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Growth of Nationalism in India

हेलो और जय हिंद स्टूडेंट वेलकम बैक दिस इस न्यू चैनल स्टार आर्ट हां यह चैनल है ह्यूमैनिटीज स्टूडेंट के लिए आईएससी बोर्ड के लिए आपने कहा और हमने बनाया और आज बड़ी है पहले ही चैप्टर की हिस्ट्री की ग्रोथ ऑफ नेशनलिज्म जब हम बात करते हैं ग्रोथ ऑफ नेशनलिज्म तो आपको आईसीसी का एक चैप्टर याद ए जाता है जो इसी नाम से है ग्रोथ ऑफ नेशनलिज्म तो चलिए उससे बहुत अलग है ये चैप्टर और बहुत डिटेल में है ये चैप्टर इस चैप्टर को हम दो पार्ट्स में करने जा रहे हैं पहले पार्ट में जब तक एंटी पार्टीशन मूवमेंट चलेगा उसे तक करेंगे और सेकंड पार्ट में रिवॉल्यूशनरी मूवमेंट करेंगे तो चलिए स्टार्ट करते हैं ग्रोथ ऑफ नेशनलिज्म और अगर आपसे रिक्वेस्ट करूंगा आप है मेरे नए रॉकस्टार्स रॉकस्टार्स ऑफ ह्यूमैनिटी तो एक रिक्वेस्ट है यह नया चैनल है और बिना आपके सपोर्ट के आपके प्यार के यह चैनल आगे नहीं बाढ़ सकता है और मुझे भी आपसे देर सर लाइक प्यार और कमेंट्स चाहिए याद रखिएगा और लेसंस बनाने की एनर्जी तभी आएगी जब आपका प्यार आपका लाइक्स मिलता रहेगा तो चलिए स्टार्ट करते हैं इसी पार्ट्स से तो जब हम ग्रोथ ऑफ नेशनलिज्म की बात करते हैं तो भारत जब गुलाम था तो ऐसा नहीं है की कोई एक देश था उसे समय बल्कि छोटे-छोटे हसन में बंता हुआ था हां तब जो आज हम भारत का मैप देख रहे हैं इंडिया का मैप देख रहे हैं कुछ इस तरीके से नहीं था बल्कि इससे बड़ा था और अलग-अलग हसन में बंता हुआ था मां लेते हैं राजस्थान में राजपूत रूल कर रहे थे तो हैदराबाद में निजाम रूल कर रहे थे कश्मीर में राजा गुलाब सिंह रूल कर रहे थे तो अलग अलग हसन में अलग-अलग हसन में अलग-अलग राजा रोल कर रहे थे और छोटे से छोटा मतलब राज्य जो था वो अपने आप को ही एक कंट्री मानता था देश प्रेम पूरे भारत जो मेरा है ऐसा प्रेम तब नहीं था अंग्रेज आए भारत को उन्होंने पूरा कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जीत लिया और एक सिंगल एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट में कन्वर्ट कर दिया अर्थात पूरे देश को एक साथ एक सूत्र में उन्होंने कंट्रोल कर लिया और क्योंकि अब भारत के अनेक हसन में हां कम्युनिकेशन नेटवर्क्स बाढ़ चुके थे अन्ना जाना रेलवे नेटवर्क टेलीग्राफ सिस्टम ये सब ए चुका था तो हम इंटरकनेक्टेड हो गए थे हम जान का रहे थे की वो अंग्रेज जो हमारे राज्य का दुश्मन है वो दूसरे भी राज्यों में हमारे जैसे ही भारतवासियों को दंड दे रहा है सजा दे रहा है और जिसकी वजह से पूरे देश में उनके लिए नफरत और आपस में एक प्रेम की भावना जागी और दिस वैसे डी रिजल्ट ऑफ नेशनलिज्म तो एक दिन में नहीं आया अंग्रेज लगभग 200 साल भारत में राज्य किया तो वो 200 सालों में उनके प्रति धीरे-धीरे उनके अत्याचार को सते सते कभी वो कश्मीर तयाचार करते तो कभी असम में करते कभी अप में करते तो अलग अलग जहां-जहां अंग्रेज नियम कानून अपने बना रहे थे लोगों पे प्रताड़ित कर रहे थे मार रहे थे जय में ले जा रहे थे इससे देश के लोगों के अंदर उनके पति खून खोल रहा था और उन्हें उसका दुश्मन सिर्फ एक दिखाई दे रहा था और वो था अंग्रेज तो इससे देश प्रेम बढ़ता चला गया तो चलिए समझते हैं इस पाठ में की 1905 और उससे पहले का दूर हां जब हम अंग्रेजन के अंदर में गुलाम थे मैं बहुत डिटेल में इस चैप्टर को बता रहा हूं थोड़ा सा ध्यान दीजिएगा और ये सारे नोट्स के लिए आपको टेंशन लेने की जरूर नहीं होगी यह जो नोट्स आप स्क्रीन पर देख रहे हैं यह सब नोट्स आपके पास अवेलेबल हो जाएंगे हमारे ही चैनल हां हमने एक टेलीग्राम चैनल आप लोग के लिए बना रखा है उसे पे आएं और जॉइन कर जैन टेलीग्राम चैनल होगा रॉकस्टार आर्ट जी आपके लिए रॉकस्टार्स के लिए जो क्लास 11th इम्यूनिटी के स्टूडेंट हैं उनके लिए चैनल होगा जहां पर ये सारे नोट्स अवेलेबल होंगे और आप हमारे अप सर तरुण रुपाणी से भी हां हमारा एक अप है गूगल प्ले स्टोर में जैन और वहां से आप हमारे अप को डाउनलोड कर ले और इसलिए एक्सेस कर सकते हैं सारे नोट्स को चलिए बात करते हैं पार्टीशन ऑफ बंगाल के पीरियड के टाइम की तो हमारे साथ में भी रिलायंस आया रिलायंस रिवर्ट शब्द से बनाया जहां यूरोप में लोगों ने क्वेश्चन करना शुरू कर दिया था लोगों ने जानना शुरू कर दिया था चर्च के अथॉरिटी को वो क्वेश्चन कर रहे थे लोग किसी भी चीज को एक्सेप्ट नहीं कर रहे थे लॉजिकल रीजनिंग साइंटिफिक थॉट्स पर लोगों का क्वेश्चन हो रहा था हां सूरज इससे क्यों निकलता है हम इसकी पूजा क्यों करते हैं हम वैसा क्यों करते हैं लोगों ने ऐसा क्वेश्चन करना शुरू कर दिया था वो स्टेज था रेनेस भारत में भी यह स्टेज आया और इस स्टेज से आने पे लोगों के मन लोगों के विचारों में एक नई बदलाव एक नई सोच डेवलप हुई और जब भारत में रिलायंस आया तो रेनेस के फादर जी हां रिलायंस के फादर है राजा राम मोहन राय आर आर करिश्मा कर रहा था जो आज भी कर रहे हैं तो इन्होंने क्या किया राजा राम मोहन राय ने क्या किया राजा राम मोहन वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत में कानूनी तरीके से कानूनी तरीके से अंग्रेजन से लड़ाई करना शुरू कर दी थी उन्होंने अपने टाइम के गवर्नर जनरल एडम्स जिन्होंने प्रेस ऑर्डिनेंस नाम का एक कानून बनाया था हां प्रेस को कंट्रोल करने के लिए हां उसे समय जो लोकल न्यूज़ पेपर छाप रहे थे उनको कंट्रोल करने के लिए ये कानून बनाया गया था प्रेस ऑर्डिनेंस और राजा राम मोहन राय ने इसका विरोध करने के लिए ना सिर्फ उसे जमाने में सुप्रीम कोर्ट बल्कि किंग काउंसिल जो की अंग्रेजन का किंग काउंसिल था लंदन में वहां भी उसे ऑर्डिनेंस के खिलाफ शिकायत दर्ज की ये अलग बात है ये अलग बात है की ये दोनों ही शिकायतें उनकी अटेंप्ट में पास नहीं हो पी अर्थात यह कानून बैंड नहीं हुआ पर राजा राममोहन राय ने हमें बता दिया की कुछ कानूनी हक हम भारतीयों के पास भी है और उसे कानून की लड़ाई से हम अंग्रेजन का विरोध कर सकते हैं इसीलिए मैंने कहा था ना इस सोच के जनक हैं राजा राम मोहन राय और राजा राममोहन राय यहां नहीं रुक जब उनका आया प्रयास सफल नहीं हुआ अंग्रेजन ने उनकी बात नहीं सनी उन्होंने ते कर लिया की मैं जो न्यूज़पेपर लिख रहा हूं उसको तुरंत बैंड कर दूंगा और उन्होंने जो उसे समय उनका विराट अल अकबर हां ये उनका एक जनरल था वीकली जर्नल था जो पब्लिश करते थे इससे उन्होंने लिखना हां छापना बैंड कर दिया विरोध करने के लिए बस क्योंकि प्रेस ऑर्डिनेंस का वो विरोध कर रहे थे तो इस तरीके से हमारे भारत में एक नई परंपरा शुरू हुई अंग्रेजन का विरोध करने की अंग्रेजन से तख्त मुकाबला करने की बस कानूनी तरीके से कांस्टीट्यूशनल तरीके से इन्होंने उसे समय जो जनी एक्ट बनाया उसका भी विरोध किया क्योंकि इस एक्ट में धर्म की आधार पर हां धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा था तो जहां गलत है उसका विरोध करो या सिखाया राजा राम मोहन राय जी ने ऐसा नहीं कहा की गलत क्या साथ दे दो नहीं गलत है तो गलत है आपको ध्यान होगा राजा राममोहन राय ही वह व्यक्ति थे जिनके इन्फ्लुएंस में आकर के विलियम बेंटिक ने सती प्रथम को बैंड कर दिया था जी भारत में भी अगर कुछ कमी है हमारे ही कलर में सिस्टम में कुछ कमी है तो इसका भी उसे गलत प्रथम का भी इन्होंने विरोध किया ऐसे ही नहीं है फादर ऑफ पता ही होगा विलियम बेंटिक ने इनके इन्फ्लुएंस में आकर सती प्रथम पर कानून बनाकर के इस पर रॉक लगा दी थी चलिए आगे बढ़ते