गुड इवनिंग एवरीवन एंड वेलकम टू बी बीपीएससी वाला गुड इवनिंग टू ऑल ऑफ यू और आज हम बिहार स्पेशल के इस सेशन में बिहार का भूगोल यानी बिहार के भूगोल के संदर्भ को समझने की कोशिश करेंगे और यह जो हमारा सेशन है परीक्षा के लिहाज से आपको पता है बिहार का भूगोल काफी इंपॉर्टेंट होता भी है और बिहार के भूगोल में थोड़ी समस्याएं भी होती है इसमें जो डाटा हमने इस्तेमाल किया है वह फिजिक्स वाला का जो किताब है जो जो बुक होता है उस डाटा का इस्तेमाल किया है कोशिश यही है कि 95 पर जो डाटा होगा वो बिल्कुल सही होगा बाद बाकी तो क्षेत्रीय डाटा है इसमें डिस्क्रिपेंसी आती है किसी किताब में कुछ मिलेगा किसी किताब में कुछ मिलेगा तो आज हम यहां पर क्या-क्या कवर करने वाले हैं सबसे पहले इस पर बात कर लेते हैं कि हम यहां पर कवर क्या-क्या करेंगे तो देखिए सबसे पहले हम यहां पर कवर जो जो पोर्शन करेंगे उसके बारे में मैं आपको बता देता हूं तो सबसे पहले जो हम यहां कवर करेंगे वो बेसिक्स ऑफ ज्योग्राफी कवर करेंगे यानी जनरल इंट्रोडक्शन ऑफ ज्योग्राफी ठीक है जिसमें बिहार के ज्योग्राफिकल कुछ जो फीचर्स है उसके बारे में जानने का प्रयास करेंगे ठीक है उसके बाद जियोलॉजिकल जो फीचर है बिहार का भूगर्भिक संरचनाएं इस पर बात करेंगे ठीक है जियोलॉजिकल फीचर्स पर बात करेंगे और इसमें पूरे विस्तार से चर्चा करेंगे बिहार के रिवर सिस्टम पर बात करेंगे मतलब क्रम आगे पीछे हो सकता है बिहार के सॉइल्स पर बात करेंगे जो बिहार की मिट्टी है उस पर बात करेंगे बिहार के जो मिनरल्स है यानी खनिज है उस पर बात करेंगे खनिज पर खनिज पर बात करेंगे बिहार के मिनरल्स पर बात करेंगे सेंसस पर भी बात करना है हमको इसमें सेंसस पर उसके बाद जो यह सब जो है बिहार के जो गर्म जलकुंड है यह सब जो है वह सब तो बात करेंगे ही प्रमुख नहर आद्र भूमिया तो वेटलैंड कनाल यह सब जो चीजें हैं इस पर हम बात करेंगे ही गर्म जलकुंड जो है उस पर बात करेंगे इन सब पर बात करना करना ही करना है ठीक है इसके अलावा जो हम बात करेंगे वह हम किस पर बात कर सकते हैं और जो बिहार जो फॉरेस्ट रिपोर्ट है उस पर भी बात करेंगे यह सारा कुछ जो है हम इस वीडियो लेक्चर के माध्यम से सीखने की कोशिश करेंगे और भी ढेर सारी चीजें हैं जो आपको जैसे जैसे आप करते जाएंगे वैसे-वैसे जो है आपको मिलते जाएगा ठीक है तो इतना सारा कुछ आज हम कवर करने की कोशिश करेंगे और कोशिश करेंगे कि इतना सारे कुछ से ही आपका परीक्षा में सवाल आ जाए आपको कुछ और करने की आवश्यकता ना करनी पड़े ठीक है तो सबसे पहले हम बिहार के भूगोल को स्टार्ट करते हैं और सबसे पहले हम इसमें सामान्य जो जनरल परिचय है बिहार का उसको देखने की कोशिश करते हैं सबसे पहले जनरल जो फीचर्स है उसको देखने से पहले हमको क्या देखना चाहिए हमको बिहार जीके में सबसे पहला तो जो बिहार का जो यह मैप है इसके बारे में हमको जानकारी होनी चाहिए और उसी जानकारी के हिसाब से ही हम चीजों को करेंगे ठीक है तो हम मैप में भी चीजों को समझने की कोशिश करेंगे ताकि वह हमको अच्छे से समझ में आ जाए देखिए यह जो देखिए यहां पर बिहार का जो है यह बेसिकली जो है वह भूगोल का पोर्शन है जिसमें हम सामान्य परिचय पर बिहार के सामान्य परिचय पर बात करने वाले हैं ठीक है तो देखिए भारत के संदर्भ में अगर हम बात करें तो हमको क्या दिख रहा है अगर हम भारत के संदर्भ में बात करना चाहते हैं तो हमको बिहार जो है वह पूर्वी भाग में दिख रहा है ठीक है यहां पर हमको बिहार दिख रहा है यानी भारत के पूर्वी भाग में हमको बिहार दिख रहा है और अगर देखा जाए तो बिहार जो है वह बेसिकली तीन राज्यों से बिहार जो है वह बेसिकली तीन राज्यों से अगर हम अपने देश की बात कर रहे हैं तो तीन राज्य यानी उत्तर प्रदेश झारखंड और पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश झारखंड और पश्चिम बंगाल तीन राज्यों से जो है बिहार सीमा साझा कर है और अंतरराष्ट्रीय सीमा की हम बात करें तो बिहार जो है वह नेपाल के साथ सीमा साझा करता है तो अंतरराष्ट्रीय में हम देखेंगे तो बिहार नेपाल के साथ सीमा साझा कर रहा है और अगर हम देखें तो बिहार जो है वह पूरे तरीके से आपको लैंड लॉक्ड कंट्री दिख रहा है इधर से आपको पश्चिम बंगाल झारखंड उत्तर प्रदेश नेपाल इस प्रकार से इसको घेरे हुए कि चारों तरफ से यह स्थलों से ही जो है वह घिरा हुआ क्षेत्र है तो इस संदर्भ को भी हमको समझने की कोशिश करना है अगर हम बिहार के अगर हम बिहार के अक्षांशीय विस्तार की बात करें तो 24 डिग्री 20 मिनट 10 सेकंड उत्तरी अक्षांश से 27 डिग्री 31 मिनट 15 डिग्री 31 27 डिग्री 31 मिनट 15 सेकंड उत्तरी अक्षांश यानी ये उत्तरी अक्षांश में स्थित है यानी ल नॉर्दर्न लटटू में है और लोंगिट्यूड में यह पूर्वी देशांतर में है ईस्ट लोंगिट्यूड में है ठीक है तो अक्षांश देशांतर यह भी हमको थोड़ा सा ध्यान रखना चाहिए तो ये 24 डिग्री से लेकर 27 डिग्री है क्योंकि यही अक्षांशीय विस्तार उसकी जलवायु की कंडीशन को प्रभावित करेंगे और कहीं ना कहीं वही जो हमारा जो लटटू नल जो एक्सटेंट है वह क्लाइमेट को भी इफेक्ट करेगा व वहां के वेदर पैटर्न के साथ-साथ वहां के सॉइल्स को भी इंपैक्ट करेगा तो मिट्टी भी इससे प्रभावित होगी तो इसलिए हमको अक्षांश के बारे में पता होना चाहिए और देशांतर के बारे में भी हमको जानकारी रखनी है वन लाइनर में कभी कुछ पूछ ले तो कौन ही जानता है ठीक है टोटल जो एरिया है वो 9413 किमी स्क्वायर है ठीक है इसको देख लेते हैं वन लाइनर के हिसाब से इसको समझने की कोशिश करते हैं तो देखिए यहां पर 24° 20 मिनट 10 सेकंड से लेकर 27° 31 मिनट 15 सेकंड जो है ये नॉर्थ लटटू पर बिहार का जो ज्योग्राफिकल एक्सटेंट है वो स्थित है अगर हम लोंगिट्यूड के बारे में बात करें तो ईस्टर्न लोंगिट्यूड में यह है और इसका जो विस्तार है इसका जो एक्सटेंट है वो 83 डि से शुरू होकर लगभग 88 डिग्र तक जाता है यह भी अगर आपको आईडिया रहे देखो अब इसमें पूरे तरी तरीके से घुस जाए बीपीएससी वकील बन जाए पीएचडी कराने लगे आपको 83 डि 18 मिनट 51 सेकंड ऐसा करके ऑप्शन दे दे तो वैसे भी थोड़ा सा मुश्किल हो जाएगा लेकिन आपको एक मिनिमम याद रखना चाहिए 24 से 27 और 83 से 88 अब आपको गलत करवाने के लिए ही अगर बीपीएससी पर गया कि आपका ही सवाल गलत करा देगा आपको ही एसडीएम बनने नहीं देगा तब तो कोई उपाय है नहीं फिर ओबवियसली बात है कोई दिक्कत नहीं है फिर तो आप नहीं बन पाएंगे जब इस तरह से उतर जाएगा वो ठीक है तो 83 डि 19 मिनट 50 सेकंड से लेकर 88 डि 17 मिनट 40 सेकंड के बीच जो है वो इसका पूर्वी विस्तार है मतलब पूर्वी देशांतर ये है अगर हम टोटल एरिया बिहार का देखते हैं तो हमको ये 9413 स् किमी दिखता है जिसमें अगर देखा जाए तो लगभग 90 पर के अराउंड तो रूरल एरियाज ही हैं और अर्बन एरियाज जो है वो काफी कम है अगर हम इन दोनों को जोड़ देंगे तो इतना प्राप्त हो जाएगा तो रूरल एरियाज इतना है 92000 समथिंग एंड अर्बन एरिया इज 1905 ठीक है तो बहुत लंबा गैप इन दोनों के बीच में है अगर हम यह सोचे कि देखो भारत का जो टोटल जो क्षेत्रफल है भारत का जो टोटल एरिया है इसमें बिहार का रोल कितना है मतलब बिहार का परसेंटेज कितना है तो इट इज 2.86 पर तो बिहार जो है वह 2.86 पर ऑफ द टोटल एरिया ऑफ इंडिया अगर हम समझने की कोशिश करें अगर हम एरिया वाइज बिहार का रैंक देखें तो आफ्टर द रीऑर्गेनाइजेशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर बिहार इज 12थ लार्जेस्ट स्टेट ऑफ इंडिया ठीक है तो बिहार 12वां याद रखना है ब से ब तो बिहार 12वां है राज्य के हिसाब से अगर हम राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को शामिल कर दें लद्दाख को भी शामिल कर दें तो राज्य और केंद्र शासित प्रदेश यूनियन टेरिटरी को ले लें तो इसका स्थान 13th हो जाएगा ठीक है तो ओनली स्टेट के हिसाब से अगर हम बिहार का रैंक देखते हैं ओनली स्टेट के हिसाब से अगर हम बिहार का रैंक देखते हैं तो वह 13th है और अगर हम यूटी और स्टेट दोनों मिला लेते हैं तो बिहार का रैंक ओनली स्टेट के हिसाब से 12थ है और यूटी और स्टेट दोनों को मिला दें तो फिर इसका रैंक 13 हो जाता है ठीक है अब अगर मैं यह सोचूं कि इसका नॉर्थ से साउथ इसकी लंबाई कितनी है अगर मैं इसको बीच से मान लो ऐसे काट देता हूं ठीक है तो नॉर्थ से साउथ इसकी लंबाई कितनी है तो यह कौन बता पाएगा नॉर्थ से साउथ जो इसकी लंबाई है वो 345 किमी है कितना है 345 किमी है और ईस्ट से वेस्ट अगर देखें तो पूर्व से पश्चिम तक जो इसकी चौड़ाई है जिसको हम कहते हैं जो विड्थ है जो ब्रेथ है दैट इज 483 किमी दैट इज 483 किमी इसको भी हमको समझना है दैट इज 483 किमी ठीक है अब मैं आपका अभिवादन नहीं किया हूं गुड मॉर्निंग गुड इवनिंग तो इसका मतलब यह मत समझिए कि रिकॉर्डेड चल रहा है दिस इज लाइव जैसे पूजा आंसर दे रही है बीपीएससी वाला भी आंसर दे रहा है तो ऐसा नहीं समझ ना है हम यहां पर इसलिए फोकस कर रहे हैं ता ताकि आपका कम समय पर ज्यादा जो है वह कवर होने की कोशिश हो जाए और उसके अलावा यह भी हमारा फोकस है कि अब यह नहीं कि मैच चलने लगा तो चल के भाग गए आपने जिस प्रकार से मैच का सैक्रिफाइस किया उस प्रकार से मैंने भी किया है मैं बहुत ही मैच प्रेमी भी हूं तो ऐसा नहीं है कि हम आपके लिए जब सैक्रिफाइस कर सकते हैं तो आप भी मेरे लिए सैक्रिफाइस कर सकते हैं आप अलग में चला लीजिए लेकिन इस क्लास को ध्यान से सुनते रहिए क्योंकि जो चीज लाइव में होती है फिर उसका मजा रिकॉर्डेड में नहीं आता ये आपको भी पता है ठीक है वो कितना भी बोल लो कि हम रिकॉर्डेड कर लेते हैं कर लेते हैं आपको पता है कितना कर लेते हैं वो वही बात है कि हम उतना ही पीडीएफ पीडीएफ पीडीएफ पीडीएफ चिल्लाते रहते हैं और आपको ही पता है अलुआ पीडीएफ से कुछ होना होना है नहीं ठीक है जिसको पढ़ना होता है वो लाइव पढ़ता है फिर उसके बाद पीडीएफ से रिवाइज करता है ठीक रहा है क्लियर है हां कल्याणी कुमारी आपको जब मैच देखना है तो आप चले जाइएगा कोई बात नहीं ठीक है मैच मैच से मार्क्स आपको परीक्षा में मिलेगा टेंशन नहीं लीजिए आप तो ये सारे चीजों के बारे में हमने आपसे डिस्कस कर लिया समुद्र तट से जो बिहार की दूरी है समुद्र तट से जो बिहार की दूरी है मैप के माध्यम से ही बेसिक इंट्रोडक्शन को पढ़ाने की मेरी कोशिश है तो अगर हम सी कोस्ट से बिहार की दूरी देखें तो वो लगभग कितनी है और बिहार की ऊंचाई कितनी है तो लगभग बिहार से दूरी जो है वो 200 किमी के हिसाब से है और ऊंचाई यानी सी लेवल से जो बिहार की ऊंचाई है वो 173 फीट है या फिर जिसको हम 52.7 मीटर कहते हैं तो यही जो है समुद्र तल से ऊंचाई और समुद्र तल से जो है वह दूरी है ठीक है तो ये भी थोड़ा सा याद रखना है तो 173 ये जो है समुद्र तल से ऊंचाई है 173 फीट ठीक है यह ऊंचाई है क्लियर है ये ज्यादा ही मोटा हो गया या फिर इसको हम कह देते हैं 53 मीटर ऐसा ऊंचाई को कह देते हैं समुद्र तर से दूरी देखने के बात खो जाए तो दूरी को किसम तो किलोमीटर लगभग सी कोस्ट से ये 200 किलोमीटर की दूरी पर जो है वोह बिहार है ठीक है यह चीज याद रखना है औसत वर्षा औसत वर्षा हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण का इस बार का डाटा भी देखना होगा आपको लेकिन औसत वर्षा इस जो है लगभग 112 सेंटीमीटर है यहां पर औसत वर्षा लगभग 112 सेंटीमीटर है ठीक है अब देखिए बिहार के पूर्व में इधर आप देख रहे हैं तो बिहार के पूर्व में तो यहां पर देखिए बिहार के पूर्व साइड में देखो अगर मैं किसी भी मैप को ड्रॉ करता हूं ना तो ऐसे ड्रॉ कर लो और उसके बाद इधर देखो तो इधर मान लो वेस्ट बोल रहे हैं इधर ईस्ट बोल रहे हैं तो हम पूर्व बोल रहे हैं मतलब इधर बोल रहे हैं इधर नहीं ईस्ट है यह नॉर्थ है और साउथ है हमेशा ऐसे ड्रा करोगे तभी आपको दक्षिण पश्चिम दक्षिण पूरब ऐसा बोलेगा तो समझ में आएगा तो मैप को बीच से ड्रा कर लो जैसे बोला नॉर्थ वेस्ट तो यह वाला इलाका नॉर्थ ईस्ट यह वाला इलाका साउथ ईस्ट यह वाला साउथ वेस्ट यह वाला इस तरीके से इसको सोचना है ठीक है तो पूर्व में जो है वो पश्चिम बंगाल है इधर आपको दिख रहा होगा पूर्व में पश्चिम बंगाल है यहां वेस्ट बंगाल है यहां इसके नॉर्थ में नेपाल है इसके साउथ में झारखंड है और इसके वेस्ट में यूपी है यह चीज आपको थोड़ा सा ध्यान में रखना है अब किन-किन डिस्ट्रिक्ट से यह लग रहा है यह भी आपको सोचना पड़ेगा जैसे अगर मैं सोचूं झारखंड को ले लूं ठीक है तो झारखंड कितने डिस्ट्रिक्ट से टच कर रहा है यह अगर मैं सोचता हूं तो आपको क्या-क्या दिख रहा है देखो यहां पे मैप में इसको समझने की कोशिश करना है इधर-उधर क्यों करना है याद तो व से होगा नहीं ना मैप से ही याद हो पाएगा तो झारखंड से लेना है तो इधर से न थोड़ा सा ध्यान से समझना है देखिए यहां पर रोहतास है ये भी थोड़ा सा देखिएगा यहां पर ये झारखंड के साथ टच कर रहा है नीचे में ठीक है रोहतास कर रहा है कैमूर नहीं कर रहा है रोहतास कर रहा है इस चीज का ध्यान रखना है और रोहतास और रोहतास जो है यूपी के साथ भी थोड़ा सा कर रहा है यहां पे ठीक है तो ये जो मैप में थोड़ा सा वैसा दिखेगा आपको थोड़ा सा जो है यूपी के साथ भी कर रहा है तो सबसे पहला रोहतास आपको दिख रहा है जो सीधा-सीधा झारखंड से टच कर रहा है औरंगाबाद आपको दिख रहा है फिर गया दिखता है नवादा दिखता है गया नवादा जमुई दिखता है बांका दिखता है भागलपुर दिखता है और बताइए कटिहार दिखता है कि नहीं तो कटिहार भी दिखता है तो कुल कितने जो बॉर्डर है वह झारखंड के साथ लग रहे हैं तो आप कहेंगे कि झारखंड के साथ आठ लो आठ बॉर्डर शेयर हो रहा है तो झारखंड बराबर आठ यानी आठ डिस्ट्रिक्ट का जो बॉर्डर है व हम झारखंड से शेयर कर रहे हैं ठीक है मतलब बिहार शेयर कर रहा है अगर हम दक्षिण में चले गए अब उत्तर में आते हैं उत्तर को थोड़ा से लिख देते हैं नेपाल जो है वो कितनों के साथ कर रहा है तो नेपाल एक तो सिंपल है पश्चिमी चंपारण के साथ यहां दिख रहा है पूर्वी चंपारण भी नेपाल के साथ यहां सीतामढ़ी है यहां मधुबनी है यहां सुपौल है यहां अररिया है यहां किशनगंज है तो आपको नेपाल दिख रहा है कि सात के साथ जो है वो नेपाल सीमा साझा कर रहा है ठीक है अब हम यूपी देख लेते हैं तो एक मान लो यूपी को मैं ब्लू कलर में लिख रहा हूं तो नेपाल बराबर सात है अब देखो मैप के साथ थोड़ा सा खेलने की कोशिश करना है अब यूपी को ले लेते हैं यूपी में पहला तो पश्चिमी चंपारण है यानी यह याद रखना है कि पश्चिमी चंपारण नेपाल से भी है और यूपी से भी है ठीक है पश्चिमी चंपारण दूसरा गोपालगंज तीसरा सिवान चौथा सारण यहां ध्यान में रखना है सारण भी है ठीक है चौथा जो है वो सारण है यहां पर देखिए भोजपुर भी मिलता है पांचवा भोजपुर है छठा बक्सर है सातवा कैमूर है और आठवा देखिए इस इलाके में रोहतास भी है यानी रोह जो है वो यूपी से भी है और रोहतास जो है वह झारखंड से भी है दोनों के साथ सीमा साझा कर रहा है तो यहां पर पश्चिमी चंपारण और रोहतास पश्चिमी चंपारण यूपी से भी नेपाल से भी ठीक है और रोहतास यूपी से भी और झारखंड से भी यानी दोनों सैंडविच है दोनों में बोलते हैं ना इंटरसेक्शन है जो मैथ्स के टर्म में कहते हैं दोनों में कॉमन है ठीक है तो यूपी भी आठ कितना है आठ ठीक है और इधर अगर हम वेस्ट बंगाल की बात करें तो वेस्ट बंगाल में कटिहार पूर्णिया यहां पर अगर वेस्ट बंगाल देखने की कोशिश करते हैं तो कटिहार यहां पर आपको दिख रहा है वेस्ट बंगाल से कटिहार पूर्णिया और किशनगंज तो देखिए वेस्ट बंगाल का जो कटिहार है वह झारखंड के साथ भी कर रहा है वेस्ट बंगाल का जो कटिहार है वह झारखंड के साथ भी कर रहा है यानी झारखंड भी सैंडविच है और साथ ही साथ जो किशनगंज है किशनगंज किसके साथ कर रहा है नेपाल के साथ भी कर रहा है और पश्चिम बंगाल के साथ भी कर रहा है यानी देखिए अगर हम ओवरऑल को अगर मैं हाईलाइट करूं तो आपको दिखेगा कि देखो पश्चिमी चंपारण ऐसा है साथ ही साथ रोहतास ऐसा है साथ ही साथ कटिहार ऐसा है और साथ ही साथ किशनगंज ऐसा है ठीक है ये चारों जो डिस्ट्रिक्ट है वो सैंडविच है ठीक है मतलब किसी ना किसी दूसरे के साथ भी सीमा साझा करते हैं इतना थोड़ा सा ध्यान में रखना है ठीक है सबसे ज्यादा के साथ कौन करता है उत्तर प्रदेश और झारखंड सबसे कम के साथ कौन करता है तो वेस्ट बंगाल करता है इस चीज को थोड़ा सा मैप में समझने की कोशिश करना है अगर आपसे पूछ दे कि बॉर्डर जो डिस्ट्रिक्ट है वह बिहार में कितना है तो बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट की काउंटिंग आप कैसे करिएगा अगर आपसे यह पूछ दे कि बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट में बिहार में कितने डिस्ट्रिक्ट है बॉर्डर में तो देख लो बॉर्डर में अगर आपको देखने की कोशिश करना है तो काउंट करना सबसे बेहतर है एक है ये दो तीन चार पाच 6 सात आठ 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 यानी 22 जिले ऐसे हैं 22 है 22 ठीक है 22 है अब ऐसे नहीं काउंट कर देना है 8 8 16 7 23 ती 26 यही ऑप्शन दे देगा आपने अभी काउंट किया ये इसमें तो टोटल 26 दिख रहा है यूपी के साथ आठ झारखंड के साथ आठ 16 हो गया 16 के बाद 3 19 और 7 26 ऐसा नहीं कुछ तो आपको पता है ना कि कुछ तो कॉमन भी ये चारों कॉमन भी तो है ना तो एक ही बार तो काउंट होगा दोनों बार काउंट होके 26 हो जा रहा है एक बार काउंट होगा यानी चार हटा दो 26 में से माइनस कर दो चार तो 22 हो जाएगा ठीक है तो 22 जो है वो जो बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट है वो 22 है यह थोड़ा सा ध्यान में रखना है ठीक है नेपाल के साथ जो बिहार की सीमा है वह लगभग कितनी है 729 किमी जो इंटरनेशनल बाउंड्री है ये 729 किमी ठीक है दैट इज 729 किमी इसको भी थोड़ा सा ध्यान में रख खना है ठीक है इसके अलावा सबसे जो ईस्टर्न मोस्ट डिस्ट्रिक्ट है दैट इज नॉट कटिहार दैट इज नॉट पूर्णिया तो ईस्टर्न मोस्ट डिस्ट्रिक्ट इज किशनगंज तो एक्सट्रीम ईस्टर्न में किशनगंज ही है ठीक है सबसे पश्चिम में कौन है मतलब इधर साइड में वेस्ट साइड में तो सबसे पश्चिम में है सबसे वेस्टर्न में है कैमूर ठीक है सबसे उत्तरी तो पश्चिमी चंपारण नॉर्थ में है और सबसे दक्षिणी यानी सबसे सदन टिप पर कौन है तो दैट इज गया दैट इज गया ठीक है अब जो मैं बोल रहा हूं आपको ना ये सारी बातें लिखी हुई है ठीक है अब देखो एक बार सवाल पूछा था बी बीपीएससी ने कि बिहार की कैपिटल पटना कितने जिलों के साथ बाउंड्री शेयर करती है इस प्रकार का एक सवाल बी बीपीएससी ने पूछा तो देख लो बिहार के साथ कितने जिले जो है वो सीमा साझा करते हैं तो इसको काउंट भी आप कर सकते हैं कि पटना के साथ मतलब बेसिकली इसको पटना के साथ अगर काउंट करना हो तो कैसे काउंट कर सकते हैं इसको मैं ऐसे ही रहने देता हूं ताकि आपको रिवाइज करते समय आसान रहेगा अलग ही ले लेते हैं एक नया इमेज तो देखिए ये पटना है अब यहां देखिए एक आपको दिख रहा है इधर से नौ डिस्ट्रिक्ट है कुल हालांकि आप काउंट कर लीजिएगा नौ डिस्ट्रिक्ट जो है वोह आपको दिखेगा कि कहीं ना कहीं ये जो है वो पटना से सीमा