Transcript for:
Syrian Civil War: Key Events and Powers

सीरियन सिक्योरिटी फोर्सेस थी वो इस मस्जिद के ऊपर भी अटैक कर देती है और वहां भी जितने मरीज और डॉक्टर थे उनकी भी जान चली जाती है अब मुआविया ने ये चीज लिख तो दी थी दीवार के ऊपर लेकिन उसको बिल्कुल भी आईडिया नहीं था इस एक गलती की वजह से क्या-क्या होने वाला है आगे केमिकल वेपन का यूज करती है सीरिया की गवर्नमेंट आप अपने बच्चों को भूल जाओ और बच्चे पैदा करो और नहीं कर पाओ तो अपने घरों की जो औरतें हैं उनको यहां पे छोड़ जाओ लाइन से लाशें बिछा दी जाती है बच्चे औरतें सारे एक लाइन से वहां पे उनकी जान चली जाती है सीरिया छोड़ छोड़ के भागने लगे और जब कोई फ्लाइट नहीं मिली तो अपनी जान तक दाव पर लगा के समुद्र के रास्ते से भागने लगे 14 साल के मुआविया ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी एक छोटी सी दीवार पर लिखी हुई लाइन से इतना कुछ हो जाएगा दुनिया भर की सुपर पावर यूएस रशिया ईरान यहां तक कि आईस जैसे आतंकी ऑर्गेनाइजेशन जो है यह सब आमने सामने आके खड़े हो [संगीत] गए देखिए इंडिया से वेस्ट की तरफ यह है सीरिया और सीरिया के अंदर जो पॉपुलेशन है वो 74 पर सुन्नी मुस्लिम्स की है और 16 पर यहां पे शिया मुस्लिम्स रहते हैं तो कहने का मतलब ये है कि सुन्नी पॉपुलेशन जो है वो मेजॉरिटी में है लेकिन मेजॉरिटी में होने के बाद भी सीरिया में जो गवर्नमेंट है वो बशर अल असद जो कि एक शिया मुस्लिम है उनकी है और उनकी पार्टी के अंदर जो इंपॉर्टेंट पोजीशंस है उसपे भी जो लोग हैं वो शिया मुस्लिम्स ही हैं तो देखिए पहला क्वेश्चन ये है कि ऐसा हुआ क्यों तो देखिए ईयर 1970 में अभी के जो प्रेसिडेंट हैं सीरिया के बशर अल असद इनके फादर हाफिज अल असद इनका जो था वो सीरिया की मिलिट्री के अंदर काफी स्ट्रांग होल्ड था और और जो सीरियन एयरफोर्स थी उसको भी ये हेड करते थे तो इन्होंने क्या किया कि 13th ऑफ नवंबर 1970 को तख्ता पलट करके अपने आप को सीरिया का प्रेसिडेंट डिक्लेयर कर दिया अब ये प्रेसिडेंट तो बन गए थे लेकिन इनको बहुत ही अच्छे से पता थी ये चीज कि सीरिया के अंदर जो मेजॉरिटी है वो सुन्नी पॉपुलेशन की है तो देर सवेर कभी भी सुन्नी लेड पॉलिटिकल पार्टी पावर में आ सकती है तो इन्होंने प्रेसिडेंट बनने के बाद से ही अपनी पावर को और मजबूत करना स्टार्ट किया और सीरिया के जो सुन्नी मेजॉरिटी वाले इलाके थे वहां पर इन्होंने बहुत ज्यादा ध्यान दिया अपनी इंटेलिजेंस एजेंसीज भी लगाई ताकि छोटे से छोटा भी हो तो उस परे ध्यान रखा जाए और कोई ऐसा इशू ना खड़ा हो जाए जहां पे सुन्नी लेड जो पॉलिटिकल पार्टीज हैं वो अपना वर्चस्व बना ले और अपनी पावर का यूज करके इन्होंने ऐसे रूल्स बनाए जिसमें अपोजिशन जो था वो एकदम खत्म हो गया था कांस्टिट्यूशन को अपने हिसाब से चेंज कर दिया था सीक्रेट एजेंसीज और मिलिट्री का एक्सटेंसिव यूज किया मीडिया वगैरह सब कुछ अपने हिसाब से कर लिया और पावर को पूरी तरीके से अपने हाथों में रखा और सिर्फ इतना ही नहीं इसके साथ-साथ जो शिया पॉपुलेशन थी सिरिया के अंदर उनको फेवर करने के भी एलिगेशंस इनके ऊपर टाइम टू टाइम लगते रहे हैं अब देखिए इसके बाद ईयर आता है 2000 और इस ईयर में हाफिज अल असद की डेथ हो जाती है और फिर इनके बाद इनके बेटे जो अभी भी प्रेसिडेंट हैं सीरिया के बशर अल असद ये सीरिया के प्रेसिडेंट बनते हैं और ये जब प्रेसिडेंट बने तो इनके आने से भी कुछ चेंज नहीं हुआ इन्होंने अपने फादर की जो पॉलिसीज थी उन्हीं को कंटिन्यू किया अब देखिए जो तानाशाही चल रही थी जिको लेके सीरिया के अंदर जो सुन्नी पॉपुलेशन थी उनके मन में थोड़ी सी तो खटास थी लेकिन इन सब चीजों के बाद भी बशर अल असद को सीरिया को रूल करने में कोई खास दिक्कत नहीं हुई अब इसके बाद क्या होता है कि ईयर आता है 2006 और 2006 से लेकर 2010 तक सीरिया के अंदर कम बारिश होने की वजह से सूखा पड़ जाता है और तानाशाही से तो लोग ऑलरेडी परेशान ही थे इसके साथ-साथ सीरिया के जो लोग थे उनको इकोनॉमिकली भी दिक्कतें आना शुरू हो गई लोगों के पास पैसे एकदम कम हो गए खाने की दिक्कत आने लगी तो कहने का मतलब ये है कि सीरिया के लोग जो तानाशाही से परेशान थे उसके साथ-साथ पैसे और