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Gandhi, Irwin Pact, and Bhagat Singh's Legacy

पता नहीं था किसी को जब फांसी लग गया तब पता आया कि भगत सिंह को तो फांसी लग गया तब महात्मा गांधी कहे कि रे इर विनवा क्या किया है तू भगत सिंह को जो गवाही दिया था ना इनडायरेक्टली महात्मा गांधी भी चाहते थे कि चलो देखो ध्यान से महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को बहुत भयानक रूप दे दिया था अब उधर इंग्लैंड का प्रधानमंत्री पागल था इर विनवा को गरि आ कि रे चोटा कहीं का तुमसे हम कहे थे बवाल नहीं होना चाहिए कैसे बवाल कर दिया कहा कि साहब गलती हो गया मार्च में आया था 1930 में हमरे पास ार को मांग लेके हमको लगा भगा दिए थे गलती हो गया म गांधी जी को मंगाओ और उनकी बात मानो और उनको इंग्लैंड भेजो गोलम सम्मेलन में क्योंकि इंग्लैंड में चल रहा था गोलम सम्मेलन पहला गोलम सम्मेलन हुआ था 1930 पहला हुआ था 1930 और 30 में इंग्लैंड के प्रधानमंत्री जो थे रजे मैकडोल गोल मेज बनाए थे खूब बढ़िया राउंड टेबल ऐसे टेबल था राउंड टेबल राउंड टेबल होता है बराबरी के लिए समझ में आ गया कि सब लोग बराबर जगह पर इसमें कोई मतलब सीनियर जूनियर का जगह नहीं होता जहां से बैठिए आपका स्पेशल है और इसमें यह वाला यहां पर बैठ जाता है तो इन्होंने क्या बनाया था राउंड टेबल समिट गोल में सम्मेलन 1930 प्रथम गोल में सम्मेलन कब हुआ था 1930 रजे मैकडोल ने भव्य स्वागत का इंतजाम किया था व्यवस्था किया था खाने पने का और पूरी इ इंग्लैंड में डोरा पटा था देखो कैसे हम भारत की समस्या को दो मिनट में सॉल्व करते अभी बुलाए गांधी जी को सब आएगा गांधी जी कांग्रेस को भी बुलाए हैं वहा गांधी और कांग्रेस के सवा बड़ा कोई नेता ही नहीं है हम दो मिनट में निपटा देंगे इधर 1930 में प्रथम गोल में सम्मेलन बलाया है इधर इमा गांधी जी का मांग फेंक दिया ना मान तो गांधी जी 1930 में कौन च करके बैठे और उधर कौन च चल रहा है सभी नेजोन का मुख्य उद्देश्य क्या था एकदम प्रेम से आपकी बात को ठुकरा देंगे य इंग्लैंड का प्रधानमंत्री इंतजार कर रहा था अब आ गांधी जी अब आएगा कांग्रेस का कोई कोई नहीं आया इंतजार करते रह गया रमज मैकडोनाल्ड चुपचाप रह गए विपक्ष का नेता था वहां पर वेस्टन चर्च का का हो मैकडोल गुलाम देश भी वैल्यू नहीं दे रहा है आपको अब आप बताइए मोदी जी अगर बुलाए नेपाल के प्रधानमंत्री को आई ना करे एयरपोर्ट पर टुकु टुकर देखते रह जाए तो विपक्ष वाला कहेगा कि नहीं कहेगा बहुत दिक्कत हो जाएगा य बेचारा रेजे मैकडोनाल्ड जो था वो बहुत शर्मिंदा हुआ कि उसका बात कोई नहीं माना गया फोन किया किसको इनवा को कि देख इरविन चोट्टा 1931 में द्वितीय गोल में सम्मेलन कर रहे हैं इसमें इरविन नहीं आया तो तोर बिरया इसमें अगर गांधी नहीं आए तो इरविन तोर बिरयानी बनेगा इरविन बिरयानी अब इरविन बेचारा टेंशन में आ गया क्योंकि इरविन के अगर गांधी द्वितीय गोलम में नहीं गए रहते ना इरविन को पक्का मैकडोल आके कर जाता यहां पर दाते काट लेता उसकी नौकरी चल जाती यहां पर अा महात्मा गांधी