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NISM प्रमाण पत्र और निवेश रणनीतियाँ

Hello and welcome to our channel Finance with Novita. ये वीडियो अन सभी के लिए बहुत important होने वाला है, जोनोंने NSIM certification के लिए registration किया है, जोकी mutual fund distributor FIA module से related है. मेरा नाम दीपक है और मैं NISM certified हूँ. अगर आपको मेरा ERA number देखना है, तो आप description या YouTube channel के bio में चेक कर सकते हैं. जो लोग NISM की exam देने का plan बना रहे हैं, आप इन videos पर भरोसा रख सकते हैं. हमने ये प्लान किया है कि हम NISM 5A मॉडियूल की इस पूरे प्लेलिस्ट में 12 विडियोस बनाएंगे जो आपके मूच्चल फंड एक्जाम्स के सिलेबस में हैं जब आपने रेजिस्ट्रेशन किया होगा तो आपको पढ़ने के लिए स्टडी मेटेरियल मिला होगा जो की PDF फॉर्मेट में है और काफी लंबा पोर्शन है जिसको पढ़ने में बहुत वक्त लगता है इस PDF में 12 चैप्टर्स है इसलिए हम 12 अलग-अलग विडियोस में समझाएंगे प्लेलिस्ट का नाम NISM 5A module होगा और हर एक वीडियो से आपको easily पूरा एक complete chapter का understanding आ जाएगा. और वीडियो के end में हमने हर chapters के 10 MCQs भी रखे हैं, ताकि आप अपनी knowledge और understanding चेक कर सकें. ये MCQs previous exam से related होंगे, और आपको एक practical experience मिलेगा, जैसे आप exams में बैठे होंगे, और वहाँ पर आप solve कर रहे हों. आप इन MCQs को जरूर attempt करना, लेकिन उससे पहले मैं आपको first chapter पढ़ाऊंगा, इन्वेस्टमेंट लांस्केप अगर आपको वीडियो अच्छा लगे तो प्लीज लाइक बटन दबाना एंड हमारी चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले और प्लीज शेयर भी कीजेगा अपने दोस्तों से अगर कोई आपका दोस्त एनाई एसम का फाइबे एक्जाम्स easily exams pass करेंगे मैंने जो कुछ भी cover किया है वो लगबख पूरा syllabus है तो चलिए शुरू करते हैं तो आप लोगने कई बार सुना होगा कि मुझे कुछ अच्छा investment option बताईए या कौन सा mutual fund scheme अच्छा है ये सलवाई करने के लिए य��� कौन सा mutual scheme best है आज तक का जिसने सबसे ज़ादा returns दिये हो कौन सा investment option अच्छा होता है stocks अच्छा होता है कि real estate में करो या gold में करो या फिर कुछ लोगों ने already investment कर रखा होता है and वो पूछते हैं कि इस साल मुझे क्या करना चाहिए कुछ changes करना चाहिए या same to same investment रहने दूँ क्या फिर stock market कैसा चल रहा है so क्या ये questions गलत हैं नहीं ये questions विलकुल गलत नहीं है but ये questions पूरे सही भी नहीं है क्योंकि हर एक बंदे का investment option अलग हो सकता है depending on their goals जैसे कि हम एक assumption लेते हैं दो लोग हैं एक 40 year old है और एक 11 साल की लड़की है, ठीक है? अभी जो 40 यार ओल्ड है, उनका प्लान क्या होगा? कि उनको आगे जाके रेटायरमेंट के लिए प्लानिंग करनी है, या उनको आगे जाके अपनी लाइफ आराम से जीनी है, कि उन्होंने अलरेडी मेहनत कर चुके है अपने लाइक 40 या चाहे वो डॉक्टर बनना चाहे हो, साइंटिस्ट बनना चाहे हो, या चार्टेड अकाउंटेंट बनना चाहे हो, या कोई भी फील्ड में बनना चाहे हो, राइट? तो दोनों के goals अलग है, तो क्या हम एक question जो वो पूछ रहे हैं, उसके basis पर हम उनका goals बता दें, ऐसा नहीं होता है, ठीक है, तो इसी questions को answer करते वे पूरा का पूरा mutual fund journey, जो हमारा ये exam, NISM exam के लिए होगा, वो हम complete करेंगे, ठीक है, और मैं आपको stories के माध्यम से, या कुछ concepts सबझाने की कोशिश करूँगा कुछ important terms जो आपको exams में बहुत काम आएंगे ठीक है तो आगे बढ़ दो तो last slide में हमने देखा मैंने आपको बताए कि जो questions पूछे जा रहे हैं वो एकदम सही नहीं होते हैं क्योंकि सबके अपने अलग टाइप के goals होते हैं तो investments क्यों करना चाहिए हमेशा कोई भी काम करने से पहले अपने आपको आप पूछिए कि why investment या मुझे पढ़ाई क्यों करनी है या मुझे जिम क्यों करना है रही है कोई ना कोई ऑब्जेक्टिव होता है उसके पीछे तो जो मेन ऑब्जेक्टिव होता है इन्वेस्टमेंट करने के पीछे वो होता है फिनेंशियल गोल्स को मीट करना अब आप नॉर्मली आप ऑन एन एवरेज इंडिया में हम रोटिस करते हैं कि 90 पैसे कमा रहे हो उसको आपको बढ़ाना होगा फुल बहुत पेजी से so that आपको financial goals को meet कर सकते हैं अब आपको सिर्फ एक savings account में 2.5% या 3% interest मिलने से आप अपने पैसे को ज़्यादा बढ़ा नहीं सकते हैं, क्योंकि inflation करके एक factor है, जो हम आगे भी discuss करेंगे इस वीडियो में, उसकी वज़े से आपका पैसा बढ़ नहीं पाता, उल्टर कम होता जाता है every year, right? तो main objective हमारा क्या है? Financial goals को meet करना, इस वज़े से हम investments करते हैं, अब investment करने के लिए हमें कौन सी दो चीज़ चाहिए इस objective को पूरा करने के लिए? पहला होता है amount, आपको पैसे चाहिए होते हैं investment करने के लिए, right? और दूसरा होता है आपको time देना पड़ता है उस investment से आपको returns मिलने के लिए ताकि आप अपने investment के financial goals हैं उसको आप fulfill कर सकें उसको आप complete कर सकें अब हम आपको ना last दो example से ही समझाते हैं 40 year जो old आदमी थे उन्होंने अबी financial goal क्या बनाया है कि उनको retirement के लिए उनको chill अपना vacation एकदम enjoy करना है अगले 10 साल बाद या 20 साल के लिए और जो 11 year old girl थी उनको क्या करना है? उनको अपनी higher education करना है, उनको अपना career अच्छा बनाना है, उनको अपना lifestyle अच्छा बनाना है, तो इन दोनों भी goals को achieve करने के लिए amount और timeline उनको देना होगा, right? अब हम कुछ बता देते हैं, हम आपको कुछ common examples बताते हैं, जो लोग financial goals बनाते हैं अपने all over the world and कुछ uncommon goals बताते हैं, uncommon financial goals, तो common financial goals आपने काफी बार सुना होगा कि मुझे अपने बच्चों के education के लिए पैसा जमा करना है, जैसे अपनी मुमी पापा ने हमारे लिए किया था. या फिर अगर आप 30-40 अर ओल्ड हो जा रहे हैं तो आपके दिमाग में यही चीज़ आएगा कि आप मैं बुड़ा होता जा रहा हूँ, मुझे अपने रेटायरमेंट के वक्त के लिए पैसे चाहिए होंगे, तो आप 50-60 अर के बाद आपकी बॉडी वैसी वक्त नहीं करेग हमारे ममी पापा ने हमें अल्रेडी एक घर प्रोवाइड किया हो, बट स्टिल हमारा एक गोल होता है कि हम अपना एक खुद का एक ड्रीम हाउस बनाएं, राइट? क्या? कुछ लोग अपने मैरेज के लिए भी पैसा जमा करते हैं, लोग अपनी पेटी और बेटे के लिए पैसा जमा करते