साझा करते हैं नौ डिस्ट्रिक्ट ऐसे हैं जो पटना से सीमा साझा करते हैं देखो एक आपको यहां दिख रहा है भोजपुर एक देखिए अरवल एक देखिए यहां पर जहानाबाद एक देखिए नालंदा एक देखिए यहां यह नंबर होगा ना लखी सराय एक बेगू सराय एक समस्तीपुर एक हाजीपुर और एक सारन नौ डिस्ट्रिक्ट तो पटना के साथ नाइन डिस्ट्रिक्ट हैं जो सीमा साझा करते हैं क्लियर है कोई दिक्कत है इसमें आप लोगों ने ज्योग्राफी में जब पढ़ा होगा तो आप लोगों ने एजेज पढ़े होंगे जैसे प्रीकैंब्रियन प्लेस्टोर यह सब ठीक है तो प्रीकैंब्रियन प्लेस्टोर होते हैं ठीक है तो तो मतलब अगर हम जियोलॉजिकल स्ट्रक्चर पढ़ते हैं इंडिया का तो हम उसमें एजेस पढ़ते हैं तो अब मैं एजेस में यहां पर नहीं जाऊंगा नहीं तो क्लास बिहार जियोग्राफी की कम और ज्योग्राफी की ज्यादा हो जाएगी तो देखिए अगर हम सोचे तो बिहार में देखिए देखा जाए तो बिहार का जो रॉक सिस्टम है ठीक है अब हम थोड़ा सा रॉक सिस्टम पर आ रहे हैं यहां तक मेरे हिसाब से कोई समस्या नहीं होगी सारी बातें यहां लिखी हुई है आप जब स्लाइड्स को खोलेंगे ना सारी बातें आपको मिल जाएगी जो मैं बता रहा हूं ठीक है अब देखिए बिहार का जो रॉक सिस्टम है उसमें प्री कैंब्रियन काल से लेकर यानी प्री कैंब्रियन पीरियड से लेकर क्वार्ट जो अगर हम कहे प्लिस्टोीन पीरियड तक जो है तक का जो चट्टान है यह आपको मिलेगा तो प्री कैंब्रियन से प्लिस्टोीन तो यह एजेस है ठीक है तो प्री कैंब्रियन से प्लेस्टोर तक का चट्टान जो है आपको बिहार में देखने को मिलेगा इसमें कोई दिक्कत नहीं है जैसे अगर हम कहे तो अ जैसे अब यहां पर देखिए यहां पर जो डिस्ट्रीब्यूशन है इसको थोड़ा सा समझने की कोशिश करना है यहां देखिए सबसे पहले हम बारी-बारी से आराम से इसमें चलते रहेंगे ठीक है इसमें से बारी-बारी से कैसे चलिए इसको समझ लीजिए देखिए एक होता है आर्कियन युग की चट्टानें एक है आर्कन युग की चट्टानें एक है धार बार क्रम की चट्टानें तो ये सब चट्टानें यहां पर मिलेंगी जिसके बारे में मैं आपको बताऊंगा तो एक आर्कियन क्रम की चट्टाने यहां पर धार बार तो नहीं मिलता है लेकिन आर्कियन म मिलता है या फिर बंधन क्रम की चट्टानें टर्श क्रम की चट्टानें क्वार्टन क्रम की चट्टानें ये सब चीजें आपको बिहार में देखने को मिलेंगी तो धीरे-धीरे हमको अभी उसी के बारे में यहां पर बेसिकली पढ़ने की कोशिश करना ठीक है अब आर्कियन क्रम की चट्टाने बोल दो और आर्कियन क्रम की चट्टाने बहुत लोग बोल रहे हैं सर धारवाड़ क्यों नहीं आर्कम क्रम की चट्टाने जो है उसी को हम दो भागों में बांटते हैं एक आर्कियन क्रम और दूसरा धरवार समूह ठीक है इन सारी चीजों पर बात करते हैं अभी आराम आराम से ठीक है कि कहां पर आर्कियन है कहां पर बंदन है कहां पर जो है वो मैदानी क्षेत्र है इन सारी चीजों पर धीरे-धीरे डिस्कस करेंगे ठीक है क्वेश्चन अभी नहीं बेटा थ्योरी अभी हो मैं आपको बता दूंगा बीपीएस का क्वेश्चन पूछा है ठीक है क्वेश्चन का ए बी सीडी करना है तो उसके लिए बहुत सारे चैनल है वहां पर जाओ वहां पर ए बी सीडी हो रहा होगा तो वहां पर जुड़ जाओ कोई टेंशन नहीं है ठीक है पहले हम लोग थ्योरी पढ़ लेंगे तभी तो हम लोग क्वेश्चन कर पाएंगे नहीं तो ऐ क्वेश्चन करते जा रहे हैं करते जा रहे हैं पता चला थ्योरी पता नहीं है ऐसा हमारा फोकस नहीं है ठीक है अब देखिए आर्कियन क्रम की जो चट्टाने है जिसको हम धावा रॉक्स कहते हैं वो कहां पर पाया जाता है इस इलाके में बिहार में इस इलाके में आर्कियन क्रम की चट्टाने जाती ठीक है देखो तो बिहार की भूगर्भिक संरचना को हम चार भागों में जो है वह डिवाइड करते हैं जियोलॉजिकल स्ट्रक्चर ऑफ बिहार को हम चार भाग में डिवाइड करने की कोशिश कर रहे हैं अब देखो एक है आरकेएम क्रम की चट्टाने और इसी को हम धरवार क्रम की चट्टाने भी कह देते हैं ठीक है धारवाड़ क्रम की चट्टाने इसी को कहते हैं कैसे कहते हैं अभी उसके बारे में सीखिए एक है बंधन समूह की चट्टानें एक है टर्श चट्टानें और एक है क्वार्टन चट्टानें आर्कियन युग की जो चट्टानें हैं वो प्री कैंब्रियन एरा की है प्री कैंब्रियन पीरियड की और जो अ आपका जो क्वार्टन चट्टाने हैं वो कौन सा कौन से हैं तो वो जो है वो प्लेस्टोर की हैं तो इन सारी चीजों को ध्यान में रखना है ठीक है तो आर्कियन क्रम की चट्टानें कहां की हैं आर्कियन क्रम की चट्टाने जो है वो प्री कैंबियन एरा की है और प्लेस्टोर काल यहां पर जो है वो प्लेस्टोर है ठीक है और यहां पर जो है वो इसका जो है वो प्री कैंब्रियन पीरियड है ठीक है प्री कैंब्रियन क्लियर है अब जो है ये अब ये जो क्रम है ना यह इनके एज का भी क्रम है मतलब सबसे पुराना कौन आर्कियन उससे नया बंधन उससे नया टर्स उससे नया क्वार्टन ऐसा ध्यान में रखना है अगर पूछ देगा कि बिहार में सबसे पुराना कौन है तो आर्कन क्रम की जो चट्टाने के अंतर्गत जो आएगा ना वो सबसे पुराना हो जाएगा और सबसे नया कौन है तो सबसे नया ये क्वार्टन चट्टाने जो हो जाएंगी वो सबसे नई हो जाएंगी ठीक है अब एक-एक करके इन चीजों को समझने की कोशिश करते हैं जैसे देखो जब पृथ्वी आपको पता है जब पृथ्वी जो बहुत ही लिक्विड स्टेट में थी बिल्कुल तरल अवस्था में थी और वहां से जब वो धीरे-धीरे जैसे कैसे हलवा जो है हलवा खाए होंगे आप लोग स्टार्टिंग में थोड़ा सा लिक्विड टाइप होता है और जैसे-जैसे ठोस हुआ उसी के समय में रॉक्स का फॉर्मेशन हुआ और उस टाइम पे जो रॉक्स का फॉर्मेशन हुआ उसको हम कहते हैं आर्कियन क्रम की चट्टानें ठीक है उसको हम कहते हैं आर्कियन क्रम की चट्टानें और आर्कियन क्रम की चट्टानें जो हैं यानी आर्कियन रॉक ऑफ द आर्कियन एरा कहा जाए तो ये दो होते हैं एक आर्कियन क्रम और दूसरा होता है आप देख सकते हैं धावा ठीक है तो जब आ आर्कियन क्रम की चट्टानों पर जब इरोजन की प्रोसेस होती है यानी अपर्दन होता है इरोजन रिवर्स के द्वारा इरोजन हो सकता है हवाओं के द्वारा हो सकता है बेसिकली रिवर्स का जब इरोजन हुआ पानी के माध्यम से जब इरोजन हुआ तो उसके बाद धारवाड़ सेल के निर्माण हुआ उसी के बाद धारवाड़ सेल आया इसीलिए हम इसी को इसी के अंतर्गत दो भागों में बांट देते हैं एक आर्कियन और एक धावा ठीक है तो वही लिखा है आर्कियन क्रम की जो चट्टाने हैं द धाड़ वा रॉक ग्रुप्स हैज बीन फॉर्म्ड बाय द प्रोसेस ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन एज अ रिजल्ट ऑफ द रोजन प्रोसेस ऑन द बेसिक रॉक्स ऑफ द आर्कियन ऑर्डर तो आर्कियन जो रॉक्स थे उनमें जब इरोजन हुआ तो उसके बाद धाड़ बर बना अब उसके बात समझिए तो धरावा क्रम की चट्टानें आई यह मान लिया जाए अब उसके बाद कर्नाटक का अगर हम सोचे तो कर्नाटक के इलाकों में इन क्रम की चट्टानों को ज्यादा पाया गया या फिर यहीं पर इन क्रम की चट्टानों की खोज की गई इसीलिए कर्नाटक राज्य के धारवाड़ जिले के नाम पर ही हम धाड़ क्रम की चट्टाने नाम रख दिए हैं और ओबवियसली यहां पर ढेर सारे मिनरल्स पाए जाते हैं ठीक है अब यह सवाल यहां पर आपसे उठ सकता है ठीक है ढेर सारे मिनरल्स पाए जाते हैं ठीक है अब यह सवाल यहां पर उठ सकता है आपसे जैसे मैं आपको दिखाता हूं यह चट्टाने भाई पाए कहां जाएंगे यह सवाल तो आपसे उठ ही सकता है यह जो चट्टान एक मिनट यह जो चट्टाने हैं यह पाए कहां जाएंगे इधर नहीं है फोटो तो कोई बात नहीं इसमें होगा क्योंकि बिना मैप के कोई उपाय नको भवा बझा लो मैंप तो पढ़ पढतो देखि यहां देखो यह वाला जो इलाका है बिहार के साथ अब देखो कंपेरिजन आपको कैसे करना है इस मैप को किसके साथ कंपेरिजन करना है इस मैप पर ही किसको चढ़ा के देख लेना है इस मैप पर ही इसको चढ़ा देना है अब देखना है बगल वाले से ठीक है और अब सोचना है यहां वाला इलाका देखो और यहां वाला इलाका देखो आपको समझ में आ जाएगा कि नीचे वाला इलाका में कौन-कौन सा ऐसा इलाका है जहां पर धरवार क्रम की चट्टाने हैं जैसे बिहार के पश्चिमी पूर्वी भाग विशेष तौर पर कौन सा इलाका हो जाएगा तो विशेष तौर पर जो मुंगेर का इलाका है जमुई का इलाका है ठीक है तो आप इसको कौन सा भाग बोल सकते हैं पश्चिमी पूर्वी मतलब इधर का इलाका भी कुछ है इधर का भी कुछ इलाका है दक्षिण का भी कुछ इलाका मतलब मिक्स अप है यह मामला लेकिन विशेष तौर पर जो है वो कहां पाया जाएगा मुंगेर में जमुई में नवादा में इन सब जगहों पर जो है वह क्या पाया जाता है इन सब जगहों पर पाया जाता है आर्कियन या फिर धारवाड़ क्रम की चट्टाने तो धरवार क्रम की चट्टाने जो सबसे पुरानी क्रम की चट्टाने हैं यह विशेष तौर पर इन क्षेत्रों में ही पाई जाती है कहा गया इस क्षेत्र में अरे इस क्षेत्र में तो यहां क्याक आ जाएगा यहां सोचिए जैसे कौन-कौन सा क्षेत्र आ जाएगा यहां क्याक दिख रहा है जैसे मुंगेर आ जाएगा जमुई आ जाएगा ठीक है गया आ जाएगा नवादा आ जाएगा राजगीर आ जाएगा यह सब ठीक है तो गया आ जाएगा नवादा आ जाएगा नालंदा आ जाएगा ठीक है राजगीर वगैरह आ जाएगा यह सब का क्षेत्र जो है वो इसी में आ जाएगा किसके अंतर्गत आ जाएगा यह क्षेत्र यह क्षेत्र धावा क्रम की चट्टानों के अंतर्गत आ जाएगा ठीक है तो और विशेष तौर पर जो मुंगेर है गया है और यह यहां पर जो जो हमारे गौरव सर का जो डिस्ट्रिक्ट है शेखपुरा यह भी इसी के अंदर आ जाएगा तो गया मुंगेर नवादा नालंदा अ राजगीर नालंदा में ही है शेखपुरा यह सब जगहों पर आपको आर्कियन क्रम की चट्टानें देखने को मिलेंगी ठीक है अब इसका निर्माण भी काल आपसे पूछ दे तो आर्कियन क्रम की चट्टानों का निर्माण सबसे पहले हुआ है ठीक है तो यह मेसोजोईसी एरा के समय इनका निर्माण हुआ है यानी आज से लगभग 22 करोड़ वर्ष पूर्व 22 करोड़ इयर्स पहले ठीक है अब जब हम रॉक्स पढ़ते हैं तो उसमें हम एक रॉक्स सुनते हैं इग्नियस रॉक्स यानी आग्नेय चट्टाने तो आग्नेय चट्टानों का मतलब क्या होता है देखो जब पृथ्वी आपको पता है कोर में बहुत टेंपरेचर है क्रस्ट मेंटल कोर बहुत टेंपरेचर है और वहां से जब लावा निकलता है तो जब लावा ठंडा होता है तो उसके बाद वहां पर चट्टान फॉर्म होगा आपको पता है जब धरती से लावा बाहर निकलता है और उसके बाद जो जो जब लावा बाहर निकल रहा है तो जब वो ठंडा होगा तो कोई भी चीज गर्म है मान लो तरल है तो तो उसके बाद वो सॉलिडिफाईज नियस रॉक तो आर्कियन क्रम की जो चट्टाने है ना वो मेनली इग्नियस रॉक ही है यह जो है यह मेनली इग्नियस रॉक्स है ठीक है और इन चट्टानों में हमको क्या मिलता है जैसे स्लेट जैसे क्जाइए अब्र इन सब जो निक्षेप है वो यहीं पाए जाते हैं तो जैसे मैंने कहा था कि मिनरल्स के हैवी मिनरल्स के सोर्स आपको यहां पर दिखते हैं स्लेट क्वाजा इट फिलाइट अब्र वो यहीं पाए जाते हैं ठीक है तो विशेष तौर पर अगर मैं कहूं तो इधर से भी कुछ मतलब अगर पश्चिमी इसको काउंट कर लेते हैं वैसे बेस बेस बेसिकली दक्षिण पूर्वी भाग में धारवाड़ शमू की चट्टानें मिलती है मतलब अगर आपसे रीजन पूछ दे तो साउथ और ईस्टर्न रीजन आप बोलेंगे ठीक है हालांकि कहीं-कहीं लिख देता कि पश्चिम और पूर्वी दोनों क्षेत्र के कुछ-कुछ हैं लेकिन बेसिकली जो रीजन आप बताएंगे वो क्या बताइएगा साउथ ईस्टर्न पार्ट यानी दक्षिण पूर्वी जो इलाका है वहीं पर यह चट्टानें आपको मिलती हैं ठीक है तो ये चीजें जो है वो यहां पर भी लिखी हुई हैं इसलिए इसमें परेशान होने की आवश्यकता नहीं है तो यहां पर जो है यह सारी बातें जो हैं वो लिखी हुई है कि क्या-क्या पाया जाता है जो मैंने आपको बताया और दक्षिण पूर्वी भाग में जैसे बिहार शरीफ राजगीर जमुई नवादा खरगपुर पहाड़ी इन सब में ज्योग्राफी को पढ़ने का सबसे अच्छा तरीका वही है कि आप मैप में पढ़िए नहीं तो याद उ रहेगा नहीं ठीक है रात को याद किया सुबह को सफा वैसा मामला है जो मैं पढ़ा रहा हूं उसको कमेंट करते रहिए तभी तो पढ़ने का इच्छा रहेगा नहीं तो पढ़ कहीं और रहे हैं मैसेज या किसी को और को रहे हैं ऐसा थोड़ी चलता है क्या पढ़ कहीं और रहे हैं मैसे जिया किसी और को रहे हैं देखिए मेरी बात से जो बी बीपीएससी वाला है वो भी सहमत हो जाएंगे क्या बोलते हैं बीपीएससी वाला पढ़ना भी है और सामने में पढ़ने के साथ-साथ सामने में मैसेज जो है बाद में करना है ठीक है तो इस चीज का भी ध्यान रखना है नहीं तो पढ़ने के साथ-साथ मैसेज आने लग एगा तो कोई फायदा नहीं है ठीक है अब देखिए अगर मैं सोचूं अगर मैं इसका एक्सटेंशन देखूं तो देखिए यह जो यह जो आपने देखा इसका एक्सटेंशन कहां तक है तो इसका एक्सटेंशन बेसिकली पाका तक है मतलब आर्कियन क्रम की चट्टानों का लास्ट एक्सटेंशन जो है वह बांका तक है इसको भी थोड़ा सा ध्यान में रखना है ठीक है यहां पर देखिए एक खड़कपुर की पहाड़ी है यह मुंगेर में है देखिए खड़कपुर बंगाल में है लेकिन यह पहाड़ी मुंगेर में है इसका नाम है खड़कपुर की पहाड़ी ठीक है यह खड़कपुर की पहाड़ी जो है वह मुंगेर में है यह आर्कियन क्रम की चट्टानों में ही शामिल होती है और इसीलिए मैं आपको कह रहा हूं कि खड़कपुर की पहाड़ी जो आर्कन क्रम की चट्टान में है या धारवाड़ क्रम की चट्टाने बोल लीजिए ये सवाल एक बार बी बीपीएससी में पूछा गया किसी ने पी बा क बनाया होगा तो सवाल यही था क्या सवाल यही था कि इनमें से सबसे पुराने क्रम की चट्टानें कौन सी हैं ठीक है या फिर ऐसा ही कुछ सवाल था मुझे को सवाल एगजैक्टली याद नहीं है तो उसमें क्या हो जाएगा जो हो जाएगा खड़कपुर की चट्टाने क्योंकि ये सबसे पुराना है क्योंकि ये धारवाड़ या आर्कन क्रम की चट्टानों के अंतर्गत शामिल होता है तो सबसे पुराना धारवाड़ ही है या फिर आर्कियन है उसके बाद जो है वो विंध्यान है उसके बाद जो है वो अन्य चट्टानों का नंबर जो है वो उसके बाद आता है ठीक है तो सबसे पहले हमको जो है वो धारवाड़ पढ़ लेना है फिर बंधन फिर टर्श और देन क्टिन ठीक है ऐसा मामला है ठीक है तो इसको मैंने टेबल बनाकर भी आपको देने का प्रयास किया है ताकि आपको यह आसानी से समझ में आ जाए तो जैसे धारवाड विंध्यान सबसे पुरानी अगर बात करें तो सबसे पुराना कौन सा है धारवाड सबसे पुराना यही है फिर नया फिर नया और सबसे नया ठीक है तो ये वाला पोर्शन हमारा जो है वो पूरा हो गया अब हम अगला चलते हैं यहां पर देखते हैं विंध क्रम की चट्टानों के बारे में ठीक है वंधन क्रम की चट्टानें जैसा मैंने आपको बताया था आगे तो यह देख लेते हैं खड़कपुर की पहाड़ी तो खड़कपुर की पहाड़ी का क्षेत्रफल जो है वह 1300 किमी है इसकी ऊंचाई जो है वोह 450 मीटर है यहां ग्रेनाइट सेल स्लेट और क्वाड जाइड चट्टानें पाई जाती हैं यह आर्कियन क्रम की चट्टानें या धर्बर क्रम की चट्टानों के अंतर्गत आता है और साथ ही साथ यह भी याद रखना है खड़कपुर के बारे में कि खड़कपुर जो हिल है ये पूछा था सवाल बीपीएससी ने तो इस पर इसीलिए मैंने आपको दो-तीन इंफॉर्मेशन एक्स्ट्रा दे दिया वहां पर तो केवल इसके एजेस के बारे में पूछा गया था कि यह जो है किस क्रम की चट्टाने के अंतर्गत है ऐसा कुछ पूछा था लेकिन मैंने थोड़ा सा और भी जानकारी आपको इसमें दे दी ठीक है अब देखना है हमको विंध समूह की चट्टानें ठीक है तो कटप्पा को किसने मारा भाई तो विंध समूह की जो चट्टाने हैं वो कैसे है तो दक्षिण भारत में कडप्पा क्रम की चट्टान अगर हम इंडिया में ऑर्डर देखिएगा ना तो इंडिया में आरकेएन के बाद कडप्पा है बिहार में नहीं इंडिया में सोचेंगे तो इनके इंडिया में आरकेएन के बाद कडप्पा है और कडप्पा के बाद जो है वह विंध्यान है इंडिया में लेकिन बिहार में तो भाई है ही नहीं कडप्पा कडप्पा क्रम की चट्टाने कहां पाई जाती है आंध्र प्रदेश में ठीक है उसके बाद भारत में विंधमगंज क्रम की चट्टानें कहां पाई जाती हैं तो विंध क्रम की चट्टाने पाई जाती हैं कैमूर और रोहतास में कहां पर तो विंध क्रम की जो चट्टाने हैं वह कहां पाई जाती जाती हैं यह पाई जाती है कैमूर और रोहतास में तो एक बार मैप में ऐसे खींच लेने का ऐसे खींच लेने का और सोचने का यहां पाया जाता है मतलब यह कौन सा डि कौन सा डायरेक्शन हुआ तो यह होता है वेस्ट यह होता है ईस्ट यह होता है साउथ और यह होता है नॉर्थ यानी अगर सवाल पूछ दे कि विंध क्रम की चट्टाने किस दिशा में पाई जाती है ऐसा करके तो साउथ वेस्टर्न इलाका कैमूर और रोहतास में साउथ वेस्टर्न दैट इज कैमूर एंड रोहतास ऐसा करके भी पूछ दे तो इसको थोड़ा सा ध्यान में रख है ठीक है कैमूर और रोहतास में पाया जाता है बंधन क्रम की चट्टाने जो हैं ये जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बंधन क्रम की चट्टाने है ना उसी का पूर्वी विस्तार बिहार के पश्चिमी क्षेत्र में है अगर देखिए इसको ऐसे समझिए अगर इसको ऐसे समझिए अगर हम इसको मैप को सोचते हैं तो जो एमपी का और जो यूपी का इनका जो पूर्व साइड है ना ये देखिए ये तो पूरब भी है ईस्ट साइड तो एमपी और यूपी का ठीक है एम एपी और यूपी का जो पूर्व साइड है और बिहार का जो पश्चिमी इलाका है वहीं पर यही एमपी और यूपी का जो विंध क्रम है यही बिहार के पश्चिमी क्षेत्र में है जिसको हम कैमूर का पठार कहते हैं ठीक है तो बंधन क्रम की चट्टान ऐसे ही है यही एमपी और यूपी का पूर्वी भाग बिहार के दक्षिण पश्चिम भाग में आ गया है ठीक है तो ऐसा ही मामला है कुछ इसमें ठीक है तो वही लिखा हुआ है कि भारत में विंध क्रम की चट्टानों का विकास हुआ और भारत में विंध क्रम की चट्टान बिहार में दक्षिण पश्चिमी रोहतास और कैमूर जिलों में पाई जाती है इसको थोड़ा सा ध्यान रखना है अब देखिएगा मध्य प्रदेश द रॉक्स ऑफ़ द बंधन सरीज फाउंड इन मध्य प्रदेश एंड उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जो विंध क्रम की चट्टानें पाई जाती हैं उसी का उसी का ईस्टर्न जो एक्सटेंशन है वह बिहार के वेस्टर्न रीजन में है उसी का ईस्टर्न एक्सटेंशन इज इन द वेस्टर्न रीजन ऑफ द बिहार व्हिच इज कॉल्ड एज द कैमूर प्लेटो उसको कैमूर का पठार हम कहते हैं ठीक है अब कैमूर के पठार के बारे में थोड़ा सा हमको जानना चाहिए क्या है क्यों नहीं जानेंगे इच्छा है जानने की जान ही लेते हैं ठीक है एरिया इज 1280 स्क्वा किमी ठीक है एरिया इज 1280 वर्ग स्क्वायर किमी तो इतना जो है अगर याद रहा तो ठीक है ये तो नीचे में वही पुरानी बात कह रहा है कि धारवाड़ युग का कंपेज कर रहा है ठीक है तो धारवाड़ युग की चट्टानों के बारे में बात कर रहा है तो गया नवादा इन सब के बारे में बात कर रहा है तो ये यहां पर इसका वैसा को रेवेंस नहीं है ठीक है तो नीस और ग्रेनाइट भी यहां पाए जाते हैं वही यहां पर बता रहा है कि नीस और ग्रेनाइट भी धारवाड़ युग की चट्टानों में पाए जाते हैं जो हमने ऑलरेडी पढ़ लिया ठीक है अब देखिए यहां पर क्या है तो यहां पर लाइम स्टोन चूना पत्थर इन सबके लिए बड़ा फेमस है ये ठीक है अब चूना पत्थर के कारण वहां पर सीमेंट उद्योग का भी विकास यहां पर काफी ज्यादा होता है तो चूना पत्थर हो गया पायराइट हो गया ठीक है यहां पर कांच के निर्माण के लिए बालू और पत्थर पाए जाते हैं ठीक है तो रोहतास और जो कैमूर जिला है यहीं पर है सोन नदी की घाटी यहीं पर है इसी जिले के पास है इसी जिले में है सोन सोन रिवर वैली इसी जिले में सोन रिवर वैली है और यहां पर जो है वो क्या पाया जाता है यहां पर बालू और चूना पत्थर पाया जाता है