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Indian Economy: Liberalization, Privatization, and Globalization

व्हाट्स अप एवरीवन वेलकम बैक तू डी चैनल हम लोगों ने कवर कर लिया चैप्टर नंबर वैन शॉट चैप्टर नंबर तू वैन शॉट अब कवर करेंगे चैप्टर नंबर थ्री वैन शॉट पूरे इंडियन इकोनॉमी आपको वैन शॉट कराऊंगा और आठ वीडियो में आपकी पुरी किताब तैयार हो जाएगी जो की अगले एक-दो दिन में मैक्सिमम मैं आप लोगों को इन को कंप्लीट कर दूंगा तो हम लोग शुरू करने जा रहे हैं चैप्टर नंबर थ्री डेट इस लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन एंड ग्लोबलाइजेशन एलपीजी डी न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी जो 1991 में शुरू हुआ पहला चैप्टर 47 1947 दूसरा 1950 से 1990 अब 991 एंड ऑनवार्ड्स गवर्नमेंट ने क्या-क्या कर लिए देखते हैं लेट्स [संगीत] [संगीत] स्टार्ट करते हैं हम बेसिक इंट्रोडक्शन के साथ चैप्टर देश में तो बहुत बड़ा प्रॉब्लम ए चुका है देश के पास कोई फॉरेन एक्सचेंज नहीं है देश के पास बिजनेस नहीं है हम बहुत ज्यादा डेफिसिट में जा रहे हैं यानी हमारे पास पैसा नहीं है हम नुकसान में जा रहे हैं हमें सारी चीज चेंज करनी होंगी हमारे फाइनेंस मिनिस्टर डॉक्टर मनमोहन सिंह जी ने उसे टाइम पर पॉलिसीज लागू करनी शुरू कारी और बहुत सारे चेंज लेकर आए जिसको बोला गया न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी 1991 तो क्या क्या चीज आई उनको ध्यान से पढ़ेंगे और देखेंगे क्या क्या चीजे हैं सबसे पहले इकोनॉमिक पॉलिसीज डायरेक्टर तू एक्सीलरेट ऑफ ग्रोथ एंड डेवलपमेंट बहुत सारी पॉलिसीज में बदलाव कर गया सो डेट हम स्पीड बढ़ा सकें ग्रोथ की और डेवलपमेंट की देश में रीजंस क्या रहे हमें क्यों इतने बड़े चेंज लाने पड़े देश में पुरी पुरी पॉलिसीज ही क्यों चेंज करनी पड़ी ऐसी क्या बात हो गई थी देश में ऐसी क्या समस्या ए गई थी की सब कुछ बदलना पड़ा सबसे पहला कारण पुर परफॉर्मेंस ऑफ पब्लिक सेक्टर पब्लिक सेक्टर में प्रूफ कर की हम लोग अगर कोई कंपटीशन नहीं होगा अगर कोई देखरेख नहीं होगी तो ये सिर्फ और सिर्फ एक डेड सोशल वेट है देश के ऊपर सिर्फ और सिर्फ एक बार है करप्शन बहुत ज्यादा है रेड टेपिस्म बहुत ज्यादा है और ग्रोथ नहीं हो पाएगी तो पुर परफॉर्मेंस ऑफ पब्लिक सेक्टर वास डी फर्स्ट रीजन जिसने फोर्स कर की हमें अपनी इकोनॉमी में पूरा सिस्टम ही चेंज करना होगा इन डी 40 इयर्स पीरियड 1951 तू 1990 पब्लिक सेक्टर को असाइन कर गया था मेजर वर्क फॉर ग्रोथ एंड डेवलपमेंट और उसने अपना ओवरऑल परफॉर्मेंस बहुत ही खराब दिखाया कुछ भी कम नहीं देखने को मिला डेफिसिट इन बैलेंस ऑफ पेमेंट बैलेंस ऑफ पेमेंट बेटा जी एक वो स्टेटमेंट होता है माइक्रो में पूरा चैप्टर भी आपके पास जो दो चीज रिकॉर्ड करते हैं एक्सपोर्ट कितना है देश में इंपोर्ट कितना है एक्स एक्सपोर्ट्स एन इंपोर्ट्स ठीक है अगर आपके इंपोर्ट्स बहुत ज्यादा हूं तो आपका पैसा बहुत ज्यादा बाहर जाता है और एक्सपोर्ट बहुत कम हो तो आपके पास बहुत कम पैसा आता है इसको हम लोग डेफिसिट बोलते हैं डेफिसिट का मतलब हमने खर्चे बहुत ज्यादा कर दिए और हमारी कमाई कुछ भी नहीं हुई तो डेफिनेट एक बहुत मेजर प्रॉब्लम रहा इट रिसेस व्हेन फॉरेन पेमेंट्स फॉर इंपोर्ट एसिड फौरन रिसेप्शन एवं आफ्टर इंपोजिंग हैवी टैक्स लगाने के बाद भी शार्प प्राइस हुआ इंपोर्ट्स में क्योंकि जो मशीनरी जो टेक्नोलॉजी हमारे देश को चाहिए थी वो अवेलेबल ही नहीं थी तो हम डेफिसिट में चले गए द हमारे पास फॉरेन एक्सचेंज सिर्फ और सिर्फ एक हफ्ते का बचा था उसके बाद इंडिया की इकोनॉमी डूबने की कगार पर ए गई थी तो पब्लिक सेक्टर में बहुत खराब परफॉर्म कर डॉप डेफिसिट में था इन्फ्लेशन अपनी पिक पर था महंगाई अपनी पिक पर थी इन्फ्लेशनरी प्रेशर इतना ज्यादा था इतना ज्यादा था की हम लोग उसको कंट्रोल ही नहीं कर का रहे द इन्फ्लेशन कंट्रोल से बाहर हो चला था कोई समझ नहीं ए रहा था की महंगाई को कैसे कंट्रोल कर जाए तो क्या-क्या प्रॉब्लम्स हैं पुर परफॉर्मेंस है डेफिसिट है और इन्फ्लेशनरी प्रेशर रहा है फॉल इनफॉरमेशन रिजर्व्स मैं आपको ऑलरेडी बता चुका हूं की हमारे पास इतनी ज्यादा प्रॉब्लम ए गया था की हमारे पास फॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व बचा ही नहीं था अगर हमें बाहर से कुछ भी इंपोर्ट करना हो मजबूरी में भी तो हमारे पास पैसा नहीं था हमारा पैसा सारा खत्म हो चुका था हमने इतने ज्यादा इंपोर्ट्स कर लिए द यहां तक की इतनी बड़ी प्रॉब्लम ए गई थी की देश के अंदर से गोल्ड रिजर्व्स छुप-छुप के बेचे जा रहे द इतनी बड़ी प्रॉब्लम्स हमारे देश में ए गई थी इसके बाद क्या आता है ह्यूज बर्डन ऑफ डेथ बहुत ज्यादा हो चुके द देश के ऊपर इतने ज्यादा हम कर्जा ऑलरेडी ले चुके द हम आज भी बहुत करते हैं भारत के ऊपर कर्जा इतना ज्यादा है की हम इंटरेस्ट पेमेंट ही नहीं चुका पाते हैं प्रिंसिपल तो हम पता नहीं कब आएंगे तो बर्डन ऑफ डेट्स बहुत ज्यादा है हमारे देश के ऊपर जिसको धीरे-धीरे धीरे-धीरे रिमूव करने की कोशिश कारी जा रही है बट इतना ज्यादा अमाउंट है की हो ही नहीं का रहा है था एक्सपेंडिचर ऑफ गवर्नमेंट वैसे मच हायर एंड डी रेवेन्यू एक डी रिजल्ट सरकार को बोरो