Transcript for:
Important Legal Updates of the Judiciary

हेलो एवरीवन अ वेरी गुड मॉर्निंग सभी लोगों को। आप सभी का स्टडी आईक्यू जुडिशरी के प्लेटफार्म पर स्वागत है। आई एम अपूवा पुरोहित। आज के जो इंपॉर्टेंट लीगल अपडेट्स रहने वाले हैं वो ये सारे हैं आपके सामने। पहला सवाल जो सुप्रीम कोर्ट यहां पे आर्मी से पूछ रहा है वो ये है कि जैग में महिलाओं के लिए इतनी कम पोस्ट क्यों है? अगर हम लोग इसे कंपेयर करें आदमियों के साथ में। मतलब वैकेंसीज की अगर हम बात करते हैं तो आदमियों के लिए या फिर लड़कों के लिए वैकेंसी ज्यादा निकलती है और लड़कियों के लिए जैग में पोस्ट कम है। ऐसा क्यों है? इसी के अलावा एक और पॉइंट आता है पीएमएलए को लेकर। प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट को लेकर अह कि कॉग्निजेंस लेने से पहले ही एक बार अह अक्यूज़ पर्सन को सुनना क्यों इंपॉर्टेंट है और बीएएसएस के आने के बाद में क्या बदलाव हुआ इस पर्टिकुलर प्रोसीजर में इसके बारे में बात करेंगे। इसके अलावा आप लोगों ने सुना होगा कि अंबेडकर जयंती के दिन अंबेडकर डॉ भीमराव अंबेडकर की स्टैचू को किसी ने गिरा दिया था, डिमोलिश कर दिया था, वेंडलाइज कर दिया था। इसके ऊपर अभी तक कोई भी अथॉरिटीज एक्शन क्यों नहीं ले रही है? इसके ऊपर पीआईएल फाइल की गई है। याचिका फाइल की गई है। इसी के साथ-साथ में प्रेसिडेंट ने नालसा का न्यू एग्जीक्यूटिव चेयरमैन को अपॉइंट किया है। तो कौन है न्यू एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और ये अपॉइंटमेंट प्रोसीजर किस तरीके से होता है इसके बारे में भी हम चर्चा करने वाले हैं। तो आज के सेशन में हम लोग इन चार लीगल पॉइंट्स के ऊपर फोकस करने वाले हैं। अ दैट इज इट। शिवम गुड मॉर्निंग। अक्षय श्रीधर कमल अक्षय कोमल कपिल सहीफुल सहयु देवेंद्र गोलू जी एवरीवन सभी लोग गुड मॉर्निंग एंड सभी लोगों को बुद्धा पूर्णिमा की शुभकामनाएं सेशन को स्टार्ट करने से पहले मैं आप लोगों को बता दूं कि सेशन हमारा डेली बेसिस पे 9:00 am पर होता है एव्री सिंगल डे कल का सेशन हमारा 9:30 पर हुआ था बट दैट इज़ एन एक्सेप्शन जनरली हमारा 9:00 बजे ही सेशन हुआ करेगा टेलीग्राम पे जो लोग अभी अभी भी नहीं जुड़े हैं वो लोग जुड़ सकते हैं। क्लास की पीडीएफ, क्लास का टाइमिंग, क्लास की कोई भी अपडेट, बदलाव सारी चीजें टेलीग्राम पे सूचित की जाती है। अबाउट एनीथिंग रिगार्डिंग क्लास। पहला लीगल पॉइंट जो हम डिस्कस करने वाले हैं वो केस का नाम है अर्शनूर कौर वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता एंड जस्टिस मनमोहन मनमोहन की यहां पे बेंच है। यहां पे सुप्रीम कोर्ट सवाल कर रहा है आर्मी से कि जैग जज एडवोकेट जनरल की जो पोस्ट आती है उसमें महिलाओं के लिए इतनी कम वैकेंसी क्यों है? देखिए सबसे पहले सेशन को स्टार्ट करने से पहले या इस टॉपिक को स्टार्ट करने से पहले मैं आप लोगों से पूछना चाहूंगी जितने लोग भी यहां मौजूद हैं कि क्या आप लोग जैक के एग्जाम के बारे में जानते हैं क्या? और यह मैं पूछ इस वजह से रही हूं कि जिनको नहीं पता है उन्हें पता होना चाहिए। अगर आपकी ऐज अभी भी 27 से कम है तो आप यह बेहतरीन एग्जाम दे सकते हो क्योंकि काफी रिस्पेक्टेबल एग्जाम है। काफी ज्यादा इज्जत मिलती है। एक तरीके से देखिए तो जुडिशियल सर्विज की तरह ही इसे कंसीडर भी किया जाता है। हालांकि जज की कैटेगरी में फॉल नहीं करता है स्ट्रिक्टली स्पीकिंग क्योंकि हायर जुडिशरी में कोई भी इसका बेनिफिट नहीं मिलता इसके एक्सपीरियंस का। बट नेवर द लेस कोर्ट मार्शल की प्रोसीडिंग होगी तो आपको वही वर्क करना होगा जैसा कि एक जुडिशियल मजिस्ट्रेट करता है। अ यस मैम वी नो ओके चलो थोड़ा बहुत जिनको नहीं आईडिया उनके उनको मैं बता दूं कि जज एडवोकेट जनरल का एक एग्जाम होता है। इसके लिए आपका बेसिक रिक्वायरमेंट ये होता है कि आपने एलएलबी क्रैक कर रखा हो मिनिमम 55%ेज के साथ में। इसी के साथ-साथ में बार काउंसिल में आपका रजिस्ट्रेशन भी होना मैंडेटरी होता है। अ इसके बाद में आप इस एग्जाम के लिए अपीयर कर सकते हो। हर 6 महीने में एग्जाम होता है। मिनिमम एज 21 साल होता है और मैक्सिमम एज यहां पे 27 इयर्स होता है। वैकेंसीज बहुत ही कम निकलती है। इसी वजह से बहुत कम लोगों का सिलेक्शन हो पाता है। हालांकि हम यहां पे जैग के पोस्ट के बारे में डिस्कशन नहीं करने वाले हैं। हम यहां पे डिस्कशन करने वाले हैं कि जब वैकेंसी निकलती है तो उस वैकेंसी में बफरर्केशन होता है कि कितनी सीट्स लड़कियों के लिए और कितने सीट्स लड़कों के लिए। और जो लड़कियों की सीट्स होती है वो बहुत ही ज्यादा कम कम होती है अगर हम कंपेयर करें आदमियों की सीट्स के साथ में। और उसी के अगेंस्ट यहां पर याचिका