Hello everyone, आज हम पढ़ेंगे class 10 की science का तीसरा chapter जिसका नाम है metals and non-metals तो इस chapter के हर एक concept को हम ncrt के तुरू visuals और animation की help से काफी short time में complete करेंगे तो हमारे आसपास जो कुछ भी present है उसे mainly दो parts में divide किया गया है जो की है metals और non-metals तो आज हम इस chapter में metals और non-metals की physical और chemical properties को समझेंगे और इसी के साथ कुछ additional information और topics को भी समझेंगे तो चलिए start करते हैं तो सबसे पहले हम समझते हैं physical properties of metal को यानि कि metal की physical properties तो generally metals जो हैं वो opaque और luxurious element होते हैं जो कि good conductors होते हैं heat और electricity के तो हमने यहाँ पर देखा कि metal opaque और luxurious होते हैं तो अब हम यह देखते हैं कि यह opaque और luxurious क्या होते हैं तो ओपेक ओब्जेक्स बे ओब्जेक्स होते हैं जिन में से लाइट पास आउट नहीं होती है मतलब कि जिन में से लाइट आर पार नहीं जा पाती है तो आपने देखा होगा कि गोल्ड, सिल्वर, कॉपर, आइरन जो की मेटल्स होते हैं वहीं पर लक्सरस का मतलब है साइनी सरफेस और इसी साइनी सरफेस के बज़े से मेटल्स जो वो लाइट को रिफलेक्ट करते हैं तो ये तो हो गई मेटल की definition तो अब हम देखते हैं मेटल की सभी physical properties को तो यहाँ पर आपको ये याद रखना है कि mostly सभी physical properties में कुछ ना कुछ exception होता है तो आपको उस exception को ध्यान से याद रखना है तो मेटल की पहली physical property है hardness तो ज़्यादातर जो मेटल होते हैं वो काफी hard होते हैं जैसे कि iron, copper, silver बहीं पर जो alkali मेटल होते हैं जैसे कि sodium, potassium ये सब exception होते हैं hardness की और ये soft होते हैं और ये Alkali metals जैसे कि Sodium और Potassium इतने soft होते हैं कि इने हम knife के द्वारा भी cut कर सकते हैं इसके बाद हम देखते हैं Physical properties के दूसरे parameter को जो की है Strength तो ज़्यादातर जो metals होते हैं वो काफी strong होते हैं उनकी जो tensile strength होती है वो काफी ज़्यादा होती है तो tensile strength जो है वो material load या resistance हैने की capacity को कहा जाता है जिसमें कि वो permanently damage ना हो और metal की tensile strength की जाना होने की बज़े से ही आपने देखा होगा कि जितने भी बिर्जेस बिल्डिंग्स होती हैं इन सब में आइरन और कॉपर जैसे मेटल का यूज किया जाता है क्योंकि ये काफी स्ट्रॉंग होते हैं और इनकी टेंसाइल स्ट्रेंथ भी काफी जादा होती है लेकिन यहाँ पर भी कुछ एक्सेप्शन होते हैं जैसे कि सोडियम और पुटेसियम क्योंकि ये सौफ्ट मेटल होते हैं इसके बाद है स्टेट यानि की अवस्था मतलब की मेटल कितनी स्टेट में पाया जाता है तो जो मेटल होता है वो सॉलिड स्टेट में पाया जाता है कि मतलब कि जितने भी मेटल्स होते हैं वे सब सॉलिड डिस्ट्रिट में पाए जाते हैं लेकिन इसमें भी एक एक्सेप्शन होता है जो कि है मरकरी तो जो मरकरी होता है वो लिक्कुड होता है रूम टेंप्रेचर पर इसके बाद अगला पेरमीटर है साउंड तो जो मेटल्स होते हैं जब उन्हें हिट या रिंग किया जाता है तब वे साउंड पेडूज करते हैं और वे सोनोरस होते हैं और वैल्स बगेरा भी जो होती हैं वो भी इसी वज़े से मेटल से बनती हैं इसके बाद है कंडक्शन तो जो मेटल्स होते हैं वो गुड कंडक्टर होते हैं हीट और एलेक्ट्रिसिटी के तो अब आप कहेंगे कि बायर तो प्लास्टिक के होते हैं तो एक्चुली ऐसा नहीं होता बायर जो होते हैं जिससे कि करेंट पास होता है वो मेटल का होता है ऐसे ही हमारे जो utensils यानि की बर्तन होते हैं वे सब metal से बिलकर बने होते हैं क्योंकि उन में से heat सही से conduct होती है इसके बाद अगली property है malleability तो metal जो है वो malleable होते हैं malleable का मतलब जब इन्हें beat किया जाता है या पीटा जाता है तब ये पतली sheets में convert हो जाते हैं और metal की इसी property की वेज़े से जो iron होता है वो बड़ी बड़ी chips को बनाने में use किया जाता है इसके बाद ductility तो ये metal की एक property होती है जिसमें कि metal को एक buyer में convert किया जाता है और इसी वज़े से जो buyers होते हैं वो metals के बने होते हैं इसके बाद है melting and boiling point तो generally जितने भी metals होते हैं उनका melting और boiling point काफी high होता है लेकिन इसके अंदर भी कुछ exception होते हैं जैसे कि sodium और potassium जिनका melting और boiling point काफी कम होता है इसके बाद है density तो metals की जो density होती है वो काफी high होती है और अब आखरी है इनका color तो आपने देखा होगा कि metals का color mostly grey होता है लेकिन इसमें भी कुछ exception