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प्रेरणादायक व्याख्यान: आलस्य और मेहनत

तुम लेट सो रहे हो लेट जग रहे हो कुछ किया नहीं दिन भर फिर भी थक रहे हो ऐसे होंगे सपने पूरे हम अपनी जिंदगी के साथ तुम यह कर क्या रहे हो एक सीजन एक दिन में खत्म करना है टाइम वेस्ट हो गया फिर रिग्रेट भी करना है जहां हो वहीं रहना है क्या हमेशा तुम्हें फिर करते रहो स्क्रॉल पूरे दिन अगर यही करना है मेडिकर लाइफ ही जीनी है तो शिकायत क्यों करते हो ख्वाहिशें कम रखो फिर अपनी घर मेहनत से डरते हो ना कुछ सीख रहे हो नया तुम ना कोशिश कर रहे हो नया करने की बस जितना आता है उसे पकड़ के बैठ गए हो आदत हो गई है कि काम चलाऊ जिंदगी जीने हमेशा से बेस्ट बनना था तो थकना अफोर्ड नहीं कर सकते आराम कर लो थोड़ी देर पर रुकना अफोर्ड नहीं कर सकते कितना टलो के चीजों को करना तो पड़ेगा ना बहुत मजा आ रहा है सोने में पर फिर भी जगना तो पड़ेगा ना तो क्या कर रहे हो तुम अपने सपनों के लिए मौके ढूंढ ही रहे हो या बना भी रहे हो एक छोटा सा कदम तुम आगे रख कर तो देखो फिर देखो आसमान के कितने करीब जा रहे हो तुम बस आलसी हो नाकाबंदी