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परब्रह्म श्री स्वामीनारायण की जीवन यात्रा

[संगीत] [संगीत] अ [प्रशंसा] परब्रह्म श्री स्वामीनारायण ने सन 1781 में उत्तर भारत के छपिया गांव में मनुष्य जन्म धारण किया छपिया और अयोध्या की भूमि को दिव्य बाल चरित्रों से पावन करके वे नीलकंठ वर्णी के रूप में निकल पड़े अपने मौलिक दर्शन से विश्व के असंख्य जीवों का का कल्याण करने हेतु एक कल्याण यात्रा पर अयोध्या से नैमिषारण्य हरिद्वार श्रीपुर केदारनाथ बद्रीनाथ बद्री वन आदि से होते हुए वे तिब्बत में मानसरोवर पधारे वहां से गंगोत्री वंशी आपु आदि से आगे नेपाल में काली गंडकी नदी के किनारे आरोहण करते हुए मुक्तिनाथ जाकर उन्होंने तपश्चार्य की मुक्तिनाथ से बुटोल नगर आदि स्थानों से होते हुए गोपाल योगी को अत्यंतिक मुक्ति का मार्ग दिखाकर नीलकंठ वर्णी वहां से पूर्व दिशा में आगे बढ़ चले पोखरा की [संगीत] ओर [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] नेपाल देश की वादियों और पहाड़ियों को पार करते हुए नीलकंठ वर्णी आ पहुंचे पोखरा सरोवर पर नर तनु है नैया केवट हरि नाम संतन संग प्रभु भजो मिले परमधाम नर तनु है नैया केवट हरिनाम संतन संग प्रभु भजो मिले परम पोखरा की सेती गंगा नदी में स्नान कर उसे पावन करके नीलकंठ वर्णी आगे बढ़ चले मध्य में सूर्य रहता है और उस सूरी के चारों ओर अलग-अलग ग्रह परिभ्रमण करते रहते हैं कई नगरों पहाड़ों और वनों को पार करते हुए नीलकंठ वर्णी आ पहुंचे िक स्मारकों के लिए प्रख्यात नगर काठमांडू [संगीत] [प्रशंसा] में काठमांडू में नीलकंठ वर्णी ने पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन किए और वे बागमती नदी के घाट पर भी [संगीत] पधारे [संगीत] वैभवी नगरी काठमांडू के कई स्थानों पर होते हुए कुछ साधु संतों के समुदाय के साथ नीलकंठ वर्णी वहां के राजा के महल में आ [संगीत] पहुंचे [संगीत] यहां उपस्थित सभी लोग ध्यान से सुनिए हमारे राजा जी को कुछ असाध्य रोग हुआ है जिससे उनके पेट का दर्द मिट ही नहीं रहा है यदि किसी को भी इस रोग और उसके निवारण की जानकारी हो तो व बताएं और हमारे राजा जी का इलाज करें और उचित इनाम भी पाएं बटुक वर्णी जी आपके पास भी इस रोग का कोई इलाज हो तो अवश्य बताना मेरे पास तो जन्म मरण के रोग का इलाज [संगीत] है सोच समझकर बोलना बालक मैं राजा हूं रण बहाद सहा सन्यास में भगवान होते हैं यह सोचकर मैं साधु संतो और सन्यासियों को मेरे रोग का इलाज करने के लिए बुलाता हूं और मेरा इलाज करने की बात करके जो इलाज नहीं कर पाता ऐसे हर एक हकीम वैद्य साधु संत सन्यासी सबको मैं जीवन भर के लिए बंदी बनाकर सजा देता हूं वही तो आप भूल कर बैठते हैं राजन अपने कर्मों की सजा दूसरों को देकर इस जन्म में या पिछले जन्मों में आपने स्वयं जो बुरे कर्म किए हैं उनके फल स्वरूप आपको यह रोग मिला