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वैश्वीकरण और विश्व इतिहास का अध्ययन

हेलो एवरीवन आज हम पढ़ेंगे क्लास टेंथ हिस्ट्री का चेप्टर नंबर थ्री जिसका नाम है दाम एक इंगॉफ ग्लोवल वर्ल्ड दोस्तों आज के दौर में जो कंट्रीज हैं वह एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा कनेक्टेड हैं ट्रेड्स के थ्रू आईडिय Similarly आज से हजारों साल पहले भी लोग इसी तरीके से travel करते थे वैपार के लिए या अलग-अलग कामों के लिए लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि तब का globalization इतना emerge नहीं हुआ था मतलब इतना advance नहीं था लेकिन आज का जो globalization है वो advance है यानि कि काफी जादा emerge हो चुका है तो तब से लेकर आज तक जितना भी globalization हुआ है उसकी पूरी journey को हम इस chapter में पढ़ने वाले हैं बेसिकली हम इस chapter में ये जानेंगे कि जो ये नॉर्मल वर्ल्ड था वो एक ग्लोबल वर्ल्ड में कैसे बदला हमारे चेप्टर की सुरुवात होती है आसे हजारो साल पहले से यानि की ता प्री मॉडर्न वर्ल्ड से लेकिन उससे पहले हमें ये समझना होगा कि ये ग्लोबलाइजेशन क्या होता है Services, Ideas and Pupil from one nation to other nation is called Globalization मतलब एक कंट्री से दूसरी कंट्री में गुड्स का, सर्विसेज का, आइडियाज का, कैपिटल का एक्स्चेंज होना और लोगों का माइग्रेट करना इसी को बोला जाता है Globalization तो काफी पुराने समय से यानि कि यासे हजारों साल पहले से जो ट्रेवलर्स थे, ट्रेडर्स थे, प्रीष्ट थे, पिलग्रिम्स थे, ये काफी लंबी लंबी डिस्टेंसेस ट्रेवल करते थे अलग-लग कामों के लिए जैसे की knowledge के लिए, opportunities के लिए और कई लोग तो spiritual fulfillment के लिए travel करते थे मतलब आत्म सांती के लिए travel करते थे तो क्या ये किबल travel करते थे? नहीं, ये अपने साथ अलग-अलग चीजे ले जाते थे जैसे की goods, skills, idea, money, invention जहां तक कि ये germs and diseases को भी अपने साथ ले जाते थे दोस्तों, आज के समय में हमें ऐसे कई सारे evidence देखने को मिलते हैं जिनसे हमें ये पता चलता है कि आज से हजारों साल पहले भी लोग ट्रेड किया गरते थे यानि कि वैपार किया गरते थे जैसे कि आप इस पिक्चर को देख सकते हो उसमें इनको बोला जाता है कौरीस पुराने समय में लोग इनको एज़ा करेंसी यूज़ करते थे और वो भी International Trade होता था Silk Roots Link The World दोस्तों उसी दोर में कई सारे Roots हुआ करते थे यानि की रास्ते हुआ करते थे जिनने Silk Root बोला जाता था ध्यान रखना Silk Root एक नहीं था बलकि बहुत सारे Roots का एक Network था जैसा कि आप इस Image में भी देख सकते हो इसमें जो Lines आपको दिख रही है वे सारे Silk Roots हैं दोस्तों पुराने समय में लोग इनी Roots का इस्तमाल करते थे Trade के लिए तो हम कह सकते हैं सिल्क रूट वाजा नेटवर्क ओफ आ एंसियन ट्रेड रूट्स विच कनेक्ट एसिया यूरोप एंड अफ्रिका मतलब सिल्क रूट एक नेटवर्क था पुराने ट्रेड रूट्स का जो कि एसिया यूरोप और अफ्रिका को कनेक्ट करता था सिल्क रूट का एक्जिस्टेंट क्रिशियन इरा से भी पहले से था और इनका एक्जिस्टेंट्स पंदरवी सताप्दी तक रहता है इस रूट के जरिये कई सारी चीजे ट्रेवल करती थी जैसे कि चाइनीस पोट्री, चाइनीस सिल्क, इंडियन टेक्स्टा� ये चीजे ट्रेवल करती थी एसियन मार्केट से यूरोपियन मार्केट में यानि कि एस्टियन कंट्री से वैस्टन कंट्रीज में सिमिलरली इसके बदले में एसियन कंट्रीज को मिलता था खूब सारा गोल्ड और सिल्वर जो कि ट्रेवल होता था यूरोपियन मार्केट से एसियन मार्केट में इस रूट के जरिये चाइनीज सिल्क का काफी ज़दा बैपार होता था अब सवाल ये उठता है कि क्या सिल्क रूट का इस्तमाल केबल ट्रेड के लिए होता था नहीं ऐसा नहीं है दोस्तों बलकि बहुत सारे किर्शियन मिश्णरीज, मुस्लिम प्रीचर्स, बुद्धिस मॉंक ये लोग भी ट्रेवल करते थे इनी सिल्क रूट्स का इस्तमाल करके ये लोग एक जगे से दूसरी जगे जाया करते थे अब क्यों ट्रेवल करते थे? पहला spiritual fulfillment के लिए मतलब आत्मसांती के लिए और दूसरा ये लोग ट्रेवल करते थे अपने धर्म को बढ़ावा देने के लिए यानि कि अपने culture को promote करने के लिए तो यहां से हमें क्या पता चला कि silk route की वज़े से ना केवल trade होता था बल्कि अलग-अलग लोगों के बीच में cultural link भी develop होता था तो हम कह सकते हैं कि the silk roots are a good example of vibrant pre-modern trade and cultural links between distant part of the world Food, Travel, Spaghetti and Potato दोस्तों अभी तक हमने ये तो जान लिया कि लोग काफी लंबे लंबे रास्ते ट्रेवल करते थे अब आप ज़रा खुद सोचो कि क्या ये लोग इतने लंबे लंबे रास्ते बिना खाने के ट्रेवल कर सकते थे नहीं ना तो इस तरीके से लोगों के साथ खाना भी ट्रेवल करता था दोस्तों ऐसा माना जाता है कि जो आज हम नूडल्स खाते हैं मतलब चाइना से आए थे और तब ये western countries में गए, मतलब ये वहाँ पर introduce हुए, तो इन्हें एक नए नाम से जाना गया spaghetti, मतलब चीज वही थी, बस नाम बदल गया था.