करना पड़ता है और बहुत ज्यादा बर्डन हो चुके हैं इन एफिशिएंट मैनेजमेंट ये तो हम जानते ही हैं की मैनेजमेंट जो है गवर्नमेंट का पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज सालों में बिल्कुल इन एफिशिएंट था कहीं पर भी एफिशिएंसी नजर नहीं आई कहीं पे भी डेवलपमेंट नजर नहीं आया बस सिर्फ और सिर्फ नजर आया तो करप्शन रेड टेपिस्म डिले इन वर्किंग पेपर वर्क और इन सभी चीजों की वजह से देश ग्रो नहीं कर पाया तो ये सब रीजंस हैं जो हम बोल सकते हैं की देश में नई पॉलिसीज लानी पड़ी पब्लिक सेक्टर खराब बाप डेफिसिट में गया इन्फ्लेशन बहुत ज्यादा फॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व खत्म हो गए हमारे पास से कर्जा काफी ज्यादा रहा और मैनेजमेंट काफी ज्यादा इन एफिशिएंट देखने को मिला अब न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी में क्या-क्या आया ध्यान से देखेंगे तो न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी में हमने सभी पॉलिसी अपनी चेंज कारी मैथर्ड ऑफ वर्किंग चेंज कारी चीजों में बदलाव लेकर आए कम करने का तरीका बदला और दो प्रकार के मेजर हैं में जो हमें देखने को मिले एक द शॉर्ट टर्म के लिए ताकि इकोनॉमी को थोड़ा सा स्टेबल कर जा सके एक द लॉन्ग टर्म के लिए ताकि हम इकोनॉमी का स्ट्रक्चर ही पूरा का पूरा चेंज कर दें कम करने का तरीका ही पूरा का पूरा चेंज कर दें तो दो तरीके की प्लानिंग हुई शॉर्ट टर्म के लिए थोड़ा स्टेबल करने के लिए और लॉन्ग टर्म के लिए पूरा स्ट्रक्चर बदलने के लिए तो क्या-क्या मेजर हमें देखने को मिले एक आए हमारे पास स्टेबलाइजेशन मेजर स्टेबलाइजेशन मेजर में क्या-क्या आता है दे रेफरेंस तू डी शॉर्ट टर्म मेजर स्टेबल करने के लिए करेक्टिंग वीकनेस अपनी वीकनेसेस को दूर करना सबसे पहले तो जैसे फॉरेन एक्सचेंज की प्रॉब्लम उसके साथ-साथ महंगाई की समस्या जो ए रही है उसको ध्यान में रखते हुए थोड़ा सा एक इकोनॉमी को स्टेबल करने के लिए स्टेबलाइजेशन मेजर और लॉन्ग टर्म मेजर में पूरा स्ट्रक्चर चेंज करना स्ट्रक्चर रिफॉर्म्स एफिशिएंसी डेवलप करना इंटरनेशनल कॉम्पिटीटीवनेस डिवेलप करना देश में पूरे वर्ल्ड में देश की वैल्यू जेनरेट करना ये सब स्ट्रक्चरल मेजर में ए जाता है तो स्टेबलाइजेशन शॉर्ट टर्म होते हैं स्ट्रक्चरल लॉन्ग टर्म होते हैं ये याद रखना न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी में कितने एलिमेंट्स हमें देखने को मिले कौन-कौन सी चीज आई तो मैं आपको एक ओवरव्यू लेता हूं सबसे पहले हमारे पास तीन चीज थी लाइसेंस कोटा और परमिट्स यानी की एल के पी लाइसेंस कोटा और परमिट्स अगर आपको इंडस्ट्रियल लगानी है आपको कोई बिजनेस लगाना है तो आपको हर चीज के लिए लाइसेंस चाहिए आपको बिल्कुल भी फ्रीडम नहीं है दूसरा अगर आप अगर आप कुछ इंपोर्ट करना चाहते हो आपको कोई कम करना चाहते हो तो आपको गवर्नमेंट से हर चीज के लिए परमिट लेने पड़ेंगे आप प्राइवेट सेक्टर में हो आप कम करना चाहते हो तो परमिशन लो हर चीज की उसके बाद अगर आपको कुछ भी इंपोर्ट करना है तो आप उसकी क्वांटिटी सीलिंग से बचो बहुत सारी चीज हैं तो हमारे पास बहुत सारी प्रॉब्लम्स थी लाइसेंस की क्वांटिटी कोटा की और परमीशंस की तो यह सब खत्म कर गया एल के पी खत्म कर गया हमें लाइसेंस हटा के फ्रीडम दिया गया है जिसे बोला गया लिबरलाइजेशन हमें कोटा से हटाकर प्राइवेट सेक्टर का रोल बढ़ाया गया पब्लिक सेक्टर का रोल कम कर गया जिसे बोला गया प्राइवेट दी गई की आप ग्लोब वाइस कम करो उसको बोला गया ग्लोबल एलपीजी डेट इस लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन एंड ग्लोबलाइजेशन क्या क्या आता है लिए शुरू करते हैं मैंने आपको पहले बता दिया था पॉलिसी ऑफ लिबरलाइजेशन इन प्लेस ऑफ लाइसेंस पॉलिसी ऑफ प्राइवेटाइजेशन इन प्लेस ऑफ कोटा पॉलिसी ऑफ ग्लोबलाइजेशन इन प्लेस ऑफ परमिट्स ठीक है सबसे पहले हम बात करते हैं लिबरलाइजेशन की की एक्चुअल में लिबरलाइजेशन होता क्या है तो लिबरलाइजेशन लिबरल शब्द से आया है लिबरल का मतलब जितने भी रिस्ट्रिक्शंस हैं जितने भी चीज हैं जो स्टेप रुलज़ है रिगिड रूल्स हैं उन्हें आसान बनाया जाए उन्हें थोड़ा सा स्मूथ कर जाए उसको हम लिबरलाइजेशन बोलते हैं तो लिखा है लिबरलाइजेशन मेंस रिमूवल ऑफ एंट्री एंड ग्रोथ रिस्ट्रिक्शंस ऑन डी प्राइवेट सेक्टर लिबरलाइजेशन इन वॉल्स दी रेगुलेशन एंड रिडक्शन ऑफ गवर्नमेंट कंट्रोल रेगुलेशन होता है रूल्स हटाना दी रेगुलेशन करना और रिडक्शन करना किस चीज में गवर्नमेंट के कंट्रोल में और फ्रीडम देना प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को ताकि इकोनॉमी अच्छा हो सके अंडर labelises आर फ्रीली अलाउड तू रन ऑन कमर्शियल लाइंस बिजनेस फ्रीली चल सकते हैं किसी तरीके की कोई भी प्रॉब्लम बिजनेस को नहीं है अंडर लिबरलाइजेशन अब लिबरलाइजेशन का क्या पर्पस है क्या-क्या चीज आती हैं लिबरलाइजेशन में इट वैसे डैन तू अनलॉक डी इकोनॉमिक पोटेंशियल एक तो हम जो हमने लॉक कर हुआ है जो हम फ्रीडम नहीं दे रहे हैं उसको अनलॉक कर जाए उसके बाद मल्टीनेशनल कॉरपोरेशन को इन्वेस्ट करने का मौका दिया जाए इंटरव्यूज कारी जाए कंपटीशन कंपटीशन आएगी जब तो अच्छा कम होगा जब से जिओ आया तो बीएसएनएल को भी अच्छा कम करना पद