होते हैं जो की है gold and copper तो अब यहाँ पर हम metals की physical properties को देख चुके हैं इसके बाद हम देखेंगे non-metals की physical properties तो metals की physical properties को समझने के बार non-metals की physical properties को समझना काफी आसान हो जाता है क्योंकि non-metals की physical properties metals की बिलकुल opposite होती है तो पहले हम देखते है non-metals की hardness को तो generally जो non-metals होते हैं वो mostly काफी soft होते हैं लेकिन इसमें भी एक exception होता है जो की है diamond जो की काफी hard होता है तो diamond जो है वो हमारी earth पर present hardest substance है तो आपको यहाँ पर यह याद रखना है कि non-metals generally soft होते हैं लेकिन जो hardest substance होता है अर्थ पर वो होता है diamond जो कि यह non-metal होता है इसके बाद है state तो non-metals जो है वो तीनों states में पाए जाते हैं for example wood जो कि solid state में पाए जाती है bromine जो कि liquid state में पाए जाती है oxygen जो कि gaseous state में पाए जाती है इसके बाद है luxuriousity तो जो non-metals होते हैं उनकी mostly dull appearance होती है यानि कि वे luxurious नहीं होते, लेकिन इसमें भी दो exception होते हैं, जो कि ये diamond और iod, जिनकी surface काफी shiny होती है और ये luxurious होते हैं, तो आपको इन सभी exception को ध्यान से याद रखना है, इसके बाद है अगला parameter जो कि ये sonority, तो जो non-metals होते हैं वो sonorous नहीं होते, यानि कि जब इन्हें hit किया यानि के इनके थ्रू heat और electricity पास नहीं होती लेकिन इसका एक exception होता है जो कि ये graphite जो कि एक non-metal होती हुए भी electricity को पास करता है इसके बाद अगली physical property है malleability and ductility तो non-metals ना malleable होते हैं ना ही ये ductile होते हैं इनके जगह पर ये brittle होते हैं यानि के ऐसे substance होते हैं जो कि आसानी से तूट जाते हैं इसके बाद हम जानते हैं इनकी melting and boiling point को और इनकी density को तो जनरली non-metals की melting और boiling point कम होती हैं लेकिन इसमें भी कुछ exception है जैसे कि diamond और graphite जिनका melting और boiling point काफी high होता है इसी के साथ ज़्यादातर जो non-metals होते हैं इनकी density भी काफी low होती है ऐसे ही जो non-metals होते हैं वो काफी सारे colors में present होते हैं तो चलिए metals और non-metals की physical properties को देखने के बाद हम इनके ऊपर कुछ one word questions को देखते हैं तो आपका पहला question है Which metal is liquid at room temperature? यानि कि कौन सा मेटल लूम टेंपरेचर पर लिक्विड स्टेट में होता है आपका दूसरा कोशिशन है बिच मेटल इस द पूरेस्ट कंडेक्टर ओफ हीट और आपका तीसरा कोशिशन है बिच मेटल कैन वी कट विथ अ नाइफ और आपका चोता कोशिशन है तो इन चारो कोशिशन में पहले कोशिशन का आंसर है मरकरी जो की एक लिक्विड मेटल होता है दूसरे कोशिशन का आंसर है लीड जो की पूर कंडेक्टर होता है हीट का और तीसरे कोशिशन का आंसर है सोडियम जो की एक soft metal होता है और इसे knife से भी cut किया जा सकता है और ऐसे ही चोथे question का answer है silver तो silver जो है वो best conductor होता है electricity का तो अब आप सोच रहे होंगे कि जब silver best conductor होता है electricity का तो electric buyers में mostly copper का use क्यों किया जाता है तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो silver होता है वो काफी expensive होता है तो metals और non-metals की physical properties के बारे में हमें यहाँ पर बस इतना ही पढ़ना है इसके बाद हम समझते हैं इनकी chemical properties को तो पहले हम बात करते हैं metal की chemical properties की जिसमें की सबसे पहली है reaction with air तो यहाँ पर air आपको oxygen ही consider करना है तो ज़्यादातर सभी जो metals होते हैं भी सब oxygen के साथ react होकर metal oxide form करते हैं metal plus oxygen gives metal oxide for example copper plus oxygen give copper oxide तो अभी हमने देखा कि मेटल ओक्सिजन के साथ मिलकर मेटल ओक्साइड बनाता है तो अब हम इन मेटल ओक्साइड के बारे में तोड़ा सा जान लेते हैं तो जो मेटल ओक्साइड होते हैं वो मूश्टली बेसिक होते हैं नेचर में जैसे कि आपको ये जो दो रियक्शन दिख रही हैं जिसमें एक मैं एलुमिनियम ओक्साइड जो है वो HCl उससे रियक्ट करके सॉल्ट और बाटर बना रहा है यह जो एलुमिनियम एक्साइड है वो एजा एमपूटरिक ओक्साइड बियेब करता है क्योंकि ये एसिड और बेस दूनों से रियक्ट करता है लेकिन यहाँ पर याद रखने वाली चीज यह है कि ये जो सभी मेटल्स होते हैं वे एक जैसे रियक्ट नहीं करते ओक्सिजन के साथ अलग-अलग मेटल्स अलग-अलग