Similarly, आज हम जो pasta खाते हैं, वो actual में Arab country से originate हुआ था. और तब ये pasta Italy पहुचा, तो इसे एक नए नाम से जाना गया, और इसे बोला गया Sicily. और even हम जो common foods खाते हैं, जैसे की potato, soya, groundnut, maize, tomato, chili, and sweet potato, इन सब के बारे में भी हमें पहले नहीं पता था और नाई वैस्टन कंट्रीज को पता था वो तो भलाओ एक महान बेक्ती का जिनका नाम था क्रिस्टूफर कॉलंबस जिनकी बजे से हमें इन सब के बारे में पता चल पाया देखो हुआ क्या था कि 16th century में क्रिस्टूफर कॉलंबस नाम के एक एक्सप्लोरर थे जिनोंने एक्सिडेंटली अमेरिका को डिसकवर कर लिया जिनके बारे में किसी को नहीं पता था तो उन्होंने इन क्रॉप्स के बारे में यूरोप को भी बताया और एसिया को भी बताया तो जब यूरोप के देशों को आलू के बारे में पता चला कि आलू जैसा भी कोई फूड एक्जेस्ट करता है तो उनकी खुसी का ठिकाना नहीं रहा आलू की आने की बजे से यूरोपियन्स को एक बढ़िया फूड मिल गया था जिसे भी आसानी से खा सकते थे देखो हुआ क्या था कि जो यूरोप की जो लोग थे वो आलू की ऊपर इतना ज़ाधा डिपेंडेंट हो गए कि भी केवल आलू की फसल होगाते थे बाकी फसलों पर ध्यान नहीं देते थे ऐसे ही यूरोप में एक जगह है आइरलेंड करके वहाँ पर क्या हुआ था मिड 1840 के टाइम पर लोग आलू की ऊपर इस कदर डिपेंडेंट हो जाते हैं कि वो अपने खेतों में केवल आलू की फसल होगाते हैं बाकी कोई और फसल नहीं होगाते हैं तो ऐसे में होता क्या है कि एक बीमारी फैलने लगती है जिसके चलते सारी आलू की फसल बरवाद हो जाती है चुकी इन्होंने केवल आलू की फसल हो गाई थी और आलू की फसले खराब हो गई थी तो ऐसे में इन लोगों के पास कोई और आपसन नहीं था खाने के लिए जिस वज़े से कई सारे लोग भूंके मरने लगते हैं 1845 से लेकर 1849 का जो पीरिड था इसमें लगबग 10 लाख लोग मर जाते हैं इसी भूखमरी के चलते इसी को बोला जाता है The Great Iris Femine या Potato Femine Conquest, Decease and Trade तो दोस्तो जैसा कि हमने देखा Europeans ने एसिया को डिसकवर कर लिया था Similarly उन्होंने अमेरिका को भी डिसकवर कर लिया था 16th Century में Through Sea Roots तो इससे फाइदा क्या हुआ कि वे इन Sea Roots के जरीए आसानी से Trade कर सकते थे जिससे उन्हें काफी ज़्यादा दोस्तों उस समय पर जो अमेरिका था वो 16th century में काफी ज़दा rich था resources के मामले में वहाँ पर अच्छी अच्छी food crops थी वहाँ पर काफी ज़दा precious metals मिलते थे जैसे की silver जो की काफी मातरा में पाया जाता था और तो और दोस्तों लोगों में एक चीज बहुत ज़दा popular हो रही और वो decide करता है कि अब वो America को conquer करेगा यानि कि उसके उपर कभजा करेगा तो mid 16th century हों बहुत सारे Portuguese and Spanish लोग निकल पड़ते हैं America को colonize करने के लिए तो ये लोग क्या करते हैं ये लोग ना ही military का use करते हैं ना ही arms का इस्तमाल करते हैं बलकि ये लोग इस्तमाल करते हैं diseases का दोस्तों जैसा कि हमने पढ़ा था कि जो America था वो काफी लंबे समय से बहारी दुनिया से disconnected था इसलिए वहाँ पर रह रहे हैं लोगों का इम्यूनिस सिस्टम बहुत साधा बीक था इसी बात का फाइदा उठाते हैं पॉर्टिगूज और स्पैनिस लोग ये लोग जब अमेरिका जाते हैं तो ये लोग अपने साथ ले जाते हैं कई सारे जम्स और डिसीजे जैसे कि स्मॉल पॉक्स, चिकिन पॉक्स तो जब ये डिसीजे अमेरिका में फैलती हैं तो कमजोर इम्यूनिस सिस्टम होने के कारण अमेरिका के कई सारे लोग मर जाते हैं इन बीमारी के चलते तो इस तरीके से बिना हातियार और आर्मी का इस्तिमाल किये यूरोप आसानी से कॉंकर कर लेता है अमेरिका को लेकिन दोस्तों इतना सब कुछ होने के बावजूद भी यूरोप पूरी तरीके से खुस नहीं था क्यों? क्योंकि उस समय पर यूरोप की पॉपुलेशन काफी जादा थी जिस बज़े से 19th century तक यूरोप भी कई सारी समस्याओं से सफर कर रहा था जैसे कि diseases, poverty, religious conflicts ये सब भी देखने को मिल रहा था दोस्तों 18th century तक इंडिया और चाइना वर्ल्ड की richest countries थी और यही countries world trade में सबसे जादा dominate करती थी लेकिन फिर क्या होता है?