हैं, आजकल टीनेजर्स के माइंड में होता है कि उनको एक कार खरीदना है, या उनको एक बाइक खरीदनी है, और वो भी ड्रीन बाइक है, या ड्रीम कार्ड जैसे मरसीडीज, बीमडब्लू राइट तो वो छोटे-मोटे सैलरी से फुलफिल नहीं हो सकता इसी वज़े से इन्वेस्ट्मेंट्स करना बहुत ज़रूरी है इसी वज़े से इन्वेस्ट्मेंट्स करना बहुत ज़रूरी है इसके लिए भी पैसे लगते हैं उनको कहीं घूमने जाना है इसके लिए भी पैसे लगते हैं बनाने के लिए वो जॉब छोड़ के फिर वो बिजनस में इंवेस्ट करता है ये वो साइड बिजनस भी शुरू कर सकता है, राइट? और कुछ लोग अपने सेल्फ हायर एडुकेशन के लिए अपने आपको हायर एडुकेट करने के लिए, जैसे अभी मेरी ममी पापा का अगर बजट नहीं था उतना, या हमारी स्थिती उतनी अच्छी नहीं थी एज़मिनल क्लास या पूर क्लास फैमिली से, तो मैंने नॉर् तो आप तो आ� जैसे कि हमें अपने last slide में check किया, कि investment हम इसलिए करते हैं ताकि हम अपने financial goals को meet कर सकें, जाएं वो छोटे हो, short term हो, बड़े हो, long term हो, right? तो अब steps क्या है उस financial goals को achieve करने के लिए? तो मैं आपको three step के procedure बताऊंगा, जो अगर आप अपने life में follow करते हैं या फिर आगे जगह financial advisor बनते हैं, तो आप properly समझा सकें अपने client को, right? तो first step होता है goal set करना, right? लाइफ में कुछ भी अचीफ करने के लिए goal सेट करना बहुत जरूरी है, otherwise आप उसके उपर काम नहीं कर पाओगे, जैसे अगर आपको, आप एक skinny है, 45 kgs के अगर आप हैं या 50 kgs के हो, आपको 60 kgs जाना है, आपको build करना है muscles, right, अगर आपको UPSC crack करना है, आप एक goal सेट करेंगे, मुझे UPSC crack करना है, मुझे IS officer बनना है, कुछ भी आपको goal अचीफ करना है, वो life events की basis पे होते हैं और वो भी दो type में होते हैं desirable events और undesirable events अब desirable events का मतलब क्या होता है जो आप desire कर रहे हो जैसे कि retirement यह desire करेंगे मुझे अपने retirement अच्छी से जीनी है मैं vacation गूम के travel करके world जीना चाहता हूँ अपना retirement तो एक desire है आपका, child education हो गया, या आपका एक desire है, आपको एक घर खरीदना है, या आपका desire है, right? और कुछ undesirable events होते हैं, जो आप चाहते नहीं हैं, बट वो हो जाता है, जैसे कि hospitalization, अचाना से आपकी family में ऐसा हो ना, बट कभी हो जाता है, right? कभी घर में चोरी हो गयी, या कोई भी बड़ा business loss हो गया, जो हम कभी चाहते नहीं है, बट हो जाता है, बोल सेट करना बहुत जरूरी है कि हम किस चीज के लिए वो investment करें अब desirable events जो आप खुद चाहते हैं कि हो आपके इसके लिए आप कैसे plan कर सकते हैं investment करके plan कर सकते हैं लेकिन जो undesirable events होते हैं उसके लिए आप क्या कर सकते हैं आप emergency corpus या insurance product का सहारा ले सकते हैं जैसे कि आपने अगर आपके घर में कोई भी बीमार पड़ता है तो वह आपको रख सकते हैं और वह एक इंवेस्टमेंट हो गया है आपके फ्यूचर के लिए कि अगर आपकी फैमिली में बीमार पड़ गया तो मेडिकलेम इंशौरेंस काम आ जाएगा और अगर आपको इधर हो जाती है तो एट लीस्ट बाकी जो फैमिली मेंबर से उनका सहारा हो जाए वह इंवेस्टमेंट अब जो लाइफ इंशौरेंस पैसा आएगा उसके तू ल जिसको बोलते है setting priority to your goals अभी हमारे सब के अलग-अलग goals हैं या बहुत सारे goals हैं जैसे मेरा खुद का अगर मैं goal बढ़ू, तो मेरा goal है कि मैं अपने career में बहुत आके बढ़ू second goal है मेरा कि मैं एक dream house खरीदू मैं अपनी family members को financially educate करू, अपनी retirement की अच्छी planning करू मैं अगर आगे जाके मेरी marriage होती है, मेरे बच्चे होते हैं तो उनको एक better education दे सकूँ ताकि problems नहीं रही तो मेरे पास अब देखिए कितने सारे goals हो गए अब इन goals में सबसे priority मुझे किसको देना है वो दो चीज़ों में डिवाइड हो जाती है important goals and good to have goals अब important goals मेरे यहाँ पर क्या है सबसे पहला मुझे अब एक ध्यान देना होगा मेरी career के उपर so that मैं उससे second goal achieve कर सकता हूँ income generator के which is a dream house या फिर अपने आगे जाकर मेरी अगर शादी होती है, मेरे बच्चे होते हैं, तो मैं उनकी education के लिए या फिर अपने retirement के लिए पैसे जमाता सकता हूँ, यह important goals होते हैं, और good to have goals में क्या आ जाते हैं, आपको car लेना है, आपको iPhone लेना है, आपको dream vacation पर जाना है, यह आपके good to आपने goal सेट कर लिया, आपने priority भी सेट कर लिया, क्या financial goal ऐसे ही achieve हो जाएगा, no, आपको investment करना होगा, अब investment के लिए आपको दो चीज़ चाहिए, first is amount चाहिए आपको, अब amount आप कहां से लाएंगे, right, amount बहुत ज़रूरी चीज़ है, and दूसरा है अगर आपने amount ले भी आया, अब goal set करने के लिए इतना easy भी नहीं है कि आपको पता चले गी आपकी priority क्या है या आपका short term long term goal क्या है right या near term में आपको क्या hustle करना है तो अगर हम उसको एक data के थूँ बनाया तो ज़्यादा better होता है तो Stephen Covey जो है American educator थे वो एक best seller book उनकी है The 7 Habits of Highly Effective People उन्होंने ये term समझाया था properly ये जो table देख रहे हैं आप इसमें critically important चीजे, dreams, good to have, या tenure लिखा हुआ, immediate term, near term, medium term, या long term, इसके तुरू उन्होंने बोला कि लोग अपने short term goals या needs को properly लिख पाएंगे, या decide कर पाएंगे, so that आप चीजे जल्दी achieve कर सके, तो investment करने के लिए हमने क्या सिद्धिमार, last slide में पढ़ा था, जि हमें goal set करना इन्वेस्टमेंट करने को आपने डिसाइड कर दिया आपके पास वोल सेट हो गया आपने अमांट लिया आपने टाइमलाइन एक डिसाइड जिससे आप इस एक बार पांच से अपने सेविंग्स अपने राइट अ अब आपकी savings account आपको 2.5%, 3% returns दे रहा है, profit दे रहा है, interest दे रहा है, क्या ये काफी है आपके goals को achieve करने के लिए, नहीं, बिलकुल नहीं, क्योंकि महंगाई हर साल आती जाती है, जिस वज़र से आपको आपके goals achieve करने में बहुत वक्त लग सकता है या फिर आप शायद achieve ना भी कर पाएं, क्योंकि महंगाई का जो average rate चल रहा है, वो 6-8% के बीच में चल रहा है इंडिया में, और आप सिर्फ 3% interest कमा रहे हैं, मतलब आप अपने पैसे को सिर्फ 3% से बढ़ा पा रहे हैं, जबकि 6 अगर मैं आपको simple words में inflation का