दायर की गई थी दो महिलाओं के द्वारा जिसमें से एक का नाम है अर्शनूर कौर। तो सुप्रीम कोर्ट यहां पे इन्हीं की याचिका पे सवाल पूछता है आर्मी से कि ऐसा क्यों हो रहा है कि आज के समय में रफाल जेट की अगर हम बात करें या अगर हम लोग इवन ऑपरेशन सिंदूर को भी देखें तो महिलाओं ने कितना ज्यादा लीड किया है? उसके बावजूद भी हम देख रहे हैं कि जो वैकेंसी आ रही है, जो पोस्ट आ रही है महिलाओं के लिए वो कम आ रही है। इसका कारण क्या है? ये सवाल पूछा गया है। इसी के साथ-साथ में पिटीशन को अगर हम लोग पढ़ें तो उसमें देखा गया कि जो लड़कियां थी जिनके द्वारा पिटीशन फाइल की गई थी उनकी रैंक फोर और फाइव थी। एक लड़की की रैंक थी चार और एक लड़की की थी पांच। और इन दोनों का ही कहना था कि इतना ज्यादा अच्छे मार्क्स लाने के बावजूद इतनी बढ़िया रैंक लाने के बावजूद भी हम लोग सिक्योर नहीं कर पा रहे हैं कोई पोजीशन। क्योंकि लड़कियों के लिए सीट्स ही केवल तीन है जबकि हम लड़कों की कंपेयर करें तो छह सीट्स रहती है लड़कों के लिए। अ तो ये जो है इसकी वजह से हम लोग सेलेक्ट नहीं हो पा रहे हैं। तो यहां पे अगर मैं इनके डिसीजन की बात करूं तो सुप्रीम कोर्ट ने सबसे पहले तो यहां पे जो अर्शनूर कौर है उनको तो रिलीफ प्रोवाइड किया। इन्हें कहा कि आपको अपॉइंटमेंट मिलेगा जो भी नेक्स्ट अवेलेबल ट्रेनिंग कोर्स होगा उसमें। और रही बात दूसरी लड़की की तो उसके लिए ये कहा गया कि वो ऑलरेडी इंडियन नेवी को जॉइ कर चुकी है। उनका दूसरी जगह पे भी चयन हो गया था। देखो जब स्टूडेंट इतना ज्यादा मेरिटोरियस होता है तो चाहे आपका एक एग्जाम में नहीं हो रहा है आपके दूसरे एग्जाम में डेफिनेटली हो जाता है। इसी का एग्जांपल हमारी सेकंड पिटीशनर है जिनका चाहे जैग में एक आध रैंक से मामला रह गया हो लेकिन उसके तुरंत बाद ही इंडियन नेवी में भी कोई दूसरे एग्जाम को क्रैक कर चुकी थी और वहां पे इन्होंने अपनी ट्रेनिंग स्टार्ट भी कर ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने यहां पे इनको ऑप्शन दिया है कि आप इंडियन नेवी में कंटिन्यू करना चाहते हो या फिर आगे आने वाली जो जैक की ट्रेनिंग होगी आप उसका पार्ट बनना चाहते हो। ये सवाल पूछा गया है वो अपना जवाब देगी और इसके हिसाब से जो भी है डिसीजन लिया जाएगा। ये इंटरम रिलीफ प्रोवाइड किया गया है दोनों ही लड़कियों को। लेकिन हम लोग बात करते हैं एक लार्जर पिक्चर की। लार्जर पिक्चर ये है कि महिलाओं के लिए वैकेंसीज इतनी ज्यादा कम है और क्यों है? क्या इसकी रिक्वायरमेंट है? तो एक आता है आपका सेक्शन 12 आर्मी एक्ट का। उसे रेफर करना बहुत इंपॉर्टेंट है। अगर आप ये डिफरेंसेस को या बफरकेशन को अंडरस्टैंड करना चाहते हो तो। सेक्शन 12 आर्मी एक्ट का क्या कहता है? तो सेक्शन 12 कह रहा है इन एलिजिबिलिटी ऑफ फीमेल फॉर एनरोलमेंट और एंप्लॉयमेंट फीमेल्स का महिलाओं का इन एलिजिबिलिटी आर्मी पोस्ट में या एंप्लॉयमेंट इन आर्मी पोस्ट में इन एलिजिबिलिटी तो क्या इसका यह मतलब हुआ कि महिलाएं आर्मी में एंप्लॉय हो ही नहीं सकती रिक्रूट हो ही नहीं सकती तो फिर हो तो रही हैं तो यह बात क्या कर रहा है यहां पे कहा जा रहा है कि कोई भी महिला एलिजिबल नहीं होगी एनरोलमेंट या एलिज एंप्लॉयमेंट के लिए रेगुलर आर्मी एक्सेप्ट इन सच कॉप्स डिपार्टमेंट ब्रांच कोई भी इस तरीके से रेगुलर आर्मी सेंट्रल गवर्नमेंट ने नोटिफिकेशन के माध्यम से ऑफिशियल गैजेट में इसे बताया ना हो जो भी कॉप्स है जो भी ब्रांच है उनके साथ में डिस्कशन करने के बाद में सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा आपके ऑफिशियल गैजेट में नोटिफाई किया जाता है कि इस पर्टिकुलर पोस्ट के लिए महिलाओं को रिक्रूट किया जा सकता है एंप्लॉय किया जा सकता है। बट अगर जनरल रूल देखें तो सेक्शन 12 आर्मी एक्ट का लड़कियों को इनएलिजिबल ही बता रहा है कि वो एंप्लॉय नहीं हो सकती। इसके बहुत सारे कारण बताए जाते हैं। जैसे कि अगर कोई वॉर होता है, कोई भी ऐसी सिचुएशन होती है तो वहां पे प्रिजनर ऑफ वॉर महिला को आसानी से बनाया जा सकता है। पुरुष को भी बनाया जा सकता है। पर जिस प्रकार के ऑफेंसेस महिलाओं के साथ हो सकते हैं वो बहुत ही संगीन नेचर के होते हैं। इनफैक्ट अगर हम लोग पुराने वॉर लाइक सिचुएशनंस की भी बात करें या वर्ल्ड वॉर की भी बात करें सारी तो वहां पे सबसे ज्यादा सेक्सुअल स्लेवरी होती है महिलाओं की। जो भी एनिमी कंट्रीज होती हैं वो अक्सर महिलाओं को एक ऑब्जेक्ट की तरह इस्तेमाल करती हैं एक तरीके से रेप करने के लिए या फिर एक सेक्सुअल स्लेवरी कैंप में डालने के लिए। तो वो सारे प्रकार के ऑफेंसेस महिलाओं के साथ ना हो। उस प्रकार की प्रताड़ना महिला को ना झेलनी पड़े। उस सब चीजों को कहीं ना कहीं अवॉइड