एंप्लॉयमेंट की कमी से भी परेशान होने लगे सीरिया के अंदर गरीबी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी अब सीरिया में जब ये सारी चीज चल रही थी तो इसके साथ-साथ एक चीज और होती है सीरिया से लगे हुए जो आसपास के देश थे जहां पे डिक्टेटरशिप थी जैसे टिशियन यमन जॉर्डन वहां पे अरब स्प्रिंग चल रही थी मतलब कि जो डिक्टेटर थे इन कंट्रीज में उनके खिलाफ आम जनता प्रोटेस्ट कर रही थी कि तानाशाही को हटाओ और इलेक्शन करवाओ वहां पे बेसिकली वो डिक्टेटरशिप की जगह डेमोक्रेसी या फिर फ्रीडम की मांग कर रहे थे और ये जो इन देशों में प्रोटेस्ट चल रहे थे ये कोई नॉर्मल प्रोटेस्ट नहीं थे इनका बहुत बड़ा इंपैक्ट पड़ रहा था अरब कंट्रीज के अंदर जिसकी वजह से जितने भी डिक्टेटर थे वो बहुत ज्यादा डर रहे थे जैसे लीबिया में गद्दाफी को मार के इलेक्शन वगैरह करवाए गए टिशियन से रूल करने वाले तानाशाह बेन अली को भी देश छोड़ के भागना पड़ा इजिप्ट में 30 साल से रूल कर रहे हसनी मुबारक जो थे उनको भी अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी जबकि इन्होंने बहुत ज्यादा ट्राई किया कि प्रोटेस्टर वगैरह जो थे उनको रोकने के लिए इन्होंने मिलिट्री टैंक वगैरह तक रोड पर उतार दिए थे लेकिन उसके बाद भी ये रोक नहीं पाए थे ये इस तरीके से लोग इकट्ठा होके जगह जगह प्रोटेस्ट कर रहे थे आ बक टन बा रा इन फू प्राइस न टॉप ऑफ एन रेडी कप्स इन एंड टुडे देर वा पोलिटिकल इन स्ट ऑफ अग ग रीजन में डिक्टेटर जो थे वो डरे हुए थे अब ये सारी चीजें जो सीरिया के आसपास के देशों में चल रही थी तो ये जो न्यूज़ थी ये सीरिया के अंदर भी पहुंचती है रेडियो के थ्रू टीवी के थ्रू न्यूज़पेपर के थ्रू लोगों तक ये बातें पहुंचती हैं और देखिए इसमें सोशल मीडिया का बहुत इंपॉर्टेंट रोल रहा जो अभी आएगा आगे लेकिन उससे पहले एक चीज बता दूं आपको कि आज की डेट में सोशल मीडिया हम सबकी जिंदगी का बहुत ही इंपॉर्टेंट पार्ट बन चुका है इसके फायदे तो हैं ही लेकिन इसके कुछ ऐसे डिसएडवांटेजेस भी हैं जो प्रोडक्टिविटी को बहुत इंपैक्ट करता है और स्टूडेंट्स के केस में तो ये और नेगेटिवली इफेक्ट करता है तो कैसे ये सोशल मीडिया आपके डाटा को यूज करके आपको एडिक्टेड बनाता है इस चीज के ऊपर मैंने अलग से एक वीडियो बनाई है जो आपको मिलेगी कंप्लीट फ्री अनअकैडमी प्लेटफार्म पर 28 ऑफ जुलाई को 5:00 बजे एज अ पार्ट ऑफ अनअकैडमी यूपीएससी समिट और अगर आप भी यूपीएससी एस्परेंस हैं तो यह समिट आपको जरूर अटेंड करना चाहिए जहां नेशन के बेस्ट माइंड्स आपकी हेल्प करेंगे अराउंड हाउ टू प्रिपेयर फॉर यूपीएससी वो भी कंप्लीट फ्री विद जरो चार्जेस इस समिट में आप अटेंड कर सकते हैं लाइव ऑनलाइन सेशन बाय नितिन गडकरी जी और अनअकैडमी के टॉप यूपीएससी एजुकेट जिन्हें 1000 से भी ज्यादा सक्सेसफुल यूपीएससी कैंडिडेट को गाइड करने का एक्सपीरियंस है ये अनअकैडमी ऑनलाइन समिट इसी 28th एंड 21 ऑफ जुलाई को शाम 4:00 बजे से अनअकैडमी पप पर लाइव होगी और मैं आपसे मिलूंगा 28 ऑफ जुलाई शाम 5:00 बजे तो टॉपिक पे वापस आते हैं अब सीरिया के अंदर भी तानाशाही से तो लोग परेशान थे ही थे दूसरी गरीबी और भूखमरी भी बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही थी तो बशर अल असद को भी इस बात का डर था कि ये जो बाहर के देशों में चल रहा है ये कहीं सीरिया के अंदर ये चीज ना शुरू हो जाए तो बशर अल असद ने इससे निपटने के लिए अपनी सारी सिक्योरिटी को पहले से ही अलर्ट पे रखा था कि छोटी से छोटी चीज भी हो उसको इग्नोर नहीं करना है और ये जो प्रोटेस्ट आसपास के देशों में चल रहे हैं ये सीरिया में नहीं शुरू होने चाहिए लेकिन बशर अल असद को बिल्कुल यह पता नहीं था कि जैसा वो सोच रहे हैं उसका बिल्कुल उल्टा होगा अब होता क्या है कि फरवरी 2011 का टाइम था और सीरिया के साउथ में एक दारा नाम की जगह है और यहां पे एक स्कूल था जो कि अलमारी एक मस्जिद थी उससे थोड़ी दूर पे ही था तो इस स्कूल के अंदर सेवंथ क्लास में एक 14 साल का बच्चा था जिसका नाम था मुआविया सियास में ये नाम आप याद रखिएगा आप हैरान हो जाओगे कि 14 साल के बच्चे के एक इंसीडेंट की वजह से पिछले 10 122 साल से सीरिया के अंदर सबसे कॉम्प्लिकेटेड