तरीके से रियक्ट करते हैं मेटल्स के साथ जैसे कि जो सोडियम और पोटेसियम होते हैं वो काफी जल्दी रियक्ट करते हैं ओक्सिजन के साथ ये इतनी बाइग्रसली रियक्ट करते हैं ओक्सिजन के साथ और इसी आग से प्रिवेंशन के लिए सोडियम और पोटेसियम को केरोसीन ओइल याने की मिट्टी के क्योंकि sodium और potassium most reactive metals होते हैं reactivity series में तो reactivity series के बारे में हम आगे समझेंगे तो ऐसे ही जो इनसे थोड़े से कम reactive metals होते हैं जैसे कि magnesium, aluminium, zinc, lead वो सब oxide के पतले लियर से cover होती है further oxidation से prevent होने के लिए ऐसे ही जो iron होता है वो heat करने पर burn नहीं होता वहीं पर जो iron fillings होती है यानि कि उसका powder form होता है वो काफ़े तेजी से जलता है तो आपको यह याद रखना है कि burning या जलने की process oxygen के कारण ही possible हो पाती है without oxygen combustion की process possible नहीं हो पाती है और ऐसे ही जो copper होता है वो burn नहीं होता लेकिन जब इसे further ज़्यादा heat किया जाता है तो इसकी upper layer black coat हो जाती है black copper oxide से ऐसे ही gold और silver जो कि least reactive metals होते हैं वो oxygen से react नहीं करते इसी वज़े से gold और silver को jewelry बनाने में use किया जाता है क्योंकि वे किसी भी चीज से react नहीं करते हैं जिस वज़े से वे खराब नहीं होते इसके बाद है दूसरी chemical reaction जो कि है reaction with butter तो जब metals और butter की reaction होती है तो metal और butter मिलकर metal oxide या metal hydroxide बनाते हैं और साथ में hydrogen भी release होती है तो जब metal और butter की reaction होती है तब इन दोनों में से एक चीज जरूर बनती है लेकिन जब high reactive metal जैसे कि sodium बार्टर से react करते हैं तब metal hydroxide फॉर्म होता है पर जब least reactive metal बाटर से react करते हैं तब metal oxide form होती है लेकिन ये जो metal oxide होती है वो further बाटर से react करके metal hydroxide form कर लेती है for example sodium plus water gives sodium hydroxide plus hydrogen gas and calcium plus water gives calcium hydroxide plus hydrogen gas और तीसरा example है iron plus water gives iron oxide plus hydrogen तो आप इन तीनो examples को ध्यान से देखिए तो इनमें आपको एक चीज देखनों को मिलेगी वो ये है कि जो most reactive metal है उनकी water के साथ reaction पर metal hydroxide form हो रहा है वहीं पर जो least reactive metal है जैसे कि iron उसकी water के साथ reaction करने पर metal oxide form होता है जो कि further metal hydroxide में convert हो जाता है लेकिन यहाँ पर भी बही बात है जो पहले थी कि अलग-अलग metals अलग-अलग तरीके से water से react करते हैं जैसे कि sodium, potassium और calcium काफी जादा reactive metals होते हैं यह इतने reactive होते हैं कि यह cold water से भी react कर लेते हैं बहीं पर जो magnesium होता है वो इनसे थोड़ा सा कम reactive metal होता है तो ये cold water से react नहीं करता है ये hot water से react करता है बहीं पर जो और कम reactive metal होते हैं जैसे कि aluminium, iron और zinc ये hot water से भी react नहीं करते हैं बलकि इसके जगह ये steam से react करते हैं तो आपको पता है कि sodium और potassium सबसे ज़्यादा reactive होते हैं उनसे थोड़े से कम reactive होते हैं calcium और magnesium तो जो calcium और magnesium जब water के साथ react करते हैं तो वे water के surface पर as a bubble float करते हैं वहीं पर जो hydrogen होता है वो surface पर stick रहता है तो अब हम बात करते हैं least reactive metals की तो जो least reactive metals होते हैं जैसे की copper, lead, silver, gold तो ये जो है वो water से कैसे भी react नहीं करते इसके बाद हमें देखना है metals की तीसरी chemical property को जो की reaction with acids तो metal की acid के साथ reaction हम पिछले chapter acid base और salt में देख चुके हैं तो हम जानते हैं कि मेटल मुश्चली डाइलूट एसिड के साथ रियक्शन करते हैं तो मेटल्स डाइलूट एसिड के साथ रियक्ट करके सॉल्ट और हाइड्रोजन फॉर्म करते हैं तो इन दोनों एक्जांपल में मेटल एसिड के साथ रियक्ट करके सॉल्ट और वाटर फॉर्म करते हैं तो अब आपके दिमाग में एक question आया होगा कि metals की reaction concentration acid के साथ क्यों नहीं होती सिर्फ dilute acid के साथ ही क्यों होती है तो ऐसा इसलिए होता क्योंकि metals की concentration acid के साथ reaction highly exothermic हो सकती है जो कि dangerous हो सकती है इसके बाद हम देखते हैं चोथी chemical properties को जो कि reaction of metal with solution of other metal salt यानि कि