करने के लिए प्रोविजन को इंसर्ट किया गया था। और भी बहुत सारे कारण थे कि फ्रंट लाइन पे महिलाओं की अगर हम शारीरिक बल की बात करें ये सारे पॉइंट्स भी हालांकि उन चीजों के ऊपर अब सवाल उठने लग गए हैं और उसके ऊपर काफी ज्यादा कंट्रोवर्सी अराइज़ होने लग गई है कि अब हम शारीरिक बल के ऊपर कितना ज्यादा फोकस कर सकते हैं आज के समय में। जब हमारे पास में इतनी सारी मशीन गंस हो चुकी हैं, इतनी ज्यादा अ मिसाइल्स हो चुकी है, बहुत सारी और चीजें हो चुकी है। तो उस सिचुएशन के अंदर हमारा अगर हम लोग बॉडीली वेट की बात करें तो वो उतना ज्यादा इंपॉर्टेंट रह जाता है। नेवर द लेस यहां पे सवाल उठता है आर्मी एक्ट सेक्शन नंबर 12 के बारे में बात होती है। और सुप्रीम कोर्ट यहां पे कहता है कि आपने सेक्शन 12 में एक्सेप्शन प्रोवाइड किया जैग को। जैग में आप महिलाओं को रिक्रूट कर रहे हो, एंप्लॉय कर रहे हो। लेकिन एंप्लई अगर कर रहे हो तो फिर पोस्ट में जो नंबर ऑफ वैकेंसी महिला के लिए है और पुरुष के लिए है उसमें डिफरेंस क्यों है? इसका कारण क्या है? ये आप बताओ। मैं आपको यहां पे ये बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट यहां पे किसी भी तरीके से एनक्रोच नहीं कर सकता है और ना ही कर रहा है। यहां पे सुप्रीम कोर्ट केवल जवाब जानना चाहता है कि ये डिफरेंस क्यों एक्सिस्ट कर रहा है? क्या इसके पीछे कोई इंटेलिजिबल डिफरेंशिया है? क्योंकि अगर नहीं है तो आर्टिकल 14 का हनन हो रहा है। आर्टिकल 14 आपका राइट टू इक्वलिटी की बात करता है। इक्वलिटी बिफोर लॉ एंड इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ लॉ। और आप सभी लोग जो लोग आर्टिकल 14 पढ़ चुका है बिल्क कोमल जी इसको आर्टिकल 14 के साथ रिलेट किया जा सकता है 100% लेकिन एक सवाल यह भी आता है कि आर्टिकल 14 जब भी आप पढ़ते हो तो क्या आप आर्टिकल 14 के साथ में नहीं पढ़ते हो इंटेलिजिबल डिफरेंशिया का कांसेप्ट क्या आप नहीं पढ़ते हो रैशन नेक्सेसिस का कांसेप्ट जिन लोगों को नहीं आईडिया है इंटेलिजिबल डिफरेंशिया इज़ डिफरेंस कैपेबल ऑफ़ बीइंग अंडरस्टुड ऐसा डिफरेंस जो कि कैपेबल ऑफ़ बीइंग अंडरस्टुड है अगर वैसा कोई डिफरेंस एग्ज़िस्ट करता है तो उस बेसिस पे डिस्क्रिमिनेशन नहीं डिमार्केशन किया जा सकता है। वर्ड विल बी डिमार्केशन या डिस्टिंशन नॉट डिस्क्रिमिनेशन। तो इसका एक छोटा सा एग्जांपल होता है। जैसे कि एक छोटा सा एग्जांपल मैं बताती हूं कि हमेशा मैंने इस एग्जांपल को इस्तेमाल किया है। ओवरयूज़्ड एग्जांपल है मेरे द्वारा। बट बहुत ही आसान एग्जांपल है कि आप मान लीजिए अभी जुडिशरी का एग्जाम दे रहे हो और आप जुडिशरी के एग्जाम देने के लिए अपीयर करते हो और आपका एक छोटा भाई है जो कि फिफ्थ स्टैंडर्ड का एग्जाम देकर आ रहा होता है। आपने यहां पे मान लो जुडिशरी का एग्जाम दे आरजेएस का एग्जाम देकर आए आप और आप देखते हो कि उसका फिफ्थ स्टैंडर्ड का एग्जाम तो बहुत ही आसान आया है। आप कहते हो कि मेरा तो आर्टिकल 14 का हनन हो रहा है। मेरा छोटा भाई इतना ईजी एग्जाम दे रहा है और मैं इतना यहां पे जुडिशरी का एग्जाम दे रही हूं। ये आर्टिकल 14 का हनन है। क्या ये आर्टिकल आर्टिकल 14 का किसी भी तरीके से हनन है? यस और नो नहीं है। क्योंकि यहां पे एक ऐसा डिफरेंस है जो कि कैपेबल ऑफ़ बीइंग अंडरस्टुड है। उसकी एक ऐज है। आपकी एक ऐज है। उसका एक मैच्योर इंटेलेक्ट है। आपका एक मैच्योर इंटेलेक्ट है। डिफरेंस है जो कि व्हिच इज़ केपेबल ऑफ़ बीइंग अंडरस्टुड। और इसका एक रैशन एक्सेस भी बनता है। मतलब एक समझ में भी आता है कि क्यों हो रहा है। और भी बहुत सारे डिफरेंसेस हैं। फॉर एग्जांपल अगर हम बात करें नर्सिंग जॉब्स की तो वहां पे महिलाओं को प्रेफरेंस मिलती है क्योंकि महिलाओं को जनरली कंसीडर किया जाता है नर्चरिंग और केयरिंग वगैरह-वगैरह। अगर हम लोग मैटरनिटी बेनिफिट की बात करें तो महिलाओं को मैटरनिटी बेनिफिट मिलता है। पटरनिटी बेनिफिट के लिए उतने ज्यादा लीव्स अवेलेबल नहीं है। अगर हम पैटर्निटी बेनिफिट की यानी कि पैतृक लीव्स की बात करें तो कुछ जगहों पे अलाउ किया गया है। सब जगह अलऊ नहीं भी किया गया है। तो क्या वहां पे भी डिस्क्रिमिनेशन हो रहा है? क्या वो एक डिस्क्रिमिनेशन है कि आर्टिकल 14 का हनन है? नहीं है। क्योंकि वहां पे भी कुछ ऐसी डिफरेंसेस हैं व्हिच इज़ कैपेबल ऑफ़ बीइंग अंडरस्टुड ब्रेस्ट फीड की बात करें तो वह महिलाएं ही करा सकती है। पापा आके नहीं करा पाएंगे। और भी बहुत सारी और चीजें होती है बेसिक नर्चरिंग जो एक मदर ही प्रोवाइड कर सकती है बच्चे को उस ड्यूरेशन में। तो कहने का ये मतलब है कि आर्टिकल 14 का हनन इन सारी सिचुएशंस में नहीं है। अब यहां पे है या नहीं है ये सुप्रीम कोर्ट आर्मी से जवाब