हुआ है ऐसी बातें मेरे मुंह पर कर रहे हो तुम्हें डर नहीं लगता सत्य बात को सुचारू रूप से कहने में डर कैसा राजन अभी भी आप निर्दोष लोगों को दंड देकर अधिक बुरे कर्मों का संचय ही कर रहे हैं जिनके फल भी आपको भुगतने पड़ेंगे तो तो मैं क्या करूं कैसे छुटकारा पाऊ इन सबसे कैसे छुटकारा [संगीत] पाओ जो भी दुखाए उसे अपना प्रारब्ध और अपने कर्मों का फल समझकर और परमात्मा की इच्छा समझकर अपना लो अपनी भूलो का पश्चाताप करके और परमात्मा को प्रार्थना करके प्रायश्चित करने से दुख का निवारण हो सकता है परमात्मा को तो मैं नहीं जानता पर मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे इन दुखों से उभार आप जो कहेंगे वो मैं [संगीत] करूंगा [संगीत] यह पी [संगीत] लीजिए [संगीत] ऐसी राहत की अनुभूति मुझे आज तक नहीं हुई [संगीत] प्रभु बताइए मैं आपके लिए क्या कर [संगीत] सकता मुझे कुछ नहीं चाहिए बस जिन निर्दोष लोगों को आपने बंदी बनाकर रखा हुआ है उन सबको छोड़ दीजिए जै साब कहे [संगीत] [संगीत] प्रभु [प्रशंसा] [संगीत] काठमांडू से आगे उत्तरी नेपाल प्रदेश में यात्रा करते हुए नीलकंठ वर्णी ने तिब्बत प्रदेश एवं चीन प्रदेश की ओर दृष्टि की और वहां से पूर्व दिशा में आगे बढ़ते हुए वे वराह तीर्थ आ पहुंचे जीवन भर सदाचार पूर्वक सेवा के अच्छे कार्य करते रहना वह अच्छी बात है परंतु वह आत्यंतिक मोक्ष के लिए पर्याप्त नहीं है मोक्ष के लिए तो सच्चे ब्रह्म स्वरूप गुरु से सनातन मूल्यों का ज्ञान पाकर उसे अपनाना होगा ओम गंगे च यमुने चव गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी जले स्मिन सन्निधि कुरु [संगीत] [संगीत] [संगीत] अपनी कल्याण यात्रा से नेपाल प्रदेश को पावन करने के पश्चात नीलकंठ वर्णी उत्तर पूर्वी भारत के असम प्रदेश में सिरपुर परशुराम कुंड आदि स्थानों में पधारे और वहां से आगे असम प्रदेश में नीलकंठ वर्णी के स्वागत के लिए मानो ब्रह्मपुत्र नदी के नीर तत् पर थे ब्रह्मपुत्र नदी को पार करके नीलकंठ वर्णी आ पहुंचे असम के कामाक्षी तीर्थ में इस दुर्लभ मनुष्य जन्म का धय है परम सत्य की प्राप्ति व्यसन वहम मलीन मंत्र तंत्र आदि से किसी सत्य को प्राप्त कर लेने जैसा जो अनुभव होता है वह परम सत्य नहीं परंतु केवल भ्रम है परम सत्य तो केवल एक ही है जो जन्म मरण के चक्कर से मुक्त करके आत्यंतिक मोक्ष प्राप्त करवाता है बच्चे क्या सुख दुख की बातें बना रहा है [संगीत] तू अरे यहां मेरे साम्राज्य में सबके लिए केवल एक ही वस्तु प्राप्त है और वो है सुख सुख और [संगीत] सुख समझा तू सुख या सुख का ब्रम सुख केवल सुख केवल सुख एक सच्चे उपासक की तरह उपासना करके हर एक सुख को सिद्ध किया है मैंने और गले तक गले तक मदिरा का पान करके उन हर एक सुख के नशे में रहता हूं मैं इसीलिए पी पैक कहलाता हूं मैं पी बैक ब बक अपने प्रपंच से लोगों को डरा धमकाकर स्वयं