[संगीत] [प्रशंसा] हे फ्रेंड्स ऑफ फैकल्टी ऑफलाइन हिस्ट्री ऑफ दिल्ली टुडे आई वुड लाइक टॉर्च विच मैसेजिंग नामक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन वर्सेस वीपी शांता या 1996 का केस है और ये जो केस है वो मुख्य रूप से मेडिकल neglesias एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट है तो चलिए अब इस केस के फैक्ट इश्यू और जजमेंट पे आते हैं इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के सेक्शन 2 क्लोज़ वैन सबक्लास ओ के डेफिनेशन ऑफ सर्विस पर फोकस किया है कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का उसमें सर्विस को डिफाइन किया गया है तो सवाल यह उठाता है की मेडिकल जो सर्विस सेंटर करते हैं क्या वह सर्विस कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 है या नहीं होता है यह बहुत ही इंटरेस्टिंग केस है इस केस में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जो है वह चाहती है की कोई मेडिकल प्रैक्टिस जो है वो कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में ना आए क्योंकि अगर कोई मेडिकल प्रैक्टिस में प्रोटेक्शन एक्ट के बारे में आता है और उसके बाद अगर उससे कोई भी मेडिकल neglegence हो जाता है तो उससे कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कंपटीशन देना पड़ेगा प्रशांत को और ऐसा जो है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन नहीं चाहती तो इस केस में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जो है बहुत सारे arthkande अपनाती है ताकि कोई भी मेडिकल प्रैक्टिस जो है वो कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में ना आए और वह बहुत सारे कंटेंशन को राज करती है सुप्रीम कोर्ट के सामने और सुप्रीम कोर्ट जो है उन सारे कंटेंशन का जवाब देती है तो चलिए देखते हैं की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जो है कौन-कौन से कंटेंशन सुप्रीम कोर्ट के सामने में रखती है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का पहला कंपटीशन यह होता है की और ऑक्यूपेशन जो है वह दोनों अलग-अलग करता है वह सर्विस जो है सेक्शन 2 क्लोज़ वैन सबक्लास ओ जो है कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का उसके दायरे में आता है लेकिन जो पर्सन प्रोफेशन में इंगेज है वह जो सर्विस रेंडर करता है वह सर्विस जो है वो सेक्शन तू क्लोज वैन सब क्लोज ओ ऑफ कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के नहीं आता है तो क्योंकि मेडिकल practicester जो है वह प्रोफेशन से रिलेटेड है इसलिए उसके द्वारा रेंडर किया गया सर्विस भी कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के सेक्शन तू क्लोज वैन सब क्लोज ओके अमेंडमेंट नहीं आएगा इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट कटी है की यह बात सही है की जब हम प्रोफेशनल लायबिलिटी तय करते हैं तो जो पर्सन प्रोफेशन में इंगेज्ड है और जो पर्सन ऑक्यूपेशन में इंगेज है दोनों की अलग-अलग लायबिलिटी होती है क्योंकि जो आदमी प्रोफेशन में इंगेज्ड है उसे नहीं पता होता है की हर हालत में उससे सक्सेस मिलेगी या नहीं मिलेगी क्योंकि कभी-कभी क्या होता है की सिचुएशन जो होते हैं कुछ आउट ऑफ कंट्रोल हो जाते हैं और हर सिचुएशन जो है वो प्रोफेशनल मैन के कंट्रोल में नहीं होता लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट कहती है की मेडिकल practicester जो है जो मेडिकल प्रोफेशन से रिलेटेड है अगर वह डैमेज देने से इम्यून नहीं हो सकता इसलिए जो सेक्शन तू क्लोज वैन है कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का उसके तहत जो सर्विस को डिफाइन किया गया है उसे सर्विस में मेडिकल के द्वारा किया गया सर्विस भी इंक्लूड होगा इसका जवाब देते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जो है वो दूसरा कंटेंशन आरिस करती है डिफिशिएंसी इन सर्विस को लेकर के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कहती है की मेडिकल practicester जो है उसको आप किस ग्राउंड पे जज कीजिएगा की उसने डिफिशिएंसी इन सर्विस बढ़ती है क्योंकि इंडिया में जो है अभी तक कोई भी फिक्स नो भी नहीं है जो यह डिसाइड करें की मेडिकल प्रैक्टिसिंग जो है वो डिफिशिएंसी इन सर्विस के लिए लायबल है या नहीं है है इसलिए सेक्शन तू क्लोज वैन प्रोटेक्शन एक्ट का जो सर्विस को डिफाइन करता है उसे डेफिनेशन के