metals की reaction दूसरी metal salt के साथ तो जब more reactive metal react करता less reactive metal की salt के साथ तो more reactive metal उसे displace कर देता है उसके salt solution से तो ये जो metal की chemical property है इसके अंदर हमें displacement reaction देखने को मिलती है for example Fe plus Cu SO4 gives Fe SO4 plus Cu तो इस reaction में iron जो होता है वो copper को displace कर देता है क्योंकि iron जो है वो copper से ज़्यादा reactive होता है इसलिए वो copper sulfate में से copper को displace कर देता है और phallic sulfate बना लेता है अगर इस chemical property या reaction को हमें अच्छे से समझना है तो हमें ये जानना पड़ेगा कि कौन सा metal कौन से metal को displace करता है तो ये हम जान सकते हैं reactivity series की help से तो अब हम समझते है reactivity series को तो ये जो है वो metals की list होती है जिसमें कि वो arrange होते हैं descending order में उनकी reactivity के basis पर तो इस series में जो most reactive metals होते हैं उन्हें उपर रखा जाता है फिर कम reactive metals को उनसे नीचे और उनसे कम reactive metals को reactivity series में और नीचे रखा जाता है जैसे जैसे reactivity series नीचे जाती है वैसे वैसे metals की reactivity घटती जाती है यानि कि reactivity series में जाने पर metals की reactivity कम हो जाती है और जब reaction होती है तब more reactive metal displace कर देता less reactive metal को उसके salt solution से इसके बाद अगली chemical property है reaction of metal with non-metals यानि कि metals की reaction non-metals के साथ तो metals और non-metals की आपस में reaction देखने से पहले हमें 4 important points को देखना है जिसमें की पहला है reactivity of element is the tendency to attain a completely filled balance cell इस point में reactivity क्या होती है इसे समझाया गया है तो किसी element तो यहाँ पर element term का use किया गया है तो elements में metal और non-metal दोनों को ही consider करके चलेंगे तो reactivity होती है किसी element की tendency उसकी balance cell को completely filled करने की तो balance cell होता है last cell तो चलो इस point को अब हम समझते हैं कि example से जैसे कि sodium इसका atomic number है 11 तो हम जानते हैं कि पहले cell में 2 और दूसरे cell में 8 electron होते हैं तो sodium का electronic configuration हो जाएगा 281 तो sodium दो तरीके से balance cell configuration achieve कर सकता है या तो वो अपने last cell में 7 electrons को gain कर ले या पर अपने 1 electron को lose कर दे तो 7 electrons को lose करने के लिए बहुत ही ज़्यादा energy लगेगी जो कि देना बैसे तो practically possible नहीं है इसलिए इस case में sodium अपना ही एक electron लूज कर देता है तो कोई भी element जब electron लूज करता है तो उस पर positive sign आता है और जो element electron गेन करते हैं उन पर negative sign आता है अगर आपको ये point सही से समझ में आ गया है तो आने वाले points तो आपको आसानी से समझ में आ जाएंगे तो दूसरा point है कि जो metals होते हैं वो electrons को लूज करते हैं उसके balance cell से और cation form करते हैं और इन पर positive sign आता है फॉर एग्जांपल सोडियम तो जो सोडियम होता है वो अपना एक लोक्टोन लूज करके कैटाइन फॉर्म करता है और वो एने पॉजिटिव बन जाता है ऐसे ही तीसरा पॉइंट है कि जो नोन मेटल्स होते हैं जो क्लोरीन होता है उसका एटोमिक नमर होता है 17 और इसका एलेक्टोनिक कंफिगरेशन होता है 287 या तो ये अपने 7 एलेक्ट्रोन को लूज कर दे या फिर ये 1 एलेक्ट्रोन गेन कर ले तो अब आप ही सोचिए कि क्लोरिन के लिए कौन सा स्टेप इजी रहेगा 7 एलेक्ट्रोन लूज करना या 1 एलेक्ट्रोन गेन करना तो अब आप सोचिए कि जब कोई एक एलिमेंट एलेक्ट्रोन गेन या लूज करता है जैसे कि जब कोई एक एलिमेंट एलेक्टोन लूज करेगा तो दूसरा एलिमेंट एलेक्टोन गेन करेगा तो कहने का मतलब है कि एलेक्टोन का ट्रांसफर होता है दो एलिमेंट के बीच में और बे एलिमेंट होते हैं मेटल और नोन मेटल तो ये तो हम जानते हैं कि आयोनिक कमपाउंड मेटल और नोन मेटल के कमबाइन होने से बनता है sodium chloride जो की एक ionic compound होता है और ये metal sodium और non metal chlorine से मिलकर बना होता है तो इसकी formation को समझने के लिए हम sodium और chlorine को अलग-अलग उनके electronic configuration के साथ लिख लेंगे तो sodium का atomic number होता है 11 तो इसका electronic configuration हो जाएगा 281 वहीं पर chlorine का atomic number होता है 17 तो इसका electronic configuration हो जाएगा 287 इन दोनों elements के जो balance एल हैं वो completely filled नहीं है एक के बेलेंट सेल में