सुखी रहना वह सिद्धि नहीं परंतु विकृति है विवेक अपनी सिद्धियों का उपयोग सबके सुख के लिए करना चाहिए दुख के लिए नहीं अरे वाह यह छोटे गुरुजी तो ज्ञान उपदेश भी देते हैं महा ज्ञानी है गुरु गु जी पर अभी अभी गुरुजी को पता चल जाएगा कि मेरी शक्तियों के सामने उनका ज्ञान कैसे हवा में फुर्र हो जाता [संगीत] है फट ओम क्लिंग फट ओम हेम क्लेम फट ये देख यह देख मेरी शक्ति चोकरे ये देख देखा घबराइए मत परमात्मा की दिव्य शक्ति पर भरोसा रखिए उनका दृढ़ आश्रय रखिए तो इसकी मलीन विद्या की शक्ति अपने आप असमर्थ हो जाएगी आपको कुछ भी नहीं कर पाएगी छोकरे मेरे शिष्यों को मेरे ही विरुद्ध भड़का रहा है तू भड़का नहीं रहा हूं पर जगा रहा हूं क्योंकि इस बेचारे वृक्ष की तरह य सभी निर्दोष हैं अरे तू उनकी छोड़ और अपनी सोच तुम भी तो अपनी सोचो प बैक दूसरों के विनाश से स्वयं का विकास करने पर तुले हो तुम ऐसे भोले भाले लोगों को मूर्ख बनाते हुए तुम इतने अंध हो गए हो कि स्वयं को भी मूर्ख बनता हुआ देख नहीं पा रहे हो जरा सोचो पि बेक तुम सब मोह माया का त्याग कर निकल पड़े थे वो किस लिए और अब कैसे स्वयं ही मोह माया में अंध हो चुके हो कुछ तो अत दृष्टि करो [संगीत] विवेक इसे कैसे पता वैसे मेरी भूल तो है लेकिन नहीं नहीं ये बकवास कर रहा है [संगीत] तू ऐसे नहीं समझेगा अब तुझे मारना ही पड़ेगा परमात्मा की काल शक्ति के सिवा कोई किसी को मार नहीं सकता अरे तुझे मारने के लिए तो मेरी शक्ति ही काफी है ओ ओ ओ ओ ओ ले तेरी [संगीत] मृत्यु अब तो मैं मेरी परम शक्तियों का आहवान करूंगा और तुझे मार के ही दम [संगीत] लूंगा शक्तियों को बुलाओ शक्तियो को मारो शक्तियों को बुलाओ को मारो मो को मारलो मेरी परम शक्तियों मैं आप सबका आहवान करता हूं इस लड़के को खत्म कर दो मार डालो इसे ये कैसे संभव है क्लेम फट ओम क्लेम पट ये कैसे संभव है ये क्या हो रहा है मेरी शक्तियां काम क्यों नहीं कर रही है अरे अरे अरे अगर यहां से नहीं हो रहा है तो वहां से मारो अपनी सारी शक्ति लगा दो पर इसे खत्म कर [संगीत] दो हां ये कैसे संभव है मेरी शक्ति एक झोक के सामने हाथ जोड़कर बैठ गई है नहीं असंभव असफ पता नहीं क्यों पर आज तो तू बच गया पर कल मैं मेरी सभी शक्तियों को जागृत करके आऊंगा और तेरा नाश करके ही तम लूंगा तुझे नहीं छोडूंगा मैं ठोकरे कल तक का इंतजार और तेरा सर्वनाश [संगीत] तेरा [संगीत] [संगीत] सर्वनाश धर्म का आचरण छोड़कर अधर्म का आचरण करने के लिए बहाने तो हजार मिल जाते हैं पर यदि दृढ़ता से धर्म के मार्ग पर चलते रहेंगे तो माइक आकर्षणों पर गिरने से बच जाएंगे अधर्म से बच जाएंगे वरना तो मार्ग भी गलत और धेय भी गलत और साधना ही गलत होगी तो साध्य कैसे योग्य मिलेगा नीलकंठ वर्णी नीलकंठ वर्णी नीलकंठ वर्णी नीलकंठ वर्ण क्षमा कर दीजिए मुझे मैंने बहुत बड़ी भूल की है अरे पीवे गुरुदेव मुझे क्षमा कर