मांग रहा है कि ये जो आप कर रहे हो क्यों कर रहे हो? हमें एक्सप्लेन कर दो। क्या इंटेलिजिबल डिफरेंशियल है? लेट अस नो। जिससे कि हम लोग भी समझ सकें। इसके अलावा कोर्ट ने रिजेक्ट किया है कि यह जो यूनियन का एक आर्गुमेंट होता है कि महिलाओं को प्रिजनर ऑफ़ वॉर बना देंगे। तो प्रजन ऑफ़ वॉर तो देखो आदमियों को भी बनाया जा सकता है और जो संगीन अपराध महिलाओं के साथ हो सकते हैं वो पुरुषों के साथ में भी हो सकते हैं। तो अभी एज ऑफ नाउ वो समय नहीं रहा है जहां पे हम महिलाओं को एक तरीके से सुरक्षित करके रखने की कोशिश करें। महिलाएं खुद देश को प्रोटेक्ट कर रही है। आप लोगों को प्रोटेक्ट कर रही है। तो वहां पे ये रिक्वायरमेंट नजर नहीं आती है कि प्रिजन ऑफ़ वॉर का अगर एक पॉइंट है तो वो तो पुरुषों के साथ भी हो सकता है। औरतों के साथ भी हो सकता है। किसी के साथ में भी हो सकता है। तो ये सारी चीजें यहां पे बताई गई इस पर्टिकुलर जजमेंट में। कुल मिला के अगर मैं आपको इस जजमेंट का जस्ट बताऊं तो यहां पे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जवाब मांगा गया है आर्मी से इवन यूनियन से कि क्या कारण है कि जैक की पोस्ट में पुरुषों और महिलाओं के वैकेंसीज में इतना डिफरेंस है जहां पे आदमियों के लिए छह पोस्ट है वहीं पे महिलाओं के लिए तीन है। साथ ही साथ ये मिसाल भी दी गई। ऑपरेशन सिंदूर का एग्जांपल लिया गया। रफाल जेट का एग्जांपल लिया गया कि महिलाएं इतना कुछ कर रही है। उसके बावजूद भी व्हाई दे आर नॉट एट फार। सेक्शन 12 की बात की जा सकती है। बट सेक्शन 12 में अगर आपने पोस्ट प्रोवाइड की है तो डिफरेंसेस एंड वैकेंसीज क्यों हैं? ये सारी बातें हैं। चलिए नेक्स्ट केस कुशाल कुमार अग्रवाल वर्सेस डायरेक्टोरेट ऑफ एनफोर्समेंट जस्टिस अभय एस ओका एंड जस्टिस उजल भुयन की यहां पे बेंच है। यहां पे जो इंपॉर्टेंट लॉ पिक्चर में आता है दैट इज़ पीएमएलए। जस्ट गिव मी अ सेकंड। हम यहां पर जो आपका कानून पिक्चर में आता है दैट इज पीएमएलए यानी कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट। अ इस पूरे केस के बारे में बात करने से पहले आपको बेसिक नॉलेज होनी चाहिए पीएमएलए के बारे में। तो मैं पहले पीएमएलए के बारे में बात करूंगी एंड देन वी आर गोइंग टू एंटर इंटू दिस पर्टिकुलर केस। प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट होता क्या है? तो ये क्या रंग है हमारा? दिस इज़ ब्लैक इन कलर दिस माउस। अगर मैं इस ब्लैक माउस को वाइट बना दूं तो क्या कर रही हूं मैं? काले को वाइट बना रही हूं। इसी तरीके से कुछ लोग क्या करते हैं? काले धन को सफ़ेद धन में कन्वर्ट करने की कोशिश करते हैं या फिर बनाने की कोशिश करते हैं। बनाना नहीं मतलब एक तरीके से दिखाना दर्शाना कि मेरा जो पैसा है वो लेजिटमेट सोर्स से आ रहा है। तो आप ब्लैक मनी को वाइट मनी में दर्शाने की कोशिश कर रहे हो अपने अकाउंट्स में या फिर लोगों के सामने या फिर डिपार्टमेंट में। वही चीज होती है मनी लॉन्ड्रिंग की एक्टिविटी कि आप मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे हो। क्या कर रहे हो? ब्लैक जो आपका पैसा है उसको वाइट में कन्वर्ट करने की कोशिश या लेजिटिमेट दिखाने की कोशिश करना। दैट इज योर मनी लॉन्ड्रिंग और ये क्रिमिनल ऑफेंस होता है और बहुत ही संगीन अपराध के रूप में देखा जाता है और इसी के अगेंस्ट एक्ट है हमारा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और ये जो एक्ट आया आपका 2002 में इनएक्ट किया गया था वियना कन्वेंशन के कमिटमेंट के हिसाब से इंडिया ने भी इंडिया वाज़ आल्सो सिग्नेटरी टू वियना कन्वेंशन जो कि इस प्रकार के इकोनॉमिक ऑफेंसेस को कर्व करने के बारे में बात करता है। रोकने के बारे में बात करता है। प्रिवेंट पनिश करने के बारे में बात करता है। इंडिया सिग्नेटरी है। तो उन्होंने भी बात करी। अगर हम इसके सेलियंट फीचर्स की बात करें, इंपॉर्टेंट फीचर्स की बात करें, अगर आपको नजर नहीं आ रहा है, तो ये फाइल मैं आपको Telegram पे शेयर कर दूंगी। यू कैन ज़ूम इट एंड जितना देख सकते हो आप उतना देख पाओगे। बट नेवर द लेस इसमें बात होती है फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट की, पनिशमेंट फॉर मनी लॉन्ड्रिंग की, एडजुडकेटिंग अथॉरिटी भी है यहां पे जो कि डिसाइड करती है बर्डन ऑफ़ प्रूफ की, स्पेशल कोर्ट की। ये सारे इसके सेलियंट फीचर्स हैं। इसी के साथ-साथ में यहां पे इनेबल किया जाता है अथॉरिटीज़ को कि आप प्रॉपर्टी को कॉन्फिसिकेट कर सकते हो। हो एडजुकेटिंग अथॉरिटी बना सकते हो। रिपोर्टिंग एंटिटी का कांसेप्ट है। एपलेट ट्रिब्यूनल है। बहुत सारे और फीचर्स भी इसके अंदर इंकल्केटेड है। आपको यहां पे बताना मेरे लिए यह भी इंपॉर्टेंट है