है तो वहां पर यहां से जो पॉइंट्स आपको बताए जाएंगे यह पॉइंट्स आंसर करना है इसी प्रकार से व्हाट इज पर्पस ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन कांस्टिट्यूशन का क्या पर्पस होता है वो भी आप यहां से जो पॉइंट्स बताए जाएंगे उनके हिसाब से आंसर करेंगे तो हम लोग क्या करते हैं बारी-बारी से सभी पर्पसस को पढ़ लेते हैं समझ लेते हैं तो यहां पर पहला पर्पस क्या कह रहा है कहता है कि इट लेज आउट सर्टेन आइडियल दैट फॉर्म द बेसिस ऑफ काइंड ऑफ कंट्री दैट दैट वी एज सिटीजंस एस्पायर टू लिव इन यानी यहां पर कांस्टिट्यूशन क्या करता है कांस्टिट्यूशन का क्या पर्पस है कं कांस्टिट्यूशन एक प्रकार से सर्टेन आइडियल को ले डाउन करता है मतलब कि यहां पर हमारा जो देश बनेगा मतलब कि भाई एक तरीके से आपसे मैंने कहा क्या कि हमारे देश के कॉन्स्टिट्यूशन को किसने बनाया हमारे देश की कांस्टीट्यूएंट असेंबली ने बनाया लेकिन क्या कांस्टीट्यूएंट असेंबली में जो लो लोग बैठे थे वह लोग अपने मर्जी से कुछ भी कांस्टिट्यूशन बना रहे थे क्या नहीं रियलिटी में यह वहां पर कांसेप्ट यह लागू किया किया गया था कि जो हमारे देश का कांस्टिट्यूशन बन रहा है वो कांस्टिट्यूशन कौन बना रहा है भाई कांस्टिट्यूशन बनाया जा रहा है हमारे देश की कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली के द्वारा ठीक है अब यह जो असेंबली बनी है यह असेंबली कहां से आ गई तो इस असेंबली में लोगों को पहुंचाने के लिए यहां पर कांस्टीट्यूएंट असेंबली का इलेक्शन हुआ था और इलेक्शन में किसने पार्टिसिपेट किया था तो हमारे देश के लोगों ने पार्टिसिपेट किया था समझ गए तो यहां पर यह कांसेप्ट आपको याद रखना है कि हमारे देश का जो कांस्टिट्यूशन बनाया गया था वह ऐसा नहीं था कि सिर्फ हमारे देश के कांस्टीट्यूएंट असेंबली के में बैठे लोगों ने बनाया था नहीं रियलिटी में हमारे देश की जनता ने लीडर्स को असेंबली में भेजा जिन्होंने हमारा कांस्टिट्यूशन बनाया हमारे देश का तो जब आप कांस्टिट्यूशन पढ़ते हैं तो कांस्टिट्यूशन पढ़ में प्रीमल में सबसे पहले आपको मिलेगा वी द पीपल ऑफ इंडिया मतलब यहां पर जो कांस्टिट्यूशन बनाने वाले लोग थे कांस्टीट्यूएंट असेंबली में बैठे लोग थे उन्होंने नहीं कहा कि भाई वी द पीपल ऑफ कांस्टीट्यूएंट असेंबली नहीं उन्होंने कहा वी द पीपल ऑफ इंडिया यानी कि जो भारत के लोग हैं वह कांस्टिट्यूशन बना रहे हैं और वह इस कांस्टिट्यूशन को बना कर के इंडिया में लागू कर रहे हैं तो यहां पर यह ध्यान रखिए कि जो कांस्टिट्यूशन के बारे में कह रहा है कि कांस्टिट्यूशन क्या पहला पर्पस क्या है कि यह सर्टेन आइडियल तय करता है कि जिसके आधार पर हमारा देश चलेगा और हमारे देश में समाज चलेगा व एक प्रकार से हमारे आइडियल को दर्शाता है जैसे उदाहरण के लिए बात करें तो हमारे देश में कुछ बेसिक आइडियल क्या है भाई हमारे देश में बेसिक आइडियल है सबसे पहला तो हम पहले भी बात कर चुके हैं वो क्या है डेमो भाई डेमोक्रेसी है हमारे देश में दूसरा आइडियल इंपॉर्टेंट आइडियल क्या है भाई हम देखें तो हमारे देश में इक्वलिटी है इक्वलिटी इंपॉर्टेंट आइडियल है इसी प्रकार से हमारे देश में इंपॉर्टेंट आइडियल क्या है भाई व है फ्रीडम तो फ्रीडम इस प्रकार के बहुत सारे आइडियल है जिसके आधार पर हमारा देश चलता है और हमारे देश का समाज चलता है तो यहां पर बात है कि जो यह आइडियल हैं यह हमारे कांस्टिट्यूशन में लिखे हुए हैं किसने लिखा है हमने लिखा है मतलब कि भारत देश की जनता ने लिखा है उस समय भी और आज भी आज भी हम लोग कांस्टिट्यूशन को स्वीकार करते हैं क्यों क्योंकि हम लोग इन आइडियल में बिलीव करते हैं हम चाहते हैं कि हमारे देश में यह आइडियल होने चाहिए इसलिए हम लोग हम अपने देश के कांस्टिट्यूशन को स्वीकार करते हैं नहीं तो कांस्टिट्यूशन चेंज करने का हमारे देश में प्रोविजन है कि भाई कांस्टिट्यूशन में आपको कुई चीज गलत लगता है तो आप उसको चेंज कर सकते हैं लेकिन क्या हमने इन आइडियल को हटाया नहीं हटा हटाया क्यों क्योंकि हम इन आइडियल में बिलीव करते हैं समझ गए तो यहां पर यही चीज कहता है कि जो कांस्टिट्यूशन कांस्टिट्यूशन है वह एक प्रकार से कुछ आइडियल तय करता है जिसके आधार पर हमारा देश चलेगा मतलब कि हमारे आइडियल को दिखाता है कि हम अपने देश को कैसे चलाना चाहते हैं किन आइडियल के ऊपर चलाना चाहते हैं अगर इसको दूसरे तरीके से कहा जाए पुट अनदर वे अ कांस्टिट्यूशन टेल्स अस व्हाट द फंडामेंटल नेचर ऑफ आवर सोसाइटी इज मतलब यहां पर तो एक तरीके से समझा कि हम अपने देश को कैसे चलाना चाहते हैं यह हमें कांस्टिट्यूशन से पता चलेगा लेकिन अगर हम दूसरे देश को देख रहे हैं जैसे चाइना को देख रहे हैं अमेरिका को देख रहे हैं या फिर इंग्लैंड को देख रहे हैं तो भाई हम उस देश को समझ सकते हैं मतलब देश में समाज कैसा है लोग क्या चाहते हैं यह अगर हमें समझना है तो हमें कुछ नहीं करना है बस उस देश के कॉन्स्टिट्यूशन को पढ़ लेना है हमें पता चल जाएगा कि उस देश के लोग कैसे समाज को चाहते हैं कैसा समाज उनका है समझ गए जैसे हमारे देश में क्या है भाई इक्वलिटी की बात की गई है कॉन्स्टिट्यूशन में तो कोई अमेरिका का आदमी अगर हमारे देश के कांस्टिट्यूशन को पढ़ेगा तो समझेगा ओ इंडिया के लोग इक्वलिटी में बिलीव करते हैं अपने देश में इक्वलिटी लाना चाहते हैं ओ इंडिया के लोग फ्रीडम देना चाहते हैं अपने लोगों को सभी लोगों को फ्रीडम देना चाहते हैं ओ तो इंडिया के लोग क्या करना चाहते हैं डेमोक्रेसी में चाहते हैं कि हमारे देश में डेमोक्रेसी हो इसी प्रकार से जब हम चाइना का कंस्टीटूशन पढ़ेंगे तो वहां पर हमें चाइना के लोगों का क्या बिलीफ है चाइना के लोग किस प्रकार के सोसाइटी में रहना चाहते हैं यह हमें पता चल जाएगा तो यही बात यहां पर कह रहा है कि भाई देखो आप किसी भी देश को उस देश के कांस्टिट्यूशन को पढ़ कर के समझ सकते हैं कि उस देश के लोगों का क्या बिलीफ है वह क्या चाहते हैं अब यहां पर आगे कहता है कि कंट्री इज यूजुअली मेड अप ऑफ डिफरेंट कम्युनिटीज ऑफ पीपल हु शेयर सर्टेन बिलीव्स ब बट मे नॉट नेसेसरीली एग्री ऑन ऑल इश्यूज अ कांस्टिट्यूशन हेल्प्स सर्व एज अ सेट ऑफ रूल एंड प्रिंसिपल दैट ऑल पर्सन इन अ कंट्री कैन एग्री अपॉन ऑन अपॉन एज द बेसिस ऑफ द वे इन व्हिच दे वांट द कंट्री टू बी गवर्न्ड अब यहां पर कहता है कि देखो यहां पर एक देश है एक देश कोई भी देश हो सकता है हमारा देश या अमेरिका चाइना कोई भी देश हो सकता है कहते हैं कि देखो हम किसी भी देश में जाएंगे ना वहां पर हमको मिलेगा कि बहुत सारे अलग-अलग कम्युनिटीज को लोग रहते हैं जैसे हम अपने देश की ही बात करें तो हमने देखा शुरुआत में ही इस चैप्टर के शुरुआत में कि हमारे देश में बहुत डाइवर्सिटी है बहुत कम्युनिटीज के लोग रहते हैं जैसे धर्म के आधार पर कई सारे धर्म के लोग रहते हैं भाषा के आधार पर कई सारा भा कई सारे भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं कल्चर के आधार पर भी बहुत सारा डाइवर्सिटी है कास्ट के नाम पर भी बहुत सारा डाइवर्सिटी है तो आपको तरह-तरह के डाइवर्सिटी मिलेंगे बहुत तरीके के डाइवर्सिटी मिलेंगे और सभी लोग जो हैं सभी लोग हर बात पर सेम चीज नहीं बिलीव करते हैं जैसे यहां पर अगर हम लोग लैंग्वेज की ही बात करें तो हमारे देश में भाई लैंग्वेज के ऊपर भी बहुत झगड़ा होता है हमारे देश में बहुत सारे लोग हिंदी भाषा बोलते हैं तो वह लोग चाहते हैं कि पूरे देश में हिंदी भाषा बोली जाए कुछ लोग तमिल भाषा बोलते हैं तमिलनाडु में वह लोग चाहते हैं कि भाई हमको हमारी आजादी मिलनी चाहिए हमको कोई फोर्स नहीं करे कि भाई हमको हिंदी बोल बोना है या नहीं बोलना है इसी प्रकार से आप अगर दूसरे तरीके से देखें रिलीजन के आधार पर भी लोगों के विश्वास अलग-अलग हैं कि भाई हमको मूर्ति पूजा करना है कोई बोलता है हमको मूर्ति पूजा नहीं करना है हम दूसरे तरीके के भगवान में बिलीव करते हैं कोई दूसरा कल्चर फॉलो करता है तो सब लोगों के अपने-अपने बिलीफ है और सब लोगों में टकराव हो सकता है तो यहां पर ये है कि देखो हमारे समाज में अलग-अलग सोसाइटी के मतलब अलग-अलग कम्युनिटी के लोग रहते हैं उन सबको एक साथ एक विचार रखना पॉसिबल नहीं है तो उन सबको क्या किया जाए एक सेट ऑफ रूल दे दिया जाए कि देखो भैया हमने क्या किया हमने कांस्टिट्यूशन बनाया उसमें क्या लिख दिया हमने हमने लिख दिया कि भाई क्या मिलेगा इक्वलिटी मिलेगा ठीक है और इक्वालिटीज है सबसे पूछ लिया सबने बोला ओके हमको कोई दिक्कत नहीं है तो हमारे देश में क्या हो गया कांस्टीट्यूशन में इक्वलिटी डाल दिया गया इसी प्रकार से हमारे देश में फ्रीडम ऑफ रिलीजन दे दिया गया कि भाई सभी धर्मों को आजादी दी जाती है कि आप लोग अपने धर्म को अपने हिसाब से फॉलो कीजिए जो करना है करिए कोई आपको नहीं रोकेगा तो सब लोगों ने बोला ओके कोई दिक्कत नहीं तो क्या कर दिया गया हमारे देश के कांस्टिट्यूशन में डाल दिया गया मतलब यहां पर क्या है कि अलग-अलग कम्युनिटी के लोग जो हैं सेम आइडियल नहीं रखते हैं सेम उनके विचार नहीं होते हैं तो सब लोगों को एक आइडियल पर या फिर एक सेट ऑफ रूल पर एग्री करने के लिए एग्री करके हम लोग क्या करते हैं उस उसको बेसिस बना देते हैं अपने कंट्री का कि भाई कंट्री कैसे चलेगा तो हमारे देश में इक्वलिटी होगा और क्या होगा भाई हमारे देश में फ्रीडम होगा और क्या होगा भाई सब लोगों को रिलीजन का राइट मिलेगा फ्रीडम ऑफ रिलीजन मिलेगा और क्या होगा और साथ में जो लोग माइनॉरिटी है उनको प्रोटेक्शन दिया जाएगा और क्या होगा और बहुत सारी चीजें होंगी तो यहां पर क्या है भाई यहां पर बात है कि सब लोगों के लिए एक सेट ऑफ रूल बना दिया गया जिसके तहत सभी सोसाइटीज के जो सभी सेक्शन हैं वह रहेंगे और वह उसको मानेंगे समझ गए यह कैसे किया गया तो सब लोगों का कंसेंसस लेकर के समझ गए सब लोगों का कंसेंसस लेकर के ऐसा किया गया आगे कहता है कि दिस इंक्लूड नॉट ओनली द टाइप ऑफ गवर्नमेंट बट आल्सो एन एग्रीमेंट ऑन सर्टेन आइडियल दे ऑल बिलीव द कंट्री शुड अप होल्ड मतलब यहां पर तो एक आइडियल की हमने बात कर ली कि इक्वलिटी साथ में फ्रीडम साथ में फ्रीडम ऑफ रिलीजन ये सब लोगों ने एग्री कर लिया साथ में हमारे देश में क्या सिस्टम है पॉलिटिकल सिस्टम की बात कर रहा हूं मैं हमारे देश में सिस्टम है डेमोक्रेसी का कि हमारे देश में इलेक्शन होता है वोट पड़ता है जिसको ज्यादा वोट मिलता है वह जीत जाता है वो आदमी जाकर के सरकार बनाता है मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनता है तो इसको भी सब लोग एक्सेप्ट करते हैं तो ये चीज की भी यहां पर बात की जा रही है कि भाई क्या है कांस्टिट्यूशन का पर्पस क्या है एक सेट ऑफ रूल बनाने की बात यहां पर की गई अब आगे यहां पर अगर हम लोग देखें तो आगे यहां पर हमारे साम हमने एक एग्जांपल है एग्जांपल कहां का है नेपाल का एग्जांपल है तो यहां पर इस चीज को हम लोग क्या करते हैं नेपाल की कहानी से समझने की कोशिश करते हैं कि भाई नेपाल में क्या हुआ था अगर हम लोग नेपाल की बात करें तो नेपाल कहां है भाई नेपाल हमारा पड़ोसी देश है आप सभी लोग जानते होंगे कहां पर है अगर आप नहीं जानते तो यहां पर यह नक्शा जरा सा मैं आपको दिखा देता हूं