कि जो चाइना होता है वो अपने सारे overseas contact तोड़ देता है और isolation में चला जाता है मतलब चाइना world trade से दूर हो जाता है जिस वज़े से अमेरिका का importance बढ़ने लगता है और धीरे धीरे यूरोप जो है वो world trade का center बन जाता है यानि कि the Europe become the center of world trade सेकंड टॉपिक है हमारा दा 19th century, 1815-1914 इस टॉपिक में हम जानेंगे कि 1815 से लेकर 1914 का जो पीरिड था उसमें गलोबलाइजेशन किस तरीके से होता है दोस्तो 19th century में वर्ल्ड बहुती तेजी से चेंज हो रहा था यानि कि बहुत सारी चेंजेस देखने को मिल रहे थे जैसे कि इकोनोमिकल, पॉलिटिकल, सोशल, कल्चरल और टेकनिकल दोस्तों 19th century में globalization में हमें बहुत कुछ देखने को मिल रहा था लेकिन mainly सबसे ज़्यादा 3 type के flows देखने को मिल रहे थे जिसमें से पहला था flow of trade यानि कि अलग अलग goods का flow देखने को मिल रहा था एक country से दूसरी country में जैसे कि कपडों का गेहूं का इन सब का वैपार हो रहा था दूसरा था flow of labor दोस्तों ना केवल goods का flow हो रहा था बलकि लोग भी travel कर रहे थे एक जगह से दूसरी जगह काम की तलास में यानि कि लोगों को अभी migration हो रहा था for better employment तीसरा था flow of capital यानि कि जो लोग थे वो अलग-लग जगों पर invest करने के लिए भी travel कर रहे थे एक जगए से दूसरी जगए यानि कि 19th century में तीन तरह के flows दिखने को मिल रहे थे पहला था goods के लिए, दूसरा था employment के लिए और तीसरा था investment के लिए अब world economy take shape दोस्तो traditionally यानि कि बहुत साल पहले जो countries थी वो ये चाहती थी कि वो अपना खाना कोई नहीं चाहती थी खुद प्रड्यूस करें उन्हें किसी और कंट्रीज के उपर डिपेंडन्ट ना होना पड़े यानि ये कंट्रीज सेल्फ सपीसेंट होना चाती थी फूड के मामले में लेकिन दोस्तों ये जो धारना बनी हुई थी वो चेंज हो जाती है 19th century में अब कैसे चेंज होती है और क्यों चेंज होती है चली जानते हैं तो होता क्या है कि जो यूरोप था तो उस समय पर बिर्टेन की सुचुएशन क्या थी कि वहाँ पर पॉपुलेशन बहुत जादा थी और पॉपुलेशन बहुत तेजी से बढ़ रही है अब आप जरा खुश सोचो कि अगर किसी कंट्री की पॉपुलेशन तेजी से बढ़ेगी तो आविसली फूड की डिमांड भी बढ़ेगी क्योंकि जितनी जादा लोग होंगे उतना जादा फूड चाहिए तो ऐसे में जो लेंडेट ग्रूप्स थे बिर्टेन के लेंडेट कि जो बाहर से खाने का सामान आता है बृतेन के अंदर उसे बंद किया जाएं ताकि बृतेन के landed groups को फाइदा हो सके तो British Government इनकी बात माल लेती है और Corn Law Implement कर देती है Corn Law का मतलब एक ऐसा कानून लाती है जिसके तुरू Government जो बाहर से Corn आता था और अधर खाने के आइटम्स आते थे उन पर रोक लगा देती है Government ऐसा इसलिए करती है ताकि बृतेन के landed groups को फाइदा हो सके और countries self-sufficient हो सके फूड के मामले में पर देखो होता कुछ और है, होता क्या है कि बृतेन के अंदर फूट प्राइजेस बढ़ने लगते हैं, क्यों? क्योंकि पॉपुलेशन जाता थी, इंपोर्ट रुख गया था, जस बज़े से फूट की डिमांड बढ़ गई थी, और सौबाबिक सी बात है जब किसी चीज की ताकि बाहर से फूड इंपोर्ट हो सके और लोगों को सस्ता खाना मिल सके तो ब्रिटेस गवरन्ड इनकी बात माल लेती है और कॉनलो को हटा देती है यानि कि अबॉलिश करती है अब हम देखते हैं कि इस कॉनलो की हटने की बजेश्चे क्या एफेक्ट पड़ता है पहला ब्रिटेन में फूड बहुत ही सस्ती रेट में इंपोर्ट होने लगता है इतनी सस्ती रेट में इंपोर्ट होने लगता है जितना ब्रिटेन कभी प्रडूसी नहीं कर सकता था इंफेक्ट जो ब्रिटेस के फार्म थे वो कभी कमपीट ही नहीं कर पाए इतनी सस्ते इंपोर्ट से जिस बज़े से बृतेन के जादातर फार्मर्स ने अपनी लेंड को अन कल्टिवेट रखना ही ठीक समझा लाज नमर और प्यूपल बिकम अनिम्प्लॉइट जिस बज़े से काफी सारे लोग सिटीज की तरफ माइग्रेट करने लगते हैं ऐसे में क्या होता है मिड 19 सेंचुरी में और इसी कारण से और भी जादा फूट की डिमान उठने लगती है तो ब्रिटेन की डेमांड को पूरा करने के लिए इस्ट यूरोप, रसिया, अमेरिका और अस्टिलिया ये देश भी अपनी अपनी जमीनों को साप करने लगते हैं खेती करने के लिए ताकि ब्रिटेन में जादा से जादा फूड को इंपोर्ट किया जा सके और ब्रिटेन की तो इसके लिए कई सारी रेलवे लाइंस बिचाई जाती हैं ताकि फूट को सी पोर्ट सक पहुचाया जा सके इसके अलावा नईनी सिटीज डवलप हो रही थी लंडन जो है वो एक फाइनेंसिल केपिटल के रूप में वर्के आ रहा था बृतेन के अंदर इसी बीच क्या होता है अमेरिका और उस्टिलिया में लेबर की सौटेज हो जाती है मतलब वहाँ पर लेबर की बहुत जदा कमी हो जाती है निरली 50 मिलियन लोग यूरोप से अमेरिका चले जाते हैं काम के लिए और अगर हम बल्ड वाइट देखें तो बाई 1890s करीब 150 मिलियन लोग माइग्रेट कर जाते हैं एक जगह से दूसरी जगह रॉल आफ टेक्नोलॉजी दोस्तों 19th century में ऐसे कई सारे technical inventions और innovations