क्या आपने कभी ऐसा फैसला लिया है जो आपकी पूरी जिंदगी बदल सकता था लेकिन डर की वजह से आप पीछे हट गए सोचिए अगर दुनिया के सबसे सक्सेसफुल लोगों ने रिस्क नहीं लिया होता तो क्या वे आज वहां होते जहां हम उन्हें देखते हैं क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो रिस्क लेने से डरते हैं या फिर आप उन गिनेचुने लोगों में शामिल होना चाहते हैं जो रिस्क लेकर अपनी किस्मत खुद लिखते हैं अगर इन सवालों ने आपको सोचने पर मजबूर कर दिया तो समझ जाइए कि यह वीडियो आपके लिए है इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक वो जो रिस्क लेने से डरते हैं और वहीं रह जाते हैं जहां वे हमेशा से थे और दूसरे जो डर को साइड में रखकर रिस्क लेते हैं और अपने सपनों को हकीकत में बदलते हैं लेकिन असली सवाल यह है कि क्या आप सही तरीके से रिस्क लेना जानते हैं बेन कार्सन दुनिया के सबसे महान न्यूरोसर्जन्स में से एक वो इंसान जिन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसेसे रिस्क लिए जो आम इंसान सोच भी नहीं सकता एक गरीब परिवार से निकलकर दुनिया के सबसे टॉप न्यूरोसर्जन बनने तक का उनका सफर आसान नहीं था लेकिन उन्होंने रिस्क लिया क्योंकि उन्हें पता था कि बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचना और बड़ा करना जरूरी है उनकी किताब टेक द रिस्क सिर्फ एक इंस्पिरेशनल स्टोरी नहीं है बल्कि एक ऐसा रोड मैप है जो आपको सिखाएगा कि सही रिस्क कैसे लिए जाते हैं और कैसे एक बड़ा फैसला आपकी पूरी जिंदगी बदल सकता है अगर आपने आज भी रिस्क लेना नहीं सीखा तो आपकी जिंदगी हमेशा औसत ही रहेगी लेकिन अगर आप इस वीडियो को पूरा देखते हैं तो आपको वह सीख मिलेगी जो शायद आपके पूरे लाइफ के गेम को बदल सकती है तो अगर आप भी अपने डर से बाहर निकलकर कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो इस वीडियो को अंत तक जरूर देखिए और हां अगर आपको हमारी मेहनत पसंद आती है तो द ग्रेट राठौर चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें ताकि हम आपके लिए ऐसी ही लाइफ चेंजिंग बुक समरीज लाते रह अब आप कमेंट में बताइए आपकी लाइफ का सबसे बड़ा रिस्क कौन सा था और उसने आपकी जिंदगी को कैसे बदला हो सकता है आपका जवाब किसी और के लिए इंस्पिरेशन बन जाए डर यह एक ऐसा एहसास है जो हमें खतरे से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है लेकिन क्या हो अगर यही डर हमें आगे बढ़ने से रोकने लगे बन कार्सन अपनी किताब टेक द रिस्क में बताते हैं कि डर हमेशा बुरा नहीं होता बल्कि सही मात्रा में डर हमारे लिए हेल्दी भी हो सकता है डर का एक ऐसा रूप है जो हमें सोचने प्लान करने और सही फैसले लेने में मदद करता है इसे ही स्वस्थ डर कहा जाता है लेकिन समस्या तब होती है जब यह डर हमें आगे बढ़ने से रोकने लगे बन कार्सन अपने बचपन के एक वाक्य को याद करते हैं जब उन्होंने पहली बार इस डर का सामना किया था बचपन में वे बेहद गरीब थे और उनके आसपास के लोग अक्सर कहते थे कि वे अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा नहीं कर सकते उनके अंदर भी यह डर था कि अगर उन्होंने कोई बड़ा सपना देखा और वे असफल हो गए तो क्या होगा लेकिन उनकी मां ने उन्हें यह सिखाया कि डर को अपनी कमजोरी मत बनने दो बल्कि इसे अपनी ताकत बना लो उन्होंने महसूस किया