एक लेक्टोन नेस्ट्रा है, वहीं पर एक के बेलेंट सेल में एक लेक्टोन कम है, तो अगर सोडियम अपना एक लेक्टोन इस क्लोरीन को दे देता है, तो दोनों एलिमेंट के बेलेंट सेल भर जाएंगे, और एक अच्छा कमपाउंट फॉर्म हो ज जिसका electronic configuration है 281 लेकिन balance health configuration को achieve करने के लिए ये अपना एक electron lose करेगा और इस पर positive charge आ जाएगा और ऐसे ही ये है chlorine तो इसका electronic configuration है 287 और ये stable होने के लिए जो electron sodium ने lose किया था वो ये gain कर लेगा और sodium chloride या NaCl compound form हो जाता है तो हमने ionic compound की definition और formation को समझ लिया है इसके बाद हम समझते हैं ionic compound की properties को तो आयोनिक कमपाउंड की पहली प्रोपर्टी है उनके फिजीकल नेचर क तो जो ionic compounds होते हैं वो solids होते हैं और hard होते हैं लेकिन ये generally brittle भी होते हैं तो ये ionic compounds hard तो होते हैं लेकिन इसके साथ साथ ये brittle भी होते हैं यानि कि ये तूट भी जाते हैं जैसे कि salt initial जो कि एक ionic compound होता है वो भी काफी hard rock के form में present होता है लेकिन वो भी छोटे छोटे parts में later break हो जाता है इससे हमें पता चलता है कि ionic compounds hard होने के साथ साथ brittle भी होते हैं ionic compounds की दूसरी property है melting और boiling point तो जो ionic compounds होते हैं उनके melting और boiling point काफी high होते हैं For example जो NACL होता है उसका melting point होता है 800 degree Celsius और boiling point होता है 1465 degree Celsius और इन compounds की तीसरी property है solubility तो ये compounds soluble होते हैं बाटर में लेकिन ये kerosene, petrol आदी में soluble नहीं होते और ionic compounds की चोथी property है conduction of electricity तो ionic compounds electricity को conduct करते हैं molten state और solution form में लेकिन इस solid state में as a insulator behave करते हैं यानि कि इस solid state में electricity को conduct नहीं करते हैं इसके बाद हमें समझना इस chapter के अगले topic को जो की occurrence of metal यानि कि metals की उत्पत्ती, metal कहां से arise होते हैं तो ये एक vast process होती है इसको सही से समझने के लिए हमें कुछ important terms को समझना पड़ेगा जिसमें की पहला है minerals तो ऐसे element या compound जो की naturally present होते हैं earth crust में उन्हें minerals कहा जाता है और ऐसे ही दूसरा टर्म है ओर्स तो ये ब्रो मिनरल्स होते हैं जिसमें की बहुत ज़्यादा परसेंटेज होती है पर्टिकुलर मेटल की और ये जो मेटल होता है वो अच्छे से कॉस्ट एफेक्टिवली एक्ट्रेक्ट किया जाता है इनके पर्टिकुलरली ओर्स से जैसे कि मेटल हमें मिनरल से ओर के फॉर्म में मिलता है फिर हम इस ओर से मेटल को एक्स्ट्रेक्ट करते हैं तो अब हमें एक्स्ट्रेक्शन ओफ मेटल फॉर्म ओर्स की प्रोसेस को देखना है तो ये प्रोसेस तीन स्टेप्स में कम्पलेट होती है इसमें की पहला स्टेप है इन रिचमेंट ओफ ओर्स दूसरा है एक्स्ट्रेक्शन ओफ मेटल और तीसरा है रिफाइनिंग ओफ मेटल तो अर्थ क्रेश्ट से जो मिनरल या मेटल हमें मिलते हैं बलकि वो हमें मिलते हैं ओर्स प्लस गैंग के फॉर्म में तो स्टेप बन में हम जो ओर्स होते हैं उनको इस लायक बनाते हैं कि उनमें से मेटल को एक्स्ट्रेक्ट किया जा सके क्योंकि हमें मिनरल से जो और मिलती है उसमें उसके साथ साथ गेंग यानि की इंप्यॉरिटीज भी प्रिजेंट होती है जिन्ने की इस स्टेप में रिमूब किया जाता है तो हम सुरुवात करते हैं पहली स्टेप से जो की है enrichment of ores तो it is the process of removing gang from ores मतलब की ये जो है वो एक process होती है जिसमें gang या impurities को remove किया जाता है particular ores से और इसको करने के कई process या techniques होती हैं जो की है hydraulic washing, magnetic separation, froth flotation, chemical separation या leaching तो अब हम एक एक करके इन चारो techniques को अच्छे से समझ लेते हैं तो सबसे पहले हम समझते हैं enrichment of ores की पहली method को जो की है hydraulic washing तो इस process को gravity separation भी कहा जाता है तो इस process में जो mineral हमें earth crust से मिलता है जो कि basically mixture होता है ore और gang का उसे crush करते हैं और उसे boss करते हैं water की stream से usually ये जो ore particles होते हैं वो heavy होते हैं और वो नीचे settle हो जाते हैं महीं पर जो gang particles जो कि हलके होते हैं वो water stream के साथ boss भी हो जाते हैं और ऐसे ही जो ore particles होते हैं वो पीछे बच जाते हैं इस process का use tin, lead और gold की refining में किया जाता है हम