ठीक है तो यहां पर बालू और चूना पत्थर हम पाते हैं इसी जगह पर सन रिवर सोन वैली सोन नदी घाटी यहीं पर है और जब हम रिवर्स पढ़ेंगे तो देख भी लेंगे तो सोन नदी घाटी यहीं पर है और यहां पर क्या पाया जाता है चूना और बालू पत्थर ठीक है अगर आपको फिर भी मैप में देखने की बड़ी तीव्र इच्छा है तो वो मैप को भी दिखा देते हैं देखो यहां है ये देखो है सून रिवर ठीक है सोन रिवर है मैप्स ऑफ इंडिया का मैप है सोन रिवर जो है वो यहां पर आपको दिख रही है तो ये जो सोन रिवर का जो वैली है यहां पर आपको भ कैमूर और रोहतास दिख रहा है तो सोन रिवर का जो वैल्यू है यहां पर बालू और पत्थर पाया जाता है चूना और बालू पत्थर पाया जाता है ठीक है और बिहार में याद रखिएगा चूना पत्थर का एकमात्र स्रोत यही है जो यह विंध रेंज है ठीक है तो विंध रेंज ही बिहार में एकमात्र चूना और बालू पत्थर का स्रोत है इसको भी हमको ध्यान में रखना चाहिए ठीक है तो यह भी हमको ध्यान में रखना होगा ठीक है सीमेंट उद्योग के लिए भी फेमस है यह सारी बातें जो है लिखी हुई है आपको परेशान होने की नहीं जरूरत है हम तो आपको मैप से बता रहे हैं सारी बातें इसमें लिखी हुई है जब मैप इसको पढ़िए जब पी पीडीएफ पढ़िए तो जब पीडीएफ आप पढ़िए तो सर प्लीज रिप्लाई चलिए रिप्लाई कहां से करें सर पलीज रिप्लाई रिप्लाई गायब हो गया जब पीडीएफ पढ़िए पीडीएफ प पीडीएफ तब मिल जाएगा समझ गए क्लियर है अब इतना तो आप लोग जानते ही थे तो फिर हम कहे आए हैं आपको पढ़ाने इतना तो आप जानते ही थे भाई ठीक है तो ये दक्षिण पश्चिम बिहार कैमूर एवं सोन नदी घाटी रोहतास में ये है और यहां पर चूना पत्थर वगैरह मिलता है ठीक है तो फिर हम कहे आपको यहां पर बताने आए हैं देखिए और कुछ आपको बताते हैं यहां पर देखिए इस इलाके में यहां बालू पत्थर वगैरह आपको दिख रहा है यहीं पर अगर सोचिए ग ना तो अ विंध क्रम की चट्टानों को हम दो भाग में बांटते हैं एक होता है लोअर बंधन ग्रुप और एक होता है अपर बंधन ग्रुप दो भाग में हम इसको डिवाइड कर देते हैं ठीक है निम्न वंधन क्रम की चट्टानें जो हैं उसके अंतर्गत यहां पर सिमरी क्रम की चट्टानें हैं ठीक है ध्यान रखिएगा तो हम विंध क्रम की चट्टानों को दो भाग में बांट देते हैं ठीक है एक लोअर और एक अपर ठीक है एक लोअर और एक अपर तो जब हम लोअर की बात कर रहे हैं तो एक हो गया निम्न विंध समूह की चट्टानें और एक हो गया अपर विंध ग्रुप की चट्टानें लोअर वाले में सेमरी क्रम का जो चट्टान है वो आता है यानी जो सेमरी जो रॉक सीरीज है वो इसी के अंतर्गत आता है और यह उत्तरी जो रोहतास के ऊपरी क्षेत्रों में पाया जाता है यानी अगर हम ये रोहतास देखते हैं तो इसके उत्तरी क्षेत्रों में जो है यह पाया जाता है उत्तर वाला इलाका में तो देखो ये सेमरी क्रम की चट्टाने यहां मिलती हैं सेमरी और निम्न विंध क्रम के बारे में अंदर बात कर रहा हूं सेमरी क्रम की चट्टानें मिलती है तो ये सेमरी क्रम की चट्टानें रोहतास के उत्तरी इलाकों में है और यह क्षेत्र जो विशेष तौर पर चूना पत्थर के लिए जाना जाता है यानी सीमेंट उद्योग के लिए जाना जाता है फॉर द लाइम स्टोन एंड सीमेंट इंडस्ट्रीज ठीक है इसके अलावा जो है अब यह तो निम्न ब बंधन हो गया ऊपरी बंधन जो है ऊपरी बंधन जो है वो क्षेत्र कहां पर है ऊपरी बंधन वाला क्षेत्र वही स्न वैली वाले इलाके में ऊपरी बंधन समूह की चट्टानें हैं तो ऊपरी बंधन समूह की चट्टाने जो हैं वह सोन वैली वाले इलाके में सोन घाटी के बीच ये अवस्थित है कैमूर और रोहतास जिले में यहां पर क्या मिलता है तो यहां बालू पत्थर क्वाट जाइड्स कंग्लोमेरेट इस प्रकार के मिनरल्स जो है वो यहां पर पाए जाते हैं ठीक है तो यहां पर यह मिलता है और निम्न बंधन में बेसिकली लाइम स्टोन मिलता है और यह रोहतास के ऊपर में इलाके में होता है ठीक है रोहतास में ही अगर हम सोचे तो रोहतास के अमझोर एवं बंजारी में पायराइट की 60 से 90 सेंटीमीटर मोटी तह पाई जाती है तो पायराइट की 60 से लेकर 90 सेंटीमीटर की मोटी जो तह है मोटा जो लेयर है यह कहां पाया जाता है यह पाया जाता है रोहतास के आम छोर और बंजारी इलाके में अब हमारे मन में यह सवाल हो सकता है कि व्हाट इज द यूज ऑफ दिस पायराइट व्हाट इज द यूज ऑफ दिस पायराइट तो फ्रॉम दिस पायराइट वी कैन मेक सल्फ्यूरिक एसिड h2so 4 और पायराइट के मामले में बिहार अग्रणी राज्य है बिहार में लगभग 75 पर जो है वह पायराइट का उत्पादन किया जाता है तो बिहार इज द लीडिंग स्टेट वेयर 75 पर ऑफ द कंट्रीज पायराइट इज प्रोड्यूस्ड तो बिहार एक ऐसा लीडिंग स्टेट है जहां पर 75 पर ऑफ द पायराइट्स इज प्रोड्यूस्ड ठीक है इसको याद रखेंगे आप लोग याद रहेगा अब देखिए यहां पर जो बंधन समूह की जो चट्टानें हैं उनका एक हिस्टोरिकल इंपॉर्टेंस भी है क्योंकि इन चट्टानों से हमने सासाराम आगरा दिल्ली जयपुर इन सब का जो हमारा जो हिस्टोरिकल जो मनु मेंट है वह इन्हीं सब चट्टानों की मदद से बनाया गया है सारनाथ साची का बौद्ध स्तूप यह सब जो है ना यह कहां से बना है इन्हीं क्रम की चट्टानों से मदद लेकर वहां पर जो है लाइम स्टोन वगैरह की जरूरत से वहां पर चीजें बनी है ठीक है तो इसको भी थोड़ा सा ध्यान में रखना है यह बातें भी यहां लिखी हुई है यह बातें भी यहां पर लिखी हुई है रहेगा समझ में आ रहा है कि मैच वे बुझा रहा है सबको पवन उपाध्याय कह रहा सर रुचिता का रिप्लाई दे दीजिए समाज सेवा प्रकार पांचवा ये समाज सेवा प्रकार पांचवा नबर प्रकार है हालांकि समाज सेवा में एक नंबर प्रकार दो नंबर प्रकार तीन नंबर प्रकार चार नंबर प्रकार ऐसे ऐसे होता है य समाज सेवा नंबर प्रकार पांचवा है पाचवा लेवल का ठीक है ठीक बात दे देते हैं आदेश दिए हो चलो क्लास में एक काम हमेशा करना छोड़ दीजिए वो क्या है एक काम जो क्लास में आपको नहीं करना चाहिए था पज समाज सेवा क्लास के बाहर सोशल सर्विस आफ्टर क्लास ठीक है टर्श चट्टाने टर्श रॉक्स ठीक है टर्श रॉक्स तो हिमालय जो हम बोलते हैं ना तो टर्श युग में ही हिमालय का उत्थान भी हुआ है और इसी को हम टर्श अरी पीरियड भी बोल देते हैं या टर्श एरा भी बोल देते हैं ठीक है और इसी काल में विश्व का जो सबसे नवीन वलित पर्वत है जो फोल्ड माउंटेन है ठीक है जो फोल्ड माउंटेन है उसका निर्माण इसी काल में हुआ है बोलते हैं ऐसे ऐसे जो जो ढेर सारे डिपोजिशन थे उसमें इधर इधर से इधर प्लेट आई और इधर से हिमालय का निर्माण हो गया यह सब आप लोगों ने पढ़ा होगा तो उस पर मैं नहीं जा रहा ठीक है तो मैं अगर थोड़ा सा आपको अगर हिमालय का शर कराऊं आगे है थोड़ा सा व शर तो हालांकि आगे है लेकिन मैं करा ही देता हूं आपको यह देखिए यहां पर आपको जो य हि दिख रहा है मतलब ये मैप मामला है मैप का ये जो रेड वाला पोर्शन आपको दिख रहा है ना यह वाला रेड वाला पोर्शन इसको हम बोलते हैं बृहद हिमालय ठीक है ये जो मिडिल वाला है मिडिल वाला हिमालय और ये जो नीचे वाला आपको दिख रहा है दैट इज शिवालिक ठीक है तो वृहद हिमालय मध्य हिमालय और शिवालिक हिमालय इसके बारे में तो आप जानते होंगे इस वृहद यानी रेड वाले के ऊपर जो है जो आपको के दिख रहा है काराकोरम लद्दाख और जास्कर ये रेड वाले के जो ऊपर है उसको हम कहते हैं ट्रांस हिमालय इसको क्या कहते हैं ट्रांस हिमालय यानी हिमालय के पार दैट इज ट्रांस हिमालय ठीक है अब यह वाला जो है ना यह वाला जो नीचे वाला शिवालिक है शिवालिक का जो पार्ट है ना वो आपको दिखता है उसी का प्रभाव आपको दिखता है बिहार के क्षेत्रों में ठीक है और कुसी नदी का जो क्षेत्र हो जाता है ना इसके बाद ये पूरे तरीके से विलुप्त अवस्था में आ जाता है मतलब विलुप्त अवस्था कहने का मतलब है कि उसके बाद जो है यहां पर देखिए आप यहां पर देख रहे होंगे आप कि जो मध्य हिमालय है और जो शिवालिक है वो मिल गया ग्रीन वाला और जो नीचे में ब्लू वाला है ना वो यहां पर मैच खा गया है मतलब ये एक साथ हो जाता है तो पता ही नहीं चलता ठीक है लेकिन बेसिकली शिवालिक का जो प्रभाव है वह आपको बिहार में पश्चिमी चंपारण के इलाके में देखने को मिलता है यानी बिहार के मतलब हम कह सकते हैं चंपारण जिले के उत्तरी सीमा पर इसका प्रभाव आपको देखने को मिलता है शिवालिक का एक हिस्सा इधर पूर्णिया में भी समझ में आता है पूर्णिया साइड में ठीक है उन सब चीजों पर ही हमको बात करना है तो ये हमारा जो है वो हमने देखा यह हिमालय के बारे में थोड़ा सा आगे भी हम हिमालय के बारे में थोड़ी सी और बातें देखेंगे लेकिन पहले हम अपने काम पर आते हैं जो हमारा काम है यहां लिखा हुआ है हिमालय पर्वतमाला का दक्षिणी भाग जो हम शिवालिक कह रहे हैं बिहार के चंपारण जिले की उत्तरी सीमा पर जो है वह इसका प्रभाव देखने को आपको मिलता है बिहार के चंपारण की उत्तरी सीमा पर आपको इसका प्रभाव देखने को मिलता है इधर साइड में जो है वो आपको इसका प्रभाव देखने को मिलता है ठीक है तो इसी हम यही इलाके को हम कहते हैं पर्वत पादी यानी पर्वत के नीचे वाला इलाका पर्वत के पैर वाला इलाका पर्वत पादी है मतलब पर्वत का पाद मतलब पांव पैर ठीक है पर्वत पादी इलाका हिंदी में इसको ऐसे ही कहते हैं ठीक है शिवालिक का एक हिस्सा हमको पूर्णिया जिले में भी दिखाई देता है जिसकी चट्टानें तृतीय युग के अंतिम चरण में बनी थी यह मुख्य रूप से अवसादी चट्टाने हैं सेडिमेंट्री रॉक्स हैं तो एक इग्नियस रॉक एक सेडिमेंट्री रॉक्स तो यह जो शिवालिक का जो प्रभाव है ना वहां पर भी दिखता है इसका ठीक है शिवाली का प्रभाव पूर्णिया के क्षेत्र में भी देखने को आपको मिलता है ठीक है अब देखिएगा तो इन चट्टानों में मुख्य रूप से बलुवा पत्थर जो सैंड स्टोन है जो बॉर्डर्स है जो बड़े-बड़े शिलाखंड है पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार जो है वो आपको इन चट्टानों में मुख्य तौर पर आपको देखने को मिलते हैं ठीक है तो हम अब जो है वो कहां चले गए हैं टर्स चट्टानों में और टर्श चट्टान कहां पर देखने को मिलता है वही बिहार के जो आपको चंपारण वाले जो इलाका है उधर यानी पर्वतीय क्षेत्रों से जुड़ा हुआ जो इलाका है वहां पर आपको टर्श क्रम की चट्टानें देखने को मिलती है ठीक है तो तीन क्रम की चट्टानें हो गई चौथी क्रम की चट्टानें जो है वो क्वार्टन क्रम की चट्टानें हैं क्वार्टन क्रम की जो चट्टानें हैं वो कहां देखने को मिलती है क्वार्टन क्रम की जो चट्टाने हैं वो देखने को मिलती है यानी क्वार्टन जो जो सिस्टम है वह आपको मैदानी इलाकों में देखने को मिलता है मैदानी इलाकों में ठीक है तो अगर देखा जाए तो यह जो है सबसे नवीन क्रम की चट्टाने हैं सबसे नया है सबसे पुराना आरकेएम फिर उसके बाद विंध फिर उसके बाद टर्श और फिर उसके बाद क्वार्टन क्रम की चट्टाने हैं ठीक है तो जो बिहार का मैदानी इलाका है जो 95 पर जो इलाका बिहार का मैदान भाग है उसमें यह चट्टाने जो है वह पाई जाती हैं और यह चट्टाने किस क्रम की है किस आयु की है तो प्लेटो सन काल की है यह चट्टाने सबसे नई है और प्लेस्टोर की य चट्टाने हैं और इसीलिए हम इनको क्वार्टन चट्टानों भी चट्टान भी कहते हैं ठीक है क्लियर है तो यह जो चीज है यह हम ऐसे समझ सकते हैं इसको अगर हम मैप के में के में देखने की कोशिश करें तो आपको कैसे दिखेगा देखो यहां देखिए यहां अगर आप देखिएगा तो यह जो यह वाला जो इलाका आपको दिख रहा है देखिए यह वाला इलाका है यह वाला इलाका जो है वह कौन सा इलाका है यह क्वार्टन चट्टान है यानी यह मैदानी भाग है यही क्टन वाला जगह है ठीक है जो 95 पर है बिहार के क्षेत्र में यानी हम ऐसा भी कह सकते हैं कि जो कॉटन चट्टाने हैं वो सबसे नई चट्टाने हैं बिहार के मैदानी भाग में है 95 पर भाग में यही समूह की चट्टानें और मैदानी क्षेत्र जो है वह पाया जाता है ठीक है और इसका संबंध जो है वो प्लेस्ट सन एरा से है प्लिस्टोीन एरा यह भी थोड़ा सा ध्यान में आपको रखना पड़ेगा ठीक है तो अगर सोचा जाए तो जो टर्श एज में जो बनी है जो हिमालय क्षेत्र मतलब जो पर्वतीय क्षेत्र ये टर्श है और एक जो इधर प्री कैंब्रियन एज है आर्कियन चट्टाने तो मैंने बताया था ना प्रीकैंब्रियन से प्लेटो सन काल बताया है तो बिकन मतलब सबसे पुराना आर्कियन वाला और प्लेटोस मतलब सबसे नया तो ये टर्श और जो प्लेस्टोर सियरी जो आप कह सकते हैं जो दक्षिण पश्चिम भाग है सॉरी उत्तर पश्चिम भाग है चंपारण का क्षेत्र और नीचे नीचे वाला है आर्कियन समूह जो प्लेस्ट सन का है तो साउथ वेस्ट पार्ट साउथ वेस्ट कह रहा हूं बारबार नॉर्थ वेस्ट पार्ट और नीचे प्लस सन एरा इनके बीच में जो चट्टाने हैं इन चट्टानों को हम क्या कहेंगे इन चट्टानों को क्वार्टन क्रम की चट्टाने या मैदानी भाग कहेंगे क्लियर है समझ में आ रहा बात बफरिंग हो रहा है बीच बीच में काहे भवा बफरिंग काहे होगा हमरा तो ना बुझाओ ज बफरिंग हो रहा है हमको तो नहीं बुझा रहा है यह आपको मैदानी भाग इसका एक टेबल आपको मैंने यहां दे दिया है उस टेबल को आप फॉलो कर सकते हैं तो टर्श है पश्चिमी चंपारण सोमेश्वर पहाड़ी क्वाटर जो है वह बिहार का मैदानी भाग है इस प्रकार से एक टेबल दे दिया मैंने वो आप को देखिएगा आपको समझ में आ जाएगा आर्कियन क्रम की चट्टाने धार क्रम की चट्टाने यह आपको प्लेस्ट सन काल की है और यह जो है सॉरी यह आपको प्री क्रियन की है और यह प्लेस्ट काल की है प्री कमन सबसे सबसे पुराना वाला और प्लेस्ट सबसे नया वाला ठीक है इस तरह से इन चीजों को थोड़ा सा ध्यान में रखने की आवश्यकता हैर है अब जो है वह हमको क्या देखना है बिहार का भौतिक विभाजन अब जो है व हमको देखना है बिहार का भौतिक विभाजन बिहार के भौतिक विभाजन को जब हम देखने जाने की कोशिश करेंगे तो देखि यह बिहार का भौतिक विभाजन है और बिहार के भौतिक विभाजन में सुमेश्वर श्रेणी रामनगर दून और दून घाटी ठीक है और इधर मैदानी उत्तरी गंगा का मैदान दक्षिणी गंगा का मैदान और इधर पठार में धारवाड़ चट्टाने और वियन चट्टाने इनके बारे में हमें आराम आराम से समझने की कोशिश करनी है ठीक है इनके बारे में आराम आराम से समझने की कोशिश हमको करते रहनी है और समझना है कैसे ये जो है वो चीजें बनी हुई हैं यहां पर देखिए अंग्रेजी में भी लिखा हुआ है और इधर देखिए यहां पर जो है वो सोमेश्वर श्रेणी आपको दिख रहा है उसके बाद दून घाटी है और तीसरा में रामनगर दून है तो क्रम भी कुछ ऐसा ही है जब हम भौतिक विभाजन पढ़ेंगे तो जो हमारा तराई क्षेत्र है या पर्वतीय क्षेत्र है इसमें सबसे ऊपर सोमेश्वर फिर बीच में रामनगर इ दून बीच में दून और फिर तीसरे में रामनगर ऐसे ही क्रम में हम इन चीजों को भी पढ़ने की कोशिश करेंगे ठीक है प्राकृतिक तौर पर विभाजन कुछ इसी प्रकार का है ठीक है अब अगर हम पर्वतीय तराई क्षेत्र को देखने की कोशिश करते हैं तो सबसे पहले हम पर्वतीय या तराई क्षेत्र में ही आते हैं ठीक है तो यहां पर देखिए जो पर्वतीय या तराई क्षेत्र है यानी हम यह वाला चीज पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं सबसे पहले हम इसको कंप्लीट करेंगे फर्स्ट वाले को इसको करेंगे फिर इसको फिर इसको देन वी विल मूव अहेड विद दिस तो हमारा पहला जो है वो ये है ठीक है इसमें पहले वाले में जो यह है इसमें हम कैसे कर रहे हैं तो देखिए यह तराई क्षेत्र है या पर्वतीय क्षेत्र है ये कौन सा इलाका हम मान रहे हैं यह वाला इलाका हम मान रहे हैं यह वाला यह वाला बोल सकते हैं आप ठीक है यहां पर आपको मैप में भी दिख रहा है यह वाला ठीक है तो इस क्षेत्र को जो तराई क्षेत्र है इसको हमने बेसिकली तीन भाग में बांटा है एक सोमेश्वर श्रेणी एक दून घाटी और एक रामनगर दून तो थोड़ा सा उसी के बारे में बेसिक इंफॉर्मेशन लेने की कोशिश करते हैं देख कह रहा है कि पर्वत श्रेणी और तराई क्षेत्र यह बिहार के उत्तर पश्चिमी भाग यानी पश्चिमी चंपारण जिले में इसका प्रभाव देखने को मिलता है इसका विस्तार जो है वो 93 वर्ग किलोमीटर में है मतलब इस तराई क्षेत्र का हम पूरे तराई क्षेत्र के बारे में अभी बात कर रहे हैं इंडिविजुअल नहीं बात कर रहे इंडिविजुअल आगे बात करेंगे सोमेश्वर श्रेणी पर कुल भूभाग का यानी अगर देखा जाए तो कुल जो टोटल जो लैंड एरिया है बिहार का उसका यह 06 पर तराई क्षेत्र या पर्वतीय क्षेत्र है इसका जो निर्माण है वो मैंने बता ही दिया टर्श टर्श एज में ही हुआ है हिमालय का निर्माण टर्श एरा में ही हुआ है तो वही वही यहां पर टर्श जज में इसका निर्माण हुआ है शिवालिक जो पर्वत क्षेत्र है वो हिमालय का ही भाग है ठीक है तो अभी देखा ही आपने वृहद हिमालय लघु हिमालय और या फिर मध्य हिमालय और फिर शिवालिक हिमालय तो हिमालय ये जो ये जो आपको दिखता है यह वाला जो पर्वतीय इलाका बिहार के दक्षिण पश्चिम भाग में यह शिवालिक की काही जो है वह विस्तार दिखता है आपको और वह हिमालय का ही भाग है ठीक है क्लियर है यह चीज आपको थोड़ा सा ध्यान में रखना है इस क्षेत्र में कई दर्रे हैं जो नदियों के प्रवाह के कारण बनते हैं जिनमें से एक दर है सुमेश्वर दर्रा भिखना ठोर दर्रा गरवा दर्रा तो ये सब पश्चिमी चंपारण के क्षेत्र में इस प्रकार के दर्रे आपको देखने को मिलते हैं दर्रा क्या होता है जैसे मान लो कोई पर्वत है ठीक है अब पर्वत से ऐसे जाइएगा तो पर्वत से टकरा जाइएगा क्रॉस किसे करिएगा तो इसी में क्या होता है जब नदी यहां पर फ्लो करता है ना तो रिव जो है वो इसको काटता रहता है काटता रहता है काटता रहता है और उसके बाद क्या हो जाता है ये दो अलग-अलग हो जाता है और बीच से एक रास्ता के जैसा निकल जाता है जो आप सुरंग देखे हैं ना उसी टाइप का समझ लीजिए इधर से भी मान लो पर्वत है इधर से भी पर्वत है और बीच में नदियों के काटने के कारण एक रास्ता बन गया है ठीक है इसी को कहते हैं हम दर्रा या पास तो इस क्षेत्र में जो है वो ढेर सारे पासेस हैं जैसे सोमेश्वर पास खना टोरी पास गरवा फस इत्यादि ठीक है क्लियर है और यहां पर जो नदी प्रभावित होती है उस नदी का नाम क्या है हरहा या हर हरदा कहीं-कहीं हरदा भी बोलता है कहीं-कहीं हरहा भी बोलता है तो हरहा नदी जो है वो यहां से पास करती है ठीक और इसी नदी के माध्यम से ही बोला ना मैंने नदी के चलते ही जो है पर्वत को नदियां जो है वह काटते जाती है काटते जाती हैं और एक पास बन जाता है इसी नदी के द्वारा जो है वह इन पर्वतों को काटा गया है और इस दर्रा जो यह पासेस है इसके माध्यम से आप बिहार से नेपाल या फिर पश्चिमी चंपारण से नेपाल जा सकते हैं और उसके डिस्टेंस को कम किया गया है मतलब पश्चिमी चंपारण से नेपाल आप तेजी से पहुंच जाएंगे ठीक है तो अगर हम देखते हैं तो यही लिखा हुआ है कि सोमेश्वर दर्रा और भिखना ठोर दर्रा कुदी नदी गरवा दर्रा हरदा नदी द्वारा निर्मित है तो यह सब अलग-अलग दर्रा जो है वह अलग-अलग नदियों के माध्यम से हैं जैसे कोई कूदी नदी कोई हरदा या हरहा नदी ठीक है और इसका उपयोग नेपाल जाने के लिए किया जाता है अब हम इस क्षेत्र को तीन सब डिवाइड करते हैं तीन सब डिवीजन यह हमने पहले ही पढ़ लिया है एक है दक्षिण श्रेणी का निम्न पहाड़ी भाग रो सोमेश्वर दून एक है उत्तर पूर्व का घाटी और एक है सोमेश्वर श्रेणी सोमेश्वर रेंज नॉर्थ ईस्ट वली और लो हेली पार्ट ऑफ द सदन रेंज सबसे पहले जो है व हम क्या करेंगे चाहे तो हम नीचे