कि अगर वे इस डर को सही दिशा में इस्तेमाल करें तो यह उन्हें सतर्क बना सकता है और गलत फैसले लेने से बचा सकता है डॉक्टर बनने के बाद बन कार्सन को कई बार ऐसे ऑपरेशन करने पड़े जिनमें बहुत बड़ा रिस्क था एक गलत कदम और किसी की जिंदगी खतरे में पड़ सकती थी लेकिन उन्होंने सीखा कि अगर रिस्क को सही तरीके से एनालाइज किया जाए तो डर पर कंट्रोल पाया जा सकता है जब भी उन्हें कोई मुश्किल ऑपरेशन करना होता वे खुद से एक सिंपल सवाल पूछते अगर मैं यह ऑपरेशन नहीं करूं तो क्या होगा ज्यादातर मामलों में ना करने का खतरा करने से कहीं ज्यादा बड़ा होता यही सोच उन्हें हर बार सही फैसला लेने में मदद करती थी बन कार्सन इस चैप्टर में यह भी समझाते हैं कि कई लोग रिस्क लेने से इसलिए डरते हैं क्योंकि वे फेलियर को लेकर बहुत ज्यादा सोचते हैं लेकिन असलियत यह है कि कोई भी बड़ा काम बिना रिस्क के संभव नहीं है अगर हम हर चीज को लेकर जरूरत से ज्यादा डरने लगे तो हम अपनी जिंदगी में कभी भी कोई बड़ा कदम नहीं उठा पाएंगे लेकिन अगर हम रिस्क को सही तरीके से समझें और उसे एनालाइज करें तो हम अपने डर को अपनी ताकत बना सकते हैं इस चैप्टर की सबसे बड़ी सीख यही है कि डर हमें बचा सकता है लेकिन अगर हम उसे अपने ऊपर हावी होने देंगे तो वही डर हमें बर्बाद भी कर सकता है हमें यह सीखना होगा कि कौन सा डर हेल्दी है और कौन सा अनावश्यक है बन कार्सन हमें यह सिखाते हैं कि अगर हम सही माइंडसेट अपनाएं तो हम अपने डर को काबू में कर सकते हैं और हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं हम में से ज्यादातर लोग रिस्क लेने से ज्यादा उसे टालने में यकीन रखते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई फैसला ना लेना भी एक तरह का रिस्क है बेन कारसन इस चैप्टर में इसी सवाल का जवाब देते हैं वे समझाते हैं कि लोग अक्सर रिस्क को लेकर इतना डर जाते हैं कि कोई भी बड़ा कदम उठाने से बचते हैं लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि एक्शन ना लेने का भी अपना एक खतरा होता है और कई बार यह खतरा कहीं ज्यादा बड़ा होता है अगर कोई डॉक्टर किसी मरीज का इलाज ना करें तो क्या वह अपने आप ठीक हो जाएगा अगर कोई स्टूडेंट पढ़ाई ना करें तो क्या वह अपने फ्यूचर को सुरक्षित रख पाएगा इन सभी सवालों का जवाब यही बताता है कि इनएक्शन यानी कुछ ना करना भी एक बहुत बड़ा रिस्क हो सकता है बन कार्सन अपने मेडिकल करियर के कई अनुभवों को शेयर करते हैं जहां उन्होंने देखा कि रिस्क से बचने की कोशिश में लोग और भी ज्यादा मुश्किलों में फंस जाते हैं एक बार उनके पास एक छोटा बच्चा आया जिसे ब्रेन ट्यूमर था ऑन ऑपरेशन बहुत मुश्किल था और इसमें जान जाने का खतरा था लेकिन ऑन ऑपरेशन ना करने का मतलब था कि बच्चा ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेगा यह वह पल था जब कार्सन को एहसास हुआ कि कुछ ना करना यानी इनएक्शन ऑपरेशन से कहीं ज्यादा खतरनाक हो सकता था उन्होंने ऑन ऑपरेशन किया और बच्चा बच गया इसी तरह हमारी जिंदगी के हर बड़े फैसले में इनएक्शन का रिस्क होता है कई लोग नौकरी बदलने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि नई जगह पर एडजस्ट करना मुश्किल होगा लेकिन वे यह नहीं सोचते कि अगर वे उसी बोरिंग लो पेइंग जॉब में फंसे रह गए तो उनकी लाइफ कैसी होगी कई