को दिया कांग्रेस का कोई मत जाओ कोई गया ही नहीं उधर अंबेडकर साहब बस गए थे कौन गए थे अंबेडकर तेज बहादुर सब्र भी थे लेकिन बड़े नेता में कौन थे अंबेडकर साब अकेले में क्या होगा अब द्वितीय गोल में सम्मेलन आ गया 31 में अब 1931 में सितंबर 1931 में को रखा गया था सितंबर 1931 में कौन सा सम्मेलन द अब इससे पहले ही इरविन जो था व कहा कि गांधी जी देखिए ना हम आपका मांग नहीं मांगे थे इसमें गलती हो गया हम एक काम करते हैं आइए एक बार दोबारा विचार करते हैं हमारा मति फिर गया था हम आपकी बात ठुकरा दिए थे तो गांधी और इरविन के बीच में दिल्ली में एक समझौता हुआ 5च मार्च 1931 5 मार्च 1931 इसे कहा गया गांधी इरविन समझौता यह बीपीएससी का क्वेश्चन है 5 मार्च 1931 इसे हम दिल्ली पैक्ट कहते हैं क्या कहते हैं प दिल्ली पैक्ट इसी को हम कहते हैं गांधी इरविन समझौता गांधी इरविन समझौता गांधी इरविन समझौता इस समझौते में गांधी जी अपर हैंड पर थे क्योंकि गांधी जी को पता था लेकिन हम ना आपको बता रहे हैं कि इरविन पर इतना दबाव था अंग्रेज इतना बेवकूफ हो कि इरविन पर दबाव बता के किया होगा नहीं करेगा आदमी यहां पर याय आदमी नॉर्मल बिजनेस करता है कभी-कभी किसी को जमीन खरीदना होता है तो उसको चाहिए लेकिन कहता मन ना है अ य पर बाद में लेंगे ताकि उसका भाव गिर जाए अभी ना हम आपको पूरा बात बता दे रहे कि मैकडोल का क्या क्योंकि बीती हुई घटना है लेकिन जब चल रहा होगा तो आपको थोड़ी पता है अभी रूस का राष्ट्रपति पुतिन क्या चाहते हैं यह हम लोग को खुल के थोड़ बताने वाला समझ में आ रहा कि नहीं आ रहा तो गांधी इरविन समझौता हुआ महात्मा गांधी ने शर्त रखा कि जितने भी राजनीत जितने भी कैदी हैं उन्हें क्या किया जाए रिहा किया जाए रनवा लिख दिया कि जितने भी राजनीतिक कैदी हैं उन्हें रिहा किया जाएगा अब यहां वो खेल गया इरविन ने कहा कि हम राजनीतिक कैदियों को रिहा कर देंगे राजनीतिक कैदियों को रिहा कर देंगे और आपको क्या करना पड़ेगा सविनय अवज्ञा आंदोलन को कैंसिल करना पड़ेगा फिलहाल के लिए कुछ देर के लिए सस्पेंड करना पड़ेगा दोबारा भने मनद चालू कर लीजिए लेकिन आप चले जाइए गोलमेज सम्मेलन महात्मा गांधी रेडी हो गए कि द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में हम जाएंगे सने अव आंदोलन को क्या कर दिया उन्होंने स्थगित कर दिया वहा पर लोग फिर कहे की ब फिर फिर कर दिया सहयोग आंदोलन को भी ऐसे ही किया ही कर दिया का आदमी है यार यह महात्मा गांधी के प्रति लोगों का विचार थ डगमगाने लगा लेकिन कहे लोग कोई बात नहीं महात्मा गांधी ने सस्पेंड किया तो क्या हो गया कैदियों को तो रिहा कर देंगे कैदी रिहा होने की जगह पर भगत सिंह को फासी लगा दिया गया पता नहीं था किसी को जब फांसी लग गया तब पता आया कि भगत सिंह को तो फांसी लग गया तब महात्मा गांधी कहे कि रे रनवा क्या किया है तुम तुम कैसे फांसी दे दिया तो कहा कि हमने तो बोला था कि राजनीतिक कैदियों को छोड़ देंगे जितना धरना अनसन हेन तेन में बैठा था सबको छोड़ दिए भगत सिंह जो थे ये तो अपराधिक में थे क्या थे अपराधिक