ताकि आपको पता चल जाए कि नेपाल कहां है यह हमारा प्यारा भारत देश है इसको आप देख सकते हैं हमारे देश के उत्तर में इस तरफ यहां पर यह जो देश आप देख रहे हैं यह देश है नेपाल इसी देश की हम लोग यहां पर बात करने वाले हैं ठीक है तो आइए जरा सा देख लेते हैं नेपाल की क्या कहानी है और हमें क्या यहां पर समझना पढ़ना है अगर हम लोग आगे बढ़ते हैं यहां पर तो यहां पर कहता है कि भाई आज के कुछ साल पहले तक नेपाल में मोनार्की का शासन था मतलब वहां पर एक प्रकार से राजा का शासन होता था वहां पर डेमोक्रेसी का शासन नहीं था क्या हुआ कि पिछली बार पिछली बार कहने का मतलब कब की बात हो रही है 1990 की अगर मैं किताब से अलग खुद से आपको बताऊं तो सिंपली बात यहां पर यह है कि देखो जब हमारा देश आजाद हुआ 1947 में तो उस समय में नेपाल में भी बहुत सारे लोग प्रोटेस्ट कर रहे थे आंदोलन कर रहे थे कि भाई नेपाल में भी डेमोक्रेसी लाया जाए और राजा को हटाया जाए तो क्या हुआ कई सालों तक प्रोटेस्ट चला बहुत सारा एक तरीके से लोगों ने आंदोलन किया बहुत प्रोटेस्ट किया फिर जाकर के 1990 में एक अडॉप्ट किया गया कांस्टिट्यूशन वहां पर डेमोक्रेसी को एक्सेप्ट कर लिया गया कि भाई हम लोग क्या करेंगे नेपाल में डेमोक्रेसी लेते आएंगे लेकिन नेपाल में डेमोक्रेसी में एक चीज थी कि नेपाल में जो डेमोक्रेसी थी उसमें जो वहां के किंग थे उनके पास भी बहुत सारा पावर था मतलब कि भाई डेमोक्रेसी होगी लोग वोट देंगे मंत्री बनेंगे सरकार बनेगी लेकिन वहां पर जो फाइनल पावर होगा वो राजा के पास होगा राजा अपनी मर्जी से किसी कानून को रोक सकता है कोई ऑर्डर दे सकता है चीजें चेंज कर सकता है मतलब राजा के पास पावर है बस साथ में डेमोक्रेसी ऐड कर दी गई यह वहां पर लागू कर दिया गया था 1990 में फिर आगे चलके क्या होता है 2001 में जो यह किंग थे जिन्होंने यह कांस्टिट्यूशन लागू किया था 1990 में उन उनकी हत्या हो जाती है उनके पूरे परिवार की हत्या हो जाती है वह मर जाते हैं ठीक है फिर उसके बाद 2001 में एक नए राजा बनते हैं जो पुराने राजा थे उनके भाई उनका का नाम था ज्ञानेंद्र वो जब राजा बनते हैं राजा ज्ञानेंद्र जब पावर में आते हैं तो वो पुराना वाला कांस्टिट्यूशन हटा देते हैं मतलब कांस्टिट्यूशन नहीं हटाते हैं वहां जो डेमोक्रेसी थी ना डेमोक्रेसी को खत्म कर देते हैं और बोलते हैं कि सारा पावर अब मेरे पास अपुनी भगवान है इस प्रकार से बोलते हैं और सारा पावर मेरे पास कर देते हैं मतलब क्या जो डेमोक्रेसी 1990 में लाई गई थी उसको वो खत्म कर देते हैं ठीक है अब जब यहां पर सारा पावर किंग के पास आ गया डेमोक्रेसी खत्म हो गई तो लोगों ने प्रोटेस्ट फिर से शुरू कर दिया कि भाई हम लोग को डेमोक्रेसी फिर से चाहिए आपने कैसे खत्म कर दिया 1990 में डेमोक्रेसी लागू कर दी गई थी तो लोगों ने कई सालों तक प्रोटेस्ट किया आगे चलके 2006 में यानी कि 2006 में यहां पर नेपाल में फिर से नया कॉन्स्टिट्यूशन लिखने की बात की गई और राजा ने स्वीकार किया कि भैया हमारे देश में क्या होगा फिर से कांस्टिट्यूशन लाया जाएगा और हमारे देश में डेमोक्रेसी लाई जाए आगी फिर यहां पर क्या हुआ कांस्टिट्यूशन लिखने का काम शुरू किया गया नए आइडियल पर नए प्रिंसिपल्स पर यही सिंपली कहानी है नेपाल की शॉर्ट में एकदम शॉर्ट में अगर हम लोग यहां पर देखें तो यही चीज यहां पर आपको दिखाया जा रहा है कि देखो देयर वाज प्रिपस इगल इन 1990 द एस्टेब्लिश डेमोक्रेसी दैट लास्ट फॉर 12 ईयर अटिल 2002 ओ सॉरी 2001 मैंने बोल दिया 2002 में यहां पर हुआ था 2002 में यहां पर क्या हुआ किंग ज्ञानेंद्र जो थे उन्होंने यहां पर डेमोक्रेसी खत्म कर दी थी और यहां पर 2006 में डेमोक्रेसी को एज अ नया सिस्टम एक्सेप्ट कर लिया गया तो यहां पर समझते हैं क्या कह रहा है यहां पर क्या हुआ कि रिसेंटली तक नेपाल क्या था एक मोनार्की था 1990 में यहां पर डेमोक्रेसी एक्सेप्ट किया गया था लेकिन फिर वो एक तरीके से खत्म कर दिया गया फिर 2006 में यहां पर डेमोक्रेसी फिर से लागू करने की बात राजा ने स्वीकार कर ली और राजा को राजगद्दी से हटा दिया गया मतलब कि जो राजा का पावर था उसको पूरी तरीके से खत्म कर दिया गया राजा सिर्फ नाम के राजा रह गए और अब क्या हो गया नेपाल में डेमोक्रेसी ला दिया गया अब यहां पर जो नया सिस्टम आया मतलब कि यहां पर जो राजा को हटा दिया गया और यहां पर डेमोक्रेसी लाने की बात की गई तो यहां पर लोगों को नेपाल के लोगों को एक नया कांस्टिट्यूशन लिखना पड़ा नेपाल के लोगों ने फिर क्या किया कांस्टीट्यूएंट असेंबली के लिए इलेक्शन किया कांस्टीट्यूएंट असेंबली बैठाई और नया नया कांस्टिट्यूशन लिखना शुरू कर दिया तो यहां पर सवाल है कि नेपाल के लोगों ने यहां पर नया कांस्टिट्यूशन क्यों लिखा जबकि उनके पास पहले से एक कांस्टिट्यूशन था इसका कारण यहां पर यह है कि जो पुराना कांस्टिट्यूशन था उसमें जो आइडियल लिखे हुए थे जो आइडियल दिए गए थे उन आइडियल पर नेपाल के लोग अब एग्री नहीं करते थे पुराने कांस्टिट्यूशन में क्या बात लिखी गई थी 1990 में जो कांस्टिट्यूशन लिखा गया था उसमें क्या बात था भाई उसमें बात था कि भाई फाइनल अथॉरिटी किसके पास होगा फाइनल अथॉरिटी ऑफ किंग मतलब कि यहां पर राजा के पास फाइनल अथॉरिटी होगा 1990 वाले कांस्टिट्यूशन में यह बात लिखी हुई थी तो जो 2006 में कांस्टिट्यूशन बनाने की बात हुई वहां पर क्या राजा के पास पावर था क्या नहीं था पावर राजा का सारा पावर छीन लिया गया था तो क्या पुराना कांस्टिट्यूशन काम करता नहीं क्यों नहीं काम करता क्योंकि दे का समाज का आइडियल बदल गया था लोगों के जो विश्वास थे वह बदल गए थे पहले पावर फाइनल अथॉरिटी किंग के पास होती थी साथ में उसके जो मिनिस्टर्स होते थे मिनिस्टर्स के पावर्स पावर होती थी लेकिन अब यहां पर जो नया सिस्टम लाने की बात थी उसमें किंग के पास कोई पावर नहीं था सारा पावर प्राइम मिनिस्टर प्रेसिडेंट को देने की बात कर रही की गई थी तो इसलिए यहां पर नेपाल के लोगों को फिर से कांस्टिट्यूशन लिखना पड़ा ताकि जो नए आइडियल थे नेपाल के लोगों के के नए विश्वास थे नए सेट ऑफ रूल यहां पर तय करने के लिए नया कांस्टिट्यूशन इन्होंने लिखना तय किया समझ गए तो यहां पर यही चीज कहता है कि नाउ द पीपल हैव टू राइट अ न्यू कॉन्स्टिट्यूशन टू एस्टेब्लिश नेपाल एज अ डेमोक्रेसी द रीजन दे डू नॉट वांट टू कंटिन्यू विद द प्रीवियस कांस्टिट्यूशन इज बिकॉज इट डज नॉट रिफ्लेक्ट द आइडियल ऑफ कंट्री दैट दे वांट नेपाल टू बी एंड दैट दे हैव बाउट फोर यानी जो नए आइडियल जिसके लिए लोगों ने आंदोलन किया था लड़ाई की थी उसको लागू करने के लिए यहां पर क्या किया गया नए कॉन्स्टिट्यूशन को लिखने की तैयारी की गई यहां पर काम किए गया अब यहां पर इस चीज को यहां पर यही चीज समझाता है कि एज इन द गेम ऑफ फुटबॉल इन व्हिच अ चेंज इन द कांस्टीट्यूटिव रूल विल चेंज द गेम ऑल टूगेदर नेपाल बाय मूविंग फ्रॉम मोनार्की टू अ डेमोक्रेटिक गवर्नमेंट नीड टू चेंज ऑल इट्स कांस्टीट्यूटिव रूल इन ऑर्डर टू अशर इन अ न्यू सोसाइटी यही चीज कहता है कि देखो भाई फुटबॉल में बेसिक रूल क्या है बेसिक रूल है भाई क्या करना है पैर से किक मारना है पैर से बॉल को मारना है और यही रूल अगर बदल दें कि भाई जो प्लेयर हैं वो बॉल को उठा कर के भी दौड़ दौड़ सकते हैं तो क्या व फुटबॉल गेम बचेगा क्या नहीं वो रग्बी बन जाएगा या फिर कोई और गेम बन जाएगा तो उसी प्रकार से यहां पर क्या है जब नेपाल में यहां पर यह तय किया गया कि नेपाल में डेमोक्रेसी आने वाली है तो बेसिक रू रूल ही चेंज हो गया बेसिक रूल चेंज हो गया कि भाई नेपाल का सबसे पावरफुल व्यक्ति कौन पहले राजा होता था अब प्रधानमंत्री होगा तो यहां पर पूरा सेट ऑफ रूल चेंज करने की जरूरत है इसीलिए यहां पर नया कांस्टिट्यूशन लिखने की बात यहां पर की गई तो पहला यहां पर पर्पस हम लोग समझ गए कांस्टिट्यूशन का पहला पर्पस क्या होता है इसके बाद हम लोग बात करें तो सेकंड पर्पस यहां पर आता है कहता है कि द सेकंड इंपॉर्टेंट पर्पस ऑफ अ कांस्टिट्यूशन इज टू डिफाइन द नेचर ऑफ कंट्रीज पॉलिटिकल सिस्टम किसी भी देश के पॉलिटिकल सिस्टम को डिफाइन करने का काम करता है हमारा कांस्टिट्यूशन देखिए हमारे देश में हमारे देश के जो कॉन्स्टिट्यूशन है या फिर किसी भी देश का कॉन्स्टिट्यूशन अगर आप देखेंगे तो वहां पर सिर्फ आइडियल नहीं लिखे होते हैं मतलब यह नहीं कि हमारे देश में इक्वलिटी होगा फ्रेटरनिटी होगा या फिर हमारे देश में फ्रीडम होगा हमारे देश में डेमोक्रेसी होगी यह सिर्फ बातें नहीं होती है वहां पर क्लियर क्लियर अच्छे से बताया जाता है लिखा जाता है कि हमारे देश में पॉलिटिकल सिस्टम कैसा होगा पॉलिटिकल सिस्टम कहने का मतलब यह है कि हमारे देश में जो लीडर्स होंगे उनके पास क्या पावर होंगे कौन-कौन सा पद होगा जैसे कि हमारा देश का जो सिस्टम है पॉलिटिकल सिस्टम इसमें क्या किया गया है यहां पर पॉलिटिकल पावर को तीन पार्ट्स में डिवाइड कर दिया गया है यानी हमारे देश का जो पावर है यानी स्टेट का जो पावर है उसको तीन हिस्सों में डिवाइड कर दिया गया तीन हिस्से कौन कौन से हो गए पहला हो गया लेजिस्लेटिव हो गया ठीक है दूसरा हो गया एग्जीक्यूटिव और तीसरा हो गया आपका जुडिशरी जुडिशरी हो गया ठीक है तो यहां पर तीन हिस्सों में डिवाइड कर दिया गया अब बोलिएगा सर ये तीनों क्या है यह तीनों समझ में नहीं आया तो लेजिसलेटिव मतलब कि हमारे देश का जो पार्लियामेंट है स्टेट के असेंबली है उसकी बात की जा रही है एग्जीक्यूटिव मतलब कि हमारे देश को जो मुख्यमंत्री होते हैं मंत्री होते हैं सारे अधिकारी अफसर वगैरह होते हैं राष्ट्रपति होते हैं यह सब एग्जीक्यूटिव के पार्ट होते हैं इसी प्रकार से हमारे देश के जो कोर्ट्स होते हैं वो जुडिशरी के पार्ट होते हैं इसी प्रकार से हमारे देश का जो लेजिसलेटिव हो गया यानी कि यहां पर जो हमारे देश का पार्लियामेंट हो गया पार्लियामेंट के पास क्या पावर होगा हमारे स्टेट की असेंबली के पास क्या पावर होगा यह सब यहां पर क्लियर हमारे कांस्टिट्यूशन में लिखा हुआ होता है पार्लियामेंट का इलेक्शन कैसे होगा जो सेंट्रल गवर्नमेंट बनेगी वह क्या बनेगी कैसे बनेगी मंत्री कैसे बनेंगे हर चीज यहां पर क्लियर लिखा होता है तो भाई हमारे देश का जो पॉलिटिकल सिस्टम है वह क्लियर डिफाइन कहां पर होता है कांस्टिट्यूशन में होता है उसी के हिसाब से सारे पॉलिटिकल लीडर्स जो कि एक इंपॉर्टेंट पद पर बैठते हैं वह काम करते हैं समझ गए तो कहता है कि फॉर एग्जांपल नेपाल अलिर कांस्टिट्यूशन स्टेटेड दैट द कंट्री वाज टू बी ड बा रूड बाय किंग एंड हिज काउंसिल ऑफ मिनिस्ट टर्स इन कंट्रीज दैट हैव अडॉप्ट अडॉप्टेड अ डेमोक्रेटिक फॉर्म ऑफ गवर्नमेंट और पॉलिसी द कांस्टिट्यूशन प्लेज अ इंपॉर्टेंट रोल इन लेइलाह बात है सिंपल मतलब क्या है मतलब यही चीज है कि देखो भैया पहले क्या था नेपाल में राजा का शासन था अब वहां पर क्या हो गया डेमोक्रेसी ला दी गई तो डेमोक्रेसी जहां पर होती है वहां पर जो कांस्टीट्यूशन होता है वो बहुत इंपॉर्टेंट होता है क्यों इंपॉर्टेंट होता है क्योंकि कांस्टिट्यूशन के हिसाब से ही सरकार चलती है कांस्टीट्यूशन के हिसाब से ही किसे क्या करना है किसके पास क्या पावर है कौन