रहा है एयरटेल को भी अच्छा कम करना पद रहा है वोडाफोन आइडिया को मर्ज हो के कम करना पद रहा है तो जब तक कंपटीशन नहीं होता ना तो मजा नहीं है जब कंपटीशन आता है तो लोग जाम के बढ़िया तरीके से कम करते हैं ठीक है अब लिबरलाइजेशन में क्या-क्या रिफॉर्म्स आए बेटा जी लिबरलाइजेशन में अगर देखा जाए तो हमें चार तरीके के रिफॉर्म्स देखने को मिले सबसे पहले याद कर लेना चाहेंगे पंच तरीके के इसको याद करने का सर कोई तकनीक है क्या हान ये इकोनॉमी अनफिट थी उसको फिट करने के लिए पंच चीज आई ऍफ़ आई टी ठीक है एफ से आता है हमारे पास सबसे पहले फाइनेंशियल सेक्टर रिफॉर्म्स इसमें हम मैनली आरबीआई की बात करेंगे दूसरा होता है फॉरेन एक्सचेंज रिफॉर्म्स जिसमें हम अपने फॉरेन ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट पॉलिसी रिफॉर्म्स तो लिबरलाइजेशन में 5 सेक्टर के ऊपर जोर दिया गया और ये पेपर में पक्का आएगा दिस इसे सावधान इंडिया सवाल बहुत अच्छे से कर लेना कुछ-कुछ क्वेश्चन है जो पक्का पेपर में ए रहे होंगे ये उसमें से एक है ठीक है तो फिट करने के लिए पंच रिफॉर्म्स आए कौन-कौन से सबसे पहले हम शुरुआत करते हैं इंडस्ट्रियल सेक्टर रिफॉर्म्स के साथ अफसर इंडस्ट्रियल सेक्टर में क्या रिफॉर्म्स है देखो इंडस्ट्रियल सेक्टर में जो मेजर चीज है ना वह था आईपीएल 1956 में इंडस्ट्रीज सारी की सारी ऑलमोस्ट गवर्नमेंट ने अपने अंडर कर ली थी शेड्यूल वैन में शेड्यूल तू में मेजर इंडस्ट्रीज सरकार ने अपने अंडर कर ली थी जिसमें एक एक एस एक तरीके से करप्शन बहुत सारा डेलिन वर्क बहुत सारा पेपर वर्क इस सब को खत्म कर गया इंडस्ट्रियल सेक्टर में मैं नहीं देखो सबसे पहले रिडक्शन इन इंडस्ट्रियल लाइसेंस है यानी की हर चीज के लिए जो मुझे लाइसेंस चाहिए था ना वो लाइसेंस खत्म कर गया डी न्यू पॉलिसी अबॉलिश्ड इंडस्ट्रियल लाइसेंस फॉर ऑल डी प्रोजेक्ट सिर्फ कुछ को छोड़ के जैसे ले करके ले जाइए डिफेंस के लिए चाहिए इंडस्ट्रियल एक्स्पोज़र के लिए चाहिए अब नो लाइसेंस वाज नीडेड फॉर एक्सपेंशन और डायवर्सिफिकेशन आप बिजनेस बढ़ाना चाहते हो बढ़ाओ reversify करना चाहते हो करो कोई लाइसेंस नहीं चाहिए ओनली इंडस्ट्री रिलेटेड तू सिक्योरिटी अगर देश की सिक्योरिटी पर बात ए रही है स्ट्रीट्स कंसीडरेशन से बात ए रही है तो वहां पर लाइसेंस चाहिए डिक्रीज इन डी रोल ऑफ पब्लिक सेक्टर पब्लिक सेक्टर का रोल कम कर दिया गया जो नंबर ऑफ इंडस्ट्रीज पब्लिक सेक्टर में 17 हो गई थी 17 17 से 3 कर दी गई शेड्यूल ए में 17 इंडस्ट्रीज राखी थी ना कम कर दी गई वो कौन सी राखी गई डिपेंड्स एटॉमिक एनर्जी और रेलवे बस तीन राखी गई स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज के लिए जो रिजर्वेशन राखी गई थी बस स्मॉल स्क्रीन इंडस्ट्रीज ग्रो होंगी इलाज के लिए नहीं होगी वो रिजर्वेशन खत्म दी रिजर्वेशन कर दी गई स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज की अब जितने भी बड़ी कार इंडस्ट्रीज हैं वो चल सकती हैं और फ्रीडम से चल सकते हैं कोई प्रॉब्लम नहीं है मोनोपोलिस्ट एंड रिस्ट्रिक्टिव ट्रेड प्रैक्टिस एक्ट आया पहले क्या था जो प्रोडक्शन कैपेसिटी थी की आप कितना प्रोड्यूस कर सकते हो वो लाइसेंस के साथ जोड़ी गई थी लेकिन वो समाप्त कारी गई अब आप फ्रीडम से कम कर सकते हो किसी तरीके की लाइसेंस की जरूरत नहीं है जितना एक्सपेंड करना है करो जितना डायवर्सिफाई करना है करो उसके साथ साथ आप जो रिपोर्ट करना चाहो कैपिटल गुड्स अगर आप इंपोर्ट करना चाहते हो तो आप खुलकर इंपोर्ट कर सकते हो आपको कोई भी परेशान नहीं करेगा आप जी भर के बिजनेस करो इंपोर्ट करो कोई प्रॉब्लम नहीं है दूसरा हमारे रिफॉर्म्स आते हैं फाइनेंशियल सेक्टर में सर फाइनेंशियल सेक्टर में मैंने आपको पहले बताया आरबीआई की बात करेंगे हमारे देश का सबसे बड़ा बैंक सेंट्रल बैंक डेट इस आरबीआई आरबीआई का जो रोल था वो था रेगुलेटर का रूल्स बनाना रेगुलेशंस बनाना कंट्रोल करना हर बैंक पे आरबीआई का रोल बदला गया आरबीआई को कहा गया भाई साहब आपका पर्पस बैंक्स को परेशान करना नहीं है बैंक्स की मदद करना है हान अगर कोई गलती करें तो आप ही dantoge लेकिन आप रेगुलेटर नहीं रहोगे आप फैसिलिटेटर हो जाओगे आप फैसेलिटीज दो बैंक्स को आप डिवेलप करने में मदद करो आप रेगुलेटर नहीं हो आप फैसिलिटेटर हो तो क्या हुआ चेंज इन रोल ऑफ आरबीआई डी रोल ऑफ आरबीआई वाज रिड्यूस्ड तू अन फैसिलिटेटर प्राइवेट बैंक हमें देखने को मिलेगा 1991 के बाद अगर आज प्राइवेट बैंक है तो पीएनबी एसबीआई को भी अच्छे से कम करना पड़ता है अगर प्राइवेट बैंक्स ना हो तो पीएनबी एसबीआई मजे कर रहे हो हर दूसरे दिन सर्वर खराब हो और कम ना चल रहा हो तो बहुत सारी ऐसी चीज हैं जब कंपटीशन ग्रो होता है तो चीज अच्छी चलती हैं तो क्या लिखा है डी रिफॉर्म्स पॉलिसीज लीड तू एस्टेब्लिशमेंट ऑफ प्राइवेट सेक्टर बैंक्स इंडियन आगे वेल आगे फॉरेन इंक्रीस इन लिमिट ऑफ फॉरेन इन्वेस्टमेंट फॉरेन इन्वेस्टमेंट को इन्वेस्टमेंट लिमिट अलाउ कारी गई बधाई गई की आप इन्वेस्ट कर सकते हो 51% तक बी हमारे देश में अगर बाहर से कोई आगे पैसा लगाना चाहता है तो वो लगा सकता है फॉरेन इंस्टीट्यूशन इन्वेस्टर जैसे मर्चंट बैंकर्स हो गए म्युचुअल फंड्स हो गए पेंशन फंड्स हो गए