लोग बिजनेस शुरू करना चाहते हैं लेकिन रिस्क के डर से कदम पीछे हटा लेते हैं वे यह नहीं सोचते कि अगर उन्होंने कभी कोशिश ही नहीं की तो वे हमेशा उसी जगह पर रहेंगे जहां वे आज हैं कार्सन बताते हैं कि सही रिस्क लेने के लिए हमें हर स्थिति का एनालिसिस करना चाहिए हमें खुद से पूछना चाहिए अगर मैं यह कदम उठाऊं तो क्या होगा और अगर मैं यह कदम ना उठाऊं तो क्या होगा ज्यादातर बार जब हम चीजों को गहराई से देखते हैं तो हमें एहसास होता है कि रिस्क लेने का डर हमें बस रोक रहा है जबकि असली खतरा कुछ ना करने में ही है इस चैप्टर की सबसे बड़ी सीख यही है कि हमें अपने डर पर काबू पाना चाहिए और उन चीजों को पहचानना चाहिए जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही हैं अगर हम हमेशा रिस्क लेने से बचते रहेंगे तो हो सकता है कि हम वही खो दें जो हमें सबसे ज्यादा चाहिए सही फैसले लेने के लिए जरूरी है कि हम हर स्थिति का विश्लेषण करें और समझें कि असली खतरा कहां है रिस्क लेने में या फिर कुछ ना करने में जब कोई बड़ा फैसला हमारे सामने होता है तो सबसे आसान विकल्प यही लगता है कि हम कुछ ना करें और हालात को जैसे हैं वैसे ही चलने दें लेकिन क्या सच में कुछ ना करना सबसे अच्छा विकल्प है बेनम कार्सन इस चैप्टर में बताते हैं कि लोग अक्सर रिस्क लेने से बचने के लिए इन एक्शन को चुनते हैं यानी वे सोचते हैं कि अगर उन्होंने कुछ नहीं किया तो कम से कम गलती भी नहीं करेंगे लेकिन सच्चाई यह है कि कुछ ना करना भी एक फैसला ही होता है और कई बार यह सबसे खतरनाक फैसला साबित हो सकता है एक डॉक्टर के रूप में कार्स ने कई बार ऐसे मरीज देखे जो इलाज कराने से डरते थे वे सोचते थे कि अगर उन्होंने इलाज शुरू किया और कुछ गलत हो गया तो उनकी तकलीफ और बढ़ सकती है लेकिन वे यह भूल जाते थे कि इलाज ना कराने का मतलब है कि उनकी बीमारी बिना किसी रोक-टोक के बढ़ती जाएगी एक बार उनके पास एक पेशेंट आया जिसे ब्रेन ट्यूमर था उसका परिवार ऑपरेशन कराने को लेकर डरा हुआ था क्योंकि उन्हें लगता था कि ऑपरेशन खतरनाक हो सकता है लेकिन कार्सन ने उन्हें समझाया कि ऑन ऑपरेशन ना कराना ऑपरेशन से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि बिना ऑपरेशन के मरीज की जान बचने की कोई संभावना ही नहीं थी यही नियम जिंदगी के हर पहलू में लागू होता है जब लोग किसी नई जॉब के लिए अप्लाई नहीं करते क्योंकि वे रिजेक्शन से डरते हैं तो वे खुद को एक बेहतर मौके से दूर कर रहे होते हैं जब कोई स्टूडेंट पढ़ाई करने की बजाय यह सोच कर बैठा रहता है कि बाद में देख लेंगे तो वह अपने ही भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा होता है हम में से बहुत से लोग यह मानते हैं कि जब तक हम कोई गलत फैसला नहीं लेंगे तब तक सब ठीक रहेगा लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि जिंदगी में जो सबसे बड़ा रिस्क है वह यह है कि हम कोई रिस्क ना लें कारसन बताते हैं कि जब भी हम किसी मुश्किल फैसले के सामने होते हैं तो हमें खुद से एक साधारण सा सवाल पूछना चाहिए अगर मैंने कुछ नहीं किया तो क्या होगा ज्यादातर बार जवाब यही निकल कर आता है कि इन एक्शन का नतीजा कहीं ज्यादा बुरा होगा बजाय उसके कि हम कोई एक्शन लें और उस पर काम करें सोचिए अगर कोई बिजनेसमैन यह सोच कर बैठा रहे कि मार्केट में