सिविल वॉर चल रही है और दुनिया भर की सुपर पावर यूएस रशिया ईरान यहां तक कि आईस जैसे आतंकी ऑर्गेनाइजेशन जो हैं ये सब आमने-सामने आके खड़े हो गए तो ऐसा कर क्या दिया था इस लड़के ने वो भी डिस्कस कर लेते हैं एक्चुअली 26th ऑफ फरवरी 2011 का दिन था और मुआविया जो था इसके साथ 14 और स्टूडेंट्स थे जो बाकी लोगों की तरह ही आसपास की कंट्रीज में जो प्रोटेस्ट चल रहे थे तानाशाही के खिलाफ उसको न्यूज़ और रेडियो के थ्रू सुन रहे थे तो सेम डे क्या होता है कि मुआविया जो था इसने अपनी स्कूल की दीवार पे अरेबिक में लिखा इट्स योर टर्न डॉक्टर ये ओरिजिनल पिक्चर है उस दीवार की एक्चुअली बसर अल असद जो सीरिया का प्रेसिडेंट था ये लंदन से वेस्टर्न आई हॉस्पिटल से पढ़ाई करके आया था तो सब लोग इसको डॉक्टर भी कहते थे अब मुआविया ने ये चीज लिख तो दी थी दीवार के ऊपर लेकिन उसको बिल्कुल भी आईडिया नहीं था इस एक गलती की वजह से क्या-क्या होने वाला है आगे तो सेम डे ये लिखने के बाद शाम को मुआविया जब घर पहुंचता है तो ये अपने फादर को भी इस बारे में बताता है और फादर जो था वो काफी डर जाता था उसको पता था कि गवर्नमेंट इस चीज के लिए बहुत कड़ी सजा दे देगी इनफैक्ट उसने मुआविया को छुपने को भी कहा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी बहुत सारे लोगों ने इस वॉल को देख लिया था और दारा एरिया के सिक्योरिटी चीफ जो कि बशर अल असद का रिश्तेदार था आतिफ नजीब उस तक भी ये बात पहुंच चुकी थी और वह बहुत ही गुस्सा हो जाता था इसको बहुत ही अच्छे से पता था कि आसपास के देशों में तानाशाही के खिलाफ रिवोल्ट चल रहा है तो ऐसे में अगर इस तरीके की हरकत को इग्नोर किया गया तो उसके लिए बिल्कुल भी सही नहीं होगा तो नेक्स्ट डे यानी कि 27th ऑफ फरवरी 2011 को सिक्योरिटी फोर्सेस उस स्कूल के पास आती हैं और पता करना शुरू करती है किसने ने ये सब लिखा है लेकिन कोई भी ये बताता नहीं है कि किसने ये लिखा है अब जब ये थक हार जाते हैं तो टोटल 15 बच्चे थे जिन पे इनको शक था उनको करीब 4:00 बजे ये लोग उठा के ले जाते हैं जिसमें मुआविया भी था अब इनको उठा के ले जाने के बाद जो सिक्योरिटी फोर्सेस थी सीरिया की वो इन बच्चों को बहुत ज्यादा टॉर्चर करती हैं इनको मुर्गा बना के लटका देते हैं नाखून खींच लेते हैं इनके पानी डाल के करंट लगाते हैं इन्हें बिल्कुल अधमरा कर देते हैं अब इधर तो ये सारी चीजें इन्होंने शुरू कर दी थी और दूसरी तरफ मुआविया और बाकी बच्चों के जो पेरेंट्स थे वो दो-तीन बार पुलिस के पास पहुंच चुके थे ताकि उनके बच्चों को छोड़ दिया जाए लेकिन जो फोर्सेस थी वो इनको छोड़ना था बहुत दूर की बात इनसे कहती है कि आप अपने बच्चों को भूल जाओ और बच्चे पैदा करो और नहीं कर पाओ तो अपने घरों की जो औरतें हैं उनको यहां पे छोड़ जाओ अब ये जो लाइन थी इसको सुनके लोग बहुत ही गुस्सा हो जाते हैं और दारा के अंदर प्रोटेस्ट स्टार्ट करते हैं कि उनके साथ गलत हो रहा है उनके बच्चों को छोड़ दिया जाए और ये जो प्रोटेस्ट थे ये पीसफुल प्रोटेस्ट थे क्योंकि वहां पे ज्यादा भीड़ इकट्ठी करके नुकसान वगैरह पहुंचा के अगर कोई प्रोटेस्ट करता है तो गवर्नमेंट उसको छोड़ती नहीं है तो ये बहुत ही पीसफुली प्रोटेस्ट कर रहे थे और उन बच्चों को छोड़ने की डिमांड कर रहे थे लेकिन उसके बाद भी जो पुलिस फोर्सेस थी वो एक मिसाल कायम करना चाहती थी तो इन बच्चों को छोड़ती नहीं थी उल्टा ये जो प्रोटेस्ट कर रहे थे इनमें से भी कई सारे लोगों को उठा के जेल में डाल देती हैं अब रा के अंदर ये जो प्रोटेस्ट वगैरह चल रहे थे और बच्चों के साथ जो हो रहा था इसकी जो खबर थी सीरिया की बाकी सिटीज तक भी पहुंचने लगी और लोगों को पता चलने लगा कि दारा के अंदर क्या चल रहा है तो बाकी जगह पे भी प्रोटेस्ट होने लगे 15 मार्च 2011 आते-आते सीरिया के एरियाज जैसे दमस्क अलि पो होम्स लटाकिया हामा इन सब जगह गवर्नमेंट का विरोध होने लगा कि ये बहुत ज्यादा नाइंसाफी है इन बच्चों को छोड़ा जाए तो जो एक छोटा सा प्रो प्र जो दारा के छोटे से एरिया में शुरू हुआ था वो सीरिया के अलग-अलग एरिया में शुरू हो जाता है और ये वो टाइम था जब बशर अल असद की जो रेजीम थी उसको लगने लगा कि ये जो बच्चों को इन्होंने पकड़ा है ये सही डिसीजन नहीं है इससे बात और खराब हो सकती है तो इन सारे प्रोटेस्ट को रोकने के लिए मिड अप्रैल 2011 करीब 45 दिन ये लोग बच्चों को रखते हैं और सीरियन गवर्नमेंट जो मुआविया और उसके बाकी के दोस्त थे इन बच्चों को छोड़ देती है अब गवर्नमेंट ने इन बच्चों को छोड़ तो दिया था लेकिन जब ये बच्चे बाहर आते हैं तो इन बच्चों की हालत देख के हर कोई बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाता है ये छोटी उम्र के जो बच्चे थे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पा रहे थे नाखून इनके खींच लिए गए थे पूरे शरीर पर इनके जख्म थे और जब बच्चों ने अपनी-अपनी कहानी बताई और ये कहानी जब दूर-दूर तक पहुंची तो लोगों का गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ गया और लोगों ने दोबारा से प्रोटेस्ट करना स्टार्ट किया और 22 अप्रैल 2011 को फ्राइडे था और जुम्मे की नमाज अदा करने के बाद ये लोग बात करते हैं और रोड प इकट्ठा होके फिर से प्रोटेस्ट करते हैं लेकिन इस बार ये लोग कोई पीसफुल प्रोटेस्ट नहीं करते हैं बल्कि बशर अल असद के खिलाफ जुलूस निकाल के उसके खिलाफ नारे लगाते हैं और वायलेंस भी होता है इस प्रोटेस्ट में और ये जो दिन है इसको फ्राइडे ऑफ डिग्निटी भी बोला जाता है अब सीरियन फोर्सेस जो थी वो इस भीड़ को रोकने की कोशिश तो बहुत करती हैं और इसके बाद जब इस भीड़ को रोकने में नाकामयाब हो जाती हैं तो 25 अप्रैल 2011 के दिन फोर्सेस भीड़ के ऊपर गोलियां चला देती हैं और इसके अंदर दो लोगों की जान चली जाती है अब इसके अगले दिन ये जो दो लोगों की जान गई थी भीड़ जो है वो इनका जनाजा लेके निकलती है और काफी नारेबाजी भी होती है इस टाइम पे तो सीरिया की जो गवर्नमेंट थी वो इसको कहती है कि ऑर्डर को फॉलो नहीं किया जा रहा है आप लोग फिर से भीड़ इकट्ठी कर रहे हो और नारेबाजी कर रहे हो तो इससे निपटने के लिए हेलीकॉप्टर और टैंक्स का यूज किया गया उनको रोड प उतार दिया गया गोली वगैरह चलाई गई और ऊपर से सीरियन फोर्सेस को ऑर्डर दे दिए गए थे कि चाहे कुछ भी हो जाए किसी भी तरीके से इन प्रोटेस्ट को इन भीड़ को इकट्ठे होने से रोको चाहे जो मर्जी करना पड़े और फिर इसके बाद इन प्रोटेस्टर्स के ऊपर बहुत ज्यादा गोलियां चलती हैं बहुत ज्यादा लोगों की जान जाती है इसकी जो ओरिजिनल फुटेज आप अभी भी इंटरनेट पे सर्च मारोगे तो जो ओरिजिनल फुटेज है कि लोगों पे गोलियां चल रही है लोग भाग रहे हैं वो अभी भी अवेलेबल है और सरकार का ये जो डिसीजन था गोली चलाने का और टैंक्स उतारने का ये चीज इनके ऊपर उल्टी पड़ जाती है इससे चीजें शांत नहीं होती बल्कि और बढ़ जाती हैं जहां पहले 10 सिटीज में प्रोटेस्ट हो रहे थे अब सीरिया की 20 सिटीज में ये लोग बशर अल असद के खिलाफ खड़े हो गए थे और बशर अल असद को अपनी कुर्सी छोड़ने को कह रहे थे मतलब कि सीरिया के आसपास के देशों में जो चल रहा था अब वही सिचुएशन सीरिया के अंदर भी आके खड़ी हो गई थी और आए दिन जो सिविलियंस थे और जो सोल्जर्स थे इनके बीच में झड़प होती थी तो जो भीड़ थी उसके पास तो कोई हथियार वगैरह थे नहीं वो पत्थर लाठी डंडे इससे ही लड़ते थे और जो सिक्योरिटी फोर्सेस थी उनके पास तो एडवांस हथियार थे तो इसमें बहुत ज्यादा जो जान जाती थी वो आम जनता की जाती थी और इसके साथ-साथ जो भीड़ जो प्रोटेस्ट होता था इसमें जो चोट लगती थी लोगों को वो लोग जब जख्मी होक हॉस्पिटल जाते थे तो हॉस्पिटल के अंदर भी गवर्नमेंट ने पुलिस वाले खड़े कर दिए थे जो भी प्रोटेस्टर को चोट वगैरह लग के हॉस्पिटल आता था उसको वहीं से पुलिस उठा के जेल में डाल देती थी तो एक तरह से ऐसा हो गया था कि इन झड़प में जिसको चोट लग जाती थी उसका जेल जाना तय हो जाता था तो अब इससे निपटने के लिए लोगों ने हॉस्पिटल जाना बंद किया और वहीं पास में एक अलामाठी मस्जिद थी लोगों ने हॉस्पिटल जाने की बजाय उसी मस्जिद में कुछ जो डॉक्टर थे उन्होंने मिलके इलाज वगैरह करना स्टार्ट किया और एक फर्स्ट स्टेट टाइप का अरेंजमेंट वहां पे एस्टेब्लिश कर लिया अब इसके कुछ ही दिन बाद जो सीरियन फोर्सेस थी उनको भी पता चल जाता है कि इस मस्जिद के अंदर इनका इलाज वगैरह होता है और यहीं पे ये लोग