इस प्रोसेस को इस डाइग्राम की हेल्प से भी समझ सकते हैं तो इसके लिए हमें जरूरत है स्लोप टेवल की तो जो स्लोप टेवल होती है उसमें गड़े होते हैं, डग्स होते हैं जिसमें की उपर की ओर क्रेश्ट ओर डाला जाता है तो जैसे जैसे ओर यहां से आता है वैसे वैसे पानी का वहावी आता है इसके बाद हम समझते हैं enrichment of ores की दूसरी method को जो की है magnetic separation तो ये जो method होती है वो magnetic principles पर काम करती है और ये method जब apply होती है जब ores and gang particles में से कोई एक particle magnetic property show करता हो यानि कि magnetic की तरफ attract होता हो तो mostly cases में ये होता है कि जो ores होता है वो magnetic की तरफ attract होता है और gang particles magnetic की तरफ attract नहीं होते तो अब हम समझते है magnetic separation के procedure को diagram के थूँ तो ये जो आप डाइग्राम देख रहे हैं ये है magnetic separation की burgeon का डाइग्राम तो सबसे पहले इस process में यहाँ पर crushed ore डाला जात तो यह जो crushed ore है वो इस two wheel type structure पर आता है तो यहाँ पर यह जो wheel है इसमें magnet लगा हुआ होता है या फिर इसमें magnetic properties होती है तो जब crushed ore इस magnetic wheel पर आता है तो जो pure ore के particles जो कि magnet से attract होते हैं वो इस wheel पर चिपक जाते हैं वहीं पर जो gang particles होते हैं वो ऐसे ही यहाँ से गिरकर pass on हो जाते हैं तो इस process से हम magnetite ore जो कि iron का ore होता है, chromite ore जो कि chromium का ore होता है, आदी ore को gang से separate किया जा सकता है इसके बाद है enrichment of ores की तीसरी method जो की यह froth flotation method तो यह method hydrophobic material को hydrophilic material से separate करने के लिए use होती है तो hydrophobic का मतलब होता है butter resistance यानि कि ऐसे substance जो butter में dissolve नहीं होते वहीं पर hydrophilic material बे material होते हैं जो की butter में easily dissolve हो जाते हैं तो इस process में जो ore होता है वो hydrophobic होता है यानि कि यह butter में dissolve नहीं होता है और जो gang या best particle होता है वो hydrophilic होता है यानि कि ये बाटर में डिजॉल्ब हो जाता है तो इस प्रोसेस को भी हम डाइग्राम की यालब से समझ सकते हैं तो इस प्रोसेस में हम एक टमलर लेंगे जिसमें कि पाइन ओल और बाटर का मिक्षर होगा प्रॉपर कमपोजीशन में तो इसमें हम ओर और गैंग का जो मिक्षर होता है उसे क्रेस करके एड कर देंगे तो जब हम उस मिक्षर में क्रेस किये हुए ओर को डालेंगे यानि कि चिपक जाएगा इसके बाद ये जो pipe है इससे pressured air इस system में डाली जाती है जिससे ये जो system है वो तीजी से गूमने लगेगा और ये जो pine oil है इसके bubbles बन जाएंगे यानि की जहाक जिसमें की ओर होगा और ये bubbles air की pressure की बज़े से उपर आ जाएंगे और जो gang होगा वो water के particles के साथ नीचे settle हो जाएगा फिर हम जो है वो pine oil से अपने ओर को extract कर लेंगे इसके बाद हम समझते हैं enrichment of ores की last technique को जो की है chemical refining या leaching तो इस process में chemicals का use किया जाता है ores में से gang को separate करने के लिए और इस process में जो ore होता है वो soluble होता है chemical में और जो gang होता है वो insoluble होता है और ये जो process है वो cylindrical vessel में की जाती है जिसमें की pressure काफी high होता है और इस process में जो ores होते हैं उन्हें metal salt के form में convert किया जाता है तो इन चार method में हम basically ores में से gang को अलग कर देते हैं तो अब हम ores में से gang या impurities को remove कर चके हैं इसके बाद हमें देखना है कि जो और होता है उसमें से मेटल को कैसे एक्स्ट्रेक्ट किया जाता है तो सबसे पहले हम देखते हैं उन मेटल की एक्ट्रेक्शन जिनकी रियक्टिविटी काफी कम होती है तो रियक्टिविटी सीरीज में हम लो रियक्टिव मेटल में मेंली चार मेटल को कंसीडर करते हैं फिर जब हम reactivity series में थोड़ा से ऊपर जाते हैं तो इनके ऊपर present होते है copper और mercury तो mercury और copper हमें basically sulphide से oxide के form में मिलते है नेचर में तो ये metals भी बहुत ही कम reactive होते हैं इसलिए इनके जो oxides या sulphides होते हैं उन्हें heating से reduced किया जाता है और इन दोनों metals के ore को बहुत ज़्यादा heat नहीं किया जाता है थोड़ी सी heat से ये जो metals हो जाते हैं for example जो mercury होता है वो snow ore के form में present होता है जिसका formula होता है FGS यानि कि mercury sulfide जब इसे oxygen की presence में heat किया जाता है तो ये mercury oxide और