कि पीएमएलए एक बहुत ही स्ट्रिक्ट लॉ है। तो आप देखते होंगे कि इसमें आसानी से बेल नहीं मिलती है। अ कभी आप YouTube पे चाहो तो सर्च करना पीएमएलए ईडीस पावर ऑफ़ अरेस्ट। कुछ भी ऐसा करके सर्च करना। पीएमएलए ईडीस पावर ऑफ़ अरेस्ट। और उसके आगे आप मेरा नाम लिखने देना। अपूर्वा पुरोहित आपको एक सेशन नजर आएगा। यू कैन वाच दैट सेशन टू अंडरस्टैंड कि कितना ज्यादा स्ट्रिक्ट लॉ है और कितना मुश्किल से इसमें बेल ग्रांट होती है। इट इज़ वेरी डिफिकल्ट टू हैव बेल इन पीएमएलए केसेस। या इवन जो जनरली इकोनॉमिक ऑफेंसेस हैं जो कि सीरियस नेचर के होते हैं उसमें बेल इतना इजीली मिलता नहीं है। जनरली आप लोगों को पता होगा कि भारत में कांसेप्ट है इनोसेंट अंटिल प्रूवन गिल्टी का। पर पीएमएलए के मामलों के अंदर यूजुअली उसे फॉलो नहीं किया जाता है। यूजुअली वहां पे है गिल्टी अंटिल प्रूवन इनोसेंट टाइप का कांसेप्ट रहता है पीएमएलए के केसेस में। खैर ये सब एडिशनल इनेशन है। यहां पे तो मैं केवल ये डिस्कस करना चाहती हूं कि पीएमएलए का जो अक्यूज़्ड है क्या वो एंटाइटल्ड है टू हियरिंग बिफोर कॉग्निजेंस इस टेकन ऑफ़ ईडीस कंप्लेंट। इन देखो जब भी पीएमएलए का नाम आएगा इनफोर्समेंट डायरेट का नाम आएगा ही आएगा। मतलब जो भी जांच की जाती है, जो भी सब किया जाता है वो ईडी के द्वारा किया जाता है। तो मान लो ईडी की एक कंप्लेंट है वो फाइल की गई है। उस पे कॉग्निजेंस लेना है। उससे पहले अगर एक्यूज़ की हियरिंग नहीं हुई है तो क्या कॉग्निजेंस लिया जा सकता है? क्या? ये सवाल खड़ा हो रहा है। मान लो कि एक पर्सन है दिस इज़ मिस्टर ए जिन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग का ऑफेंस कमिट किया है। ठीक है? ईडी इनके ऊपर पूरा इन्वेस्टिगेशन करता है और रिपोर्ट बनाता है। अब इनसे कुछ पूछा नहीं गया। इनकी कोई हियरिंग नहीं हुई है। उससे पहले ही ईडी की रिपोर्ट पे कॉग्निजेंस ले रहा है आपका स्पेशल कोर्ट। क्या यह किया जा सकता है? दैट इज़ अ क्वेश्चन इन दिस पर्टिकुलर केस। तो यहां पे सुप्रीम कोर्ट कहता है कि पहले शायद किया जा सकता था पर 1 जुलाई 2024 के बाद में नहीं किया जा सकता। इसका कारण है आपका बीएएसएस यानी कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सेक्शन 223 जो है आपका उसके अंदर एक प्रोवाइजो इंसर्ट किया गया है जिसमें कहा गया है कि इसमें इन कोई भी पर्टिकुलर मामले में इंक्लूडिंग पीएमएलए केसेस हियरिंग बहुत इंपॉर्टेंट है कॉग्निजेंस लेने से पहले। अब अगर आपको 22 टू 3 के बारे में बिल्कुल नहीं पता है तो एक बार हम लोग उसको रेफर करते हैं फिर इसके बारे में बात करते हैं। तो ये है आपका सेक्शन नंबर 223 जो कि बात कर रहा है एग्जामिनेशन ऑफ़ कंप्लेनेंट के बारे में। अब यहां पे आप प्रोवाइजो देखोगे तो नो कॉग्निजेंस ऑफ़ एन ऑफेंस शैल बी टेकन बाय मजिस्ट्रेट विदाउट गिविंग अक्यूज़्ड एन अपॉर्चुनिटी ऑफ़ बीइंग हर्ड। यह चीज क्लेरिफाई की गई है कि यह हर एक पर्टिकुलर चीज के लिए अलाउ होगी। इवन पीएमएलए के केसेस में भी अप्लाई होगी। तो यह जो मामला हमारा आया जिस केस को हम लोग स्पेसिफिकली डील कर रहे हैं कुशाल कुमार के केस के केस को ये 1 जुलाई 2024 के बाद का मामला है। तो बीएएनएस इंप्लीमेंट में हो चुका है। इफेक्ट में आ चुका है। तो यहां पे इंपॉर्टेंट ये है कि पहले आप एक्यूज़ पर्सन को सुनो। उसको अपॉर्चुनिटी दो और उसके बाद ही कोई भी प्रकार का कॉग्निजेंस लिया जाए। तो सुप्रीम कोर्ट ने यहां पे क्वश कर दिया कॉग्निजेंस का ऑर्डर जो कि पास किया गया था स्पेशल कोर्ट के द्वारा नवंबर 2024 में नोट ये किया गया कि बीएएनएसएस ऑलरेडी आ चुका है और सेक्शन टू टू थ्री अ क्ल के सब सेक्शन वन के प्रोवाइजो के हिसाब से यहां पे इंपॉर्टेंट है कि हम अक्यूज्ड की एक बार बात सुने उसको मौका दे बोलने का और उसके बाद ही कॉग्निजेंस ईडी की रिपोर्ट पे लेना है नहीं लेना है वो डिसाइड किया जाए आरती जी गुड मॉर्निंग क्या यह समझ में आया हमको यस और नो नो एक एक बार यह बता दो। एक बार मैं वापस से क्लेरिफाई कर दूं। पीएमएलए स्ट्रिक्ट लॉ है। वो किसी और दिन में बात करेंगे। कभी और जब जरूरत पड़ी तो अभी हम लोग केवल यह बात कर रहे हैं कि बीएएनएसएस आने से पहले और बीएएसएस आने के बाद आपके पीएमएलए के केसेस पे क्या फर्क पड़ने वाला है या कोई भी केस पे क्या फर्क पड़ने वाला है। 1 जुलाई 2000 1 जुलाई 2024 से पहले बीएएनएसएस नहीं जब था तो आप पीएमएलए के केसेस में कॉग्निजेंस ले सकते थे बिना अक्यूज़्ड को सुने हुए भी ईडी की रिपोर्ट के बेसिस पर यूनिलटरली। पर बीएएनएसएस के बाद में वो पॉसिबल नहीं है और उसका कारण है आपका ये सेक्शन का ये प्रोवाइजो इसको आप रेफर कर सकते हो। ठीक है? चलिए बाकी आप ये दो सेशंस रेफर कर लेना अपना एक छोटा सा होमवर्क कर लेना। चीजें आपको क्लियर हो जाएंगी। बीएएसएस कब इफेक्ट में आया? ये आप ऑलरेडी जानते हो। 