छुपते हैं तो जो सीरियन सिक्योरिटी फोर्सेस थी वो इस मस्जिद के ऊपर भी अटैक कर देती हैं और वहां भी जितने मरीज और डॉक्टर थे उनकी भी जान चली जाती है इस अटैक का बहुत ज्यादा विरोध होता है और इसके बाद ये हुआ था कि आम जनता बच्चे औरतें जो भी सिक्योरिटी फोर्सेस को देखती थी कहीं पत्थर मार देती थी कहीं डंडा फेंक के मार देती थी बहुत ज्यादा विरोध होने लगा था पूरे सीरिया के अंदर 2011 आते-आते 1000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी थी और सीरियन आर्मी जो थी उनके भी कई सारे सोल्जर्स जो थे उनकी भी जान गई थी क्योंकि सिविलियन जो थे वो पत्थर वगैरह मारते थे इसके साथ-साथ सीरियन सिक्योरिटी फोर्सेस में कई ऐसे सोल्जर्स भी थे जिन्होंने सिविलियंस के ऊपर गोली चलाने से मना कर दिया तो ऐसे सोल्जर्स को भी मार दिया जाता था पूरे सीरिया के जो सुन्नी मुस्लिम थे वो पूरी तरीके से बशर अल असद के खिलाफ हो गए थे और उन्होंने ये चीज मान ली थी कि हमारी जान तो वैसे ही जाने वाली है लेकिन हम इसको इसकी कुर्सी से हटा के मानेंगे यहां तक कि ये जो बच्चे थे जिनकी वजह से सारी चीजें स्टार्ट हुई ये भी इस प्रोटेस्ट में जाके शामिल हो गए थे ये जो मुआविया है ये तो अभी भी फाइटर है और सीरिया में इस्टैब्लिशमेंट के खिलाफ लड़ाई लड़ता है तो देखिए जो झड़प चल रही थी सिविलियंस और सिक्योरिटी फोर्सेस के बीच में कुछ दिन तक तो ये चलती है उसके बाद इसका जो फॉर्मेट होता है वो चेंज होता है और फॉर्मेट इसलिए चेंज होता है क्योंकि सीरियन सिक्योरिटी फोर्सेस के अपने ही कुछ सोल्जर्स थे वो बगावत कर देते हैं और आम जनता की मदद में आ जाते हैं और इस चीज में जो मेन रोल था वो रियाद अल असद का था जो कि एक बहुत ही अच्छी पोजीशन पे थे सीरियन आर्मी के अंदर ऐसे ही एक महरूम नाम का आदमी था जो कि 20 साल तक सीरिया में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट का काम करता था और अपनी बहुत ही यंग एज में नेशनल सर्विस के अंडर आर्म फोर्सेस में इसने फाइटर पायलट की भी ट्रेनिंग ली थी तो इसने क्या किया कि सीरियन गवर्नमेंट के खिलाफ लड़ने के लिए आम जनता में से लोगों को उठा के छोटी-छोटी फाइटिंग यूनिट बनाई पहली यूनिट जो इसने बनाई थी उसमें 15-15 लोगों की बनाई थी और फिर 29 जुलाई 2011 को इसको ऑफिशियल एक नाम दिया गया फ्री सीरियन आर्मी ये जो फ्री सीरियन आर्मी थी इसका काम यह था कि ये जो सीरिया की सिक्योरिटी फोर्सेस हैं लोगों पे हमला कर रही है इनसे लड़ेंगे हथियार उठा के लड़ेंगे और बशर अल असद को गवर्नमेंट से हटा के एक फेयर सिस्टम रखेंगे जहां पे ये सब नाना हो और इन्होंने ट्राई किया धीरे-धीरे करके सीरिया के अंदर की जो एरियाज थे उन पे कब्जा करना अब सीरिया के अंदर ये सारी चीजें चल रही थी इसको देख के आसपास के जो सुन्नी मेजॉरिटी वाले देश थे उनका भी सपोर्ट आने लगा कई ऐसे लोग भी थे जो सीरिया छोड़ के चले गए थे वो वापस सीरिया आ गए उन्होंने टेक्नोलॉजी से अलग-अलग अपनी स्किल से बशर अल असद को हटाने के लिए मदद करी फ्री सीरियन आर्मी की इसके साथ-साथ कई सारे एक्सट्रीमिस्ट ग्रुप थे जो बशर अल असद के खिलाफ थे तो वो भी आके फ्री सीरियन आर्मी के साथ जुड़ उड़ जाते हैं और इनकी मदद करते हैं छोटे-छोटे ऐसे करीब 1000 एक्सट्रीमिस्ट ग्रुप थे जिनके टोटल 1 लाख फाइटर्स थे जो फ्री सीरियन आर्मी के साथ मिल गए थे और फ्री सीरियन आर्मी जो थी उसके पास भी कोई ऑप्शन नहीं था ना तो उसके पास वेपन थे ना रिसोर्सेस थे तो उन्होंने भी बिना कुछ सोचे समझे मजबूरी में इनके साथ जुड़ गए वो और ऐसे ही ये जो आईएसआई है इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक जो कि इराक के अंदर वहां की एस्टेब्लिशमेंट के खिलाफ लड़ रहा था उसको भी इसके बारे में पता चलता है उसको सीरिया के अंदर एक अपॉर्चुनिटी दिखती है सुन्नी मुस्लिम्स को सपोर्ट करने की और अपने नेटवर्क को बढ़ाने की तो जो आईएसआई था वो भी फ्री सीरियन आर्मी की मदद करने के लिए आ गया इनके सारे लड़ाके धीरे-धीरे करके कुछ लेबनान के रास्ते कुछ अलग रास्तों से सीरिया के अंदर पहुंच गए आपने नोटिस किया होगा पहले इसका जो नाम था वो आईएसआई था इन्होंने बाद में इसको चेंज करके आईएस आईएस कर