क्या कर सकता है यह तय होता है समझ गए हमारे देश में भी कांस्टिट्यूशन के हिसाब से सारी चीजें होती हैं प्रधानमंत्री के पास कितना पावर है मुख्यमंत्री के पास कितना पावर है राज्यपाल क्या कर सकते हैं नहीं कर सकते हैं मंत्री क्या कर सकता है नहीं कर सकता है यह सब कहां से तय होता है हमारे देश के कांस्टिट्यूशन से तय होता है समझ गए तो यह सेकंड पॉइंट आप यहां पर आपका क्लियर हो गया अब यहां पर हम लोग थर्ड पॉइंट पर बढ़ते हैं अब देखिए एक चीज मैं यहां पर आपको बताना चाहूंगा कि आप जब एनसीआरटी किताब पढ़िए तो यहां पर आपको तीन पॉइंट्स लिखे गए हैं बोला गया है कि थ्री पॉइंट्स फर्स्ट पॉइंट सेकंड पॉइंट हमने पढ़ा और आगे लिखेगा थर्ड इंपॉर्टेंट पॉइंट लिखा हुआ है लेकिन तीन पॉइंट के अलावा भी पॉइंट यहां पर बनते हैं जैसे कि एक पॉइंट यहां पर बनेगा इंपॉर्टेंट पॉइंट कि भाई क्यों हमारे देश में कांस्टिट्यूशन होना चाहिए तो वो पॉइंट यहां पर समझते हैं कहता है कि इन अ डेमोक्रेसी वी चूज आवर लीडर सो दैट दे कैन एक्सरसाइज पावर रिस्प ली ऑन आवर बिहा भाई डेमोक्रेसी का मतलब क्या होता है डेमोक्रेसी का मतलब होता है कि हम अपने लीडर्स को चुन रहे हैं वह लीडर्स जाकर के इंपॉर्टेंट पोजीशन पर बैठेंगे प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री विधायक सांसद के पद पर जाकर के बैठेंगे और वह क्या करेंगे पावर को एक्सरसाइज करेंगे मतलब जो हमने पावर उनको दी है वह पावर का यूज करेंगे और सरकार में जितने भी अधिकारी हैं सेना है पुलिस है सबको ऑर्डर देंगे हमने उन उनको यह पावर दी है लेकिन यहां पर यह हो सकता है कि यह जो लीडर्स हैं यह लीडर्स अपना पावर मिसयूज करने लगे पुलिस को मेरे ही घर पर भेज दे डंठ मारने के लिए कि इसको जाओ पीट के आओ या फिर यहां पर पुलिस मुझे पकड़ कर ले जाकर जेल में डाल दे क्योंकि मंत्री जी को मेरा चेहरा पसंद नहीं आया यह हो सकता है तो यहां पर इस तरीके के जो मिसयूज हैं यह भी हो सकता है जब यहां पर किसी पॉलिटिकल लीडर के पास पावर होगा अब इसको अच्छी तरीके से एग्जांपल यहां पर आपको समझना होगा कि भाई अगर किसी के पास पावर हो और मिसयूज हो जाए तो वह कितना बुरा हो सकता है कितना खतरनाक हो सकता है यह सिंपल सा एग्जांपल है क्लासरूम का एग्जांपल है यहां पर एक क्लास है जिसमें एक यहां पर लड़का है जिसका नाम है सुरेश जो कि उस क्लास का क्लास मॉनिटर है वो एक बुल्ली है बुल्ली मतलब कि एक प्रकार से अपने क्लास के दूसरे बच्चों को परेशान करता है दूसरे बच्चों को प्रताड़ित करता है इस प्रकार का लड़का है ये अब यहां पर यह है है कि जो क्लास टीचर हैं मिस राव मिसेस राव यह किसी कारण से क्लास को छोड़ कर के जा रही हैं उन्होंने सुरेश को बोला कि सुरेश तुम क्या करो क्लास को थोड़ा ध्यान रखो क्लास को एक तरीके से मैनेज करो कि लोग ब जो बच्चे हैं वह शैतानी ना करें परेशानी ना करें अब जो सुरेश है अपना काम शुरू करता है क्या काम भाई परेशान करने का बुल्ली करने का काम शुरू करता है अनिल एक बच्चा है उसको परेशान करने का काम करता है बोलता है कि अनिल आज मैं तुमको मिसेस राव को यानी कि हमारी जो टीचर हैं उनके सामने कंप्लेन कर दूंगा तुमको सबक सिखाऊंगा मैं अब अनिल पूछता है कि भाई मैंने क्या किया कुछ नहीं किया फिर क्यों मुझे परेशान कर रहे हो इस प्रकार की बात करता है तो यहां पर क्या हो रहा है यहां पर जो सुरेश है वह सुरेश क्या कर रहा है अपने पावर का गलत इस्तेमाल कर रहा है अपने पावर का जो उसको यूज दिया गया है जो उसको पावर दिया गया है उसका इस्तेमाल कर रहा है किसी को परेशान करने में प्रताड़ित करने में अब जहां पर इसी क्लास में फिर जब मिसेस राव वापस आती हैं क्लास में तो यहां पर जो अनिल है उसको कंप्लेन कर दिया जाता है सुरेश उसका कंप्लेन कर देता है मैम के पास कि देखो मैम यहां पर जो सुरेश था वह काफी जोर-जोर से चिल्ला करके बात कर रहा था और पूरे क्लास को परेशान कर रहा था और मेरी बात बिल्कुल भी नहीं सुन रहा था इस प्रकार का वह जाकर के कंप्लेन कर देता है मिसेस राव के पास अब यहां पर मिसेस राव जब इस प्रकार का कंप्लेन सुनती हैं तो वह अनिल को बोलती है कि अनिल तुम क्या करोगे जब स्कूल खत्म होगा उसके बाद रुकोगे और 100 बार लिखोगे कि मैं क्लास मॉनिटर की बात सुनूंगा तो यहां पर क्या हुआ बेचारा अनिल सीधा-साधा बच्चा था क्लास में बैठा हुआ था लेकिन उसको इतना परेशान होना पड़ा क्यों परेशान होना पड़ा क्योंकि किसी लीडर ने अपने पावर का गलत इस्तेमाल किया और यही चीज हमारे पॉलिटिकल सिस्टम में भी हो सकती है कि जो पॉलिटिकल लीडर हैं वह क्या करेंगे अपने पावर का गलत इस्तेमाल करेंगे समझ गए तो यहां पर यही चीज कहता है कि इन डेमोक्रेटिक सोसाइटीज द कांस्टिट्यूशन ऑफेन लेज डाउन रूल्स दैट गार्ड अगेंस्ट दिस मिसयूज ऑफ पावर बाय आवर पॉलिटिकल लीडर्स यही आपका थर्ड पॉइंट हो गया कि भाई कांस्टिट्यूशन इस प्रकार के रूल्स बनाता है इस प्रकार के रूल्स कांस्टिट्यूशन में लिखे हुए होते हैं जो एक तरीके से इस प्रकार के मिसयूज ऑफ पावर को रोकते हैं या फिर खत्म करते हैं इसका उदाहरण क्या है उदाहरण यहां पर यही चीज है कि जो हमने देखा एग्जांपल कि देखो यहां पर हमारे देश का जो स्टेट का पावर है अब यहां पर स्टेट शब्द आपको ये नहीं हमारे देश के राज्य स्टेट की बात नहीं हो रही है स्टेट का पावर कहने का मतलब इंडियन स्टेट का पावर क्या है मतलब यहां पर जितने भी पॉलिटिकल ऑफिसेज हैं जैसे कि हमारे देश का जुडिशरी का पावर एग्जीक्यूटिव का पावर मतलब कि हमारे देश के जो ब्यूरोक्रेसी है जो अफसर वगैरह हैं उनका पावर जो हमारे देश का पार्लियामेंट हो गया असेंबली हो या स्टेट में के गवर्नमेंट का पावर हो गया सबको ऐड कर दो तो वो हमारा क्या होगा स्टेट का पावर इंडियन स्टेट का पावर मतलब इंडिया जो देश है देश के पावर की बात की जा रही है यहां पर तो स्टेट शब्द का मतलब यहां पर देश से है इंडिया का जो पावर है ना उसकी बात यहां पर की जा रही है तो यहां पर यही देखिए कि हमारे देश में ऐसे कानून बनाए गए हैं कि जो पॉलिटिकल लीडर्स हैं वो अपने पावर का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकते जैसे यहां पर देखिए हमारे देश के जो स्टेट का पावर है उसको तीन हिस्सों में बांट दिया गया पहला हो गया लेजिस्लेटर दूसरा हो गया एग्जीक्यूटिव और तीसरा हो गया जुडिशरी अब यहां पर पॉलिटिकल लीडर्स कहां पर आते हैं भाई पॉलिटिकल लीडर्स एक लेजिसलेच्योर के प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री मंत्री ये सब जाकर के एग्जीक्यूटिव के पार्ट बनते हैं और सारे ब्यूरोक्रेसी को मैनेज कंट्रोल करने का काम करते हैं अब यहां पर कैसे कैसे कांस्टिट्यूशन रोकता है किसी मिसयूज ऑफ पावर से तो भाई कोई मान लो सीएम है यानी चीफ मिनिस्टर है वो कुछ गलत काम करना चाहता है तो भाई वो जब गलत काम करेगा और यहां पर वो कुछ गड़बड़ करता है कहीं उसने घोटाला कर दिया या फिर कुछ किसी पुलिस के मदद से किसी को ज्यादा परेशान करवा दिया कुछ कर दिया तो वहां पर जो उस स्टेट का असेंबली है उस असेंबली के सामने सीएम को जाकर के जवाब देना होगा असेंबली के जो लीडर्स हैं जो एमएलए हैं वो यहां पर सीएम को उसके पद से हटा सकते हैं इस प्रकार से चेक्स एंड बैलेंसस किए जाते हैं इसी प्रकार से अगर यहां पर जो हमारा एग्जीक्यूटिव है जो पॉलिटिकल लीडर्स है वो कुछ गलत काम करते हैं तो हमा हमारे देश की जो जुडिशरी है वह यहां पर आ सकती है और सरकार को कुछ गलत काम करने से रोक सकती है तो यही चीज है कि यहां पर हमारा देश का जो कांस्टिट्यूशन है वो पॉलिटिकल लीडर्स को मिसयूज ऑफ पावर करने से रोकता है ठीक है तो यहां पर आगे बढ़े तो आगे यहां पर एक चीज यहां पर फंडामेंटल राइट्स की बात की गई है फंडामेंटल राइट्स की बात इसलिए की जा रही है क्योंकि फंडामेंटल राइट्स में हम सभी लोगों को मुझे आपको जितने भी भारत में लोग रहते हैं सभी लोगों को कुछ बेसिक राइट्स दिए गए हैं और यही बेसिक राइट्स एक प्रकार से हमारे खिलाफ जो सरकार की ताकत है या किसी और व्यक्ति की ताकत है उसका गलत उपयोग होने से रोकता है जैसे आपने क्लास सेवन में ओम प्रकाश वाल्मीकि कहानी पढ़ी थी कि ओम प्रकाश वाल्मीकि जी को किस प्रकार से क्लास में प्रताड़ित किया जाता था परेशान किया जाता था क्योंकि वह एक दलित थे दलित समाज से आते थे इस वजह से अब यहां पर अगर हम लोग देखें तो यहां पर हमारे देश का जो कांस्टिट्यूशन है हमारे देश के कांस्टिट्यूशन में फंडामेंटल राइट्स की बात की गई है कि फंडामेंटल राइट्स जो हैं वह हमारे देश के हर नागरिक को मिलेंगे जिसमें उदाहरण के लिए राइट टू इक्वलिटी है राइट टू फ्रीडम है और भी कई सारे राइट्स हैं उनकी हम आगे डिटेल में बात करने वाले हैं तो इसकी वजह से इन फंडामेंटल राइट्स की वजह से आप किसी के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं कर सकते हैं किसी भी व्यक्ति को आप या फिर सरकार कैद नहीं कर सकते हैं उनको फ्रीडम का अधिकार है अपने धर्म को फॉलो करने का अधिकार है कहीं भी आने जाने का अधिकार है देश में तरह-तरह के उनको अधिकार हैं तो यह सब एक प्रकार से हमारे कांस्टिट्यूशन में जो प्रावधान है ये सरकार को हमारे खिलाफ गलत स्टेप उठाने से रोकते हैं मतलब किसी सीएम से मेरा झगड़ा हो जाए तो सीएम जबरदस्ती उठे मुझे उठा कर के जेल में नहीं डाल सकता क्यों क्योंकि मेरे पास फंडामेंटल राइट्स हैं मुझे बिना कारण का बिना किसी क्राइम किए जेल या फिर किसी भी प्रकार के कैद में नहीं रखा जा सकता है समझ गए तो यहां पर आगे बढ़े तो आगे यहां पर अग नेक्स्ट हमारा पॉइंट है नेक्स्ट यानी कि हमारा पॉइंट फोर्थ आ जाता है फोर्थ पॉइंट यहां पर क्या है भाई यहां पर कहता है कि अनदर इंपॉर्टेंट फंक्शन दैट अ कांस्टिट्यूशन प्लेज इन अ डेमोक्रेसी इज टू इंश्योर दैट अ डोमिनेंट ग्रुप डज नॉट यूज इट्स पावर अगेंस्ट अनदर लेस पावरफुल पीपल और ग्रुप्स यहां पर क्या है कहता है कि कांस्टिट्यूशन एक प्रकार से यहां पर यह इंपॉर्टेंट उसका फंक्शन है कि जो समाज है देश है उसमें जो डोमिनेंट ग्रुप हैं डोमिनेंट ग्रुप मतलब कि जो कि ज्यादा शक्तिशाली हैं पावरफुल हैं जो एक तरीके से अपनी बात मनवा सकते हैं जिनके पास ज्यादा ताकत है वो कमजोर लोगों पर अत्याचार ना करें उनको परेशान ना करें और एक तरीके से उनके खिलाफ पावर का इस्तेमाल ना करें इस चीज को होने से कांस्टिट्यूशन हमारे देश का कांस्टिट्यूशन रोकता है उदाहरण से समझते हैं यहां पर देखिए एक क्लास है क्लास में आता है गेम पीरियड भाई गेम पीरियड हम लोग को भी बहुत मस्ती आता था जब स्कूल में गेम पीरियड आता था तो कि हम लोग भी खेलने जाएंगे फील्ड में जाएंगे मजा आएगा ऐसे वैसे बहुत मस्ती आता था आप लोग को भी मस्ती आता होगा गेम पीरियड आता होगा तो यहां पर क्या होता है गेम पीरियड आया क्लास में अब यहां पर बच्चे लोग क्या कर रहे तैयारी कर रहे हैं कि हम लोग फील्ड में जाएंगे और खेलेंगे यहां पर जो लड़के हैं वह तय करते हैं कि हम लोग क्रिकेट खेलेंगे जो लड़कियां हैं वोह बोलती है कि नहीं आज क्या करते हैं हम लोग थोड़ा सा चेंज करते हैं और आज हम लोग बास्केटबॉल खेलते हैं यह लड़कियां तय करती हैं लेकिन यहां पर क्या होता है यहां पर जो टीचर आती है टीचर अब वो