दीजिए गुरुदेव और मुझे अपना शिष्य स्वीकार कर लीजिए कल रात को मैंने मेरे सभी आराध्य का फिर से आहवान किया और उनसे कहा कि वे आपका नाश कर दे तो तो उन्होंने तो मुझ मुझे ही बहुत मारा पटक पटक कर धो दिया मुझे और और उन्होंने कहा कि आप तो सबके स्वामी सर्वोपरि परमात्मा है मुझे क्षमा कर दीजिए प्रभु मुझे क्षमा कर दीजिए सच्चे गुरु के बिना कोई भी साधक इधर उधर भटक ही जाता है भी भटक गया था कोई बात नहीं विवेक मार्ग से भटक जाने का अर्थ हमेशा धेय से भटक जाना ही नहीं होता तुम्हारे पूर्व जन्मों की भूलों को तुम अज्ञान के कारण भूल गए हो वैसे ही इस जन्म की भूलों को ज्ञान से भुला दो और अभी से एक अच्छे जीवन की शुरुआत कर दो जी गुरुदेव गुरुदेव मैंने बहुत भूल की है अब आप ही मेरा मार्गदर्शन कीजिए जरूर विवेक गुरु तो सही मार्ग दिखाने का प्रयास करता ही है पर उस मार्ग पर चलना वो तो साधक का ही काम है बस अब तुम एक सच्चे साधक को शोभा दे वैसा जीवन जियो शुद्ध धर्म शुद्ध आचरण शुद्ध भक्ति भाव यथार्थ ज्ञान आदि को अपनाकर परमात्मा की ओर कदम बढ़ाते चलो तो वह भी तुम्हारी ओर आते चलेंगे तुम्हारे पुराने संसार की रचना तुम्ही ने की थी और तुम्हारे नए संसार की रचना भी तुम ही [संगीत] करो आप आप कहां चल दिए गुरुदेव अब मुझे आपसे दूर नहीं होना है जहां प्रेम है वहां दूरी कैसी और भौतिक दूरी बढ़ने से हृदय की निकटता मिट थोड़ी ना जाएगी विवेक गुरु की आज्ञा में रहना वह उनके साथ रहने के समान ही है जी गुरुदेव अब मेरा शेष जीवन आपकी आज्ञा के अनुसार ही बगा तो मैं सदैव तुम्हारे साथ रहूंगा प्रणाम [संगीत] गुरुदेव प्रणाम नीलकंठ वर्णी सच्चे गुरु की सच्ची संगति और उस संगति से आत्यंतिक मोक्ष की प्राप्ति साक्षात परमात्मा की प्राप्ति परम कल्याण के इस परम संदेश को फैलाने के लिए अपने अगले पड़ाव की ओर नीलकंठ वर्णी आगे बढ़ चले असम के घने वनों से होते [संगीत] हुए दक्षिणी असम के पर्वतीय प्रदेश को लांते हुए चटगांव जिले के आसपास कहीं पर नीलकंठ वर्णी आ पहुंचे एक दवी अप प्रकट सी नौलखा पर्वत की साधना भूमि पर [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] इस दिव्य और अपक पर्वत भूमि पर 9 लाख योगी से योग साधना करके अनेक सिद्धियों को प्राप्त कर रहे हैं जिससे अंततः वे आपकी महिमा को समझ सके और मोक्ष प्राप्त कर सके सिद्धियों की प्राप्ति हेतु योग साधना करने से अनेक सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं पर उन सिद्धियों के प्रति जो लगाव बना रहता है वह परमात्मा की भक्ति में से विचलित कर देता है और आत्यंतिक मोक्ष तो यथार्थ दास भाव से परमात्मा की भक्ति करने से ही होता [संगीत] है [संगीत] तीन दिनों के आपके प्रत्यक्ष योग से हमारा अज्ञान नाश हो रहा है हम अपने प्राणों को षट चक्रों में प्रसारित करके किसी भी सिद्धि को प्राप्त कर ले उससे भी अधिक