भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र का सारांश

Sep 1, 2024

भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र

परिचय

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के सेक्टर पर चर्चा
  • कक्षा 10वीं की अर्थशास्त्र की पाठ्यपुस्तक, अध्याय 2: भारत की अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
  • पिछले अध्याय में विकास (Development) के बारे में चर्चा की गई थी।
  • अर्थव्यवस्था को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: प्रायमरी, सेकेंडरी और टर्शरी।

अर्थव्यवस्था के सेक्टर

  • प्राइमरी सेक्टर:

    • कृषि क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
    • नैतिक संसाधनों का सीधा प्रयोग जैसे कृषि, डेयरी, मछली पालन आदि।
  • सेकेंडरी सेक्टर:

    • औद्योगिक क्षेत्र या विनिर्माण क्षेत्र।
    • प्राइमरी उत्पादों को विनिर्माण के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है।
  • टर्शरी सेक्टर:

    • सेवा क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
    • यह प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों की गतिविधियों का समर्थन करता है, जैसे परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि।

इंटरडिपेंडेंट सेक्टर

  • प्राइमरी, सेकेंडरी और टर्शरी सेक्टर आपस में निर्भर हैं।
  • उदाहरण: टमाटर को कृषि (प्राइमरी) से पकड़ा जाता है, फिर इसे कैचप (सेकेंडरी) में परिवर्तित किया जाता है और अंत में सेवित किया जाता है (टर्शरी)।

ऐतिहासिक परिवर्तन

  • समय के साथ प्राइमरी, सेकेंडरी और टर्शरी सेक्टर के बीच बदलाव आया है।
  • प्रारंभिक चरण में प्राइमरी क्षेत्र का अधिक महत्व था, अब टर्शरी क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है।

भारत में सेक्टर का योगदान

  • प्राइमरी क्षेत्र: 1973-74 में लगभग 40% जीडीपी में योगदान।
  • सेकेंडरी क्षेत्र: 10-12% जीडीपी में योगदान।
  • टर्शरी क्षेत्र: समय के साथ जीडीपी में योगदान बढ़ता गया है।

श्रम और रोजगार

  • टर्शरी क्षेत्र में अधिकतम योगदान के बावजूद, रोजगार की कम संख्या।
  • प्राइमरी क्षेत्र में अंडर एम्प्लॉयमेंट (Underemployment) और डिस्गाइज्ड अनएम्प्लॉयमेंट की समस्या।

सरकारी हस्तक्षेप और नीतियाँ

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): ग्रामीण विकास और रोजगार सुनिश्चित करने के लिए।
  • सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है ताकि सभी को मूलभूत सेवाएँ मिल सकें।

संगठित और असंगठित क्षेत्र

  • संगठित क्षेत्र: नियमित कार्य और सुरक्षा।
  • असंगठित क्षेत्र: असुरक्षित रोजगार और सामाजिक भेदभाव।

निष्कर्ष

  • टर्शरी क्षेत्र की वृद्धि आवश्यक है, लेकिन उसके साथ रोजगार सृजन की भी आवश्यकता है।
  • सरकारी नीतियों का सुधार और कार्यान्वयन सुनिश्चित करता है कि सभी श्रमिकों को सुरक्षा और सहारा मिले।

  • यह नोट्स अध्याय 2, भारतीय अर्थव्यवस्था के सेक्टरों का सारांश प्रस्तुत करते हैं।
  • अध्ययन और चर्चा के लिए सहायक सामग्री।