हो रहे थे जिनके बारे में imagine नहीं किया जा सकता था ऐसे ही कुछ major inventions थे जैसे की railways का, steam ships का, telegraphs का इनसे बहुत ज़्यादा फायदा हो रहा था 19th century में अब दोस्तों 1870 से पहले जो अमेरिका था वो यूरोप में meat वेजता था और पता है ये meat कैसे जाता था ये meat जाता था ships के थूँ ये लोग क्या करते थे? ये लोग directly जिन्दा जानवरों को सिप्स के उपर चड़ा देते थे और यूरोप पहुँचकर इन जानवरों को काटा जाता था और वहीं पर इनकी मीट बनाई जाती थे तो इसमें प्रॉब्लम क्या थी? एक तो जिन्दा जानवर बहुत ज़ादा space occupies करते थे दूसरा बहुत से जानवर रास्ते में ही मर जाते थे कई कमजोर हो जाते थे और कई बिमार हो जाते थे तो इसलिए इनका जो मीट था वो unfit रहता था खाने के लिए क्योंकि meat की demand जादा थी और supply उतने अच्छे से हो नहीं पा रही थी लेकिन दोस्तों फिर क्या होता है refrigerator का invention होता है जिससे पुराने chips को refrigerator वाले chips में बदल दिया जाता है अब जो जानवर थे उन्हें America में ही काटा जाने लगा और उन्हें refrigerator में रखके आसानी से यूरोब ले जाया जाने लगा तो इससे फायदा क्या हुआ कि meat को ले जाना easy हो गया क्योंकि कटा हुआ meat जादा space occupy नहीं करता था और refrigerator की बजे से meat fresh रहता था और काफी लंबे समय तक खराब नहीं होता था तो इस थरीके से जो मीट है वो आसानी से अवलेबल होने लगता है यूरोप में जिस बजे से प्राइजेज भी डिक्रीज हो जाते हैं और अब जो गरीव लोग थे वो आसानी से मीट को अफ़ोर्ट कर पा रहे थे लेट 19th सेंचुरी कॉलोनिलिज्म दोस्तो लेट 19th सेंचुरी में जो ट्रेड था वो फ्लरिस कर रहा था मार्केट एक्सपेंड कर रहे थे इस सी से पूरी यूरोप को फाइदा तो हो रहा था कई सारी countries को नुकसान भी हो रहा था उनकी freedom शीनी जा रही थी और उनके उपर अत्याचार किया जा रहा था यानि की painful changes किया जा रहे थे ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि यूरोब जो था वो कई सारी countries को colonize किये हुए था यानि की कबजा किये हुए था अपने फायदे के लिए जैसे कि अगर हम बात करें अफरीका की तो अफरीका के उपर भी कई सारी European countries का कबजा था In fact, 1885 में क्या होता है कि जो यूरोप की बड़ी बड़ी सक्तियां थी यानि की बड़ी बड़ी कंट्रीज थी वो वरलेन में मीटिंग करती हैं क्यों मीटिंग करती हैं तो ये मीटिंग करती हैं ये तै करने के लिए कि किस कंट्री को कितना हिस्सा मिलेगा अफरीका का बेसिकली अफरीका को डिवाइड करने के लिए मीटिंग करती हैं तो कुछ इस तरीके से जो यूरोपियन कंट्रीज थी वो अफरीका के उपर कभजा की हुए थी रिंडर पेस्ट आ कैटल प्लग दोस्तों अगर हम स्टोरिकली देखें तो होता क्या है कि जो अफरीका था वो एक बहुत बड़ा कॉंटिनेंट था जिसमें बहुत कम लोग रहते थे इसमें बहुत ज़ादा resources और minerals पाए जाते थे इसमें animals बहुत ज़ादा पाए जाते थे और वो आज भी पाए जाते हैं तो ये जो सारी खूबिया थी अफरिका की इन सारी खूबियों को देखकर European countries को लालाच आ गया और वे अफरिका के उपर कवजा कर लेती हैं जैसा कि हमने इससे पहले वाले sub-topic में पढ़ा था तो जब ये European Africa आते हैं mining और plantation के लिए ये तो केबल बहाना था अफरिका की resources को लूटने के लिए जैसे इंडिया में अंग्रेज आये थे न ठीक उसी तरीके से ये अफरिका में भी आये थे लूटने के लिए और लूट कर यूरोप ले जाने के लिए तो जब ये आये तो ये लोग देखते हैं कि अफरिका में तो बहुत कमी है लेबर की कोई काम करना ही नहीं चाता जब उनके पास परियाप्त मातरा में resources हैं जब उनकी पूर्थी बिना काम करे हो सकती है तो वो काम क्यों करेंगे तो जो अफरिका के लोकल लोग थे वो काम नहीं कर रहे थे बल्कि उन्हें बेजेस मिल रही थी, लेकिन वो फिर भी काम करना नहीं चाहें। तो यूरोपियन्स क्या करते हैं, इन्हें फोर्स करते हैं काम करने के लिए। बल्कि ऐसे कई सारे मेथड्स का इस्तमाल करते हैं, जिनसे अफ्रिकल लोग मजबूर हो जाते हैं काम करने के लिए। जैसे कि पहला, यूरोपियन्स काफी ज़र टैक्स इंपोस कर देते हैं अफ्रिकल लोगों पर, जो कि अफ्रिकल लोग तभी पे कर सकते थे जब वो प्लांटेशन और माइन में एज़ ले� only one member of family was allowed to inherit land मतलब इनके असाब से family का केवल एक ही member inherit land का हगदार होगा तो इस तरीके से ये मजबूर कर रहे थे लोगों को तीसरा जो ये method अपनाते हैं वो ये था कि जो mine workers थे उन्हें एक ही campus में रखते थे ताकि कोई worker काम छोड़ कर भाग न जाए तो ये कुछ तरीके थे जिनने Europeans यूज करते थे Africans को force करने के लिए अब दोस्तो Africans परिशान तो थे ये लोगों से इसी बीच क्या होता है 1880s के टाइम पर अफरिका में एक बीमारी फैले लगती है रेंडर पेस्ट नाम की ये बीमारी जानबरों को काफी ज़ादा अफेट करती थी इसलिए इसे कैटल प्लग भी बोला जाता है अब दुस्तों सबसे पहले सबाल तो यही उठता है कि आकर ये