क्या दुनिया में कोई इंसान इतना बेवकूफ हो सकता है कि सच में इस थियोरी में यकीन कर बैठे इसका जवाब है अफसोस हाँ दोस्तों अमेरिका में 10% लोग, UK में 3% लोग, ब्राजील में 7% लोग सही में इस थियोरी में मानते हैं। अंटार्टिका चारो तरफ उची बर्फ की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। उन पहाड़ियों को पार कर लिया तो दर्ती के नीचे गिर जाओ। वाह! क्या लॉजिक है! रात और दिन कैसे होते हैं?
28 सेप्टेंबर 2002 अमेरिका में रहने वाले 46 साल के माईक ह्यूज एक बड़ा ही अजीबो गरीब वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ते हैं पेशे से ये एक लिमुजीन ड्राइवर थे और ये अपनी लिमुजीन में बैठ कर एक बहुत ही लंबी छलांग लगाते हैं स्पेसिफिकली कहा जाए 103 फीट लंबी छलांग एक 3000 किलो की गाड़ी में बैठ कर इतने लंबे डिस्टेंस तक जंप करना ये वर्ल्ड रिकॉर्ड बन जाता है लॉंगेस्ट लिमोजीन रैंप जंप का। लेकिन माईक यहां नहीं रुकते। बारा साल बाद 2014 में ये अपने खुद के गराज में बनाए हुए एक रॉकिट के जरीए हवा में 1300 फीट उपर तक जाते हैं। 2016 में अपना प्लान बताते हैं कि कैसे इनका मकसद है वायू मंडल की सीमा को पार करके आउटर स्पेस में जाने की कोशिश करना। और एवेंचुली बैलून्स के जरिये 32 किलोमीटर की उचाई से रॉकिट्स को लॉच करना। अमेरिका में इन्हें Mad Mike करके बुलाये जाने लगा, क्योंकि कोई पागल ही होगा जो इतने जान लेवा Daredevil वाले स्टंट्स करेगा। अपने इस नए स्टंट को करने के लिए Mad Mike को पैसों की जरूरत थी, तो ये Kickstarter कैम्पेइन शुरू करते हैं। लेकिन unfortunately लोगों को इनके plan में ज्यादा interest था नहीं ये सिरफ 310 डॉलर इखटे कर पाते हैं सिरफ दो लोग इन्हें पैसे donate करते हैं इस चीज के लिए पर कुछ समय बाद Mike कुछ ऐसा कह देते हैं जिसकी वज़े से अचानक से हजारों डॉलर की donations इनके पास आने लग जाती हैं सिरफ जो आखों से दिखता है उसमें यकीन करते हैं ये कहते हैं कि stunt को करने के पीछे इनका असली purpose है अंतरिक्ष की उचाईयों में जाकर ये देखना कि हमारी धर्ती सही में गोल भी है या नहीं और यही बात इनकी Flat Earth Community के लोगों को बड़ा प्रभावित कर जाती है Mike सीधा बोल देते हैं कि वो तो Flat Earth में विश्वास करते हैं ये सुनकर आप सवाल करोगे दोस्तों क्या सच में इतने वेवकूफ लोग दुनिया में मौजूद हैं जिनने सही में लगता है कि हमारी धर्ती गोल नहीं है इसका जवाब है अफसोस हाँ दोहजार 21 में किये गए सर्वे को देखिए अमेरिका में करीब 10% पॉपिलेशन ऐसी है जो सही में मानती है कि अर्थ इस फ्लैट है इसमें आप अलग-अलग ages का breakdown देखेंगे तो जो नई generation है, Gen Z और Millennials, वो और भी ज्यादा इसमें यकीन करते हैं लेकिन ये conspiracy सिरफ America तक सीमित नहीं है, UK में करीब 3% लोग इसमें मानते हैं कि Earth फ्लैट है, ब्राजील में करीब 7% लोग, बुलगेरिया में करीब 8% लोग तो नेशिया के देश में तो एक geology पढ़ने वाली PhD की student ने एक thesis submit करने की कोशिश करी थी कि Earth is flat मतलब इतने पढ़े लिखे लोग भी इतनी स्टूपिट बातों को सच मान बैठते हैं। इन फैक्ट, ज्यादातर लोग जो इस चीज में मानते हैं, ऐसा नहीं कि वो अनपढ़ लोग हैं, उन्हें पढ़ना लिखना आता है, वो एजुकेटिड भी हैं, वो इतने सिंपल