बहुत कंपटीशन है इसीलिए कुछ नया करने का कोई फायदा नहीं तो क्या वह कभी सफल हो पाएगा अगर कोई खिलाड़ी यह सोचकर मैदान में उतरे ही नहीं कि वह हार सकता है तो क्या वह कभी जीत सकता है इस चैप्टर की सबसे बड़ी सीख यही है कि जिंदगी में हमेशा कुछ ना करना कोई एक्शन ना लेना एक बड़ा रिस्क होता है बन कार्सन हमें यह सिखाते हैं कि हमें अपने डर पर काबू पाना चाहिए और खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या इन एक्शन सच में हमें सुरक्षित रखेगा या फिर यह सिर्फ हमें धीमे-धीमे बर्बाद कर रहा है सही फैसले वही होते हैं जिनमें हम रिस्क लेने के लिए तैयार होते हैं क्योंकि कुछ भी हासिल करने के लिए हमें आगे बढ़ना ही पड़ता है रिस्क हमेशा डराने वाला होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रिस्क की असली प्रकृति क्या है बन कार्सन इस चैप्टर में बताते हैं कि रिस्क को देखने का हमारा नजरिया ही तय करता है कि हम किसी फैसले को कैसे लेंगे कुछ लोग रिस्क को खतरे के रूप में देखते हैं जबकि कुछ लोग इसे एक अवसर मानते हैं सही नजरिया अपनाने से हम रिस्क को समझ सकते हैं और इसे अपने फेवर में इस्तेमाल कर सकते हैं कार्सन अपने मेडिकल करियर के कई अनुभवों को साझा करते हैं जहां उन्हें बेहद कठिन फैसले लेने पड़े जब वे एक सर्जरी प्लान करते थे तो उनके सामने दो रास्ते होते थे या तो वे ऑपरेशन करें और रिस्क लें या फिर कुछ ना करें और मरीज की हालत बिगड़ने दें उन्होंने महसूस किया कि रिस्क अपने आप में ना तो अच्छा होता है ना बुरा यह इस पर निर्भर करता है कि हम उसे किस नजरिए से देखते हैं अगर हम रिस्क को सिर्फ एक खतरे के रूप में देखेंगे तो हम हमेशा डरते रहेंगे और कोई बड़ा कदम नहीं उठा पाएंगे लेकिन अगर हम इसे एक अवसर की तरह देखें तो हम इससे फायदा उठा सकते हैं एक आम जिंदगी में भी यही नियम लागू होता है जब कोई व्यक्ति अपने करियर में बदलाव लाने की सोचता है तो वह अक्सर इस डर में फंस जाता है कि अगर नया कदम गलत निकला तो क्या होगा लेकिन कार्सन बताते हैं कि सही नजरिया अपनाने से हमें यह समझ में आता है कि हर रिस्क में एक संभावित इनाम भी छिपा होता है अगर कोई इंसान रिस्क लेकर एक नया बिजनेस शुरू करता है तो वह असफल भी हो सकता है लेकिन अगर वह सफल हो गया तो उसकी पूरी जिंदगी बदल सकती है इसी तरह अगर कोई स्टूडेंट अपने डर को छोड़कर किसी कठिन विषय को सीखने का रिस्क लेता है तो वह अपनी स्किल्स को एक नए लेवल तक ले जा सकता है कार्सन यह भी समझाते हैं कि रिस्क लेने का मतलब लापरवाह होना नहीं है सही नजरिया यह नहीं कहता कि बिना सोचे समझे कोई भी रिस्क ले लिया जाए बल्कि यह कहता है कि रिस्क का सही आकलन किया जाए और फिर उसे एक अवसर के रूप में इस्तेमाल किया जाए उन्होंने खुद अपने करियर में कई बार रिस्क एनालिसिस किया जब भी कोई मुश्किल सर्जरी होती थी तो वे सोचते थे अगर मैं यह ऑपरेशन करता हूं तो इसके क्या फायदे और नुकसान है और अगर मैं यह ऑपरेशन नहीं करता तो क्या होगा इस तरह का विश्लेषण उन्हें सही फैसले लेने में मदद करता था इस चैप्टर की सबसे बड़ी सीख यही है कि रिस्क से डरने की बजाय हमें उसे समझने की जरूरत है अगर हम रिस्क को सिर्फ एक खतरे की तरह देखेंगे तो हम कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे लेकिन अगर हम इसे एक