यह है कि हम हर प्रकार से आप जो परमात्मा है उनमें जुड़ जाएं कृपा करके हमें आपकी भक्ति का अधिकार दें और आपके स्वरूप में जोड़ दे आप सभी का आत्यंतिक मोक्ष के मार्ग पर प्रयाण हो ओ ना लखा पर्वत के 9 लाख योगियों को कल्याण प्रदान करके अपनी कल्याण यात्रा को नीलकंठ वर्णी ने बंगाल प्रदेश में आगे बढ़ाया और बंगाल में बालवा कुंड आ पहुंचे कुछ दिन बालवा कुंड प्रदेश में बिताकर नीलकंठ वणी ने अपनी कल्याण त्रा को आगे बढ़ाया सुंदरवन के प्रदेश [संगीत] [संगीत] में [संगीत] [संगीत] बंग देश को पार कर नीलकंठ वर्णी गौण देश में श्री चैतन्य महाप्रभु की जन्मभूमि द्वीप में आ पहुंचे हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि हरि बोल गंगा और सागर का जहां मि न होता है उस पवित्र तीर्थ गंगा सागर की ओर नीलकंठ वर्णी बढ़ चले नीलकंठ वर्णी सागर द्वीप में स्थित सुंदरवन में कपिल मुनि के आश्रम में यहां कपिल मुनि द्वारा रचित सांख्य शास्त्र का समन्वय सनातन वैदिक धर्म के एक मौलिक दर्शन के साथ करने का जैसे उन्होंने संकल्प लिया और वहां से पूर्वी भारत के उड़ीसा प्रदेश में आ [संगीत] पहुंचे ह बोल हरि बोल हरि हरि बोल हरि बोल ह ह इस उड़ीसा प्रदेश के एक छोटे से गांव में मानो कोई नीलकंठ वर्णी की प्रतीक्षा में [संगीत] था जय राम भैया उन्होंने कहा कि संसार व्यवहार के सारे कर्तव्यों को निभाते हुए भी अपने चित्त की वृत्ति भगवान में रखे रहोगे तो आपका गृहस्था आश्रम श्रेष्ठ होगा यानी कि परिवार के सभी लोगों के साथ प्रेम भाव से रहो अपने हर कौटुंबिक और सामाजिक जिम्मेवारी को निष्ठा पूर्वक निभाओ परंतु उन सबकी मोह माया में लिप्त ना रहते हुए केवल भगवान में ही आसक्ति रखो यह सब बातें तुम्हें किसने सिखाई बालयोगी नीलकंठ वर्णी ने पिताजी वे सन्यासी बाबा के मंदिर में ऐसा उपदेश दे रहे थे तो तुम दोनों उन्हें हमारे यहां लेकर क्यों नहीं आई पर मां उन्होंने तो आंख उठाकर हमारी और देखा तक नहीं तो हम उन्हें कैसे बुला लाते हम क्या ऐसे पवित्र बाल ब्रह्मचारी हैं वह चल जयराम उन्हें हमारे घर पर ले आते हैं चल [संगीत] चल [संगीत] यह कमल ककड़ी लीजिए ताजी है यह जय राम और मैं कृष्ण तंबोली हम दोनों रोज ताजी कमल ककड़ी लाते हैं [संगीत] [प्रशंसा] दैनिक दिनचर्या में व्यस्त रहते हुए भी प्रभु भक्ति में लीन रहा जा सकता है और ऐसे निरंतर भक्ति करने से बुद्धि शुद्ध होती है कलो कीर्तना कलयुग में भजन भक्ति से भगवान का सानिध्य मिलता है बोल हरि हरि बोल हरि हरि बोल हरि हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि [संगीत] हरि रोज इतनी ताजी कमल ककड़ी कहां से लाते हो क्या मुझे भी उस जगह ले चलोगे हां आज शाम को ही चलेंगे आपको हमारे साथ बड़ा मजा आएगा [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] चलो नौका विहार करके उस किनारे तक जाकर वापस आ जाते हैं [संगीत] हरि बोल हरि बोल हरि हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि हरि बोल ह बोल हरि हरि [संगीत] बोल इस समय इस डरावने वन में जाना उचित नहीं होगा हां बहुत डरावनी जगह है डरो मत मैं तुम्हारे साथ हूं चलो ठीक [संगीत] है [संगीत] समझ में नहीं आ रहा कि आप कर क्या रहे हैं नीलकंठ वर्णी और हमें कहां ले जा रहे हैं यह तो भालू की आवाज है हे भगवान डरो मत मैं हूं ना चलते रहो नीलकंठ नीलकंठ वनी ये भालू हमें मार डालेगा नहीं कुछ नहीं करेगा शांत रहो चिंता मत करो य तो हमारी हस्ती कर हे भगवान ये भालू हमें मार ड लेगा शांत हो [संगीत] जाओ यह कैसे हो सकता है हां चिंतित मत रहो तुम्हारा कल्याण अवश्य [संगीत] होगा अब [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] जाओ चलो हो गया अब वापस घर च लते हैं हा जल्दी चलो जल्दी यहां से भाग निकलते हैं जल्दी यहां से भाग निकलते हैं भागो भगवान कहीं वो भालू वापस ना आ [संगीत] [संगीत] जाए अच्छा तो आपको पता था कि वह भालू वहां था हां भगवान के स्वरूप में संशय होने के कारण उसे मोक्ष नहीं मिला था और मोक्ष प्राप्ति के लिए बार-बार इसी योनि में जन्म लेता रहता था तो अब अब भालू का देह त्याग कर उसे नु जन्म मिलेगा उसे मेरा योग होगा और उसका आत्यंतिक मोक्ष होगा अच्छा तो आप उस भालू का कल्याण करने के लिए यहां आए थे हां सबके कल्याण के लिए ही तो मेरी यात्रा है तो फिर हमारा भी कल्याण जरूर करना प्रभु करोगे ना हां आपकी मति शुभ है तो कल्याण होगा मुझे तो पहले से लग रहा था कि आप कोई दिव्य प्रतिभा है प्रणाम कृपया जय राम को स्वीकार कर आपके साथ रख लीजिए आपका दास बनाकर जय राम [संगीत] [संगीत] दास कुछ मुमुक्षु को कल्याण के मार्ग पर प्रेरित करने के पश्चात भी उनके साथ ही बस जाना वह नीलकंठ वर्णी की शैली नहीं थी क्योंकि उनका लक्ष्य था अनंत मुमुक्षु के कल्याण के लिए अपनी कल्याण यात्रा को आगे बढ़ाते ही [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] रहना उड़ीसा प्रदेश में नीलकंठ वर्णी अपनी कल्याण यात्रा को आगे बढ़ाते रहे मार्ग में सदा व्रतों से जो कुछ भी मिले उससे निर्वाह कर लेते हुए जो कोई भी मिल जाए उसके लिए परम कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हुए और निज स्वरूप के निजानंद में मगन रहते हुए [संगीत] भैया नीलकंठ भैया नीलकंठ भैया नीलकंठ भैया नीलकंठ भैया नीलकंठ 20 दिनों से आपको ढूंढ रहा हूं मैं आपके चले जाने से मेरा परिवार बहुत दुखी है मुझे उनके साथ रहना है और आपके बिना नहीं रहना है तो तो घर चलो आप चलो उन सबके प्रेम का मैं आदर करता हूं परंतु मेरी यात्रा तो अभ रत आगे बढ़ती ही रहेगी जय रामदास क्यों ना तुम भी मेरी यात्रा में जुड़ जाओ जय रामदास मैं जानता हूं कि तुम पूर्व के मुमुक्षु जीव हो इसीलिए कह रहा हूं कि संसार के नाश वंत और माइक संबंधों को छोड़ दो और उसे पकड़ लो जो माया से परे है मेरे साथ चलो चलो जगन्नाथपुरी चलते हैं जी आप सही कह रहे हैं [संगीत] [संगीत] चलो [संगीत] [संगीत] ओ [संगीत] आ जाओ जिसको भी भुवनेश्वर जाना है मेरी नाव में बैठकर जा सकता है अरे भाई नाव का किराया थोड़ा कम कर कम नहीं करूंगा दूसरे के पास चले जाओ ठीक है तो फिर हम दूसरे नाव में भुवनेश्वर जाएंगे अरे केवट भुनेश्वर जाना होरी नाव में आ सकता है सुनो भैया वो नाव वाला तो बहुत पैसे मा रहा भुवनेश्वर तक जाने के लिए इतना सारा पैसा कौन देगा अरे भाई केवट नाव का किराया थोड़ा कम कर दो इधर तुम्हारी नाव में बैठेंगे और थोड़ी ही देर में उधर भुवनेश्वर की ओ उर जाए भुनेश्वर ले जाता हूं उसके लिए इतना ज्यादा दाम ठीक नहीं है अरे नहीं नहीं भैया इतना लोभ करोगे और सौदेबाजी करते रहोगे तो इसी किनारे पर रात बितानी पड़ेगी चलो चलो मैं तनाव लेकर जा रहा हूं मैं तो एक पैसा भी कम नहीं करूंगा आना है तो आओ नहीं तो कोई बात नहीं हां नीलकंठ वर्णी मेरा इंतजार करते करते आखिर चले गए इतना लोभ नहीं करता तो अभी नीलकंठ वर्णी के साथ नाव में [संगीत] होता उड़ीसा के भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर नीलकंठ वर्णी की यात्रा का अगला पड़ाव बना [संगीत] भुवनेश्वर से दक्षिण में नीलकंठ वर्णी साक्षी गोपाल तीर्थ में पधारे जना में सरोवर सबसे बढ़िया जने का प्रबंध हो जाता है अपनी कल्याण यात्रा को आगे बढ़ाते हुए नीलकंठ वर्णी जगन्नाथ पुरी आ पहुंचे नमस्कार इंद्र धुम सरोवर यहां पर है आइए सामने स्नान कर लीजिए प्रणाम जगन्नाथपुरी में लगभग 10 महीनों के निवास की अवधि में नीलकंठ वर्णी दो स्थानों पर कई बार जाते रहे एक इंद्र दमन स सरोवर और दूसरा भगवान श्री जगन्नाथ जी का भव्य मंदिर [संगीत] यह लीजिए भगवान जगन्नाथ जी का प्रसाद मैं आपको हर रोज यह प्रसाद दूंगा जरूर आते रहिएगा [संगीत] प्रणाम [संगीत] अरे भाई हटो हटो जरा अरे नीलकंठ वर्णी मुझे विश्वास था कि आप यहां जगन्नाथ पुरी में मिल जाएंगे उधर दो पैसों के लोभ में मैं आपको खो बैठा अब मैं आपसे नहीं [संगीत] बिछडा जगन्नाथ पुरी की भूमि और जगन्नाथ पुरी का समुद्र नीलकंठ वर्णी के संघ से पावन हो चुके थे तो फिर जगन्नाथ पुरी के राजा कैसे रह [संगीत] जाते [संगीत] प्रणाम प्रणाम मैं जगन्नाथ पुरी का राजा गजपति राजा दिव्य सिंह देव हूं जगन्नाथ पुरी के मेरे साम्राज्य में आपकी दिव्य प्रतिभा के बारे में मैंने बहुत कुछ सुना है प्रणाम दिव्य अति दिव्य आप तो दिव्या अति दिव्य है आप तो सत चिता आनंद स्वरूप हैं प्रभु मेरी प्रार्थना है कि इस वर्ष के रथ यात्रा उत्सव में आपकी विशेष उपस्थिति हो जी जिससे समग्र जगन्नाथ पुरी के वासियों को आपके दर्शन का सौभाग्य मिले जी और रथ यात्रा उत्सव के पश्चात भी आप यहां जगन्नाथ पुरी में ही बसे रहे धन्यवाद प्रभु [संगीत] धन्यवाद नमस्कार [संगीत] सदा