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लखनवी अंदाज की ट्रेन यात्रा

हेलो पपलू दिस इज योर आयुष भैया एंड आज की वीडियो में हम लोग पढ़ने वाले हैं तुम्हारे टस बुक का एक बहुत ही इजी सा चैप्टर जिसका नाम है लखनवी अंदाज तो वीडियो को एंड तक जरूर देखना क्योंकि वीडियो के एंड में मैं तुम लोगों को इस चैप्टर के कुछ इंपॉर्टेंट क्वेश्चंस भी प्रोवाइड करने वाला हूं किसी को बताना मत बस वीडियो को एंड तक देख लेना एंड हो सकता है कि उन क्वेश्चंस में कोई क्वेश्चन तुम्हारी एग्जाम्स में भी आ जाए इसलिए वीडियो को गौर से देखना तो आप आराम से चुकू मुकू बैठो आज की इस एनिमेटेड वीडियो का मजा लो तो सबसे पहले मैं तुम लोगों को इस चैप्टर के कुछ इंपॉर्टेंट कैरेक्टर से मिलवा चाहूंगा वो कौन है उसे तुम खुद मिल लो हेलो मैं हूं यशपाल इस कहानी का लेखक एंड मैं तुम लोगों को इस कहानी में अपनी जिंदगी में हुआ एक ट्रेन का इंसीडेंस के बारे में बताऊंगा हाय तुम लोग मुझे इस पाट में नवाब साहब के नाम से जानोगे एंड मैं तुम लोगों को एक बात बताऊं मुझे खीरा खाना बहुत ज्यादा पसंद है हेलो यार मुझे मत बोल जाना मैं हूं तुम्हारा वन एंड ओनली स्टोरी टेलर भैया जो तुम लोगों को इस चैप्टर की प्लॉट से रूबरू करवाएगा यानी कि बहुत ही अच्छे से समझाएगा तो अब चलो चैप्टर की डिटेल एक्सप्लेनेशन को शुरू करते हैं चैप्टर स्टार्ट होता है और हमें बताया जाता है कि जो हमारे लेखक है वो स्टेशन पे खड़े होते हैं ट्रेन चलने ही वाला होता है और हमारे जो लेखक है वो सोच में रहते हैं कि उन्हें फर्स्ट क्लास का टिकट लेना चाहिए या सेकंड क्लास का टिकट लेना चाहिए सेकंड क्लास का जो टिकट था वो थोड़ा कॉस्टली था एंड हमारे जो लेखक है उन्हें ज्यादा दूर ट्रैवल भी नहीं करना था भीड़ से बचने के लिए एकाद में कहानी के बारे में सोचने के लिए और साथ ही में विंडो में बैठकर प्राकृतिक दृश्य देखने के लिए जो हमारे लेखक है वो फाइनली डिसाइड करते हैं कि वो सेकंड क्लास का टिकट लेंगे एंड वो फिर सेकंड क्लास का टिकट ले लेते हैं मेरी ट्रेन छूटने ही वाली थी एंड मैं सेकंड क्लास की एक छोटी सी बोगी को खाली समझकर तुरंत ही उस बोगी में चढ़ जाता हूं मेरे अनुमान का उल्टा होता है वो जो डिब्बा था ट्रेन का वो खाली नहीं था लखनऊ के नवाबी नस्ल का एक सज्जन वहां पे पालती मारकर बैठा हुआ था बेसिकली लखनऊ में अमीर लोगों को नवाब कह के पुकारा जाता है तो अब लेखक जैसे ही ट्रेन के बोगी में अंदर घुसते हैं तो वो देखते हैं कि उनके सामने दो खीरा रखा हुआ था वो भी तौलिया पे यहां पे नवाब साहब के पास दो खीरा कहां से आ गया सबके पास तो एक होता है अरे यार हम लोग टॉपिक से नहीं भटकते चैप्टर ही में रहते हैं और आगे बढ़ते हैं जैसे ही लेखक अंदर जाते हैं तो जो नवाब साहब था उसके आंखों में थोड़ा सा असंतोष दिखता है यानी कि जो नवाब थे वो थोड़ा अनकंफर्ट बल हो जाते हैं लेखक को देखकर लेखक सोचते हैं कि शायद वो खीरे जैसे अप पदार्थ चीज को खाने के शौकीन थे और आज वह पकड़े