फैक्ट को जूट मान बैठे हैं। और आखिर क्या कारण है कि लोग ऐसी बेवकुफी भरी थियोरी में यकीन कर बैठते हैं। अब आज के जमाने में जहां इंटरनेट है, वहां अंगिनत तरीके हैं ये सावित करने के, बिना इन सारी चीजों के 500 BC के अराउंड Ancient Greek philosopher Pythagoras ने चांद और सूरज की तरफ देखा और नोटिस किया कि ये तो गोल है और सिरफ अपने intuition के बल पे ये अंदाजा लगाया कि अगर ये गोल है तो धर्ती भी गोल ही होगी फिर आये Aristotle 350 BC के अराउंड लूनार एकलिप्स होता है, धरती की शैडो मून पर पड़ती है, तो वो भी एक राउंड शेप में आती है। इससे अंदाजा लगाय जा सकता है कि धर्ती करव्ड है और गोल है। फिर 200 बीसी में आये इराटोस थेनिस। एक लकडी को एक जगें रखा, और दूसरी लकडी को उससे किलोमेटर दूर रखा, दोनों लकडीयों की शैडोज में थोड़े बहुत डिफरेंसिस थे, और इसके बेसिस पर उन्होंने अपनी कैलकुलेशन्स करी, और अंदाज़े लगाया कि धर्ती का सरकमफरेंस, करीब 37,500 किलोमेटर और 50,000 किलोमेटर के बीच में होगा, 40,075 किलोमेटर था, लेकिन 1865 में फिर आता है एक महान आदमी, Samuel Rowbottom नाम से, जो लिखता है ये महान किताब, Zetetic Astronomy, Earth Not A Globe. इस किताब को एक क्लासिक माना जाता है, आज की Flat Earth Community के दुआरा. इस किताब के अंदर लिखी गई सैमूएल की कुछ मेन आर्ग्यूमेंट सुनिये जरा। ये बंदा कहता है कि जब भी मैं समुद्र में जाता हूँ और दूर देखता हूँ, तो होराइजन हमेशा फ्लाट दिखाई देता है। और जमीन पर भी इसका कहना था कि जमीन कभी करवड नहीं दिखती है। धरती फ्लैट है, गोला नहीं है। इसने अपनी इस अपरोच को जिटेटिक करके पुकारा, कि सिरफ जो आखों से दिखता है उस पर यकीन किया जाएगा। और चारो तरफ एंड में, कुछ Flat Earth Theory में मानने वाले लोगों को इसका उल्टा मानना है, वो कहते हैं कि Antarctica की जो पहाडियां यह कभी खतम ही नहीं होती, यह Endlessly, Infinitely चलती रहती है. इस Flat Earth में सूरज और चांद का क्या होता है?
रात और दिन कैसे होते हैं? अमेरिका में Flat Earth Community के दुआरा यह जो Recent Model प्रपोस किया गया है इसके अनुसार, Sun और Moon सिरफ 50 किलोमेटर के हैं डायमेटर में और धरती के उपर करीब 5,500 किलोमेटर की हाइट पर सरकल करते हैं लेकिन असलियत में जैसा हम जानते हैं Sun करीब 150 मिलियन किलोमेटर दूर है धरती से और Moon करीब 4,00,000 किलोमेटर दूर है धरती से इस Flat Earth में Sun और Moon के पाथ कुछ ऐसे दिखाए गए हैं जिसकी वज़े से Summer और Winter होती है Mark Sargent जो कि आज के जमाने के अलमोस्ट राजा है इस Flat Earth Community के इनके अनुसार Sunlight जो होती है वो गरम होती है और Moonlight जो होती है वो थंडी होती है ऐसा होने के पीछे जो proof बताये जाता है इनके दूरा, वो भी बड़ा interesting है। यह कहते हैं, दिन के समय में घर के अंदर temperature देखो, और घर के बाहर temperature देखो, धूप में खड़े होकर कितना होता है। गरम हो जाता है। लेकिन रात के समय में यही चीज़ करोगे, बिना सोचे समझे, बिना वेरिफाई किये, अंदा धुन्द सच मान बैठते हो। आज के जमाने में तो प्रॉबलम बिलकुल भी नहीं आनी चाहिए, क्योंकि आपके मन में जो भी सवाल हो, चैट जीपिटी ऐसे एई टूल्स उसका तुरंत जवाब दे देंगे। पूछ कर देखो, is moonlight cold? Show me proof.
आपको instantly जवाब मिल जाएगा latest scientific evidence के basis पर। यही कारण है कि इस साल के economic survey में, यह टेकनोलॉजी इतनी powerful है कि आने वाले सालों में। दुनिया भर में 300 मिलियन से ज्यादा नौकरियों पर AI का आसर दिखेगा अगर आप यहाँ पर AI में अपने आपको अपस्किल करना चाहते हैं तो मैं अपना चैट जीपिटी कोर्स रेकमेंट करना चाहूँगा हिंदी में इंग्ली सब्टाइटल्स के साथ साड़े आठ घंटे का comprehensive course इसमें मैंने chatbots और prompt engineering के basics से लेकर education sector, business sector, घर के कामों में धेर सारे अलग-अलग use cases समझाए हैं साथी साथ latest chapters जो अभी पिछले महीने ही update हुए हैं उनमें आप सीखेंगे image generation, voice mode अपने खुद के GPT's बनाना और खुद के कामों में अपनी productivity और efficiency को कई गुनां बढाना स्क्रीन पर आप कुछ latest reviews देख सकते हैं जिन लोगों ने इस course को लिया है बहुत ही बढ़िया response रहा है अगर आप interested हैं तो coupon code इस्तिमाल कीजिए flat 40 flat 40% off पाने के लिए इसका link नीचे description में मिल जाएगा या फिर आप इस QR code को scan कर सकते हैं लेट 1800 के समय में इस modern flat earth movement का जन्म होता है। एक और बड़ी famous किताब है ये 1800, 185 की 100 Proofs That The Earth Is Not A Globe लिखी गई विलियम कारपेंटर के द्वारा इन लोगों ने शुरू से ही रिलिजिन का भी सहारा लिया था अपनी इस बखवास को सज साबित करने के लिए जान पूछकर ये बाइबल के कोट्स को मिस इंटरप्रेट करने लगे इस दिनों के लिए अब इन four corners को metaphorically भी interpret किया जा सकता है, जैसे कि हम बातों-बातों में कहते हैं, कि धर्ती के कोने-कोने में, इसका मतलब यह नहीं है कि धर्ती में असली में कोने है, corners exist करते हैं, यह बस कहने का एक तरीका है बात को, लेकिन ये लोग क्या करते हैं, इस चीज को literally interpret करते हैं, Bible में the four corners of earth लिखा गया है, इसका मतलब कि earth square या rectangle की shape में होगी, 1893 में बनाएगा इस नकशे को देखी, इसमें earth को एक square की तरह दिखा रखा है, जिसके चार कोने में चार angels मौजूद हैं, ऐसे ही Genesis के chapter 1 verse 6 में लिखा गया है ये लोग कहते हैं कि यहाँ पर waters above आस्मान की बात करी जा रही है और waters below समुदर की बात की जा रही है और एक dome सा है जो इन चीजों को divide कर रहा है इसलिए इन्होंने model बनाया जिसमें ये flat earth एक dome की तरह है इसको लेकर 2016 में एक पूरी किताब छाप दी गई थी firmament, vaulted dome of the earth आज के दिन करीब 70% लोग जो flat earth theory में मानते हैं, वो इस dome theory में भी मानते हैं, उनका मानना है कि ये firmament dome type का earth को cover कर रखा है, उनका मानना है धरती actually में ऐसी दिखती है, अब यही चीज के साथ भी करी जाती है, जानपूछ के Quran के verses को misinterpret किया जाता है, flat earth की theory को साबित करने के लिए, चैप्टर 71 वर्स 19 में लिखा गया है, अब जिन लोगों को misinterpret करना है, वो कहते हैं कि spread out as a carpet का मतलब है बिल्कुल flat, लेकिन जो समझदार लोग हैं, वो कहते हैं कि spread out का मतलब है चारो तरफ फैला हुआ, vast, expansive, accessible बनाया धर्ती को. यही कारण है कि 9th और 10th century AD के बाद से ही, ज्यादतर Muslim और Christian scholars एक spherical earth में ही मानते आये हैं. हाला कि बीच-बीच में इके दुके ऐसे लोग जरूर निकल कर आ जाते हैं.