संतुष्ट मानस सर्वाह सुख मया देश यदि संतोष पूर्वक जीवन जिएंगे तो सुखी रहेंगे [संगीत] राज धर्म तो आपका लौकिक कर्तव्य है पर आपके आत्म कल्याण के लिए आपको सनातन धर्म के मूल्यों को अपनाना [संगीत] पड़ेगा पिछले 10 महीनों में कई बार जगन्नाथ जी के दर्शन आपके साथ किए हैं और आज वैसे दर्शन अंतिम बार किए 10 महीनों में कभी आपका बहुमानम हुआ कभी आपको अच्छे व्यंजनों का भोजन मिला और कभी तो आप कई महीनों तक केवल वायु भक्षण कर रहे हैं हर परिस्थिति में आप एक समान प्रसन्नता से रहे मैं तो कई बार बहुत व्यथित हो जाता था पर आप तो हमेशा स्थित प्रज्ञ अब आगे हम कहां जाएंगे यहां से पश्चिम दिशा में महानदी है उसे पार करके हम आदि कुर्म पन्ना द्र सिह मानसपुत्र चलेंगे उड़ीसा प्रदेश को लांते हुए नीलकंठ वर्णी ने अपनी कल्याण यात्रा को आगे बढ़ाया आंध्र प्रदेश [संगीत] [संगीत] में [संगीत] [संगीत] [संगीत] मेरे मां-बाप की स्थिति अभी कैसी होगी मेरा मन हमेशा उनकी चिंता में लगा रहता है चलो चलो हम घर वापस चलते [संगीत] हैं तो फिर मुझे जाने [संगीत] दो उनके देहांत तक मैं उनकी सेवा करूंगा और बाद में आपके पास आ जाऊंगा कोई बात नहीं जय रामदास तुम जा सकते हो पर मुझे आपसे सन्मुख रहना है उनके प्रति मेरा मोह मुझे आपसे दूर कर रहा है मैं असफल हो रहा [संगीत] हूं अहम और ममत्व रूपी माया का त्याग करना कोई सरल खेल नहीं है जो तुम ऐसे ही खेल लेते पर तुमने प्रयास तो किया जी भैया और हां जब से तुम्हारे पिताजी ने तुम्हें मुझको सौंपा है तब से तुम मेरे कहलाए [संगीत] हो जी नीलकंठ और जिसे एक बार मेरा संबंध हो जाता है और जो मेरा कहलाता है उसे मैं छोड़ता नहीं हूं और उसमें मैं दिल भर जितनी कसर भी रहने देता नहीं तो चिंता मत करो भविष्य में जब तुम्हें वैराग्य की वृत्ति जाग उठे तब पश्चिम दिशा में गुजरात क्षेत्र में आकर मुझसे मिलना मुझे तुम्हें साधु दीक्षा देकर तुमसे अच्छे कार्य करवाने हैं और तुम्हारा अत्यंतिक मोक्ष भी करना है प्रणाम प्रणाम मुझे भूलिए [संगीत] मत हताश हो या आशावा बल हो या बलवान नास्तिक हो या श्रद्धावन सभी का सर्वोत्तम कल्याण वही तो नीलकंठ वर्णी का धय था अपने मनुष्य अवतरण के इस धय को सिद्ध करने के लिए ही तो नीलकंठ वर्णी ने सन 1792 में अयोध्या से अपनी कल्याण यात्रा प्रारंभ की और कई स्थानों से होते हुए सन 1795 में वे नेपाल प्रदेश के पोखरा तक आए पोखरा से आगे उन्होंने नेपाल के काठमांडू असम प्रदेश के कामाक्षी तीर्थ बंगाल प्रदेश के गंगासागर उड़ीसा प्रदेश के भुवनेश्वर और साक्षी गोपाल आदि स्थानों से होते हुए जगन्नाथ पुरी तक की यात्रा की और जगन्नाथपुरी से दक्षिण में आंध्र प्रदेश में यात्रा करते हुए अब नीलकंठ वर्णी बढ़ चले दक्षिण भारत के सुप्रसिद्ध तीर्थ तिरुपति की [संगीत] ओर [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] आ [संगीत] h