मतलब समझाओं, तो जब rise हो जाता है, मतलब prices of goods and services जब बहुत easy से बढ़ने लगते हैं हर साल, उसको बोलते inflation, और inflation को जब आप adjust करेंगे आपकी goals में, या उनकी values में, तो अब वह बहुत important factor होगा, और अगर inflation पे आपको control करना है, या overcome करना है inflation को, जिसके बारे में हम अगले स्लाइड में पढ़ेंगे और वो बहुत इंपोर्टेंट है। सेविंग्स और इंवेस्ट्मेंट ये दोनों बहुत इंपोर्टेंट चीज़ है। तो क्या आप मुझे बता सकते हैं सेविंग्स और इंवेस्ट्मेंट क्या सेम है। क्योंकि सेविंग्स एवं पोर्शन आपके पार्शन आपक इन्वेस्टमेंट का मतलब क्या होता है कि आप उस छोटे से हिस्सा आपने सेव किया है उस वह पैसा निकाल कि आप कहीं पर लगा रहे हूं ताकि उसमें से आप ज्यादा प्रॉफिट अन कर सकते हैं कुछ ना कुछ आपको एक्सपेक्टेशन है कि जो यह मैं पैसा लगाने पुराने जमाने में लोग आप करते थे न, पांच हजार रुपए निकाल लिये और कबड में डाल दिया, तो आप वहाँ पर क्या, आपको returns मिल रहे हैं नहीं, आप क्या करना चाह रहे हो, आप बस उस पैसे को save करना चाह रहे हो, safety चाहते हो उस पैसे की, लेकिन investment में क्या हो यह फर्क है छोटा सा savings and investment में बिलकुल ध्यान में रखियेगा, note बना लीजियेगा अगर आपको confusion लगे तो exam में काम आ सकता है, right? savings and investment जो दोनों हैं वो एक ही सिके के दो पहलू हैं, क्योंकि savings investment से पहले आता है, right? जिसे मैंने आपको समझाया, investment करने के लिए आपको पैसे चीज़ रहे हैं और वो पैसे कब आएंगे जब आप save करेंगे, अगर आप पैसे कमा रहे हैं, 25,000 और हर माइने पैसे, सारे expenses ही हो जा रहे हैं आपके, तो आप पैसे बचा ही नहीं पाए और जब आप save ही नहीं कर प करेंगे अब सेविंग और इनवेस्टमेंट करने से करने के लिए आप जो अपने इनवेस्टमेंट डिसाइड किया यह इनवेस्टमेंट डिसाइड किया उसमें ना कुछ फैक्टर्स को इवेलूवेट करना बहुत जरूरी है किसी भी चीज में इनवेस्ट करने से पहले इसलिए आपने देखा होगा कि हमारे ममी पापा लोगों ने सबसे जानदा इन्वेस्ट्मेंट्स किया होगा रियल एस्टेट में पिक्स डिपोजिट में राइट गोल्ड में क्योंकि यहां उनको लगता है कि सेफ है यहां मेरा पैसा डूबेगा नहीं राइट सेकंड आता जल से जल पैसा निकाल सके, जैसे कि आजकल आपने notice क्या होगा, FD में और savings account में सबसे ज़्यादा liquidity होती है, right, यह debt funds में, कि हमने FD किया, अगर हमें अभी 6 मेने बाद को emergency हो गया, या कुछ भी problem हो गया, या हमें कुछ काम लग गया, तो हम 6 मेने बाद भी वो FD तोड़ के ह इसके साथ negotiation करना पड़ता है which takes time तो यहाँ पर liquidity एक realistic अच्छा option नहीं होता liquidity के हिसाब से and third होता है returns कितने returns हमें मिलेंगे right तो अब FD में तो आपको 5-6% returns मिलते हैं अभी 2023 में just because of uncertainty FD के interest rate inflation के वज़े से जो repo rate वगेरा RBI नहीं change के जिस वज़े से bands ने अभी FD पे जादा इंट्रेस्ट रेट ऑफर किया है जो कि 7-8% तक भी जा रहा है तो यह तीन इंपोर्टेंट फैक्टर होते हैं जो लोगों को अच्छे जैसे कि जिस भी चीज में आप इंवेस्ट करने जा रहे हो उसको convenience कैसा है? क्या आप easily उसमें invest कर पा रहे हो? जैसे कि अगर आपको आज stock market में invest करना है, mutual fund में invest करना है, या फिर FD में invest करना है, तो आप घर बैठे-बैठे आप easily invest कर पा रहे हो, अपने एक mobile app के थूँ आप invest कर पा रहे हो, right? Bank account, UPI के थूँ transfer करके easily invest कर पा रहे हो, आपको paperwork की जरूरत नहीं पड़ रही है, आपको 10 km जाके invest नहीं करना पड़ रहा है, इसलिए convenience एक important factor हो जाता है, second एक ticket size, अगर आपको आपने... आपके दिमाग में आया है कि आपका एक mutual fund में invest करना चाहिए, right, तो एक minimum amount का investment बहुत important होता है, right, एक minimum amount का investment हर जगे लागू होता है आजकल तो, जैसे कि एक mutual fund सो रुपे से भी आप invest करना स्कार कर सकते हो, monthly SIP, या कहीं 10,000 minimum होता है, right, third important चीज आती है taxation on earnings, अब जहां भ हर investment tool का अलग-अलग taxation होता है जैसे अगर आप stock market equity में invest कर रहे हो तो उसका एक अलग ही taxation charge होता है अगर आप debt fund में invest कर रहे हो उसका अलग होता है और FD में invest कर रहे हो तो अलग होता है ठीक है तो इसके ऊपर हम आगे discuss करेंगे कि हमारे portion में ये चीज है taxation के बारे में इसलिए बने रहेगा वीडियोस पर ताकि आप अच्छे financial advisor भी बन सके और दाता है tax deduction बहुत सारे लोग इंडिया में ना कुछ चीजों में invest ही इसलिए करते हैं ताकि उनको जो taxation भरना पड़ रहा है उसमें आपको ITR file करते हैं वगत उनको tax का deduction मिल सके जैसे कि एक PPF में बहुत लोग invest करते हैं ताकि ATC के अंदर उनको deduction मिल सके ऐसे बहुत सारी चीज़े हैं जो हम आपको आगे बताइंगे तो हमने savings और investments को समझा है पैक्टर्स कौन से एवेलूएट करने चाहिए इन्वेस्टमेंट करने के पहले उनको समझाएं तो चलिए आईए हम देखते हैं कि इन्वेस्टमेंट कौन से असेक्ट क्लासेस में करने चाहिए या हमारे पास आपशन सभी ले गए रियल एस्टेट, कमॉडिटी, फिक्स्ड एंकम और लिक्विटी रियल एस्टेट का सबसे इंपोर्टेंट और पॉपुलर असेट माना जाता है इस असेट की पॉपुलरिटी की वजह इंवेस्ट्मेंट से रिलेटेड नहीं है बलकि ज्यादा तर कीस में लोग रियल एस्टेट को सेल्फ कन्जम्शन या यूजिस के लिए खरीदते हैं। लैंड, कमर्शियल रियल एस्टेट, एक्सेट्रा एजन असेट क्लास इनके पीचर्स कुछ इस तरह से रहते हैं जिसमें लोकेशन सबसे बड़ा इंपोर्टेंट पैक्टर प्ले करता है ये काफी इलिक्विड असेट है मतलब जिसे हम बेच कर जल से जल पैसा नहीं निकाल सकते इस असेट में फिजिकल फॉर्म या फिनेंशल फॉर्म दोनों में ही इन्वेस्ट किया जा सकता है कैपिटल ग्रूथ के साथ यह प्राप्रेट इनकम भी ऑफर कर सकता है इन फॉर्म ऑफ रेंटल इनकम काफी बार आपने नोटिस किया होगा कि लोग लैंड लाइक प्राप्रेटी लेकिन उसे रेंट पर दे रहे हैं उसे रेंटल इनकम आता है ट्रांजेक्शन कॉस्ट की बात करें तो ब्रोकरेज रेजिस्ट्रेशन और अदर चार्जेस लाइक स्टैम ड्यूटी काफी हाई रहते हैं इसने जो कि इसके रिटर्न्स को भी गिरा देते हैं रियल एस्टेट उन्हें भी adjust करना जरूरी है क्योंकि यह खर्चे काफी बड़े होते हैं और इन्हें ignore नहीं किया जा सकता है। अब बात करते हैं commodities की, commodities के कई types होती है जो कि सब अपने