बीमारी अफरिका में आई कैसे तो बृतिस एसिया से कुछ इनफेक्टेड कैटल आए थे अफरिका में सोल्जर्स के खाने के लिए और इनी इनफेक्टेड कैटल की वज़े से जो बीमारी थी रेंडर पेश नाम की वो पूरी अफरिका में फैल जाती है रेंडर पिष्ट बीमारी अफरिका में इस कदर फैलती है जैसे मानो जंगल में आग लगी हो इस बीमारी के चलती अफरिका की 90% कैटल पॉपुलिशन मर जाती है अब चुकी अफरिकल लोग कैटल पॉपुलिशन पर काफी जारा डेपेंडेंट थे इसलिए उनका जो लाइवली उड़ता है उनका जो जीवन था वो पूरी तरीके से बरवाद हो जाता है इन कैटल के मरनी की बज़े से अब अफरिकल लोगों के पास माइन और प्लांटेशन में मजदूरी करने के अलाबा कोई और अप्सन नहीं बचता है इंडेंचर्ड लेबर माइग्रेशन फ्रॉम इंडिया इंडेंचर्ड लेबर का सीधा सा मतलब होता है बाउंडेड लेबर मतलब ऐसे मजदूर जिन्हें कॉन्ट्रैक्ट बिसेस पर हायर किया जाता था फॉर एस्पेसिफिक टाइम पीरिड तो अगर हम बात करें इंडिया की तो नाइटीन सेंचुरी में इंडिया के लाखों लोगों को एजा इंडेंचर्ड लेबर भेजा गया था काम के लिए किसने भेजा था ब्रिटिसस ने क्योंकि उस समय पर ब्रिटिसस का रूल था इंडिया के ऊपर और यह मजदूर क्यों गए थे क्योंकि cotton industry decline हो गई थी, land rent बढ़ गया था, minor plantation के लिए land clear हो रहे थे, ऐसे में जो गरीव लोग थे इंडिया के वो rent पे नहीं कर पा रहे थे और नाहीं भी अपना courage चुका पा रहे थे, तो ऐसे में इनके पास कोई और option नहीं था, तो ये लोग मजबूर हो जाते हैं ऐसा indentured labor तो इन तीन जगों पर इंडिया के सबसे ज़्यादा लोग माइग्रेट करते हैं काम के लिए एजा इंडेंचर लेवर जितनी भी इंडेंचर लेवर थी इन्हें बहुत ही हॉरिवल कंडिशन्स में काम करना पड़ता था और नाई इनके पास कोई लीगल राइट्स थे इन्हें ये भी नहीं पता था कि इनसे कितना काम कराया जाएगा और उसके उन्हें कितने एक फूफ थी कि यहां से जाने के बाद इन्हें गरीबी में नहीं जीना पड़ेगा पर उन्हें क्या पता था कि जो कॉलोनियल गवर्नमेंट थी वह इन्हें जॉब नहीं दे रही थी बल्कि इनका इस्तेमाल कर रही थी अपने फायदे के लिए पर दोस्तों खुशी की बात तो यह थी कि 1921 में जो यह इंडेंचर लेवर का जो सिस्टम था पर अवार्डिस कर दिया आता है जब इंडिया के बहुत सारी नेशनलिस्ट लीडर्स इसके खिलाफ आवाज उठाते इंडियन एंथ्रीप्रिनियोस एवरोड तो तो ऐसा नहीं है कि हमने केवल लेवर के रूप में काम किया हो बल्कि 19th century में इंडिया के कई सारे entrepreneurs भी grow हो रहे थे दोस्तों उस समय पर इंडिया में bankers और traders के तो famous group हुआ करते थे जिनका नाम था Sikarpuri Shroffs and Natukutoy Chetiers ये लोग क्या करते थे ये लोग finance करते थे export agriculture को in southern and central Asia मतलब ये लोग पैसे लगाते थे जैसे मालो कोई छोटा trader है ये छोटा किसान है तो वो क्या चाहता है कि उसकी जो फसल है वो बदेशों में एक्सपोर्ट हो ताकि उसको जादा प्रॉफिट हो पर उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वो अपनी फसलों को बदेशों में एक्सपोर्ट कर पाए तो ऐसे में इंडिया की जो फैमस बैंकर्स और ट्रेडर्स के गुरूप थे सिकार प्रिस्रॉप्स और नट्टू कुटवी ये लोग क्या करते हैं ये लोग इने फाइनेंसली मदद करते हैं यानि कि इने पैसे देते हैं ताकि ये लोग अपनी फसलो बदले में ये कुछ सेयर ले लेते थे या फर दिये हुए पैसों का इंटरस्ट ले लेते थे अब इनके पास पैसा कहां से आता था तो ये लोग पैसा लेते थे यूरोपियन बैंक्स से या फर ये खुद के पैसे दे देते थे Similarly एक और गुरुप का नाम आता है जिसका नाम था हैदराबादी सिंदी ये लोग भी इंडियन ट्रेडर्स और मनी लेंडर्स थे ये लोग क्या करते थे 1860 के टाइम पर ये लोग फॉलो करते थे यूरोपियन्स को मतलब Europeans जिस जिस country में जाते थे trade के लिए वहाँ पर ये लोग भी जाते थे In fact इनोंने तो कई सारे Emporia भी setup कर रखे थे मतलब Godam बगएरा भी बना रखे थे अलग-अलग Sea Ports पर और उनी के थुरू ये अपना बैपार करते थे तो इस तरीके से इंडिया के Entrepreneurs भी उस समय पर Indian Economy में काफी बड़ा रोल अदा कर रहे थे दे इंडियन ट्रेड कॉलोनिलिज्म एंड ग्लोबल सिस्टम दोस्तों सुरुबाती दौर में यानि कि करीब सेबन्टीन एटीज के टाइम पर क्या होता था कि जो इंडिया था और जो बृतेन था इन दोनों के बीच में ट्रेड होता था किस तरह का ट्रेड होता था कॉटन वो गवर्मेंट के ऊपर प्रिसर डालने लगते हैं कि जो इंडिया से कॉर्टन क्लॉट्स आते हैं उन पर रोक लगाई जाए ताकि बिरिटेन की लोकल इंडरस्टीज को फायदा हो सके तो गवर्मेंट क्या करती है ट्रिफ वेरियर लगा देती है मतलब सिंपली टैक्स बढ़ा देती है मतलब अगर हम एग्जांपल लें तो कोई कपड़ा इंडिया से 30 रुपए का आ रहा है तो वो ट्रिफ वेरियर की बज़े से 130 रुपए का हो जाएगा अब आप सोचो कि इतना महंगा कपड़ा बिरिटिसस क्यों खरीदेंगे तो इस तरीके से इंडियन मार्केट को काफी जाधा लॉस हो रहा था इन फेक्ट आप इस डाटा को देखो इससे हमें क्लियरली पता चलेगा कि कितना लॉस हो रहा था तो उस तो 1800 के टाइम