दिया वो इसी वजह से किया था इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक से बदलकर इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया कर दिया यानी कि आईएसआई से आईएसआईएस कर दिया इसका नाम तो अब यहां से सीरियन गवर्नमेंट की जो दिक्कतें थी वो बढ़ना स्टार्ट हो जाती हैं जो पहले छोटा-मोटा प्रोटेस्ट था अब वो उनके लिए बहुत बड़ी सिर दर्दी बन गया था और उनके लिए अब लड़ाई मैनेज करना बहुत ज्यादा मुश्किल होता जा रहा था ये फ्री सीरियन आर्मी जो थी हथियार यूज करके गोरिल्ला वरफेन यूज़ करके सीरिया के जो अलग-अलग इलाके थे दमस्क अलीपोर फिर आगे चलके रक्का जो था इन पे जाके कब्जा करना स्टार्ट किया और अपना बेस बना लिया और इस चीज से निपटना सीरिया की गवर्नमेंट के लिए बहुत ही मुश्किल होता जा रहा था तो देखिए एक तरफ तो ये लड़ाई चल रही थी गवर्नमेंट और फ्री सीरियन आर्मी जो कि आम जनता ने बनाई थी उसके बीच में एट द सेम टाइम सीरिया का जो नॉर्थ ईस्ट वाला एरिया था यहां पे क्या था कि कुर्द पॉपुलेशन बहुत ज्यादा रहती थी ये जो कुर्द पॉपुलेशन है सीरिया में भी थी और सीरिया से लगे हुए टर्की था उसके एरिया में भी थी तो ये जो कुर्द है ये टाइम टू टाइम कुर्दिस्तान की डिमांड करते थे ये तर्की में भी ये डिमांड करते थे और सीरिया में भी करते थे तो उनको इस पर्टिकुलर टाइम पे एक बहुत ही अच्छी अपॉर्चुनिटी लगी कि जो सीरिया गवर्नमेंट है वो तो बहुत ही बैकफुट पे है उसको फ्री सीरियन आर्मी ने ऑलरेडी बहुत पीछे कर रखा है तो यही टाइम है कुर्दिस्तान बनाने का तो जो कुर्द थे उन्होंने सीरिया के नॉर्थ ईस्ट साइड में भी कब्जा करना स्टार्ट कर दिया मतलब कि सीरिया गवर्नमेंट की जो एक दिक्कत चल रही थी फ्री सीरिया आर्मी से अब नॉर्थ ईस्ट साइड पे कुर्द जो थे वो भी इनके खिलाफ लड़ने लगे थे और वो अपना कुर्दिस्तान बनाने के लिए अलग-अलग जगहों पे कब्जा करने लगे थे तो देखिए इससे पहले आगे बताऊं अभी तक की जो सिचुएशन है वो ये है कि सीरिया के अंदर चार एंटिटी अलग-अलग मकसद के लिए सीरिया में लड़ने लगी थी सीरिया की गवर्नमेंट आईएसआईएस फ्री सीरियन आर्मी जो आम जनता की थी सीरिया की और कुर्द फोर्सेस ये चारों अलग-अलग मकसद के लिए लड़ रही थी और फिर इसके बाद बाहर की जो कंट्रीज थी इन चारों ग्रुप्स के साथ अपने अपने मकसद को पूरा करने के लिए जुड़ने लगती है और उनको सपोर्ट करने लगती हैं अब इसकी वजह से होता क्या है कि सीरिया एक बैटल ग्राउंड बन जाता है और दुनिया की सबसे कॉम्प्लिकेटेड सिविल वॉर जो है वो यहां पे शुरू हो जाती है जिसमें मल्टीपल कंट्रीज और सुपर पावर्स जो थी वो एक दूसरे से भिड़ने लगती हैं अब आप कहोगे कि बाकी कंट्रीज क्यों आई और क्यों भिड़ने लगी तो वो भी आपको मैं बताता हूं मिडिल ईस्ट की जो ऑयल रिच सुन्नी कंट्रीज थी जैसे सऊदी कतर ये भी सीरिया की जो शिया गवर्नमेंट थी जो कि पॉपुलेशन में कम होने के बाद भी सुन्नी मुस्लिम्स पे रूल कर रही थी इससे यह खुश नहीं थी तो इन्होंने बशर अल असद के खिलाफ जो फ्री सीरियन आर्मी लड़ रही थी उसको पैसे से सपोर्ट किया हथियार पहुंचाए वहां पे ताकि सीरिया के अंदर जो बशर अल असद है जो कि शिया है उसको हटाया जा सके अब ये सारी चीजें जब चल रही थी तो ईरान जो कि शिया मेजॉरिटी कंट्री है वो चाहता था कि सीरिया के अंदर बशर अल असद जो कि शिया है वही रूल करे वो ना हटे वहां से तो ईरान ने पूरी तरीके से सीरिया की जो गवर्नमेंट थी बशर अल असद उसकी मदद करना स्टार्ट किया एक से एक एडवांस टेक्नोलॉजी और मिलिट्री तक भेजी सीरिया की गवर्नमेंट के पास ताकि वो इस चीज से निपट करर अपनी जो एस्टेब्लिशमेंट है उसको कायम रखें तो ये तो मिडिल ईस्ट की कंट्रीज हो गई ऐसे ही बशर अल असद की दोस्ती रशिया से अच्छी थी और मिडिल ईस्ट के अंदर रशिया के जो इंटरेस्ट थे उनको पूरा करने के लिए बशर अल असद का सीरिया में रहना रशिया के लिए बहुत फायदेमंद था तो रशिया ने भी बशर अल असद यानी के सीरिया गवर्नमेंट की मदद करी अब रशिया सीरिया में घुस के उस रीजन में अपना इन्फ्लुएंस करेगा और मदद करेगा तो यूएस कैसे पीछे हट सकता है यूएस ने सीक्रेट सीआईए को यह टास्क दिया कि फ्री सीरियन आर्मी को ट्रेनिंग दी जाए उनको हथियार