हैं कुछ और सोसाइटी के बड़े में जानते हैं अर्ली सोसाइटीज जो समय बनाई गई हां ज्यादातर सोसाइटीज फेल हो गई और इनके फेल होने का करण भी आपको बताने जा रहे हैं जैसे एक सोसाइटी बनी लैंड होल्डर सोसाइटी ऑफ बंगाल यह सारे जितने भी लैंडलॉर्ड थे इसे इस सोसाइटी को बनाया था द्वारकानाथ टैगोर जी ने अब क्योंकि सारे लैंड होल्डर थे इसमें अर्थात जिनके पास बड़े-बड़े जमीन थे जमींदार लोग थे इसके मेंबर्स तो यह सोसाइटी भी ज्यादा चल नहीं पी है ना क्योंकि इनकी पर्टिकुलर इंटरेस्ट के लिए बनाई गई इनके फायदे के लिए इनको देश से आजादी से कोई ना देना नहीं है और अंग्रेज का विरोध कर रहे हैं सिर्फ अपने फायदे के लिए ऐसी और भी सोसाइटी से बनी जैसे लंबे संगठन बनी मद्रास नेटिव संगठन बनी इन सब पॉलीटिकल संगठन का कोई बहुत फायदा नहीं हुआ क्योंकि इससे आम जनता को कुछ फायदा ही नहीं हो रहा था ये किसी पर्टिकुलर ग्रुप के लिए द्वारा बनाई गई संस्थाएं थी और इनका फायदा इनका फायदा सिर्फ अमीरों को या वो लोग के मेंबर से उनको मिलने वाला था देश के लिए नहीं नहीं आजादी के लिए नहीं नहीं इन दोनों केमोन के लिए ये पार्टी नहीं बनाएंगे तो इसीलिए ये फ्लॉप हो गई हां बैंड हो गई बाद में आया 1875 में इंडियन ली अब यह परपज था जहां से नेशनलिज्म जन्म लेने वाली है यहां से देश प्रेम लोगों के अंदर भरने वाला है और पर ये अलग बात है की ये भी बहुत लंबे समय तक नहीं चला 1880 में आई जब एक पॉलीटिकल पार्टी की गैदरिंग बलाई गई हां 1880 में स्टार्ट हो गया भारत में अलग-अलग राज्यों से पॉलीटिकल लीडर्स को बुलाने का सिस्टम और इसके सबसे बड़े लीडर थे सुरेंद्रनाथ बनर्जी जी हां सुरेंद्र नाथ बनर्जी को दिमाग में बैठा लीजिए क्योंकि ये पहले इंडियन थे जिन्होंने आईसीएस एग्जाम क्वालीफाई किया था जी हां इनको असम में पोस्टिंग भी मिल गई थी जब मजिस्ट्रेट पर वहां पर डिस्क्रिमिनेशन देखते हुए उन्होंने इस पद को कुछ ही समय में रिजाइन कर दिया उन्होंने समझ लिया की ब्रिटिश इंटरेस्ट और मेरा इंडियन इंटरेस्ट साथ नहीं चल सकता अर्थात मैं अंग्रेजन के गुलाम रहकर के भीम भाव वाला कम तो नहीं कर सकता उन्होंने वहां से क्या किया अपना पद्धति दिया इस बड़ी पोस्ट को मजिस्ट्रेट की पोस्ट को तैयार दिया और त्यागया नहीं साथ में अंग्रेजन के खिलाफ लड़ने के लिए अब उन्होंने तैयारी कर ली जी हां का सकते हैं की अगर इंडियन नेशनलिज्म का फ्लैग सबसे ऊंचा किसी ने उठाया तो वो सुरेंद्र नाथ बनर्जी थे आई कैसे उठाया मैं आपको बताने जा रहा हूं इन्होंने मीटिंग बलाई नाम रखा इंडियन नेशनल कॉन्फ्रेंस जहां पूरे भारत से हर क्लास के लोगों को एजुकेशनिस्ट टीचर्स यही वह कॉन्फ्रेंस है जो आगे जाकर कांग्रेस की नव बनेगी हां हमारे देश में जो सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी बनी उसका नाम था इंडियन नेशनल कांग्रेस उसका ये नव उसका ये स्टार्टिंग पॉइंट बनेगा क्योंकि यही कॉन्फ्रेंस 1885 में ये याद कर लीजिए 1885 में इंडियन नेशनल कांग्रेस बन जाएगी ये अलग बात है इसके फाउंडर थे आओ हम लन ऑक्टेवियस हम फाउंडर ऑफ इंडियन नेशनल कांग्रेस ये वो पार्टी है जो इस कॉन्फ्रेंस के बाद बनाई गई जिसमें आम पीपल को हां आम पीपल को और सारे एलिट क्लास के लोगों को छोड़ दिया गया वापस क्या था क्योंकि इंडिया के जो उसे समय दें बॉयज उनको लगा की एक ऐसी पार्टी हनी चाहिए एक ऐसी इंडियन पॉलीटिकल पार्टी हनी चाहिए जो उन्हें जानकारी दें है की भारत में क्या चल रहा है लोगों के मां में क्या चल रहा है पब्लिक ओपिनियन का जन के लिए ताकि कहानी पॉपुलर डिस्कंटेंट हो अगर देश में अंग्रेजन के खिलाफ कोई विरोध हो तो वो 1857 की तरफ भागवत ना हो जाए कोई बड़ी लड़ाई ना लाडली जाए इससे पहले ही अंग्रेज क्या करें इस पार्टी द्वारा इस कांग्रेस पार्टी द्वारा उसको शांत कर दे परपस तो यही था इसीलिए लॉर्ड डफरिन खुद सपोर्ट कर रहे थे हां लॉर्ड ऑफ रिंग जो उसे समय वॉइस रहे थे उन्हें के ही सपोर्ट से इस कांग्रेस पार्टी को बनाया गया था तो क्या कांग्रेस पार्टी के लोग शुरुआत में क्या अंग्रेजन के विरोध में थे जी नहीं 1885 में जब ये पार्टी बनी इसके पहले प्रेसिडेंट थे वर्क बनर्जी उमेश चंद्र बनर्जी इसकी पहले बैठक की गई बॉम्बे में और इसी बैठक में उन्होंने अपना एम्स डिक्लेअर कर दिया उसे समय कहानी नहीं बताया की हमें स्वराज चाहिए कहानी नहीं बताया की हम देश आजाद कराएंगे बल्कि तू गदर डी पब्लिक कंपनियां उनका ब्रिटिश कांग्रेस के खिलाफ इनवाइट करते थे अपने हाउस में कई बार उनको दिल्ली आने पर कहते थे कांग्रेस के डेलीगेट को डस्टिंग डिस्टिंग्विश्ड विजिटर तू डी कैपिटल देखा अर्थात हमारी राजधानी में आए हमारे विशेष अतिथि तुम बहुत स्वागत होता था कई बार तो उनके लिए टी पार्टी ऑर्गेनाइजर करते थे लॉर्ड डा फ्रेंड बहुत दिन तक चलेगा नहीं क्योंकि कांग्रेस भारत की पार्टी है भारत के लोगों का विचार रखना वाली पार्टी है तो धीरे-धीरे दोनों ने क्या होने लगेगा नाराजगी लॉर्ड डफरिन जी सोच से इसको बनाए थे जी सोच से इसको बनाने में मदद दिए थे उनकी सोच अब बदलने वाली है अब इनको वोट खाने लगेंगे और एवं कांग्रेस की मीटिंग्स को उन्होंने बन करना शुरू कर दिया हमारे यस हमारे इंडियन को जो कांग्रेस के मेंबर्स बने लगे उनको परेशान करना शुरू कर दिया ब्रिटिश पार्टी ब्रिटिश के लोग जो इस पार्टी में आते थे उनका जाना सबका बैंड हो गया तो धीरे-धीरे कांग्रेस और ब्रिटिश दोनों एक दूसरे से जुड़ा हो गया हां कांग्रेस अब धीरे-धीरे इंडियन की मांग करने लगी इंडियन के सपोर्ट में जो इंडियन चाहते थे वैसा वो धीरे-धीरे अंग्रेजन से मां करने लगे और अंग्रेज तो जानते ही हैं कुछ देना हमें चाहते ही नहीं थे तो झगड़ा तो होना ही होना है कांग्रेस लीडर्स जो शुरुआत के थे वो पहले ही दिन से एक्शन में नहीं ए गए की अंग्रेजन के खिलाफ नारेबाजी कर दो ना ना शुरुआत के जो कांग्रेस के लीडर थे उनको नाम दिया गया मॉडरेट्स अब उसमें चाय सुरेंद्रनाथ बनर्जी का नाम ले लीजिए अब चाहे उसमें दादा भाई नेहरू जी का नाम ले लीजिए गोपाल कृष्णा गोखले का नाम ले लीजिए फिर उसे मेहता का नाम ले लीजिए वर्क बेला जी का नाम ले लीजिए सब थे मॉडरेट्स मतलब बोल लीडर जो की प्रेयर ब्लीडिंग मेथड जो भी बात माननी है रिक्वेस्ट करो एप्लीकेशन दो लेटर डालो अंग्रेजों को और जो मानो अंग्रेज को परसूड करो हां की प्लीज हमारी ये मांगे हैं बस इतना करना है कोई मास मोमेंट नहीं करना है कोई बड़ा स्वदेशी या कोई बड़ा बाय गॉड या आंदोलन नहीं करना है ऐसा तरीका था मॉडरेट्स का तो मॉडरेट्स अपनी साड़ी मंगनी तरीके से कांस्टीट्यूशनल तरीके से पुरी करना चाहते हैं बट अब ए रहा है जहां कांग्रेस की होने जा रही है बड़ी टी आई देखते हैं इस व्यक्ति को यह व्यक्ति आपको हमेशा याद होना चाहिए अगर मैं कहूं अंग्रेजन में सबसे खराब अगर वो इजराइ भारत में कोई आया तो लोट कर्जन हां वैसे अच्छा ही हुआ यह दुष्ट गया भारत में क्योंकि इसमें हमारे भारतीयों में लड़ाई तो पैदा जरूर कर दी पर हमें एक कर दिया क्योंकि इनको हारने के लिए हम सब भारतवासी एकजुट भी हो गए हां क्योंकि अब सबका दुश्मन ये अंग्रेज लोट कर्जन है आई थोड़ा सा इनके बड़े में समझते हैं तो इंग्लैंड में भी बदलाव आया इंग्लैंड में जो गवर्नमेंट थी वो पहले हमें सपोर्ट करती थी वहां की जो गवर्नमेंट थी वो लिबरल गवर्नमेंट की उनके लीडर थे ग्लाइड स्टोन जब इंग्लैंड में चेंज आया लिबरल पार्टी चली गई और दूसरी पार्टी जब चुनाव जीत गई वहां के लीडर चेंज हो गए तो उनका हमारे इंडियन