पर थर्टी परसेंट इंडियन क्लॉथ एक्सपोर्ट होते थे ब्रिटीन वहीं 1815 के टाइम पर यह गिरकर हो गया 15% मतलब 15% इंडियन क्लॉथ एक्सपोर्ट होते हैं ब्रिटीन में एंड 1870 में यह और ज्यादा गिर जाता है मात्र तीन परसेंट पर रॉ कॉटन का एक्सपोर्ट बढ़ जाता है मतलब किबल कॉटन कॉटन का एक्सपोर्ट बढ़ जाता है क्योंकि बृतिन की जो इंडस्टीज थी उन्हें रॉ कॉटन की जरूरत थी क्योंकि तब ही तो वो कपड़े बना सकते थे वहां रॉ कॉटन जाने लगता है 1812 में जहां मातर 5% रॉ कॉटन का एक्सपोर्ट होता था वहीं 1871 में यह बढ़कर हो जाता है 35% मतलब 1871 में 35% raw cotton का export होने लगता है और इससे ब्रिटेन की factories में जो सस्ते कपड़े बनते थे उन्हें इंडिया में एक अच्छी rate में बेज दिया जाता था और काफी अच्छा profit कमाया जाता था पर इंडियन market को काफी ज़ादा नुकसान हो रहा था एक तो इंडिया के खुद की cloths बिकना कम हो जाते हैं क्योंकि इंडियन cloths हाथों से बन दे थे इसलिए वो महंगे होते थे वहीं जो ब्रिटेन की factories से बने हुए कपड़े थे दूसरा ब्रिटिसस को जो cotton export होता था उसे वो बहुती कम rate में खरीदते थे तो इन दोनों reasons की वज़े से इंडियन market को काफी ज़दा loss हो रहा था और वहीं ब्रिटिसस को काफी ज़दा profit हो रहा था जिसे हम trade surplus भी कहते हैं मतलब है ने trade में काफी ज़दा मुनाफ़ा हो रहा थाइट टॉपिक है हमारा इंटर वार एकॉनोमी इस टॉपिक में हम ये जानेंगे कि वर्ल्ड वार फ़र्ष्ट के टाइम पर वर्ल्ड एकॉनोमी कैसी थी और वर्ल्ड वार फ़र्ष्ट की बज़े से एकॉनोमी के ऊपर क्या क्या इंपैक्ट पढ़ रहा था वार टाइम ट्रांसफर्मेशन दोस्तो 1914 ये वो साल थी जब वर्ल्ड वार फ़र्ष्ट स्टार्ट होता है और ये वार 1918 तक चलता है अलाइट पावर्स और सेंटरल पावर्स Allied Powers में आते थे Britain, France, Russia और USA जो की बाद में जॉइन हो गया था और Central Powers में आते थे Germany, Austria-Hungary, Ottoman Turkey ये पहला ऐसा Modern War था जिसमें Machine Guns, Tanks, Aircrafts, Chemical Weapons का यूज़ हुआ था अब हम देखते हैं कि World War I की बज़े से क्या Impact पड़ा तो World War I ने काफी बड़ी स्केल में तबाई मचाई थी World War I की बज़े से करीब 9 मिलियन लोग मर जाते हैं और करीब 20 मिलियन लोग इंजर्ड हो जाते हैं वार के कारण जबरदस्ती लोगों को आर्मियां भरती किया जाने लगा जो लोग फैक्टरीज में काम कर रहे थे उन्हें अब सीमा पर लड़ने के लिए बेज दिया जाता है यानि कि यूरोप की जो वर्किंग पॉपुलेशन होती है वो डिक्रीज हो जाती है अब आप खुद सोचो कि अगर सारे लोग वार लड़ने चले जाएंगे तो कमाएगा कौन तो वर्किंग पॉपुलेशन डिक्रीज होने की बज़े से यूरोप की इंकम भी डिक्रीज हो रही थी क्योंकि सारे कमाने वाली लोग वार लड़ने चले गए थे तो ऐसी सिच्वेशन में जितनी भी महिलाएं थी उन्हें आगे आना पड़ता है और वे अपना घर चलाने के लिए फैक्टरीज में आकर काम करने लगती हैं तो देखा आपने जहां पहले फैक्टरीज में पुरुस काम करते थे वहां वार की वज़े से महिलाएं काम करने लगती हैं खर्च करना पड़ता है समझ रहे हो इन फेक्ट बृतेन का इतना पैसा खर्च हुआ कि बृतेन को करज लेना पड़ गया वो भी अमेरिका से यानि कि यूएस से ऐसा नहीं है दोस्तों कि केवल बृतेन ने करज लिया था बलकि ऐसी कई सारी अमेरिका एक इंटरनेशनल डेविटर से एक इंटरनेशनल क्रेडिटर बन गया था मतलब जो देश पहले करज लेता था अब वो करज देने वाला देश बन गया था पोस्ट बॉर रिकवरी तो जो बृतेन था वो वर्ल्ड वर फर्स्ट से पहले काफी ज़दा पावरफुल था पावरफुल इन दा सेंस उसकी इकॉनोमी काफी ज़दा अच्छी थी बृतेन पूरी तरीके से इंडियन मार्केट को और जापान के मार्केट को कैप्चर करके रखे था तो बृतेन काफी ज़दा बिजी हो जाता है वार में तो जब बृतेन वार खतम होने के बाद बापो साता है इंडिया वो कैप्चर करने के लिए तो वो मार्केट में अपनी पहले जैसी पोजिशन गेन नहीं कर पाता है क्योंकि उस समय तक हमारी इंडस्टीज भी काफी जार डबलब हो चुकी थी और अगर हम इंटरनेशनल लेबल पर देखे तो बृतेन इतना कमजोर हो चुका था कि वो कमपीट ही नहीं कर पाता है जापान के साथ क्योंकि जापान भी उस समय तक काफी जार डबलब हो चुका था पर वार के टाइम पर एक और सीन देखने को मिल रहा था देखो क्या था जब वार चल रहा था यानि कि डूरिंग वार तो गुड्स की डिमांड बढ़ गई थी आप खुद ही सोचो कि अगर वार होगा तो चीजों की डिमांड जादा होगी क्योंकि आर्मी के लिए यूनिफ क्योंकि लोग तो चाहिए ना काम करने के लिए factories में तो हम indirectly देखें तो war की बज़े से लोगों को employment मिल रहा था तो हम कह सकते हैं कि war time पर economic boom देखने को मिला अब दोस्तो war तक तो ठीक था लेकिन जैसे ही war खतम होता है तो इन सब चीज़ों की demand कम हो जाती है और जब इनकी demand कम हो जाती है तो production भी कम हो जाता है और जब production कम हो जाता है तो employment भी कम हो जाता है मतलब जो लोग factories में काम कर रहे थे वो war के बाद बापस unemployed हो जाते हैं अब