daily life में भी use करते हैं। जैसे कि oil, wheat, corn, gold and silver etc. पर इन्हें ज़्यादा कर में invest करना खाके मुश्किल रहता है क्योंकि इन्हें लब्बे समय तक store नहीं किया जा सकता। However, commodities में gold and silver most common and most popular commodity है, जहाँ पर investment की जाती है। आपने भी notice कियों कि आपके घर में gold and silver कोई नो कोई खरीद के रखा ही होगा। इसके अलावा कई commodity derivatives भी आते हैं, कई commodities के, but उन में ज़्यादा investment prefer नहीं की जाती, क्योंकि वो एक तो leverage contracts होते हैं, मतलब आप छोटी amount invest करके बड� बेकिंग देम इवन बोर रिस्की तो ज्यादा रिस्क बन जाता है उसमें और दूसरा जनरली शॉर्ट टर्म कोंट्रैक्ट्स होते हैं वेरेस ऐसा हो सकता है कि इन्वेस्टर उसे लॉन्ग टर्म तक होल करने का कमॉडिटीज में इन्वेस्टर्स को करेंट या रेगुलर इनकम नहीं मिल सकती है और उन्हें कैपिटल ग्रोथ पर ही रिलाई करना पड़ सकता है कमॉडिटीज में आप एक्सपेक्ट नहीं कर सकती कि आपको रेगुलर इनकम मिलें कि उसमें सिर्फ कैप प्रेक्टर राइट कॉर्नर में आप सेकंड पॉलम में राइट कॉर्टर में आप ऊपर देख पाएंगे फिक्स इनकम असेट क्लास वह होती है जिसमें इन्वेस्टर्स को रेगुलर इनकम मिलती है इन फॉर्म ऑफ इंट्रेस्ट फिल्ड अमेचॉरिटी और साथ में इन्� देविंचर्स जिनकी मार्केट में रेगुलर ट्रेडिंग भी होती है इस तरह के बॉंड पेपर्स कई तरह की प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर कंपनीज, बैंक्स, सेंटरल और स्टेल गवर्मेंट द्वारा इशू किया जाता है यह बॉंड जनरली रेगुलर इंट्रेस्ट पेआउस भी देते हैं तो इन्वेस्टर एक फिक्स पिरियोडिक इंकम भी एक्सपेक्ट कर सकते हैं और अगर रिस्क की बात करें तो एक्विटी से कम रिस्क रहता है अब बात करते हैं एक्विटी की एक्विटी यानि की एक हिस्सा एक company का equity asset classes में investments करके आप private और public companies की growth potential में हिस्सा ले सकते हैं। जैसे कि अगर आप Reliance company का एक share खरीद लें, तो जब Reliance company की भीरे थीरे growth होगी, तो आपके stock price की भी growth होगी। तो आपने अगर समझो हजार पर invest किया था और अगले तीन साल में Reliance company ने काफी growth किये हैं, उसके share price अब 2000 पर हो गए हैं। आपने 100% का returns generate किया है दो सालों के अंदर ठीक है? historically अगर आप बात करें तो equity as an asset class ने inflation से ज़ादा ही returns किया है और तो और equity के returns बाखी सभी investment avenues से ज़ादा ही रहे हैं long term में equity ना सिर्फ capital growth की opportunities देता है companies के share price के movement के जरिये बल्कि साथ में dividend income का भी spoke देता है जब companies अपने profit का कुछ हिसा investors को भी pass on करती हैं. Equity के investment करने के कई options available हैं जैसे कि stocks, mutual funds, exchange traded funds, जिसको हम ETFs के नाम से भी जानते हैं, index funds, etc. So यह तो था equity और other asset classes के बारे में. इन सभी asset categories को different investment avenues में divide किया जा सकता है. जैसे कि आप स्क्रीन पर देख रहे हैं, हमने में असेट क्लासेस और उसे जोड़े इंवेस्ट्मेंट से अवेडिविश्ट को देख लिया हैं, पर किसी भी इंवेस्ट्मेंट को अच्छे से समझने के लिए ये भी बहुत सर्वी है कि हम उसे जोड़े रिस्क्स हों. तो चलिए आप बात करते हैं इंवेस्ट्मेंट रिस्क्स, रिस्क्स बहुत अलग-अलग तरीके के बते हैं, तो आईए इनको एक करके समझते हैं तो चलिए फिर समझते हैं inflation risk को inflation risk समझने से पहले inflation जो है उसको समझना बहुत जरूरी है क्या होता है inflation? rise in the price of goods or services over time मतलब कोई भी product जो आप अभी खरीद रहे हैं इसकी price में increment हो जाना मतलब उसका price बढ़ जाना टाइम पीरेड के बीच में, लेकिन एक साल, दो साल, दस साल, पाँच साल, ठीक है, अगर मैं उसको सिंपल भाषा में समझाने जाओं, तो एक एग्जाम्पल के तरह समझाता हूँ, पर एग्जाम्पल, अभी आप एक टीवी दस जार उपे में खरीद पा रहे हैं, ठीक है, आप वही टीवी 14,693 रुपे में खरीदेंगे, 14,693, वही टीवी आप 10 साल बाद 21,589 रुपीज में खरीदेंगे, 20 साल बाद 46,610 रुपीज में, और 20 साल बाद 1,627 रुपे में, तो देखा आपने inflation कितना बड़ा impact करता है, इसी वज़े से कभी भी जब हम investment करने जाते है वो क्या inflation को beat कर पा रहा है कि नहीं अगर inflation को वो beat नहीं कर पा रहा है that means हम जो investment कर रहे हैं शायद उसका कुछ ज़ादा फाइदा होना सकेगा अब जब हम inflation को check करते हैं returns के साथ, for an example, आपने equity के mutual fund में invest किया, 3 साल के लिए, ठीक है, आपको 12% का interest, 12% का average आपको returns मिला, ठीक है, अब inflation चल रहा है, समझो 7%, तो 12 में से अगर मैं 7 को minus करूँ, तो 5% आपका positive returns आया रही, मतलब आपने 5% returns कमाए हैं, ना कि 12%, क्योंकि inflation भी त inflation को अभी deduct करना है तो जब हम actual investment से जो return आया है उसमें से inflation को inflation rate को हम हटा देते हैं inflation returns को हम हटा देते हैं उसको हम बोलते है real rate of return अगर आप screen पे देख पा रहे हो clearly लिखा है when inflation returns are adjusted from actual investment returns उसको real rate of return बोलते हैं बहुत important होगा कहीं भी आपको एक tricky question आ सकता है बहुत काम का होगा जब हम Return calculation करते हैं और हम inflation को उसमें adjust नहीं कर रहे हैं, मतलब minus नहीं कर रहे हैं, that is called nominal rate of return. तो बिल्कुल confuse मत होईएगा, real, real word से ही समझ में आ जाता है कि जब हम inflation को minus कर देंगे तो real picture सामने आएगा कि हमने कितना returns earn किया है. और nominal rate of return में से मतलब है हमने inflation को adjust नहीं किया है. हम बात करते हैं liquidity risk के बारे में. मैंने आपको पहले भी समझाया था liquidity का मतलब क्या होता है? liquidity का मतलब यह होता है कि जब भी आप कोई भी investment, किसी भी investment tool में आपने invest किया हुआ है और जब कभी भी आप उसमें से exit लेना चाते हैं, मतलब आप उसमें से बाहर आना चाते हैं तो आप उसको बेच के वापस आ सकते हैं, उसमें से पैसे निकाल सकते हैं लेकिन यहाँ पर क्या लिखा है liquidity risk, liquidity risk मतलब जब भी आप कोई investment को sell कर रहे हैं और उसमें से आप पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं on the spot वो बन जाता है liquidity risk, सबसे best example है इसका real estate, right, आप समझो एक flat खरीदते हैं 2BHK का, पर example मंबई में आपने 2BHK का flat खरीदा 1 crore rupees में, ठीक है, अब after 1 year आपको जरूरत पड़ गई अचानक से, पैसो की, और अब आप उसको बेचना चाते हैं, चाहे आप उसको 95 lakhs में ही क्यों ना बेचना चाते हो, या 90 lakhs में, या 1 crore 5 lakhs में, right, आपको इतना आसानी से customers मिलेंगे नहीं, right, कभी-कभी ज़्यादा time भी लग सकता है उसको बेचने में, इसके लिए इसको बोलते है real estate को less liquid thing ठीक है बिल्कुल liquidity नहीं होती है इसके अंदर कि आप कभी भी बेच के आ जाएं ऐसा ही एक और example होता है premature withdrawal and fixed deposit समझो आपने कोई fixed deposit किया है 5 लाख रुपए का 5 साल के लिए ठीक है अचानक से 1.5 साल बाद आपको अचानक से बहुत पैसे की जरूरत पड़ते है और आपको अब FD तोड़ना है तो अगर आप जब वो FD तोड़ेंगे तो premature जो withdrawal आपने किया है क्योंकि आपने mature होने से पहले उसको withdrawal कर लिया है इसके लिए इसको premature withdrawal बोलते हैं, उस पे आपको maybe कुछ interest 1% का या 2% का penalty लग सकता है, इसलिए liquidity risk को हमेशा ध्यान में रखेगा investment करने से पहले, third आ जाता है, third चीज जो हम term of समझेंगे, वो है credit risk, अब credit risk क्या होता है, मैं आपको clear बताता हूँ, जब भी आप कोई bond या dev venture में invest करते हैं, right, तो उसमें आपको क्या होना था, आपको regular income मिला था in the form of interest, और जब वो mature हो जाएगा bond या debenture तो आपको principal payment मिलता है रही है, तो आपका जो principal amount था with appreciation आपको मिल जाता है, लेकिन अगर समझो जिनसे भी आपने bond लिया है, चाहे वो state government से लिया है, central government से लिया है, corporate से लिया है, अगर वो अपना interest pay नहीं कर पारी है आप, या वो आपको principal का amount पहले आप credit rating जरूर देख ले उन bonds की, अगर वो triple A है तो बहुत अच्छी बात है, और मैं तो यही सजेस्ट करूँगा कि जब भी आप कोई bonds ले, आप central government के या state government के bonds ले, apart from that आप bonds ना ले, क्योंकि central government और state government के bonds सबसे ज़्यादा safe होते हैं, भले इसमें interest rate कम मिलता है as compared to other bonds, क्योंकि कोई भी default कर सकता है, government बहुत rarely default करेगी किसी भी country. अब आते हैं market risk और price risk की तरफ. अब market risk क्या होता है? जब भी market में कोई uncertainty आती है because of anything, उसको हम market risk बोलते हैं. जैसे आपको याद होगा, COVID आया था 2020 के March महीने में, right? उस time पे पूरे world की market में suffer किया था, right? जैसे अपना निफ्टी, अपने इंडिया का जो निफ्टी था, वो 12,000 something पे चल रहा था, और अचानक से वो 7,500 रुपे पे आ गया था, correct? और very deep fall, बहुत बड़ा fall हुआ था, और बहुत लोगों ने प तो मार्केट रिस्क इसको बोलते हैं और मार्केट रिस्क को प्राइस रिस्क भी बोला जाता है ठीक है तो अब तीन टाइप के मार्केट रिस्क होते हैं उसको मैं आपको एक करके समझाता हूं फर्स्ट इज मार्केट वाइड रिस्क मार्केट फॉल इन मार्च जो हुआ था अब आता है सेकेंड होता है कंपनी स्पेसिफिक रिस्क मतलब अभी समझो फॉर एक्सांपल महिंद्रा अब अचानक वह अभी भी normal cars बना रही है, लेकिन अब ही vehicles आपने सुना होगा, इलेक्ट्रोनिक vehicles का काफी demand हो रहा है, ऐसा दिख रहा है future की electronic vehicles का ही है, तो कुछ technical changes आ रहे है, कुछ नया आ रहा है, नया innovation हो रहा है, लेकिन Mahindra Company उसको innovate नहीं करना चाहती है, तो क्या हो रहा है, यहाँ पर उनके sales के जो number है, कि इसलिए कहा जाता है ना कि हमेशा टाइम के साथ चलो टाइम को अगर आप छोड़ों के तो आप कभी भी वर्वाद हो सकते हो बड़ी से बड़ी कंपनी वर्वाद हो जाती जैसे नोकिया को भी आपने जाना होगा नोकिया की अगर पेस्टर या जानते हैं तो एंड्रोइड में वह शिफ्ट नहीं हुए थे टाइम पर है और वह मार्केट से डिस्रप्ट हो गया थे ठीक है थर्ड इज इंडस्ट्री अबी कोई भी इंडस्ट्री में गवर्नमेंट पॉलिसी की वजह से या कोई भी रीजन की वजह से अगर चेंजिस आते हैं तो पूरा का पूरा इंडस्ट्री या पूरा का पूरा सेक्टर है ना डाउनफॉल देख सकता है और जिसमें अगर आपने इंवेस्ट्मेंट करके बैन कर दिया कि बहुत ज्यादा पॉल्यूशन हो रहा था जो केमिकल्स बनती है ना कोई प्रोडक्ट्स के लिए या किसी भी जीसे के लिए वह सेक्टर को मतलब बैन कर दिया कि आप कंपनीज केमिकल्स नहीं बना सकती है आप बहुत पॉल्यूशन हो रहा है वगैरह वगैर वो डाउनफोल देखी है, बहुत हेवी डाउनफोल देखी है, जिसके वज़े से इन्वेस्टर्स ने जो पैसा लगा होगा, उनको नुकसान हो गया, दूटू गवर्नमेंट पॉलिसी चेंजेस, तो हमें हमेशा ध्यान रखना है, इंट्रेस्ट रेट रिस्क, नाम से ही पता चल रहा है कि इकोनॉमी में अगर कोई भी इंट्रेस्ट रेट में चेंजेस आता है वायार बियाई, तो वो डारेक्टली इंपैक्ट करेगा बॉंड्स को और डेट सिक्योरिटीस को, ठीक है? अब ऐसा क्यों है? क्योंकि इंट्रेस्ट रेट और बॉंड का जो प्राइसिस होता है, उसमें नेगेटिव या इंवर्स रिलेशन होता है, इसका मतलब जब मार्केट में इंट्रेस्ट रे नॉर्मल बॉंड की बात नहीं कर रहा हूँ, जो सेक्योरिटी, सेकेंटरी मार्केट में जो ट्रेड होते हैं ना उन बॉंड की बात कर रहा हूँ, ठीक है, अब चलिए इसको एक एग्जाम्पल के साथ समझते हैं, तो सेंटरल गॉर्मेंट ने एक बॉंड इशू किया है, ह इशू किया जाएगा समझ ये अचानक से आपको पैसे की ज़रूरत पड़ गई और आप सोच रहे हैं कि सेकेंडरी मार्केट में आप अपने बॉंड को बेचना चाते हैं अब जब आप बेचने जाएंगे तो आपका बॉंड हमेचा लेस अट्रैक्टिव रहेगा क्योंकि इंट्रेस्ट रेट रिस्क बोला जाता है अब मेचॉरिटी फैक्टर के बारे में भी जान लेते हैं बॉंड्स विद लॉंग तम मेचॉरिटी विल हैव हाइर इंपैक्ट एस कमपेड टू बॉंड्स विच शॉट तम मेचॉरिटी क्योंकि समझ ये आपने जो अगर समझो आपने 16 दिन वाला बॉंड लिया होता तो इंट्रेस्ट ट्रेट अगर उसके आसपास इंक्रीज डिक्रीज भी होता जो बॉंड्स होते हैं ना एक साल तीन साल पांच साल और दस साल उस पर आपको बहुत ही इंपैक्ट हो सकता है notes पढ़ लीजिये एकदम, what important है, interest rate risk also depends on bond maturity, एक ये line बहुत important है, और जो मैंने आपको relation बताया, ये दोनों भी line आप ध्यान में रखेगा, maybe exam में आपको आ सके, क्या है, interest rate and bond prices