के प्रति भी इंटरेस्ट चेंज हो गया पहले वो हमें सपोर्ट कर रहे थे हमारी कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे थे अब नए लीडर्स ए गए और उन्होंने लौटकर्जन को हमारे देश का नया वॉइस राय बनाया और लोट कर्जन लिस्ट अर्थात इंडिया को गुलाम बनाए रखना चाहते थे भारत को कुचल के रखना चाहते थे वो चाहते थे इंडियन को हमेशा दबे रखो इनकी किसी भी मैंगो को कभी पूरा मत करो इनको कुचल के रखो इनको लड़ते रहो इनके बीच में फुट डालते रहो यह डिवाइड और रूल करते रहो ताकि ये आपस में ही लड़ते रहे और कभी भी हमसे आजादी या स्वराज की मांग ना करें हां यही चाहते थे लॉर्ड कर्जन इनका भारत की कांग्रेस पार्टी के प्रति कोई दया कोई रिस्पेक्ट नहीं थी यह तो हिट करते थे कांग्रेस को हां इसके पीछे की बैकग्राउंड स्टोरी भी बताऊंगा अभी तो उसे समय जब सेक्रेटरी ऑफ स्टेट अप्वॉइंट हुए नाम था लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टन यह भी कांग्रेस के खिलाफ थे इन्होंने बल्कि लोट कर्जन को सजेस्ट भी किया क्या सजेशन दिया आई पहले की फाइंड करो पता लगाओ कौन से ऐसे राजा है कौन से ऐसे राजकुमार हैं जो कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं कांग्रेस की मदद कर रहे हैं और ऐसे राजकुमारों का नाम आप नोट करो और उनको बता दो की अंग्रेजन को पता है की आप कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हो और तो और उनको ओनर करो उनको मदद करो उनको डिस्टिंक्शन दो जो कांग्रेस को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं अर्थात जो कांग्रेस के खिलाफ खड़े हैं उनको आप क्या करो बढ़ावा दो देखा ये पॉलिटिक्स है अंग्रेजन की कितने दूर कितने चालक कितने कैनिंग भेड़िए की तरह हैं हम अंग्रेज हमारे पहले खड़ा करते हैं एक तरफ पहले कांग्रेस को खड़ा करते हैं अपनी लालच के लिए की कांग्रेस एक ऐसी पार्टी बन जाए जो उनको सलाह दे देश में कोई बड़ा विरोध ना हो पे इसीलिए और यहां जब ये पार्टी अपनी मांग कर रही है तो अब किसी को गिरने के लिए ये तरीके लगा रहे हैं और भेजो गया किसको लोट कर्जन को लोट कर्जन कोई सजेशन देकर भेजो गया और क्या कहा गया तू एक्सरसाइज एन ग्रेटर कंट्रोल ओवर एजुकेशन इट्स ऑर्गेनाइजेशन और टेक्सबुक क्योंकि देश एजुकेशन से चला है अगर देश के एजुकेशन सिस्टम आपके कंट्रोल में ए जाएगी तो वहां के युवा वहां के लीडर्स सब आपके कंट्रोल में ए जाएंगे इसीलिए तीसरा तरीका था की एजुकेशन सिस्टम को अपने कंट्रोल में कर लो और ऐसा हुआ भी लोट कर्जन वही सब किया जो उन्हें जॉर्ज हैमिल्टन ने सजेस्ट किया देखिए मैं अभी आपको दिखाने जा रहा हूं क्या-क्या लौटकर्जन ने किया कितना खराब आदमी था लोट कर्जन देखिएगा सबसे पहले लोट कर्जन ने ये ते कर लिया की कांग्रेस को तो मैं बर्बाद कर दूंगा कांग्रेस को तो खत्म कर दूंगा क्यों क्योंकि कांग्रेस बेंगाड़ ऑफ दी इंडियन पॉलीटिकल एजीटेशन है अगुवा है लीडर है भारत में जो पॉलीटिकल एजुकेशन हो रहा है अंग्रेजन के खिलाफ जो आंदोलन हो रहे हैं उसका लीडर है कांग्रेस तो इस पहले लीडर को ही खत्म कर डालो तो कैसे कांग्रेस को बर्बाद करें कैसे देश में परेशानी पैदा करते हैं आपस में लड़ाई वाले इन लोगों को देखिएगा कितना चालक कितना भीड़ अनु आदमी है ये हां सबसे पहले उन्होंने बनाया हां लोट कर्जन की अच्छी बुराइयां शुरू पहले एक्ट बनाया म्युनिसिपालिटी है क्यों ताकि जो म्युनिसिपल में इलेक्ट मेंबर्स हैं आपको ध्यान होना चाहिए की ब्रिटिश ने अपना हेड क्वार्टर्स कोलकाता को बना रखा था जब भारत गुलाम होगा तो ब्रिटिश पूरे भारत को कोलकाता से ही कोलकाता से ही गौवन करते थे कोलकाता उसे समय देश की कैपिटल हुआ करता था हां ये ध्यान होना चाहिए आपको 1911 में हमारी देश की कैपिटल कोलकाता से दिल्ली शिफ्ट हो गई समझ गए क्योंकि 1991 में अंग्रेजन ने वहां पर कैपिटल को शिफ्ट कर लिया पर तब तक 19911 तक हमारे देश की कैपिटल कोलकाता थी तो कोलकाता मतलब बंगाल में ब्रिटिश का बहुत बड़ा ऑफिसेज था हां आपने सुना होगा विक्टोरिया मेमोरियल भी एक एक किताब है और आप घूम घूम के भी आए होंगे शायद है ना तो महसूस के होगा क्या आलीशान जगह है वो हमें उन्हें की बात कर रहा हूं तो कोलकाता को कंट्रोल करने के लिए कोलकाता में इलेक्ट मेंबर्स ज्यादा ना हो पे बल्कि ब्रिटिश मेंबर्स ज्यादा हो कोलकाता के कॉरपोरेशन को चलने के लिए ये कानून बनाया गया ताकि अंग्रेजन का पावर और बढ़ाया जा सके इलेक्ट्रिक मेंबर्स जिनको हम चुनते हैं इंडियन चुनते हैं उनकी सीट कम कर दी गई इस तरीके से कोलकाता कॉरपोरेशन में यूरोपियंस का बीड्स का पावर और बाढ़ गया और तो और उन्होंने ऐसा क्यों किया हम चुनते थे यह जाते थे तो यह ब्रिटिश लोगों को भी लाइसेंस पूछताछ करके देते थे फ्री अंग्रेजन को लाइसेंस नहीं बताते थे जैसे इंडियन के साथ करते थे वैसे यूरोपियंस के साथ करते थे तो यही शिकायत यूरोपियन बिजनेसमैन कर रहे थे आपको पता होना चाहिए की उसे समय जो बड़ी इंडस्ट्रीज थी भी भारत में चाहे वो टी की इंडस्ट्रीज हो चुकी इंडस्ट्रीज हो कॉटन टेक्सटाइल हो आयरन की टेक मिलजुम ये सब के मलिक इंडियन नहीं थे सब के मलिक यूरोपियन थे ब्रिटिश थे तो इनएविटेशंस का बिजनेस धक्का ग रहा था रुक रहा था हमारे इंडियन की वजह क्या किया लाइसेंस में डिले होने का बहन लगाकर के ये कानून बावा लिया अब क्या होगा अब अंग्रेजन को कोई रॉक नहीं पाएगा जब चाहेंगे तब इंडस्ट्री खोल देंगे उनको लाइसेंस आसन से मिल जाएगा और इंडियन इंडस्ट्रीज अगर कोई इंडस्ट्री खुलना चाहते हैं उनको नंबर मिशन मिल रही है ना लाइसेंस मिल रहा है यूरोपियंस के पास चला गया इस कानून से कितनी चालाकी से लोट कर्जन ने साड़ी पावर उठा के क्या कर दी उन्होंने अगला कानून बनाया यूनिवर्सिटी एक्ट यूनिवर्सिटी एक्ट 1994 इससे क्या होगा उसे समय जो कोलकाता यूनिवर्सिटी थी सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी थी उसको कंट्रोल करने के लिए क्या करना था क्या बहन उन्होंने दिया कहा की तू राज दी स्टैंडर्ड ऑफ एजुकेशन याद होगा की जॉर्ज हैमिल्टन ने सजेस्ट किया था की एजुकेशन सिस्टम को अपने कंट्रोल में रखना है ना क्या करो ग्रेटर कंट्रोल ओवर एजुकेशन करो है ना ऑर्गेनाइजेशंस पे कंट्रोल करो बुक्स पे कंट्रोल करो ये सजेशन था ना देखिए वही किया उन्होंने क्या किया यूनिवर्सिटी एक्ट बना दिया ताकि यूनिवर्सिटी में जो मेंबर्स हैं इलेक्ट मेंबर्स हैं उनकी संख्या कम हो जाए जो इंडियन मेंबर्स है जो इस यूनिवर्सिटी को कंट्रोल कर रहे थे चला रहे थे उनकी संख्या यहां पे कम भी कर दी ताकि फिर से यूरोपियंस यहां पे ज्यादा हो जाए और पूरा यूनिवर्सिटी किसके अंदर में ए जाए यूरोपियंस के अंदर में ए जाए तो कितनी चालाकी से कानून बनाकर के भी अंग्रेजन ने क्या किया हमें सत्या हमें परेशान किया यहां पर बात खत्म नहीं होती है अभी तो में में अभी लौटकर जन्म का आप बाकी है हां अभी लोड कर्जन ने जो और सबसे बड़ा कम करना था वो था पार्टीशन ऑफ बंगाल के बीच में जो प्यार विश्वास है अलग-अलग धर्म के बीच में है इसको तोड़ो बांटो इनको लाडा डालो आपस में और जब ये आपस में लड़ेंगे तो हमसे आजादी की मांग नहीं करेंगे और हम परमानेंटली या रूल करते रहेंगे उनका एक ही परपज था बस तो इसी का एक तरीका है उनका डिवीजन ऑफ बंगाल क्या बहन दिया की बंगाल बहुत बड़ी प्रेसिडेंट सी है बहुत बड़ी एरिया है और इसके अंदर बिहार भी आता है उड़ीसा भी आता है असम भी आता है क्योंकि एक बहुत बड़ा रीजन था मैंने बता दिया ब्रिटिश का कानून ब्रिटिश