अवसर की तरह देखें और इसे सही तरीके से एनालाइज करें तो हम अपने डर पर काबू पा सकते हैं और बड़े फैसले लेने में सक्षम हो सकते हैं कार्सन हमें सिखाते हैं कि सही नजरिया अपनाने से रिस्क हमारी कमजोरी नहीं बल्कि हमारी ताकत बन सकता है बेन कार्सन बताते हैं कि जिंदगी में सबसे बड़ा रिस्क क्या होता है कुछ भी नया करने से डरना और उसी जगह ठहरे रहना लोग अक्सर सोचते हैं कि कोई बड़ा कदम उठाना या अनजान रास्तों पर चलना ही सबसे बड़ा रिस्क है लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है असली खतरा तब होता है जब इंसान किसी डर आलस्य या असुरक्षा की वजह से कोई भी कदम उठाने से बचता रहता है बिना रिस्क लिए जिंदगी आसान लग सकती है लेकिन यही सबसे बड़ा नुकसान होता है क्योंकि यह हमें ग्रोथ से दूर कर देता है कार्सन मेडिकल फील्ड के अपने अनुभवों से उदाहरण देते हैं उन्होंने कई बार ऐसे मरीज देखे जिन्हें इलाज की जरूरत थी लेकिन वे सर्जरी कराने से डरते थे वे सोचते थे कि अगर ऑपरेशन गलत हो गया तो उनकी हालत और खराब हो जाएगी लेकिन वे यह नहीं समझ पाते थे कि इलाज ना कराने का रिस्क और भी बड़ा होता है कई बार उन्होंने ऐसे मरीजों को देखा जिन्होंने समय रहते इलाज ना करवाकर अपनी जिंदगी गमवा दी इस तरह सबसे बड़ा रिस्क वही था जिसे वे लेने से बच रहे थे यानी कुछ ना करना जिंदगी के दूसरे क्षेत्रों में भी यही सच लागू होता है अगर कोई व्यक्ति अपने सपनों को पूरा करने के लिए रिस्क नहीं लेता तो वह खुद को अपने ही बनाए हुए कंफर्ट जोन में कैद कर लेता है कारसन बताते हैं कि अगर उन्होंने न्यूरोसर्जरी के कठिन रास्ते को अपनाने से इंकार कर दिया होता तो वे कभी भी उस मुकाम तक नहीं पहुंचते जहां आज हैं उनके पास भी आसान रास्ता था एक सामान्य डॉक्टर बनकर बिना किसी बड़े रिस्क के जिंदगी बिताने का लेकिन उन्होंने तय किया कि वे अपने डर को खुद पर हावी नहीं होने देंगे और यही फैसला उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बना इस चैप्टर में कारसन समझाते हैं कि जब भी हमें कोई बड़ा फैसला लेना हो तो हमें खुद से एक सवाल पूछना चाहिए अगर मैंने यह रिस्क नहीं लिया तो क्या होगा अक्सर हमें महसूस होता है कि रिस्क ना लेना ही असली खतरा है अगर कोई इंसान अपनी पूरी जिंदगी नौकरी से बचत करते हुए बिताता है लेकिन कभी इन्वेस्टमेंट नहीं करता तो उसका पैसा धीरे-धीरे अपनी वैल्यू खो देगा अगर कोई स्टूडेंट सिर्फ इसलिए किसी कठिन विषय को नहीं पढ़ता क्योंकि उसे फेल होने का डर है तो वह कभी भी खुद को बेहतर नहीं बना पाएगा कार्सन बताते हैं कि जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हमें रिस्क लेना ही होगा हर बड़ा इनोवेशन हर सफल इंसान और हर महान उपलब्धि के पीछे कोई ना कोई रिस्क जरूर रहा है लेकिन असली सवाल यह नहीं है कि क्या रिस्क लेना चाहिए या नहीं बल्कि यह है कि कौन सा रिस्क ज्यादा बड़ा है एक नया कदम उठाना या उसी जगह खड़े रहना और हर बार जवाब यही निकलता है कि ठहरे रहना ही सबसे बड़ा खतरा होता है बेन कार्सन बताते हैं कि रिस्क लेना जरूरी है लेकिन उसे कम करना और सही तरीके से मैनेज करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है दुनिया का हर बड़ा इनोवेशन हर सफलता और हर महान उपलब्धि किसी ना किसी रिस्क से जुड़ी होती है लेकिन जो लोग इसे