वो अलाउड द की आप इन्वेस्ट कर सकते हो इंडियन मार्केट में उसके साथ-साथ अगर आपको एक्सपेंशन करना है ब्रांचेस सेटअप करनी है बिजनेस बढ़ाना है तो उसके लिए आपके लिए चीज आसान है आपके ऊपर कोई भी रिस्ट्रिक्शन नहीं है ठीक है जी तीसरे आते हैं टैक्स रिफॉर्म्स अगर हम टैक्स रिफॉर्म्स की बात करें तो दो प्रकार के टैक्स होते हैं डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स मैं इस पे ज्यादा ध्यान नहीं दूंगा क्योंकि आपको पता ही है डायरेक्ट टैक्स वो है जिसका बर्डन शिफ्ट नहीं होता जैसे मेरा इनकम टैक्स मेरे ऊपर लगाया गया तो मुझे ही देना है लेकिन जिनका बर्डन शिफ्ट हो जाए जैसे जीएसटी लगाया मेरे ऊपर गया था मैंने कस्टमर से ही ले लिया मैं डोमिनोज़ पिज़्ज़ा हूं आप मेरे पास पिज़्ज़ा खाने के लिए आए हैं मैंने बिल में जीएसटी भी जोड़ के आपसे ले लिया दूंगा गवर्नमेंट को लेकिन बर्डन मेरे पे था मैंने आपके ऊपर दल दिया शिफ्ट हो गया ये इनडायरेक्ट टैक्स है तो दो प्रकार के टैक्स होते हैं डायरेक्ट और इनडायरेक्ट ठीक है हमारे यहां पे जो मेजर रिफॉर्म्स आए द वो आए द तो टैक्स को कम कर गया 991 तक जो टैक्स द उसमें कमी लाई गई इनडायरेक्ट टैक्स में सिंपलीफिकेशन कर गया प्रोसीजर परेशान कर गया रिटर्न्स भरने का आसान बनाया गया आजकल तो हम देख रहे हैं पेपर वर्क्स से भी कम करके ऑनलाइन की तरफ जा रहे हैं सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है तो ये सब भी एक बहुत बड़े रिफॉर्म्स हैं जो हमें फाइनेंशियल सेक्टर में देखने को मिलते हैं टैक्स रिफॉर्म्स के तौर पे जीएसटी तो आप जानते ही हो सबसे बड़ा रिफॉर्मर है की वैन नेशन वैन टैक्स बहुत सारे टैक्स खत्म करके वाट सर्विस टैक्स सेल टैक्स एक्साइज यू डू ये सब खत्म करके एक ही टैक्स लगाया गया जिसका नाम रखा गया जीएसटी तो ये भी आप रिफॉर्म्स में लिख के ए सकते हो नेक्स्ट आता है बच्चे हमारे पास फॉरेन एक्सचेंज रिफॉर्म्स सर फॉरेन एक्सचेंज में क्या जरूरत थी रिफॉर्म्स की देखो फौरन एक्सचेंज में हमारे पास फॉरेन एक्सचेंज बिल्कुल खत्म हो गया था हमारे पास इतना भी फॉरेन एक्सचेंज नहीं था इतना भी पैसा नहीं था की हम एक हफ्ते के लिए भी कुछ ना कुछ इंपोर्ट कर पाएं प्रॉब्लम हो गई थी तो हमने पैसा इकट्ठा करने के लिए फॉरेन एक्सचेंज इकट्ठा करने के लिए अपने रुपए का वैल्यू कम कर इसको बोलते हैं डी वैल्यू मतलब की मेरा रुपए सामने वाले को सस्ता मिले हमने अपना वैल्यू खुद से कम कर दी वैल्यू कर रहा सर क्यों सस्ता कर ताकि बाहर वाले को हमारा समान सस्ता पड़े और अगर वो एक क्वांटिटी ले रहा है तो वो दो क्वांटिटी ले तब वो दो क्वांटिटी लेगा तो हमारा एक्सपोर्ट बढ़ेगा ना हमारे को पैसे की बहुत जरूरत थी जब इंसान को पैसे की जरूरत होती है तो वो अपना समान सस्ता करता है तो हमने अपना रुपया खुद से कम कर इसको बोला जाता है दी वैल्यू सरकार खुद कम करती है ये फॉरेन एक्सचेंज रेट माइक्रो में पढ़ोगे आप लोग और जब खुद से हो रहा होता है तो उसको बोलते हैं डिप्रेशन तो दिस इस डी वैल्यूएशन ऑफ रूपी जहां पर रिडक्शन कारी फेस वैल्यू की हमने डोमेस्टिक करेंसी की ताकि जो डेफिसिट में जा रहा है बी पी वो थोड़ा पॉजिटिव हो पाए उसके बाद जो हमने कहा की अब जो फॉरेन एक्सचेंज रेट डिटरमिन होगा वो मार्केट फोर्सेस से होगा गवर्नमेंट खुद नहीं करेगी मार्केट फोर्सेस मतलब डिवाइडेड सप्लाई मतलब की कितनी डिमांड है फॉरेन एक्सचेंज की कितनी सप्लाई है जहां पे इंटरसेक्ट करेंगे उसके सामने जो रेट होगा ये सेट होगा अपने हाथ में कुछ नहीं है ठीक है जी इसके बाद ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट पॉलिसी रिफॉर्म्स आए ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट पॉलिसी रिफॉर्म्स में क्या हुआ है देखो व्यापार इंप्रूव करने के लिए क्या-क्या चीज कारी गई देखो सबसे पहले तो क्वानटेटिव रिस्ट्रिक्शंस कम करेगा इंपोर्ट करना है जितनी क्वांटिटी में चाहो इंपोर्ट करो एक्सपोर्ट करना है जितनी क्वांटिटी में चाहे एक्सपोर्ट करो आपको कोई नहीं रोकेगा तो जो क्वानटेटिव रिस्ट्रिक्शंस हैं जो क्वांटिटी में रिस्ट्रिक्शंस द वो खत्म करेगा एक्सपोर्ट ड्यूटीज खत्म कारी गई आप मैन लगाकर जितना चाहो एक्सपोर्ट कर सकते हो जितना मल बेच सकते हो बेचो एक्सपोर्ट ड्यूटीज वर रिमूव तू इंक्रीस डी कॉम्पिटेटिव पोजीशन ऑफ इंडियन शब्द इंपोर्ट ड्यूटी कम कर दी गई कम से कम इंपोर्ट ड्यूटी राखी गई की अब आप बिल्कुल तो खत्म नहीं कर सकते हो अभी फॉरेन एक्सचेंज की दिक्कत थी तो थोड़ी सी कम कारी गई की यार कम हो जाए चलो बिजनेस अच्छा होना चाहिए अगर मशीन से एक कोई मशीन इंपोर्ट करके हमारे देश में बहुत सारा बिजनेस होता है लोगों को कम मिलता है तो क्या दिक्कत है है ना इंपोर्ट ड्यूटी कम गई और इंपोर्ट लाइसेंस सिस्टम जो लाइसेंस चाहिए उसे पर भी रिलैक्सेशन दिया गया अब आराम से आप लाइसेंस एप्रोच कर सकते हो लाइसेंस ले भी सकते हो ठीक है जी तो यह सारे हमारे पंच रिफॉर्म्स है जो लिबरलाइजेशन में आए द इकोनॉमिक को फिट बनाने के लिए इसके बाद हमारे पास ए जाता है प्राइवेटाइजेशन ये बहुत सिंपल है प्राइवेटाइजेशन का मतलब क्या होता है रोल ऑफ पब्लिक सेक्टर को कम करना एंड रोल ऑफ प्राइवेट सेक्टर को बढ़ाना पब्लिक