मेल है फीमेल है पता नहीं जो टीचर आते हैं वह क्या करते हैं बोलते हैं कि सभी लोग वोटिंग करो और हाथ उठा कर के तय करो कि आज क्या खेला जाएगा अब क्लास में लड़कों की संख्या ज्यादा थी क्लास में ज्यादा संख्या में लड़के थे तो लड़कों की बात मान ली जाती है और सभी लोगों को जाकर के क्रिकेट खेलना पड़ता है अब लड़कियां यहां पर नाराज हो जाती हैं कि भाई देखो हमारी बात नहीं सुनी गई क्यों क्योंकि हमारी संख्या कम है हम लोग कम संख्या में हैं इसलिए जो लड़के चाहते हैं सिर्फ वही होता है तो यहां पर आपने समझा कि भाई देखो एक डोमिनेंट ग्रुप है जिसके पास ज्यादा पावर है वह अपनी बात मनवा सकता है उसकी डोमिनेंस की वजह से एक ग्रुप जिसकी संख्या कम है उसकी बात नहीं सुनी गई उसका मन नहीं रखा गया यह चीज हमारे समाज में भी हो सकता है हमारे डेमोक्रेटिक सोसाइटी में भी हो सकता है जहां पर जो मेजॉरिटी है वोह अपने डिसीजंस को लागू करवाए और जो माइनॉरिटी में लोग हैं उनकी बातों को इग्नोर कर दिया जाए उनकी बातों पर उतना ध्यान ना दिया जाए ठीक है तो यहां पर यही चीज कहता है कि एज द एव स्टोरी बोर्ड इलस्ट्रेट एवरी सोसाइटी इज प्रोन टू दिस रेनी ऑफ मेजॉरिटी यानी कि हर सोसाइटी में यह खतरा होता है कि मेजॉरिटेरियन ज्म आ जाए यानी बहुसंख्यक वाद आ जाए मतलब कि जिनकी संख्या ज्यादा है उनकी बात मानी जाए और जिनकी संख्या बा जिनकी संख्या कम है उनकी बात पर ध्यान ना दिया जाए उनके बात को इग्नोर कर दिया जाए तो यहां पर हमारे देश का कांस्टिट्यूशन जो है उसमें इस प्रकार के रूल्स लिखे हुए हैं जो कि एक प्रकार से यह तय करते हैं कि जो माइनॉरिटी हैं यानी जिनकी संख्या कम है हमारे देश में उनको कि किसी भी प्रकार से ऐसी चीजों से एक्सक्लूड ना किया जाए जो कि मेजॉरिटी के पास अवेलेबल है मतलब कि जो संख्या में ज्यादा है उनके पास जो चीजें हैं जो अधिकार हैं जो राइट्स हैं जो पावर्स हैं वह कम संख्या वाले लोगों के पास भी होने चाहिए उदाहरण की अगर हम लोग बात करें तो उदाहरण के लिए आप क्या कर सकते हैं लैंग्वेज से समझ सकते हैं अगर यहां पर अगर हम लोग देखें तो हमारे देश में कई सारी भाषाएं बोली जाती हैं जिसमें कि सबसे ज्यादा संख्या में हमारे देश में हिंदी बोला जाता है करीब हमारे देश में 40 पर लोग हिंदी बोलते हैं इसी प्रकार से दूसरे लैंग्वेजेस भी हमारे देश में बोले जाते हैं जिनमें कि आपका तमिल आ जाता है इसके अलावा हमारे देश में बांग्ला बोला जाता है इसके अलावा हमारे देश में तेलुगु बोला जाता है तो यह सब लैंग्वेजेस भी और भी बहुत सारे लैंग्वेज बोले जाते हैं तो यहां पर हमारे देश में एक सिस्टम है कि जो लोग हैं वो अपने लैंग्वेज को अपने हिसाब से फॉलो कर सकते हैं हर स्टेट अपने लैंग्वेज को अब फॉलो कर सकता है अपने लैंग्वेज में अपना सरकार चला सकता है अपने सारे चीजें सारे काम कर सकता है तो यहां पर हमने क्या ध्यान रखा कि हमारे देश में हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है इनके पास अधिकार है कि वह अपने इलाके में हिंदी भाषा बोले मस्ती से रहे कोई परेशानी नहीं है तो उसके साथ-साथ जो माइनॉरिटी में है जिनकी संख्या कम है जैसे तमिल तमिलों की संख्या करीब % या 6 पर है बांगला भाषा बोलने वाले लोगों की भी करीब 8 या 9 पर इनकी इनकी थोड़ी ज्यादा है इसी प्रकार से तेलुगु भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या करीब 6 से 7 पर है तो इनको भी यह राइट दिया गया कि आप अपने राज्य में तेलुगु भाषा में अपना काम करिए तमिल भाषा में अपना काम करिए आपको कोई नहीं रोकेगा आपको कोई नहीं ठोकेगा आपको किसी से कोई लेना देना नहीं है तो यहां पर यह चीज किया गया है ना कि जो मेजॉरिटी के पास पावर है वो पावर माइनोटी को भी दिया गया उनके पास भी यह चांस दिया गया कि आप अपनी मर्जी से अपने हिसाब से समाज को जी सकते हैं अपने अपने इलाके में रह सकते हैं समझ गए आगे यहां पर कहता है कि अनदर रीजन व्हाई वी हैव कांस्टिट्यूशन इज प्रिसा इजली टू प्रिवेंट दिस टाइनी और डोमिनेशन बाय द मेजॉरिटी ऑफ अ माइनॉरिटी यहां पर एक तरीके से देखिए आप इस पॉइंट को चौथा पॉइंट या फिर पांचवा पॉइंट अलग पॉइंट बना सकते हैं या फिर ऊपर जो पॉइंट मैंने बताया उस में ही यह आ सकता है यह आपके ऊपर है अगर आपको अलग पॉइंट बनाना है तो वो भी एक तरीके से लिख सकते हैं या फिर ऊपर वाला पॉइंट में ही ये आ जाएगा मतलब यहां पर यह है कि जो ऊपर हमने उदाहरण देखा उस प्रकार के मेजोरिटी निज्म से यहां पर यानी बहुसंख्यक वाद से तो हम लोग क्या कर सकते हैं माइनॉरिटी को बचाने के लिए भी कांस्टीट्यूशन जरूरी है कांस्टिट्यूशन यह काम करता है अब यहां पर देखिए क्या कहा गया है कि मेजॉरिटी जो है व माइनॉरिटी को एक प्रकार से दबाए या फिर जो माइनॉरिटी है उसकी बात नहीं सुनी जाएगी इग्नोर किया जाएगा यह दो प्रकार का हो सकता है जिसको कहा गया है यहां पर पहला तो आपका इंटर कम्युनिटी डोमिनेशन और दूसरा है इंट्रा कम्युनिटी डोमिनेशन इंटर कम्युनिटी डोमिनेशन कहने का मतलब क्या है एक कम्युनिटी दूसरे कम्युनिटी को दबा रहा है मतलब कि यहां पर जो हिंदी भाषा बोलने वाले लोग हैं वह क्या कर रहे हैं तमिल भाषा बोलने वाले लोगों को दबा रहे हैं तो यह क्या हो गया यह आपका हो गया इंटर कम्य निनिटी डोमिनेशन या फिर धर्म के हिसाब से समझे तो जो हिंदू हैं वह मुस्लिम को दबा रहे हैं या फिर जो मुस्लिम है वह हिंदू को दबा रहे हैं तो यह क्या हो गया इंटर कम्युनिटी डोमिनेशन एक कम्युनिटी दूसरे कम्युनिटी को दबा रहा है तो ये इंटर कम्युनिटी डोमिनेशन हो गया दूसरा होता है इंट्रा कम्युनिटी डोमिनेशन एक ही कम्युनिटी के कुछ लोग उसी कम्युनिटी के दूसरे लोगों को दबा रहे हैं प्रताड़ित कर रहे हैं उदाहरण के लिए यहां पर आप समझ सकते हैं कि हिंदी भाषा बोलने वाले कुछ लोग दूसरे हिंदी भाषा बोलने वाले लोगों को ताड़ित कर रहे हैं इसी प्रकार से अगर आप समझना चाहें तो एक ही धर्म जैसे हिंदू धर्म है उसी में कुछ लोग हैं जो कि अपर कास्ट होते हैं वह जाकर के दलितों को प्रताड़ित करते हैं ये क्या हो गया इंट्रा कम्युनिटी डोमिनेशन हो गया तो यहां पर क्या है इंटर कम्युनिटी और इंट्रा कम्युनिटी डोमिनेशन यहां पर आप देख सकते हैं दो प्रकार के यहां पर डोमिनेशन है जो कि आप बात करेंगे ठीक है अब यहां पर आगे बढ़े तो आगे यहां पर क्या कहता है अब यहां पर देखिए थर्ड पॉइंट बोलता है सिग्निफिकेंट रीजन अब यहां पर देखिए सिग्निफिकेंट रीजन कहने का मतलब है कि काफी इंपोर्टेंट रीजन है अगर आपसे एग्जाम में तीन पॉइंट पूछता है तो आप यह तीन जो लिखे गए हैं वो लिखेंगे पांच पूछेगा तो पांच आप बना सकते हैं ठीक है अब यहां पर देखि तो कहता है कि व्हाई वी नीड अ कांस्टिट्यूशन इज टू सेव अस फ्रॉम आवर सेल्व अब कहता है कि भाई देखो कांस्टिट्यूशन हमें क्यों चाहिए कांस्टिट्यूशन हमें चाहिए ताकि हम अपने आप को खुद से बचा सके मतलब कि ऐसा भी हो सकता है कि कभी हम खुद के खिलाफ ही कुछ काम कर दें कैसे कर कर सकते हैं ये इसका मतलब यह है कि भाई कई बार हमें ऐसा लगेगा हमारा विश्वास ऐसा होगा हमारी चाहत ऐसी होगी जो कि तुरंत तो लगेगा यार बहुत अच्छा है लेकिन आगे जाकर के हो सकता है हमारे लिए खराब हो जैसे उदाहरण के लिए यहां पर आपको दिया गया है यह आपकी भी कहानी है आपको भी ऐसा कभी-कभी फील होता होगा घर में क्या है टीवी चल रहा है परिवार के लोग बैठ कर के टीवी देख रहे हैं लेकिन शबनम जो है उसका टेस्ट आने वाला है एग्जाम है वह सोच रही है कि यार टीवी देखूं या जाकर के पढ़ हाई कर लू क्या करूं मैं यह सोच रही है शबनम तो यहां पर यह शबनम जो है वह टीवी को छोड़ कर के क्या करती है जाकर के पढ़ाई करती है पढ़ाई करती है और अपना अच्छे से तैयारी करती है तो अगर यहां पर शबनम टीवी देखेगी मस्ती करेगी तो नुकसान किसका होगा सबनम का होगा तो शनम ने ऐसा चॉइस किया कि उसका नुकसान हो अगर ऐसा नहीं करेगी शबनम जाकर के पढ़ाई करेगी तो फायदा किसका होगा शबनम का होगा तो यही चीज यहां पर कहता है इसी प्रकार से हमारे समाज में भी लोग जो हैं वह ऐसे डिसीजंस ले सकते हैं जो कि तुरंत तो व उन्हें बहुत अच्छा लगे लेकिन आगे जाकर के लोगों के लिए वह नुकसानदायक हो समझ गए यही चीज कहता है कि सिमिलरली द कांस्टिट्यूशन हेल्प अस टू प्रोटेक्ट अगेंस्ट सर्टेन डिसीजन दैट वी माइट टेक दैट कुड हैव एन एडवर्स इफेक्ट ऑन द लार्जर प्रिंसिपल दैट द कंट्री बिलीव्स इन फॉर एग्जांपल इट इज पॉसिबल दैट मेनी पीपल हु लिव इन डेमोक्रेसी माइट कम टू स्ट्रांग्ली फील दैट पार्टी पॉलिटिक्स हैज बिकम सो एक्रीमोनियास दैट वी नीड अ स्ट्रांग डिटेक्टर टू सेट दिस राइट मतलब यहां पर देखो हमारे देश में तुम भी सुनते होगे कि भाई प जो पार्टियां होती हैं वो सब चोर होते हैं सब नेता चोर होते हैं बहुत करप्शन है सब पार्टी चोर है सब पार्टी बेकार है ऐसा लोगों का मानना है ठीक है बहुत सारे लोग ऐसा मानते हैं अब मान लो कि देश के सभी लोग ऐसा मानने लगे और बोले कि क्या करना चाहिए जी यह बहुत प्रॉब्लम हो रहा है क्या किया जाए देश को कैसे सुधारा जाए तो हमारे देश में क्या होना चाहिए तानाशाही होनी चाहिए हमारे देश में एक आदमी को आकर के सब नेताओं को खत्म कर देना चाहिए और देश पर राजा बन जाना चाहिए हो सकता है कि बहुत सारे लोग ऐसा मानने लगे तो क्या यह विचार सही है हो सकता है कि हम अपने देश के नेताओं को देख कर के कह रहे हैं कि हां ठीक है ठीक है इसको राजा बना देते हैं सब नेताओं को मार देते हैं हटा देते हैं यह तुरंत तो अच्छा लगेगा लेकिन 10 साल बाद जब वो तानाशाह जब वो राजा हम ही को परेशान करने लगेगा आम जनता को परेशान करने लगेगा तब वो लगेगा यार यह तो गड़बड़ हो गया भारी गड़बड़ हो गया हमारा डेमोक्रेसी चला गया ऐसे वैसे लगने लगेगा यही चीज है कि यहां पर कई बार हम लोग इमोशन में आकर के ऐसे डिसीजन ले सकते ले लेते हैं जो कि तुरंत हमें अच्छा लगता है लेकिन आगे जाकर के हमारे लिए वो नुकसानदेह है इसीलिए यहां पर एक अच्छा कांस्टीट्यूशन वो होता है जो कि आसानी से कांस्टिट्यूशन में चेंजेज नहीं होने देता कांस्टिट्यूशन में आसानी से छेड़-छाड़ नहीं कर सकते हैं बेसिक प्रिंसिपल्स को नहीं चेंज कर सकते हैं जब ऐसा कांस्टिट्यूशन होगा ना तब हम उसे अच्छा कांस्टिट्यूशन बोलते हैं जैसे कि हमारे देश में अगर आपको कांस्टिट्यूशन में चेंज करना है तो उसके बहुत लेदी प्रोसेस होते हैं बहुत तामझाम करके कांस्टिट्यूशन में कुछ भी चेंज होता है इतनी आसानी से चेंज नहीं किया जा सकता इस तरीके से यहां पर हमारा जो कांस्टिट्यूशन है वो हमें बचाता है अब इसका उदाहरण आपको समझना है तो उदाहरण क्या है भाई पाकिस्तान यह व्यक्ति को पहचान रहे हैं यह कौन है यह परवेज मुशर्रफ हैं पाकिस्तान के प्रेसिडेंट हुआ करते थे पाकिस्तान के आर्मी जनरल हुआ करते थे पाकिस्तान कहां है आप सबको पता होगा नहीं पता तो यहां देख लीजिए पाकिस्तान है हमारे भारत के बगल में है ठीक है अब इनकी क्या कहानी है इनकी कहानी यह है कि 1999 में 1999 में इन्होंने क्या किया अपने देश में जो सरकार थी और उस समय नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे उनकी सरकार का तख्ता पलट कर दिया मतलब कि प्रधान मंत्री को उनके पद से हटा दिया और एक प्रकार से खुद