सही तरीके से संभालना जानते हैं वे ही आगे बढ़ते हैं रिस्क से बचने का एक ही तरीका है इसे पहले से ही पहचानना इसका विश्लेषण करना और इसे कम करने की रणनीति बनाना जब कारसन किसी जटिल ब्रेन सर्जरी की योजना बनाते थे तो वे केवल इस बात पर ध्यान नहीं देते थे कि सर्जरी कैसे होगी बल्कि वे यह भी सोचते थे कि संभावित खतरों को कैसे कम किया जा सकता है वे और उनकी टीम पहले से ही संभावित जटिलताओं की लिस्ट तैयार करते थे और हर स्थिति के लिए एक बैकअप प्लान बनाते थे इसका मतलब यह था कि अगर ऑपरेशन के दौरान कोई अनहोनी होती भी तो वे पहले से तैयार होते थे यही रणनीति किसी भी बड़े फैसले में अपनाई जा सकती है चाहे वह बिजनेस का हो करियर का हो या फिर निजी जीवन का कार्सन बताते हैं कि रिस्क को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है खुद को पहले से तैयार करना अगर कोई व्यक्ति किसी नए स्किल को सीखकर अपने करियर में आगे बढ़ना चाहता है तो यह एक रिस्की कदम हो सकता है लेकिन अगर वह पहले से ही उस स्किल की ट्रेनिंग लेता है एक्सपर्ट से सीखता है और छोटे-छोटे कदमों में आगे बढ़ता है तो रिस्क कम हो जाता है इसी तरह अगर कोई बिजनेस शुरू करना चाहता है तो रिस्क को कम करने के लिए पहले मार्केट रिसर्च करनी चाहिए संभावित दिक्कतों को समझना चाहिए और एक स्ट्रांग प्लान बनाना चाहिए रिस्क को कम करने का दूसरा तरीका है डायवर्सिफिकेशन कार्सन बताते हैं कि जब कोई डॉक्टर किसी मरीज का इलाज करता है तो वह सिर्फ एक ही ट्रीटमेंट पर निर्भर नहीं रहता वह अलग-अलग ट्रीटमेंट ऑप्शन पर विचार करता है ताकि अगर एक तरीका काम ना करे तो दूसरा तरीका इस्तेमाल किया जा सके यही सिद्धांत वित्त करियर और जीवन के अन्य फैसलों पर भी लागू होता है अगर कोई व्यक्ति अपने पूरे पैसे को सिर्फ एक जगह इन्वेस्ट करता है तो वह बड़े रिस्क में रहता है लेकिन अगर वह अपने इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग जगह बांटता है तो उसका रिस्क काफी हद तक कम हो जाता है कार्सन यह भी बताते हैं कि रिस्क को कम करने का एक और तरीका है छोटे-छोटे प्रयोग करना अगर कोई बड़ा फैसला लेना है तो अचानक बड़ा कदम उठाने के बजाय पहले छोटे स्तर पर उसे आजमाना चाहिए उदाहरण के लिए अगर कोई नया बिजनेस शुरू करना चाहता है तो पहले उसे पार्ट टाइम ट्राई कर सकता है मार्केट की प्रतिक्रिया देख सकता है और फिर बड़े स्तर पर जाने का फैसला कर सकता है इसी तरह अगर कोई व्यक्ति अपने करियर में बदलाव करना चाहता है तो उसे पहले साइड में नए स्किल सीखने चाहिए ताकि जब वह बदलाव करें तो उसे कम से कम रिस्क उठाना पड़े इस चैप्टर की सबसे बड़ी सीख यह है कि रिस्क को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन इसे कम किया जा सकता है बन कार्सन हमें यह सिखाते हैं कि रिस्क से डरने की जरूरत नहीं है बल्कि इसे सही तरीके से मैनेज करना सीखना चाहिए अगर हम पहले से ही संभावित खतरों की पहचान कर लें उनके लिए तैयारी करें और बैकअप प्लान तैयार रखें तो हम हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं और अपनी सफलता की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा सकते हैं बन कार्सन बताते हैं कि रिस्क सिर्फ एक चुनौती नहीं बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है इसे पूरी तरह से टाला