का राज्य यही से शुरुआत हुई थी हां अंग्रेजन ने हमारे देश को यही से गुलाम बनाना शुरू किया था और कैपिटल भी कोलकाता थी तो इससे धीरे-धीरे अंग्रेजन ने क्या किया कोलकाता और बंगाल को हां बेसिकली बंगाल को क्या करना शुरू कर दिया डिवीजन करने के लिए चला की चली क्या बहन बताया की बहुत बड़ा प्रोविंस है बंगाल इसीलिए तो रेजिंग डी एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोविंस है असम को अलग कर दिया बंगाल से 1874 में कल है जो की एक छोटा सा जिला है जहां पर बंगाली रहते हैं उसको उसमें एड कर दिया हां बंगालियों का एक शेर है आई देखें एक मैप के द्वारा उसे समय बंगाल कुछ इस तरीके से इतना बड़ा हुआ करता था ये पूरा रीजन जो आप देख रहे हैं बंगाल का जिसमें उड़ीसा का पार्ट भी है हां हां प्रेजेंट उड़ीसा का पार्ट भी है बिहार का पार्ट भी है अब देखिए यह रहा वेस्ट वाला हिस्सा जो की हिंदू डोमिनेटेड बंगाल हो जाएगा और ये इस डोमिनेटेड हर कलर जो देख रहे हैं वो मुस्लिम डोमिनेटेड बंगाल हो जाएगा यही इनकी चालाकी यही इसका क्या है डिवाइडेड रूल दिखता है लड़ते रहो इंडियन को और मजे लेते रहो ये कैसे शुरुआत हुई इसके पीछे क्या बैकग्राउंड है पूरा बताऊंगा पार्टीशन ऑफ बंगाल तो 193 में रिस्क ले उसे समय के सेक्रेटरी थे और जब रिसले ने पार्टीशन का एक प्लेन बनाया की बंगाल को पार्टीशन कर दिया जाए बंगाल के टुकड़े कर दिए जाए दो तो इस समय लोट कर्जन लेफ्टिनेंट गवर्नर ऑफ बंगाल थे उन्होंने इस प्लेन को 193 में ही एक्सेप्ट कर लिया था प्लेन उनका नहीं है याद रखिएगा प्लेन किसका है रिस्की का सेक्रेटरी ऑफ स्टेटस का और लॉर्ड कर्जन उसे समय लेफ्ट गवर्नर थे बंगाल के उन्होंने तो प्लेन को इस समय अप्रूवल दे दिया था की हां हां मैंने कहा ना बहुत बड़ा आदमी था लोट कर्ज है लोट कर्जन इतना चालक था की 1905 से पहले जी दिन जब वो इसका कानून बनाएगी हां कानून बनाकर के पार्टीशन ऑफ बंगाल करेगा उससे पहले ही उसने पूरे बंगाल में माहौल बनाना शुरू कर दिया खुद जाकर के हां स्वयं होते हुए वज्र होते हुए बंगाल के अलग-अलग हसन में गया और वहां जाके क्या चालाकी कारी जब वो गया असम में गया इस बंगाल में गया वो जगह है जहां पे मुस्लिम डोमिनेटेड एरिया थी वहां गया और उनको मोबिलाइज किया उनको कहा की मैं पार्टीशन ऑफ बंगाल कर रहा हूं आपके लिए कर रहा हूं मेरे मुस्लिम भाइयों क्योंकि आपको पूरा हक नहीं मिल रहा था और आपको आपका हक दिलाने के लिए आपको आपका ऊंचा पद दिलाने के लिए मैं यह बंगाल और इस बंगाल और असम को एक करना चाहता हूं तो मुसलमान का उन्होंने सपोर्ट लेने के लिए ऐसा किया एवं डाटा गए वो हां ढाका इस समय इस बंगाल में है हां बांग्लादेश में है जिसको आज बांग्लादेश कहते हैं तो ढाका में गया वहां जाकर लोट कर्ज स्पीच दी और स्पीच में पर आप मुस्लिम को वापस लाना मुस्लिम मानव की जो कोई हुई जो नाम है शोहरत है मैं उससे वापस देना चाहता हूं बताइए ब्रिटिश होकर के अंग्रेज होकर के वो मुसलमान का सपोर्ट कर रहे थे क्या मुसलमान रिश्तेदार थे जी नहीं सिर्फ उनको उकसाने के लिए ब्रिटिश अर्थात लोट कर्जन चाहते थे की मुसलमान उनका सपोर्ट करें पार्टीशन ऑफ बंगाल में ताकि हिंदू अकेले हो जाए और फिर दोनों के बीच में लड़ाई होती रहेगी लड़ते रहेंगे हिंदू मुसलमान को देखा कितना चला कितना कनिंग भेड़िया है ये लोट कर्जन लोट कर्जन ने और क्या चालाकी करते हैं देखिए पीछे कितनी तैयारी कर रहे हैं डिवीजन ऑफ बंगाल से पहले लोट कर्जन को एक रिटर्न नोटिस आया मेमोरियल आया ब्रिटिश प्लांटर्स द्वारा यूरोपियन प्लांटर्स द्वारा जिनके पास बड़े-बड़े टी गार्डन से उनकी बहुत साड़ी शिकायतें हुआ करते थे उनमें से एक शिकायत थी की एक बड़ा प्रोविंस बने जिसमें बंगाल और असम एक हो ध्यान सुनिएगा इस बंगाल और असम एक हो जैन मैं मैप भी आपको दिखा देता हूं क्यों क्योंकि इस बंगाल और असम अगर एक हो जाएगा तो एक रेलवे लाइन बनाई जाएगी जिससे असम से टी याद रखिएगा इंडिया लार्जेस्ट एक्सपोर्टर ऑफ टी तब भी था और आज भी है हां आज भी है भारत की चाय दुनिया भर में बाईक रही है और वो भी असम की जाए और सारे बड़े टीवी गार्डन के मलिक ब्रिटिश थे यूरोपियंस थे तो उनको चाहते थे की असम के गार्डन से सीधे चित्तागोंग पहुंच जाए चित्तागोंग एक पोर्ट है हां बांग्लादेश में जो प्रेजेंट दे हां बांग्लादेश में है जिसको हम इस बंगाल का रहे हैं दिखता हूं तो वो चाहते थे की असम और ये चित्तागोंग यहां पर चिता गांव है ठीक है यहां पर छिता कौन है यहां से यहां तक की रेलवे लाइन बने और इससे क्या हो उनके लिए बिजनेस करना आसन हो जाए उनके जो गुड्स उनकी जो चाय पत्तियां बन रही हैं टी बन रही है वो यहां से सीधे यहां चित्तागोंग पहुंच जाए जब चित्तागोंग पहुंच जाएगा तो यहां से शिव से वो कहां चला जाएगा इंग्लैंड चला जाएगा वर्ल्ड वार एक्सपोर्ट हो जाएगा तो अपने फायदे के लिए वो लोग चाहते थे की इस बैंक इस बंगाल और असम को क्या कर दिया जाए एक कर दिया जाए और आप जानते हैं ब्रिटिश सिर्फ और सिर्फ अपने इंटरेस्ट को पूरा करने के लिए कम कर रहे थे वो कोई भी रेलवे लाइन कोई भी रोड हमारे बेनिफिट के लिए नहीं बनाते थे ना जहां उनका फायदा होता था बस वही कम करते थे और ऐसा ही हुआ पार्टीशन ऑफ बंगाल उन्होंने कर दिया पर क्या उन्होंने बहन दिया 1905 में पार्टीशन किया तो क्या उन्होंने रीजन दिया देखिए क्या बहन देते हैं हम लोग तो बहाने जानते हैं उसके पहले उन्होंने माना किया की अगर उंडिवाइडेड बंगाल होगा तो बंगाल बहुत बड़ा प्रोविंस होगा और एडमिनिस्ट्रेटिव नैस्टी है भाई अर्थात उसका एडमिनिस्ट्रेशन नहीं कर पाएंगे हम पुराना नंबर वन ये तो हम लोग जानते थे 12 नंबर तू देखिए ध्यान से सुनिएगा क्या अंग्रेजन ने बहन दिया कहा इस बंगाल कोलकाता से बहुत दूर है याद रखिएगा बहुत बड़ा प्रेफरेंस है और एडमिनिस्ट्रेटिव हैडक्वाटर्स हमारे कहां पर है कोलकाता में है पोजीशन तू टैकल दी ईस्ट बंगाल फ्रॉम कोलकाता अर्थात हमें इस बंगाल की प्रॉब्लम्स को सॉल्व करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि कोलकाता इस बंगाल से बहुत दूर है इसीलिए दो हैडक्वाटर्स बनेंगे अर्थात डिवीजन हो जाएगा और दूसरा हैडक्वाटर ढाका में बनेगा तीसरा क्या बना दिया कॉस्ट ऑफ ट्रांसपोर्टिंग टी फ्रॉम असम तू कोलकाता क्योंकि कोलकाता थोड़ा चित्तागोंग से दूर है तो वहां पे कॉस्ट ज्यादा ग रही है तो इसीलिए हमारे यूरोपियन प्लांटर्स का नुकसान हो रहा है हम इसीलिए क्या कर रहे हैं देखा कितनी चालक से अंग्रेजन ने रीजंस दे दिए जरा चौथ रीजन ध्यान से सुनिएगा चौथ क्या रीजन दिया दया इस रीजन को ध्यान से देखिए अंग्रेज कितने चालक है ये आपको पता चल जाएगा उन्होंने कहा की जो मुस्लिम है इस बंगाल के याद रखिएगा वेस्ट में हिंदू डोमिनेटेड सोसाइटी और ईस्ट में मुस्लिम डोमिनेटेड सोसाइटी थे क्या बहन दिया की जो इस बंगाल के मुस्लिम हैं कूद नोट अवेलेबल ऑपच्यरुनिटीज इन दी फील्ड ऑफ एजुकेशन और एंप्लॉयमेंट अर्थात इस बंगाल के लोगों को नए प्रॉपर एजुकेशन मिल रही है और ना नौकरियां मिल रही है क्योंकि ये सब कुछ हिंदुओं के पास कंट्रोल में है अरे आप रे कितने दुष्ट है की हिंदुओं के पास क्या है ज्यादातर जॉब्स हैं ज्यादातर नौकरियां है और पढ़ाई भी हिंदू ही ज्यादा कर का रहे हैं अरे भाई हमने तो माना नहीं किया था ना देखा अंग्रेजन ने पर लाडा दिया मुसलमान को हिंदू उसके साथ तो ये बहन दिया अंग्रेजन ने की हम पार्टीशन ऑफ बंगाल क्यों कर रहे हैं अब रियल मोटे जो हम और आप जानते हैं जो हमारे