गए इसलिए उनके आंखों में असंतोष है नवाब साहब लेखक में कोई भी इंटरेस्ट नहीं दिखाते इसलिए लेखक भी तुरंत ही बोगी में एंटर करते हैं अपने आत्मसम्मान को बचाते हुए वो अपनी सीट में जाकर बैठ जाते हैं एंड अपनी नजरों को इधर-उधर घुमा लेते हैं यानी कि वो एक्ट करते हैं ऐसे प्रिटेंड करते हैं कि उन्हें भी कोई मतलब नहीं है उस नवाब साहब से लेखक जब भी खाली बैठा करते थे तो उनकी आदत थी कि वो कुछ ना कुछ सोचते रहते थे या कुछ समझने की कोशिश करते थे तो इस टाइम पे भी वो यही करते हैं एंड समझने की कोशिश करते हैं कल्पना करते हैं कि आखिर जो नवाब साहब है उनकी आंखों में असंतोष क्यों है उन्हें देखकर यह हो सकता है कि नवाब साहब ने सेकंड क्लास का टिकट अकेले ट्रैवल करने के लिए ही खरीदा हो और गवारा ना हो कि शहर का एक सफेद पोस इंसान उन्हें ट्रेवल करते हुए अब देखे अकेले ट्रेवल करने के लिए ही उन्होंने खीरा को खरीदा होगा और अब मेरे सामने खीरा खाने में उन्हें शर्मा आ रहा होगा मैं तिरछी नजर से नवाब साहब को देख रहा था नवाब साहब जो थे वह खिड़की से बाहर देखकर सिचुएशन पे गौर फरमा रहे थे ओ आदाब अर्ज जनाब क्या आप खीरे का शौक फरमाएंगे यहां बेसिकली नवाब साहब लेखक को खीरा ऑफर कर रहे हैं खाने के लिए या ट्रेन में खीरा कौन ऑफर करता है तुम लोग ये चीज कभी मत करना लेकिन एक चीज जो तुम लोग अभी तुरंत कर सकते हो वो चैनल को सब्सक्राइब करना एंड मुझे इ पे फॉलो कर लेना लिंक डिस्क्रिप्शन में गिवन है टा का अब आगे क्या होता है कि इतना ज्यादा परिवर्तन नवाब साहब में देखकर लेखक को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है लेखक ने भाप लिया कि शराफत का गुमान पहने रखने के लिए उन्होंने ऐसा पूछा इसलिए हमारे जो लेखक है वो तुरंत ही रिप्लाई देते हैं शुक्रिया किबला शौक फरमाइए आप खाइए नवाब साहब अब फिर से एक पल के लिए खिड़की से बाहर देखते हैं फिर तुरंत ही वो खीरे के नीचे तौलिया को तुरंत ही वहां से हटा देते हैं उसे झाड़ देते हैं एंड फिर खीरा को उठाते हैं एंड फिर नीचे रखा लोटा अपने सीट के नीचे रखा लोटा उठाते हैं एंड फिर खीरे को खिड़की से बाहर बहुत ही अच्छे से धो लेते हैं एंड फिर अपनी पॉकेट से चाकू निकालते हैं चाकू निकालकर खीरे के सर को अच्छे से काट लेते हैं दोनों पार्ट्स को एंड फिर स्लाइसेज में खीरा को काट लेते हैं उसे छील लेते हैं एंड फिर तौलिया में अच्छे से सजा देते हैं उस खीरे को नवाब साहब अब बहुत ही सलीके से खीरे के स्लाइसेज यानी कि खीरे के फकों पे नमक मिर्च और जीरा का पाउडर छिड़क देते हैं उनके रिएक्शन यानी कि नवाब साहब को देखकर यह साफ-साफ पता चल रहा था कि खीरे के स्लाइसेज को देखकर उनके मुंह में पानी आ रहा था लेखक अब मन में ही सोचते हैं मियां रहीस तो बहुत बनते हैं और लोगों की नजरों से बचने की भी बहुत कोशिश करते हैं लेकिन आखिर अपनी असलियत पे उतर ही आए नवाब साहब फिर से हमारी ओर देखकर बोलते हैं वल्ला शौक तो फरमाइए लखनऊ का बालम खीरा है यह नमक मिर्च छिड़ के हुए खीरे के स्लाइसेज