पावर में आ गए खुद सत्ता में आ गए कोई पद नहीं संभाला कोई दूसरा ऑर्गेनाइजेशन बनाया था नाम मुझे ध्यान में नहीं है बता दूंगा बाद में मतलब कि पावर इनके हाथ में आ गया इसके बाद जाकर के इन्होंने 2002 में अपने देश में रेफरेंडम करवाया मतलब कि जनता से वोटिंग करवाया कि भाई मैं प्रेसिडेंट बनूं या नहीं बनूं मैं पावर में रहूं या ना रहूं तो लोगों ने वोट दे कर के बोल दिया कि हां जी आप पावर में रहिए आप प्रेसिडेंट बन जाइए और यह क्या बन गए पाकिस्तान के प्रेसिडेंट बन गए ठीक है अब प्रेसिडेंट बन गए तो यहां पर क्या हुआ कैसे बने लोगों ने वोट दिया लोगों ने इनको प्रेसिडेंट बना दिया तो क्या हुआ देश में एक प्रकार से तानाशाही आ गई लोगों के वोटिंग के कारण तो क्या यह अच्छा चीज हुआ नहीं अच्छा तो नहीं हुआ उस समय लोगों को अपने देश में भले ही हो सकता है लगा कि यार सब नेता चोर है खराब है क्या करो इन्हीं को तानाशाही लागू कर दो इन्हीं को प्रेसिडेंट बना देते हैं सारा पावर इन्हीं के पास होगा बहुत मस्ती से पूरा देश चलेगा लेकिन क्या यह अच्छा हुआ नहीं अच्छा नहीं हुआ आगे जाकर के बहुत सारे प्रॉब्लम्स हुए बाद में इनको जाकर के 2007 में अपना पद छोड़ना पड़ा बहुत इन्होंने गलतियां की थी यह सारी चीजें हुई थी ठीक है तो यह उदाहरण है कि भाई कई बार ऐसा होता है कि हम लोग यहां पर इमोशन में आकर के कई डिसीजन ऐसे ले लेते हैं जो कि हमारे लिए तुरंत तो लगता है कि अच्छा है लेकिन आगे जाकर के हमको नुकसान वह पहुंचा सकता है तो यहां पर यही चीज समझना था अब यहां पर देखिए अब यहां पर आप लोग जितने भी इंपॉर्टेंट पॉइंट्स थे वोह सारी चीजें समझ गए यहां पर यह आपको प्रैक्टिस के लिए दिया गया है कि आपको कंडीशन समझाया गया है और यहां पर उसमें जो हमारे कांस्टीट्यूशन का कांस्टीट्यूटिव रूल है वह किस प्रकार से काम करेगा या फिर उसको कैसे रोकेगा ठीक है अब हम क्या करने वाले हैं यहां पर हम लोग इंडियन कांस्टिट्यूशन के की फीचर्स को पढ़ने वाले हैं तो कहता कि नाउ लेट अस ट्राई अंडरस्टैंड द वेज इन विच द एव पॉइंट पॉइंट्स गेट ट्रांसलेटेड इनटू सर्टेन आइडियल एंड रूल्स बाय स्टडिंग सम की फीचर्स ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन क्या पढ़ेंगे हम लोग अपने देश के कांस्टीट्यूशन के की फीचर्स को यानी कि जो इंपॉर्टेंट फीचर्स हैं इनको अब हम यहां पर पढ़ेंगे लेकिन यहां पर हम लोग की फीचर्स को पढ़ने से पहले हम लोग समझने वाले हैं कि जो हमारे देश के कांस्टिट्यूशन का डेवलपमेंट हुआ जो हमारे देश का कॉन्स्टिट्यूशन बना उसका बैकग्राउंड क्या था कैसे बना किन आइडियल को किन चीजों को ध्यान में रख कर के हम हमारे देश के लीडर्स नेने कांस्टीट्यूशन को बनाया था तो कहता है कि बाय द बिगिनिंग ऑफ 20th सेंचुरी द इंडियन नेशनल मूवमेंट हैव बीन एक्टिव इन द स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस फ्रॉम ब्रिटिश रूल फॉर सेवरल डिकेड्स तो यहां पर जब 20th सेंचुरी की शुरुआत हुई थी या यानी 1910 1920 की बात करता है कि जब ऐसा समय आया था उस समय इंडियन नेशनल मूवमेंट कई दशकों से चल रहा था यानी कि 30 40 50 सालों से इंडियन नेशनल मूवमेंट चल रहा था 1857 के बाद से लगातार चल रहा था ठीक है तो इस फ्रीडम स्ट्रगल के दौरान यानी जब हमारे देश के लीडर्स इंडिया को आजाद कराने के लिए आंदोलन कर रहे थे इस आंदोलन के दौरान जो नेशनलिस्ट थे मतलब कि जो हमारे देश को आजाद देखना चाहते थे राष्ट्रवादी लोग थे इन्होंने बहुत सारा समय बिताया यह सोचने में इमेजिन करने में यह प्लान करने में कि जब हमारा देश आजाद हो जाएगा तब हमारा देश कैसा होगा कैसा दिखेगा किस नियम कानून के हिसाब से हमारा देश चलेगा इस चीज को सोचने में विचार करने में डिस्कस करने में बहुत सारा समय लगाया अब देखिए यह जो लोग थे यह सारे लीडर्स जो थे जो कि इस तरह की बातें सोच रहे थे इस तरीके के काम के ऊपर ध्यान दे रहे थे यह जब ब्रिटिशर्स के रूल के अंदर थे जब अंग्रेजों का शासन था तब इन्होंने देखा था कि भाई देखो यहां पर अंग्रेजों के बनाए हुए कानूनों के हिसाब से हमको चलना पड़ता है और साथ में जो कानून अंग्रेजों ने बनाए हैं हमसे पूछ करके बनाए नहीं हैं हमको एक तरीके से प्रताड़ित किया जाता है अंग्रेजों के बनाए गए कानूनों के द्वारा तो जो इस प्रकार के शासन को उन्होंने देखा था कि अंग्रेज जो है वह किसी को उठाकर जेल में डाल देते हैं किसी से कुछ पूछते नहीं है किसी को उठाकर कोई कानून बना दिया कोई ज्यादा बोल रहा है तो उसको जेल में डाल दिया किसी को कुछ भी सजा दे दिया जैसा अंग्रेज को मन करेगा वैसा करेंगे इस प्रकार के शासन को उन्होंने देखा था तो यहां पर जब इस प्रकार के शासन को उन्होंने देखा इस प्रकार के अथॉरिटेरियन रूल को देखा तो उसके बाद जो इंडियन लीडर्स थे उनको यह महसूस हुआ कि भाई देखो जब भी हमारा देश आजाद होगा ना हमारे देश में क्या होगा जो इंडियंस होंगे वो क्या होंगे एक डेमोक्रेसी के पार्ट होंगे मतलब हमारे देश में कैसा गवर्नमेंट होना चाहिए डेमोक्रेसी होना चाहिए जहां पर जो सरकार है वह जनता के हिसाब से काम करें जनता जैसा चाहे वैसा काम करें और सभी लोगों को इक्वल ट्रीटमेंट मिले ताकि सभी लोग सरकार में भी शामिल हो सकें और साथ में किसी के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव ना हो क्यों क्योंकि इन्होंने देखा था कि क्या जब अंग्रेज जो हैं भारतीयों के ऊपर शासन करते थे तो कैसे करते थे जनता को जब शामिल नहीं किया जाता था तो किस प्रकार से शासन चलता था और वैसा शासन हमारे देश के लीडर्स भारत में नहीं चाहते थे कहता है कि व्हाट रिमन टू बी न देन वाज टू वर्क आउट द वेज इन व्हिच अ डेमोक्रेटिक गवर्नमेंट वुड बी सेट अप इन द इंडिया एंड द रूल्स दैट वुड डिटरमाइंड इट्स फंक्शनिंग मतलब कि लोगों के मन में जो हमारे देश के पॉलिटिकल लीडर्स थे वो आजादी से पहले उनके मन में पहले से क्लियर था कि भाई हमारा देश कैसा होना चाहिए कैसा होना चाहिए भाई हमारे देश में डेमोक्रेसी होनी चाहिए हमारे देश में इक्वलिटी होनी चाहिए हमारे देश में फ्रीडम ऑफ रिलीजन होना चाहिए हमारे देश में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए तो ये सारे जो आइडियल थे लोगों के मन में पहले से क्लियर थे कि भाई जब हमारा देश आजाद होगा तो हमें कैसा देश बनाना है यह सब लोगों को पहले से क्लियर था पता था ठीक है अब यहां पर यह सिर्फ यह बाकी रह गया था कि हम लोग क्या करें कानून लिखें और कानून लिख कर के कैसा सरकार बनेगा प्रधानमंत्री होंगे राष्ट्रपति होंगे पुलिस को कौन ऑर्डर देगा आर्मी को कौन ऑर्डर देगा इस प्रकार के सेट अप रूल्स वगैरह लिखना केवल बाकी था तो इस तरीके के रूल को लिखने के लिए यह सारा काम करने के लिए हमारे देश में क्या बनाया गया कांस्टीट्यूएंट असेंबली बनाया गया कांस्टीट्यूएंट असेंबली के बारे में थोड़ी मोड़ी बात हम लोग पहले कर चुके हैं तो कांस्टीट्यूएंट असेंबली में करीब 300 लोगों की 300 की संख्या में लोग थे जिन्होंने 1946 में यह काम शुरू किया 1949 नवंबर में काम अपना खत्म किया और इसके साथ ही यहां पर हमारे देश के कॉन्स्टिट्यूशन को तैयार किया कि भाई हमारा देश का कॉन्स्टिट्यूशन कैसा होगा क्या होगा यह सारी चीजें इन्होंने लिख कर के तैयार की अब यहां पर आगे बढ़ें तो आगे यहां पर तो आगे यहां पर पढ़ने से पहले यहां पर एक व्यक्ति के बारे में बात करते हैं जिनका नाम है डॉक बाबासाहेब अंबेडकर जिनका पूरा नाम है डॉकर भीमराव अंबेडकर लेकिन प्यार से लोग उन्हें बाबा साहेब भी पहले कहते हैं अ बुलाते हैं और इनको फादर ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन कहा जाता है क्यों क्योंकि जो कंट कांस्टिट्यूशन का ड्राफ्ट था वो इनके द्वारा तैयार किया गया था मतलब कि बेसिकली कांस्टिट्यूशन कैसा होगा कौन कौन सा पार्ट होगा कौन सा शिक्षण होगा इस प्रकार की चीजें इनके द्वारा तैयार की गई थी और फिर उसके साथ कांस्टिट्यूशन पर डि डिबेट हुआ था कांस्टीट्यूएंट असेंबली में और फिर उसको फाइनल किया गया था अब यहां पर जो बाबा साहेब अंबेडकर थे इनकी मदद से ही इनके कांस्टीट्यूशन बनाने की वजह से या फिर इनके कांस्टीट्यूएंट असेंबली में शामिल होने की वजह से हमारे देश में जो शेड्यूल कास्ट के लोग हैं जिनके साथ कई सदियों से बहुत तरीके से भेदभाव होता आया है उनको बहुत सारे अधिकार वगैरह मिले जिसकी वजह से वो आगे बढ़ने पाए ठीक है और इसके बाद इन्होंने कहा कि देखो भाई हमारे देश के जो शेड्यूल कास्ट के लोग हैं आप लोगों को पढ़ना चाहिए लिखना चाहिए आगे बढ़ना चाहिए और साथ ही क्या करना चाहिए सरकार का हिस्सा बनना चाहिए ताकि आप अपना पॉलिटिकल जो पावर है उसको प्राप्त कर सके ठीक है है तो यहां पर अगर हम लोग देखें आगे देखते हैं तो आगे यहां पर क्या कहता है आगे यहां पर कहता है कि देखो भाई हमारे देश के जो पॉलिटिकल लीडर्स थे उनको क्लियर था कि भाई हमारे हमें कैसा देश बनाना है तो प्रॉब्लम क्या था प्रॉब्लम सिर्फ एक था कि हमें अब क्या करना है कांस्टिट्यूशन लिखना है रूल्स एंड रेगुलेशन बनाने हैं कि भाई पार्लियामेंट कैसे चलेगी असेंबली कैसे चलेगा मुख्यमंत्री क्या काम करेगा प्रधानमंत्री क्या काम करेगा मंत्री क्या काम करेंगे विधायक क्या काम करेंगे पुलिस कैसे काम करेगी सरकार कैसे काम करेगी ये इस तरीके की चीजें लिखनी थी ठीक है अब यहां पर क्या हुआ यह जो कांस्टीट्यूएंट असेंबली बैठी इसमें सभी प्रकार के लोग बैठे मतलब कि हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हुए लोग बैठे जिनका जाति धर्म भाषा क्षेत्र कल्चर सब अलग-अलग था सभी प्रकार के लोग आकर के यहां पर बैठे और इस तरीके से जो कांस्टीट्यूएंट असेंबली बनी वहां पर कांस्टीट्यूएंट असेंबली में सभी प्रकार के लोगों का रिप्रेजेंटेशन हुआ लेकिन वहां पर प्रॉब्लम्स कई सारे उस समय थे कैसे प्रॉब्लम्स थे भाई जिस समय यह कंटेंट असेंबली बैठी कब बै बैठी 1946 में बैठी कब बैठी 1946 में और आपको पता है कि 46 के बाद 47 में क्या हुआ हमारा देश का प पार्टीशन हो गया जो कांस्टीट्यूएंट असेंबली थी उसमें बहुत सारे लोग पाकिस्तान वाले हिस्से से भी थे तो वह सब यहां से उठ कर के चले गए कहां पाकिस्तान चले गए अपना कांस्टिट्यूशन बनाने के लिए ठीक है इसी प्रकार से जब यहां पर हमारे देश का कांस्टिट्यूशन बन रहा था उस समय में आज जैसा भारत है वैसा भारत नहीं था क्योंकि हमारे देश में कई सारे प्रिंसली स्टेट हुआ करते थे प्रिंसली स्टेट मतलब क्या वहां पर राजा का शासन था राजा अपने हिसाब से शासन चलाते थे और यह प्रिंसली स्टेट जो थे उनको अंग्रेजों ने यह आजादी दी थी कि आपको मन करे तो भारत देश का हिस्सा बनिए नहीं मन करे तो आप जाकर के अपना देश खुद से बना लीजिए और अपना शासन चलाइए इस तरीके के बहुत सारे प्रॉब्लम्स थे और साथ में हमारे देश की जो गरीबी थी उस समय बहुत ज्यादा थी और लोग जो थे वह बहुत बुरी स्थिति में थे तो इन सब चीजों को ध्यान रख कर के इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए हमारे देश का कांस्टिट्यूशन तैयार किया गया था और इन सभी चीजों के इन सभी प्रॉब्लम्स के हिसाब से वहां पर डिसीजंस लिए गए थे और हमारे देश का जो कांस्टिट्यूशन तैयार किया गया उसमें सभी सेक्शंस को