have negative on inverse relationship, inverse का मतलब क्या होता है, interest rate उपर जाएगा तो bond के prices नीचे आएंगे, और vice versa, अगर interest rate नीचे तो हमने अब तक तो सारे risks देख लिये हैं, but एक जो inflation risk मैंने आपको starting में पढ़ाया था, उसका एक formula है जो बहुत important है, अगर आपको calculation का कोई भी question आ गया है MCQ में आपके exam में, तो यह आपको help करेगा, ठीक है, तो let's take an example, okay, अभी same example को लेके चलते हैं, चलते हैं पर formula, अगर वही चीज आप 5 साल बाद कितने रुपे में खरीट पाएंगे, यह हमें पटा लगाना है, ठीक है, 5 साल बाद हमें कितने रुपे में वो चीज मिलेगी, तो formula क्या है, a is equal to p, bracket open 1 plus r, bracket close raise to n, a यहाँ पर amount के लिए होगा, p is present value, मतलब आप कितना रुपे अभी में खरीट पा रिप्लेस करेंगे तो अगर आप नीचे देखें तो 10,000 present value में हमने लगा दिया है bracket उपन करके 1 plus 8% है रही इसी वज़े से 0.0a bracket close और raise to n n वहाँ पर 5 years है इसलिए हमने 5 लगाया अगर आपको 20 साल बाद का या 10 साल बाद का निकालना होता तो n की जगह आप 5 के जगह 10 या 20 रख सकते हैं तो अगर हम यहाँ पर अभी 5 साल का निकाल के चेक करें तो आ रहा है 14,693 अप्रॉक्स, मतलब आपने जो चीज आज 10,000 रुपे में खरीदा है, उसी चीज को आपको 5 साल बाद 14,693 रुपे में खरीदना पड़ेगा, मतलब 4,693 रुपी आपको जादा देना पड़ेगा, I hope यह आपको calculation समझ में आ गया हो, आप एक दुमार practice करिय आपके दिमाग में आ रहा हो कि इतने सारे risks हैं तो कौन invest करेगा? देखिए, risks हर चीज में होती है, still हम वो risk लेते हैं, जिसके वज़ासे हमें कुछ ना कुछ फाइदा ही होता है, नुकसान, obviously, हर चीज में एक नुकसान और profit की बात होती है, बड़ा था हम उसको calculatedly risk को calculate करके चले, तो हमें profit हो सकता है, जैसे कि हम कोई job भी जब पकड़ते हैं, तो एक risk है कि हम कभी भी, वहाँ पर permanent तो हमारा है, but yes, हम एक confidence से जाते है कि we are good, we will do our work nicely and हम वहाँ पर survive करेंगे तो वैसे ही अगर आप proper calculations के साथ ये सारी risks जानते हुए invest करोगे amount और time period दोगे तो obviously आपको अच्छा-खासा profit होगा आप अच्छे returns generate कर पाओगे और इससे अपनी financial goals को आप meet कर पाओगे अब जब हम risk समझी गए हैं तो उसको measure कर लेते हैं कैसे करना है और कुछ उसके risk management strategies को भी जान लेते हैं तो तीन ऐसे techniques हैं जिससे हम risk को measure और उसको manage किया जा सकता है पहला है avoid, avoid का मतलब क्या है हम ऐसे जगहों पे invest करना avoid कर सकते हैं जिसके बारे में हमें proper knowledge नहीं है ऐसा जरूरी नहीं है कि कोई investment बहुत ज़्यादा returns दे रहा है तो उसमें हम invest करते हैं जैसे कि अभी आपने hype देखा होगा एक दो साल से कि cryptocurrency का कुछ ज़्यादा ही hype है लोग unnecessary without any knowledge invest किये जा रहे थे बट अभी cryptocurrency का जो हाल हो इसमें काफी लोगों के पैसे अटक गए होंगे, या loss भी खा चुके होंगे आपको, right? कुछ cryptocurrencies बंद हो गए, इसी वज़े से जिस चीज के बारे में आपको knowledge ना हो, उसमें कभी भी invest नहीं करना चाहिए, दूसरा है, take a position to benefit from some event or development, एक bond investor है, जैसे हमने आपको bond के बारे में पिछले ही slide में बताया था, right? एक बॉंड इन्वेस्टर है और वो सोच रहा है कि ना इकोनॉमी में जो इंट्रेस्ट रेट है ना वो नीचे जाने वाले हैं तो मैंने आपको कहा था है यादे इंट्रेस्ट रेट का इंवर्स रिलेशनशिप है बॉंड के साथ तो अगर इंट्रेस्ट रेट नीचे जा रहा है तो बॉंड क्या जाएगा उपर जाएगा रही तो अगर इं� जिसे होगा क्या, अगर interest rate आगे जाके नीचे चला जाता है, तो bonds की value है, जो है, बहुत तेजी से उपर चली जाएगी, और पाफ़ी अच्छा returns generate होगा, right, लेकिन, अगर ये judgment गलत हुई, और interest rate नहीं गया economy का तो काफी नुकसान भी हो सकता है तो यह एक example हो गया interest rate को manage करने का ठीक है फ़रड आता है diversification diversification is very important बहुत अच्छी चीज़ होती है diversification जैसे कि Warren Buffett को आप सब लोग जानते ही होंगे अगर नहीं जानते तो पेबर गुगल कर सकते हैं उन्होंने कहा था never keep all the eggs in the same basket, मतलब सारे अंडों को एक जगे पे नहीं रखना चाहिए, जैसे क्या हो सकता है, वो फूट सकता है, सबको destroy कर सकता है, इसी वज़े से अगर हर अंडे को अलग-अलग जगे रखा जाए, तो फूटने के चांसेज बहुत कम होते हैं, right, तो ऐसे ही हमें अलग-अलग investment avenues में invest करके रखना चाहिए, ताकि अगर कोई एक sector किसी और चीज के बच्चे से problem में भी है, तो दूसरी चीज को नुकसान नहो, जैसे कि हमने अगर debt securities या bonds में invest करके रखा हुआ है, हमने equity में भी invest करके रखा हुआ है हमने gold में भी invest करके रखा हुआ है तो अगर interest rate नीचे भी चला जाता है bonds market अफेक्ट भी हो जाती है तो equity market और gold को जादा impact नहीं होगा इससे क्या होगा हमें बहुत जादा नुकसान नहीं होगा कुछ और risks भी हैं हमने अभी risk measure और management strategies तो देखी लेकिन कुछ risks ऐसे भी होते हैं, जो market की वज़े से, government policy changes होने की वज़े से नहीं होती है, हमारे investor का जो behavior होता है, उसके उपर भी depend करता है, जिसके बारे में हम आगे पढ़ने वाले हैं, तो ध्यान से देखेगा, जो अभी मैं पढ़ाने वाला हूँ, behavioral investing के बारे में, जो risks involved है convince कर पाएंगे, उनको समझा पाएंगे और उनसे invest करवा पाएंगे, अच्छे decisions बनवा सकेंगे उनसे. कुछ ऐसे भी risk हैं, जो investment करने से related नहीं, बलकि investor के emotional behavior से related हैं. खुद के investments को लेकर और इन risk को समझना भी बहुत जरूरी है, इन्हे behavioral biases कहा जाता है, आए इन risk को समझते हैं. कुछ important biases जिनके बारे में हम बात करने वाले हैं वो है availability heuristic. confirmation bias, familiarity bias, herd mentality, loss aversion, overconfidence, recency bias सबसे पहले आता है availability heuristic availability heuristic which is also known as availability bias ये देखा गया है कि बहुत से लोग अपने past experiences पर rely करते हैं जो उन्हें immediately mind में आता है किसी भी data या information को analyze या process करते वक्त Investment की दुनिया में इसका मतलब है कि अच्छी research की गई नहीं की गई है by evaluating investment options. इसके वज़ासे हम कुछ important information विसाउट कर देते हैं जो की risk को बढ़ा देते हैं. आगे बढ़ते हैं confirmation bias की तरब. Confirmation bias में investors को कुछ additional data या information ढूंढ रहे हैं उनके beliefs या views को support करने के लिए. दूसरे शब्दों में बोले तो पहले से decide कर लेते हैं खुद से. और फिर उसके लिए डेटा ढूंढते हैं जो कि उनके views को support कर पाएं इसमें investment risk बढ़ जाता है familiarity bias जैसे कि नाम से ही समझ आ रहा है इसमें investors familiar investments पर ही ध्यान देते हैं जो कि उन्हें better opportunities देखने से दूर कर देते हैं herd mentality आसान शब्दों में इसका मतलब है कि अकसर financial market में investors एक group का part होकर या फिर उस भीड के साथ ही चलने लगते हैं जबकि ऐसे बहुत से एग्जामपल्स हैं जहाँ पर सबके अपोजिट जाकर भी इंवेस्टर्स ने प्रॉफिट बनाया है लॉस एवर्जन लॉस एवर्जन कहता है कि लोगों में देखा गया है कि वो लॉस को अवोइड करना पसंद करते हैं यानि कि उनके अकोर्डिंग इस तरह के बिहेवियर कुछ अच्छी opportunities मिस्करवा देते हैं investors का over confidence ये तो एक बहुती common bias है जो कहता है कि investors को खुद के judgment और decision making पर over confidence हो जाता है इससे उन्हें ये लगने लगता है कि वो दूसरों से अच्छे हैं जबकि reality कुछ और होती है इससे risks बढ़ सकते हैं जहांपर investors ने बिना अच्छे से investment को समझे invest किया हो लास्ट वन है रिसेंसी बायस, रिसेंसी बायस मतलब हाली में हुए market events का impact investment, investors के investment making decisions पर काफी impact करता है और ये positive और negative दोनों ही scenario में applicable होता है investors current conditions पर वही experience के साथ जोडने लगते हैं और expect करते हैं कि फिर से वही होगा for example, bull market में investors risky assets में recommended से भी ज़्यादा portion invest करने लगते हैं ज़्यादा returns बनाने के लिए तो इन सब से एक चीज तो clear है, investment में risk तो रहेंगे, फिर चाहे वो investment से related हो या emotional decision making से related हो, तो किसी तरह से investor के लिए risk को कम किया जाए और investment कैसे plan किया जाए ये possible है, risk profiling के थूँ, आए समझते हैं अगले slide में risk profiling क्या होता है, Risk Profiling में simply investors के risk appetite को identify किया जाता है so that उन्हें ऐसी mutual fund schemes ना recommend की जाए जो उनके लिए risk appetite से ज्यादा हो सकती है Risk appetite को जानने के लिए तीन choose का evaluate करना काफी ज़रूरी है The need to take risks, the ability to take risks, the willingness to take risks इसमें need to take risk में आता है कि मान लीजिये कि investors को high returns चाहिए होते हैं अपने goals को time पर achieve कर पाने के लिए ability to take risk का मतलब होता है कि investors की risk लेने की ability उसकी financial ability या position और investment horizon यानि time period के base पर है वही willingness risk handle करने की psychological capacity पर बात करता है एक advisor को इन ही सब factors को समझना है और balance create करना है और उसी हिसाब से portfolio create करना चाहिए तो इस वेरी सिंपल कि रिस्क प्रोफाइलिंग बहुत ही इंपोर्टेंट चीज है इसलिए सेवी जो है उन्होंने कंपल्सरी कर रहा है मूच्वल फ़ंड को और मूच्वल फ़ंड कंपनी को कि कोई भी जब वो मूच्वल फ़ंड लाउंच करें या कोई भी मूच्वल फ� अपना investment decisions कर पाएं अब जब हमने risk profiling को समझ लिया है तो अब ये समझते हैं कि पैसा कैसे allocate करना है across different assets and asset classes जिससे कि diversification भी मिल जाए investor को और investor अपनी goals को भी achieve कर पाएं आईए समझते हैं asset allocation के बारे में asset allocation का मतलब है कि investor के पैसे कई तरह के assets में allocate करना जैसे की equity, debt, real estate, gold, etc. किसी objective को achieve करने के लिए. However, mostly cases में ऐसा हो सकता है कि पैसा तो allocate होता है different asset classes में but बिना किसी purpose या objective के. तो बात करें अगर asset allocation की तो इसमें different asset categories में पैसा invest किया जाता है. एक defined या specific objective को achieve करने के लिए. सबसे main idea asset allocation के पीछे किसी objective को achieve करने का ही है और इसमें एक process follow किया जाता है जिसके steps को ignore नहीं किया जा सकता है. तो जो भी approach asset allocation के लिए choose की जाती है उसमें investor को सारे steps follow करने होते हैं. आए समझते हैं उन approaches को. दो सबसे popular asset allocation के approaches हैं. पहला है strategic asset allocation and दूसरा है tactical asset allocation. जैसे कि आप screen पर भी देख पा रहे होंगे. Strategic asset allocation में allocation को investor के financial goal के हिसाब से रखा जाता है. इसमें expected returns को consider किया जाता है, जो कि investors को उनकी goal achieve करने में help कर सकते हैं. देर investment horizon और risk profile को मद्दे नज़र रखते हुए. allocation को percentage terms में हर asset के हिसाब से रखा जाता है after analyzing the needs and risk appetite of the investor उस percentage target को ही strategic asset allocation कहा जाता है tactical asset allocation strategic asset allocation से काफी अलग चलते हुए dynamically asset allocation change करने का plan करता है approach का main benefit होता है कि market में different opportunities और events का फाइदा उठा पाए और अच्छे risk adjusted returns बना पाए दूसरे शब्दों में इसका मतलब है कि portfolio के risk को कम करे बिना returns returns को compromise किये, दूसरे शब्दों में इसका मतलब है कि portfolio के risk को कम करना बिना returns को compromise किये, या फिर portfolio के returns को बढ़ाना बिना risk को बढ़ाये, इसलिए इसे dynamic asset allocation भी बोला जाता है, ध्यान रखेगा इसे dynamic asset allocation भी बोला जाता है, टैक्टिकल असेट अलोकेशन टिपिकली मंधेव इन्वेस्टर्स के लिए सही रहता