सेक्टर कम से कम कम करेगा और प्राइवेट सेक्टर ज्यादा से ज्यादा कम करेगा इसको हम प्राइवेटाइजेशन बोलते हैं इट इस ओनली बिकॉज ऑफ प्राइवेट हो पाए हैं अगर जिओ इंटरनेट ना ले के आता तो शायद हम भी कनेक्ट ना हो पाते तो दिस इस डी इंपॉर्टेंस ऑफ प्राइवेट डाइजेशन अगर पहले टेलीफोन कनेक्शन लेना होता तो 6-6 महीने वेट करना पड़ता था आज ऐसे आप चुटकियों में एक सिम ले सकते हो और आप कनेक्ट कर सकते हो दिस इस ओनली बिकॉज ऑफ प्राइवेट डाइजेशन बहुत इंपॉर्टेंट है हर एक इकोनॉमी के लिए प्राइवेट पार्टनरशिप मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ पब्लिक सेक्टर तू डी एंटरप्रेन्योर्स ऑफ प्राइवेट सेक्टर डी में पर्पस तू इंप्रूव फाइनेंशियल डिसिप्लिन एंड फैसिलिटेट मॉडर्नाइजेशन फाइनेंशियल डिसिप्लिन इंप्रूव होता है और मॉडर्न होती है आइकन अमीन नई-नई टेक्नोलॉजी आती है नए-नए क्रिएटिविटी आती है चीज आती हैं इनोवेशन आती है प्राइवेट से प्राइवेटाइजेशन दो तरीके से कर जा सकता है एक तो आप ओनरशिप भी ट्रांसफर कर दो मतलब पूरा का पूरा बिजनेस ही सेल कर दो प्राइवेट सेक्टर को दूसरा आप अपने शेयर्स भेज दो दिस इन्वेस्टमेंट कर दो तो दो तरीके हैं या तो आप पूरा का पूरा बिजनेस ही बेच दो या आप अपने शेयर सेल करना शुरू कर दो डिसइनवेस्टमेंट कर दो प्राइवेट हो जाएगा डिसइनवेस्टमेंट रेफरेंस तू प्राइवेट डायरेक्शन ऑफ पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग बाय सेलिंग ऑफ पार्ट ऑफ डी इक्विटी तू डी पब्लिक नीड फॉर प्राइवेट के लाना पड़ा हम जानते हैं सबसे पहला कारण तो ऊपर ही लिखा था पुर परफॉर्मेंस ऑफ पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग बहुत ही खराब कर रहे द तो हमें प्राइवेट सेक्टर की जरूरत पड़ी थ्रू डी स्प्रेड ऑफ पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग इंडिया को डायवर्सिफाइड इंडस्ट्रियल बेस बिटवीन डी पीरियड 1951 तू 1991 मतलब जो हमारा इंडस्ट्रियल बेस है वह 1951 से 1991 तक ग्रो हुआ बट अन प्राइवेट सेक्टर की जरूरत थी की वो उसको पुश करें आगे लेके जाए और नई टेक्नोलॉजी नई क्रिएटिविटी नई इनोवेशन के साथ एक नए जज्बे के साथ जोश के साथ इसकी तरक्की में कंट्रीब्यूट करें इंडियन इकोनॉमी में पूरा का पूरा स्ट्रक्चरल चेंज ए चुका था लोक शिफ्ट हो रहे द एग्रीकल्चर से इंडस्ट्री में और एक ग्रैजुएल इंक्रीज था जीडीपी में भी इंडस्ट्री का तो वहां पे अब जब लोगों का ट्रांसफॉर्मेशन हो रहा है तो वहां पर पूरे सिस्टम का ट्रांसफॉर्मेशन बहुत इंपॉर्टेंट था एफिशिएंसी और करप्शन की बात करें अगर हम तो बहुत ही खराब था इनएफिशिएंसी थी और करप्शन तो बहुत ज्यादा था पब्लिक सेक्टर में तो हमेशा खत्म करके प्राइवेटाइजेशन की जरूरत दिखाई दे रही थी तो यह सब चीज ए रही है जो मैं बेदर्दी की व्हाट वास डी नीड फॉर प्राइवेट से क्या-क्या फायदे हुए और क्या-क्या नुकसान हुए इसको चेक करते हैं तो सबसे पहले बात करते हैं की प्राइवेटाइजेशन की क्या-क्या फायदे हो रहे द व्हाट व्हाट डी बेनिफिट्स ऑफ प्राइवेटाइजेशन तो अगर हम privateisan के बेनिफिट्स की बात करें तो सबसे बड़ा फायदा जो हो रहा था वो रहा था कंपटीशन बढ़ रहा था कंपटीशन बढ़ रहा था जो इन एफिशिएंट कंपनी थी इन एफिशिएंट थी उनके ऊपर भी प्रेशर ए रहा था की आपको भी हम मैन लगाकर कम करना पड़ेगा तो एक तो कॉम्पिटेटिव एनवायरनमेंट डिवेलप हो रहा था डोमेस्टिक आज वेल आज इंटरनेशनल तो कंपटीशन से यार मॉडर्नाइजेशन तो आता ही है अपग्रेडेशन तो आता ही है उसके साथ साथ प्राइवेटाइजेशन प्रमोट कर रहा था डायवर्सिफिकेशन को और एक्सपेंशन को इसका मतलब privateisation जब हो गया तो प्राइवेट सेक्टर पैसा तो लेगा लेकिन नई-नई चीज लेकर आएगा नए-नए प्रोडक्ट्स लेके आएगा एक्सपी करेगा नहीं ब्रांचेस खोलेगा चीज बनाएगा तो प्राइवेटाइजेशन से हम डायवर्सिफिकेशन भी देख का रहे द और एक्सपेंशन भी देख का रहे द प्राइवेटाइजेशन प्रमोट कंज्यूमर सॉवरेन्टी प्राइवेट और दी कंज्यूमर सॉवरेन्टी का मतलब कंज्यूमर फ्रीडम प्राइवेट करता था कंज्यूमर के ऊपर ज्यादा फोकस करता था कंज्यूमर डिमांड के ऊपर ज्यादा फोकस करता है इनफेक्ट कंज्यूमर के ऊपर की जो कंज्यूमर की प्रेफरेंस है उसके अकॉर्डिंग्ली समान बनाया जाए तो प्राइवेटाइजेशन से कंज्यूमर बेनिफिट ज्यादा बढ़ रहे द ज्यादा चॉइस मिल रही थी ज्यादा अच्छी क्वालिटी मिल रही थी लॉसेस क्या औरत है प्राइवेट फोर्सेस से होता था तो जिनके पास पैसा है वही समान खरीद सकते हैं जिनके पास पैसा नहीं है वो समान नहीं खरीद सकते तो यहां पे थोड़ा सा इनिक्वालिटी थोड़ा सा इस तरीके की चीज डिवेलप हो रही थी जिसमें रिच और पुर के बीच का गैप पड़ता है उसके बाद प्राइसेस बढ़ते हैं तो होगा ही होगा ऐसा तो विकार सेक्शन ऑफ डी सोसाइटी तक प्रोडक्ट्स नहीं पहुंच पता है तो डिप्रिवेशन देखने को मिलता है यानी कमी देखने को मिलती है अब बात करते हैं ग्लोबलाइजेशन की व्हाट इसे डी मीनिंग ऑफ ग्लोबलाइजेशन तो ग्लोबलाइजेशन सीधा-सीधा सा पॉइंट है अपनी इकोनॉमी को ओवरऑल ग्लोब से जोड़ देना ही ग्लोबलाइजेशन होता है मतलब की इंटीग्रेटिंग ऑफ डी इंडियन इकोनॉमी या इंटीग्रेटिंग ऑफ डी डोमेस्टिक इकोनॉमी विद डी वर्ल्ड इकोनॉमी खुल के व्यापार करो इंपोर्ट एक्सपोर्ट जो जैसे