से पढ़ सकते हैं तो सबसे पहले रामनगर से पढ़ते हुए सोमेश्वर पर जाइए या सोमेश्वर से पढ़ते हुए रामनगर पर आइए ठीक है तो हम सोमेश्वर से नहीं रामनगर से पढ़ते हुए आते हैं तो देखिए रामनगर दून जो है वह चेन ऑफ स्मॉल हिल्स छोटी-छोटी पहाड़ियों की एक श्रृंखला है जो 32 किलोमीटर लंबी है और 6 से 8 किलोमीटर चौरी है ठीक है और इसको जो है रामनगर दून हम कहते हैं ठीक है रामनगर दून हम कहते हैं अभी हम दून और द्वार के बीच का थोड़ा सा अंतर भी देखेंगे दून और द्वार के बीच क्या अंतर है इसको भी समझने की कोशिश हम थोड़ा सा करेंगे ठीक है देखिए इस इस निम्न पहाड़ी भाग का सबसे ऊंचा भाग संतपुर यानी पश्चिमी चंपारण में कोई इलाका होगा उसके पास है और इस निम्न पहाड़ी का सबसे ऊंचा जो ऊंचाई कितनी है सबसे ऊंचा भाग की हाइट कितनी है 240 मीटर और यह हरना हरदा नदी के पास ही इसकी सबसे ऊंची निज ऊंची जो ऊंचाई है वह आपको देखने को मिलती है ठीक है उत्तर पूर्व घाटी या जिसको हम दून घाटी के नाम से जानते हैं यह घाटी पश्चिम में त्रिवेणी नहर जो पश्चिमी चंपारण में नहर है त्रिवेणी नहर त्रिवेणी नहर के ऊपर से लेकर भिखना ठोर पश्चिमी चंपारण तक लगभग 75 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैली हुई है तो ये त्रिवेणी नहर सब कुछ कहां है अब देखिए इंडिविजुअल जब देखिएगा तो यहां देखिए यहां है यह दून घाटी यह वाला मैं पढ़ा रहा हूं यह दून घाटी यह मैंने पढ़ा दिया तो यह दून घाटी का जो इलाका है वह त्रिवेणी नहर के ऊपर से भिखना ठो तक लगभग 75 तो अब आपको यह अजूम करना पड़ेगा क्योंकि ये लोकेशन आप देखे होंगे तो बढ़िया बात है 75 किलोमीटर के स्क्वायर के इलाके में यह फैला हुआ है और यहां पर आपको ढेर सारे द्वार देखने को मिलते हैं एक होता है दून एक होता है द्वार जैसे आप हरिद्वार सुने होंगे और दहरा दून भी सुने होंगे तो द्वार क्या होता है और दूर क्या होता है तो इन क्षेत्रों में द्वार जो है उसका उसको आपको देखने को मिलता है और जो नदियों के प्रवाह के कारण इन क्षेत्रों में जो है वह द्वार आपको देखने को मिलता है ठीक है अभी हम देखते हैं द्वार और दून के बारे में भी तो ढेर सारे द्वार जो है वो इसमें यहां पर देखने को मिलते हैं दक्षिण श्रेणी के निम्न पहाड़ी भाग से उत्तर पूर्व दिशा में एक घाटी है जिसे हम हरदा घाटी कहते हैं ठीक है तो यानी इस हम इलाके को क्या बोलना चाह रहे हैं इस हम इलाके को बोलना चाह रहे हैं देखिए यह जो घाटी है तो यह दक्षिण श्रेणी के निम्न पहाड़ी भाग से उत्तर पूर्व दिशा में तो इस घाटी का जो डायरेक्शन है वो कैसा है साउथ सॉरी नॉर्थ ईस्ट का प जो है वो नॉर्थ ईस्ट दिशा में यह जो है वो घाटी है ठीक है तो इस घाटी को हम कहते हैं हरद या हरहा नदी घाटी हरदा या हरहा नदी घाटी याद रहेगा देखिएगा मैं आपको बताने की कोशिश कर रहा हूं यहां देखिए यह इलाका आप देख रहे हैं यह वाला इलाका ठीक है यह वाला आपने देखा रेड वाला और एक आप देख रहे हैं नीचे में जो ये शिवालिक का है और एक बीच में ये मध्य हिमालय है ठीक है तो यहां पर देखिएगा तो जैसे देखिए जो यह वाला जो है वृहद हिमालय यह जो वृहद हिमालय है इस वृहद हिमालय और मध्य हिमालय के बीच में ढेर सारे मर्ग हैं जिसका निर्माण किसके द्वारा हुआ है मतलब ये घाटियां हैं जिसका निर्माण नदियों के द्वारा हुआ है तो जैसे गुलमर्ग सोन मर्ग यह सब ठीक है तो ये वृहत और मध्य हिमालय के बीच है अब मध्य और शिवालिक के बीच जो है यहां पर भी नदियों के द्वारा घाटियों का निर्माण किया गया वैलीज घाटियां तो ये मध्य और शिवालिक के बीच में जो घाटियां हैं इन घाटियों को हम दून या द्वार घाटिया कहते हैं तो मध्य और शिवालिक के बीच में जो घाटियां है इसको हम दया द्वार कहते हैं मतलब यह रेड है मतलब यह वाला इलाका यह ब्लैक वाला और जो रेड है मध्य और शिवालिक के बीच में जो इलाका है इसको हम यहां पर जो नदियां घाटी बना दी है इसको हम दया द्वार कहते हैं ठीक है अब दया द्वार में बेसिकली क्या अंतर है तो देखिएगा जो ये पश्चिम वह मध्य भाग में है उसको हम दून कह देते हैं घाटिया दोनों ही है लेकिन बस इलाके के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग नाम है पूर्वी भाग में हम इसको द्वार कह देते हैं और पश्चिम या मध्य भाग में हम इसको दून कह देते हैं बस और कुछ भी नहीं है और यह मध्य हिमालय और शिवालिक के बीच की एक नदी घाटिया है ठीक है तो अलग-अलग जगहों पर इसका नाम हम अलग-अलग रख देते हैं बस इतना ही हमको ध्यान में रखना है क्लियर है तो इसका फॉर्मेशन यहां पर होता है ठीक है उसके बाद हमारे पास आता है सोमेश्वर श्रेणी तो सोमेश्वर श्रेणी को अगर हम सोचे तो यह श्रेणी पश्चिम में त्रिवेणी नहर के पास से लेकर ठीक है त्रिवेणी नहर के पास से लेकर पूर्व में भूखना ठोर द्वार तक फैली हुई है जो लगभग 74 किमी लंबी है तो सोमेश्वर श्रेणी जो है वह लगभग 74 किमी इसकी लंबाई है ठीक है अगर देखा जाए तो जो इसका सबसे टॉप वाला श्रेणी है ये श्रेणियां है इसमें में जो सबसे टॉप वाला जो श्रेणी है जिसका शीर्ष भाग है जो इसका अपर पार्ट है वो भा बिहार और नेपाल और बेसिकली कहूं तो इंडिया और नेपाल के बीच की सीमा है ठीक है इसकी जो चौड़ाई है इस सोमेश्वर श्रेणी की व 5 से 6 किमी है यह श्रेणी दक्षिण में 152 मीटर की ऊंचाई से शुरू होकर उत्तर प्रदेश में 6 मीटर 610 मीटर ऊंची है अब देखिए बेसिकली आपको यह सब ध्यान नहीं रखना लेकिन यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है सोम की जो ऊंचाई है व बिहार में वो कितना है 874 मीटर तो सोमेश्वर की जो ऊंचाई है वह 874 मीटर है 874 मीटर यह याद रहेगा 874 मीटर ठीक है मैं एक मिनट पाइन ले लू 874 मीटर जो है वह इसकी ऊंचाई है इसको भी थोड़ा सा आपको ध्यान में रखना चाहिए यह भी ध्यान में रखिएगा तो बेहतर रहेगा 874 मीटर जो है वह इसकी ऊंचाई है याद र ढेर सारे पासेस भी जो है वो यहां से जो है वो क्रॉस करते हैं ढेर सारे पासेस जो है वो यहां से क्रॉस करते हैं यह थोड़ा सा ध्यान रखिएगा यहां पर साल वृक्ष भी पाया जाता है साल वृक्ष साल टीक बैंबो यह सब यहां पर आपको देखने को मिलता है ढेर सारे एलिफेंट्स टाइगर्स लेपर्ड्स वो सब भी यहां पर आपको देखने को मिलते हैं ठीक है तो कहीं-कहीं जो है यह अगर देखा जाए तो इंडिया और नेपाल के बीच में यहां पर आपको देखने को मिलता है ठीक है तो कहीं-कहीं जो इसकी ऊंचाई है वह 884 मीटर है कहीं-कहीं 74 मीटर कहीं-कहीं इसकी ऊंचाई आपको 880 मीटर भी दिया है तो ऐसा नहीं करेगा बी बीपीएससी कि बिल्कुल आपके साथ ही ऐसा कुछ कर दे कि एक 880 भी लिख दे और 874 भी लिख दे एकदम ऐसा नहीं करेगा ठीक है ऐसा नहीं करेगा यह बिल्कुल आपको ध्यान में रखना है ठीक है तो जान नहीं देना है ऐसा नहीं करेगा मतलब विजुअली नहीं करेगा ठीक है तो अब हम पहला पोर्शन पढ़ चुके हैं कौन सा वाला यह वाला अब हमको दूसरे पोर्शन में जाना है और वह कौन सा है यह वाला इस वाले पोर्शन को हमको पढ़ना है ठीक है अब बताइए ठीक है अब देखिए यहां पर जो है वह प्लेन में मैदानी भागों में एक अगर हम सबसे पहले गंगा के मैदान के बारे में सोचे तो गंगा के मैदान को हम दो भागों में बांटते हैं एक उत्तरी गंगा का मैदान और एक दक्षिणी गंगा का मैदान ठीक है तो अब हमको बारी-बारी से गंगा का मैदान उत्तरी गंगा का मैदान और दक्षिणी गंगा का मैदान पढ़ना है जसे मान लो अगर हम इसको बीच से गंगा नदी को फलो कर देते हैं तो यह जो हो जाएगा वह नदन गंगेटिक प्लेन है और यह जो है वह सदर्न गंगेटिक प्लेन है अब हम यहां पर देखते हैं कि यहां की कौन-कौन सी विशेषताएं जो है वह यहां पर आपको देखने को मिलती है यह वाली बात को अब हमको पढ़ना है तो इसको हम पढ़ना शुरू करेंगे ठीक है तो देखिएगा जो गंगा नदी है अब हम आगे तो गंगा नदी का मैदान देख लेते हैं फिर उसके बाद आगे बात करते हैं जो गंगा का मैदान है यह देखिए मैदानी भाग जो है व 90650 स्क्वायर किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है यानी बिहार के कुल एरिया का लगभग ये 96.2 7 पर है तो बिहार के कुल इलाकों का यह 96.2 7 पर है यह मैदानी इलाका ठीक है यह जो प्लेन है दिस इज मेड अप ऑफ एलविल ऑयल एवियल सोइल नॉट ऑयल इट इज मेड अप ऑफ एवियल सोइल दैट मींस इट इज मेड अप ऑफ जलोढ़ मिट्टी ठीक है एक्चुअली गंगा और उसकी सहायक नदियों के द्वारा जो ढेर सारे जो डिपोजिशन किए गए जो निक्षेप लाए गए अब कचड़ा उड़ा सबको बहा के जब नदियां लेकर आई तो यहां पर जो है वो ढेर सारे जो डिपोजिशन हुए तो इन डिपोजिशन के कारण ही इस मैदान का निर्माण हुआ और यहां पर प्रमुखता से जलोढ़ मिट्टी जो है वह पाई जाती है यह यहां यहां पर टाल क्षेत्र भी होता है जो वर्षा ऋतु में जल मग्न रहता है टाल क्षेत्र का मतलब जो सॉस पेन देखें आप तो सॉस पेन में क्या होता है मान लो ये एक नॉर्मल है डंठ है सॉस्पन का और फिर एक ऐसा होता है है ना वैसा ही क्षेत्र यानी कुछ जो होता है ना बिहार में कुछ निम्न भूमिया हैं जहां पर पानियों का पूरा जमाव हो जाता है मान लो ये नॉर्मल भूमि है अब कुछ निम्न भूमि आ जाएगा सॉस पन टाइप का तो उसमें हम दूध डालते हैं या पानी डालते हैं तो वैसे ही ताल क्षेत्र का निर्माण हो जाता है मतलब जो सॉस्पन का आकार का क्षेत्र बन जाता है मतलब कुछ क्षेत्रों में कुछ क्षेत्र पानी में जलमग्न भी हो जाते हैं ठीक है जो लोलैंड इलाके होते हैं ठीक है इस मैदान की दक्षिणी सीमा यानी हम किसकी बात कर रहे हैं गंगा नदी की इस मैदान की दक्षिणी सीमा 152 मीटर की समोच्च रेखा के द्वारा निर्धारित होती है तो मतलब यह सदन बाउंड्री की बात कर रहा है तो 152 मीटर जो काउंटर लाइन है उससे ये जो है इसकी सदन सीमा डिसाइड होती है गंगा के मैदानी क्षेत्र का ढलान सर्वत्र एक समान तथा तथा धीमा है जो 6 सेंटीमीटर प्रति किलोमीटर है तो ये गंगा के मैदानी क्षेत्र का ढलान जो है वह किस प्रकार से है तो 6 सेंटीमीटर प्रति किलोमीटर यानी प्रति किलोमीटर 6 सेंटीमीटर आपको लान देखने को मिलेगा 6 सेंटीमीटर स्लोप जो है वह आपको देखने को मिलेगा 6 6 सेंटीमीटर पर किलोमीटर 1 किलोमीटर में जाएंगे तो 6 सेंटीमीटर का ही स्लोप देखने को मिलेगा तो मतलब मोर और लेस ज्यादा इसमें उतार चढ़ाव देखने को नहीं मिल रहा है समुद्र तल से इसकी ऊंचाई औसत ऊंचाई 60 से 120 मीटर के बीच है एवरेज हाइट फ्रॉम द सी लेवल इ 60 मीटर टू 120 मीटर ठीक है गंगा नदी के इस मैदान को हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं गंगा नदी के इस भाग को हम दो भागों में इसको विभाजित कर सकते हैं एक उत्तरी गंगा का मैदान और एक दक्षिणी गंगा का मैदान अब अगर हम उत्तरी गंगा का मैदान देखेंगे उत्तर में तराई क्षेत्र तक अभी हम पढ़ते हैं थोड़ी देर में तराई क्षेत्र किसको कहते हैं उत्तर में जो इसका विस्तार है व तराई क्षेत्र तक है इसका निर्माण गंगा और उसकी सहायक नदियां जैसे गंडक कोशी घागरा बागमती इत्यादि नदियों के के तलछट के जमाव से ही इसका निर्माण हुआ है ठीक है क्षेत्रफल जो है वो लगभग 5698 वर्ग किलोमीटर है राज्य के कुल क्षेत्र का देखो टोटल तो 96 पर है उत्तरी और दक्षिणी मिला कर के उत्तरी गंगा का मैदान दक्षिणी लेकिन अगर देखा जाए तो राज्य के कुल क्षेत्र का जो सदर्न वाला है वह 62.8 6 पर है ये सदन वाले की केवल बात हो रही है और इसकी जो ऊंचाई है वो 66 मीटर है इस मैदान का ढाल जो है ना वो कैसा है एक तो उत्तर से दक्षिण की तरफ ढाल है और साथ ही साथ उत्तर पश्चिम से उत्तर पश्चिम से एक तो उत्तर से दक्षिण की तरफ ढाल है और एक उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर भी ढाल है तो एक तो सीधा नॉर्थ साउथ ढाल है और एक उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर ढाल भी है ठीक है ये जो है जलोढ़ मिट्टी से बना है एक समतल मैदान है बेसिकली ये जो है इसका ऊंचाई 66 मीटर है इसका जो ढाल है वह उत्तर से दक्षिण और उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर है और ये समतल है मतलब बिल्कुल क्या है ये एक तरह से फ्लैट प्लेन है और यह कैसे बना है तो ये एक एवियल सोइल से बना है यहां पर आपको ढेर सारे जो है वो ढेर सारी आकृतियां देखने को मिलेंगी जो नदियों के द्वारा निर्मित आकृतियां हैं वो यहां पर आपको देखने को मिलेंगी जैसे दियारा क्षेत्र जैसे चौर क्षेत्र ठीक है जैसे प्राकृतिक तटबंध जो अ प्राकृतिक तटबंध है मतलब नेचुरली जो है इबैंक मेंट्स है छाण झील यानी छाण झील हम किसको बोलते हैं जो गोखुर झील होता है उसको ठीक है तो इनको भी थोड़ा सा समझने की कोशिश करते हैं तो यहां पर आपको दियारा चौर छार झील इन सब प्रकार की आकृतियां देखने को मिलती है यह बिहार के उत्तरी गंगा के मैदान की विशेषता है कि यहां पर नदियों के द्वारा दियारा नदियों के द्वारा दियारा चौर और छाण झील का निर्माण होता है अब हम समझते हैं कि दियारा किस इसको बोलते हैं ठीक है तो यहां पर आप देखिए तो दियारा चौर ठीक है छाण झील इन सब का जो निर्माण है वह यहां पर आपको देखने को मिलता है तो दियारा क्या है भूमि का वह टुकड़ जो दशकों से रेत के जमाव के परिणाम स्वरूप गंगा नदी के बीच में बना हुआ है तो ये गंगा नदी के इर्दगिर्द का इलाका है जो जहां पर क्या है रेत के जमाव से यह इलाका जो है वो बना हुआ है इसको हम कहते हैं दियारा क्षेत्र तो दियारा क्षेत्र क्या है बेसिकली एक टापू की तरह लगता है ठीक एक आइलैंड की तरह लगता है क्योंकि यह क्षेत्र जो है ना हर साल बाढ़ का शिकार होता है यह क्षेत्र छोटा होता है और यह क्षेत्र टापू के आकार में होता है जैसे कैसे अगल बगल में पानी और बीच में एक लैंड नुमा टापू आईलैंड के जैसा य आपको दिखता है ठीक है तो यह नदियों के किनारे यह उपजाऊ क्षेत्र है जो अधिक प्रबल बाढ़ आने पर डूब जाता है आमतौर पर दियारा का कुछ क्षेत्र सालाना बाढ़ का शिकार होता है यह दोआब नहीं है दवाब का मतलब होता है दो नदियों के बीच का पोर्शन यह दोआब क्षेत्र के विपरीत दियारा क्षेत्र छोटा होता है और आईलैंड यानी टापू नुमा होता है ठीक है गंगा और उसके सहायक नदियों के क्षेत्रों में हमको दियारा क्षेत्र मिलते हैं और यह क्षेत्र विरल जनसंख्या का प्रदेश है मतलब बहुत कम जनसंख्या यहां पर पाई जाती है विरल जनसंख्या का प्रदेश ठीक है ये चीजों को देखना है एक मिनट रुकिए एक मिनट रुकिए का चलिए अरे विकेट विकेट क्या करते हो रे भाई तुम लोग विकेट विकेट क्या करते हो चलो यहां देखो चौर जो चौर है वो एक निम्न क्षेत्र है लू एरिया है विच अब वही मैंने बताया चौर भी वैसा इलाका है निम्न भूमि का इलाका चौर भी जो है वह निम्न भूमि का इलाका है ठीक है निम्न भूमि का इलाका कहने का मतलब है कि लो लैंड एरिया है कैसा रहेगा जैसे जैसे सॉस्पन के आकार का होगा यह भी जो इलाका है यह सॉस्पन के आकार का ही आपको दिखेगा जिसमें क्या रहेगा जिसमें आपको नॉर्मल भूमि रहेगी और फिर लूलैंड इलाका होगा और जिसके कारण क्या हो जाएगा वहां पर पानी का जो जमाव है वह ज्यादा होगा तो वही चौर का इलाका दियारा का इलाका समझ गए टापू नमा इलाका और फिर चौर का इलाका उसी प्रकार से है अब हम थोड़ा सा यहां पर देख लेते हैं कुछ-कुछ हमको थोड़ा सा समझने की आवश्यकता पड़ेगी ठीक है तो हम लोग कुछ क्षेत्रों के बारे में यहां पर समझ लेते हैं देखिएगा उत्तरी मैदान को ना हम बेसिकली कुछ भागों में बांटते हैं जैसे देखिए यहां पर एक है य भाबर तराई फिर यहां बांगड़ और फिर यहां खादर क्या है यह पूरा इसको समझना है ठीक है तो भाबर तराई बांगर खादर ऐसा कुछ मामला है ठीक है तो देखो होता क्या है यूजुअली इसको ऐसे समझना है जैसे मान लो जब हिमालय होगा तो जब वहां से जब कोई नदियां आई रही होंगी जब हिमालय होगा वहां से जब नदियां प्रवाहित हो रही होंगी तो बहुत तेजी से हो रही होंगी बहुत तेजी से हो रही होंगी लेकिन जैसे ही मैदानी भाग में जब वह प्रवेश करती होंगी जैसे ही मैदानी भाग में प्रवेश करती होंगी तो क्या होता होगा ठीक है तो देखो सबसे पहले मैं बता रहा था साउंड नहीं चला गया देखो यहां पर जो है वह नदियां इस क्षेत्र में देखो इस क्षेत्र में उनका प्रभाव जो है बहुत तेज होता है लेकिन जैसे ही नदियां मैदानी क्षेत्र में आती है वो धीरे में हो जाएगी स्लोप धीमा है मैदानी क्षेत्र में ढाल नहीं है तो आप सोचिए ना नॉर्मल ऐसे पानी पानी डाल दीजिएगा तो वो पानी गिरेगा नहीं गिरेगा लेकिन छत से डाल दीजिएगा तो तेजी से गिरेगा ठीक है इस इलाके में नदी जो है वो अपना स्पीड खो देती है जिसके कारण नदी जो है विलुप्त हो जाती है दिखती नहीं है क्योंकि क्योंकि अगल-बगल में क्या है ढेर सारा पत्थर है नदियां इस पत्थरों को बहाकर के लेकर आई है अब ये पत्थर के नीचे से नदियां फ्लो करती है दिखती नहीं है नदी है लेकिन आपको दिखेगी नहीं नदी है लेकिन आपको दिखती नहीं है जिस कारण क्या होता है जिस कारण से जो है वो यहां पर नदियों का आपको क्षेत्र है लेकिन ये दिखता नहीं भाबर क्षेत्र वही है जहां पर नदियां आपको दिखेंगी ही नहीं उसके बाद जब नदियां फिर से फिर से जो है जब इस इस पत्थर वाले इलाके को जब क्रॉस करती हैं तो वापस से नदियां जो है वो दिखने लगती हैं इन क्षेत्र को हम कहते हैं तराई क्षेत्र वापस से नदियां जो है ऐसा लगेगा कि वापस नदियां इन क्षेत्रों में फिर से प्रकट हो गई जबकि वो नदियां यहां पर भी है लेकिन वो दिख नहीं रही है पत्थरों के नीचे हैं उसके बाद जो है इस तराई क्षेत्र के बाद यहां पर देखिए क्या होता है कि यहां पर एक क्षेत्र होता है एक बांगर और एक खादर ठीक है बांगर और खादर तो देखो पुरानी जो जलोढ़ होती है वह बांगर होती है और नई जो जलोडर है तो देखो वैसा स्थान जहां पहले कभी बाढ़ आया होगा मान लेते हैं हो सकता है कि बहुत पहले कभी बाढ़ आया होगा तो उन स्थानों पर जो मिट्टी बनी वो पुरानी जलोढ़ है लेकिन जहां पर रेगुलर बाढ़ आ रहा है रेगुलर बाढ़ आ रहा है मान लीजिए कि नदियों का यह वाला इलाका जहां पर नदियों के अगल-बगल का इलाका क्योंकि जब बाढ़ आएगा तो नदियों का प्रवाह क्षेत्र बढ़ जाएगा इलाका बढ़ जाएगा तो वैसा का जहां पर रेगुलर बाढ़ आ रहा है उसको हम कहते हैं खादर यानी वहां पर जो मिट्टी पाई जाएगी वो खादर मिट्टी है और जहां पर कभी बाढ़ आया होगा तो नदियां उतनी दूर फैली होंगी उस इलाके को हम कहते हैं बांगड़ हम ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे मान लो कि यह रिवर है ठीक है यह हो सकता है कि इस रिवर का जो प्रवाह क्षेत्र है वो मान लो बढ़ गया बाढ़ आया तो तो इलाका बढ़ेगा तो यह वाला जो इलाका है यह क्या है नई जरोड़ है ये यह वाला इलाका जो है यहां पर रेगुलर बाढ़ है और नदियों का पानी यहां तक चला जाता है तो यहां पर जो मिट्टी का निर्माण होता है वो खादर लेकिन हो सकता है कि कभी ऐसा भी हुआ होगा कि नदियों का जब बाढ़ आया होगा तो पानी का क्षेत्र यह हो गया होगा इतना दूर तक फैल गया होगा इस क्षेत्र को हम कहते हैं खादर इस क्षेत्र को कहते हैं बांगर बांगड़ बांगड़ ये पुरानी जरोड़ का इलाका है ये वाला जो है पुरानी जलो का इलाका है ठीक है क्लियर है ये जो है क्षेत्र है एक भाबर एक तराई एक बांगर और एक खादर ठीक है तो