में थे अभी टेंशन नहीं लीजिएगा भगत सिंह को जो गवाही दिया था ना गवाही दिया था जो भगत सिंह के खिलाफ उसको बिहारी गोली मार दिया अभी आगे पढ़ेंगे आप लोग य पर ठीक है वही गवाही दिया था क्योंकि भगत सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं था सास की हत्या का कोई सबूत नहीं था वही खड़ा गा हम देखे थे यही मारा था यही भगत सिंह को फांसी दे दिया गया समझ आ कि नहीं खुद के खिलाफ आप गवाही नहीं दे सकते तुम लोग अपने घर का कानून पढ़ देता है आप किसी को भी खुद के खिलाफ गवाही दिला के उसे सजा सुना सक समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा तो उसने क दिया यही मारे थे बिहारी को देख लिया था कोर्ट में कहा रुक तो ब तो बलाया बिहार में आओ लीटी चो बेतिया में मयारी है ना जग च बेतिया में गन्ना के खेत में गोली मार दे आके भगत सिंह के खिलाफ गवाही देता है तो ऐसा ऐसा बहुत हुआ है तो भगत सिंह को क्या लग गई फांसी हालांकि भगत सिंह को जब फांसी दिया गया तो जो जज थे उन जजों में एक आगा हैदर भी थे क्या नाम था आगा हैदर आगा हैदर ने तो पूरा अपना फैसला लिखा है भगत सिंह के फेवर में समझ में आया कि नहीं आ लेकिन जजों को फांसी देना ही था एक बात समझ जाइए 1931 में लगी थी फांसी किसको भगत सिंह गांधी इरविन समझौते के बाद मार्च में भी फांसी लगी थी उनको 23 मार्च 5 मार्च 1931 को यहां समझौता हो रहा है और उसके 18 दिन बाद 23 मार्च 1931 क्या लग गई फांसी ल हालांकि 14 फरवरी को सजा सुनाया गया था लेकिन गांधीर समझौते के बाद ऐसा लग रहा था कि माफ हो जाएगा सजा लेकिन माफ नहीं हुआ यहां पर अच्छा ये बताइए 1931 में सरदार पटेल भी बहुत बड़े जज वकील थे और 1931 में कांग्रेस उन्हीं के हाथ में थी 1931 का लाहौर कराची अधिवेशन सरदार पटेल थे सरदार पटेल भी तो बहुत बड़े वकील थे मोतीलाल नेहरू बहुत बड़ का वकील थे जवाहरलाल नेहरू बहुत बड़े वकील थे जिन्ना बहुत बड़े वकील थे आप गांधी को अकेले जिम्मेदार तब ठहरा आइएगा हां इसलिए कि उस समय गांधी के पास पावर इस बात का था कि उनकी बात मान लेता इरविन उनकी बात मान लेता हालांकि इरविन बात मान लिया था आप इस चीज को भी समझिए आप अगर गांधी को देखि नो डाउट य गांधी को हम लोगों से अगर ऐसी गलती हो जाए कि अपराधियों को छोड़ने की जगह अगर कोई लिख दे कि राजनीतिक अपराधियों को छोड़ा जाता है तो हम लोग ऐसा गलती कर सकते एक वकील ऐसा गलती करेगा वकील का कम होता है यही सब चीज पकड़ना अ गांधी वकील गलती करे रियलिटी में गांधी जी हिंसात्मक चीजों को ज्यादा पसंद नहीं करते थे लेकिन किसी चीज को पसंद ना करना इसका मतलब यह नहीं होता कि उससे नफरत करना समझ में आ गया कि नहीं आ गया आपको अगर देखिएगा कोई चीज अगर नहीं पसंद है तो इसका मतलब नहीं कि आप उसका विरोध करते हैं दो तरह के लोग मिलेंगे कोई आप देखिएगा इससे भीना एक आदमी कोई होगा जो शाकाहारी होगा लेकिन उसको मानसरी से विरोध नहीं है आप उसके बगलो में खा लीजिएगा तो उसको कोई दिक्कत नहीं कहेगा हम नहीं खाते गा सब नहीं खाएगा बगलिया में खा लेगा चार को सुनाएगा य खा रहे हो