1 जुलाई 2024 के बाद आया और क्योंकि यह मामला 1 नवंबर 2024 के अराउंड है तो वहां पे हम बीएएसएस की एप्लीकेशन को मिस आउट नहीं कर सकते हैं। ठीक है? चलिए। ऑलराइट। नेक्स्ट हमारा न्यूज़ है कि नालसा का न्यू एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अपॉइंट कर दिया गया है। और यह जो नॉमिनेशन किया गया है राष्ट्रपति के द्वारा किया गया है। इन्ह नॉमिनेट किया है सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्यकांत को एज़ एग्जीक्यूटिव चेयरमैन ऑफ नालसा। एस एग्जीक्यूटिव चेयरमैन जस्टिस सूर्यकांत विल लीड नालसास मिशन टू प्रोवाइड फ्री लीगल एड टू ऑल सिटीजंस पर्टिकुलरली फ्रॉम दोज़ मार्जिनलाइज्ड इकोनॉमिकली वीकर सेक्शंस ऑफ द कंट्री। अ से इसके बारे में बात करने से पहले मुझे जरा यह बताइए कि नालसा है क्या? व्हाट इज़ नालसा? एनए एल एस ए आपने सुना होगा इसके बारे में। शांतनु जी थैंक यू सो मच। जितने लोग भी क्लास में मौजूद हैं अक्षय, शांतनु, नरेंद्र, आदित्य, शिवम, एवरीवन। व्हाट इज नालसा? नालसा के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अपॉइंट तो कर दिए गए हैं जस्टिस सूर्यकांत और इस पे सवाल बनता भी है आप लोगों के लिए कि हु इज़ अपॉइंटंटेड एस द एग्जीक्यूटिव चेयरमैन? बट व्हाट इज़ नालसा? नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी। बट क्या फंक्शन है? देखो, यह तो आपने फुल फॉर्म बताया। क्या है? ऐसे मेरा मतलब फुल फॉर्म बताना नहीं है। क्या इसका फंक्शन है प्राइमरी? वेरी गुड। अगर हम लोग बात करते हैं राइट टू डिफेंस की। अगर हम बात करते हैं प्रीलीगल एड टू पुअर पीपल की तो उन सारी चीजों के अंडर आता है। अगर हम अपने मौलिक अधिकार की भी बात करें तो वहां पे भी आपको फ्री आपके पास अधिकार है अपने आप को डिफेंड करने का। अगर हम लोग फ्री लीगल एड की बात करें तो एमएच हॉस्पॉट वर्सेस स्टेट ऑफ महाराष्ट्र के केस में कहा गया था कि फ्री लीगल एड आपका आर्टिकल नंबर 21 का पार्ट है। यानी कि राइट टू लाइफ का पार्ट है। हालांकि फ्री लीगल एड आपकी डीपीएसपी में भी इंश्येंड है। बट द पॉइंट इज़ डीपीएसपी तो फिर भी नॉन जस्टिसबल नॉन इनफोर्सिएबल नेचर है। कोई इसको कम सीरियसली ले सकता है। पर एमएच हॉस्कॉर्ड वर्सेस स्टेट ऑफ़ महाराष्ट्र के केस में कहा गया था फ्री लीगल एड हमारा आर्टिकल 21 का पार्ट बनता है। यानी कि जीने के अधिकार का पार्ट बनता है। तो जो नालसा है वो इसी के कॉन्टेक्स्ट में आता है। यानी कि नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी। एक बार इसके बारे में भी बात कर लेते हैं। तो ये नेशनल लेवल पर होता है नालसा जो कि कॉन्स्टिट्यूट किया गया था लीगल सर्विस अथॉरिटीज एक्ट के अंदर। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया इसके पेट्रोन एंड चीफ होते हैं। यानी कि सबसे सुप्रीम अथॉरिटी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होते हैं नालसा के। और सिर्फ नेशनल लेवल पे ये अथॉरिटी नहीं होती। स्टेट लेवल पे आपकी स्टेट इललीगल सर्विस अथॉरिटी भी है जो कि हेड की जाती है चीफ जस्टिस ऑफ़ स्टेट हाई कोर्ट के द्वारा। मतलब वो जो हैं उसके पेट्रोन एंड चीफ रहते हैं। अभी जो जस्टिस सूर्यकांत है वो क्या है? एग्जीक्यूटिव चेयरमैन है व्हिच इज़ वेरी डिफरेंट। है ना फ्रॉम पेट्रोन एंड चीफ डिस्ट्रिक्ट लेवल पे आपके डिस्ट्रिक्ट सर्विस लीगल सर्विस अथॉरिटी होगी। यहां पे जो डिस्ट्रिक्ट जज है वो ऑटोमेटिकली एक्स ऑफिशियल चेयरमैन होंगे। तालुका लेवल पे भी आपकी लीगल सर्विस कमिटीज होती हैं। तो कास्टेंटली इंश्योर किया जाता है कि ग्रास रूट लेवल तक फ्री लीगल एड पहुंच सके हर पर्सन के पास स्पेसिफिकली अगर हम बात करें तो मार्जिनलाइज सोसाइटी के पास में और साथ ही साथ इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन ऑफ कंट्री के पास में। ये बेसिक लेवल की चीजें आपको पता होनी चाहिए कि हर लेवल पे होती है। तो इंडिया में अगर हम नेशनल लेवल की बात करें तो नालसा है। पेट्रोन चीफ है सीजेआई। अभी हम लोगों ने अपॉइंट हमने नहीं सॉरी राष्ट्रपति ने नॉमिनेट किया है जस्टिस सूर्यकांत को एज अ एग्जीक्यूटिव चेयरमैन। अगर हम नोटिफिकेशन की बात करें तो इशू की गई है बाय मिनिस्ट्री ऑफ़ लॉ एंड जस्टिस। यह थोड़े बहुत आपके एफएक्यूस हैं जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए। अनाउंस किया नॉमिनेशन के बारे में और इसमें राज इसमें जो राष्ट्रपति है उन्होंने अपनी पावर इस्तेमाल की सेक्शन 32 बी ऑफ लीगल सर्विस अथॉरिटीज एक्ट का इस सेक्शन का इस्तेमाल करते हुए अपनी पावर का