हम देखते हैं कि agricultural economy कैसे थी तो सबसे पहले हम देखते हैं कि war से पहले क्या condition थी तो war से पहले जो eastern europe था वो major wheat producer था मतलब सबसे ज़्यादा beet produce करता था लेकिन जब europe war में busy हो जाता है तो war की बज़े से वहाँ पर beet का production कम हो जाता है यानि कि during war wheat production was decreased in europe लेकिन उसी दोरन क्या होता है कि जो other countries थी जैसे कि कनाडा, US, Australia ये कंट्रीज काफी मातरा में वीट का प्रोडक्शन करने लगती हैं अब चोकी यूरोप तो प्रोडक्शन कर नहीं रहा था क्योंकि वो तो लड़ाई में बिजी था तो वार टाइम पर वीट की डिमांड जाता हो गई थी लेकिन ये तब तक ठीक था जब तक वार चल रहा था जैसे ही वार खतम हुआ तो कंडिशन कुछ और हो गई तो यहाँ पर ये लोग तो प्रोडक्शन करी रहे थे उपर से यूरोब भी स्टार्ट कर देता है प्रोडक्शन जिस बज़ी से वीट काफी मातरा में प्रडूश होने लगता है इन फेक्ट इतना वीट प्रडूश हो जाता है जितनी डिमांड ही नहीं थी तो जब किसी चीज की डिमांड कम हो जाती है और उसकी सप्लाई बहुत जादा हो जाती है तो उस चीज की प्राइज कम हो जाते हैं और ऐसा हुआ भी मार्केट में वीट प्राइज बहुत जादा गिर जाते हैं और कई सारे किसन करज में डूब जाते हैं तो देखा आपने जहां कंट्रीज वार के टाइम पर काफी ज़्यादा प्रॉफिट कमा रही थी वहीं इन कंट्रीज को वार के बाद एक आर्थिक मंदी से गुजरना पड़ गया यानि कि हम कह सकते ह Rise of Mass Production and Consumption अभी दोस्तो कुछी टाइम पहले एक लाइन बोली थी कि जो अमेर्का था वो एक International Debtor से एक International Creditor बन जाता है मतलब अमेर्का जो की पहले खुद कर्ज लेता था अब वो एक कर्ज देने वाला देश बन जाता है तो ये कैसे possible हुआ इस सब टॉपिक में हम यही जानेंगे तो दोस्तो जो World War हुआ था उससे कई सारी Countries अफेक्ट हुई थी मतलब कई सारी Countries को नुकसान हुआ था अब दोस्तो ऐसा नहीं है कि जो अमेर्का था यानि की US था वो अफेक्ट ना हुआ हो बलकि अमेरिका को भी नुकसान हुआ था लेकिन फर्क सर्ब इतना था कि जो अमेरिका था उसकी इकाउनमी बहुत जल्दी रिकवर कर जाती अब कैसे रिकवर करती है चली जानते हैं तो जो अमेरिका की इकाउनमी थी उसमें एक important feature introduce होता है जो की था mass production का mass production का मतलब होता है जब किसी चीज का production बड़ी scale पर होता है तो उसे mass production कहते हैं तो mass production का जो concept था वो लाया गया था Henry Ford के द्वारा जो की फोर्ड मॉटर्स के फाउंडर थे इन्होंने ही पहली बार अमेरिका में मास प्रोडक्शन किया था इसलिए इन्हें प्योनियर ओफ मास प्रोडक्शन भी बोला जाता है तो हेंड्री फ़र्ड क्या करते हैं मास प्रोडक्शन के लिए एक मेथड लाते है जिसका नाम था असेम्बली लाइन मेथड असेम्बली लाइन मेथड एक ऐसा मेथड होता है जिसमें वरकर्स को एक लाइन में खड़ा कर दिया जाता है और हर एक वरकर को एक छोटे छोटे पार्ट को असेम्बल करना होता है इससे फायदा क्या होता है कि काम बहुत तेजी से होता है और इससे जो प्रोडक्शन कॉस्ट है वो बहुत सस्ती पड़ती है तो जो T-Model Ford जो कार थी वो दुनिया की पहली Mass Produced कार थी मतलब इस कार का जो प्रोडक्शन था वो बहुत बड़ी स्केल पर हुआ था और वो इसी Assembly Line Method के तुरू कम्प्लीट किया गया था 1914 में जो Henry Ford थे वो एक और बहतरीन काम करते हैं ये Workers की Income को 5 Dollar कर देते हैं इससे जो workers थे वो भी खुश हो जाते हैं ऐसा नहीं है दोस्तों कि workers की income बढ़ाने के बाद Henry Ford को नुकसान हो रहा था बलकि उनका model ही इतना बहतरीन था कि income बढ़ाने के बावजूद भी production cost बहुत ही सस्ती पढ़ रही थी तो अगर हम किबल car production की बात करें तो जहां US में 1919 में car production 2 million था वही 1929 में car production 5 million हो जाता है अब दोस्तों ऐसा नहीं है कि US में किबल car का ही mass production हो रहा था बलकि जो white goods होते हैं जैसे कि refrigerator, bossing machine, radio इस थरे की चीजों का भी production बढ़ गया था और mass production की बज़े से इनके prices भी कम हो गये थे जिस बज़े से US में housing boom देखने को मिल रहा था मतलब US के लोग अपने living standard को improve करने के लिए इन सब चीजों को खरीदना start कर देते हैं जिस बज़े से जो US economy थी वो काफी recover हो जाती है इन फैक्ट हितनी recover हो जाती है कि वो ब्रिटेन जैसे देशों को lawn भी देने लगती है ता ग्रेट डिपरेशन दूस्तो ग्रेट डिपरेशन के बारे में हमने पिछली क्लासिस में ही पढ़ा था ग्रेट डिपरेशन का मतलब होता है जब इकानोमी डिक्लाइन होने लगती है यानि के डिपरेशन में चली जाती है तो 1929 से मिड 1930 का जो पीरिड था इंकम कम हो जाती है यानि के 1929 से मिड 1930 का जो पीरिड था उसी को बोला जाता है The Great Depression अब आप सोच रहे होंगे कि How is this possible?