यही कह रहा था कि उत्तरी गंगा का जो मैदान है उसका जो उत्तर है वह कहां तक है यहां तक तराई क्षेत्र तक इस इलाके तक तो ये गंगा के मैदानों की विशेषता है भाबर तराई बांगर और खादर ठीक है ऐसे याद रखना है अब अगर हम दक्षिण के मैदानों को देखें और देखिए उत्तरी गंगा के मैदान में ढेर सारे दवाब भी हैं दवाब का मतलब होता है दो नदियों के बीच का स्थल तो आपको दिखेगा जैसे उत्तरी गंगा के मैदान में यहां घागरा रिवर है मान लेते हैं उत्तरी गंगा के मैदान में दिखेगा यह घागरा रिवर है यह गंडक रिवर है तो घागरा गंडक दवाब दिखेगा गंडक कोशी द्वाप दिखेगा कोशी महानंदा द्वाप दिखेगा तो द्वाप क्षेत्र जो होते हैं वो दो नदियों के बीच के इलाके होते हैं और काफी फर्टाइल इलाके होते हैं यह द्वाप क्षेत्र आपको उत्तरी गंगा के मैदान में भी दिखता है दक्षिण गंगा के मैदान में भी दिखता है अभी हम पढ़ेंगे दक्षिण गंगा के मैदान यहां पर भी देखिए जैसे गंगा सोन दवाब यहां पर गंगा रिवर है यह सोन रिवर है गंगा सोन दवाब यहां पर आपको मगध का मैदान ठीक है यहां पर आपको अंग का मैदान तो दक्षिण गंगा के मैदान की भी कुछ विशेषताएं हैं जिसको हमको अभी थोड़ा सा देखने की कोशिश करना है ठीक है तो दोआब मींस द द रीजन बिटवीन द टू रिवर्स दो नदियों के बीच का जो जगह है जो काफी फर्टाइल होता है दैट इज नोन एज दोआब तो अब हम थोड़ा सा दक्षिण गंगा के मैदान को देखते हैं क्योंकि हमने गंगा का मैदान देख लिया नोदन गंगा का मैदान देख लिया अब हमारा जो टारगेट है वो दक्षिण गंगा का मैदान है ठीक है तो नोदन गंगा के मैदान में क्या-क्या मिलता है तो आपने देखा कि नोदन गंगा के मैदान में क्या-क्या मिलता है कौन-कौन सी आकृति मिलती है भाई तो आपसे पूछे नोदन गंगा के इलाके में तो आप बताएंगे तराई का क्षेत्र भाबर का क्षेत्र खादर का क्षेत्र और मतलब तराई का क्षेत्र बांगर का क्षेत्र और खादर का क्षेत्र तो तराई बांगर और खादर यहां मिलता है विशेष तौर पर इस प्रकार के करती है चौर या मन मिलता है और साथ ही साथ दियारा क्षेत्र भी यहां पर मिलता है गोखुर झील भी यहां पर मिलता है गोखुर झील तो सबसे पहले यह देख लीजिए कि चौर या मन जो है वह कैसा क्षेत्र होता है जैसे मैंने बताया सॉस पेन के आकार का क्षेत्र और यह निम्न भूमि का क्षेत्र है यह मूलत गोखुर झील होते हैं जिनका निर्माण नदियों के मार्ग परिवर्तन के कारण हुआ है तो गोखुर झील बनता है जिसको हम ऑक्सबो लेक कहते हैं अब हम देख लेते हैं प्रमुख जो चौर है वो लखनी चौर चंपारण में है सुंदरपुर तथा बहादुरपुर चौर पूर्वी चंपारण में प्रमुख मन टटिया मन माधोपुर मन मोती झील पूर्वी चंपारण पिपरा मन सरैया मन सिमरी मन पश्चिमी चंपारण तो ये चौर या मन है ठीक है चौर या मन प्रदेश भी यहां पर आपको पाए जाते हैं तो विशेष तौर पर जो विशेषता यहां पर आपको दिखती है वह तराई का रीजन ठीक है तराई के रीजन के बाद यहां पर बांगड़ भूमि खादर भूमि और चौर या मन प्रदेश जिसको हम गोखुर झील भी कहते हैं और इसके अलावा इस इसके अलावा जो क्षेत्र मिलता है वह कौन सा है इसके अलावा जो क्षेत्र हमको देखने को मिलता है वोह यहां पर दियारा भूमि भी देखने को मिलती है अब हमारे मन में यह सवाल भी उत्पन्न हो सकता है कि सर मुझे यह भी बता दीजिए कि चौर या मन जो गोखुर झील आप कह रहे हैं ऑक्सबो लेक वो क्या होता है ऑक्सबो लेख को अगर बताना तो देखो यहां पर आपको बढ़िया से समझ में आ जाएगा इस प्रकार का आपने आकार देखा होगा जैसे यह देखो इस प्रकार का आपने आकार देखा होगा नदियां जो है वो देखो नदियों का ये शेप है नदियों के फ्लो का जो है तो नदियां जो है धीरे-धीरे धीरे-धीरे ये जब पोर्शन है यह जो पोर्शन है ना वो नदियों से अलग हो जाता है अच्छा कोई फोटो रहे तो और भी दिखा दो देखो इस तरह का पोर्शन है मतलब यह नदी बह रही है देखो इस प्रकार से नदी जो है वो फ्लो कर रही है फ्लो कर रही है फ्लो कर रही है और कुछ समय के बाद क्या होगा धीरे-धीरे इस पात को नदी फॉलो कर लेगी जो ये ऊपर वाला गोल दिख रहा है इस पाथ को फॉलो कर ले ऊपर वाला दिख रहा है ये साइड हो जाएगा तो जैसे देखिए यहां प यह वाला जो पोर्शन है यह जो हम कहते हैं इसको गोखुर झील ठीक है आपने देखा भी होगा बिहार में ठीक है गोखुर झील इसको कहते हैं ठीक है इसको कहते हैं हम गोखुर झील गोखुर झील ये आपको ज्योग्राफी में पढ़ना है वैसे भी थोड़ा सा देख लीजिए ये जो है इस प्रकार की आकृति आपको उत्तरी बिहार के क्षेत्र में मिलती है दक्षिणी बिहार का जो दक्षिणी गंगा का जो मैदान है इसको देखते हैं दक्षिणी गंगा के मैदान का जो विस्तार है वह 3367 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है जो पश्चिम में गया से पूर्व में गिरियक तक है गिरियक कहां है राजगीर में ठीक है तो पश्चिम में गया से पूर्व में गिरियक तक इसका जो है मतलब गिरियक का जो है गिरियक पहाड़ी क्षेत्र जो है राजगीर में इसका विस्तार देखने को मिलता है तो यहां से जो है यहां तक ये विस्तृत है राज्य के कुछ मैदानी क्षेत्र का 37.1 पर जो इलाका है वह दक्षिणी गंगा के मैदान के अंतर्गत आता है राज्य के कुल भूक्ष का यानी टोटल जो भौगोलिक एरिया जैसे वो 62 पर था यह 19.3 6 पर है ठीक है इस मैदान की चौड़ाई पटना के आसपास जो है वह 135 किलोमीटर के करीब है और गिदो गिदो कहां पर है कौन जानता है गिदो के आसपास इसकी जो चौड़ाई है वह थोड़ी सी कम है 40 किलोमीटर के आस पास इसकी गिदो की चौड़ाई है ठीक है तो कुछ इस प्रकार का आपको यहां पर दिख रहा है ये वाला जो इलाका है ये गंगा की नदी है मान लो तो ये जो है ये इलाका जो है वो गंगा का दक्षिणी मैदान है ठीक है गंगा का दक्षिणी मैदान यह चीज थोड़ा सा ध्यान में रखना है क्लियर है अब देखो यहां पर आपको छोटा नागपुर पठार भी दिख रहा है तो छोटा नागपुर पठार का ये उत्तरी भाग है ख छोटानागपुर पठार जो है वो गोंडवाना लैंड का हिस्सा है उसका उत्तरी भाग जो है ये गंगा नदी का दक्षिणी गंगा का मैदान है ठीक है छोटा नागपुर पठार के दक्षिणी जो उत्तरी जो पोर्शन है वो क्या है छोटा नागपुर पठार के उत्तरी जो पोर्शन है वो है दक्षिणी गंगा का मैदान ये याद रहेगा यहां पर भी आपको क्या देखने को मिलता है यहां पर भी इन क्षेत्रों में भी आपको दवाब देखने को मिलता है जैसे गंगा सोन दवाब इसकी इसकी भी कुछ-कुछ विशेषताएं हैं जिसको हमको पढ़ना है चाहिए यहां पर देखिए यहां पर भी अगर देखा जाए तो इन मैदान का निर्माण भी कैसे हुआ है तो इन मैदानों का निर्माण छोटा नागपुर पठार और मतलब पठारी नदियां जो आई है और पठारी नदियों ने या नीचे से नदियां आई हैं और नीचे से नदियों ने क्या किया है यहां पर ढेर सारे अवसाद लाए हैं और उस अवसाद के जमाव के कारण जो है वह इस मैदान का निर्माण हुआ है तो यह जो मैदान है जैसे ऊपर वाला तो उत्तरी जो नदियां थी गंगा की उत्तरी जो सहायक नदियां है मतलब गंगा की जो नदन साइड की जो सहायक नदियां है वो थी और यह पठारी क्षेत्र से आने वाली नदियों के कारण यहां पर आप देखिएगा तो दक्षिण गंगा के मैदान क्षेत्र का निर्माण हुआ है ठीक है तो यह समझिए जसे सोन नदी पुनपुन नदी यह सब यहां पर जो आपको नदी दिख रहा है देखिए जैसे यहां तो ये सब जो सन पुनपुन फल गू यह सब जो नदी है इन नदियों के द्वारा जो निक्षेपन किया गया है इसके कारण ही जो है वह दक्षिणी गंगा का मैदान निर्मित हुआ है ठीक है इसको थोड़ा सा समझ के रखना है अब अगर हम दक्षिणी गंगा के मैदान की बात करें तो दक्षिणी गंगा के मैदान में देखिएगा वर्षा ऋतु में इन नदियों का पानी बख्तियार पुर से क्यूल तक ठीक है फैल जाता है पूरा बख्तियारपुर से क्यूल तक इन नदियों का पानी पूरा फैल जाता है जिससे एक यहां पर भी एक जलमग्न क्षेत्र बन जाता है लू लैंड एरिया जहां पर पानी का जमाव हो जाता है उत्तरी गंगा के मैदान के चलते भी हो रहा था उत्तरी में भी नदियों के चलते दक्षिण गंगा के मैदान के नदियों के चलते भी यहां पर एक लूलैंड इलाका बन जाता है ठीक है जो बेसिकली पटना और मोकामा तो मोकामा भी पटना डिस्ट्रिक्ट में ही आता है पटना और मोका के बीच जो है वह यह लूलैंड इलाका फैला होता है अब इस क्षेत्र को हम कहते हैं टाल क्षेत्र क्या कहते हैं टाल क्षेत्र तो उत्तरी गंगा के मैदान में और दक्षिणी गंगा के मैदान में उत्तरी गंगा के मैदान में चौर या मन है दक्षिणी गंगा के मैदान में टाल क्षेत्र का निर्माण होता है जैसे बढ़ैया टाल मकामा टाल सिंघौल टाल मो टाल यह सब इलाका ऐसे हैं जो लो लैंड एरिया है यानी जहां पर जल जमा हो जाएगा पानी अधिक हो गया जल जमाव हो जाएगा ठीक है पानी अधिक होने के कारण इन सब क्षेत्रों में जल जमाव की स्थिति बन जाती है यहां पर जो हमको आकृति मिलती है वह किसका निर्माण होता है तो यहां पर जो है इस भाग को हम टाल क्षेत्र कहते हैं तो यहां पर बेसिकली ताल क्षेत्र का निर्माण होता है इसको थोड़ा सा ध्यान में रखना है तो अगर हम ऐसा इसको बाइ फरकन करें तो उत्तरी गंगा का मैदान और दक्षिणी गंगा का मैदान का अगर हम बाइ फरकन करना चाहे तो हम कैसे कर सकते हैं अगर हम इसका बाइ फरकन करना चाहे तो इसको हम कैसे कर सकते हैं इस प्रकार से कर सकते हैं कि यहां पर किस कैसी आकृति चौर या मन यह भी लो लाइन लो लैंड वाला ही इलाका है और यहां पर जो आकृति है वो कैसी है यहां पर जो आकृति है वो है आपको टाल क्षेत्र जो जो पटना से मकामा तक फैला हुआ है ठीक है बढ़ैया टाल मकामा टाल यहां पर भी दोनों सेम है लो लैंड एरिया है लो लैंड जहां पर क्या हो जाता है जल भराव यानी पानी जो है वो स्टोर हो जाता है तो उस इलाके को हम गंगा के उत्तरी मैदान में चौर या मन कहते हैं और गंगा के दक्षिणी मैदान में उसी को हम टाल कहते हैं ठीक है तो आकृतियों का नाम में भिन्नता एं हैं बस अगर हम देखें तो गंगा के दक्षिणी मैदान को हम तीन मुख्य भाग में विभाजित कर सकते हैं एक सोन गंगा दोआब दूसरा मगध का मैदान ठीक है एक सोन गंगा दोआब एक मगध का मैदान और तीसरा अंग का मैदान ठीक है तीसरा अंग का मैदान यहां है अंग का मैदान इन तीन भागों में हम उसको विभाजित कर सकते हैं जैसे वहां पर हम लोगों ने विभाजन कैसे किया था अगर हम इसको फिर से दिखाएं तो वहां पर जो है हम लोगों ने कैसे विभाजन किया था तो वो भी थोड़ा सा अंतर को स्पष्ट रखिएगा वहां पर जो हमने विभाजन किया था वह था पहला तराई क्षेत्र पहला था तराई क्षेत्र या उप तराई क्षेत्र मैंने बताया था इस क्षेत्रों में नदियां पुनः जो है वह आपको दिखाई देने लगती है ठीक है यहां पर जैव विविधता एं भी काफी अधिक होती है मतलब ढेर सारे कीड़े मकड़े पादप ये सब आपको देखने को मिलते हैं प्लांट्स एनिमल्स उसके बाद हमने बताया था खादर क्षेत्र जो नई ग जलो का क्षेत्र है और फिर हमने बताया था बांगर क्षेत्र ठीक है और वहां पर एक और क्षेत्र भी था बेसिकली बिहार में वह था चौरिया मन का क्षेत्र और दियारा क्षेत्र भी था लेकिन यहां पर मुख्य तौर पर तीन विशेषताएं न नदियों में यहां पर उ दक्षिणी गंगा के मैदान में पाई जाती हैं एक विशेषता का नाम है क्या यहां पर कौन सा है गंगा सोन गंगा सोन दवाब यानी गंगा और सोन नदियों के बीच बीच का क्षेत्र सोन नदी दक्षिण दक्षिणी मतलब दक्षिण साइड में ही है ठीक है दक्षिण बिहार में और उसके बाद मगध का मैदान और फिर अंग का मैदान कुछ ऐसा बायफर केशन है जिसको ध्यान में रखना है ठीक है ऐसा कुछ बायफर केशन है जो ध्यान में रखेंगे तो गंगा सोन द्वाप यह कहां है गंगा सोन दवाब सोन नदी के पश्चिम में स्थित है जहां कोई ताल नहीं है इसे भोजपुर का मैदान भी कहते हैं तो यह जो इलाका है यहां पर कोई ताल क्षेत्र का निर्माण नहीं होता है और इसे भोजपुर प्लेन भी कहते हैं अब देखिए ताल क्षेत्र में एक विशेष प्रकार की मिट्टी आ गया आप पढ़ेंगे ताल मिट्टी वो इधरे की बात है ठीक है उसके बाद मगध का मैदान जो है वो सोन और क्यूल नदी के बीच स्थित है तो मगध का जो मैदान है वो कहां देखने को मिलता है आपको मगध का जो मैदान है वो सोन और क्यूल रिवर्स के बीच स्थित है मगध का मैदान यहां पर सोन और क्यूल के बीच में आपको मगध का मैदान देखने को मिलता है यहां पे सन है इधर निवर यहां पर क्यूल नहीं है इधर में क्यूल है इन दोनों के बीच जो है वो एक मैदान आपको देखने को मिलता है दैट इज जो मगध का मैदान ये सोन और क्यूल नदी के बीच स्थित है ठीक है अब देखिए क्यूल नदी से राजमहल पहाड़ी तक मैं अगर मैप मेन मैप में दिखा दूं तो दिख जाएगा क्यूल नदी से राजमहल पहाड़ी तक बेसिकली आपको क्या दिखेगा क्यूल नदी से राजमहल पहाड़ी तक यहां पर आपको दिख रहा है सोन नदी और यह मगध का मैदान क्षेत्र है मतलब यह क्यूल नदी के बीच का क्षेत्र है और उसके बाद क्यूल नदी से राजमहल पहाड़ी यह जो क्षेत्र है यह अंग का मैदान है ठीक है और इस मैदान में कांप मिट्टी काप मिट्टी मतलब जो चिकनी या पीली दोमट मिट्टी हो व पाई जाती है कांप मिट्टी कछारी मिट्टी यह सब हम जलो मिट्टी को ही कहते हैं तो इस मैदान में कांप मिट्टी या जलो मिट्टी या कछारी मिट्टी या चिकनी या पीली दोमट मिट्टी पाई जाती है ठीक है इस चीज को थोड़ा सा ध्यान में रखिएगा याद रहेगा यह गंगा का दक्षिणी मैदान की विशेषता है अब देखिए मैं अगर आपको बताऊं दक्षिणी मैदान जो है ना वो समतल क्षेत्र है दक्षिणी मैदान समतल क्षेत्र है लेकिन यहां पर क्या है इन क्षेत्रों में आपको बीच-बीच में जो कुछ कुछ पहाड़िया जो है वो इस क्षेत्र जैसे दक्षिण गंगा का मैदान समतल है लेकिन बीच-बीच में यहां पर क्या देखने को मिलता है छोटा नागपुर पठार क्योंकि नीच में छोटा नागपुर पठार है मैप में भी आपने देखा होगा नीचे में छोटा नागपुर पठार है यहां देखिए ये छोटा नागपुर पठार है अब इस छोटा नागपुर पठार का जो बाहरी भाग है वो दक्षिणी गंगा के मैदान में आ जाता है जिसके कारण समतल तो है ओवरऑल लेकिन बीच-बीच में छोटा नागपुर पठार का जो बाहरी हिस्सा है यहां पर कुछ पहाड़ियां बनाता है ठीक है जैसे कौन-कौन सी पहाड़ियां बनाता है अगर देखा जाए तो जैसे गया का प्रेत सला राम सला जेटियन पहाड़ी बिहार शरीफ का पीर पहाड़ खरगपुर पहाड़ी उसके बाद शेखपुरा की पहाड़ियां तो बिहार शरीफ का पीर पहाड़ खड़कपुर पहाड़ कहां है खड़कपुर की पहाड़ियां कहां है किस क्षेत्र में है तो ये तो खड़कपुर की पहाड़ियां मुंगेर के क्षेत्र में बता चुका हूं ये सब ढेर सारे वैसे पहाड़िया क्षेत्र हैं जो यहां पर बनते हैं ठीक है इस चीज का ध्यान रखना है तो गंगा का मैदान दक्षिणी मैदान जो है वो प्लेन है मतलब समतल है लेकिन फिर भी उत्तरा नाग उत्तर उत्तरी छोटा नागपुर जो छोटा नागपुर पठार के बाहरी भागों के कारण यहां पर ढेर सारे पठार आपको देखने को मिलते हैं ठीक है क्लियर है तो ये चीज समझ के रखना है तो हमने गंगा के उत्तरी मैदान को देख लिया दक्षिणी मैदान को देख लिया अब हमको जो लास्ट विशेषता देखनी है व है दक्षिण के पठार की विशेषता लास्ट विशेषता जो हमको देखनी है वो क्या है दक्षिण का पठार अब दक्षिण का जो पहाड़ी क्षेत्र है ठीक है तो दक्षिण का जो पहाड़ी क्षेत्र है यह क्या है पश्चिम में कैमूर जिले से लेकर पूर्व में मुंगेर एवं बांका जिले तक एक संकीर्ण पट्टी के रूप में यह फैला हुआ है तो दक्षिण का जो पठारी क्षेत्र है वो कहां से कहां है दक्षिण का पठारी क्षेत्र कैमूर से लेकर इधर से लेकर यहां से लेकर के सोच लीजिए कि मुंगेर और बांका के बीच में इस तरह से पतली पट्टी के तौर पर यह पठारी क्षेत्र जो है वह फैला हुआ है यह कठोर चट्टानों से बना हुआ इलाका है जिसमें कैमूर रोहतास औरंगाबाद गया नवादा मुंगेर बांका इन सब क्षेत्रों को हम इसमें शामिल करते हैं ठीक है यह सारे क्षेत्र जो है वह इसमें शामिल होते हैं रोहतास औरंगाबाद गया नवादा कैमूर मुंगेर और बांका ठीक है इसमें कैमूर पठार गया का दक्षिणी भाग राजगीर गिरियक पहाड़ी क्षेत्र नवादा क्यूल और बाका पहाड़ी क्षेत्र सभी इसी दक्षिणी के पठारी इलाके में सबको हम शामिल कहते करते हैं यह राज्य का 3.67 पर है और टोटल इसका जो एरिया है वो 2927 वर्ग किलोमीटर का जो इलाका है यानी जो 9416 पढ़ा उसका यह 2 पर इला सॉरी 3 पर इलाका यह है ठीक है दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्र को हम चार भागों में विभाजित कर सकते हैं एक है कैमूर पठार एक है गया पहाड़ी एक है राजगीर गिरियक पहाड़ी और चौथा है नवादा मुंगेर पहाड़ी क्षेत्र तो इन चार भागों में हम इनको विभाजित कर सकते हैं तो पहला जो है वह है कैमूर पठार ठीक है कैमूर पठार तो कैमूर पठार जो है वह किस इलाके में है तो कैमूर पठार जो है वह आपको इस वाले इलाके में देखने को मिलता है यहां पर मतलब कैमूर और रोहतास में इस पठार का विस्तार जो है वह कैमूर और रोहतास में देखने को मिलता है यह जो पठार है ना वह विंध पर्वत जो है इधर एमपी साइड में उसका ही जो है पूर्वी विस्तार है यह पठार उसी का पूर्वी भाग है यह पठार इसको हम रोहतास पठार भी सामान्य तौर पर कभी-कभी बोल देते हैं और यह राज्य के द दक्षिण पश्चिम में यह पठार जो है वह स्थित है ठीक है तो यह सारी बातों को देख करके ध्यान में रखिएगा यह कैमर पलटू तो पहला जो हमने डिवीजन देखा दैट इज कैमूर का पठार ठीक है कैमूर का पठार ये अगर देखा जाए तो ये कैसे-कैसे है तो इसके उत्तर में इस पठार के उत्तर में शाहाबाद यानी भोजपुर का मैदान है और दक्षिण में कैमूर जिला है तो इसके उत्तर में शाहाबाद का मैदान यानी भोजपुर का मैदान और दक्षिण में कैमूर जिला है इसकी लंबाई 483 किलोमीटर लंबा यह पठार है 80 किमी चौड़ाई में यह फैला हुआ क्षेत्र है ठीक है जिसका सबसे ऊंचा क्षेत्र कौन सा है रोहतासगढ़ ठीक है और जिसकी ऊंचाई है 495 मीटर तो कैमूर के पठार का सबसे ऊंचा क्षेत्र है क्या रोहतासगढ़ ठीक है अब देखिए कैमूर के पठार को छोटा नागपुर के पठार से देखो यहीं पर कैमूर का पठार जो है और इधर ही छोटा नागपुर का पठार भी है कैमूर के पठार के पास ही छोटा नागपुर का पठार भी इधर ही देखो यहीं पर है कैमूर का पठार यहां देख रहे आप अमूर का पठार और ये छोटा नागपुर का पठार है इसको जो नदी अलग करती है इसको जो नदी अलग करती है वो कौन सी नदी है इसको जो नदी अलग करती है वह सून नदी है कौन सी नदी सून नदी इन दोनों को सून नदी जो है वह अलग करती है ठीक है छोटा नागपुर के ऊपरी भाग में देखिएगा बेसिकली उत्तर साइड में तो छोटा नागपुर पठार का जो अपर पार्ट है जो नदन पार्ट है आप कह सकते हैं वहां पर किस प्रकार की चट्टाने मिलती है वहां पर नीस और ग्रेनाइट मिलता है और कैमूर पठार में बलुआ और चूना पत्थर मिलता है और दोनों को अलग करता है सोन रिवर दोनों को अलग कौन करता है सोन रिवर करता है यह कैमूर के पठार का क्षेत्र है इसके बाद गया के पहाड़ी क्षेत्र की अगर हम बात करें तो गया के पहाड़ी क्षेत्र में गया के दक्षिण भाग में यह मतलब अगर देखा जाए तो यह पहाड़िया जो है स्थित है गया के दक्षिणी भागों में बेसिकली आपको यह देखने को मिलेगा और छोटा नागपुर वाला पठार के उत्तरी भागों में तो इसके अंतर्गत कौन-कौन आता है गया औरंगाबाद नवादा जहानाबाद जेठिया हिंदज हल्दिया यह सब पहाड़ियां जो है वो इसी क्षेत्र में आती हैं बराबर और नागार्जुन पहाड़ियां जो गया और जहानाबाद