बिजनेस करना चाहते हो करो यही ग्लोबलाइजेशन था इसी प्रकार का कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं किसी प्रकार की कोई प्रॉब्लम नहीं दिल खोल के अच्छे से भाईचारा बढ़ाओ बढ़ाओ और मजे लो क्या है ग्लोबलाइजेशन बिटवीन इंटीग्रेटिंग डी नेशनल इकोनॉमी विथ डी वर्ल्ड इकोनॉमी थ्रू रिमूवल ऑफ बैरियर्स ऑन इंटरनेशनल ट्रेड एंड कैपिटल मूवमेंट्स ग्लोबलाइजेशन का क्या एक है सीधा-सीधा याद रखना बॉर्डरलेस वर्ल्ड लिख के आना ये लाइन आइटम्स तू क्रिएट अन बॉर्डरलेस वर्ल्ड कोई भी बॉर्डर नहीं होना चाहिए दो कंट्रीज के बीच में अब ये नहीं है ये सारे बॉर्डर हटा दो ट्रेड बैरियर नहीं होना चाहिए ट्रेड खुल के होना चाहिए इट इस अन परिसर फेनोमेना आगे आइटम्स तू ट्रांसफॉर्म डी वर्ल्ड ग्लिटरिंग इंडिपेंडेंस एंड इंटीग्रेशन थोड़ा सा डिफिकल्ट है क्योंकि ये वर्ल्ड को ट्रांसफॉर्म करना चाहता है एक ऐसे एरिया में जहां पे पूरा ट्रांसफॉर्मेशन हो जहां पे प्रॉपर्ली मिल जल के व्यापार हो रहा हो इट इन वॉल्स क्रिएशन ऑफ नेटवर्क नेटवर्क क्रिएट होना एक्टिविटी इस क्रिएट होना ताकि इकोनॉमिक्स सोशल और ज्योग्राफी कल बाउंड्रीज खत्म हो पाए ठीक है जी ये हमारे पास ग्लोबलाइजेशन ए जाता है इसके बाद अब आता है की पॉलिसीज एंड स्ट्रैटेजिस डेट प्रमोट ग्लोबलाइजेशन लेकिन ऐसा क्या कर गया जिससे ग्लोबलाइजेशन को प्रमोट कर जा सके क्या ऐसी पॉलिसीज हैं जो ग्लोबलाइजेशन को प्रमोट करने में मदद करती है नंबर वैन इक्विटी लिमिट जो है इन्वेस्टमेंट की वह बधाई गई मतलब की जो इक्विटी लिमिटेड फॉर इन्वेस्टमेंट वो बढ़ा दी गई वो इक्विटी लिमिट ऑफ फॉरेन इन्वेस्टमेंट हज बिन रेस फ्रॉम इनिशियल 40% वो 51% से 100% तक कारी गई मतलब अब बाहर की कंपनी ए के भी हमारे देश में इन्वेस्टमेंट कर सकती है और वो 51 से 100% तक भी इन्वेस्टमेंट कर सकती है दूसरा पार्शियल कन्वर्टिबिलिटी पार्शियल कन्वर्टिबिलिटी होता है की अपनी करेंसी को आ सेल आउट करना ट्रेड को बढ़ाने के लिए मतलब की आप ट्रेड अगर आप कर रहे हो आपको फॉर नेक्स्ट चेंज की जरूरत पड़ेगी तो आपको छत तक अपनी currencis को सेल कर सकते हो जैसे पार्सल कन्वर्टिबिलिटी रेफर्स तू सेल एंड परचेज ऑफ फॉरेन करेंसी इससे क्या होगा एक तो इंपोर्ट एक्सपोर्ट अच्छे से हो पाएंगे पेमेंट हो पाएगा इंटरेस्ट का और डिविडेंड का और रेमिट हो पाएंगे फैमिली एक्सपेंसेस के लिए यानी आप पैसा ट्रांसफर भी कर सकते हो तो अगर आपको पैसे की जरूरत है तो पार्शियल कन्वर्टिबिलिटी एक ऐसी चीज है जिसमें आप करेंसी को सेल परचेज कर सकते हो मार्केट प्राइस पे ताकि आपके पास करेंसी अरेंज हो पाए अरे रिडक्शन इन टैरिफ टैरिफ रिड्यूस करेगा तारीफ मतलब टैक्स रिड्यूस करेगा ये इंपोर्ट एक्सपोर्ट के ऊपर से टैक्स हटाए गए ताकि हम जी खोल के बिजनेस कर पाए उसके बाद वीरान ऑफ क्वानटेटिव रिस्ट्रिक्शंस देखो दो चीज थी ना जो आप बिजनेस को रोक रही थी तपस और पोटा टेरेस का मतलब टैक्सिस कोटा इसका मतलब क्वांटिटी रिस्ट्रिक्शन वो सभी खत्म कर दिए गए बढ़िया तरीके से व्यापार बिजनेस बढ़ रहा था इंपैक्ट मेड बाय ग्लोबलाइजेशन ग्लोबलाइजेशन से क्या इंपैक्ट आया देखो इसका इंपैक्ट ही आया की सबसे पहले तो एक स्पेसिफाइड लिस्ट बनाई गई जिसके अंदर अच्छी टेक्नोलॉजी वाली अच्छी इन्वेस्टमेंट वाली इंडस्ट्रीज को रखा गया हाई टेक्नोलॉजी हाई इन्वेस्टमेंट प्रायोरिटी इंडस्ट्रीज उसके बाद ऑटोमेटिक परमिशन दी गई इन इंडस्ट्रीज को की इनके ऊपर कम कर जाए इनकी नीड है इन्हें अलाउ कर जाए ऑटोमेटिक परमिशन इस प्रोवाइडेड इन हाई प्रायोरिटी इंडस्ट्री अप तू सैम ऑफस वैन करोड़ और कोई भी परमिशन नहीं चाहिए थी फॉरेन टेक्निशियन को हायर करने के लिए रुपए को दी वैल्यू कर गया था ताकि हम थोड़ा सा एक्सपोर्ट को बढ़ा सकें इंडिया की इकोनॉमी को इंटीग्रेट करने के लिए रुपए को parshaali कन्वर्टिबल कर गया था यानी वही सेल परचेज कर गया था ताकि फॉरेन एक्सचेंज अरेंज हो पाए एक्सपोर्ट के लिए इंपोर्ट के लिए एक न्यू फाइव ईयर एक्सपोर्ट इंपोर्ट पॉलिसी बनाई गई जिसने सभी रिस्ट्रिक्शंस और कंट्रोल्स हटा दिए एक्सटर्नल ट्रेड पे और मार्केट फोर्सेस यानी डिमांड सप्लाई के ऊपर पूरा ट्रेड दिखा दिया की भाई अगर डिमांड है तो चलने दो आप एक्सपोर्ट कर सकते हो तो है तो ट्रेड बैरियर्स हटा दिए सही है तो यह सब इंपैक्ट हैं जो ग्लोबलाइजेशन के हमारे देश पर आए पॉजिटिव क्या है जी ग्लोबल मार्केट तक अब हम आसानी से जा सकते हैं हम देखते हैं कितने सारी चीज हम एक्सिस कर का रहे हैं बिकॉज ऑफ ग्लोबलाइजेशन एडवांस टेक्नोलॉजी हमें देखने को मिलती है अच्छे फ्यूचर प्रोस्पेक्ट्स हैं हम चीज सीखते हैं बहुत सारे जॉइंट वेंचर्स देखने को मिलते हैं आप मारुति सुजुकी ले लो हीरो होंडा ले लो बहुत सारे ऐसे कंपनी हैं जो मिल के बिजनेस कर रहे हैं और बहुत अच्छा कम कर रहे हैं इतिहास के लिए टेक्नोलॉजी शेयर कर रहे हैं तो अच्छा कम हो रहा है नेगेटिव क्या आते हैं बेनिफिट्स ऑफ ग्लोबलाइजेशन ज्यादा डिवेलप कंट्रीज को फायदा देता है ये इतना ज्यादा इंडिया जैसे ही डेवलपिंग कंट्री को फायदा नहीं देता मतलब एक developedination बाहर से आता है और हमारा बहुत सारा फॉरेन एक्सचेंज भी ले जाता है बहुत सारा पैसा भी ले गया आइडिया भी ले गया