पहुंचा जाए ताकि व एस्टेब्लिशमेंट के खिलाफ लड़ सके तो ऐसे करके दुनिया भर की कंट्रीज इसमें घुस गई और चार अलग-अलग ग्रुप्स में ये सारी कंट्रीज और सुपर पावर बट गई अपने-अपने इंटरेस्ट को पूरा करने के लिए और सीरिया में हर दिन लड़ाई होने लगी और एयर स्ट्राइक होने लगी अब इसके बाद क्या होता है कि 18 जुलाई 2012 को रवादा स्क्वायर जो कि दमस्क में है यहां पे सीरियन गवर्नमेंट जो थी इन चीजों से निपटने के लिए अपनी सेंट्रल क्राइसिस मैनेजमेंट सेल की मीटिंग कर रही थी जिसमें सीरियन गवर्नमेंट के बहुत ही इंपॉर्टेंट लोग थे अब ये जो फ्री सीरियन आर्मी थी बहुत दिन से इस मीटिंग के ऊपर ताक लगा के बैठी थी तो ये क्या करते हैं कि एक प्लान तरीके से इस पूरी बिल्डिंग को ही उड़ा देते हैं जिसमें सीरिया के डिफेंस मिनिस्टर दाऊद राजिया इसके साथ-साथ बशर अल असद का जो ब्रदर इन लॉ था आसिफ उसकी भी जान चली जाती ये बहुत बड़ा सेटबैक था सीरिया की गवर्नमेंट के लिए और इस इंसीडेंट के बाद बशर अल असद बहुत ही ज्यादा गुस्से में आ जाता है इसके बाद वो बैक टू बैक फ्री सीरियन आर्मी पे बहुत ज्यादा अटैक करता है सबसे ज्यादा जाने फ्री सीरियन आर्मी जो थी उनके जो रिबेलियंस थे उनकी इसी पर्टिकुलर टाइम पे जाती है लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी सीरियन गवर्नमेंट जो थी उनके हाथ में चीजें आ नहीं रही थी ये जो फ्री सीरियन आर्मी के जो रिबेल्स थे ये इनको पीछे नहीं कर पा रहे थे क्योंकि इनको बाहर से बहुत हैवी सपोर्ट आ रहा था दमस्क के अंदर गटा एक जगह है जहां पे जॉर्डन की तरफ से बहुत ही लार्ज स्केल पे हथियार पहुंचाए जाते थे ताकि फ्री सीरियन आर्मी जो है वो गवर्नमेंट के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे और मल्टीपल लड़ाई लड़ने के बाद भी सीरिया की जो गवर्नमेंट थी उसके पास इसका कोई तोड़ नहीं था और ये जो गटा था दमस्क के अंदर यहां पे सुन्नी पॉपुलेशन बहुत ज्यादा थी और स्पेशली ईस्ट साइड में क्या था कि जो पॉपुलेशन थी वो पूरी तरीके से सीरिया की गवर्नमेंट के अपोज में थी और मल्टीपल टाइम सीरिया की गवर्नमेंट और यहां की पॉपुलेशन के बीच में बहुत बार लड़ाइयां हुई हैं लेकिन उसके बाद भी सीरिया की गवर्नमेंट इनको रोक नहीं पा रही थी और इस एरिया से ही जॉर्डन के थ्रू हथियार पहुंच रहे थे तो जब इसका कोई सलूशन नहीं मिला तो 21 ऑफ अगस्त 2013 को एक बार 2:30 पे फिर सेम डे 5:00 बजे केमिकल वेपन का यूज करती है सीरिया की गवर्नमेंट एक सरन नर्व एजेंट था उसका यूज किया गया लाइन से लाशें बिछा दी जाती हैं बच्चे औरतें सारे एक लाइन इन से वहां पे उनकी जान चली जाती है अब केमिकल अटैक के खिलाफ करीब 188 से 200 कंट्रीज ऐसी हैं जिन्होंने केमिकल वेपन कन्वेंशन साइन कर रखा है कि वो केमिकल वेपन का यूज नहीं करेंगी लेकिन सीरिया ने ये चीज साइन नहीं कर रखी थी और केमिकल वेपन का यूज करना ये बहुत ही इन ह्यूमन है इसमें बहुत ही बुरी तरीके से जान जाती है ये बहुत बड़ा वॉर क्राइम है अब बशर अल असद ने केमिकल वेपन यूज तो कर लिए थे लेकिन इस इंसिडेंट के बाद पूरी दुनिया में इसका विरोध होता है ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यूएन को बोल के इस चीज को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में ले जाने की बात कही और यही वो टाइम था जब हर किसी को लग रहा था कि बशर अल असद अब बच नहीं पाएंगे उनका यहां सीरिया से जाना तय है लेकिन चाइना और रशिया ने इस चीज को वीटो करके इसको पूरी तरीके से कैंसिल कर दिया ऐसे ही 2017 तक सात बार वीटो का यूज किया रशिया ने सीरिया को बचाने के लिए और अगर ये वीटो ना होता तो कई सारी चीजें हो सकती थी जैसे इनके ऊपर सैंक्शंस लग सकते थे या मिलिट्री इंटरवेंशन हो सकता था अल असद को स्टेप डाउन करना पड़ सकता था लेकिन रशिया और कई हद तक चाइना की मदद से बशर अल असद बच गए लेकिन इसके बाद भी ये जब केमिक हमला हुआ तो ओबामा ने इसका अपोज करते हुए सीरिया के बेसिस के ऊपर डायरेक्टली अटैक भी किए इट इज इन द नेशनल सिक्योरिटी इंटरेस्ट ऑफ द यूनाइटेड स्टस टू रेस्पॉन्ड टू द असाद रेजीम यूस ऑफ केमिकल वेपंस थ्रू ए टारगेटेड मिलिटरी स्ट्राइक और एक तरह से यहां पे यूएसए और