2015 का यह article जहाँ पर Saudi Arab का एक Muslim cleric कहता है कि earth stationary है. और यही बंदा यह भी कहता है कि NASA ने कभी moon landing करी ही नहीं. ये एक common pattern है दोस्तों जो ज्यादातर flat earth community के लोगों में देखने को मिलता है। जो लोग इस conspiracy theory में मानते हैं, वो इसके साथ धेर सारी अलग-अलग conspiracy theories में भी मानते हैं। वही survey जो मैंने वीडियो के शुरू में दिखाया था, same percentage of लोगों को लगता है कि vaccines में microchip डली होती, same लोगों को लगता है कि NASA और बाकी सारी space agencies fraud हैं। कुछ लोग तो ये तक कहते हैं कि gravity जैसी कोई चीज नहीं होती और dinosaurs कभी exist नहीं करते थे। क्योंकि यह जो लोगो है, इसमें इस तरीके का नकशा बनाया गया है। अब इन लोगों को कोई बताओ जरा, अगर लोगों को पेपर पर देखोगे, तो वो हमेशा टू डाइमेंशन्स में ही दिखेगा। कंस्पिरिसी है। यहाँ आते हैं हम इन लोगों के mindset पर, आखिर क्या कारण है कि कुछ लोग ऐसी बेवकुफी भरी theories को सच मान बैठते हैं, इसके पीछे चार reasons कहे जा सकते हैं, पहला है convenience, जो explanation सुनने में ज्यादा simple और convenient लगे, लोगों की tendency रहती है उसे ज्यादा सच मानने के, क्योंकि simply आसान है समझना, for example, आप global warming के बारे में सुनते हो, एक तरफ मैं आपको बड़ी detailed explanation देता हूँ, कि कैसे CO2 लेबल्स बढ़ने लग रहे हैं ओवर दे येर्स, और इसकी वज़े से ग्लोबल टेंपरेचर राइस कर रहा है। लेकिन दूसरी तरफ, एक बन्दा आपको कहता है कि ये सब छोड़, बस ये देख कि आज कितनी थंड पढ़ रही है। बताओ, दोनों में से कौन सी explanation पर आप ज्यादा यकीन करोगे। Hopefully, आपे से ज्यादातर लोग कहेंगे, कि पहली explanation ज्यादा believable है, पर scientific basis पर बात करी गई। लेकिन unfortunately दोस्तों, बहुत सारे ऐसे भी लोग होते हैं, जो simply आसान रास्ता चुनते हैं, convenient explanation चुनते हैं, और ये explanation convenient सिर्फ इसकी simplicity की वज़ेसा नहीं है, ये इसलिए भी convenient है, क्योंकि लोगों को अपनी तरफ से कोई action नहीं लेना पड़ेगा, अगर आपने मान लिया कि global warming जैसी कोई चीज नहीं होती, global warming को लेकर, इसलिए भी ये एक convenient रास्ता है, दूसरा reason आता है intuition, जो चीज़े आपको देख कर पहली नजर में सही लगती हैं, क्योंकि आपकी intuition, आपकी gut feeling कह रही है कि ऐसा होगा, तो आप उसे ज्यादा सच मान लेते हो.
For example, flat earth के case में लोगों को लगता है कि क्या ये gravity, क्या ये maths, क्या ये science इस सब में पढ़ने की जरूरत नहीं है, जो मुझे अपनी आखों से दिख रहा है, मैं उसे सच मानूँगा. दूर तक फ्लैट जमीन दिखती है, इसका मतलब धर्ती भी फ्लैट ही होगी। धर्ती असल में इतनी बड़ी है कि इसका कर्वेचर अपनी आखों से नोटिस करना आसान बात नहीं है जमीन पर रहते रहते। इसके अनुसार, लोगों को अगर किसी फील्ड में बहुत कम knowledge होती है, तो लोग अपनी competency को, अपनी knowledge को overestimate करते हैं. उन्हें लगता है कि उन्हें उस चीज़ के बारे में बहुत ज्यादा knowledge है, लेकिन असलियत में बहुत कम knowledge होती है.