हिस्टोरियन जानते हैं यही रियल मोटे था क्योंकि बंगाल नर्स सेंटर था हमारे देश में सारे नेशनलिज्म की जो शुरुआत है वह बंगाल से हो रही है और जब ये नेशनलिज्म की जो आज है जो तूफान है ना बहुत तेजी से पूरे देश में फेल रहा था तो सबसे पहले क्या करो वहीं पर कर्व करो बंगाल में ही कर्व करो क्योंकि यही से देश प्रेम पूरे देश में फेल रहा है और तो और पार्टीशन ऑफ बंगाल करेंगे तो बंगाली इन्फ्लुएंस कम हो जाएगा क्योंकि बंगाली खुद ही आपस बट जाएंगे वो खुद माइनॉरिटी बन जाएंगे तो क्या हो जाएंगे आपस में लाड मारेंगे ये उनकी सोच थी और पार्टीशन से डिवीजन आएगा धर्म के बेसिस में डिवीजन आएगा वही बनेगा पॉइंट लगभग वही है क्योंकि मैंने बताया इस बंगाल मुस्लिम डोमिनेटेड था और वेस्ट बंगाल हिंदू डोमिनेटेड तो दोनों को लड़ते रहो और मजे करो फुट डालो और मजे करो हां उसे समय जो असर्टिव नेशनलिस्ट थे पाॅजिटीवनेस लिस्ट तीन में लीडर्स थे मॉडरेट्स के बाद जो अगले कांग्रेस लीडर्स आएंगे जिनको मॉडरेट्स के तरीके पसंद नहीं ए रहे थे हां उनको प्रेयर प्लीडिंग्स के मेथड पसंद नहीं ए रहे थे अर्थात वह चाहते थे की कुछ मास मोमेंट होना चाहिए कुछ स्ट्रगल होने चाहिए कुछ प्रोटेस्ट होने चाहिए कुछ मार्च निकालना चाहिए आम जनता को इंवॉल्व करना चाहिए ऐसा करने वाले लोग थे हाजरटेन नेशनलिस्ट इनके तरीके में छन लेना है ऐसा सोने वाले थे पॉजिटिव नेस्टलिस्ट कौन थे तीन बड़े लीडर लाल बाल लाल लाजपत राय बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल यह तीनों लीडर्स ने शुरुआत की असर्टिव कांग्रेस मेंबर्स की आज आईटी रीडर की और ये लोग फिर अब सिर्फ मनाएंगे बहलाएंगे फुसलाएंगे नहीं अंग्रेजन को बल्कि अपना हक मांग के रहेंगे सदा हक समझ गए अब क्या था इनका फॉक्स किस तरीके से वो हमारे इंडियन में कैसे का सकते हैं की मास मूवमेंट कन्वर्ट करेंगे उनमें सबसे बड़ा तरीका था उनका स्वदेशी हां एस मतलब सेल्फ देश मतलब कंट्री तो जो हो अपने देश का हो कोई भी चीज हम बाहर का प्रयोग नहीं करेंगे मतलब बी इंडियन बाय इंडियन यह नारा है स्वदेशिका स्वदेशी मेंस प्रोड्यूजिंग नर्सरी आइटम्स इन वन फोन कंट्री जरा इस सीन को देखिए एक बड़ा सा चरखा है जिसे भारतवासी क्या कर सड़कों पर ले जाकर दिखा रहे हैं लोगों को चरखा क्या रिप्रेजेंट कर रहा है की हम कपड़े भारत के बने बनेंगे अपने हाथ के बने चढ़े से बनेंगे हां गांधी जी भी आपको ध्यान होगा हमेशा चरखा चलते थे चढ़े से बंता है क्या सूट बंटी है तग बंता है और इस टांगों से क्या होता है फिर कपड़े बनते हैं खड़ी बंटी है तो ये रिप्रेजेंट करता है की हम स्वदेशी करेंगे ठीक है ना अर्थात यूजिंग इंडियन गुड्स मेड फ्रॉम डी इंडिया और नोट फ्रॉम डी इंपोर्टेड गुड्स अपने देश जो भी समाज है अपने देश का होना चाहिए विदेशी सानो का बहिष्कार करो हां ये बहिष्कार करो इसका सेकंड पार्ट है और उसका नाम ए जाएगा अपने देश का प्रयोग करेंगे कहानी ना कहानी आपको विदेशी चीजों का बहिष्कार प्यार ना पड़ेगा| कॉइन का दो हिस्सा माना गया तिलक जी ने कहा व्हेन यू एक्सेप्ट स्वदेशी यू मस्त बाय गो फॉरेन गुड्स अब आप इस सीन में देखिए यहां पर फॉरेन कपड़े हैं यहां पर फॉरेन के क्लॉथ है और इस क्लॉथ को आज लगे जा रही है इस क्लॉथ को लोग जल रहे हैं आज लगा दिए इस कपड़े को देखिए विदेशी कपड़े हैं यहां पर ये सारे लोग खड़े हुए हैं और इस विदेशी कपड़ों को जल रहे हैं ये दिखाने के लिए अंग्रेजन को की अब हम आपके टैक्सटाइल्स का उसे नहीं करेंगे आपके फॉरेन में गुड्स का उसे नहीं करेंगे इसी का नाम है बॉयकॉट और क्या मूवमेंट था और क्या तरीका था और तरीका था नेशनल एजुकेशन हमने डिसाइड किया की हम फॉरेन के बने कानून के बनाई यूनिवर्सिटीज पे नहीं पढ़ेंगे विदेशी यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ेंगे क्योंकि वहां पर भी क्या पटाया जा रहा था ब्रिटिश सिस्टम की पढ़ाई कराई जाति इंडियन को बेबस बनाया जा रहा था हां कलर भारत में इंट्रोड्यूस किया हां इंग्लिश पढ़ना को हमारे देश में कंपलसरी कर दिया उन्होंने हमारे देश के नागरिकों को सोचा की हमें ब्रिटिश कंट्रोल करने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन करने के लिए जो क्लर्क चाहिए वो इसी एजुकेशन सिस्टम से आएं इसके लिए उन्होंने हमारे इंडियन एजुकेशन सिस्टम को बर्बाद कर दिया तो नेशनल लीडर्स ने सोचा ते किया की हम अपनी खुद की यस यूनिवर्सिटीज स्कूल कॉलेजेस बनाएंगे और इसी के लिए बंगाल नेशनल कॉलेज बनाया गया कोलकाता में और नाम सुनिए पछियप्पा नेशनल कॉलेज आई एम वेरी सर के नाम आपने नहीं सुना होगा ये चेन्नई में बनाया गया तो इस तरीके से बहुत सारे नेशनल कॉलेज बनाया गया एवं बनारस में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी लगभग इसी पीरियड में बनाई गई थी हां मदन मोहन मालवीय जी ने और तो और कुछ लेटेस्ट स्टेज में कोलकाता के साथ बनारस में विद्यापीठ भी बनाई गई गुजरात विद्यापीठ भी और लेटेस्ट स्टेज भी बनाएंगे मतलब हमारा अब एक मां बन गया हमने इंडियन से डिसाइड कर लिया की अब हम इंडिया के बनाए सिस्टम को फॉलो करेंगे इंडियन एजुकेशन सिस्टम फॉलो करेंगे जो इंडियन रूल कर रहे हैं जी एजुकेशन से उसे सिस्टम में हम पढ़ेंगे विदेशियों के पास नहीं पढ़ेंगे क्योंकि वहां सिर्फ क्या कर रहे थे हमें सिर्फ अंग्रेजन का बाबू क्लर्क बनाने की पढ़ाई कराई जाति बस उनका फॉलोअर बने रहो और क्या शुरू किया पैसिव रेजिस्टेंस एक्टिव नहीं पैसिव रेजिस्टेंस अभिरोध करेंगे पर कोई हथियार नहीं उठाएंगे वायलेट मेथड नहीं है और हम अपना हक की चीज मांगेंगे नहीं छन लेंगे हम अपने हक के लिए भीख नहीं मांगेंगे रिक्वेस्ट नहीं करेंगे बल्कि अपना हक कहेंगे मैंने कहा था सदा हक तेरा ये कहेंगे अब ये तरीका मतलब अब सिर्फ प्रेयर लीडिंग से बात नहीं चलेगी अब ज्यादा बोलोगे तो तुम्हारे खिलाफ जिंदाबाद मुर्दाबाद नारा लगा देंगे अब तुम्हारे खिलाफ बैठने वाले नहीं हैं अब तुम्हारे खिलाफ अंग्रेजन के खिलाफ हम लोग यासीन तरीके से प्रोटेस्ट मार्च निकलेंगे भूख हड़ताल करेंगे चलो में चले जाएंगे ये मेथड है पैसे ली दें लड़ाई नहीं करेंगे तुम्हें मारेंगे नहीं तैयार नहीं चलाएंगे ये कम तो रिवॉल्यूशनरी नेशनलिस्ट करेंगे हां मैंने कहा था ये सेकंड पार्ट होगा इस चैप्टर का वो हम अगले वीडियो में करेंगे चलिए कैंब्रिज वर्जन ये ब्रिटिश कितनी खराब कितने गंदे हैं इसका एक और एग्जांपल है ये कैंब्रिज कौन है ब्रिटिश यूनिवर्सिटी आप जानते हैं कैमरे यूनिवर्सिटी है कैंब्रिज शेर का नाम है तो उनका क्या रीजन था उनकी क्या सोच थी की पार्टीशन के बड़े में जो पार्टीशन ऑफ बंगाल हुआ देखिए क्या चालाकी वाला रीजन देंगे जो कैंब्रिज स्कूल है हिस्टोरियन का जिसमें मैंने बताया बड़े-बड़े महान स्टोरियां से इनका कहना था की जो पार्टीशन हुआ है उसका विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि उसमें सिर्फ एलिट क्लास के लोग हैं ये लेटेस्ट कौन होते हैं पीपल बिलॉन्गिंग तू एलिट एलिट मतलब होता है रिच और पावरफुल मतलब कुछ पर्टिकुलर रिच और पावरफुल ग्रुप ऑफ पीपल ही सिर्फ पार्टीशन का विरोध कर रहे हैं पूरे बंगाली विरोध नहीं कर रहे हैं कितने झूठ हैं अभी मैं आपको प्रोटेस्ट मूवमेंट के बड़े में एंटी पार्टीशन मूवमेंट के बड़े में बहुत डिटेल में बताऊंगा पांच फैज में ये मूवमेंट होगा देखिएगा और आप देखेंगे की एक घर घर से औरतें बच्चे आदमी फार्मर्स टीचर्स लॉयर सब कुछ हर कोई विरोध कर रहा है और ये लोग क्या कर रहे हैं झूठ का रहे हैं की सिर्फ एलाइटिस लोगों ने ही विरोध किया आम जनता ने विरोध नहीं किया ये है कैंब्रिज वर्जन हम एक्सेप्ट तो करेंगे नहीं पर थोड़ा पढ़ने हैं इसके बड़े में उन्होंने एक रीजन दिया की सिर्फ मिडिल क्लास इसलिए विरोध कर रहे थे खास करके क्लर्क इसलिए विरोध कर रहे थे क्योंकि उनको ग रहा था की इनकी नौकरियां चली जाएगी हां भाई जब पार्टीशन ऑफ बंगाल हो जाएगा तो नौकरियां इस बंगाल में शिफ्ट हो जाएगी इसीलिए विरोध कर रहे थे जमीदार जो हिंदू जमींदार से वो क्यों विरोध कर रहे थे उनको लगा की अब हमारे जो स्टेटस हैं आर्ट है हमारे पास जो बड़ी-बड़ी जो जायदाद है उनके लिए मुझे एजेंट रखना पड़ेगा क्योंकि इस बंगाल में अलग और वेस्ट बंगाल में अलग एजेंट होंगे हमारे खर्च बाढ़ जाएंगे इसीलिए ये जमींदार से विरोध कर रहे थे और तो और लॉयर्स विरोध क्यों कर रहे थे लॉयर्स को लगा की अब जो हाय कोर्ट है वो इस बंगाल में सेटअप हो जाएगी तो सारे केसेस वहां शिफ्ट हो जाएंगे इनके भी बिजनेस इसका लॉस होगा तो इसीलिए यह लॉयर्स विरोध कर रहे हैं एवं जो कोलकाता के न्यूज़ पेपर वाले थे वह क्यों विरोध कर रहे हैं उनको लगा की अब हमारे कस्टमर चले जाएंगे हमारे कस्टमर अब जो इस बंगाल के हैं वो हमसे न्यूज़पेपर नहीं खरीदेंगे तो सबका रीजन पार्टीशन के खिलाफ अलग-अलग उन्होंने बहाने दे दिए ये था कैंब्रिज की सोच अर्थात अंग्रेजन के हिस्टोरियन की सोच है की पार्टीशन सिर्फ ये लोग विरोध कर रहे हैं जी नहीं अब्सोल्युटली गलत इन्होंने कहा हमें सिर्फ वर्ग लाने के लिए हिस्ट्री को गलत साबित करने के लिए हम इसलिए विरोध नहीं कर रहे थे हमारे यहां तो जन-जन बच्चा-बच्चा औरत आदमी स्टूडेंट लॉयर्स टीचर्स सब ने विरोध किया आई हमारे देश के जो राशन लिस्ट हिस्टोरियन थे उन्होंने इस थ्योरी को पुरी तरीके से गलत साबित कर दिया कैसे पहले पॉइंट क्या उन्होंने रीजन दिया हम लोग ने हमारे स्टोरी में की लोट कर्जन और उनके जो ब्यूरोक्रेट्स हैं उन्होंने पार्टीशन एडमिनिस्ट्रेटिव परपज के लिए नहीं किया है उन्होंने तो माना ही दिया था ना बल्कि ऑब्जेक्ट था तू कृष दी यूनिटी ऑफ बंगाल पॉलीटिशियंस हमारे जो बंगाली पॉलीटिशियंस थे वो सारे एक जुड़ने हैं वो हिंदुओं से मुसलमान या एवं कोई और धर्म के हो और उनके बीच में लड़ाई लड़ने का तरीका था पार्टीशन ऑफ बंगाल और क्या चाहते थे बंगाली जो की 16 मिलियन थे वो कहां कर दिए गए वेस्टर्न हसन में इससे वह बंगाली खुद ही क्या हो जाएंगे माइनॉरिटी हो जाएंगे और हिंदी हिंदी बोलने वाले लोग जो की बिहार में और उड़िया में रहते हैं या उड़ीसा मेजॉरिटी कर दिया जाएगा इससे क्या हुआ बंगाल में ही रहने वाले बंगालियों को माइनॉरिटी बना दिया जाएगा उनको लगा की पार्टीशन कुछ दिन के लिए विरोध करेंगे कुछ ही दिन में अब ये पार्टीशन का विरोध है खत्म हो जाएगा पर ये उनकी भूल थी पार्टीशन का विरोध हम 1905 से शुरू करेंगे और जब तक पार्टीशन वापस नहीं हो जाएगा वैसे मैं बता डन 1911 में ब्रिटिश ने पार्टीशन का ये जो कानून था इसे वापस ले लिया गया डिसीजन तो पार्टीशन बंगाल वैसे एन याद इन 1900 11 तो तब तक सोचिए सोचिए हमारे बंगाल के लोगों के बड़े में की कितना कड़ा संघर्ष किया होगा 6 साल तक लगभग छह क्या साथ साल तक आंदोलन चला रहा जबरदस्त आंदोलन था ये एंटी पार्टीशन तो उनकी यह गलत सोचते की बहुत जल्दी क्या हो जाएगा विरोध खत्म हो ऐसा कभी हुआ नहीं और लोट कर्जन ने तो चला की चली मुस्लिम कम्युनिटी का उसे किया वह तो खुद ढाका गए मुसलमान को बताया की तुम्हारी जो कोई हुई शान है उसको हम वापस दिलाना चाहते हैं देखिए लड़ाई मुसलमान को और क्या कहा उन्होंने एंटी ब्रिटिश नेशनलिज्म अर्थात ब्रिटिश के खिलाफ कोई मुसलमान ना जाए उनको अपने पक्ष में कर लिया और उनमें से कुछ एग्जांपल देता हूं लोट कर्जन तो एवं नवाब और ढाका के पास पहुंचे ना कहा मैंने बताया मुस्लिम हेड है ना इस बंगाल का हेड है यहां पर नवाब के पास गए और इनको कहा की आप हमारे पार्टीशन की स्कीम को सपोर्ट करिए और हम आपको 14 लाख देंगे सोचिए 14 लाख उसे जमाने में आई थिंक मल्टी करोड़ उसके बराबर होगा शायद मुझे लगता है 1400 करोड़ के बराबर होगा सोचिए 14 लाख रुपए देंगे ताकि आप अपना पॉलीटिकल इंटरेस्ट पूरा कर सके जस्ट इमेजिन ब्रिटिश कैन को तू अन्य एक्सेंट तू प्रूफ डेम सेल्स राइट कर्जन ने साबित कर दिया और आइडियलिज्म अर्थात देश को सर्वोच्च मानना हेड इट्स ग्रेट प्लेस इन डी प्रोटेस्ट हमारे इंडियन में आइडियलिज्म बहुत ज्यादा आया था जो भी करते हैं वो निक नित के साथ करते हैं सच्ची ईमानदारी के साथ करते हैं चलिए थोड़ा सा आगे बढ़ते हैं और अब आपको बताते हैं किस तरीके से हमारे देश में एंटी पार्टीशन मोमेंट चला स्वदेशी मूवमेंट चला और भारत में इस मूवमेंट भारत में इस मोमेंट के पांच विशेष हैं तो बंगाल को पार्टीशन करने के लिए 16 अक्टूबर 195 डेट याद कर लीजिए 16 अक्टूबर 1905 को यह कानून इंप्लीमेंट हुआ बन तो पहले ही गया था ना पर इंप्लीमेंट हुआ 16 अक्टूबर को और 41.2 बंगाली स्पीकिंग पीपल्स को ब्रेक करने की कोशिश की गई पांच विशेष में हो गए मोमेंट चलिए पहले पेज देखते हैं जी दिन 16 अक्टूबर होगी उसे दिन को दे ऑफ हड़ताल घोषित कर दिया जाएगा दे ऑफ मॉर्निंग घोषित करें मॉर्निंग मतलब है क्राइम रोना हां हां लोग जो हर जाति के थे वो पैदल चले और गंगा तक गए वहां उन्होंने गंगा में बात किया नहाया और लोगों ने गाने गया क्या गाना गया बांग्ला चल ये नाम गाना नहीं सुना होगा आपने यह गीत बंगाली गीत है जिसमें कहा गया है की बंगाल की मिट्टी हमारी है और बंगाल का जल आर्ट धरती यह भारत यह भूमि हम सबकी बंगलो की भूमि है देखिए ये गाना किसने लिखा था परम आदरणीय रवींद्रनाथ टैगोर जी ने जी हां ये गीत लोगों ने गया लोगों ने या गीत गया और पीपल ने रक्षा बंधन ऑब्जर्व किया हिंदू और मुसलमान ने एक दूसरे के प्रेम को दिखाने के लिए रखिए तक बंदी ताकि भाई रूप दिखा सकें और एक दूसरे धर्म पे विश्वास दिखा सके अर्थात अंग्रेजन को गलत साबित कर दिया उन्होंने और क्या हुआ सेकंड फैज ने क्या हुआ बहुत बड़ा है मूवमेंट याद रखिएगा सेकंड फैज में रविंद्र नाथ टैगोर जी ने लोगों को मंत्र दिया नया नारा दिया आत्मा शक्ति या सेल्फ हेल्प कहा की मोमेंट आगे बढ़ते रहो पर मोमेंट कैसे आगे बढ़ेगा आंदोलन कैसे जारी रहेगा स्वदेशी वाला एंटी पार्टीशन वाला जब हम स्वयं जागृत होंगे रवींद्रनाथ टैगोर जी अश्विन कुमार दत्ता जी और बड़े लीडर्स ने वहां आत्म शक्ति और सेल्फ हेल्प का मिशन शुरू किया बोला पूरे बंगालियों को एकजुट होना पड़ेगा अपने अंदर की यह विरोध की शक्ति को जगन पड़ेगा रविंद्र नाथ टैगोर ने एवं सबको रिक्वेस्ट किया की हम लोग लड़ेंगे पर कंस्ट्रक्टिव तरीके से लड़ेंगे कोई भी हथियार नहीं उठेगी कोई भी मेथड नहीं लगाएगी हां किसी को मारना काटना नहीं है जो भी विरोध करना है वह पीसफुल और कानूनी तरीके से करना है उन्होंने अपील किया की हम ब्रिटिश गवर्नमेंट के खिलाफ कोई भी वायलेट मेथड नहीं लगाएंगे इसीलिए चाहिए ना आत्म शक्ति देखिए अपने को कंट्रोल करने के लिए आखिर कब तक बर्दाश्त करेंगे अंग्रेजन की मार अंग्रेजों के द्वारा जुल्म जो हमारे पर हो रहे थे अत्याचार हो रहे थे यही है आत्मशक्ति अपने ऊपर कंट्रोल कर पन यस मैं विरोध भी करूंगा और हथियार भी नहीं उठाऊंगा सोचिए गुस्सा तो बहुत ए रहा है अंग्रेजन पे ठीक है ना तो पीपल जो समय पेट्स थे उन्होंने बहुत सारे प्रोग्राम चलाएं जैसे वर्नाकुलर एजुकेशन शुरू किया हम पढ़ाएंगे लोगों को तो अपनी भाषा में पढ़ाएंगे सोशल