मार्केट भी ले गया तो उनको ज्यादा फायदा है हमें थोड़ा सा कम फायदा है इट कम प्राइस इस डी वेलफेयर ऑफ पुर गरीब लोगों को इससे कोई फायदा नहीं होता एवं उनको तो इससे नुकसान ही होता है वेलफेयर बैंक नुकसान पहुंचता है क्योंकि गरीब सेक्शन ऑफ डी सोसाइटी था की ये प्रोडक्ट पहुंचने ही नहीं है बस उनसे पैसा अवार्ड ले लिया जाता है उसके बाद मार्केट ड्रिवन ग्लोबलाइजेशन से इकोनॉमिक्स डिस्पर्टी बढ़ती हैं नेशंस में और पीपल्स में डिफरेंस क्रिएट होता है रिच में और पुर में इनिक्वालिटी जेनरेट होती है इस पार्टिकुलर तरीके से उसके बाद आउटसोर्सिंग बेटा जी हमारे सिलेबस का पार्ट नहीं है हमें बस जीएसटी और डिमॉनेटाइजेशन मैनली पढ़ना है आउटसोर्सिंग को अगर आप रीड करना चाहो तो कर सकते हो आउट सोर्सिंग मतलब बाहर से कम करवाना वो एक्टिविटीज जो पहले हम हमारे लिए जो उन इंपोर्टेंट है वो हम बाहर से करवा लेते हैं उसको हम आउटसोर्सिंग बोलते हैं तो टो पार्ट ऑफ योर सिलेबस रीडिंग लगानी हो तो स्क्रीनशॉट ले सकते हो अब आता है हमारे पास अरगुमेंट्स इन फीवर ऑफ न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी कुछ लोगों ने बोला की न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी अच्छी रही ये एलपीजी बढ़िया रहा कुछ लोग इसके अगेंस्ट रहे सबसे पहले फीवर वालों की बात सुनते हैं लोग क्या बोल रहे हैं की क्यों अच्छा है सबसे पहली चीज इंक्रीस इन रेट ऑफ इकोनॉमिक्स ग्रुप जीडीपी ग्रोथ बड़ी बढ़ेगी जब भी प्राइवेट होगा जब भी इंडस्ट्रीज बढ़ेंगे तो जीडीपी तो बढ़ेगा तो सबसे पहले बेनिफिट जो इससे हुआ एलपीजी से वो ये हुआ की जीडीपी बड़ा दूसरा हमारे पास फॉरेन इन्वेस्टमेंट बहुत सारा आया जब ग्लोबलाइजेशन कर दिया सारे लिमिटेशंस ही हटा दिए तो बाहर से पैसा तो आना ही था इतना बड़ा मार्केट है हर कंपनी हर बिजनेस हर कंट्री हमारे देश में आगे व्यापार करना चाहता है क्योंकि इतना बड़ा मार्केट है तो इंडिया में बहुत ज्यादा एफडीआई बढ़ा जिससे हमें काफी बेनिफिट हुआ फॉर नेक्स्ट चेंज रिजर्व्स बढ़ गए हमारे जो हमें समस्या थी सबसे बड़ी हमारे पास पैसा नहीं था फॉर नेक्स्ट चेंज नहीं था वो अब हमारे पास अवेलेबल हो गया था एक्सपोर्ट बढ़े काफी ज्यादा इन्फ्लेशन पे कंट्रोल हुआ कुछ हद तक चल तो रहा है इन्फ्लेशन लेकिन कुछ हद तक कंट्रोल हुआ और रोल ऑफ प्राइवेट सेक्टर बड़ा जिससे कंपटीशन बड़ा नई टेक्नोलॉजी आई बेनिफिट्स मिले हमारे देश को कंज्यूमर्स ऑफ रणनीति देखने को मिली consumerity मतलब कंज्यूमर के ऊपर ध्यान दिया जा रहा है पहले प्रोड्यूसर को किंग ऑफ डी मार्केट कंसीडर कर जाता था अब कंज्यूमर इस डी किंग ऑफ डी मार्केट कुछ लोग इसके अगेंस्ट द सर कौन-कौन अगेंस्ट द वो लोग जो का रहे हैं की बेरोजगारी अभी भी वैसी की वैसी है अनइंप्लॉयमेंट स्टील प्रीवेल्स इन डी नेशन बोल रहे हैं इतनी पॉलिसी चेंज करने के बाद भी बेरोजगारी कमाई की है तो फायदा क्या हुआ इन पॉलिसीज का तो अनइंप्लॉयमेंट अभी वैसे का वैसा है जीडीपी बढ़ा है लेकिन एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी जेनरेट नहीं हुई है नेगलेक्ट ऑफ एग्रीकल्चर इंडिया एक एग्रेरियन कंट्री है ज्यादातर लोग एग्रीकल्चर में और पूरे एलपीजी में एग्रीकल्चर की बात ही नहीं कारी गई सब जगह इंडस्ट्री इंडस्ट्री की बात कारी गई एग्रीकल्चर के ऊपर ध्यान नहीं दिया गया तो एग्रीकल्चर में ध्यान नहीं है इंडस्ट्रियल ग्रोथ भी जो हमें चाहिए था वो नहीं हुआ लो लेवल ऑफ इकोनॉमिक्स ग्रोथ इंडस्ट्रियल ग्रोथ देखने को मिला क्योंकि इंपॉर्टेंट गुड्स चीपर द तो हम इंपोर्ट कर रहे द अपने डोमेस्टिक पर ध्यान नहीं दे रहे द हमारे यहां पे इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई कम नहीं कर गया कैपिटल गुड इंडस्ट्री इतनी ज्यादा नहीं बन पाई जितनी बन्नी चाहिए थी और तारीफ बैरियर्स भी द जो एक्सपोर्ट इंपोर्ट से हटाए गए द जिस वजह से इंपोर्ट बहुत ज्यादा हुए और एक्सपोर्ट तो आपको पता ही इतने ज्यादा देखने को नहीं मिलते इंडिया से डिसइनवेस्टमेंट पॉलिसी इन इफेक्टिव रही जो भी आपने डिसइनवेस्टमेंट कारी जो भी आपने अपनी इंडस्ट्रीज सेल कारी वो आपने अच्छे से नहीं बेची और वो भी कई बार गलत लोगों को बेच दी गई जो अच्छे से उसको नहीं चला पाए दैन सी हैव कल्चरल एरोजन हम लोग अपने कल्चर को भूल चुके हैं हमारे इकोनॉमिक्स जितनी भी हमारे कलर्स द जो ट्रेडीशंस द उसको लोग छोड़कर मॉडर्नाइजेशन की तरफ जा रहे हैं जो की हमारे देश के लिए कई लोग बोलते हैं की ठीक नहीं है इंडिया इसे अन कंट्री ऑफ कल्चर ट्रेडीशन जो लोग भूलते जा रहे हैं और मॉडर्न बनने की कोशिश कर रहे हैं इसके बाद कंज्यूमैरिज्म कंज्यूमैरिज्म का मतलब यह होता है की कंज्यूमर लग्जरीज की तरफ मटेरियल चीजों की तरफ ज्यादा चला गया है जिस वजह से वो बेसिक नेसेसिटी इसको भूल चुका है जो विडेन कर रहा है गैप बिटवीन रिच एंड डी पुर ठीक है और ग्रोथ काफी अनबैलेंस है कई एरियाज डेवलपमेंट नहीं है अब आता है हमारे पास एक छोटा सा टॉपिक जिसको हम बोलते हैं जीएसटी जीएसटी बेटा जी मुझे नहीं लगता की इससे आपसे बहुत ज्यादा कुछ पूछा जाएगा तो मेरे हिसाब से आप जीएसटी और डिमॉनेटाइजेशन को बस एक जनरल ओवरव्यू ले लो डेट इसे सफिशिएंट बहुत ज्यादा इसपे मेहनत करने