है, जो की बड़ी अमाउंट से इन्वेस्ट करते हैं, मीन्स बहुत ही इंटेलिजेंट या जो बोलते हैं, इंवेस्टर्स के लिए होता है, इंवेस्टर्स इन दोनों में से कोई भी अपरोज चूज कर सकते हैं, पर ये भी हो सकता है कि असेट अलोकेशन में कुछ मॉडिफिकेशन करना पड़े, आईए री बैलेंसिंग को एक एक्जांपल से समझते हैं, समझ ये, एक investor है जिन्होंने decide कर लिया है कि उनको 50% equity में allocate करना है और 50% debt में allocate करना है ठीक है तो उन्होंने allocation शुरू कर दी एक साल के बाद जब उन्होंने अपना portfolio check किया तो उन्होंने देखा कि equity का allocation उन्होंने किया था वो 20% से बढ़ गया है और debt का जो उन्होंने allocation किया था वो 5% से अगर देखा जाये तो asset allocation अब अपने target से move हो चुका है, right? जैसे कि 1000 रुपे equity में invest किया गया था, 1000 रुपे debt में invest किया गया था. तो जैसे equity 20% से बढ़ा, तो अब equity में 1200 रुपे हो चुके हैं, और debt में 5% से नीचे जाने की वज़ज़ से 9500 रुपे हो गया है, जो कि clearly बता रहा है कि portfolio अब 2000 से 2150 रुपे हो चुका है, correct? अब equity और debt को अगर हमे percentage terms में check करूँ, तो अब equity 55.81% हो चुका है, और debt 44.999999% हो चुका है, जो की 50-50% से गमी भटक चुका है, तो अब हमें उनको दोनों को 50-50% लाने के लिए, हमें equity से कुछ हिसा बेचना होगा, और debt में जाके खरीदना होगा, तब जाके उन 50-50% exact जो हमने टाक्टे बनाया था वो होगा, इसे ही कहा जाता है rebalancing, Rebalancing दोनों भी cases में ज़रूरत पड़ सकती है, strategic हो या tactical asset allocation हो. I hope आपको rebalancing समझ में आ गया है और आप ऐसे ही अपनी portfolio या अपने clients के portfolio के as a financial advisor उनको advise कर सकते हैं क्योंकि rebalancing asset allocation दोनों भी बहुत important होता है किसी भी investor के लिए. इसी के साथ अमारा जो first chapter है investment landscape यहाँ पर खतम होता है. आपको चैप्टर वन समझ में आया होगा लेकिन अभी भी वीडियो खत्म नहीं हुआ है आगे हमने कुछ MCQ questions रखे हैं वे 10 questions उसको भी आप देखते वे जाएगे क्योंकि at the end एक्जाम में सिर्फ पढ़ने से कुछ नहीं होगा आपको एक्जाम में MCQs solve करने हैं तो प्लीज उसको भी देखिएगा और मैं कोशिश करूँगा कि हर चैप्टर के बाद MCQs रखूँ और एड डे एंड मैं कोचिज करूँगा कि आपके लिए सारे कम्बाइंड बारा चैप्टर्स के सो एमसी क्यूज रखूँ एक वीडियो में ताकि आप उसको सॉल्व करके ट्राइ कर सकते हैं कि आपको कितना आ रहा है। अगर आपने बारा चैप्टर्स प्रॉपरली कर लिये विद ऑल देम्सी क्यूज आएं अशुरिंग यू देट आप डेफिनेटली पास होंगे क्योंकि मैंने खुद जब यह इजान के लिए प्रेपेरेशन किया था तो मैंने 24 आर्स के अंदर प्रेपे ठीक है तो बिल्कुल चिंता करने की जरूरत नहीं है पस्ताब पर ध्यान दीजिए छोटे-छोटे नोड्स बनाइए जो आपको याद करने की जरूरत है जहाँ भी मैं इंपोर्टेंट बोलता हूँ वो जीज को तो जादा-जादा नोड्स बनाइए इंपोर्टेंट बोले लाइक नहीं किया है तो प्लीज लाइक कर दीजेगा कॉमेंट में अगर आप कुछ बताना चाते हैं या कुछ चेंजेज चाते हैं वो प्लीज आप या कुछ एड़ ओन कराना चाते हैं आप कमेंट कर दीजेगा और सब्सक्राइब जरूर कर दीजेगा क्योंकि आपको ये बारा चैप्टर देखना बहुत जरूरी है अगर आपको पीडियेफ नहीं पढ़ना है तो चलिए शुरू करते हैं पर्स प्रेशन है विच वन ऑफ इस नॉट फैक्टर विवेलवेट इंडिस्टमेंट ऑप्शन इस सिए सेफटी बी लिक्विडिटी सी रिटर्न एंड डीज रिचेबिलिटी Answer है D. Richability. Second question है, which one of these is not an asset class? Option A. Commodities. Option B. Mutual Fund. Option C. Stock slash Equity. Option D. Real Estate. Answer है Option B. Mutual Fund. Third question है, choose the correct types of asset allocation. Option A. Credit, inflation and price. B. Diversification, Rebalancing and Strategic C. Strategic, Tactical and Dynamic D. Juristic, Confirmation and Familiarity Answer है C. Strategic, Tactical and Dynamic हमें जस्ट पड़ा था Question 4 Select the one that is not a type of investment risk Option A. Cyber Risk Option B. Inflation Risk Option C. Market Risk and Option D. Credit Risk ये काफी easy है आप try कर सकते हैं आंसर है option A cyber risk Question 5th Which one of the following statement perfectly defines loss aversion? Option A the ability to take high risk for profitability Option B a bear market resulting to investor's loss Option C one's tendency to prefer avoiding losses Option D one who invests only in equity market Answer है C. One's tendency to prefer avoiding losses. Sixth question है What is real rate of return? Option A. Return that the investor gets after payment of all expenses. Option B. Return that the investor gets after taxes. Option C. Return that the investor gets after adjusting the risks. Option D. Return that the investor gets after adjusting inflation. Answer is option D return that the investor gets after adjusting inflation इसलिए real rate of return खा जाता है seventh the purchasing power of currency changes on account of which of the following option A asset allocation option B compound interest option C inflation option D diversification answer is option C inflation अगर आप अपने अप नाइन्थ question है, in order to ascertain risk appetite, the following must be evaluated, the need to take risk, option B, the ability to take risk, option C, the willingness to take risk, option D, all of the above, it was a very easy answer, option D is the answer, all of the above, क्योंकि तीनों भी investors को evaluate करना चाहिए, टेन्थ question, what is diversification? Option A, to diversify the investment amount in the periodic manner. Option B, investing across various asset classes to spread the risk of loss. Option C, investing in sector fund generates a way to diversification. Option D, it is an investment style to reduce inflation risk. Answer is, Option B, investing across various asset classes to spread the risk of loss. थेंक यू सो मच फॉर वाचिंग गाइस आई होप आपने अच्छे मार्क स्कोर किये हों MCQs में और आगे भी ऐसे ही वीडियोस आते रहेंगे ग्यारा चैप्टर्स और बचे हैं उसको हम प्रॉपरली MCQs के साथ अंडरस्टैंड करेंगे एंड अगर आपको वीडियो पसं