रिफॉर्म्स समाज में जो कर दिया थी उसको दूर किया बहुत साड़ी ऑर्गेनाइजेशंस बनाए गए स्वदेशी समाज पर बहुत सारे आर्टिकल लिखे गए उनमें सबसे बड़े लीडर थे सतीश चंद्र मुखर्जी ध्यान दीजिएगा सतीश चंद्र मुखर्जी ने एक सोसाइटी बनाई नाम था डी दो सोसाइटी क्या करेगी दो सोसाइटी यह दो सोसाइटी नेशनल एजुकेशन को बढ़ावा देगी यही चाहती है देश में हमारे भारत सिस्टम से पढ़ाई कारी जाए न के ब्रिटिश सिस्टम से के पास नहीं पढ़ेंगे हम अपने इंडियन स्कूल इंडियन यूनिवर्सिटी में पढ़ेंगे इसकी सोच लाने वाले व्यक्ति है सतीश चंद्र मुखर्जी औरतें और अश्विन कम डेट ध्यान दीजिएगा अश्विन कम डेट ने इसे इन्फ्लुएंस होकर के एक कॉलेज खुला नाम था बृजमोहन कॉलेज ये बरिसल में है ध्यान दीजिएगा बृजमोहन कॉलेज खोल क्योंकि वो चाहते थे देश में अपने तरीके की इंडियन सिस्टम के अकॉर्डिंग पढ़ाई कराई जाए ना की अंग्रेजन की ब्रिटिश भाषा पढ़ाई जाए तो ये कॉलेज शुरुआत हो गई अंदर डी इन्फ्लुएंस ऑफ सतीश चंद्र मुखर्जी और क्या हुआ कुछ इंडियन इंडस्ट्रियलिस्ट भी ए गया है जैसे सर पीसी राय आगे आए डॉक्टर नील रतन सरकार ए गया है इन्होंने भारतीय कंपनियां कोली ताकि स्वदेशी हो सके अर्थात इंडियन के लिए फैक्ट्रियां लगे मशीनरी लगाया और भारत में ही अपने ट्रेडिंग का कारोबार शुरू किया ताकि इंडियन को रोजगार इसे गुड्स खरीदे इंडियन कंपनियां से समाज खरीदे यह दो बड़े बिजनेसमैन बने पीसी राय और नील रतन सरकार दो फेस खत्म मैंने कहा था पांच पेज है थर्ड फैज में एंटी पार्टीशन मूवमेंट एक पैसे रेजिस्टेंस में कन्वर्ट हो गया इससे मैं बाइक और इस समय बाय कोर्ट स्वदेशी एक साथ चलने लगा और उनमें सबसे बड़े लीडरों में से थे विपिन चंद्र पाल हां लाल बाल वाले तीसरी नंबर पाल तो ये विपिन चंद्र पाल जी ने पेपर लिखना शुरू किया था उसे समय नाम था न्यू इंडिया इसमें उन्होंने विरोध किया था किसका मॉडरेट्स का क्योंकि मॉडरेट्स के मैथर्ड बहुत पीसफुल हुआ करते थे प्रेयर प्लीडिंग वाले हुआ करते थे इन्होंने कहा नहीं अब पैसे रेजिस्टेंस का जमाना है नेशनल एजुकेशन का जमाना है और बाइक और करने का जमाना है सिर्फ बोलने से रिक्वेस्ट करने से लेटर बाजी करने से अंग्रेज माने वाले नहीं है अंग्रेजन को मानना होगा तो थोड़ा सा धमाका करना पड़ेगा उनके कपड़ों बोली उनके सामने जलानी पड़ेगी जब उनके लिकर शॉप्स का पिकेटिंग होगा तब अंग्रेजन को समझ में आएगा की हम इंडियन उनके खिलाफ खड़े हो सकते हैं तो ये तरीका था विपिन चंद्रपाल जी का आई एक व्यक्ति जिसके बड़े में आपको मैं चित्र भी दिखाना चाहता हूं इनको आपने नहीं देखा होगा एस्टीमेट शायद ही इनका फोटो देखा होगा थोड़ा ध्यान से देख लीजिएगा ये कोई आम आदमी नहीं है इनका नाम है कृष्णा कुमार मित्र कृष्णा कुमार मित्र जी किस लिए जान जाते हैं ये एडिटर थे संजीवनी नाम के पेपर के संजीवनी जो पेपर था उसमें पहले बार पहले बार फर्स्ट टाइम सजेस्टेड दी आइडिया ऑफ बाय गॉड ऑफ ब्रिटिश गुड्स ब्रिटिश गुड्स की हुई जालना अंग्रेजन को चुडा देने के लिए यस यह पहले बार इस पेपर में लिखने वाले हिम्मत करने वाले यह एडिटर का नाम है कृष्णा कुमार मित्र तो इसी से इंडियन में एक एक जोश ए गया इस पेपर में पहले बार ऐसा लिखा था की हम क्यों ऐसा करें की अंग्रेजन का विरोध करना चाहते हैं तो पहले अंग्रेजन के सवालों का विरोध करें पहले उनकी गुड्स का डिकोट करें उनके स्कूल कॉलेजेस का बाय कोर्ट करें वो सारे स्कूल कॉलेजेस जहां पर इंडियन पढ़ रहे हैं वो इसीलिए स्कूल कॉलेज चल भी रहे हैं क्योंकि हम इंडियन पढ़ने जा रहे हैं तो हम जाएंगे नहीं पढ़ने के लिए हमारे स्टूडेंट नहीं जाएंगे हमारे टीचर्स नहीं जाएंगे वहां पर अपने स्कूल कॉलेज बैंड हो जाएंगे देखा कितनी बड़ी सोच लेने वाले हैं ये तो अंग्रेजन का विरोध करना है तो बाय गॉड करो ये पहले आइडिया देने वाले व्यक्ति हैं कृष्णा कुमार मित्र जी सिर्फ स्कूल कॉलेजेस मैंने लॉक कोट्स में भी हर जगह बाय कोर्ट का एक प्रपोज लाया गया और टाउन हाल कोलकाता में या प्रपोज एक्सेप्ट भी कर लिया गया एक बड़ी मीटिंग बलाई गई टाउन हाल में और वहां इस प्रपोज को एक्सेप्ट कर लिया गया जो क्रेडिट गोस तू कृष्णा कुमार मित्र जी तो इससे बाय गॉड क्या हो गया एक बहुत ही पॉपुलर और मास मोमेंट बन गया क्योंकि हर व्यक्ति ने यस ये तरीका समझ लिया की अंग्रेजन को हरण है तो पहले उनका विरोध करना शुरू करो उनका बाय कोर्ट करना शुरू करो फोर्थ फैज मैंने कहा था पांच फेस फोर्थ फैज में स्टूडेंट ए जाएंगे क्योंकि बाय कोट में ये एक्सेप्ट हो गया की हम सब लोग मिलकर के क्या करेंगे इस बॉयकॉट को क्या कर दिया प्रपोज के रूप में सब ने एक्सेप्ट कर दिया पूरे बंगाल ने की अब हम बाय करेंगे तब हमारे स्टूडेंट अब स्टूडेंट जिंदाबाद स्टूडेंट ने लीड लेना शुरू कर दिया उन्होंने फॉरेन शॉप्स को जो फॉरेन गुड्स बेचते थे उसकी पिक्टिंग करनी शुरू कर दी इसका मतलब क्या होता है की फॉरेन गुड्स की बेचे वाली शॉप्स के बाहर हम बैठे रहेंगे थोड़ा दूर बैठे रहेंगे देखेंगे की कौन जा रहा है इस फॉरेन गुड्स को विदेशी सानो को खरीद रहा है तो जो-जो इंडियन खरीदने जाएंगे उनका हम विरोध करेंगे उनसे अपने रिलेशनशिप खत्म कर लेंगे इससे क्या होगा वो इंडियन भी नहीं जाना चाहेंगे नतीजा फॉरेन गुड्स की शॉप्स अपने आप ही बैंड हो जाएंगे क्योंकि हमारे इंडियन से खरीदेंगे की नहीं तो विदेशी दुकान विदेशी समाज बेचे वाले अपने आप सेटर अपना बैंड कर देंगे समझ गए ना ये था पिकेटिंग कौन करने वाला था स्टूडेंट करने वाले थे जो भी फॉरेन गुडबाय थे पर अंग्रेज क्या बैठने वाले हैं अंग्रेज इतने आसानी से बैठने वाले हैं उनकी दुकानों को कोई बैंड कराएगा अरे आप रे अंग्रेजन ने तो वो अत्याचार किया स्कूल कॉलेजेस को बैंड करना शुरू कर दिया जो स्कूल स्वदेशी मूवमेंट में पार्टिसिपेट करते थे उनके खिलाफ एक्शन उनको स्कूल से रिस्ट्रिकेट करना सस्पेंड करना यह सब शुरू कर दिया अंग्रेजन ने और तो और जो स्टूडेंट इस तरह के मूवमेंट से पार्टिसिपेट कर रहे थे उन पर फाइन लगाया गया कॉलेज से स्कूल से उनका नाम एक्सपेल्ड कर दिया गया कई बार तो उनको लाठियां से तक मारा गया देखा एवं बच्चों को स्टूडेंट तक को लाठियां पड़ी और धन्य है हमारे वो बच्चे जिन्होंने क्या किया हां आजाद जैसे चंद्रशेखर आजाद जैसे बच्चे इसी समय पैदा हुए जिन्होंने वो लाठियां भी खाई और क्या किया तारे नहीं अंग्रेजन से गवर्नमेंट ने वो ग्रैंड जो देते थे कॉलेज को चलने के लिए वो देना भी बैंड कर दिया वह कॉलेज को देना बैंड कर दिया जी कॉलेज के स्टूडेंट क्या करते थे पार्टी से स्वदेशी मूवमेंट में बॉयकॉट मूवमेंट में पार्टिसिपेट करते कई तरीके से अंग्रेजन ने क्या किया इस मूवमेंट को कंट्रोल करने का शुरू किया एवं लॉयर्स ने बाइक आउट कर दिया कोट्स को कहा हम ब्रिटिश कोट्स को नहीं जाएंगे इंग्लिश डॉ को नहीं फॉलो करेंगे टीचर्स डॉक्टर हां ऑफिसर सब नए ब्रिटिश के लिए कम करना माना कर दिया रहे होंगे परम आदरणीय अरविंदो घोष जी इनको भी देख लीजिए बहुत अच्छे से प्रिंसिपल है हां यह स्वयं प्रिंसिपल है इन्होंने अपनी प्रिंसिपल की पोस्ट डिजाइन कर दी कहां पर प्रिंसिपल वहां से डिजाइन करके अपनी पक्की पके बनी बनाई अंग्रेजन की नौकरी छोड़कर के वापस ए गए बंगाल क्या किया बंगाल में जो हमारे इंडियन द्वारा खोल गया नेशनल कॉलेज था यह हमारे इंडियन द्वारा खोल गया कॉलेज था एन नेशनल एजुकेशन के तहत इसको जॉइन कर लिया है प्रिंसिपल और सिर्फ जॉइन नहीं कर लिया बल्कि देश प्रेम की आज लोगो में लगे ये