जैसे ऐसे knowledge level बढ़ने लगता है, धीरे फिर लोग अपनी competence को कम देखने लगते हैं. अब वो knowledgeable है इस field में. इस चीज़ को जैसे कि इस graph में depict किया जा सकता है. फ्लैट अर्थ जैसी conspiracy theories को फैलाने वाले लोग अकसर कहते रहते हैं कि आप अपनी research खुद करो, अपने खुद के नतीजों पर आओ, अब बात वैसे कुछ ज्यादा गलत नहीं है, खुद की research हर किसी को करनी चाहिए, लेकिन इस चीज को जब extreme level पर ले जाये जाता है, अगर हमेशा एक convenient और intuitive process नहीं होता है। सैम्यूल ने जब अपनी 1865 वाली किताब लिखी थी, flat earth को सावित करने के लिए, तो उससे पहले उन्होंने अपना एक खुद का experiment किया था, साल 1838 में। UK में एक old Bedford river है, चोटी सी नदी है, यह उस नदी पर गए और एक boat में, 3 feet उचा flag रख दिया। कि एक काफी लंबे stretch तक बिल्कुल straight नदी भैती है। तो एक तरफ ये टेलिसकोप लेकर बैट गए पानी से 8 इंच उपर। इन्होंने कहा, अगर धर्ती सही में गोल है, तो मुझे अपने टेलिसकोप से फ्लाग दिखना बंद हो जाना चाहिए, कुछ डिस्टेंस के बाद। चे मील तक ये इस बोट और फ्लाग को देखते रहे, लेकिन सैमुएल कन्वीनियन्स और इंटूशन के पीछे भाग रहे थे। इन्होंने रिफ्राक्शन नाम के एक कॉंप्लेक्स प्रोसेस को अकाउंट में लिया ही नहीं। इसे भी famously मिराज कहा जाता है। सैम्यूल की book publish होने के 5 साल बाद, एक और flat earther थे John Hamden नाम से, उन्होंने साल 1870 में एक शर्त लगाई, कि जो भी सैम्यूल के experiment को गलत साबित करेगा, उसे 500 पाउंड का इनाम दिया जाएगा। उस वक्त के famous biologist Alfred Wallace ने इस bet को लिया, और अपना एक experiment design किया इसे गलत साबित करने के लिए। और इस नदी में एक bridge के उपर एक black band लगा दिया, 13 feet उची height पर। और एक telescope से देखा इसे। लेकिन इस बार refraction को ख़दम करने के लिए इन्होंने एक बीच में भी पोल ख़ड़ा कर दिया। तीन मील का जो mid point था, वहाँ पर भी एक पोल ख़ड़ा कर दिया, जिसपे 13 feet की height पर एक disc लगाई गई, और एक 9 feet की height पर disc लगाई गई। और उसके उपर discs दिख रही थी दोनों। यह तभी possible हो सकता था, जब धर्ती में एक curvature हो, जिसकी वज़े से diagram कुछ ऐसा दिखेगा, बीच वाले pole पर लगी दोनों discs, उन्हें अपने black band से उपर दिखे, हाला कि इन्होंने शर्ट जीत ली, लेकिन उस बंदे ने इन्हें कभी पैसे नहीं दिये, critical thinking, ज्यादातर लोग जो ऐसी conspiracy theories में यकीन करते हैं, वो या तो अपनी critical thinking skills का इस्तिमाल नहीं करते, या फिर उनमें critical thinking नाम की चीज होती ही नहीं है, Critical thinking का actually में मतलब क्या है? कि अपने सोच विचारों को हमेशा एक critical नजरिये से देखो। अगर आप अपनी research करके किसी conclusion पर reach कर रहे हो, तो एक बारी अपने आप से सवाल करके देखो, कि क्या कुछ और भी हो सकता है यहाँ पर, चीजों को multiple perspective से देखो, और क्या possibilities हो सकती हैं इस case में। वो अपने inherent bias की वज़े से तो नहीं बनाई। हमेशा अपने आप से सवाल करना जरूरी है, जो कि अगर सैम्यूल करते, तो अपने एक्स्पेरिमेंट में कमिया धूनड पाते.