अंदर जो है मेडिकल प्रैक्टिस के द्वारा रेंडर किया गया सर्विस जो है नहीं आना चाहिए सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के इस अरगुमेंट को खारिज कर देती है और कहती है की सेक्शन 14 क्लोज़ वैन सब क्लोज दी जो है कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का वो कंपनसेशन की बात करता है और कहता है की कंज्यूमर को अगर अपोजिट पार्टी के नेगलिजेंस की वजह से कोई भी लॉस हुआ है या फिर कोई भी इंजरी हुई है तो अपोजिट पार्टी को कंपनसेशन देना होगा इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ये भी कहती है की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यह कहा था की डिफिशिएंसी इन सर्विस को लेकर के या फिर मेडिकल नेगलिजेंस को लेकर के इंडिया में कोई भी स्टैंडर्ड नाम नहीं है तो यह बात गलत है और वॉलिंटियर्स जो है वो फिक्स स्टैंडर्ड नॉर्मल ही है जो यह बताता है की किस कंडीशन में मेडिकल practicesternal को नेगलिजेंट माना जाएगा और किस कंडीशन में मेडिकल practicester को neglegent नहीं माना जाएगा इसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जो है वो तीसरा कंटेंशन आरिस करती है और कहती है की मेडिकल सर्विस जो है वो कॉन्ट्रैक्ट ऑफ सर्विस है यानी की कॉन्ट्रैक्ट ऑफ पर्सनल सर्विस है और कॉन्ट्रैक्ट ऑफ सर्विस जो है वो कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 में जो सर्विस को डिफाइन किया गया है उसे डेफिनेशन से एक्सक्लूडेड है यानी की उसे डेफिनेशन में नहीं आती है इसलिए मेडिकल practicester जो है वो भी कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में नहीं आएगा इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट कहती है की भाई कॉन्ट्रैक्ट ऑफ सर्विस और कॉन्ट्रैक्ट फॉर सर्विस में डिफरेंस होता है फॉर एग्जांपल मास्टर और सर्वेंट का जो रिलेशन होता है वह कॉन्ट्रैक्ट ऑफ सर्विस का एग्जांपल है जबकि मेडिकल practicester और पेशेंट के बीच जो रिलेशन है वह कॉन्ट्रैक्ट फॉर सर्विस का एग्जांपल है इसलिए मेडिकल प्रैक्टिशनर और पेशेंट के बीच का जो रिलेशन है क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट फॉर सर्विस का एग्जांपल है यह इसलिए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के दायरे से बाहर नहीं है यानी की मेडिकल practicester जो है वह कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के दायरे में आएगा इसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जो है वह चौथा कंटेनर राज करती है और कहती है की अगर मेडिकल सर्विस जो है फ्री ऑफ चार्ज रेंडर किया जा रहा है तो क्या वो भी कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के बारे में आएगा तो इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट कहती है की अगर मेडिकल सर्विस पुरी तरह से फ्री ऑफ चार्ज है सभी के लिए तो ऐसे कंडीशन में मेडिकल practicesternal जो है कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में नहीं आएगा लेकिन अगर मेडिकल practicester जो है जो मेडिकल सर्विस सेंटर कर रहा है उसके लिए वह चार्ज ले रहा है सभी लोगों से तो इस कंडीशन में मेडिकल practicester जो है वो कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में आएगा और अगर मेडिकल प्रैक्टिस ने कुछ ऐसी व्यवस्था बना राखी है की वो कुछ लोगों से तो पैसे लेकर के उसका इलाज कर रहा है लेकिन कुछ लोगों को फ्री ऑफ कॉस्ट इलाज कर रहा है जैसे की गरीब लोगों को तो फिर ऐसे कंडीशन में मेडिकल प्रोफेशनल जो है कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में आएगा और यह जो कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का जो दायरा है वो दोनों के लिए है यानी की जिनका वो फ्री में इलाज कर रहा है वो अभी कंज्यूमर कोर्ट जा सकते हैं और जिन लोगों का वो पैसा लेकर के इलाज कर रहा है वो लोग भी कंज्यूमर कोर्ट जा सकते हैं तो इस केस के फैक्ट इस बार जजमेंट यही है आई होप की आपको यह वीडियो इनफॉर्मेटिव लगा होगा अगर वीडियो पसंद आया तो प्लीज वीडियो को लाइक करें हम से जुड़े रहने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और अगर आपको इस केस का पीडीएफ चाहिए तो व्हाट्सएप नंबर कमेंट बॉक्स और साथ ही साथ इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में दिया गया है अब मैसेज करके नोट्स अवेलेबल कर सकते हैं थैंक यू सो मच