इस्तेमाल करते हुए नॉमिनेट किया गया है। एस पर कन्वेंशन जो सेकंड सीनियर मोस्ट जज होते हैं सुप्रीम कोर्ट के उन्हीं को ही अपॉइंट किया जाता है। और जस्टिस सूर्यकांत सेकंड सीनियर मोस्ट जज हैं। अगर हम फर्स्ट सीनियर मोस्ट जज की बात करें तो वह कौन है? एनीबडी सबको मिल सकता है। ऐसा जरूरी नहीं कि केवल गरीब इंसान को ही मिलेगा। कोई और अगर सशक्त है पर वो फ्री लीगल एड्स चाहता है तो उसे मिल सकता है अंडर नालसा एंड ऑल ऑफ़ दीज़ लीगल सर्विस अथॉरिटीज़ एक्ट। खैर मेरा सवाल आप लोगों से यह है कि सेकंड सीनियर मोस्ट जज जो है आपके जस्टिस सूर्यकांत हैं। तो फर्स्ट सीनियर मोस्ट जज कौन है? वेरी गुड। जस्टिस बी आर गवई। और बीआर गवई से पहले सीजीआई आपके संजीव खन्ना जी थे तो वो रिटायर हो रहे हैं। तो इसके बाद में आपके बीआर गवई जी बन रहे हैं सीजीआई। अब क्योंकि वो सीजीआई बन रहे हैं तो इनका जो अ बी आर गवई जो हैं वो पहले नालसा के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन थे। उनकी सीट वेकेंट हो रही है तो जस्टिस सूर्यकांत को अपॉइंट किया जा रहा है एज अ एग्जीक्यूटिव चेयरमैन। तो आपको समझना यह पड़ेगा कि इनसे पहले बीआर गवई साहब थे क्योंकि वो सेकंड सीनियर मोस्ट जज थे उस टाइम पर। अब वो आपकी सीजीआई बनने वाले हैं 13 मई से यानी कि कल ही की तारीख से अपनी पोजीशन और अपने सारे फंक्शनंस का निर्वाह करने वाले हैं। तो जस्टिस सूर्यकांत को यहां पे अपॉइंट किया गया एग्जीक्यूटिव चेयरमैन ऑफ नालसा के रूप में। चलिए तो आपको इससे थोड़े सीनियोरिटी लेवल के बारे में पता चलेगा। अच्छा एक बात बताइए इस जजमेंट को डिस्कस करने से पहले या इस पर्टिकुलर पॉइंट को डिस्कस करने से पहले अंबेडकर जयंती कब आती है? कब आई थी? अभी कुछ दिन पहले ही आई थी। तो अंबेडकर जयंती कब आती है? और जब अभी कुछ समय पहले ज्यादा समय भी नहीं हुआ है। कुछ समय पहले जब आई थी तो क्या आप लोगों ने इस न्यूज़ के बारे में सुना था? क्या स्पेसिफिकली अगर हम बात करें तो कुछ पर्टिकुलर एरियाज में बी आर अंबेडकर साहब की स्टैचू को वेंडलाइज किया गया था। सोशल मीडिया के काफी सारे प्लेटफॉर्म्स में इसका कवरेज भी हुआ था। लेकिन देखने वाली बात यह थी कि इसके ऊपर कोई भी एक्शन नहीं लिया गया था अथॉरिटीज के द्वारा। यानी कि पुलिस की बात कर लें या इन्वेस्टिगेटिव एजेंसीज की बात कर लें तो उनके द्वारा कुछ भी इसके ऊपर कारवाई नहीं की गई थी। तो इसी के ऊपर सवाल उठा था कि ये पीआईएल फाइल की गई कि क्यों इन एक्शन है वेंडलाइजेशन ऑफ़ अंबेडकर स्टैचू पर। यहां पे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सीरियस लेवल पर इंक्वायरी इनिशिएट की है और कहा है कि इसके ऊपर जांच पड़ताल होनी चाहिए कि किसके द्वारा किया गया है। और मैं आपको बता दूं कि ये पहला इंस्टेंस नहीं है ना ही कोई दूसरा इंस्टेंस है। ऐसा अक्सर होता है कि अंबेडकर जयंती पर या जब भी कोई इस प्रकार का टॉपिक ऑफ रिजर्वेशन या फिर कास्ट सेंस की भी अभी जब बात आ रही है तो किसी ना किसी एरिया में बी आर अंबेडकर के पुतले जलाए जाते हैं। कहीं पे स्टैचू को वेंडलाइज किया जाता है। अक्सर काफी सारे लोग इनके कंट्रीब्यूशन इन कॉन्स्टिट्यूशन भूल जाते हैं कि संविधान में जो आपको मौलिक अधिकार मिल रहे हैं जिस जो भी सारी चीजें आपको प्रोवाइड की जा रही है अगर हम बात करते हैं इक्वलिटी की अगर हम बात करते हैं जस्टिस की हम बात करते हैं फेयर ट्रायल की हम अगर बात करते हैं महिलाओं के अधिकारों के बारे में भी तो वो सारी आपको इन्हीं की वजह से मिल पा रही है। एक बेसिक रिस्पेक्ट मिलना चाहिए। बट नेवर द लेस कुछ लोग शायद आधी अधूरी इंफॉर्मेशन की वजह से कर लेते हैं ये सब चीजें। बट नेवर द लेस यहां पे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के द्वारा बोला गया है कि इसके ऊपर सीरियस लेवल पर इंक्वायरी की जाए। सीसीटीवी कैमरा अगर कहीं पे भी आसपास हो तो उसमें सारे फुटेजेस को चेक किया जाए और जो भी लोग हैं उसको उनको यहां पे पनिशमेंट मिले। अभी एज ऑफ नाउ मामला पेंडिंग है। किसने किया है, क्या किया है वो हमें नहीं पता है। पर ये चीज हुई है और इसके ऊपर सीरियस कारवाई एटलीस्ट होनी चाहिए। इसके बारे में बात इनिशिएट की गई है। चलिए प्रैक्टिस क्वेश्चन डिस्कस करने से पहले सभी लोगों को रिमाइंडर कि जो लोग भी वीडियो देख रहे हैं वीडियो को लाइक करना बिल्कुल मत भूलें। यहां पे आप वीडियो को लाइक कर सकते हो। तो इसी के साथ-साथ में डिस्क्रिप्शन बॉक्स में हरी एनरोल नाउ वाले लिंक पे जाकर आप पी टू 3.0 रैंकर्स में भी एनरोल कर सकते हैं। यहां पे जाना है। बाय नाउ पे क्लिक करना है। ऐड प्रोमो कोड करना है और एपीपी कोड का इस्तेमाल करना है। जिससे कि आपको ₹26,000 का कोर्स मिल जाएगा। अ जिसमें आपको प्रीलिम्स, मेंस, इंटरव्यू तीनों की तैयारी मिलती है। इसी के साथ-साथ में आपको फर्स्ट रैंक लाने पे मंथली लेवल पर 5,000 का अवार्ड भी मिलता है मॉक टेस्ट वगैरह में। बाय नाउ किया किताबें ऐड करी तो 29,000 में ये कोर्स मिलेगा। चलिए मैं बैच के बारे में आपको क्लास के एंड में बताऊंगी। अभी हम लोग प्रैक्टिस क्वेश्चंस को करते हैं। पहला सवाल आपके सामने व्हाट वाज़ द मेन कंटेंशन ऑफ़ द पिटिशनर्स इन द केस ऑफ़ अर्शनूर कौर वर्सेस यूनियन ऑफ़ इंडिया? हां जी। पहला सवाल आप लोगों के सामने आ चुका है। वेरी गुड प्रतिष्ठा नरेंद्र साहियोल अनिल लीगल स्टडी कपिल नेहा नितिन एवरीवन द करेक्ट आंसर इज़ ए वुमेन बट डिनाइड सिलेक्शन डिस्पाइट हायर मैरिड ड्यू टू फ्यूअर वैकेंसीज़ फॉर वुमेन। वेरी गुड। अगला सवाल अकॉर्डिंग टू सेक्शन 12 ऑफ़ आर्मी एक्ट हु हैज़ द अथॉरिटी टू अलाउ द अपॉइंटमेंट ऑफ़ वुमेन टू रेगुलर आर्मी? किनके पास अधिकार है महिलाओं को रेगुलर आर्मी में अपॉइंट करने की भी अथॉरिटी प्रोवाइड करना। सेक्शन 12 ऑफ़ आर्मी एक्ट के हिसाब से। सेंट्रल गवर्नमेंट, आर्मी चीफ, प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया, डिफेंस सेक्रेटरी कल तो किसी ने बोला था मैम सीरियल नंबर में बताओ जिससे कि हम लोग आंसर्स प्रॉपर्ली बता सकें। वेरी गुड कपिल देवेंद्र रमा आदित्य विराज मोहम्मद शिफरान नरेंद्र मी जी वेरी गुड करेक्ट आंसर इज़ सेंट्रल गवर्नमेंट ओनली कैसे करेगा? सेंट्रल गवर्नमेंट ऑफिशियल गैजेट में नोटिफाई करके ना यह हमने देख लिया है इसके बारे में। चलिए नेक्स्ट हु हैज़ बीन नॉमिनेटेड एज़ एग्जीक्यूटिव चेयरमैन ऑफ़ नालसा एस पर द लेटेस्ट नोटिफिकेशन? नालसा के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में किनको अपॉइंट किया गया है? संजीव खन्ना, अब जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस डीवाई चंद्रचूर, जस्टिस सूर्यकांत। डी डी कहां से बी बता रहे हो? बी थे यह बन रहे हैं सीजीआई आपके कल से मतलब बन चुके हैं ऑलरेडी कल से फंक्शनंस अपने लेने वाले हैं। तो एग्जीक्यूटिव चेयरमैन ऑफ़ नालसा की बात करें तो जस्टिस सूर्यकांत। अगला सवाल वि सेक्शन ऑफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता मैंडेट्स अ हियरिंग ऑफ अक्यूज़ बिफोर कॉग्निजेंस इस टेकन? कौन सा सेक्शन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का कहता है कि अक्यूज़्ड की हियरिंग होनी चाहिए। उसको अपॉर्चुनिटी ऑफ़ बीइंग हर्ड मिलना चाहिए। कॉग्निजेंस यानी कि संज्ञान लेने से पहले वेरी गुड नेहा सहयोल आनंद मोहन तिवारी जी नितिन अक्षय रमा शिफरान प्रतिष्ठा वेरी गुड लीगल स्टडी कपिल वेरी गुड अक्षय ठीक है द करेक्ट आंसर इज़ सी और सी में भी अगर हम स्पेसिफिकली जाए तो प्रोवाइजो है ना प्रोवाइजो यहां पे पढ़ना बहुत इंपॉर्टेंट है अगर आपके सामने ऑप्शंस हैं प्रो प्रोवाइजो लिखा हो तो आपको प्रोवाइजो को ही प्रेफर करना है। नेक्स्ट व्हाट वाज़ द प्राइमरी लीगल इशू एड्रेस्ड बाय अ द सुप्रीम कोर्ट इन खुश खुशाल कुमार अग्रवाल वर्सेस डायरेक्टर ऑफ एनफोर्समेंट? इनमें से प्राइमरी लीगल इशू क्या था इस पर्टिकुलर केस में? हां जी करेक्ट आंसर इज़ बी वेदर एक्यूज़ इज़ एंटाइटल्ड टू हियरिंग बिफोर कॉग्निजेंस इज़ टेकन अंडर बीएएनएसएस वेरी गुड चलिए दैट इज़ इट फॉर टुडेेस क्लास अ जिन लोगों को भी स्टडी आईक्यू की किताबें लेनी है वो वेबसाइट पे जाके ले सकता है। डिस्क्रिप्शन बॉक्स में भी जाके क्लिक करके ले सकता है। पी2i 3.0 रैंकर्स में अभी ग्रेट नॉलेज फेस्टिवल सेल चल रही है। आप एपीपी कोड का इस्तेमाल करते हुए मैक्सिमम डिस्काउंट्स अेल कर सकते हो। अह तीनों जो स्टेजेस होती हैं उनकी तैयारी करवाई जाती है। एट द सेम टाइम मैं आपको बता दूं कि जो लोग भी Telegram अपूवा मैम जुडिशरी पे नहीं जुड़े हैं कनेक्ट कर सकते हैं। क्लास की पीडीएफ मैं यहां पे शेयर कर दूंगी। क्लास के टाइम की अपडेट्स क्लास कैसे क्या होने वाली है उन सारी चीजों की सूचना आपको इधर ही मिलती है। दिस इज़ वेरी मैंडेटरी टू जॉइन। अ इसी के साथ-साथ में यहां पे वीकली एंड मंथली टेस्ट होते हैं। आपके, मॉक टेस्ट होते हैं। मंथली मॉक टेस्ट में जो भी फर्स्ट रैंक आता है उसे 5000 का अवार्ड मिलता है। जुडिशरी क्रैक करने पे आपको 100% फीस रिफंड भी मिलती है। आज के लिए इतना ही है। थैंक यू सो मच फॉर जॉइनिंग इन एंड सी यू ऑल इन द नेक्स्ट क्लास। कल की क्लास में मिलते हैं। और अगर आपका कोई भी डाउट हो जो कि मैं क्लास में रॉल्व नहीं कर पाती हूं बिकॉज़ ऑफ सेशन। तो आप मुझसे Telegram या Instagram पे पूछ सकते हो। मैं वहां पर आपको रिप्लाई करने की कोशिश करूंगी। थैंक यू सो मच। बाय-ब टेक केयर थैंक यू एवरीवन शांतनु