रशिया जो था वो इनडायरेक्टली आमने-सामने आ गए थे जहां रशिया बसर अल असद के साथ खड़ा था और यूएसए फ्री सीरियन आर्मी के साथ खड़ा था लेकिन यूएस का ये कहना था कि वो यहां पे घुसा है यानी कि सीरिया में जो घुसा है वो आईएसआईएस का खात्मा करने के लिए घुसा है तो यूएस ने सीरिया के अंदर अलग-अलग बेसस पे स्ट्राइक करी इसके साथ-साथ आईएसआईएस के जो ठिकाने थे वहां पे भी यूएस ने ए स्ट्राइक करी इसके जवाब में आपने देखा होगा कि आईएसआईएस वाले जो थे वह यूएस सिटीजन जितने भी थे उनको पकड़ लेते थे उनके कभी गर्दन काटने वाली या फिर उनको जला के वीडियो बनाते थे और इंटरनेट पे डालते थे जिसमें ज्यादातर इन्होंने जर्नलिस्ट को पकड़ा था तो इतनी सारी कंट्रीज एक तरफ लगी हुई थी इसके साथ-साथ 2015 में टर्की भी घुस जाता है नॉर्थ ईस्ट सीरिया में जो कुर्द लगे हुए थे अलग-अलग जगह कैप्चर करने में टर्की को लगा कि उसके लिए भी दिक्कत हो सकती है तो उसने भी उनके ऊपर एयर स्ट्राइक करना स्टार्ट कर दी रशिया को भी किसी भी कीमत पे मिडिल ईस्ट से सीरिया के अंदर बशर अल असद चाहिए था तभी उसके इंटरेस्ट पूरे हो सकते हैं तो रशिया ने भी अपना बेस सीरिया के अंदर बना लिया और अलग-अलग जगह पे एयर स्ट्राइक करी तो कहने का मतलब है कि इतनी सारी सुपर पावर रिबेलियंस आतंकी ग्रुप इस इलाके के अंदर अपने-अपने मकसद के लिए लड़ रहे थे और सीरिया जो था वो एक देश नहीं बचा था बल्कि अलग-अलग सुपर पावर कंट्रीज और रिबेलियंस के लिए आतंकी संगठनों के लिए एक अड्डा बन गया था जहां सब लोग आकर अपने मतलब पूरा करने के लिए लड़ाइयां लड़ते थे जैसे कि एक रेसलिंग रिंग होती है उसकी तरह और आए दिन जो सीरिया के ऊपर स्ट्राइक्स होती थी उसमें सबसे ज्यादा जो नुकसान होता था वो सिविलियंस का होता था बच्चों का औरतों का जिनकी कोई गलती नहीं रहती थी उनका होता था एक्चुअल में सीरिया के अंदर इतनी स्ट्राइक हुई थी कि सीरिया एक कंकाल बन के रह गया था यह हाल हो गया था [संगीत] उसका 2016 में जब ट्रंप प्रेसिडेंट बने तो उसके बाद उन्होंने यूएसए को सीरिया से बाहर कर लिया और कहा कि बशर अल असद जो हैं वो सीरिया के अंदर पावर में रहे हमें में कोई मतलब नहीं है ये नेवर एंडिंग फाइट है इसमें हमें नहीं पढ़ना अब यूएस तो निकल जाता है लेकिन 2017 में बशर अल असद ने फिर से केमिकल वेपन का यूज कर दिया जिसमें 85 लोगों की जान चली गई जिसमें से 10 से ज्यादा तो बच्चे थे तो इस इंसीडेंट के बाद जो यूएस बच के यहां से बाहर निकल के गया था उसको वापस सिरिया में इवॉल्व होना पड़ा और अब ऑफिशियल स्ट्राइक करने लगा वो सीरिया के ऊपर दुनिया की इस सबसे कॉम्प्लिकेटेड सिविल वॉर में 4 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई 80 पर से ज्यादा सीरिया की जो पॉपुलेशन थी वो गरीब बन गई लोग भूखे मरने लगे लोग सीरिया छोड़ छोड़ के भागने लगे और जब कोई फ्लाइट नहीं मिली तो अपनी जान तक दाव पे लगा के समुद्र के रास्ते से भागने लगे सीरिया के इस कॉम्प्लिकेटेड सिविल वॉर को जहां मल्टीपल कंट्रीज इवॉल्व हैं सबसे पहली सोशल मीडिया वॉर भी कहा जा सकता है क्योंकि ये सबसे पहली वॉर थी जहां हर एक ग्रुप ने सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा यूज किया अलग-अलग नैरेटिव सेट करने के लिए इंटरनेशनली अपनी बात पहुंचाने के लिए 800 से ज्यादा जो जर्नलिस्ट थे वो सीरिया के अंदर मारे गए थे आईस वाले तो जर्नलिस्ट का सर काट के जला के उनकी वीडियो बना के डालते थे तो कोई भी जर्नलिस्ट अपनी जान को खतरे में डाल के सीरिया में जल्दी से जाना नहीं चाहता था तो न्यूज एजेंसीज के लिए भी सोशल मीडिया एक अपडेट लेने का सोर्स बन गया था आज की डेट तक इसका रियल सलूशन नहीं मिल पाया है लोग वहां पर बैक टू बैक लड़ते रहते हैं और यह सब स्टार्ट हुआ एक छोटे से प्रोटेस्ट और बशर अल असद की जिद से कि वो अपनी कुर्सी नहीं छोड़ेगा और 14 साल के मुआविया ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी एक छोटी सी दीवार पर लिखी हुई लाइन से इतना कुछ हो जाएगा एक बार फिर से आपको बता दूं अनअकैडमी ऑनलाइन समिट इसी 20th एंड 21 ऑफ जुलाई को शाम 4:00 बजे से अनअकैडमी प पर लाइव होगी तो उसको जरूर अटेंड करिएगा थैंक यू [संगीत]