ध्यान में रखा गया हर हिस्से से आने वाले लोगों की बातें सुनी गई उनके डिबेट को सुना गया उनके बातचीत को ध्यान में रखा गया डिस्कशंस हुए फिर जाकर के कांस्टिट्यूशन को यहां पर तैयार किया गया जिसमें कि देश सभी हिस्से के सभी लोगों के बराबर रिप्रेजेंटेशन को ध्यान रखा गया कि किसी के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव ना हो किसी के साथ किसी भी प्रकार का कोई एक तरीके से अलगाव ना हो सभी लोगों को यह ना लगे किसी को यह ना लगे कि हमारे साथ यह चीज गलत हुआ है समझ गए तो यहां पर अगर हम लोग आगे बढ़े तो यहां पर कुछ फीचर्स हैं बारी-बारी से फीचर्स पढ़ते हैं सबसे पहला फीचर क्या है हमारे देश के कॉन्स्टिट्यूशन का यह फेडरलिस्ट म फेडरलिस्ट बहुत इंपॉर्टेंट कांसेप्ट है बहुत ही सिंपल सा कांसेप्ट है आसानी से समझते हैं तो यहां पर इसके बारे में क्या कहता है कि दिस रेफर्स टू द एक्जिस्टेंस ऑफ मोर दन वन लेवल ऑफ गवर्नमेंट इन द कंट्री इन इंडिया गवर्नमेंट्स एट द स्टेट लेवल एंड द एंड एट द सेंटर पंचायती राज इज द थर्ड टायर ऑफ गवर्नमेंट यू हैव रेड अबाउट इन क्लास सिक्स बुक वील लुक एट द फंक्शनिंग ऑफ़ द स्टेट गवर्नमेंट इन योर क्लास सेवन बुक एंड दिस ईयर वी विल मोर अबाउट सेंट्रल गवर्नमेंट ये चीज कहता है कि देखो भाई क्लास सिक्स में आपने पंचायत के बारे में पढ़ा लोकल गवर्नमेंट के बारे में पढ़ा क्लास सेवन में आपने स्टेट गवर्नमेंट के बारे में पढ़ा और क्लास एट में आप लोग सेंट्रल गवर्नमेंट के बारे में पढ़ने वाले हैं तो भाई फेडरलिस्ट म का मतलब क्या हुआ फेडरलिस्ट का मतलब हुआ कि हमारे देश में क्या है एक से ज्यादा लेवल ऑफ गवर्नमेंट है इसका क्या मतलब है इसका मतलब यह है कि एक ही देश में एक ही हिस्से पर एक नहीं एक से ज्यादा सरकार शासन कर रही हैं जैसे यह भारत देश है भारत देश के लिए एक सरकार है पूरे देश के लिए जो कि हमारे देश की राजधानी दिल्ली में बैठती है और जिसको कि हम लोग सेंट्रल गवर्नमेंट बोलते हैं या फिर यूनि गवर्नमेंट बोलते हैं और यूनियन गवर्नमेंट क्या काम करती है भाई पूरे इंडिया के कामकाज को देखेगी मतलब कि इंडिया का रिलेशन और दूसरे देशों से क्या होगा आर्मी कहां रहेगी कैसे सरकार इकोनॉमी चलाएगी यह सब चीजें मतलब यहां पर एक सरकार है जो कि पूरे देश को देख रही है उसी देश उसी देश में हमारे ही देश में कई सारे राज्य हैं जैसे कि एक राज्य है उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश में भी एक सरकार है जो कि क्या करती है यूपी राज्य को देखती है यूपी राज्य में क्या होगा पुलिस कैसे काम करेगी अस्पताल कैसे चलेंगे स्कूल कैसे चलेंगे इस प्रकार के चीजों को देखती है इसी प्रकार से हमारे इस यूपी राज्य में भी कई सारे डिस्ट्रिक्ट हैं यह डिस्ट्रिक्ट जैसे कि बदायूं है बरेली है बिजनौर है गाजियाबाद है या फिर आपको ललितपुर है या फिर बहुत सारे आपको डिस्ट्रिक्ट हैं और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर आपको क्या होता है पंचायती राज सरकार होती है तो तो यहां पर देख रहे हैं जैसे मान लेते हैं कि कोई व्यक्ति यहां पर कहां पर रहता है गाजियाबाद में रहता है ठीक है भाई गाजियाबाद में रहता है अब गाजियाबाद के इस व्यक्ति के ऊपर कौन सी सरकार शासन करती है तो भाई तीनों सरकार शासन करती है पूरे देश के लिए यहां पर इसके लिए क्या हो गया भाई सेंट्रल गवर्नमेंट हो गया राज्य का सरकार यूपी सरकार भी इसके ऊपर शासन कर रही है और साथ में उसका जो लोकल सरकार है अगर शहर में है तो हमारा हो गया नगर निगम और गांव में है तो नगर पंचायत तो यहां पर हर व्यक्ति के ऊपर तीन सरकारें शासन कर रही हैं जैसे मैं यहां पर हूं सेंट्रल गवर्नमेंट मुझसे इनकम टैक्स लेती है जो हमारा स्टेट गवर्नमेंट है वह हमसे रोड टैक्स लेती है या फिर जीएसटी लेती है और साथ में जो लोकल गवर्नमेंट है जो मेरे शहर की नगरपालिका है वह नगरपालिका या नगर निगम जो है वह नगर निगम हमसे सफाई टैक्स लेती है या फिर रोड नाली इस प्रकार के छोटे-छोटे टैक्स लेती है छोटे-छोटे काम करती है तो यहां पर फेडरलिस्ट का मतलब होता है कि एक ही देश में एक ही जनता के ऊपर कई स्तर की सरकारें शासन कर रही हैं देश के लिए एक अलग सरकार क्षेत्र के लिए एक अलग सरकार और हमारे देश में स्पेशल है कि लोकल लेवल पर जिला लेवल पर गांव लेवल पर ब्लॉक लेवल पर एक अलग सरकार जिसको कि हम लोग लोकल गवर्नमेंट बोलते हैं ठीक है तो कहता है कि द वास नंबर ऑफ कम्युनिटीज इन इंडिया अब यहां पर आपको यह समझना है क्या सवाल क्या आएगा कि भाई हमारे देश में फेडरलिस्ट म की क्यों जरूरत है हमारे देश में फेडरलिस्ट म क्यों होना चाहिए तो भाई इसका आंसर यहां पर यह है कि अगर आप इंडिया को देखें तो इंडिया में बहुत सारी कम्युनिटीज रहती हैं बहुत सारी कम्युनिटीज कहने का मतलब क्या यहां पर आपको बहुत वैरायटी ऑफ लोग रहते हैं जैसे कि यहां पर हम लोग देखें तो हमारे देश में बहुत ज्यादा लैंग्वेज के ऊपर वेरिएशन है अलग-अलग रीजन में अलग-अलग लैंग्वेज बोला जाता है अलग-अलग आपको रिलीजन यहां पर फॉलो होता है और साथ में हर री जन का हर क्षेत्र का अपना-अपना कल्चर होता है तो यहां पर अगर आप देखें तो हमारे देश में अगर आप देखें तो अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरीके के लोग रहते हैं उनके डिजायर अलग-अलग होते हैं उनके रिक्वायरमेंट अलग-अलग है जैसे इंडिया में अगर आप देखें तो यहां पर कश्मीर में रहने वाले व्यक्ति की जरूरत अलग है उसका धर्म अलग है उसकी जाति अलग है उसका भाषा अलग है उसका जो क्लाइमेट है वह अलग है जमीन की क्वालिटी अलग है हर हर चीज अलग है उसी प्रकार से इस जम्मू कश्मीर के व्यक्ति के कंपैरिजन में राजस्थान में रहने वाले व्यक्ति का जो सब चीज है अलग है उसका जमीन का क्वालिटी अलग है उसका क्लाइमेट अलग है उसका भाषा अलग है रिलीजन या फिर जाति या फिर मतलब हर चीज अलग है और इसके कंपैरिजन में महाराष्ट्र या फिर इसके कंपैरिजन में केरल में रहने वाले व्यक्ति का अलग है हर चीज हर किसी का हर चीज अलग है तो भाई मान लो कि हमारे देश में सिर्फ और सिर्फ एक सरकार होती जो कि दिल्ली में बैठती और वह पूरे देश का डिसीजन लेती तो क्या वह सरकार सभी लोगों का ख्याल रखने पाती नहीं रखने पाती क्योंकि अलग-अलग इलाकों में लोगों की जरूरतें अलग-अलग हैं इसलिए यहां पर हमारे लिए जरूरी है कि हम क्या करें अपने देश में हर क्षेत्र में एक लोकल सरकार बैठा दें जो कि लोकल प्रॉब्लम्स को डील करेगी लोकल जो जरूरतें हैं उसको पूरा करने का काम करेगी और इसलिए हमारे देश में हां पर जो हमारा देश है वहां पर हम लोग फेडरलिस्ट म को लागू करते हैं अब आपके मन में सवाल है कि सर ठीक है स्टेट तो बना दिया यह पंचायत काहे बनाया यह गांव के ऊपर लेवल के ऊपर पंचायत क्यों बनाया या फिर शहर में नगर निगम क्यों बनाया उसको कांस्टीट्यूशन में लिखने की क्या जरूरत थी भाई उसका कारण यह है कि हमारे देश की तुम आबादी देखो और क्षेत्र देखो भाई यूपी देश जो है ना सॉरी यूपी जो राज्य है जिसकी आबादी 23 करोड़ है आबादी रशिया से ज्यादा है जर्मनी जापान सबसे ज्यादा है तो भाई सोचो यह यूपी राज्य कितना बड़ा है यूपी सरकार को अपने राज्य में शासन करना बहुत मुश्किल है क्योंकि यूपी राज्य बहुत बड़ा है इसलिए हमने क्या किया लोकल लेवल पर एक सरकार बैठा दिया जो कि अपने गांव की परेशानियों को सॉल्व करेगी अपने शहर की परेशानियों को सॉल्व करेगी अपने मोहल्ले की परेशानियों को सॉल्व करेगी इसलिए हमारे देश में यहां पर फेडरलिस्ट म की जरूरत है यहां पर यही चीज कहता है कि द वार्स्ट नंबर ऑफ़ कम्युनिटीज इन इंडिया मीन दैट सिस्टम ऑफ़ गवर्नमेंट नीडेड टू बी डिवाइड दैट डिड नॉट इवॉल्व एनी पर्सन सिटिंग इन द कैपिटल सिटी ऑफ दिल्ली एंड मेकिंग डिसीजन फॉर एवरीवन वही चीज है भाई कि हमें एक ऐसा सिस्टम बनाना था ताकि ऐसी सरकार ना हो कि दिल्ली में एक आदमी बैठ कर के सारे सर लोगों के लिए डिसीजन ले बल्कि यहां पर हमारे लिए जरूरी था कि हम लोग स्टेट में भी सरकार बना दें ताकि एक खास एरिया के लिए वह सरकार डिसीजन ले सके यहां पर जैसे हमारे देश में फेडरलिस्ट फेडरलिस्ट म का मतलब यह होता है कि हमारे देश में जो सरकारें हैं चाहे वह सेंट्रल गवर्नमेंट हो स्टेट गवर्नमेंट हो और या फिर पंचायत गवर्नमेंट हो यह सभी सरकारें अपना-अपना काम करती हैं एक सरकार दूसरे सरकार के काम में दखल नहीं देगा सेंट्रल गवर्नमेंट स्टेट गवर्नमेंट को ऑर्डर नहीं दे सकता है ऑर्डर स्टेट गवर्नमेंट पंचायत के गवर्नमेंट को ऑर्डर नहीं दे सकता है समझ गए तो इस प्रकार से सभी सरकारें अपना-अपना काम करती हैं सभी सरकारें अपना ऑटोनॉमी एंजॉय करती हैं सभी सरकारों को यह आजादी होती है कि वह अपने हिसाब से अपने जरूरत के हिसाब से काम करें और इसके साथ ही हमारे देश में जो कांस्टिट्यूशन है उसमें इस चीज को साफ-साफ लिखा गया है क्या लिखा गया है कि भाई यहां पर जो सेंट्रल गवर्नमेंट है वो क्या काम करेगी स्टेट गवर्नमेंट क्या काम करेगा और साथ में लोकल गवर्नमेंट क्या काम करेगा जैसे कि हमारे देश में जो कांस्टिट्यूशन है उसमें कुछ लिस्ट दिए गए हैं समझ गए लिस्ट में जैसे कि यहां पर यूनियन लिस्ट है पहला यूनियन लिस्ट दूसरा स्टेट लिस्ट और तीसरा एक लिस्ट है जिसको कि हम लोग कॉन्करेंट लिस्ट बोलते हैं इसमें क्या होता है यूनियन लिस्ट में जिन टॉपिक्स का नाम लिखा गया है जैसे कि हमारे देश की आर्मी हो गया इंटरनेशनल रिलेशन हो गया इसके साथ ही इंडिया की इकोनॉमी हो गई यह सब टॉपिक्स के नाम यूनियन लिस्ट में लिखे गए हैं मतलब क्या मतलब कि इन टॉपिक्स के ऊपर डिसीजन सिर्फ और सिर्फ हमारे देश की केंद्र सरकार ले सकती है स्टेट गवर्नमेंट उसके ऊपर डिसीजन नहीं लेगा इसी तरीके से स्टेट लिस्ट में कुछ टॉपिक्स के नाम लिखे गए हैं जैसे कि यहां पर हम हमारा पुलिस हो गया पुलिस के अलावा यहां पर हमारा एग्रीकल्चर हो गया एजुकेशन हो गया हेल्थ हो गया इस तरीके की चीजें लिखी हुई हैं जिसके ऊपर डिसीजन सिर्फ और सिर्फ स्टेट गवर्नमेंट ले सकती है सेंट्रल गवर्नमेंट उसके ऊपर दखल नहीं दे सकती है इसी प्रकार से हमारे देश में एक कंक्रेंस लिस्ट है जिसके ऊपर हमारे देश के यूनियन और स्टेट दोनों गवर्नमेंट डिसीजन ले सकते हैं और फिर अगर दोनों डिसीजन लेंगे तो सेंट्रल गवर्नमेंट की बात मानी जाएगी स्टेट गवर्नमेंट की नहीं मानी जाएगी यह चीजें आप आगे की क्लासेस में डिटेल में पढ़ेंगे लेकिन इसको समझ लीजिए इसके साथ ही हमारे देश का जो कांस्टिट्यूशन है यह साफ-साफ बताता है कि जो हर एक टायर ऑफ गवर्नमेंट है उसको पैसा कहां से मिलेगा और उसको जो काम करना है उसके लिए पैसा कहां से आएगा सेंट्रल गवर्नमेंट आपसे इनकम टैक्स लेती है इनकम टैक्स जो लोग देते हैं वो सेंट्रल गवर्नमेंट को देते हैं स्टेट गवर्नमेंट इनकम टैक्स नहीं लेती है इसी प्रकार से जो स्टेट गवर्नमेंट होता है वो वेट लेती है अब अब तो जीएसटी आ गया तो ट वगैरह खत्म हो गया लेकिन यहां पर क्या है स्टेट गवर्नमेंट का अपना शेयर ऑफ टैक्स है उसको सेंट्रल गवर्नमेंट नहीं े छेड़खानी कर सकती है समझ गए तो यहां पर सिंपली बात यह है कि हर सरकार अपना काम करती है पैसा कहां से आएगा यह भी तय है सब चीज तय है ठीक है इसके बाद दूसरा देखते हैं