और इसके भाई वीरेंद्र घोष जी मिलकर के अंग्रेजन के खिलाफ कई मैथर्ड कई त्रिकोण से हमारे देशवासियों को स्टूडेंट को सबको जागृत किया इसलिए बहुत पॉपुलर है और तो और उसे समय के बंगाल टेक्निकल इंस्टिट्यूट ध्यान से सुनेगा नाम बंगाल टेक्निकल इंस्टीट्यूशन को फाउंड किया गया जिसका आजकल नाम है यादवपुर यूनिवर्सिटी हां पॉपुलर नाम है जादवपुर यूनिवर्सिटी तो वो सारे इंस्टीट्यूट जो नेशनल एजुकेशन के तहत हम इंडियन ने खोलें आज भी कम कर रहे हैं हां जैसे वाराणसी की बात करोगे तो भू आज भी नंबर वन है देश का बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और एवं काशी विद्यापीठ इस तरह से हर स्टेटस में हर प्लेस से बनाए गए और फोर्थ स्टेज में क्या हुआ बहुत सारे इंडस्ट्रीज कोली गई जैसे कोलकाता पॉटरी जहां पर पोती बनाई जान लगी बंगाल केमिकल्स बंगा लक्ष्मी कॉटन मिल मोहिनी मिल नेशनल टेरर यह सब कौन है यह सब इंडियन इंडीजीनस इंडस्ट्रीज है जो उसे समय बनाई गई ताकि इंडियन गुड्स स्वदेशी गुड्स भारतीयों को यहां से मिल सके अब हम विदेश से समाज नहीं खरीदेंगे अपनी भारत की बनी कंपनियां से समाज खरीदेंगे और तो और साबुन बनाने वाली मैच बॉक्स बनाने वाली तंबाकू बनाने वाली तेल बनाने वाली स्वदेशी बैंक स्वदेशी इंश्योरेंस कंपनी इन सबको खोल किसने खोल स्वदेशी मूवमेंट के तहत इंडियन ने खोल और इंडियन ने कम करते थे इसीलिए हम लोग ने इन सबको एक्सेप्ट कर लिया ये सब इंडस्ट्रीज सुपर सक्सेस हो गई इस समय पे क्योंकि देश में आंदोलन चल रहा था स्वदेशी मूवमेंट चल रहा था और हम भारत की हुई थी अंग्रेजन को हारने की और इसीलिए हम सब एकजुट हो गए इन सब को सफल बनाने के लिए रविंद्र नाथ टैगोर जी ने भी इनकरेज किया बहुत सारे स्वदेशी स्टोर्स खोलें ताकि इंडियन को इंडियन गुड्स इसे मिल सके इसीलिए ब्रिटिश के पास जान की जरूर ही नहीं है ये था स्वदेशी करने का तरीका आई फिफ्थ और लास्ट स्पेस करेंगेi क्या होगा पांचवा पेज है बहुत शॉर्ट है इस समय एंटी पार्टीशन मूवमेंट जो होगा वो लावणी स्टडी स्टेज पर चला जाएगा अब लगेगा की बगावत बहुत हो गई विरोध बहुत हो गया अब दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा है बहुत टॉर्चर कर रहे हैं अंग्रेज न्यूज़ को बहुत मार रहे हैं पीट रहे हैं बहुत अत्याचार कर रहे हैं होता ना अंदर से एक एक जैसे कहते हैं थोड़ा का गई थी की अब कब तक हथियार नहीं उठाएंगे अब बड़ी ए गई थी अब कुछ नहीं हो सकता अब सिर्फ अंग्रेजन को धमकाना पड़ेगा तो अरविंद घोष जी और उनके भाई वीरेंद्र घोषित दोनों ने मिलकर के प्लानिंग की प्लानिंग की ब्रिटिश पर अटैक करने की उन ब्रिटिश को करने की एवं बम भी मार दिया गया ऐसा हुआ हमने लॉर्ड हार्डिंग नाम के उसे समय वेयर थे उन पर भी बम चला दिया जानते हैं लॉर्ड हार्डिंग जो उसे समय व घायल हो गए और उनका जो महावत था जो हाथी चलता था वो तो मा भी गया तो अब इंडियन ने ते कर लिया की अब अब बहुत हो गया समझना बुझाना एंटी पार्टीशन में स्वदेशी बाइक और नेशनल एजुकेशन सब कर लिया पैसे रेजिस्टेंस कर लिया एक्टिव रेजिस्टेंस रिवॉल्यूशनरी ये फिफ्थ स्टेज में आया ठीक है अंग्रेजन को मारेंगे जिन्होंने बहुत ज्यादा दमन कर दिया है अत्याचार कर दिया है अब बर्दाश्त नहीं होता है आई पूरे स्वदेशी मूवमेंट को एक बार एसेस करते फटाफट जल्दी समझते हैं क्या क्या हुआ तो स्वदेशी मूवमेंट में अंग्रेजन ने इंडियन के पर लाठी चार्ज इंडियन को जय में बैंड कर दिया गया जो पिकेटिंग करते थे उनको गिरफ्तार कर लिया गया यहां तक की अंग्रेजन ने बंदे मातरम बोलना भी दिस आलो कर दिया अगर कोई बंदे मातरम बोलेगा भी तो उसको जय हो जाएगी ऐसे वंदे मातरम वंदे मातरम इस दो शब्द हैं ये दोनों शब्द का मतलब है आई सलूट मी मदरलैंड मैं अपने मां को अपने इस धरती मां को क्या करता हूं आदर्श जरूर करता हूं यह वंदे मातरम तो अंग्रेजन को चिढ़ क्यों होती है क्योंकि ये जो वंदे मातरम है ये गीत है यह गीत पहले बार लिखा गया था बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास में एक प्ले में नाम था एक एक नाटक है जिसको बघेलचंद्र लिखा था इसमें पहले बार यह आया था वंदे मातरम और यही से ये शब्द लिया गया एवं रवींद्रनाथ टैगोर जी ने रविंद्र नाथ टैगोर जी ने 1896 में पहले बार वंदे मातरम गया पहले बार 1896 में इंडियन नेशनल कांग्रेस की लीडिंग पे पहले बार वहां पे इन्होंने ये नारा दिया वंदे मातरम हां और वहां से ये गीत ये नारा नेशनल सॉन्ग हां आज आपको पता होना चाहिए हमारे देश का नेशनल सॉन्ग है वंदे मातरम तो यह सॉन्ग अंग्रेजन को ये गीत ये आवाज वंदे मातरम ही अंग्रेजन को बन कर दी और क्या हुआ लोगों को जिन्होंने गवर्नमेंट सर्विस में थे और उन्होंने किसी भी तरीके से स्वदेशी में पार्टिसिपेट किया था उनकी नौकरी अंग्रेजन ने ले ली तो अंग्रेजन ने दमन करना शुरू कर दिया अब कांग्रेस में भी बंटवारा हो जाएगा 197 में मॉडरेट्स और एक्टीमेट अलग हो जाएंगे क्योंकि मॉडरेट्स अपने पीसफुल मेथड के लिए जान जाते हैं और एक्सटर्मिस्ट मतलब असर्टिव नेशनलिस्ट वो चाहते थे की अब हम एक्टिव रजिस्टेंस करें| अब हम अंग्रेजन का विरोध तो करेंगे पर स्वदेशी बाइक और मास मूवमेंट लाकर करेंगे इस तरह से कांग्रेस में बंटवारा हो जाएगा सूरज स्पिरिट के नाम से जाना जाता है और तो और लीडरशिप कुछ समय के लिए एकदम खाली हो जाएगी कैसे 1987 से लेक 8 के बीच में सारे बड़े लीडर्स या तो रेस्ट कर लिए जाएंगे यहां जय में बैंड हो जाएंगे एक तरह से पुरी कांग्रेस लीडरलेस हो जाएगी इन लगभग दो तीन सालों तक औरत यह जो मोमेंट था स्वदेशी मूवमेंट था ये मिडिल क्लास का मोमेंट बन गया आम जनता इसमें जुड़ गई बट फार्मर्स लोअर क्लास के लोग इसमें कम क्यों नहीं लगा क्योंकि यह मास मूवमेंट तो था बट इसमें टेररिज्म आने लगा हां ये जो नए लोग आने लगे फिफ्थ पेज में जिनका मकसद था की अब अंग्रेजन को क्या करेंगे मार्कर के वायलेट तरीके से हां विरोध करेंगे और ऐसा हुआ भी उन्होंने कई अंग्रेजन पर अटैक भी किया अंग्रेजन को मारा भी इससे आम जनता फिर इससे मूवमेंट से अव्यय हुए धीरे-धीरे स्वदेशी और बाइक और मोमेंट्स सब साइड हो गया क्योंकि रिवॉल्यूशनरी में इंडियन बिलीव नहीं करते थे हम भारतवासियों अहिंसा वादी है तो इसीलिए मोमेंट धीरे-धीरे क्या हो गया लोगों से थोड़ा कट गया है तो अब अगला जो टॉपिक है जिसे हम कहते हैं ग्रोथ ऑफ रेलवे स्टेशन मूवमेंट यह टॉपिक हम आपको पार्ट तू में बताएंगे और मैं उम्मीद करता हूं की यह पार्ट वन का वीडियो ग्रोथ ऑफ नेशनलिज्म जिसमें हम एंटी पार्टीशन मूवमेंट स्वदेशी मूवमेंट को बहुत डिटेल में समझ रहे थे ये आपको समझ में ए गया होगा समझ में ए गया होगा तो एक लाइक कर दीजिएगा और प्लीज प्लीज ये नया चैनल है आपके रिक्वेस्ट में बनाया गया चैनल है और मेरे प्यार रॉकस्टार्स मैं आपके लिए सारे नोट्स को एक नए टेलीग्राम चैनल पर जिसमें नाम होगा रॉकस्टार ह्यूमैनिटी आपके लिए बना रहा हूं रॉकस्टार आर्ट भी का सकते हैं और आपके ही रिक्वेस्ट में क्योंकि बना रहा हूं अगर आपका प्यार नहीं मिला तो शायद मैं आगे और नहीं बना पाऊंगा सो हम्बल रिक्वेस्ट है प्लीज प्लीज अपने फ्रेंड्स क्लासमेट जिन्होंने ह्यूमैनिटी लिया है और आईएससी में है एक्सक्लूसिव चैनल है आई सी के लिए और आपके प्यार पे बनाया जा रहा है और देर सारे कंटेंट बनाऊंगा साड़ी मेजर सब्जेक्ट कर करूंगा और चाहिए मुझे आपका प्यार तो लाइक शेर कर दीजिएगा मिलते हैं अगले वीडियो में आपके कमेंट्स के देर सारे प्यार भरे रिक्वेस्ट के बाद बाय फ्रॉम नो