की सीमा पर है वह भी इसी क्षेत्र में आती है प्रेतशिला भूत शिला रामशिला कटारी ब्रह्म योनि यह सब गया वाली क्षेत्र में ही आते हैं ठीक है तो ये सब इसी क्षेत्र में आता है जहानाबाद और गया के सीमा पर बराबर और नागार्जुन की पहाड़ी रामशिला प्रेतशिला भूत शिला ब्रह्म योनि कटारी पहाड़िया गया शहर के पास और बराबर पहाड़िया की औसत ऊंचाई 230 मीटर है ठीक है उसके बाद कौन सा इलाका आ गया अब यह वाला इलाका को समझने के बाद एक चीज और ध्यान रखिएगा हम लोगों ने कैमूर का पठार गया पहाड़ी क्षेत्र तीसरा पहाड़ी क्षेत्र कौन सा है राजगीर गिरक पहाड़ी क्षेत्र उसके बारे में भी हमको थोड़ा सा समझ लेना चाहिए राजगीर गिरक क्षेत्र के बारे में भी थोड़ा सा हमको देखना पड़ेगा ठीक है तो यह हमने देख लिया यह जो पहाड़ी क्षेत्र है वह नालंदा जिले में स्थित है जिसमें वैभव गिरी सोनगिरी विपुला गिरी रत्नागिरी नामक पहाड़ियां शामिल है इनमें वैभव गिरी की ऊंचाई सबसे अधिक है 3 80 मीटर शांति स्तूप इसके पूर्व में है तथा रत्नागिरी दक्षिण में है इन पहाड़ियों में क्वाट साइट और स्लेट इसकी प्रधानता है यह किसकी बात कर रहे हैं राजगीर गिरियक पहाड़ी क्षेत्र की यानी इस वाले इलाके में जो पहाड़ी क्षेत्र है हम इस क्षेत्र की बात कर रहे हैं ठीक है यहां पर जो पहाड़ी का इलाका है नालंदा के के इर्दगिर्द उसी पहाड़ी क्षेत्र की हम जो है यह बात कर रहे हैं ठीक है और कौन सा है एक है नवादा मुंगेर पहाड़ी क्षेत्र यह वाला नवादा मुंगेर पहाड़ी क्षेत्र ठीक है तो यह जो है ये कह सकते हैं आप कि अ ये जमालपुर से लेकर जमुई तक फैला हुआ है नवादा मुंगेर पहाड़ी क्षेत्र ये नवादा मुंगेर पहाड़ी क्षेत्र भी एक पहाड़ी क्षेत्र है ठीक है तो यह आपको दिख भी रहा है यह बेसिकली जो है वह मुंगेर जमुई नवादा इन सब क्षेत्रों के बीच यह जो है वह फैला हुआ है ठीक है इसी क्षेत्र में कौन सा पहाड़ी है इसी क्षेत्र में खड़कपुर की पहाड़ इसी क्षेत्र में शामिल है यह जमालपुर से मु जमुई तक जो है यह खड़कपुर की पहाड़ियां फैली हुई है जमुई पहाड़ी का उत्तरी भाग गंगा नदी तक फैला हुआ है ठीक है यानी य जो नवादा और मुंगेर पहाड़ी क्षेत्र है यहां पर जमुई पहाड़ी का इलाका भी आता है यह बेसिकली नवादा मुंगेर जमुई इन सब क्षेत्रों में फैला हुआ है इस पहाड़ी क्षेत्रों में आपको क्या देखने को मिलेगा इस पहाड़ी क्षेत्रों में वाकिया चकाई मंदार गंगेश्वरी शेखपुरा पीठ बिहार शरीफ जमालपुर इत्यादि की पहाड़ियां है और यहां पर क्वार्ट साइट की प्रधानता है यहां पर क्वार्ट साइट की प्रधानता है याद रखेंगे क्या हो गया सब भाग काहे गया सब मैच देखने भाग गया का हो मैच देखने भाग रहे हैं क्या आप लोग बढ़िया है एक मिनट चलिए अब बिहार की जो अलग-अलग पहाड़ियां है जैसे सोमेश्वर पहाड़ी तो अलग-अलग जो पहाड़ियां है ना उसका मैंने यहां पर आपको ऊंचाई ऊंचाई दे दिया है मन करे तो देखिएगा नहीं मन करे तो मत देखिएगा इच्छा करे तो देखना चाहिए वैसे इसको देख लेना चाहिए जो जो पहाड़िया है इनकी ऊंचाइयों को देख लीजिएगा ये चार्ट में बनाया हुआ है अब देखो बेसिकली चलिए हम स्टार्ट करते हैं कि हम लोगों ने कहां से स्टार्ट किया था तो देखो हम लोगों ने सोमेश्वर श्रेणी देख लिया रामनगर दून देख लिया दून घाटी देख लिया उत्तरी गंगा का मैदान देख लिया दक्षिणी गंगा का मैदान देख लिया यानी और जो है जो पठारी क्षेत्र था जिसमें कैमूर का पठार जो या फिर धरवार का जो क्षेत्र है कैमूर का क्षेत्र है उत्तरा उत्तरी छोटा नागपुर का क्षेत्र है इन सारी चीजों को हमने यहां पर देख लिया यानी दक्षिण का जो पठारी इलाका है उसको भी हमने देख लिया ये तीनों पोर्शंस को हमने देख लिया है ठीक है अब जो है वह हम बिहार की जलवायु वाले खंड में चलते हैं बिहार की जलवायु वाले खंड में हमको चलना चाहिए सही भी रहेगा क्या लगता है बिहार की जलवायु वाला क्षेत्र बिहार के जलवायु वाले क्षेत्र पर थोड़ी सी चर्चा कर ली जाए ठीक है तो देखिए जलवायु का जो हम बात कर रहे हैं तो यहां पर उपोष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु ठीक है यहां पर कैसे जलवायु पाई जाती है तो अगर हम क्लाइमेट पर बात करते हैं बिहार के क्लाइमेट पर तो अगर हम बिहार के क्लाइमेट पर बात करते हैं क्लाइमेट ऑफ बिहार बिहार में सब ट्रॉपिकल मानसून क्लाइमेट है सब ट्रॉपिकल मानसून क्लाइमेट आपको यहां पर देखने को मिलेगा सब ट्रॉपिकल मानसून ठीक है अब जो है यहां पर अगर हम सब ट्रॉपिकल क्लाइमेट या मानसून क्लाइमेट की बात कर रहे हैं यानी उपोष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु है यानी यहां पर उपोष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु आपको देखने को मिलती है ठीक है यह चीज याद रखना है एक चार्ट आपको ध्यान में रखना है वो चार्ट बस याद कर जाना है उसका कोई उपाय है नहीं अब देखिए कहीं की भी जलवायु हो कहीं की भी जलवायु हो वह कैसे डिपेंड करती है देखो किसी की भी जलवायु उसका अक्षांश का स्थिति क्या है कितना मान लो वह सन से दूर है मतलब सन मतलब अक्षांशीय स्थिति क्या है मतलब लटटू जो जो उसका एक्सटेंट है वो कितना है अब वो अगर पोल से नजदीक होगा यानी ध्रुवों से नजदीक होगा तो वहां पर ठंडा का प्रभाव ज्यादा होगा ठीक है विश्वती क्षेत्र इक्वेटोरियल जो लाइन है उससे नजदीक होगा तो वहां पर क्या हो जाएगा वहां पर गर्मी का प्रभाव ज्यादा देखने को मिलेगा तो कहने का मतलब है कहने का जो मतलब है कि जो अ क्लाइमेट है वो लटटू पर भी डिपेंड करता है यानी वहां का अक्षांशीय विस्तार कैसा है इस पर भी डिपेंड करता है हिमालय के ऊपर में अवस्थिति हमारे आप नेपाल से भी देख रहे हैं मतलब बिहार से भी देख रहे हैं कि वहां पर भी हिमालय है उसका प्रभाव है तो हिमालय के कारण जो रशिया और साइबेरिया की जो हवाएं हैं ठंडी हवा वो हमको नहीं मिलती है तो उसका भी प्रभाव हमारे क्लाइमेट पर पड़ेगा हिमालय नहीं होता तो वहां से ठंडी हवाएं हमको सीधा मिलती बंगाल की खड़ी से हमारा डिस्टेंस है जिसके कारण हमारा क्लाइमेट अलग होगा ठीक है हम लैंड लॉक्ड कंट्री हैं उसके कारण भी हमारे क्लाइमेट में कुछ भिन्नता एं देखने को मिलेंगी तो ढेर सारे ऐसे फैक्टर्स है जिसके कारण हमारा जो क्लाइमेट है वह डिपेंड करता है ठीक है क्लियर है अब देखो अगर हम देखें तो यहां पर अलग-अलग जलवायु का वर्गीकरण है कोपेन ने क्या वर्गीकरण किया था ठीक है उसके बाद जो विवार्था है उसने क्या वर्गीकरण किया था क्लियर है समझ गए तो यह सब चीजें हैं थावेट ने क्या जो है वर्गीकरण किया था तो यह सब चीजें हैं इसको थोड़ा सा देखना पड़ेगा ठीक है कि कौन-कौन सा जो जो जो हमारा जो यह है डिवीजन है वह कैसे कैसे मूव करता है ठीक है तो उसको भी हम लोग यहां पर देख सकते हैं जैसे अगर बात करें तो देखिए इसको तो थोड़ा सा याद रखना पड़ेगा इसमें कोई उपाय न को हम भी इसको ले घूमते हैं हमें भी याद नहीं रहता है एग्जाम के दिन ही याद रखना होगा इसमें ठीक है तो जैसे हम बात कर रहे हैं कोपेन तो कोपन के हिसाब से यह नदन बिहार है नॉर्थ बिहार यह सदन बिहार है ठीक है तो कोपेन के हिसाब से जो हमारा क्लाइमेट है वो कैसा है कोपेन के हिसाब से अगर हम उत्तरी बिहार के क्षेत्रों में बात करें तो कोपेन के हिसाब से हम क्लाइमेट कैसा है हमारा सीडब्ल्यू जीी याद रखिएगा सी डब्लू जीी ठीक है सी डब्लू जी और साउथ बिहार में कैसा है साउथ बिहार में ए डब्लू साउथ बिहार में ए डब्लू इस चार्ट को बना ही लेना है ठीक है इसके अलावा अगर हम बात करें इसके अलावा अगर हम बात करें तो ट्रीवार्था त्रिवार के अनुसार सी ए डब्लू और ए डब्लू तो ट्रीवार्था ट्रीवार्था के अनुसार सी ए डब्लू और ए डब्लू ट्रीवार्था अनुसार सी डब् और ए डब् और थर्न विट के हिसाब से थर्न विट के हिसाब से उसके हिसाब से कैसा मामला है सीबी डब् और सी एड सी बीड और सीड यह बेसिकली उत्तर पश्चिमी के संकीर्ण क्षेत्र की बात करते हैं तो नॉर्थ वेस्ट का यह बात करते हैं नॉर्थ वेस्ट का जो नैरो एरिया है वहां पर सीबी डब् नॉर्थ वेस्ट का जो नैरो स्ट्रिप है उसके लिए यह बात करते हैं और वैसे अदर जो बिहार का पोर्शन है उसके लिए सी एड ऐसा पोर्शन है ऐसा पोर्शन हम बात करते हैं और यहां क्लाइमेट है जलवायु जलवायु ठीक है याद रहेगा यह मुझे भी याद नहीं रहता है आपको याद रख लीजिए अब आपको एसडीएम बनना है तो याद रखना ही पड़ेगा ठीक है बिहार में सामान्यत तीन ऋतुएं होती है एक ग्रीष्म ऋतु जब सूर्य जो है वह नॉर्थ वर्ड पोजीशन पर चला जाएगा उत्तर यन हो जाएगा तब उस उस स्थिति में तापमान बढ़ने की कोशिश हो जाती है तापमान बढ़ता है तापमान बढ़ेगा जहां पर टेंपरेचर बढ़ता है वहां पर प्रेशर कम हो जाता है क्योंकि वहां से हवाएं ऊपर उठ जाती है आप देखे होंगे ना भाई जैसे ही गैस जलाते हैं तो हवा ऊपर उठती है तो टेंपरेचर जहां पर बढ़ता है वहां से जो प्रेशर है वह कम हो जाता है हवाओं का जो दबाव है वह कम हो जाएगा क्योंकि हवा ऊपर उठ जाएगी गैस में भी देखिएगा ठीक है याद रहेगा यह देखिएगा यह मार्च से मध्य जून की स्थिति होती है इस मौसम में पश्चिम और मध्य बिहार में गर्म हवाएं चलती हैं जिन्हें हम लू कहते हैं इस मौसम में तापमान 32 डिग्री सेल्सियस होता है सबसे गर्म स्थान जो है वह गया है जहां पर सेल्सियस तापमान भी देखने को मिलता है अगला मानसून आने के पूर्व बिहार में बंगाल की खाड़ी से आने वाले उष्ण कटिबंधीय चक्रवा तों के कारण वर्षा होती है यानी मानसून से पहले भी बिहार में वर्षा हो हो जाती है जिसको हम क्या कहते हैं नॉर्वेस्टर या काल वैशाखी हम जिसको कहते हैं तो ये थोड़ा सा ध्यान रखना है नॉर्वेस्टर या काल वैशाखी हम जिसको कहते हैं क्लियर है उसके बाद अगर हम वर्षा ऋतु की बात करें यानी रेनी सीजन की बात करें तो जून मध्य से अक्टूबर मध्य के बीच के समय को बिहार में वर्षा ऋतु के रूप में जानते हैं जैसे अभी हमने देखा कि सूर्य के उत्तरायण की स्थिति जो मार्च से मध्य जून तक है यानी मार्च टू मिडल ऑफ द जून दैट इज समर सीजन यह मिडल ऑफ द जून टू अक्टूबर इज द क्या बोल सकते हैं इ द रेनी सीजन और बिहार में मानसून का प्रवेश मध्य जून में होता है और बिहार में जुलाई एवं अगस्त में अधिक वर्षा होती है बिहार में औसत वर्षा 112 सेंटीमीटर होती है और यहां सर्वाधिक वर्षा देख रहे हैं ना मध्य जून में होता है बारिश जो हो रहा है और यहां सर्वाधिक वर्षा किशनगंज जिले में तथा सबसे कम वर्षा औरंगाबाद जिले में होती है यह डटा है चेंज भी हो सकता है ठीक है ये डटा है चेंज भी हो सकता है बंगाल में जो मानसून आता है तो जो जो साउथ वेस्टर्न मानसून आता है उससे बंगाल में ज्यादा वर्षा होती है तो साउथ वेस्टर्न मानसून के प्रभाव से जो मानसून की जो जो बिहार में दक्षिण पश्चिम मानसून की जो बंगाल की खाड़ी की शाखा है वहां से सर्वाधिक जो वर्षा होती है ठीक है तो बंगाल की खाड़ी शाखा से बिहार में सर्वाधिक वर्षा देखने को आपको मिलता है ठीक है बिहार में उत्तरी भाग में अधिक वर्षा प्राप्त करता है क्योंकि उ तभी यही कारण है कि उत्तरी बिहाग बाढ़ से तथा दक्षिणी भाग में वर्षा का प्रभाव कम रहता है तो वह सूखा से प्रभावित होता है तो बिहार में दो भाग है एक में सूखा ज्यादा एक में ऊपर वाले में बाढ़ आता है नीचे वाले में सूखा का क्षेत्र रहता है ठीक है शीत ऋतु देखा जाए तो इसका काल मध्य अक्टूबर से फरवरी माह तक होता है मानसून लौटने के साथ बिहार में शीत ऋतु आरंभ हो जाती है जैसे ही मानसून लौटता हुआ मानसून आपने ज्योग्राफी में पढ़ा होगा जैसे ही मानसून लौटने लगता है विड्रॉल ऑफ द मानसून होता है वैसे ही शीत ऋतु बिहार में स्टार्ट हो जाता है दिसंबर से लेकर दिसंबर जनवरी माह जो है वो स्पेशली ठंडा रहता है हालांकि मार्च तक ठंडा का प्रभाव आपको देखने को मिलता है ठीक है थंड में भी भूमध्य सागर जो मेडिटेरियन सी है वहां पर जो है ना वो साइक्लोन बन जाता है ठीक है ट्रॉपिकल सॉरी टेंपरेट साइक्लोन बन जाता है वहां पर मेडिटेरियन सी में तो मेडिटेरियन सी में टेंपरेट साइक्लोन बनने के कारण आप देखिएगा मेडिटेरियन सी में अब इधर देखिए यहां मान लो इंडिया है इधर जो है मेडिटेरियन सी में टेंपरेट साइक्लोन बन जाता है जिसका प्रभाव जो है वो बिहार के मतलब भारत के भी क्षेत्रों में पड़ता है और उसका प्रभाव बिहार में भी पड़ता है यहां पर पंजाब उंजा में भी इसका प्रभाव पड़ता है और यहां पर हल्की-हल्की बारिश जो है वह हो जाती है और जो कि रवि फसल के लिए काफी लाभदायक होती है तो यह जो ठंड है वो बिहार में ल रब फसल और बारिश हो गई तो उसने रवि फसल के लिए चार चांद लगा दिया ठीक है तो रवी फसल के लिए काफी अच्छा होता है बिहार में अगर हम कृषि जलवायु क्षेत्र की बात करें तो बिहार में अगर हम कृषि जलवायु क्षेत्र की अगर हम बात करने की कोशिश करें तो हमको दिखेगा बिहार में अगर हम कृषि जलवायु क्षेत्र देखें तो देखिए कृषि एग्रो क्लाइमेटिक जोन हम थोड़ा सा उसको देखते हैं यहां पर देखिए तीन जोन है जोन वन अब देखिए सब जोन में अलग-अलग विशेषताएं होंगी जोन टू और जोन थ्री जोन थ्री को हम दो भाग में बांटते हैं मतलब ए और बी ठीक है अब देखिए अगर ये सवाल बी बीपीएससी में पूछा हुआ है कि किस जोन में सबसे ज्यादा डिस्ट्रिक्ट है तो देखिएगा सबसे ज्यादा डिस्ट्रिक्ट तो जोन थ्री को मिला दें तो सबसे ज्यादा हो जाएगा 13 डिस्ट्रिक्ट और वैसे इंडिविजुअली एक ज़ोन में 11 यहां इसका यहां सॉरी यहां 17 हो जाएगा यहां 13 है तो जन थ्री को अगर मिला दें तो 17 डिस्ट्रिक्ट है वैसे ज़ोन वन में 13 डिस्ट्रिक्ट है ठीक है अगर देखा जाए तो कौन-कौन सा डिस्ट्रिक्ट है उसको यहां से आपको देखना पड़ेगा तो जैसे देखिए यहां पर जो है मैप भी होगा यह देखिए जो आपको पिंक वाला इलाका दिख रहा है यह ऑरेंज वाला सॉरी यह जन ए है या जन वन आप कह सकते हैं जोन टू का इलाका यह ब्लैक वाला दिख रहा है तो डिस्ट्रिक्ट भी आपको कम ही दिख रहा है तो जोन टू में आठ ही डिस्ट्रिक्ट है और जोन थ्री जो है ये है 3a 3b यहां पर a और यहां b 3a 3b और ये जोन वन ठीक है सबसे ज्यादा डिस्ट्रिक्ट जोन थ्री में है 11 और + 6 17 ठीक है और और जोन वन में भी डिस्ट्रिक्ट है लेकिन वो सेकंड नंबर पर है इसको थोड़ा सा ध्यान में रखना है अब सबकी विशेषता अलग-अलग है इन जोन वन में जोन टू में जोन थ्री में जैसे अगर मैं बात करूं जोन वन की तो जन वन में जो बारिश होता है वो 104 सेंटीमीटर के अराउंड होता है 104 से लेकर 145 तक ठीक है यहां पर 104 से 145 यहां जो है वो खादर जो है खादर यानी नई जलोढ़ मिट्टी यहां पर पाई जाती है यहां गन्ना धान गेहूं यह सब उगाए जाता है ठीक है अगर हम जोन टू में देखें तो यहां पर जो बारिश होती है वह 120 से लेकर लगभग 145 तक यहां पर भी होता है 140 45 तक ठीक है 140 सेंटीमीटर तक वर्षा इधर के क्षेत्र में भी देखने को मिलती है इ में भी आपको नवीन जलोढ़ और पुरानी जलोढ़ दोनों प्रकार की मिट्टी मिलती है जूट धान चाय यह सब यहां पर जो है वो मिलता है ठीक है जून 3 वाले इलाके में हमको वर्षा जो है वो थोड़ा सा कम मिलता है 95 से 115 सेंटीमीटर का वर्षा हमको यहां पर मिलता है ठीक है यहां पर बांगर मिट्टी यानी पुरानी जलोढ़ मिट्टी की यहां पर प्रधानता है गेहूं दाल अरहर यह सब जो है वो इस क्षेत्रों में उगाए जाते हैं ठीक है तो इन तीनों क्षेत्रों की जो विशेषता है वह अलग-अलग है इन तीनों एग्रो क्लाइमेटिक कंडीशन की जो विशेषताएं हैं वह अलग-अलग है तो जोन वन जूनन टू जूनन थी ठीक है इसको थोड़ा सा देखिए होगा अब जो है अगला पोर्शन हमारा क्या रहेगा अगला पोर्शन हमारा रहेगा बिहार की नदियां ड्रेनेज सिस्टम ऑफ बिहार ड्रेनेज सिस्टम ऑफ बिहार ड्रेनेज सिस्टम ऑफ बिहार को पढ़ने की इच्छा रखते हैं आप लोग ड्रेनेज सिस्टम ऑफ बिहार अगर पढ़ लेंगे तो आधा चीज तो यही खत्म हो जाएगा ड्रेनेज सिस्टम ऑफ बिहार अगर हम हम लोग पढ़ लेंगे आधा जो पोर्शन है वह हमारा यहीं खत्म हो जाएगा हमारा इंपॉर्टेंट टॉपिक है ड्रेनेज सिस्टम ऑफ बिहार सॉइल्स ऑफ बिहार यह सब इंपॉर्टेंट टॉपिक है मिट्टी भी काफी इंपॉर्टेंट टॉपिक है बिहार में तुम लोग तो भाग ही रहे हो आज तो फिर कसे ही पढ़ोगे भाग ही रहे हो तो फिर कैसे ही पढ़ोगे भाई चलिए आज के क्लास अपॉर्चुनिटी कॉस्ट हो गया हा मैच भी चल रहा है आज पैरेलली क्या चलिए बिहार की मीट जो नदी है उसको देख लेते हैं बिहार में दो प्रकार की नदियां है एक है हिमालयन रिवर और एक है प्लेटो रिवर ठीक है हिमालयन रिवर कैसी होती है पेरिनियल पेरिनियल का मतलब सदानीरा वर्ष भर यहां पर इन नदियों में पानी रहता है यह उत्तर से दक्षिण यानी ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होती हैं नदियां बड़े-बड़े डेल्टा का निर्माण करती है डेल्टा वगैरह तो आपने पढ़ा होगा ठीक है जो वी आकार का सेप नदियां जो है वह निर्माण करती है डेल्टा ठीक है तो ये ज्योग्राफी में पढ़ा होगा ये सब ज्योग्राफी में बेसिक कांसेप्ट होता है डेल्टा ठीक है डेल्टा और एचूज ठीक है तो डेल्टा आकार बन जाता है नदियों के द्वारा जो है जब ढेर सारा सेडिमेंट्स को जो बहाकर लेकर आती है फिर जब स्पीड जब कम होता है वहां पर वो लोग क्या करते हैं इस प्रकार का एक डेल्टा शेप बन जाता है ठीक है यहां पर छोटे हैं ये नदियां जो है वो प्रौढ़ अवस्था में है और ये नदियां जो है वो बाल्य अवस्था में है ये नई है ये मतलब पुरानी अवस्थाएं हैं ऐसा कह सकते हैं यह मार्ग परिवर्तन करने एवं गोखुर झील अभी बताया ऑक्सबो लेक और साथ ही साथ ये अपना मार्ग भी परिवर्तित करती है मतलब ये अपने डायरेक्शन को भी चेंज करती हैं ठीक है यह सीधी गमन करने वाली नदियां है य सीधा चलती है यहां पर देखते हैं इसलिए उत्तरी बिहार में बाढ़ का प्रभाव ज्यादा है आज यहां बैठे हुए हैं पता चला कल यहीं से बैठे थे लिए दिए निकल गया नदी बिहार में वैसे ही हाल है उत्तर बिहार में क्या है नदिया अपना मार्क चेंज कर लिया आपने अपना कुर्सी दूसरा जगह लगाया नदी का मार्ग दूसरा जगह से हो गया तो आपको लिए दिए सब साफ करके निकल जाएगा ठीक है अत्यधिक जल संग्रहण के कारण बाढ़ का कारण बनती है गंगा गंडक कोशी महानंदा बागमती नदियां इसके अंतर्गत आती हैं तो यहां पर आपको बिहार की नदियां दिख रही हैं ठीक है अब इन नदियों में प्रमुख प्रमुख जो नदियां हैं हम उन पर यहां पर डिस्कशन करेंगे तो बेसिकली यहां पर जो इंपॉर्टेंट रिवर्स हैं उसके बारे में हम यहां पर थोड़ी-थोड़ी बात कर लेंगे कि कौन-कौन से इंपॉर्टेंट रिवर्स हैं ठीक है जैसे अगर देखा जाए तो यहां पर देखिए गंगा नदी है गंगा नदी का जो उद्गम है वह गंगोत्री है यह बंगाल की खाड़ी में इसका मुहाना है मतलब मुहाना के अंदर माउथ जहां ये जाकर गिरती है और उद्गम का मतलब सोर्स ठीक है तो सोर्स या कॉन्फ्ल ठीक है अंग्रेजी में भी है घागरा का तिब्बत उद्गम है और इसका मुहाना गंगा से यह मिलती है सारन में ठीक है गंडक रिवर जो है वह नेपाल में इसका उद्गम है और यह मिलती है गंगा से सोनपुर में ठीक है बूढ़ी गंडक जो है वह सोमेश्वर पहाड़ी पश्चिमी चंपारण वही इसका उद्गम है और यह गंगा नदी से खगड़िया में मिलती है बागमती नदी जिसको