दूसरा है पार्लियामेंट्री फॉर्म ऑफ गवर्नमेंट मतलब क्या मतलब हमारे देश में पार्लियामेंट्री फॉर्म ऑफ गवर्नमेंट है इसका क्या मतलब होता है मतलब यहां पर यह है कि यहां पर जो हमारे देश में जो कार हैं चाहे वह सेंट्रल गवर्नमेंट हो चाहे स्टेट गवर्नमेंट हो यहां तक कि पंचायत भी यहां पर आपको इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव आकर के बैठते हैं इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव आकर के सरकार चलाते हैं अगर यहां पर देखें तो हमारे देश में जो सेंट्रल गवर्नमेंट है वहां पर आपको पता होगा कि भाई पार्लियामेंट होती है संसद होती है जिसके मेंबर्स को हम लोग मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बोलते हैं इसी प्रकार से स्टेट्स में लेजिस्लेटिव असेंबली होती है जहां पर जो लीडर्स चुन कर के आते हैं वो वो कहलाते हैं एमएलए में मेंबर ऑफ लेजिस्लेटिव असेंबली कहलाते हैं ठीक है इसी प्रकार से आप लोग अगर गांव में देखें तो गांव में मुखिया सरपंच जिला परिषद वगैरह होते हैं जो कि वहां पर क्या क करते हैं लोकल लेवल पर सरकार चलाने का काम करते हैं ठीक है तो यहां पर यही चीज है कि हमारे देश में पार्लियामेंट्री फॉर्म ऑफ डेमोक्रेसी है यानी कि यहां पर जो कांस्टिट्यूशन है वो एक प्रकार से यह बताता है कि जो हर एक लेवल ऑफ गवर्नमेंट होगा वहां पर चुने हुए लोग आकर के बैठेंगे और जो चुने हुए लोग हैं वही सरकार चलाने का काम करेंगे और हमारे देश में इस सरकार को चुनने के लिए यानी कि जो लीडर्स चुन कर के आएंगे उनको चुनने के लिए क्या सिस्टम है तो हमारे देश में सिस्टम है यूनिवर्सल एडल्ट सफरेज का ये यूनिवर्सल एडल्ट सफरेज क्या होता है इसका क्या मतलब होता है इसका मतलब होता है कि एक निश्चित एज के बाद हमारे देश में कौन सा एज हमारे देश में 18 इयर्स यानी कि हमारे देश में 18 साल की उम्र हो जाने के बाद आप कोई भी हो कितने भी पढ़े लिखे हो कितने भी आप अ उम्र दराज हो कुछ भी हो मतलब 100 साल हो गया फिर भी कोई दिक्कत नहीं है आप लड़का हैं लड़की हैं कुछ भी हैं इसके साथ ही आप कहीं रहते हैं इंडिया में कुछ भी है बस आपका उम्र अगर 18 साल हो गया तो आप वोट डाल सकते हैं और अपनी सरकार को चुन सकते हैं समझ गए तो मतलब यहां पर क्या है मतलब यहां पर यह है कि आपको वोटिंग का अधिकार मिलेगा आप भारत के नागरिक हैं और आपकी उम्र 18 साल है तो आपको वोटिंग का अधिकार दिया जाएगा ठीक है कहता है कि व्हेन दे वि आर मेकिंग द कॉन्स्टिट्यूशन द मेंबर्स ऑफ कांस्टीट्यूएंट असेंबली फेल्ट दैट द फ्रीडम स्ट्रगल हैड प्रिपेयर्ड द मासेज फॉर यूनिवर्सल एडल्ट सफेस एंड दैट दिस वुड हेल्प इनकरेज अ डेमोक्रेटिक माइंडसेट एंड ब्रेक द कल्चरस ऑफ ट्रेडिशनल कास्ट क्लास एंड जेंडर हायर कीज मतलब कि यूनिवर्सल एडल सफरेज आने की वजह से जो पुरानी व्यवस्थाएं हैं जाति प्रथा है या फिर एक तरीके से जो हमारे देश में डेमोक्रेटिक सेटअप है उसको मजबूत करने में यहां पर मदद मिलेगा और जो पुरानी व्यवस्थाएं हैं उसको खत्म करने में मदद मिलेगा ठीक है इसके साथ ही यहां पर यह हो तय होता है कि हमारे देश की जो सरकार है उसको चुनने में डायरेक्ट पार्टिसिपेशन किसका होता है भारत की जनता का होता है मतलब जो सरकार में लोग बैठे हुए हैं उसको डायरेक्टली हम लोग यहां पर यानी भारत की जनता चुन कर के भेजते हैं तब वो लोग वहां पर जाकर के बैठते हैं और अपनी सरकार को चलाने का काम करते हैं यहां पर आगे कहता है कि आल्सो एवरी सिटीजन ऑफ द कंट्री इज इरेस्पेक्टिव ऑफ हिज और हर सोशल बैकग्राउंड कैन आल्सो कंटेस्ट इन द इलेक्शन यानी कि हमारे देश का कोई भी व्यक्ति जाकर के इलेक्शन में पार्टिसिपेट कर सकता है और जो पॉलिटिकल पद है जो राजनीतिक पद है उस पर जाकर के बैठ सकता है लेकिन यहां पर एक चीज चेंज है कि जैसे 18 साल की उम्र में आप जाकर के वोट दे सकते हैं लेकिन अगर आपको पॉलिटिकल लीडर बनना है तो आपको उम्र चाहिए 25 यानी 25 ठीक है अब यहां पर देखें तो आगे यहां पर हमारे सामने अगला इंपॉर्टेंट की फीचर है कांस्टिट्यूशन का वो है सेपरेशन ऑफ पावर्स यह बहुत ही सिंपल सी चीज है क्योंकि इसके बारे में हम लोग पहले बात कर चुके हैं सेपरेशन ऑफ पावर में यहां पर कहता है कि कांस्टिट्यूशन के हिसाब से हमारा जो स्टेट है स्टेट मतलब क्या हमारा देश इंडिया की बात हो रही है यहां पर स्टेट राज्य वाला स्टेट नहीं बोला जा रहा है इंडिया के पावर की बात हो रही है कि हमारे देश में जो स्टेट है सरकार है उसका तीन ऑर्गन होगा सरकार मतलब जो केंद्र सरकार राज्य सरकार वो सरकार नहीं इंडिया का पावर इंडिया मतलब यहां पर जुडिशरी हमारा पार्लियामेंट हमारा एग्जीक्यूटिव सबको ऐड कर दो तो हमारा पूरा इंडियन स्टेट बनता है ठीक है तो यहां पर हमारे देश का जो इस पावर है उसके तीन हिस्से होंगे पहला होगा लेजिसलेच्योर अब यहां पर तीनों के रोल अलग-अलग होंगे तीनों के फंक्शनिंग अलग-अलग होंगे तीनों एक दूसरे के इंडिपेंडेंट काम करेंगे आइए पढ़ लेते हैं कहता कि द लेजिसलेच्योर क हिस्सा होते हैं यह हमारे होते हैं लेजिसलेच्योर के वो हिस्से हो गए जिनको कि रूल लागू करने का जिम्मेदारी होती है मतलब कि यहां पर लेजिसलेच्योर और साथ में हमारे दे हमारे जो विधानसभा है उसका ठीक है और यहां पर जो एग्जीक्यूटिव होता है एग्जीक्यूटिव में कौन आ गया एग्जीक्यूटिव में हमारे देश के प्रेसिडेंट आ गए हमारे देश के मंत्री आ गए हमारे देश के जो यहां पर अ मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री होते हैं यह सब आ जाते हैं और साथ में ब्यूरोक्रेसी भी इसी में इंक्लूडेड होती है तो यहां पर ये आ जाते हैं आपको एग्जीक्यूटिव में जिनका काम होता है लॉज को इंप्लीमेंट कराना और साथ में सरकार चलाना ठीक है इसके बाद बात करें तो थर्ड आ जाता है हिस्सा जुडिशरी जुडिशरी का मतलब यहां पर क्या हुआ भाई जुडिशरी मतलब जस्टिस प्रोवाइड करने का काम करता है और साथ में यहां पर लॉ का प्रॉपर इंप्लीमेंटेशन हो रहा है या नहीं कहीं कोई कानून तोड़ा गया है या नहीं यह चेक करने का काम यहां पर जुडिशरी का होता है ठीक है अब यहां पर देखिए हमारे देश में यह जो तीन हिस्से किए गए यह क्यों किए गए तीनों एक दूसरे से इंडिपेंडेंट क्यों हैं इसका कारण यहां पर यह है कि यहां पर हमारे देश में जो यह तीनों अंग हैं ये इनमें से कोई भी अपने पावर का मिसयूज ना करें इसके लिए यहां पर तीनों को अलग-अलग रखा गया है तीनों के पावर्स अलग-अलग रखे गए हैं तीनों एक दूसरे के काम में दखल नहीं दे सकते हैं तो ये तीनों एक दूसरे के ऊपर कंट्रोल या फिर मैनेज करने का काम करते हैं मतलब कि अगर यहां पर असेंबली या फिर पार्लियामेंट कोई कानून बना दे जो कि सही नहीं है तो उसको जुडिशरी खत्म कर देगा अगर यहां पर एग्जीक्यूटिव कोई ऐसा डिसीजन लेता है जो कि देश के लिए सही नहीं है तो वहां पर पार्लियामेंट उसको पावर से हटा देगा सरकार को हटा देगा वहां पर वोटिंग वगैरह करवा करके इसी प्रकार से जुडिशरी कभी कोई गलत डिसीजन लेती है तो उसके लिए यहां पर पार्लियामेंट और एग्जीक्यूटिव यहां पर प्रेजेंट है मतलब यहां पर यह है कि हमारे देश का जो तीनों ऑर्गन है वह एक दूसरे के ऊपर चेक एंड बैलेंसस का काम करता है कि यहां पर कोई भी अपने पावर का मिसयूज ना करें गलत इस्तेमाल ना करें अब यहां पर देखिए तो यही चीज समझा गया जो स्टेट मैं आपको समझा रहा हूं कहता कि द वर्ड स्टेट इज ऑफेन यूज्ड इन दिस चैप्टर दिस डज नॉट रेफर टू स्टेट गवर्नमेंट स्टेट गवर्नमेंट स्टेट जो शब्द बार-बार आ रहा है स्टेट गवर्नमेंट उसका मतलब नहीं है इसका मतलब यहां पर यह है कि यहां पर हम लोग पूरे इंडिया की बात कर रहे हैं मतलब कि जो सोवन यहां पर जो हमारा देश है देश का जो पू देश का जो पावर है उसकी बात यहां पर हम लोग कर रहे हैं ठीक है सबको कंबाइन करके सबको मिला करके तो हम लोग समझ गए सेपरेशन ऑफ पावर क्या होता है अब इसके बाद यहां पर है फंडामेंटल राइट्स फंडामेंटल राइट्स की बात करें तो फंडामेंटल राइट जो है हमारे देश की आत्मा या फिर हमारे देश की चेतना हम लोग कह सकते हैं हमारे कांस्टिट्यूशन का चेतना या आत्मा इसको कहा गया क्यों क्योंकि जो हमको अधिकार मिलते हैं जो बेसिक अधिकार मिलते हैं जिसके तहत हम लोग सरकार के पावर से या फिर किसी व्यक्ति के पावर से खुद को बचाते हैं वो हमें फंडामेंटल राइट से ही मिलते हैं जब हमारे देश में अंग्रेजों का शासन था उस समय यहां पर जो लीडर्स थे हमारे इंडिया के उन्होंने महसूस किया कि भाई अगर सरकार के पावर के ऊपर लगाम ना हो या फिर पावरफुल लोगों के पावर के ऊपर लगाम ना हो तो लोगों को प्रताड़ित किया जा सकता है उनके साथ गलत व्यवहार हो सकता है तो उस चीज को रोकने के लिए यहां पर यह तय किया गया कि हमारे देश में क्या होगा हमारे देश में रिटन राइट्स होंगे लिखे हुए अधिकार होंगे फंडामेंटल राइट्स होंगे जो कि हर व्यक्ति को दिए जाएंगे ताकि यहां पर जब देश आजाद हो तो हमारे देश के लोग भी साथ में आजाद हो जाएं उनको भी कुछ अधिकार मिल सके तो भाई फंडामेंटल राइट क्या काम करता है फंडामेंटल राइट हमारे देश के सिटीजंस को आर्बिट्री पावर आर्बिट्री और एब्सलूट पावर से प्रोटेक्ट करता है आर्बिट्री का मतलब क्या हुआ मतलब कि बिना सोचे समझे ऐसे ही बिना कोई नियम कानून के कि भाई वो आदमी ठीक नहीं लग रहा है उसको जेल में डालो वो आदमी ठीक बहुत अच्छा लग रहा है उसको इनाम दे दो क्या करो उसको उठा कर के जंगल में फेंक दो इस प्रकार का जो पावर है ऐसा यहां पर ना हो हर व्यक्ति के साथ सही व्यवहार हो किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी तरीके से गलत व्यवहार ना हो इस चीज से यहां पर फंडामेंटल राइट हमारा बचाता है मतलब कि एक प्रकार से कांस्टिट्यूशन में ये फंडामेंटल राइट लिखने का मतलब यह है कि हमारे पास यह गारंटी है आपके और मेरे पास ये गारंटी है कि जो सरकार है वो भी हमारे कुछ बेसिक अधिकारों को नहीं छीन सकता है यानी कि बिना कारण से मुझसे आजादी नहीं छीनी जा सकती है अगर सरकार कुछ गलत करती है तो मैं खुलकर विरोध कर सकता हूं बोल सकता हूं मुझे कोई नहीं रोक सकता है इसके साथ ही मैं अपने धर्म को फॉलो कर सकता हूं मैं कहीं भी जाकर के इंडिया में घूम सकता हूं इन चीजों से मुझे नहीं रोका जा सकता है क्योंकि कांस्टिट्यूशन हमें इस चीज की गारंटी देता है इसी प्रकार से कोई दूसरा व्यक्ति हमारे इन अधिकारों को नहीं छीन सकता है हमें प्रताड़ित नहीं कर सकता है यानी कि हमारी यह गारंटी है हमें यह गारंटी मिली है कि हम यह काम नहीं करेंगे मतलब कोई दूसरा हमारे साथ यह नहीं करेगा अब यहां पर देखें तो यहां पर बात यह है कि सिर्फ यह इंडिविजुअल राइट की बात नहीं है ऐसा नहीं है कि सिर्फ आपको और मुझे य अधिकार दिए गए हमारा देश जब बन रहा था उस समय यह भी देखा गया कि हमारे देश में बहुत सारे कम्युनिटीज ऐसे हैं जो कि माइनॉरिटी है मतलब जिनकी संख्या बहुत कम है तो उनके राइट्स को प्रोटेक्ट करने के लिए उनके अधिकारों को बचाने के लिए भी हमारे देश में हमारे कांस्टिट्यूशन में ये फंडामेंटल राइट्स काम करते हैं समझ गए कि जो फंडामेंटल राइट्स हैं वो एक प्रकार से माइनॉरिटी के राइट्स को बचाने का भी काम करते हैं जिनकी संख्या कम है उनके अधिकारों को भी बचाने