sulfur dioxide form करता है जब हम इस HGO यानि कि mercury oxide को भी heat करते हैं तो इसमें से oxygen separate हो जाता है और mercury form हो जाता है और इसी तरह से copper sulfide और से भी copper को extract किया जाता है तो जब copper sulfide और को oxygen की presence में heat किया जाता है तो ये copper oxide में convert हो जाता है तो जब हम copper oxide को आगे और heat करते हैं copper sulfide की presence में तो हमें copper मिल जाता है इसके बाद हम देखते हैं उन मेटल्स की एक्स्ट्रेक्शन जो की रियक्टिविटी सीरीज के मिडल में प्रजेंट होते हैं तो रियक्टिविटी सीरीज के मिडल में मैंली तीन मेटल्स होते हैं जो की हैं जिंक, आइरन और लीड उसे कहते हैं roasting तो इस process में basically जो sulfide ore होती है उसे oxygen की presence में काफी strongly heat करके metal oxide में convert किया जाता है for example zinc sulfide को जो कि zinc और sulfide का ore होता है तो जब zinc sulfide के ore को heat किया जाता है oxygen की presence में high temperature पर तो ये sulfide ore oxide में convert हो जाता है और zinc oxide बन जाता है और साथ में sulfur dioxide gas भी निकलती है तो ये तो हुआ sulfide ore का conversion metal oxide में इसके बाद अब हम देखते हैं कार्बोनेट्स और का कनवर्जन मेटल ओक्साइड में तो कार्बोनेट्स और के मेटल ओक्साइड में कनवर्जन होने की ज तो इस process में carbonates की ore को strongly heat किया जाता है oxygen की absence में या फिर limited oxygen की presence में For example, जब zinc carbonate को oxygen की absence में heat किया जाता है high temperature पर तब zinc oxide और carbon dioxide form हो जाती है तो हम जो है sulfites और carbonates के ore को roasting और calcination की process से convert करते हैं roasting sulfites की ore को convert करता है और calcination carbonates की ore को तो अब हमें ये देखना है कि इन ores के metal oxide में convert होने की बाद ये मेटल्स में कैसे रिड्यूज होती हैं तो ये जो मेटल ओक्साइड होते हैं वो रिड़क्शन की प्रोसिस से मेटल में रिड़्यूज होते हैं तो रिड़क्शन को हम फर्स्ट चेप्टर में अच्छे से पढ़ चुके हैं तो यहाँ पर mainly 3 reducing agents का use किया जाता है जो कि है carbon जिसे की coke भी कहा जाता है CO यानि की carbon monoxide और hydrogen तो इन तीनों की help से metal oxide को metal में reduce किया जाता है फुर एक्जामपल zinc oxide की जब carbon से reaction कराई जाती है तो zinc और oxygen अलग अलग हो जाता है और carbon जो है वो oxygen के साथ जोड़कर carbon monoxide बना लेता है तो यहाँ पर zinc oxide जो है वो metal में reduce हो रहा है इसके बाद हम देखते हैं उन metals की extraction जो के reactivity series में top पर present होते हैं तो reactivity series में top पर present होते हैं potassium, sodium, calcium, magnesium तो ये जो सभी metals होते हैं वो काफी जादा reactive होते हैं और ये जो है वो reducing agent से reduce नहीं होते इसलिए ये जो top order के metals होते हैं वो electrolytic reduction से reduce होते हैं उनकी molten state से molten state का मतलब होता है पिगली हुई state तो इस process में जो और होता है उसे उसके salt के form में convert करके पिगलाया जाता है तो चलिए अब हम इसका एक example देख लेते हैं तो हम देखते हैं sodium की extraction sodium chloride से तो हम sodium की extraction को एक diagram की help से समझते हैं तो इसके लिए हम NaCl को एक tumbler में molten state में ले लेंगे और उसमें एक battery को डाल देंगे जिसके एक end पर cathode होगा जो कि negatively charged होगा और दूसरे end पर anode होगा जो कि positively charged होगा तो जब इस solution में से electricity को pass किया जाता है तो जो NaCl होता है वो Na plus और Cl negative में break हो जाता है तो अब जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ वो आपको याद रखना है कि ये जो सोडियम होता है वो कैथोड पर जाता है वहीं पर जो क्लोरिन होती है वो एनोड पर जाती है तो मेटल की रिफाइनिंग के लिए बेसिकली एलेक्टोलाइसेस प्रोसेस का यूज किया जाता है तो इस प्रोसेस में एक टंबलर लिया जाता है जिसमें की दो रोट डाली जाती हैं जिसमें की एक होती है कैथोड की जो की प्यूर मेटल से मिलकर बनी होती है और दूसरी होती है एनोड की यानि की उस मेटल की जिससे हमें प्यूर मेटल को रिफाइन करना है जो की प्यूर कॉपर से मिलकर बनी होती है और ये काफी पतली होती है जो की negatively charged होती है वहीं पर दूसरे साइड में एक और rod होती है जो की anode की होती है और ये impure metal से बनी होती है और ये rod pure metal की rod से heavy यानि की बड़ी होती है और ये जो