नहीं जा सकता बल्कि इसे समझकर और स्वीकार करके ही हम आगे बढ़ सकते हैं कई लोग रिस्क से इतना डरते हैं कि वे अपने कंफर्ट जोन में ही रह जाते हैं लेकिन ऐसा करने से वे खुद को ग्रोथ और नए अवसरों से दूर कर लेते हैं असली सफलता तब मिलती है जब हम रिस्क के साथ जीना सीखते हैं और इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं कार्सन अपने मेडिकल करियर के अनुभवों से उदाहरण देते हैं जब वे पहली बार न्यूरोसर्जरी कर रहे थे तो हर सर्जरी में एक अनजान रिस्क होता था एक छोटी सी गलती भी मरीज की जिंदगी को खतरे में डाल सकती थी लेकिन अगर उन्होंने इस डर की वजह से कदम पीछे खींच लिया होता तो वे कभी एक सफल सर्जन नहीं बन पाते उन्होंने रिस्क को स्वीकार किया उसके साथ जीना सीखा और अपनी क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दिया यही सोच हमें भी अपनानी चाहिए रिस्क से भागने के बजाय उसे एक चुनौती के रूप में लेना और खुद को बेहतर बनाना रिस्क को अपनाने का पहला तरीका है मानसिकता बदलना अगर हम हर रिस्क को एक संभावित खतरे के रूप में देखते हैं तो हम हमेशा डर के साए में रहेंगे लेकिन अगर हम इसे एक अवसर के रूप में देखें तो हम ज्यादा खुले दिमाग से फैसले ले सकते हैं उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति पब्लिक स्पीकिंग से डरता है तो उसे हमेशा यह लगेगा कि बोलने से उसे शर्मिंदगीगी झेलनी पड़ेगी लेकिन अगर वह इसे एक अवसर के रूप में देखे एक ऐसा मौका जिससे उसकी कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होगी तो वह इस डर से बाहर आ सकता है कार्सन यह भी बताते हैं कि रिस्क को अपनाने के लिए हमें अनिश्चितता के साथ जीना सीखना होगा कोई भी भविष्य को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं कर सकता लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम कोशिश ही ना करें सफलता उन्हीं लोगों को मिलती है जो अनिश्चितता को स्वीकार करके भी अपने लक्ष्य पर काम करते रहते हैं हर बड़ा एथलीट बिजनेसमैन इनोवेटर या लीडर यही करता है वह अनिश्चितता के बावजूद आगे बढ़ता है और अपनी क्षमताओं पर भरोसा करता है इसके अलावा कारसन कहते हैं कि रिस्क को अपनाने का एक और तरीका है खुद को लगातार मजबूत बनाना जब हम खुद को नए स्किल्स सिखाते हैं अपने अनुभव को बढ़ाते हैं और अपनी मानसिक और भावनात्मक मजबूती पर काम करते हैं तो रिस्क हमें डराने के बजाय प्रेरित करने लगता है अगर कोई बिजनेसमैन यह सोच कर डरे कि उसकी कंपनी कभी भी असफल हो सकती है तो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ पाएगा लेकिन अगर वह खुद को मार्केट के उतार-चढ़ाव को समझने फाइनेंशियल प्लानिंग करने और अपनी स्ट्रेटजी को लगातार बेहतर बनाने में लगा देता है तो वह किसी भी रिस्क का सामना कर सकता है इस चैप्टर की सबसे बड़ी सीख यह है कि रिस्क से भागना समाधान नहीं है हमें इसके साथ जीना और इसे अपनी ताकत बनाना सीखना होगा बन कार्सन हमें यह समझाते हैं कि रिस्क से डरने के बजाय हमें इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए जब हम रिस्क को गले लगाना सीख जाते हैं तो वही रिस्क हमें सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का सबसे बड़ा जरिया बन जाता है बेन कार्सन बताते हैं कि जीवन में सबसे बड़ा रिस्क वह होता