का काम करते हैं तो यहां पर डॉक बाबा साहेब अंबेडकर जो थे उन्होंने फंडामेंटल राइट्स में कहा फंडामेंटल राइट्स के बारे में कहा था कि इसका ऑब्जेक्टिव दो टू फोल्ड है मतलब दो यहां पर इसके मेन टारगेट है फंडामेंटल राइट्स के मतलब एक तरीके से इसको यूज करने का या फिर प्राप्त करने का दो टारगेट हो सकता है पहला तो यह है कि हर व्यक्ति के पास यह पावर होगा यह पावर होना चाहिए और होगा कि वह अपने फंडामेंटल राइट्स को क्लेम कर सकता है और साथ में यह जो राइट्स हैं यह हर यह पूरे सरकार के ऊपर किसी भी व्यक्ति के ऊपर जिसके पास पावर है उसके ऊपर लागू होते हैं वह इंडि इन फंडामेंटल राइट्स को किसी भी तरीके से किसी भी आधार पर छीन नहीं सकता है या फिर एक प्रकार से उसको खत्म नहीं कर सकता है यहां पर हमारे देश के संविधान में फंडामेंटल राइट्स के अलावा एक एक और प्रिंसिपल दिया गया है जो कि है डीपीएसपी डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ स्टेट पॉलिसी यहां पर यह हमारे देश का कानून नहीं है ऐसा नहीं है कि इसको लागू करना जरूरी है नहीं यह एक तरीके से कांस्टिट्यूशन में लिखा गया है ताकि हमारे देश की आने वाली सरकारों को सलाह दिया जा सके कि आप लोग को क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए मतलब कि ये जो डीपीएसपी है यह एक तरीके से सलाह देने के लिए है जब संविधान बनाने वाले जो लोग थे उन्होंने संविधान बनाते समय इसको कानून नहीं बनाया लिख दिया बोला कि भाई आप देखिए इन आइडियल को लेकर के आप क्या करेंगे सरकार चलाएंगे देश चलाएंगे मतलब क्या जैसे उदाहरण के लिए देश में पॉवर्टी को कम करना है देश में इक्वलिटी को प्रमोट करना है देश में इकोनॉमिक इक्वलिटी लानी है इस प्रकार की चीजों के ऊपर यहां पर बात की गई कि भाई आपको क्या करना है मतलब कैसे आप समाज को बेहतर बनाएंगे समाज में क्या आपका टारगेट होगा सरकार का क्या टारगेट होगा इस इस चीज के ऊपर यहां पर लिखा गया बात किया गया ठीक है तो हम लोग क्या करते हैं यहां पर जो फंडामेंटल राइट्स हैं उनको देख लेते हैं यहां पर कुल मिलाकर छह फंडामेंटल राइट्स दिए गए हैं कौन-कौन से पहला है राइट टू इक्वलिटी दूसरा है राइट टू फ्रीडम तीसरा है राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन चौथा है राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन पांचवा है कल्चरल एंड एजुकेशनल राइट और यहां पर छठा है राइट टू कांस्टीट्यूशनल रेमेडीज इनको बारी-बारी से हम लोग डिटेल से समझते हैं पढ़ते हैं यहां पर पहला हमारे सामने आ गया राइट टू इक्वालिटीज टू इक्वालिटीज ही सिंपल है कि भाई कानून के सामने सभी लोग बराबर हैं चाहे वह प्रधानमंत्री हो आप हैं मैं हूं कोई भी हो कानून के सामने बराबर हैं कानून सभी के ऊपर बराबर रूप से लागू होगा और साथ में यहां पर किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगा मतलब ना तो जाति के नाम पर ना तो धर्म के नाम पर भाषा के नाम पर क्षेत्र के नाम पर जन्म के आधार पर किसी भी आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ आप भेदभाव नहीं करेंगे नहीं कर सकते हैं यह चीज यहां पर हमारे इस कांस्टिट्यूशन का मतलब है मतलब राइट टू इक्वलिटी का मतलब है और साथ में यहां पर यह भी है कि जितने भी पब्लिक प्लेसेस हैं जैसे कि प्लेग्राउंड हो गया होटल हो गया शॉप हो गया किसी भी जगह पर व्यक्ति जा सकता है कोई किसी को रोक नहीं सकता है और साथ में सरकार किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगी नौकरी के लिए या फिर किसी भी प्रकार का बेनिफिट देने के लिए कोई भेदभाव नहीं करेगी और कुछ कंडीशंस वहां पर रखे गए हैं उन कंडीशन को छोड़ कर के अगला है राइट टू फ्रीडम राइट टू फ्रीडम का मतलब क्या हुआ यहां पर भाई आपको मुझे सबको आजादी है तो भाई किस चीज की आजादी है आजादी है कि हम लोग अपनी मर्जी से अपने खुलकर अपने विचार को एक्सप्रेस कर सकते हैं जो मन करे वो हम बोल सकते हैं हां बस यह बात है कि किसी को गाली नहीं दे सकते किसी का अपमान नहीं कर सकते हैं लेकिन अगर मुझ मेरे मन में कोई विचार आ रहा है तो मैं विचार को एक्सप्रेस कर सकता हूं अपनी बातें बोल सकता हूं ऐसा नहीं कि भाई सरकार को पसंद नहीं आया है तो हम नहीं बोलेंगे ऐसी बात नहीं हो सकती है यहां पर समझ गए तो यहां पर साथ में हम लोग एसोसिएशन बना सकते हैं मतलब हमको कोई कमेटी बनाने का मन किया ग्रुप बनाने का मन किया संगठन बनाने का मन किया तो हम बना सकते हैं कोई हमको नहीं रोकेगा हम देश के किसी हिस्से में जाकर के घूम सकते हैं किसी भी हिस्से में जाकर के बस सकते हैं घर बना सकते हैं कोई हमको नहीं रोकेगा इसके साथ ही हम कोई भी प्रैक्टिस कोई भी प्रोफेशन या फिर ऑक्यूपेशन कर सकते या कोई भी बिजनेस कर सकते हैं मुझे मन करना करेगा दुकान खोलूंगा मुझे मन करेगा नौकरी करूंगा मुझे मन करेगा मैं घूमू कोई मुझे नहीं रोकेगा कोई मुझे ऑर्डर नहीं दे सकता है इसके बाद यहां पर थर्ड आता है राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन रा राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन का कहने का मतलब यहां पर यह है कि हमारे देश में 14 साल से कम के जो बच्चे हैं उनसे आप फोर्सड लेबर नहीं करवा सकते हैं जब जबरदस्ती काम नहीं करवा सकते मतलब क्या काम ही आप नहीं करवा सकते अगर आप कोई फैक्ट्री चला रहे हैं दुकान चला रहे हैं किसी भी प्रकार से कोई ऑर्गेनाइजेशन चला रहे हैं तो वहां पर आप 14 साल से कम के व्यक्ति को नौकरी पर हायर नहीं कर सकते हैं अगर करेंगे तो आपको जेल हो जाएगा इसके साथ ही यहां पर आप ह्यूमंस का या फिर चिल्ड्रन का आप ट्रैफिकिंग नहीं कर सकते हैं मतलब लोगों को बेचने खरीदने का काम कहीं पर जबरदस्ती काम करवाने का काम आप नहीं कर सकते हैं यह सब चीजें यहां पर बेसिक राइट के रूप में ऐड की गई हैं इसके साथ ही चौथा राइट यहां पर यह है फ्रीडम ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन यानी लोगों को धार्मिक आजादी दी गई है कि भाई जितने भी सिटीजंस हैं उनको यह आजादी है कि वह अपने धर्म को अपने रिलीजन को प्रैक्टिस कर सकते हैं प्रोफेस कर सकते हैं प्रोपेगेटर सकते हैं मतलब चाहे तो उसको फॉलो करें चाहे तो उसका प्रचार करें चाहे तो उसको उसमें इंडल्स हो जाए जो उनको मन है वह करें कोई दूसरा व्यक्ति उनको फोर्स नहीं कर सकता है ऑर्डर नहीं दे सकता है कुछ नहीं कर सकता है इसके साथ यहां पर पांचवा राइट है कल्चरल एंड एजुकेशनल राइट यहां पर जो हमारा कांस्टिट्यूशन है यह कहता है कि जितने भी माइनॉरिटी हैं उनको यह अधिकार दिए जाते हैं कि वह अपने रिलीजियस या फिर लिंग्विस्टिक अपने कल्चर को बचाने के लिए कल्चर को प्रोटेक्ट करने के लिए अपने खुद के एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस खोल सकते हैं ताकि वह अपने कल्चर को प्रिजर्व कर सके या फिर डेवलप कर सके समझ गए मतलब कि जो माइनॉरिटी हैं उनके कल्चर को प्रोटेक्ट करने के लिए उनको यह आजादी दी गई है कि वह अपने खुद के एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस खोल सकते हैं इसके बाद यहां पर छठा और लास्ट है राइट टू कॉन्स्टिट्यूशन रेमेडीज यह एक तरीके से हम कह सकते हैं कि सबसे इंपॉर्टेंट हमारा फंडामेंटल राइट है यहां पर यह कहता है कि मान लो किसी व्यक्ति के फंडामेंटल राइट को छीना जाता है आपको फ्रीडम नहीं दिया जा रहा है आपको बोलने नहीं दिया जा रहा है या फिर किसी इलाके में आपको रहने नहीं दिया जा रहा है तो किसी भी प्रकार से अगर आपके फंडामेंटल राइट को छीना जा रहा है तो यहां पर आपको यह आजादी है कि आप जा सकते हैं कोर्ट में और कोर्ट से यह ऑर्डर ले सकते हैं कि भाई देखो यहां पर हमारे फंडामेंटल राइट को वायलेट किया गया है हमको इसका सॉल्यूशन दिया जाए तो मतलब आप कोर्ट में जा सकते हैं फ फंडामेंटल राइट कभी भी छीना जाए तो उसको एक प्रकार से आप चैलेंज कर सकते हैं कोर्ट में ठीक है तो यहां पर अगर हम लोग देखें तो यहां पर यह क्वेश्चन पूछा जा रहा है व्हिच फंडामेंटल राइट विल बी फॉलोइंग सिचुएशन वायलेट इस इन सभी सिचुएशन में कौन सा फंडामेंटल राइट वायलेट हो रहा है इफ अ 13 ईयर ओल्ड चाइल्ड इन वर्किंग इन अ फैक्ट्री मैन्युफैक्चरिंग कार्पेट 13 साल की बच्ची है 13 साल का बच्चा है जो कि यहां पर फैक्ट्री में काम कर रहा है तो जरा सा यहां देखो थर्ड नंबर राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन इसी प्रकार से जो दूसरे यहां पर आपको क्वेश्चंस पूछे गए हैं इनमें जरा सा वीडियो पॉज करके चेक करो कि भाई कौन सा यहां पर फंडामेंटल राइट वायलेट हो रहा है और खुद से आंसर करने की कोशिश करो ठीक है तो आगे बढ़ते हैं आगे यहां पर क्या है भाई आगे हमारा लास्ट और एक इंपॉर्टेंट हमारा जो इंपॉर्टेंट की फीचर है हमारे कांस्टिट्यूशन का वो है सेकुलरिज्म सेकुलरिज्म मतलब कि हमारा देश किस चीज में बिलीव करता है सेकुलरिज्म में बिलीव करता है मतलब क्या मतलब यहां पर हमारा देश का जो सरकार है सरकार मतलब क्या सरकार का कोई भी अंग जुडिशरी एग्जीक्यूटिव लेजिसलेच्योर नहीं करता है किसी भी रिलीजन को फॉलो नहीं करता सरकार धर्म से अलग है और सरकार धर्म के कामों में इवॉल्व नहीं होगी और व किसी भी धर्म को या तो फॉलो नहीं करेगी या तो उसको प्रमोट नहीं करेगी कुछ भी नहीं करेगी धर्म से सरकार अलग रहेगी सेकुलरिज्म यहां पर यह प्रिंसिपल है हमारे देश के कांस्टिट्यूशन का तो यह यहां पर आपके चैप्टर के जितने भी की फीचर्स थे कांस्टिट्यूशन के वह क्लियर हो गए कांस्टीट्यूशन क्यों होना चाहिए वह सारे पॉइंट्स क्लियर हो गए तो सभी चीजें क्लियर हो गई अब यहां पर देखिए आपको एक्स्ट्रा एक तरीके से रैप अप चैप्टर का यहां पर किया जा रहा है यहां पर कहा जा रहा है कि देखो आप अब समझ रहे होंगे कि जो कॉन किसी भी देश का कांस्टीट्यूशन बनता है उसमें उस देश के एक हिस्ट्री का बहुत इंपॉर्टेंट रोल होता है जैसा देश के लोगों ने महसूस किया है फील किया है जैसी स्थिति उन्होंने देखी है उस हिसाब से देश अपने कांस्टिट्यूशन को बनाते हैं कहता है कि द कांस्टिट्यूशन प्लेज इंपॉर्टेंट डल इन रोल इन लेंगा द आइडियल दैट वी वुड लाइक टू लिव ऑन द सिटीजन ऑफ कंट्री टू एडर टू ये यह सब चीजें हम लोग पढ़ चुके हैं यही सारी चीजें हैं कि भाई देखो कांस्टीट्यूशन बहुत इंपॉर्टेंट होता है जैसा हम समाज चाहते हैं वैसा बनाने में बहुत इंपॉर्टेंट रोल रोल अदा करता है यह सारी चीजें हम लोग पढ़ चुके हैं कुछ एक्स्ट्रा यहां पर ये नहीं है ठीक है तो यह सारी चीजें हो गई चैप्टर हमारा समाप्त हो गया यहां पर बहुत सारे इमेजेस भी आपके चैप्टर के दिए गए हैं मतलब कांस्टीट्यूएंट असेंबली में अलग-अलग लोग यहां पर देख रहे हैं कि हमारे कांस्टिट्यूशन पर सिग्नेचर कर रहे हैं जब ये फाइनल कांस्टिट्यूशन तैयार हुआ था ये सारे तस्वीरें यहां पर देखिए जैसे महात्मा गांधी हैं और भी लोग हैं अ शायद महात्मा गांधी नहीं है सरदार वल्लभ भाई पटेल हैं ठीक है मैंने शायद गलत बोल दिया ठीक है कोई बात नहीं है हम आगे बढ़ते हैं आगे यहां पर हमारे सामने क्या है चैप्टर समाप्त हो गया है एक्सरसाइजस हैं इसको यहां पर तो हम लोग कर नहीं रहे हैं तो मिलते हैं हम अगले वीडियो में अगले चैप्टर के साथ तब तक के लिए गुड बाय