को देखकर मुह में पानी तो जरूर आ रहा था लेकिन अब मना कर चुके थे नवाब साहब को और इसलिए अपने आत्मसम्मान के लिए हमने सोचा कि मना करना ही ठीक होगा अब लेखक नवाब साहब को जवाब देते हैं शुक्रिया इस वक्त बिल्कुल भी तलब महसूस नहीं हो रही है पेट भी थोड़ा कमजोर है आप शौक फरमाइए तो तुम लोगों को क्या लगता है कि आगे इस पॉइंट ऑफ टाइम में नवाब साहब खीरे के साथ क्या करेंगे उसे खा जाएंगे कमेंट करके जरूर बताना एंड चीटिंग मत करना कि वीडियो को आगे देख लिया फिर पीछे आया एंड देन कमेंट करके बताया ठीक है अपना अनुमान बताया एंड हां चैनल पे नए हो के न सब्सक्राइब कर देना यार क्योंकि हम लोगों को जल्दी से जल्दी 50 के एक फैमिली क्रॉस करना है तभी ना हम लोग संयोग से बना हुआ खीरे के स्लाइसेज को देखते हैं उस स्लाइस को देखते ही खीरे का उसे अपने ओटो के पास लाते हैं उसे सूंघ हैं प्यार से देखती हैं एंड फिर एगजैक्टली अब करेंगे क्या वो उसे तुरंत ही देखते हैं देन उनके मुंह में पूरा पानी भर जाता है ठीक है बेसिकली जब भी कोई टेस्टी चीज देखते हैं तो कैसे हमारे मुंह में पानी आने लगता है वैसे ही नवाब साहब के मुंह में भी पानी आने लगता है उस खीरे को देखकर अब सिंपली वो करते क्या है कि उस खीरे के स्लाइस को सिंपली विंडो से बाहर फेंक देते हैं गजब बेज्जती है पैसा बर्बाद यार अब क्या बोलूं मैं तो अब आगे क्या होता है कि हमारे जो नवाब साहब है वह एक खीरा को फेंक के संतुष्ट नहीं होते हैं तो वह यह साइकिल रिपीट रिपीट ईट एंड रिपीट करते नहीं ईट तो करते नहीं बस रिपीट करते जाते हैं एंड रिपीटेडली सारे स्लाइसेज को एक-एक करके खिड़की से बाहर फेंक देते हैं नवाब साहब ने अब सारे खीरे के स्लाइसेज को बाहर खिड़की से फेंक दिया और तोतली से अपना हाथ पछा फिर ओट पोछा और हमारी तरफ फिर देखा मानो कह रहे हैं हैं कि यही है खानदानी रसों का तरीका नवाब साहब अब थक कर अपनी सीट पे लेट जाते हैं और हम भी अपनी नजरों को नीचे कर लेते हैं नवाब साहब अब बिना खाए एक जोरदार डकार मारते हैं एंड फिर लेखक को बोलते हैं खीरा लजीज तो बहुत होता है लेकिन डाइजेस्ट करने में थोड़ा दिक्कत हो जाता है और पेट पे बोझ डाल देता है अब तुरंत ही हमारे लेखक को एक आईडिया आता है एंड वह अपने नए कहानी के लेखक को ढूंढ लेते हैं और जो स्टोरी है जो हमारा पाठ है उसे खत्म करते हुए बोलते हैं जब खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना मात्र से ही पेट भर जाता है और ढका आ सकता है तो बिना विचार घटना और पात्र के लेखक के मात्र इच्छा से नई कहानी क्यों नहीं बन सकती है इसी के साथ आज का हमारा पूरा पार्ट कंप्लीट होता है होप सो तुम लोगों को पूरा पार्ट क्लियर आउट हुआ होगा कमेंट करके बताना कि वीडियो कैसा लगा अब तुम लोगों को स्क्रीन पे जो इंपॉर्टेंट क्वेश्चंस दिख रहे हैं ये बहुत ही इंपॉर्टेंट क्वेश्चंस है अगर आंसर चाहिए होगा देन थैंक्स फॉर वाचिंग द [संगीत] वीडियो हो मी क्लोस टिल आई गेट अप टाम इ बेली आन आ साइड आई डों वा वेस्ट वट्स लेफ