है जिसे लेने से हम डरते हैं कई लोग सफलता चाहते हैं लेकिन जब बड़ा कदम उठाने की बात आती है तो वे पीछे हट जाते हैं वे सोचते हैं कि क्या होगा अगर मैं असफल हो गया लेकिन असल सवाल यह होना चाहिए अगर मैंने कोशिश ही नहीं की तो क्या होगा क्योंकि असली असफलता वही होती है जब हम डर के कारण कुछ करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते कार्सन के अनुसार जो लोग सबसे ऊंचाई तक पहुंचते हैं वे सिर्फ इसलिए नहीं सफल होते क्योंकि वे सबसे ज्यादा टैलेंटेड होते हैं बल्कि इसलिए क्योंकि वे उन चीजों को करने का रिस्क उठाते हैं जो बाकी लोग करने से डरते हैं वे उन अवसरों को अपनाते हैं जहां अनिश्चितता होती है वे असफलता से डरते नहीं बल्कि उससे सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं यही सोच किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने की कुंजी है कार्सन अपने करियर का एक अनुभव साझा करते हैं जहां उन्हें एक बेहद जटिल सर्जरी करनी थी यह दुनिया की पहली ऐसी सर्जरी थी जिसमें दो शिशुओं को अलग किया जाना था जो जन्म से ही सिर से जुड़े हुए थे कोई गारंटी नहीं थी कि वे सफल होंगे बल्कि ज्यादातर डॉक्टरों का मानना था कि यह असंभव है लेकिन कार्सन और उनकी टीम ने रिस्क लिया महीनों तक तैयारी की हर संभावित खतरे को पहले से समझा और उस पर काम किया नतीजा यह हुआ कि वे सफल हुए और इतिहास रच दिया यह इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि कैसे सबसे बड़ा रिस्क ही सबसे बड़ी उपलब्धि की ओर ले जाता है रिस्क लेने का मतलब यह नहीं कि हमें बिना सोचे समझे कोई भी बड़ा कदम उठा लेना चाहिए कार्सन यह स्पष्ट करते हैं कि हर रिस्क को समझदारी से लेना चाहिए पूरी तैयारी के साथ सही रणनीति बनाकर और खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखकर जब हम किसी बड़े लक्ष्य के लिए काम कर रहे होते हैं तो मुश्किलें जरूर आती हैं लेकिन जो लोग इन मुश्किलों को स्वीकार करके आगे बढ़ते हैं वे ही वास्तव में अपने सपनों को सच कर पाते हैं कार्सन यह भी बताते हैं कि रिस्क लेने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह हमें नए अनुभव देता है और हमें हमारी असली क्षमता से परिचित कराता है कई बार हम अपनी क्षमताओं को कम आंकते हैं और सोचते हैं कि मैं यह नहीं कर सकता लेकिन जब हम रिस्क लेकर किसी चुनौती को स्वीकार करते हैं तो हमें एहसास होता है कि हम कितने ज्यादा सक्षम हैं अगर आप अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं तो आपको रिस्क लेना ही होगा बिना रिस्क के कुछ भी बड़ा नहीं होता हर महान इनोवेशन हर सफल बिजनेस और हर लीडरशिप स्टोरी के पीछे कोई ना कोई बड़ा रिस्क होता है इसलिए अगली बार जब आपको किसी चुनौती का सामना करना पड़े तो खुद से पूछिए क्या मैं इसे टालकर सुरक्षित रहना चाहता हूं या इसे अपनाकर खुद को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहता हूं याद रखिए सबसे बड़ा रिस्क वही है जो आप लेने से डरते हैं क्योंकि वही आपके असली पोटेंशियल को अनलॉक कर सकता है अगर आपको यह वीडियो पसंद आई हो तो द ग्रेट राठौर को सब्सक्राइब जरूर करें और कमेंट में लिखें मैं अपने डर से नहीं अपने सपनों से चलूंगा ताकि यह तय हो जाए कि आप भी रिस्क लेने और अपने जीवन को एक नई दिशा देने के लिए तैयार