हम महाभारत श्रेणी नेपाल से निकलती है कोसी में मिल जाती है कमला जो है वह भी कोसी में मिल जाती है कोशी जो है वह गोसाई स्थान नेपाल से निकलती है और कुरसेला कटिहार के समीप जो है यह बिहार में मिल जाती है मतलब गंगा में मिल जाती है और इन सभी नदियों की जो जो नदियां इंपॉर्टेंट है और जिन जिन नदियों का एग्जैक्ट डाटा अपने पास है उन एग्जैक्ट डाटा का मैंने यहां पर लेंथ दे दिया है ठीक है तो एजेक्ट डटा है उसका ही दिया है और भी ढेर सारे डटा है मैंने क्लास में करवाया है लेकिन एग्जैक्ट वाले का दिया है जिसके जिसका डाटा हर जगह आपको है वही डाटा मैंने दिया है ठीक है जबरदस्ती का डाटा नहीं डाला है ठीक है हालांकि जब आप किताब पढ़ेंगे यह वाला पीडब्ल्यू की जो किताब है यह वाली इसमें आपको ढेर सारा डाटा मिलेगा ठीक है इसमें ढेर सारा डाटा है इसको आप पढ़ सकते हैं तो लेकिन मतलब वो अब वो डाटा दूसरी किताबों में नहीं मिलता है इसलिए मैंने वो डाटा को लिया ही नहीं ठीक है जैसे यहां पर देखिएगा तो इसमें ढेर सारा डाटा दिया हुआ है लेकिन फिर वो दूसरे जगह पर नहीं मिलता है इसीलिए बेसिक मेरा जो कारण था कि इस प्रकार का डाटा नहीं लाने का वो यही था कि वो दूसरे किताबों में वो डाटा नहीं मिलता है ठीक है तो इसको भी इसी तरीके से याद रखिएगा तो काम बन जाएगा चलिए इधर महानंदा है पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले की पहाड़ियों से निकलती है और गंगा में मालदा से मिल जाती है मालदा के समीप गंगा से मिल जाती है कर्म नासा जो रिवर है वह विंद पहाड़ी से निकलती है गंगा से चौसा के समीप मिलती है सोन जो है वह अमर कंटक पहाड़ी से निकलती है गंगा से दानापुर के समीप मिलती है पुनपुन झारखंड में निकलती है गंगा से पथुवांचरी व जो है व छोटा नागपुर से पठार और पुनपुन नदी के साथ गंगा में मिल जाती है तो फल गू और जो पुनपुन है वो एक साथ मिलकर के गंगा नदी में फाइनली मिल जाती है फिर अजय रिवर है जमुई में उसका उद्गम है और गंगा से पश्चिम बंगाल में इसका जो है वह मुहाना है मतलब गंगा में यह जाकर के मिल जाती है पश्चिम बंगाल के के पास ठीक है उसके बाद क्यूल है हजारीबाग झारखंड से निकलती है और लखी सराय में गंगा से मिल जाती है सकरी छोटा नागपुर पठार से निकलती है और क्यूल नदी के साथ यानी ऊपर वाली नदी के साथ ही गंगा से मिल जाती है मतलब दोनों साथ मिलकर गंगा में फाइनली मिल जाते हैं तो ये सब चीज जो है ना ये वाला फैक्ट पूरा डाटा जो है वो थोड़ा सा ध्यान रखना पड़ेगा गंगा रिवर में यहां पर एक चीज आप ध्यान दीजिए उत्तर बिहार की एक नदी है महानंदा यह महानंदा गंगा से बिहार के बाहर मिलती है महानंदा जो है वह गंगा से बिहार के बाहर मिलती है यह थोड़ा ध्यान रखिएगा कहां मिलती है मालदा मालदा कहां है पश्चिम बंगाल में यह गंगा से बिहार के बाहर मिलती है और बाहर कहने का तात्पर्य है कि यह पश्चिम बंगाल में गंगा से मिलती है ठीक है याद रहेगा ये चीज ध्यान में रहेगा चलिए द नेक्स्ट क्वेश्चन अब थोड़ा सा एक एक रिवर्स के बारे में थोड़ा-थोड़ा जो बेसिक जो चीजें हैं उसको देखते हैं ठीक है तो गंगा नदी उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है इसकी लंबाई 2525 किलोमीटर है और बिहार में इसकी लंबाई 445 किलोमीटर है यह गंगा नदी की बात हो रही है अब देखिएगा देव प्रयाग जो है वहां पर अलख नंदा और भागीरथी दोनों नदियों के मिलने के बाद इस नदी को हम गंगा नदी के नाम से जानते हैं तो ये ज्योग्राफी में आपने पढ़ा होगा कि देवप्रयाग के समीप कौन मिलता है भागीरथी और अलकनंदा यह दोनों नदी देव प्रयाग में मिलती है और इन दोनों दोनों नदियों के मिलने के बाद जो भागीरथी और अलक नंदा जब देव प्रयाग में मिलती है तो इसके बाद जो होता है इसको कहा जाता है गंगा ठीक है यह बिहार की सबसे प्रमुख नदियों में से एक है और गंगा नदी के बारे में अगर हम सोचे तो गंगा नदी का अगर हम मैप देखें थोड़ा सा नदी का मैप देखते हैं यहां देखिए यहां पर गंगा है यह जो बिहार में प्रवेश करती है तो यह कहां से प्रवेश करती है बिहार में बक्सर से बक्सर में चौसा के समीप जहां चौसा का युद्ध हुआ था उस चौसा के समीप से यह बिहार में प्रवेश करती हैं ठीक है उसके बाद भागलपुर कटिहार इन सबके बीच सीमा बनाते हुए ये पश्चिम बंगाल में चली जाती है यहां पर देखिए भागलपुर कटिहार इन सब से बाउंड्री शेयर करते हुए यह फिर भागलपुर और कटिहार से मतलब कटिहार एवं भागलपुर से सीमा बनाते हुए यह पश्चिम बंगाल में निकल जाती है ठीक है गंगा नदी बिहार में 12 ड़ से गुजरती है गंगा रिवर जो है वह बिहार में कुल 12 जिलों से गुजरती है आपको कमेंट भी करना है यह 12 डिस्ट्रिक कौन-कौन से हैं जिससे गंगा नदी बिहार में बिहार में गुजरती है तो 12 डिस्ट्रिक्ट ऐसे हैं जिससे गंगा नदी जो है वह गुजरती है गंगा की सहायक नदियों में देखिएगा तो ऊपर से अगर देखेंगे अगर गंगा की सहायक नदियों में हम लोग ऊपर से देखते हैं तो हमको कौन दिखता है यहां पर घागरा गंडक बूढ़ी गंडक बागमती कमला कोसी महानंदा यह सब जो है यह सब गंगा की सहायक नदियां है ठीक है लेकिन अगर देखा जाए तो यह सब नदियां जो है वह बिहार में ही गंगा से मिल जाती है लेकिन यहां महानंदा जो नदी है ना महानंदा और अजय यह दोनों नदियां बिहार में गंगा से बाहर में मिलती हैं मतलब बिहार से बाहर मतलब गंगा से मिलती हैं ये दोनों नदियां बिहार से बाहर गंगा में मिलती है बाद बाकी ये जो और नदिया है यह सब गंगा से बिहार के भीतर ही मिल जाती है ठीक है बांग्लादेश में जब ये जाती है तो इसको हम पद्मा के नाम से जानते हैं बांग्लादेश में हम गंगा को पद्मा के नाम से जानते हैं और फिर फाइनली ये बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है ठीक है इसको ध्यान में रहेगा यह गंगा रिवर तो गंगा रिवर ध्यान में रहेगा तो गंगा रिवर कहां-कहां से गुजरती है भाई कौन बताएगा 12 लोकेशन किसी को याद है 12 का 12 लोकेशन मैं बता दूं देखो सबसे पहला तो कौन सा डिस्ट्रिक्ट आ जाएगा जहां से गंगा निकलती है पहला तो आपको बक्सर देखने को मिलेगा बक्सर भोजपुर सारण पटना य तो यह तो आपको दिख ही रहा है बक्सर भोजपुर सारन पटना वैशाली समस्तीपुर बेगूसराय मुंगेर वैशाली समस्तीपुर बेगूसराय कहां गया वैशाली भैया आंख से ओजल हो गया वैशाली समस्तीपुर बेगूसराय मुंगेर खगड़िया खगड़िया से जाती है कि नहीं भागलपुर से जाती है कि नहीं भागलपुर से जाती है कि नहीं बिल्कुल खगरिया कटिहार भागलपुर और लखी सराय तो खगरिया कटिहार भागलपुर और लखी सराय लखी सरा तो बक्सर भोज सारन पटना वैशाली समस्तीपुर बेगूसराय मुंगेर खगड़िया भागलपुर कटिहार और लखी सराय ठीक है यह गंगा नदी का पूरा मामला है आज से जब आप एसडीएम बन जाएंगे डिप्टी एसपी बन जाइएगा मान लीज ऐसे ही कभी मेरा सेशन चल रहा होगा कभी जब हमारा सेशन चल रहा होगा पटना तो है ना पटना नहीं लिखे क्या पटना भी है भाई पटना तो होमी कर दिए होंगे है चौथा नंबर बोलने में बोले होंगे क्या पता नहीं याद नहीं है अब देखो अगला नदी जो है वह कौन सा है घागरा ठीक है अगला नदी जो है वह कौन है घागरा जब आप लोग एसडीएम बन जाएंगे और फिर जब य प हमारा सजेशन वीडियो आता रहेगा मान लीजिए तो बन गए होंगे तो नए नए जब बनेंगे तो फिर आता ही रहेगा सजेशन वीडियो फिर सोचेगा अरे यार अब क्या अब तो हो गया नहीं सब ज्यादा इसमें परेशान होता है दो चीज में गजब परेशान होता है एक जब मैं क्लास लेने जाता हूं तो क्लास कब तक चलेगा पहला जवाब पहला सवाल यह है दूसरा क्लास खत्म होने को होता तो पीडीएफ कहां मिलेगा तीसरा सवाल जब मैं पीड क्लासेस ले रहा होता हूं कि सर क्लास कितना दिन चलेगा ये तीन सवाल कोई जवाब नहीं मेरे इन तीन सवालों का मेरे पास कोई जवाब नहीं ठीक है इसको याद रखना है तीनों का मेरे पास कोई आंसर नहीं है जब तक इच्छा होगी तब तक चलेगा जब तक शक्ति रहेगी तब तक चलेगा दोनों मामला है जब तक इच्छा रहेगी और जब तक शक्ति रहेगा दोनों केसेस में क्लासेस चलते रहेंगे ठीक है अगला जो है यह घाघरा रिवर है यहां पर अगला जो मामला है वह घागरा रिवर का है अब देखिए घागरा रिवर की अगर हम बात करें तो घागरा नदी मानसरोवर तिब्बत के पास से निकलती है और बिहार के सिवान में प्रवेश करती है उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बहती हुई सारण में यह गंगा में मिल जाती है तो लोकेशन जरूर ध्यान रखना है कहां कौन मिल रहा है घागरा नदी को हम सरयू नदी भी कहते हैं मैदानी भाग में नेपाल में इसको करनाली या गगरा नदी भी कहा जाता है इस नदी की सहायक नदी जो है वह राप्ती छोटी गंडक सारधा री सेती इसकी सहायक नदियां है ठीक है तो यह सारे चीज भी आपको थोड़ा-थोड़ा करके ध्यान में रखना है इसकी सरयू गोगरा करनाली यह सब नदियां है और इसकी सहायक नदियां राप्ती छोटी गंडक शारदा भेरी शती ठीक है इसको पेड़ वाले बच्चे लिख लेंगे क्योंकि सहायक नदिया उनका छूटा था तो ये नदियों का सहायक नदी लिख लेंगे ठी याद तो ऐसे रहेगा नहीं लेकिन फिर भी मन की संतुष्टि तो कहीं ना कहीं से प्राप्त करनी ही पड़ेगी अगला जो रिवर है वो गंडक रिवर है ठीक है तो गंडक रिवर का जो मैप है उसको देख लीजिए गंडक रिवर कहां है यहां देखिए यहां पर आपको गंडक रिवर दिख रहा है ठीक है तो गंडक नदी को नारायणी भी कहा जाता है सप्त गंडकी भी कहा जाता है ठीक है तो बेसिकली गंडक रिवर यहां पर है उत्तरी गंगा के मैदान की नदिया है यह तो गंडक रिवर जो है उसको थोड़ा सा देखते हैं गंडक नदी को नारायणी मैदानी भाग में सप्त गंडकी या साली ग्रामी रिवर भी हम कहते हैं गंडक की मुख्य शाखा धौलागिरी और अन्न पूर्णा श्रेणियों को पार करते हुए कार्ज बनाते हुए बिहार में भैसा लोटन पश्चिमी चंपारण में प्रवेश करती है ठीक है तो अगर हम कह सकते हैं कि जो गंडक की मुख्य शाखा धौलागिरी और अन्नपूर्णा इन दोनों श्रेणियों को पार करते हुए कहां पर प्रवेश करती है बिहार में यह प्रवेश करते हैं और गंडक नदी का उद्गम कहां है यह धौलागिरी और जो अन्नपूर्णा है नेपाल में है और गंगा से गंगा में यह मतलब यह बिहार में जो है एंट्री करते हैं और गंगा से यह कहां पर मिलती हैं तो गंगा से ये सोनपुर के पास जो है वह मिलती है ठीक है गंगा से ये सोनपुर के पास जो है वह मिलती है और पश्चिमी चंपारण में यह प्रवेश करती हैं यह प्रदेश यह उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच 45 किलोमीटर की सीमा भी बनाती है इसकी सहायक नदियां काली गंडक त्रिशूली और बूढ़ी गंधक हैं इसमें मिलने वाले गोल-गोल काले पत्थर को शालिग्राम कहा जाता है इसीलिए इस नदी को शाली ग्रामी नदी भी हम नेपाल में कहते हैं शालिग्राम और यह कहां पर मिलती है गंगा से यह गंगा से सोनपुर के पास मिलती है ठीक है यह गंगा से सोनपुर के बास मिलती है इसको थोड़ा सा समझना है ठीक है जैसे अगर इसका मैप देखते हैं आप तो यहां देखिए ये गंडक है यह गंगा से सोनपुर के पास मिल रही है और जो ये एंट्री की देखिए यहां पर बाउंड्री दिख रहा होगा आपको पूरा बना रही है तो ये यूपी है इधर और इधर बिहार है इनके बीच में ये बाउंड्री भी बनाती है 45 किलोमीटर का बाउंड्री भी इधर देखने को आपको मिलेगा ठीक है 45 किलोमीटर की जो बाउंड्री है यह भी आपको देखने को इसमें मिलेगी याद रहेगा यह घागरा नदी गंडक नदी हो गया अब जो है बूढ़ी गंडक नदी की अगर हम बात करें तो यहां पर देखिए बूढ़ी गंडक रिवर है इधर आपको बूढ़ी गंडक रिवर दिख रहा है ठीक है तो बूढ़ी गंडक रिवर जो है वो सोमेश्वर श्रेणी के पश्चिमी भाग से निकलती है सोमेश्वर श्रेणी इधर है ठीक है इधर ही है पश्चिमी चंपारण में सोमेश्वर श्रेणी से बूढ़ी गंडक नदी निकलती है फिर पश्चिमी चंपारण पूर्वी चंपारण मुजफ्फरपुर समस्तीपुर बेगूसराय और अंत में खगड़िया जिले के पास यानी इसका जो एंट्री है वह किधर है खगरिया जिले के पास यह गंगा से मिल जाती है यह जो है यहां पर देखिए खगरिया है यहीं पर यह नदी जो है वह गंगा से मिल जाती है इसी जगह पर ठीक है यह बूढ़ी गंडक नदी है और इसका अन्य नाम क्या है इसका अन्य नाम है सिख रहना सिकरहना इसको ऊपरी भाग में सिकरहना कहते हैं मसान बलोर यूर धनौती इसकी सहायक नदियां हैं ठीक है इसकी सहायक नदिया मशान बलौर तिहर सुनौ वगैरह है ये सब अगला क्या है बागमती नदी कौन सा है बागमती नदी यह नेपाल में हिमालय के महाभारत श्रेणी से निकलती है यह बिहार में सीतामढ़ी जिले में प्रवेश करती है तथा अंत में गंगा नदी में विलीन हो जाती है तो बेसिकली बागमती नदी नेपाल से निकलती है नेपाल के हिमालय में नेपाल में हिमालय के महाभारत श्रेणी से और बिहार राज्य में सीतामढ़ी में यह एंट्री करती है और फिर फाइनली यह गंगा नदी में मिल जाती है पहले यह बूढ़ी गंडक नदी में मिलती थी बागमती जो है वह पहले बूढ़ी गंडक में मिलती थी अब जो है वह कमला नदी के साथ मिलकर के कोसी नदी में मिल जाती है ठीक है कोसी नदी में ये विलीन हो जाती है तो फ मतलब डायरेक्टली ये गंगा रिवर में एक खुद अकेले नहीं जाती यह कमला के साथ मिलकर के फिर कोशी में मिल जाती है ठीक है तो कमला के साथ मिलकर के यह कोशी में मिल जाती है पहले जो है यह बूढ़ी गंडक के साथ मिल जाती थी अब जो है बागमती रिवर कमला नदी के साथ मिलकर के विलीन हो जाती है पहले यह देखिए बागमती जो है यहां पर आपको दिख रहा है यह बागमती जो है वो पहले जो है वो बूढ़ी गंडक के साथ मिलकर के गंगा चली जाती थी अब लेकिन देखिए ये यहां पर कमला के साथ मिली है और फिर कमला के साथ मिलकर यह सभी जो है वो जॉइंट कोसी में मिल जाएंगे और फिर फाइनली कोसी से कोसी नदी जो है व गंगा में मिल जाएंगी ठीक है ठीक है तो पहले यह बूढ़ी गंडक में मिलती थी और अब यह कमला नदी से मिलकर कुशी नदी में मिल जाती हैं इसकी सहायक नदियां लाल बकिया लखनदेई मनोहरा अधवा विष्णु मति आदि हैं नेपाल में इस नदी के तट पर काठमांडू एवं पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है तो नेपाल में इसी नदी के किनारे जो है आपको काठमांडू और पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है अगला है कोसी रिवर तो कोसी रिवर इसको बिहार का शोक भी कहा जाता है क्योंकि यह अपना मार्ग रेगुलर बेसिस पर जो है वह बदलते रहती है और यह नेपाल के उत्तर पूर्व में स्थित गोसाई स्थान से निकलती है नेपाल के उत्तर पूर्व इलाके में गोसाई स्थान है वहां से यह निकलती है इसे नेपाल में हम सप्त कौशिकी के नाम से जानते हैं इसे नेपाल में हम सप्त कौशिकी के नाम से जानते हैं और यह नेपाल में यह नेपाल के उत्तर पूर्व में स्थित गोसाई स्थान से नि चलती है यह सात इसको सप्त कौशिकी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सात धाराओं के मिलने से बनी है ठीक है कोशी नदी बिहार में सुपौल जिले में प्रवेश करती है तथा कुरसेला में गंगा नदी में यह विलीन हो जाती है तो बिहार में सुपौल जिले में यह प्रवेश करती हैं और साथ फाइनली देखिएगा तो कुरसेला में गंगा नदी में कुरसेला कहां पर है कटिहार के पास तो कटिहार के पास जाकर यह गंगा नदी में मिल जाती हैं कोसी नदी अपना मार्ग परिवर्तन एवं बाढ़ के लिए कुख्यात है इसीलिए इसे बिहार का शोक कहा जाता है इसकी सहायक नदियां कौन-कौन सी है अरुण तमौर लिखो दूध कोशी तमा कोशी इंद्रावती और सुन कोशी ठीक है सुन कोशी यह जो बिहार का शोक है यह 69 में इससे रिलेटेड सवाल जो है वह पूछा गया था तो 69 बीपीएससी में हमने इससे रिलेटेड सवाल जो है वह आपको पढ़ाया था ठीक है महानंदा रिवर यह आपको एक मात्र ऐसी रिवर है उत्तरी बिहार में जो कि सबसे पूर्वी रिवर भी है सबसे पूर्व साइड में है और साथ ही साथ यह बिहार में गंगा से नहीं मिलती यह पश्चिम बंगाल में गंगा से मिलती है ठीक है यह नदी जो है वह दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पहाड़ी से निकल कर के किशनगंज पूर्णिया और कटिहार होते हुए मालदा में गंगा नदी में मिलती है इस नदी का फ्लो कुछ उसी प्रकार है यह किशनगंज पूर्णिया कटिहार होते हुए कहां चली जाती हैं यह किशनगंज पूर्णिया कटिहार होते हुए यह किशनगंज पूर्णिया यहां देखिए महानंदा यह दार्जिलिंग पहाड़ी से निकलती है और फिर फाइनली जाकर के वेस्ट बंगाल में जाकर के जो मालदा जगह है वहां पर यह गंगा से मिल जाती है किसनगंज पूर्णिया कटिहार होते हुए मालदा में गंगा सेर मिलती है और यह सबसे पूर्वी रिवर है आप देख ही सकते हैं सबसे पूर्वी रिवर यही है और इसकी सहायक नदियां है पेनर नागर बालसर मीची यह सब इसकी सहायक नदियां है इसकी सहायक नदियों में आपको ढेर सारी नदियों का नाम यहां दिख रहा है ठीक है अब आ जाइए नीचे में जो कर्म नासा रिवर है उस पर आते हैं तो नीचे में कर्म नासा नदी है इस पर थोड़ी सी चर्चा कर लेते हैं करमनासा रिवर जो है वो बंद पहाड़ी जो मध्य भारत में जो विंद पहाड़ियां है वहां से निकलती है बिहार एवं उत्तर प्रदेश की सीमा निर्धारित करती हैं और उसके बाद बक्सर में आकर गंगा नदी में यह मिल जाती है चौसा के समीप यह भी गंगा नदी में मिलती है ठीक है और यह दक्षिण बिहार की सबसे पश्चिमी नदी है उत्तरी बिहार की सबसे पश्चिमी नदी कौन सी है दक्षिणी बिहार की सबसे पश्चिमी नदी में इसी का नाम आता है कर्म नासा रिवर उत्तरी बिहार की सबसे पश्चिमी रिवर कौन सी है भाई उत्तरी बिहार के सबसे पश्चिमी रिवर तो वो घागरा और उधर पूर्वी में महानंदा ठीक है इसमें कौन है कर्म नासा ठीक है कर्म नासा रिवर कर्मनाशा नदी को अपवित्र नदी माना जाता है माइथोलॉजी रीजन है उसका इसको हम लोग देख लेते हैं कर्म का नासे होगा वहां यहां देखिए यह है कर्म नासा यह कर्म नासा रिवर है ठीक है यहां पर देखिए उसके बगल में हा सोन है फिर पुनपुन है यह सब हम लोग को देखना है यह सोन नदी सोन नदी जो है वह मध्य प्रदेश के अमरकंटक पहाड़ी के मैकाल श्रेणी से निकलती है तो एमपी के मैकाल श्रेणी से निकलती है इसको थोड़ा सा ध्यान रखिएगा सोन नदी के बारे में तो एमपी के मैकल से निकलती है और गंगा य दानापुर के समीप गंगा से मिलती है यह बिहार में रोहतास गढ़वा जिले झारखंड के बीच से बिहार में प्रवेश करती है तो रोहतास और गढ़वा जिले के बीच से बिहार में प्रवेश करती है उत्तरी छोटा नागपुर और कैमूर के पठार को यह अलग भी करती है रोहतास तथा भोजपुर की पूर्वी सीमा बनाते हुए दानापुर में मनेर के समीप दानापुर में यह गंगा से मिल जाती है ठीक है यमुना के बाद गंगा की दूसरी सबसे बड़ी दक्षिणी सहायक नदी सोन ही है इसकी प्रमुख सहायक नदियां रिहंद कन्हार और उत्तरी कोयल है रिहंद कन्हार और उत्तरी कोयल ठीक है सोन नदी पर डेहरी बांध रोहतास में इंद्रपुरी बैराज रोहतास में बान सागर बां मध्य प्रदेश में यह बहुत इंपॉर्टेंट फैक्ट है इसको याद रखिएगा यह बनाया गया है सोन नदी पर बने नहरों में रोहतास भोजपुर के शुष्क मैदानी क्षेत्र को बिहार का मुख्य चावल उत्पादक क्षेत्र बनाया है सोन नदी से यहां पर क्या बना दिया गया देख रहे हैं आप सोन नदी पर ढेर सारा बांध बना दिया गया और बांध के माध्यम से खेतों में सिंचाई होने लगी जिसके कारण से दक्षिण बिहार आपको पता है सूखा से प्रभावित रहता है तो इसलिए दक्षिण बिहार में अगर आप नहरों का बेहतर ढंग से प्रयोग करेंगे तो वो