tumbler है जिसमें की दोनो rod place की गई है ये copper sulphate की solution से भरा होता है तो यहाँ पर आपको ये याद रखना है कि जिस metal को हम extract करते हैं हम उस tumbler को उसी metal के sulphate की solution से भर देते हैं तो जब ये सब सही से setup हो जाएंगे तो यहाँ पर जो cathode और anode के बीच में जो switch present होता है उसे on कर दिया जाता है तो जब यह switch on हो जाता है तो इस solution में से electricity pass होने लगती है तो जब इस solution से electricity pass होती है तो यह जो anode पर copper होता है वो convert हो जाता है या break हो जाता है CO2 positive में तो इसकी जो balance हो जाती है वो हो जाती है 2 positive तो अब आप इस CO2 positive को ध्यान से देखिए और सोचिए कि anode पर जो copper है वो जब CO2 positive में convert हुआ तो क्या हुआ होगा तो हम जानते है कि किसी भी metal पर positive charge तभी आता है जब वो electrons को lose करता है तो यहाँ पर copper जो है वो 2 electrons को lose करता है तो यहाँ पर जो CO2 positive release हुआ है वो release होने के बाद stumbler में आ जाएगा जिसमें कि copper sulfate solution भरा होता है और इसमें dissolve हो जाता है और जो हमारा copper sulfate solution है इसमें पहले से ही copper होता है वो cathode पर चिपकने लगता है और जब ये process continue चलती रहती है तो anode पर से CO2 positive lose होने के कारण ये जो rod होती जाती है और cathode वाली rod होती जाती है तो इस process में basically होता क्या है तो सबसे पहले जब इस solution के system से current pass किया जाता है जिसमें कि anode पर जो impure metal होता है वो electrolyte में dissolve हो जाता है और जब impure metal इलेक्टोलाइट में dissolve हो जाता है तो उतना ही amount में pure metal cathode पर deposit हो जाता है और इस process में जो impurities होती हैं वो anode की नीचे settle हो जाती है जिसे हम anode mud भी कहती हैं तो अब हम देखते हैं कि इस process के दोरान हमें क्या reaction देखने को मिलती हैं तो इस process में जो anode पर Cu है वो convert हो जाता है Cu2 positive में तो हम इस reaction को लिख लेते हैं Cu gives Cu2 positive plus 2 electron यहाँ पर यह जो दो एलेक्ट्रोन होते हैं वो यहाँ से ट्रेवल करते हुए कैथोड में पहुँच जाते हैं और CO2 positive के एलेक्टो लाइट में डिजॉल्व होने के बाद कैथोड पर यह रियक्शन होती है जो कि यह CO2 positive plus 2 एलेक्टोन गिब CO तो यह जो वो थोड़ा सा complicated टॉपिक था अगर आपका concept एक बार में clear नहीं हुआ है तो आप दोबारा इसी टॉपिक पर जाकर बीडियो को देख सकते हैं जो किया corrosion तो कोरोजन के बारे में हम चेप्टर फर्स्ट में पहले ही पढ़ चुके हैं जिसे कि हम एक बार फिर से समझते हैं तो जब कोई मेटल मोश्ट येर की कॉंटेक्ट में आता है लंबी समय तक तब वो कोरोड होने लगता है यानि की गलने लगता है और इस प्रोसिस को कोरोजन का जाता है तो वो ब्लैक होने लगती है इसी तरीके से जब iron भी लंबे समय तक moisture के contact में रहता है तो उस पर भी brown substance की layer बन जाती है और वो corroid हो जाता है तो iron के case में जो corrosion होता है उसे rusting कहा जाता है तो इन तीनों example से हमें एक बात पता चलती है कि जो corrosion होता है वो moisture के कारण ही होता है तो अब हम देखते हैं कि हम metals को corrosion से कैसे prevent कर सकते हैं तो corrosion से हम metal को basically four method से prevent कर सकते हैं जिसमें की पहली है painting तो इसमें जो मेटल होता है उसे पेंट किया जाता है जिससे वो डारेक्टली मोश्चर के कॉंटेक्ट में नहीं आता है और दूसरी मेथड है ग्रीसिंग इस मेथड में मेटल की आउटर सर्फेस पर ग्रीस लगाया जाता है जिससे वो डारेक्टली एर, बाटर या मोश्चर के कॉंटेक्ट में नहीं आते हैं तो इस method में iron या steel के ऊपर zinc की एक layer coat की जाती है यानि की चड़ाई जाती है जो की उसे corrosion से prevent करती है इसके बाद है corrosion से prevention की चोथी method जो की है making alloys तो alloys होते हैं homogeneous mixture दू या दू से ज़्यादा metals के या फिर metal और non metals के तो alloys जो हैं वो basically corrosion को prevent करते हैं metals में for example steel जो की alloy होता है iron, nickel और chromium का brass जो की alloy होता है copper और zinc का bronze जो की alloy होता है copper and tin का तो mostly जो सभी alloys होते हैं वो metals को mostly corrosion से prevent करते हैं तो इसी के साथ हमारा ये जो chapter वो यहाँ पर खत्म होता है I hope आपको अच्छी से समझ में आया होगा अगर वीडियो पसंद आई है तो आप इसे like कर सकते हैं और 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