अगर वो सही में अपने एक्स्पेरिमेंट पर इतने अड़े हुए थे, तो अपने एक्स्पेरिमेंट को अलग-अलग परस्पेक्टिव से, अलग-अलग तरीकों से दोहराने की कुशिश करते, अपने कंक्लूजिन को सॉलिडिफाई करने आप से सवाल करोगे, अलग-अलग परस्पेक्टिव्स देखोगे, आसान यही है कि जो भी पहला intuition आपके मन में आ रहा है, उससे यकीन कर लो, बिना क्रिटिकली सोचें. जो लोग ऐसी conspiracy theories का शिकार बनते हैं, वो यही करते हैं. चौथा reason है mistrust of authorities or institutions. और यह वाला बड़ा interesting है.
क्योंकि एक तरफ ऐसे लोग blind belief रखते हैं conspiracy theories में, लेकिन दूसरी तरफ, इनके अंदर blind skepticism भी होता है, Flat earthers को अगर आप कहोगे कि, ये यकीन ही नहीं करेंगे, क्योंकि ये NASA पर यकीन नहीं करते हैं। इन्हें बताओगे कि ये देखो साइंस की किताबों में क्या लिखा हुआ है, तो ये कहेंगे कि किताबे सरकार ने लिखी और सरकारों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अमेरिका और रशिया जैसे देश, जो हर मामले में एक दूसरे के खिलाफ होते हैं अल्मोस्ट, वो अचानक से धर्ती को गोल सावित करने के लिए कैसे एक साथ आ गए? अर्थ की सबसे पहली फोटो जो ली गई थी, वो ये थी, 24th October 1946 को, जो करीब 104 किलोमेटर की हाइट तक गया, इसके करीब 20 साल बाद, 30th May 1966 को ये वाली फोटो ली गई, कमाल की बात है, दोनों अमेरिका और सोवियट यूनियन, जो एक दूसरे की इतना खिलाफ थे कोल्ड वार के दौरान, वो इस कंस्पिरिसी के लिए एक दूसरे के साथ में आ गए। Because the US and Russia immediately started firing nuclear weapons straight up. And they kept firing for the next four years.
सरकार से भरोसा उठना कोई बड़ी चीज नहीं है, लेकिन ये मान बैठना कि हर एक चीज जो सरकार कह रही है, हर एक चीज जो scientists कह रहे हैं, वो सब बखवास है, ये पागलपंती है. और पागलपंती से याद आया, 2018 में वो करीब 1900 फूट तक पहुँचते हैं और इस बार आराम से पैरशूट करके नीचे आ जाते हैं धीरे ये अपने गोल की तरफ आगे बढ़ रहे थे लेकिन इनकी अगली उडान, 22 फरवरी 2020 को इनकी आखरी उडान सावित होती है तो माइक अंदर ही फस जाते हैं और कुछ इस तरीके से इनकी बड़ी दर्दनाक मृत्ती होती है इनके दिहांत के बाद इनका असली सच भी सामने आ जाता है, कि ये किसी फ्लैट अर्थ थियोरी में मानते ही नहीं थे। ये सिर्फ एक स्टंट मैन थे, जो उठपटांग चीजे करके अपनी बाउंडरीज को पुश करना चाहते थे। और sophisticated चीज की ज़रूरत होगी कभी। अगर आप भी कोई ऐसी ही conspiracy थियोरी में विश्वास रखते हैं, तो जाग जाएए इन चार कारणों पर ध्यान देना शुरू कर दीजी। नहीं तो पता नहीं कब, कल को कोई आकर आपको ऐसे ही बेवकूफ बना कर चला जाएगा। नील आम्स्ट्रॉंग की पहली मून लैंडिंग की। यहां क्लिक करके जान सकते हैं बहुत अ