बांध बनाकर नहर बना दिया गया जिससे रोहतास जो है वह चावल का अग्रणी उत्पादक राज्य उत्पादक क्षेत्र बन गया ठीक है यह है सोन नदी अगला है पुनपुन नदी तो पुनपुन नदी झारखंड के पलामू जिले के छोटा नागपुर पठार से निकलती है और बिहार में औरंगाबाद जहानाबाद होते हुए यह गंगा में मिल जाती है तो सोन रिवर और पुनपुन रिवर दोनों को एक बार देख लिया जाए भाई चलिए यह है यहां पर पनपुर यह सोन है यह पुनपुन है ठीक है इसकी प्रमुख सहायक नदियां मोरहर मादर दरदा यह दक्षिण बिहार की दूसरी प्रमुख नदी है पुनपुन नदी फल्गु नदी फल्गु नदी जो है हजारीबाग के पठार से निकलती है बिहार में झारखंड में लीला जन तथा मोहना नदियों के मिलने से बनती है तो फल्गु रिवर दो नदियों के मिलने से बनती है एक लीला जन और एक मोहना ठीक है इन दोनों नदियों के मिलने से यह बनती है यहां पर आप देख सकते हैं फलक तो लीला जन जिसको निरंजना भी कहते हैं लीलाजय जना भी कहते हैं लीलानगर के फल्गु रिवर बनती है और इन दोनों के मतलब कह सकते हैं मिलने से ही फल्गु रिवर का जो है वह निर्माण होता है और फिर फल्गु रिवर काफी इंपॉर्टेंट रिवर्स में से एक है काफी पवित्र नदी जो है वो फगू रिवर को काफी पवित्र नदी के तौर पर माना जाता है विष्णुपद मंदिर विष्णुपद मंदिर जो है वो इसी फल्गु नदी के पास विष्णु पद मंदिर स्थित है पितृ पक्ष में पितृ पक्ष के दौरान लाखों संख्या में हिंदू धर्म के लोग यहां पर आते हैं ठी तो काफी पवित्र नदी के तौर पर हम इसको देखते हैं फल्गु नदी पर ही भारत का सबसे बड़ा डैम भी बनाया गया रबर डैम गयाजी डैम इसी फल्गु नदी पर भारत का सबसे बड़ा गयाजी रबर डैम भी बनाया गया है ठीक है और गौतम बुद्ध का ज्ञान जो है वह इसी नदी के किनारे प्राप्त हुआ था क्लियर है इस चीज को थोड़ा सा ध्यान में रखिएगा तो मेन मेन जो रिवर है ना उसके बारे में बता दिया बाद बाकी रिवर्स का तो मैंने आपको यह सब बता ही दिया है एक बात बताइए कि बिहार में बिहार में जो है वह सबसे ज्यादा किस न नदी की लंबाई है बिहार में सबसे ज्यादा लंबाई किस नदी की है आफ्टर गंगा बिहार में सबसे ज्यादा लंबाई आफ्टर गंगा किस किस नदी की है बिहार में सबसे ज्यादा लंबाई आफ्टर गंगा किस नदी की है बिहार में सबसे ज्यादा लंबाई आफ्टर गंगा तो लेंथ किस नदी की बिहार में सबसे ज्यादा लंबाई है गंगा के बाद कोई कहता है गंडक कोई कहता है कोसी बताइए तो प र रिवर्स में है कि हिमालयन रिवर्स में है ये तो पता ही होगा कौन सी है बागमती कौन सी है बागमती 394 बागमती सेकंड लार्जेस्ट आप कह सकते हैं इसको सेकंड लार्जेस्ट जिसका लेंथ जो है बिहार में है बागमती रिवर 394 इसके बाद कौन है इसके बाद है बूढ़ी गंडक 320 इसके बाद है बूढ़ी गंडक 320 320 ये 394 ये 320 394 320 इसको याद रखिएगा ठीक है यह काम देगा उसके बाद गंडक मंडक होगी फर्स्ट गंगा उसके बाद यह सब ठीक है अब देखो बिहार में अगर देखा जाए तो नदियों के किनारे स्थित प्रमुख शहरों में पटना गंगा नदी के किनारे मुका गंगा नदी मुंगेर गंगा नदी भागलपुर गंगा नदी बक्सर गंगा नदी छपरा घागरा नदी हाजीपुर गंडक नदी ठीक है यह सब याद रखना है क्लियर है यह सब चीजों को ध्यान में थोड़ा सा रखना है याद रहेगा यह सब चीजें कौन नदी कहां जो है इसको भी थोड़ा सा ध्यान में रखना है अब जब हम नदी पढ़ ही लिए हैं तो थोड़ा सा बहुउद्देशीय परियोजना भी पढ़ी लेते जब नदी पढ़ी लिए हैं तो थोड़ा सा बहुउद्देशीय परियोजना भी पढ़ लेते हैं क्या लग रहा है आज इंडिया जीतेगा कि नहीं बीपीएससी वाला तो क्रिकेट देख रहा होगा वो तो भाई पक्का क्रिकेट देख रहा होगा बिहार की नदी घाटी परियोजनाएं रिवर वैली प्रोजेक्ट्स इन बिहार रिवर वैली प्रोजेक्ट्स इन बिहार ठीक है देखो अब देखो अगर हम सोचे तो बहुउद्देशीय परियोजना मल्टी पर्पस मल्टी पर्पस प्रोजेक्ट क्या होता है जिसका एक परपस नहीं है केवल उसका ढेर सारा पर्पस है जैसे उस प्रोजेक्ट को इसलिए बनाया जा रहा है ताकि बाढ़ को भी नियंत्रण कर सके ठीक है डैम बना कर के पानी को रोक लिया गया ठीक है उसको उससे वहां से जो डैम बनाया वहां से हमने उस डैम से पानी को निकाल कर के क्या बना दिया नहर से सिंचाई कर दिया ठीक है उस डैम के माध्यम से डैम में मतलब डैम बनाकर वहां से नहरे निकाल दी क्योंकि पानी जो है वो डैम में जमा हो गया अब वहां से हम दो कनाल निकाल देंगे और कनाल निकाल कर के करेंगे वाटर मैनेजमेंट करेंगे क्योंकि अब हो सकता है मान लो कि अगर बहु देशीय परियोजना ना बनाते वाटर मैनेजमेंट नहीं होता तो पूरा बिहार डूब जाता ठीक है बहुत बार बहुत सारे सोना बाबू लोग उसको भी देखने जाते हैं डैम को भी देखने जाते हैं मान लो ठीक है तो ढेर सारा पर्यटन में भी इस्तेमाल होता है वहां से हम इलेक्ट्रिसिटी भी जनरेट कर सकते हैं हमने देखा कि मेजर्ली हाइड हाइड्रो पावर तो बिहार में हम नहीं प्रोड्यूस कर सकते मेजर हाइड्रो पावर लेकिन माइनर कर सकते हैं मेजर इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि वहां पर नदियां अपना मार्ग चेंज करती है तो मेजर वाले में तो दिक्कत हो जाएगा मार्गे चेंज कर लेंगी तो इसलिए मेजर हाइड्रो पावर नहीं कर सकते माइनर वाले कर सकते हैं स्मॉलर मिनी मतलब स्मॉलर मिनी हाइड्र पावर प्लांट वहां हम कर सकते हैं ठीक है तो 13 हमारे पास है भी स्मॉलर मिनी और 11 का हम प्रोजेक्शन और भी रखे हैं तो 24 हो जाएगा टोटल ठीक है तो ये ढेर सारा इसका टारगेट है इसीलिए हम कहते हैं कि ये जो है वो मल्टी पर्पस प्रोजेक्ट है इसलिए हम कहते हैं कि मल्टी पर्पस ये प्रोजेक्ट है तो जितने भी यहां पर बहुद्देशीय परियोजनाएं जो भी है तो वो नदियों के जैसे सोन नदी बहुद्देशीय परियोजना गंडक नदी बहु दय परियोजना कोशी नदी बहुद्देशीय परियोजना अलग-अलग परियोजनाएं हैं जिसको हमको देखना है सबसे पहले हम देखना चाहते हैं जैसे सोन रिवर है ये सोन नदी है गंडक रिवर है और कोसी रिवर है इन तीनों परियोजनाओं को हम थोड़ा सा देखने की कोशिश करते हैं जैसे सोन बहुद्देशीय परियोजना को हम अगर देखें तो सोन बहु जो परियोजनाएं हैं इसका निर्माण 187 4 में रोहतास में किया गया था तो आपको पता है सोन न वही है इसका निर्माण कहां किया गया था रोहतास में यहां पे यहां पर इसका निर्माण किया गया था अब सोचिए यह बहुद्देशीय नदी परियोजना बिहार की सबसे पुरानी एवं प्रथम नदी घाटी परियोजना है यह ध्यान रखिएगा कि ये ओल्डेस्ट है ओल्डेस्ट ठीक है अब यहीं पर देखो यह जो यहीं पर देखो यहीं पर सोन नदी भी है आपको पता है यहीं पर जो है वो सोन रिवर भी है मैं थोड़ा सा रिवर वाले मैं आपको नीचे लेकर आ जाता हूं देखो यहीं पर देखो आपको दिख भी रहा होगा यहां सोन रिवर भी है यहां देखिए यहां सोन रिवर भी है अब यही सोन रिवर जो है वो देखिएगा यही पर क्या बना दिया गया यहीं पर यहीं पर सोन नदी परियोजना है अब इस बहुद्देशीय नदी परियोजना जो है वह बिहार की सबसे पुरानी परियोजना है 187 187 4 की तो इस परियोजना का निर्माण रोहतास में किया गया यहीं पर रोहतास भी है ठीक है यहीं पर रोहतास भी है देख रहे हैं आप यहां देखिए मैं आपको को दोनों को ध्यान रखे रहिएगा अब यहीं पर रोहतास भी है ठीक है अब देखिएगा यहीं पर सो नदी के पर क्या किया गया बांध बना दिया गया यहीं पर डैम बना दिया गया और डैम बना कर के यहां से एक नहर और एक नहर इधर से एक पूर्वी साइड से नहर और एक पश्चिमी साइड से नहर निकाल दिया गया पूर्वी साइड से जो नहर निकला होगा तो इधर होगा तो पूर्वी साइड से जो नहर निकला उससे फायदा किसको मिलेगा इधर वाले को किससे औरंगाबाद को मिलेगा यहां पर भी सिंचाई की जा सकती है इससे गया को मिलेगा जहानाबाद को मिलेगा यानी पूर्वी साइड से जो मैं इसको थोड़ा सा बॉक्स बड़ा कर देता हूं देखिए तो पूर्वी साइड से जो फायदा मिलेगा वह कहां किसको किसको मिलेगा मान लो यहीं पर बन गया है बराज तो पूर्वी साइड में जहानाबाद गया नवादा इन सबको फायदा मिलेगा स्पेशली जहानाबाद गया इसको फायदा मिलेगा गया को फायदा मिलता है अरवल को मिलता है पटना तक हो जाता है ठीक है अरवल तक मिलता है पटना तक हो जाता है इसकी सिंचाई यहां पर भी अरवल है नवादा में तो कम प्रभाव है लेकिन ऐसे तो प्रभाव काफी ज्यादा है ठीक है पश्चिमी सोन नहर अगर देखें तो पश्चिमी जो सोन नहर है उसका प्रभाव कहां देखने को मिलता है ये पश्चिमी यहां हमा सोन था पर पूर्वी देख लिया पश्चिमी में आओ तो पश्चिमी में तो सबसे पहले रोहतास केमर दिख गया फिर बक्सर है भोजपुर है यहां पर भी इन इसका जो पानी है वो जाता है जिससे इन क्षेत्रों में भी सिंचाई की व्यवस्था पूरी हो जाती है यहां पर इस पानी के चलते यहां पर पावर प्लांट भी बनाया जाएगा यहां पर जल विद्युत केंद्र हाइड्रोइलेक्ट्रिक यानी पानी से बिजली जल विद्युत केंद्र भी जो है यहां पर बनाया गया है एक डेहरी जल विद्युत के और एक बारुण जल विद्युत केंद्र बारुण है बरन नहीं है बाबू यहां पर दो जल विद्युत केंद्र भी बनाया गया है देहरी और बारु डेहरी और बार ठीक है इसको याद रखना है अगला है गंडक गंडक बहुउद्देशीय परियोजना गंडक ठीक है अब देखिए गंडक रिवर को एक बार देख ही लेना है फिर जब गंडक का बात आ ही गया है तो फिर गंडक को तो देखना ही पड़ेगा कोई उपाय नहीं है है यहां देखिए है गंडक अरे अगर स्टेट में देखता है देखना चाहते हैं तो यहां पर इसको इससे कंपैरिजन करते रहिए डिस्ट्रिक से कंपेरिजन करते रहिएगा तो समझ में आएगा अब देखो जो ये गंडक है तो यह गंडक नदी पर परियोजना बनाई गई तो ये भारत और नेपाल की संयुक्त परियोजना है ठीक है तो ये भारत की और नेपाल की परियोजना है जॉइंट परियोजना है ठीक है यह कब आया यह परियोजना कब आया था 1959 में समझौता हुआ और 1960 में इस पर काम शुरू हुआ 1959 60 आप इसको लिख दीजिए भारत नेपाल का ठीक है इस परियोजना का लाभ बिहार उत्तर प्रदेश और नेपाल तीनों को मिलता है तो इससे यहां देखिए यहां नेपाल है इधर साइड में इधर यूपी है और बिहार है ठीक है तो बिहार नेपाल और यूपी तीनों को इसका फायदा मिलता है इस परियोजना के तहत जो है वह अ भारत नेपाल सीमा पर भैसा लोटन जा नामक जगह है वहीं पर क्या बना दिया गया वहीं पर बना दिया गया है बांध और बांध लगाकर का निर्माण कर दिया गया बांध जब बनता है तो एक रिजर्वायर बन जाता है पानी जम जाता है और वहीं से फिर दो कनाल जो है वह निकाल दिए गए ठीक है तो एक पूर्वी गंडक नहर का कनाल और एक पश्चिमी गंडक नहर का कनाल ठीक है तो पूर्वी जो नहर है वह तीन भाग में विभक्त है पूर्वी नहर कौन-कौन सा भाग भाग है तो इससे जो पूर्वी नहर निकाला है यहां से जो पूर्वी नहर निकाला ये गंडक नदी से जो पूर्वी नहर निकाला तो पूर्वी नहर तीन भाग में है तिरहुत त्रिवेणी और दोन नहर तिरहुत त्रिवेणी और दोन नहर ठीक है अब तिरहुत त्रिवेणी और दोन नहर से क्या निकलेगा तिरहुत त्रिवेणी और दोन नहर से पश्चिमी चंपारण पूर्वी चंपारण मुजफ्फरपुर वैशाली आदि जिलों में सिचाई होगी आदि जिलों में सिंचाई हो जाएगी ठीक है याद रहेगा और फिर पश्चिमी जो नहर है पूर्वी नहर से यहां पर जो पूर्वी नहर बनाएगा दो को बनाया है तो एक पूर्वी से जो बनाया है उससे इधर की सिंचाई हो जा रही है मतलब इस क्षेत्र की सिंचाई हो जा रही है और पश्चिमी जो है वो नेपाल वाला में चला गया पश्चिमी से पश्चिमी नहर जो है वो नेपाल से निकलती है नेपाल होकर निकलती है नेपाल को भी फायदा जो है वह पहुंचाती है और उत्तर प्रदेश देवरिया बिहार में सीवान सारन इन सब क्षेत्रों में इससे सिंचाई होती है ठीक है इन क्षेत्रों में पश्चिमी वाले से होती है सिंचाई और पूर्वी वाले से इन क्षेत्रों में होती है वैसा है मामला पूर्वी वाले से उस क्षेत्र में पूर्वी इसमें डायरेक्शन में कंफ्यूज नहीं होना है ठीक है तो पूर्वी इधर पश्चिमी इधर ठीक है तो पश्चिमी का फायदा जो है व कहां किसको मिलता है नेपाल वगैरह को मिलता है देवरिया को मिलता है सारन को मिलता है इस सब क्षेत्र को मिलता है ठीक है अब देखो इस इस इस परियोजना में पूर्वी नहर पर 15 मेगावाट का हमने जल विद्युत केंद्र भी बनाया है और इसी प्रकार से पश्चिमी नहरों पर भी हमने जल विद्युत केंद्र बनाया है पूर्वी और पश्चिमी दोनों साइड पर हम लोगों ने जल विद्युत केंद्र जो है वह इसमें बनाया हुआ है इसको थोड़ा सा ध्यान में रखना है यहीं पर बना दिया तो सोचो इधर जो है इसी साइड में हम लोगों ने बनाया है तो इसका एक फायदा नेपाल को मिल जाता है और एक फायदा जो है व हमारे क्षेत्र को भी मिल जाता है ठीक है अब जो है कुष बहुउद्देशीय परियोजना कुशी बहुउद्देशीय परियोजना क्या है भाई कुसी बहुद्देशीय परियोजना कोसी बहुद्देशीय परियोजना में क्या मामला है भारत एवं नेपाल की संयुक्त परियोजना है यह भी 1953 में एस्टेब्लिश हुआ था 1954 में लागू हुआ यानी सबसे पुरानी सोन फिर कोशी फिर गंडक ठीक है यह याद रखना है सोन गंडक सबसे पुराना सोन फिर गंडक सोन फिर कोसी फिर गंडक कोसी 1953 में है गंडक 1959 में था भारत नेपाल दोनों है ठीक है इस परियोजना के तहत हनुमान नगर पर बांध बनाकर नेपाल में जलाशय का निर्माण किया गया है इस परियोजना से 1965 में से पूर्ण रूप से तैयार हुई कोशी पर निर्मित जलाश से पूर्व और पश्चिम यही मैंने बोला कोई रिवर है इससे इधर साइड और इधर साइड से दो नहर को निकाल दिया जाता है ठीक है कोशी से भी दो नहरों को निकाल दिया गया ठीक है और कोशी से दो तो पूर्व वाले से अररिया सुपौल पूर्णिया में सिंचाई होती है पश्चिम से दरभंगा मधुप सुपौल इन सब में होता है तो पूर्व वाला से जो निकाला गया पूर्व वाले से जो निकाला गया है यह देखिए नदी को भी देख लेते हैं तो देखिए यहां पर रिवर है कोशी ये देखिए यहां पर कोसी रिवर है इधर पूरब पूर्व में भी निकाला गया और पश्चिम में भी निकाला गया तो पूरब में आप देख ही रहे हैं किसको किसको फायदा मिल रहा है पूरब में अररिया इधर देखिए अररिया है सुपौल है अररिया है इन सब क्षेत्रों को पूर्णिया इन सब क्षेत्रों को फायदा मिल रहा है यह पर पूर्वी इलाका है पश्चिमी इलाके में किसको किसको फायदा मिल रहा है इधर दरभंगा दरभंगा को पश्चिमी इलाके में फायदा मिल रहा है इधर दरभंगा वगैरह को फायदा मिल रहा है मधुबनी इन सब को भी फायदा मिल रहा है सुपौल को भी मिल जा रहा है पश्चिमी वाले से भी सुपौल को ही मिल जा रहा है ठीक है बेगूसराय इन सबको मिल रहा है ठीक है तो यह चीज थोड़ा सा समझना है इसको हम तीन नदी जो बहु उद्देश परियोजना है इसको हम थोड़ा सा देख लेते हैं ठीक है अब देखिए अगर हम बिहार की प्रमुख वाटरफॉल पर चर्चा करें बिहार के प्रमुख वाटरफॉल पर तो मैं उसको मैप में बता दे रहा हूं पीडीएफ में उसका चार्ट भी है ठीक है परेशान नहीं होना है बिहार के प्रमुख वाटरफॉल पर चर्चा अगर हम करें तो पहला दुर्गावती जो सबसे ऊंचा है कहां है रोहतास दुर्गावती रोहतास सबसे ऊंचा इसके अलावा अगर हम कर्म नासा बात करें तो बक्सर में है कर्म नासा बक्सर में यह क्या पढ़ रहे हम सबसे प्रमुख जल प्रपात ठीक है धुआ कुंड धुआ कुंड कहां है रोहतास में धुआ कुंड रोहतास रु कुंड भी में मंजर कुंड रोहतास मंजर कुंड रोहतास मंजर कुंड रोहतास में है जियार कुंड जियार कुंड कहां है भोजपुर में तेलहर कुंड कैमूर में जियार कुंड और तेलहर कुंड कहां है जहार कुंड भोजपुर में और तेलहर कुंड कैमूर में यह भी थोड़ा सा ध्यान रखना है तेलहर कुंड कैमूर आप लोग जब इसको रिवाइज करेंगे तो ऐसे ही रिवाइज करिएगा ठीक है काकल नवादा में काकुल ककोलत नवादा में है ठीक है अ कोलत नवादा में प्रमुख नहरें अगर देखें तो या प्रमुख झीलें देखें तो प्रमुख झील कावर झील जो बिहार का एक वेटलैंड भी है इंटरनेशनल वेटलैंड है आद्र भूमि है दलदली भूमि है इंटरनेशनल इंपॉर्टेंस का मतलब रामसर साइट है कावर झील इसके अलावा नागी नकटी भी बन गया है तीन हो गया टोटल तो कावर झील कहां पर है बेग सराय में कांवर झील ठीक है वेटलैंड ऑफ इंटरनेशनल इंपोर्टेंस गोगा बिल या घोगा बिल यह कहा है कटिहार में गोगा या घोगा घोघा बिल कटिहार में है कुशेश्वर झील दरभंगा में है कुशेश्वर झील घोरा कटोरा राजगीर में है घोड़ कटोरा नालंदा घुरा कटोरा अनुपम झील कहां है कैमूर में अनुपम झील तैमूर में है अनुपम झील कैमूर में सिमरी झील सहरसा में याद रखिएगा ये सब चीजों को सिमरी झील सहरसा सिमरी सिमरी झील सहरसा तो ये सब ना बिल्कुल जैसे देखो ये सब ना इंपॉर्टेंट चीजें होती हैं तो इसको थोड़ा सा ध्यान रखना है तो सिमरी झील सहरसा यहां पे ठीक है इसके अलावा अ मोती झील मोती झील मोतीहारी पूर्वी चंपारण तो मोती झील यहां पर है मोती झील पूर्वी चंपारण में फिर सरैया मन पश्चिमी चंपारण बेतिया में और पिपरा मन मोतिहारी में पिपरा मन भी है यहां पर मन पढ़ाया अभी आपको चौर मन सरैया मन यहां है बेतिया में सरैया मन कहां है बेतिया पश्चिमी चंपारण बेतिया पश्चिमी चंपारण ठीक है फिर जगलु झील कहां है भागलपुर में जगल परपुर झील भागलपुर जगलु झील भागलपुर में ठीक है य याद रहेगा इसके अलावा यह तो वॉटरफॉल्स हो गए अगर हम प्रमुख नहरों पर बात करें तो देखिए एक त्रिवेणी नहर है जो गंडक में है इससे फायदा पश्चिमी चंपारण पूर्वी चंपारण मुजफ्फरपुर वैशाली सबको मिलता है ठीक है तिरहुत नहर भी है जो गंडक नदी पर है इस इससे भी उसी को फायदा मिलता है दोन नदी भी है जो गंडक पर है यह मैंने पढ़ा ही दिया है अभी पूर्वी कोशी उसको अररिया सुपौल पूर्णिया पश्चिमी से दरभंगा मधुबनी सुपौल यह भी पढ़ा दिया है राजपुर उससे राजपुर जो बनाया गया है राजपुर जो नहर बनाया गया है उससे सहरसा मधेपुरा बेगूसराय को फायदा मिलता है ये तीनों कोसी पर है ये तीनों गंडक पर है पूर्वी सोन पश्चिमी सोन भी मैंने पढ़ा दिया औरंगाबाद जहानाबाद पटना गया अरवल और रोहतास भोजपुर कैमूर बक्सर यह तो मैं ऑलरेडी पढ़ा चुका हूं केवल राजपुर आपको देखना था ठीक है अगर हम जलकुंड की बात करें जलकुंड राजगीर में है ब्रह्म कुंड बिहार का सबसे गर्म जलकुंड फिर सप्तधारा मखदूम कुंड गोमुख कुंड सूर्य कुंड नानक कुंड मुंगेर में लक्ष्मण कुंड रामेश्वर कुंड जन्म कुंड श्रृंगार ऋषि कुंड पंचतरणी कुंड और गया में है अग्निकुंड यह याद रखिएगा ए है गया में तो राजगीर और मुंगेर में ही यह सब जो है वह ठीक ठाक होगा याद रहना चाहिए राजगीर और अ सबसे बड़ी बात आपको पता है कल करंट अफेयर्स भी है कल जो है वह करंट अफेयर्स भी पढ़ना है तो मतलब है कि अति कल करंट अफेयर्स की क्लास भी है अब बताइए सेशन कैसा लगा आपको हम आज सक्षम की क्लास इसलिए ऑफ हो गई ना कि मेरे को कोई स्लॉट ही नहीं मिल सकता था जैसे जियोग्राफी वाले सर पढ़ा रहे थे हमको तीन घंटा का टाइम भी चाहिए था चार से सात हम नहीं ले सकते थे क्लास क्योंकि उसी के में तीन घंटा तो चाहिए भाई कम से कम कंटेंट के लिए तो सर पढ़ा रहे थे जियोग्राफी वाले इसलिए सक्षम की क्लास को कैंसिल करना पड़ा तो मेरा क्लास कैंसिल होता चाहे सर का होता तो मैंने सोचा मैं तो कल ले लूंगा सर नहीं ले पाएंगे चलिए तो थैंक यू थैंक यू वेरी मच नमस्कार इसका जो थोड़ा सा पार्ट बचा है उसको हम लोग नेक्स्ट वीडियो में देखते हैं मृदा बचा है और खनिज खनिज में तो फैक्ट है मृदा को पढ़ेंगे नेक्स्ट वीडियो में थैंक यू थैंक यू वेरी मच ब