मर जाओगे कैंसर हो जाएगा फेफड़ा खराब होगा लिवर खराब होगा पाप पड़ेगा कोई ट जाएगा पिछले जन्म में सियार पैदा हो गया ही होगा समझ में आ गया कि नहीं आ इतना ज्ञान देगा जिसे लगेगा उमर में नहीं करेगा दो टाइप के लोग होते हैं य तो वैसे महात्मा गांधी को हिंसा पसंद नहीं थी लेकिन इनडायरेक्टली महात्मा गांधी भी चाहते थे कि हिंसा होती रहे ताकि अंग्रेज उनके पास आके आराम से बात करें इसलिए महात्मा गांधी जीने ऐसा नहीं था करो या मरो हिंसात्मक नारा नहीं हैय हिंसा वाला का है लेकिन भगत सिंह को फांसी देना था अंग्रेजों को तो फांसी उन्होंने दे दिया क्योंकि अगर किसी हिंसात्मक चीज को आप ही बताइए आप जाकर जापान पर कब्जा कर लीजिए या पाकिस्तान पर कब्जा कर लीजिए आप जापान पर का बोलेंगे भाई हम लोग का दोस्त है आप जाकर पाकिस्तान पर कब्जा कर लीज ठीक है समझिए और वहां कोई आदमी एकदम खतरनाक काम करेगा गोली उली मार देगा एकदम खतरनाक ज भगत सिंह ने कैसे म उड़ा दिए असली असेंबली उड़ा दिए संसद भवन और उड़ा दिया क्या आप उसको सजा दीजिएगा या माफ कीजिएगा क्योंकि अगर गुलाम बना के रखना है तो सजा बहुत भयानक देना पड़ता है तो अंग्रेज फुल टू रेडी थे कि इनको तो हमको सजा देना अभी आप टेंशन क्या ले रहे हैं गांधी जी को मारने का प्लान था और गांधी जी लगभग मार दिए थे सब महात्मा गांधी को लगभग मार चुका था सब महात्मा गांधी महात्मा गांधी भाप गए यहां पर तो महात्मा गांधी से पहले अंग्रेजों ने क्या सस्पेंड कराया सीने अवाग आंदोलन सब जगह हल्ला हो गया महात्मा गांधी ने कह दिया मैंने कैदियों की रिहाई की भी बात कर दिए सब लोग गांधी जी की खुश हो गए आप पे सरोजिनी नाडू इतनी खुश हो गई इरविन से इतनी खुश हुई कि इरविन को कह दिया कि भारत में एक महात्मा नहीं है दो महात्मा है एक महात्मा गांधी को चंपारण सत्याग्रह के बाद गांधी जी को महात्मा की उपाधि मिली गई थी तो उन्होंने इतना खुश हो गई कि ऐसा वायसराय होना चाहिए उन्होंने क्या कहा दो महात्मा क्या कहा दो महामा तो बताइए हम लोग तो इतिहास पढ़ रहे हैं ना जो वहां था उस आंदोलन में जो उस समझौता में था वो इरविन से इतना अच्छा से प्रभावित हो गया कि लगता है कि यह छोड़ देगा क्या आपको लगता है कि अगर पता रहता कि इरविन भगत सिंह को फांसी देने वाला है तो सरोजनी नेड दो महात्मा कहती नहीं क इट मींस अंग्रेज के डबल फेस होते हैं वो डबल फेस होते हैं आप एक चीज लिख के रख लीजिएगा कि यूरोप वाले और अंग्रेज अमेरिका कभी भी पाकिस्तान का साथ देंगे सब कभी भी चाहे व कितना आतंकवाद फैला दे क्योंकि उनको पता है कि उनका बाप जिंदा है भारत उनको टक्कर देने वाला यही है समझ में आ गया कि नहीं आ गया क्योंकि उनकी स जब उनका समय था तो उन्होंने राज किया था समझ में आ गया नहीं आ गया लेकिन अब पूरी दुनिया में डोमिनेट करेगा कौन भारत और इसलिए डायरेक्ट तो भारत से लड़ नहीं सकते किससे कहेंगे पाकिस्तान पाकिस्तान से तुम टॉर्चर करो तुम टॉर्चर करते रहो यहां पे इन लोग की दोहरी नीति होती है एकदम इन लोगों से सोच समझ के रहना चाहिए समझ में आया कि नहीं आ गया खतरनाक आ अच्छा हम जब इस चीजों को समझाते हैं तो हमको कुछ कुछ जो राजदूत वगैरह होते हैं सबना व कहते हैं सर आप ऐसा बात बोलते हम लोगों को जवाब देना पड़ जाता है तो कह दीजिएगा कि हम थोड़े बोले खान सर बोले हैं जवाब कौन चीज देना आपका हम रिश्तेदार हैं लदार अरे भाई आप मे म करके जवाब देंगे हमको पढ़ाना है पूरे देश के लोगों का माइंडसेट हमको सेट करना है कि आप किसके प्रति हैं किसके प्रति नहीं है आप अपना काम कीजिए हम सिखाने आए हैं कि आप अपने ऑफिस में बैठ के क्या कर रहे हैं आप हमारे क्लास में झांक लेते हैं हम क्या पढ़ा रहे हैं समझ में आया कि नहीं हमारा काम है देश बदलना आपको डिपार्टमेंट दिख रहा है हमको पूरा देश दिख रहा है अंतर होता है किसी आगे बढ़ जाए किसी को कोई दिक्कत नहीं है य देखो सर अभी तक गोट से नहीं आया इंतजार कर रहा है गोट से का इंतजार कर रहा है गोट से का अभी आपको ना जब रियलिटी पढ़ेंगे ना तो आपको धर्म से थोड़ी सी दूरी बन जाएगी ठीक है रियलिटी धीरे-धीरे पढ़ते चलिए 1948 आने दीजिए आते आते आपको ना धर्म से थोड़ा सा लगेगा यार तो धर्म और कुछ खास चीज नहीं है थोड़ा सा पीछे हट जाना चाहिए आराम से भी समझते चलिए यहां तो समझ में आ गया अब महात्मा गांधी फांसी दे दिया गया उसके चार महीना बाद पाच महीना बाद सितंबर 1931 अब महात्मा गांधी तो सस्पेंड कर चुके थे सभी नवज आंदोलन अब भगत सिंह को फांसी लग चुकी थी अब महात्मा गांधी कौने मुंह से करते कि दोबारा आंदोलन चालू करो लोग या देते महात्मा गांधी को अब महात्मा गांधी को उस समय अंग्रेजों ने सेफ्टी दिया था पुलिस गार्ड सोचिए महात्मा गांधी का कितना विरोध हुआ था कि महात्मा गांधी को देना पड़ा था कि अरे भैया इ भगत सिंह के गुस्सा इन पर मत उतार दो स समझ में आया क्योंकि भगत सिंह को फांसी दी गई थी अंग्रेजों की वजह से और गुस्सा अगर गांधी जी प उतर जाता तो गांधी जी की का गुस्सा उतार देता था अंग्रेजों पे सब के पीछे यही है सब यही सब मारो इ नहीं सब को यहां पर तो अंग्रेजी सब चाहते नहीं थे सब क्यों क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बादलगढ़ मडराल थे ऐसे भारत वालों को तो उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया उनको कहा अरे इनको तो कभी देख लेंगे हम लोग समझ में आया कि नहीं द्वितीय विश्व युद्ध बहुत बड़ा कारण बना हम लोग के आजादी में बहुत बड़ा द्वितीय विश्व युद्ध वहां पर तो अंग्रेजों ने अब महात्मा गांधी कहां गए द्वितीय गोलम सम्मेलन में इंग्लैंड गए द्वितीय गोलम सम्मेलन में कहां पहुंचे इंग्लैंड इंग्लैंड यहां अंग्रेजों का असली खेल चालू हुआ फर्स्ट गोल मैच कहां कब हुआ था फर्स्ट गोल मेंज क्या इसमें कांग्रेस का कोई गया नहीं द्वितीय म गोल मैच कब हुआ 1931 सितंबर 1931 इसमें महात्मा गांधी गए [प्रशंसा] थे 7 सितंबर 191 7 सितंबर 1931 देखिए स से सात स से सितंबर और एस एस राजपूताना नामक जहाज से गए थे एस एस राजपूताना नाम से देखिए एस से होता है सेवन एस से होता है सितंबर और एस से होता है एस एस राजपुताना नामक जहाज से गए थे महात्मा गांधी