की जरूरत नहीं है डेट्स याद रखना बस जीएसटी क्या है वैन नेशन वैन टैक्स एक इनडायरेक्ट टैक्स है जिसमें बहुत सारे टैक्स को खत्म कर और एक टैक्स ए गया क्या लिखा है जीएसटी एक्ट जो पास हुआ 29 मार्च 2017 में और इफेक्टिव में आया फर्स्ट जुलाई 2017 डेट याद रखना कंप्रिहेंसिव टैक्स है जो हर वैल्यू एडिशन पर लगता है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने जीएसटी लगाया 1 नेशन वैन टैक्स के नाम से और 17 इंडी टैक्स और 23 23 इसने खत्म करें और एक ही जीएसटी ए गया पेपर वर्क बहुत रिड्यूस हो गया कितने टाइप्स ऑफ जीएसटी हैं सीजीएसटी सेंट्रल गवर्नमेंट के पास जाता है सीएसटी स्टेट गवर्नमेंट के पास जाता है इंटीग्रेटेड जीएसटी इंटीग्रेशन है देखो इसमें क्या होता है की अगर आप से स्टेट में सेल करते हो तो सीजीएसटी सीएसटी लगता है अगर आप डिफरेंट स्टेटस में शेयर करते हो तो वहां पे आईजीएसटी लगता है या अपने अकाउंट्स में भी पढ़ा हुआ होगा तो सीजीएसटी सीएसटी और आईजीएसटी ठीक है जी सीजीएसटी को जोड़ दो तो आईजीएसटी बन जाता है इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्या मतलब होता है इनपुट टैक्स क्रेडिट का मतलब यह होता है की जब आपने कोई समान खरीदा उसपे जीएसटी पे कर दिया तो जब आप उसको bechoge जब आप उसे पॉलिटिकल प्रोडक्ट को सेल करोगे तो जो आप टैक्स कलेक्ट करोगे उसे कलेक्शन में से जो आपने पहले पे कर हुआ माइंस करके बैलेंस पे करना है फॉर एग्जांपल मैं आपको बोलता हूं की मैंने ये कैलकुलेटर खरीदा बेचने के लिए ठीक है सपोज मैंने कैलकुलेटर 500 का खरीदा जिस पे 10% ₹50 का जीएसटी देना पड़ा तो मुझे 550 का पद गया अब मैं इसको ₹1000 का बेच रहा हूं जिस पर 10% ₹100 में कलेक्ट कर रहा हूं कस्टमर से सरकार को देने के लिए तो मैंने जब ₹100 कलेक्ट करें तो गवर्नमेंट बोलेगा ₹200 में बोलूंगा नहीं मैं 50 तो इस पे पहले से दे चुका हूं ना जब मैंने एक खरीदा था तब भी तो मैंने जीएसटी दे दिया इस पे तो वो 50 अब मैं दोबारा नहीं दूंगा तो 100 में से वो 50 माइंस करके जो बचा हुआ 50 है वो पे करूंगा ये जो 50 - करें ना इसको हम क्रेडिट बोलते हैं को टैक्स क्रेडिट इनपुट टैक्स क्रेडिट मिंस रिड्यूजिंग डी टैक्स पेड ऑन इनपुट्स फ्रॉम टैक्स तू बी पेड़ ऑन आउटपुट व्हेन अन्य सप्लाई ऑफ गुड्स सर्विसेज आर सप्लाइड जीएसटी चार्ज इस नॉन आज इनपुट टैक्स जीएसटी के बेनिफिट्स क्या होते हैं ओवरऑल बर्डन कम हुआ है कोई भी हिडन टैक्सी नहीं है सब सामने है डेवलपमेंट हुआ एक अच्छे नेशनल मार्केट का गुड्स और सर्विसेज के लिए हायर डिस्पोजल इनकम मतलब की आपके पास जो बर्डन टेक्स्ट का पहले था आप इतना ज्यादा नहीं है पैसा आपके पास ज्यादा बचत है कस्टमर के पास ज्यादा चॉइसेज हैं इकोनॉमिक एक्टिविटी बड़ी है और एंप्लॉयमेंट ऑपच्यरुनिटीज बड़ी है ये ऐसा सरकार बोलती है यह पॉइंट बहुत सारे लिखे जाते हैं बेनिफिट्स ऑफ जीएसटी में बट जब हम ग्राउंड लेवल पे जाते हैं तो हम देखते हैं बहुत सारे ड्रॉप अलेक्स भी हैं जिसकी बात किताबों में अभी नहीं कारी गई है अब बात करते हैं जीएसटी काउंसिल या आप सिर्फ रीड कर सकते हो इसका कोई भी खास कम नहीं है छोड़ना जाओ छोड़ भी सकते हो इसके बाद आता है डिमॉनेटाइजेशन डिमॉनेटाइजेशन मोदी जी ने आठ नवंबर को किया था और उसमें हमारे 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए द क्या लिखा है रिमूविंग अन करेंसी ऑफ इट्स स्टेटस आज लीगल टेंडर अब कोई करेंसी लीगल टेंडर नहीं रहेगी एक नवंबर 2016 मोदी जी आए और 500 1000 रुपए के नोट बंद कर गए डीज नोड्स अकाउंटेड फॉर ऑलमोस्ट 86% ऑफ डी कंट्रीज क्यों सप्लाई देश की कैश सप्लाई का 86% यह वाले नोटों का था एम ऑफ डिमॉनेटाइजेशन वास तू कब करप्शन करप्शन खत्म करना हाई दी मोनेटाइजेशन नोट्स को खत्म करना इलीगल एक्टिविटीज के लिए और ब्लैक मणि को रोकना ये में एम था एम जरूर देख लेना फीचर्स ऑफ डिमॉनेटाइजेशन एक टैक्स एडमिनिस्ट्रेटिव मेजर था मतलब टैक्स को अच्छे से एडमिशन करना देखना चेक करना दूसरी चीज रिडक्शन इन टैक्सी विज़न टैक्स की चोरी कम से कम हो सके सेविंग्स को अच्छे से प्रॉपर फाइनेंशियल सिस्टम में डालना है की जिन लोगों ने घर में वैसा रखा हुआ है वो बैंक में डिपॉजिट करें कम से कम अपना पैसा पता चले उसके बाद कैशलेस इकोनॉमी की तरफ लेके जाना मतलब की थोड़ा सा इकोनॉमी इधर जाएगी ऑनलाइन चले इसके बाद कुछ इंपॉर्टेंट टर्म्स आते हैं इस चैप्टर से रिलेटेड जैसे बिलैटरल ट्रेड यूनियन ट्रेड एक कंट्री के अंदर बिलैटरल दो कंट्री के अंदर मल्टीलेटरल वेरियस कंट्रीज के अंदर टेरिस बैरियर्स यानी टैक्स नॉन टैरिफ यानी की जिसमें टैक्स की बात नहीं होगी क्वांटिटी सीलिंग्स की बात होगी उसके बाद गेट फुल फॉर्म याद रखना जर्नल एग्रीमेंट ऑन terrificent ट्रेड टो वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन दे ऑर्गेनाइजेशन की डेट और जीएसटी की डेट सो दिस वाज ऑल अबाउट चैप्टर नंबर थ्री मुझे उम्मीद है की आप लोगों को पूरा चैप्टर समझ में आया होगा मैनली इसके अंदर एलपीजी है डिमॉनेटाइजेशन और जीएसटी आपसे रीडिंग लगाओ नथिंग मोर दैन डेट मिलता हूं मैं आपको नेक्स्ट चैप्टर के वैन शॉट के साथ बहुत जल्द तब तक अच्छे से पढ़ते रहो की ड्राइंग एंड कीप ग्रोइंग [संगीत]