ये कैसे हुआ? क्योंकि अभी अभी हमने देखा था कि World Economy तो काफी अच्छी चल रही थी फिर अचानक से ऐसा क्या हुआ कि World Economy डिप्रेशन में चली जाती है? चली जानते हैं Reasons of Great Depression देखो पहला reason था Over Production of Agricultural Goods यानि कि Agricultural Goods का जो Production था वो बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है क्योंकि जादातर Countries ने War के बाद Production बढ़ा दिया था जिस वज़े से प्रोडक्शन हाथ से जादा होने लगता है और इसी कारण से प्राइजेज भी कम हो जाते हैं क्योंकि सोबाविक्स की बात है जब किसी चीज की सप्लाई जादा हो जाती है तो उसके प्राइजेज गिर जाते हैं तो अग्रिकल्चरे गुट्स के प्राइजेज गिर जाते हैं इस वज़े से फार्मर्स की इंकम डिक्लाइन होने लगती है और पता है ऐसी सुचिविशन में फार्मर्स क्या सुचते हैं फार्मर्स ये सुचते हैं कि अगर होता क्या है कि जैसे ही फार्मर्स प्रोडक्शन को और बढ़ा देते हैं, बैसे ही प्राइसे और गिर जाते हैं, क्योंकि खरीदने बाले लोग ही नहीं बचते हैं, लेक ओफ वायर्स हो जाता है, जिस वज़े से खाना रोटेड होने लगता है, यानि कि सड़ देने लगता ह लेकिन जैसे ही एकॉनोमी डाउन होने लगती है यानि कि एग्रिकल्चरल लॉस होने लगता है तो वो अपना लोन बिड्ड्रॉआ करने लगता है यानि कि बापुस लेने लगता है जिस वज़े से यूएस पर डेपेंडेंट जितने भी अलग-अलग बैंक्स से यूरोप के तो ये तीन major reasons थे जिनकी बज़े से Great Depression देखने को मिल रहा था worldwide अब हम देखते हैं कि अमेरिका की उपर क्या impact पड़ता है Great Depression का यानि की impact of Great Depression on अमेरिका तो जो अमेरिका के banks थे वो डर जाते हैं किस से डर जाते हैं? Great Depression से तो वो क्या करते हैं? लोगों को loans देना बंद कर देते हैं और जिनको उन्होंने पहले से loan दे रखा था उनसे बापस मांगने लगते हैं जिस वाई से farm distress हो जाते हैं लोगों के household re-unit हो जाते हैं यानि की घर उजड़ जाते हैं, लोग के business collapse कर जाते हैं, इसके अलाबा unemployment बढ़ जाता है, और जो लोग banks का loan बापुस नहीं कर पा रहे थे, उन्हें banks force करने लगता है, अपने घर, car जैसी चीज़ों को छोड़ने के लिए, लेकिन इतना सब कुछ करने के बावजूद भी जो US banking system था, और लोगों के माइंड को बहुती बुरी तरीके से अफेक इंडिया और ग्रेट डिप्रेशन अब हम देखते हैं कि ग्रेट डिप्रेशन का इंडिया के उपर क्या इंपेक्ट पड़ता है यानि कि इंपेक्ट ओफ ग्रेट डिप्रेशन ओन इंडिया तो 19th century की सुरुवात में जो इंडिया था वो एक major exporter बन गया था agricultural goods का पोट और एक्सपोर्ट लगबग आदा हो जाता है और जो वीट प्राइजेज होते हैं इंडिया के वो लगबग 50% तक गिर जाते हैं ऐसे में जो ब्रिटिस गवर्मेंट थी जो की उस समय पर इंडिया के उपर रूल कर रही थी वो लोगों के टैक्सेस कम नहीं करती हैं या अपनी जमीनों को, जुएलरीस को और प्रीसिस मेटल्स को बेच-बेच कर लास्ट टॉपिक है हमारा Rebuilding of World Economy, The Post War Era यहां से हम पढ़ेंगे कि World War II के बाद इकोनोमी कैसी रहती है और क्या क्या चेंजेस होते हैं तो जो World War II था वो World War I से लगबख 2 Decades बाद सुरू हुआ था यानि के लगबख 20 साल बाद सुरू हुआ था World War II 1939 से सुरू हुआ था और 1945 तक चला था World War II भी दो पाबस के बीच में लडा गया था Allied Powers और Central Powers Allied Powers में थे मिली Britain, France, Soviet Union and America और Central Powers में थे मिली Nazi Germany, Japan and Italy इस वार की बज़े से लगबख 60 मिलियन लोग मर गए थे यानि कि वर्ल्ड की लगबख 3% population इस वार में मारी गई थी और लाखों लोग घायल हो गए थे ये जो वार था वो वर्ल्ड वार फर्च से अलग था क्योंकि इसमें civilians की death जादा हुई थी rather than armies यानि कि आम लोगों की जादा जाने गई थी अब दुस्तों वर्ल्ड वार्ड सेकेंड जैसे ही खतम हुआ तो दो कंट्री सबसे जाधा ओवर कर आती हैं पहली थी अमीरका जो की वार के बाद डॉमिनिटिंग एकॉनोमिक पॉलिटिकल और मिलेटरी पावर वन गई थी वेस्टरन वर्ल्ड में और ये दोनों ही कंट्री वर्ल्ड के रीकंस्ट्रक्शन में काफी जाधा भूमिका निवाती हैं तो दूसरों जैसे ही वर्ल्ड खतम हुआ तो बहुत सारी कंट्री आपस में मिलती हैं और discussion करती है post war recovery के लिए मतलब war में जितना भी नुकसान हुआ है उसकी recovery कैसे की जाए मतलब भरपाई कैसे की जाए इस मुद्धे के उपर discussion होता है तो इसके लिए countries दो discussion निकालती हैं पहला preservation of economic stability मतलब economic stability लानी होगी और economic stability कब आएगी जब mass production होगा मतलब चीजे जादा produce होगी और जादा चीजे कब produce होगी जब लोग उन चीजों को जादा खरीदेंगे यानि की mass consumption होगा और लोग चीजों को कब खरीदेंगे जब उनकी income अच्छी होगी और उनकी income कब अच्छी होगी जब उनके पास employment होगा और employment कब होगा जब government employment उने देगी और government अगर employment देगी तो indirectly mass production होगा और आप तो जानते हैं कि अगर किसी country में mass production होता है तो वो country बहुत जल्दी recover कर जाती है तो इस तरीके से country आसानी से recover कर सकती थी war के नुकसान से दूसरा conclusion था economic links with outside world यानि कि वर्ल्ड के साथ एकॉनोमिक लिंक डवलप करके रखना होगा यानि कि फ्लो आफ ट्रेट, फ्लो आफ कैपिटल, फ्लो आफ लेबर होता रहे एक कंट्री से दूसरी कंट्री तो कंट्री से दो मेजर अब्जेक्टिब्स को रखाम करती है वो ऐसे रिकवरी करने के लिए कैसे रिकवरी करती है, इसकी पूरी प्रोसेस क्या होती है, चलिए जानते हैं तो इन दो अब्जेक्टिब्स को पूरा करने के लिए जुलाई 1944 में बृतिन वुड हेमसायर जो की एक जगे है यूएस में वहाँ पर एक कॉंफरेंस होती है जिसका नाम था United Nations Monetary and Financial Conference यानि की UNMFC इसमें कई सारे दिशों ने पार्टिस्पेट किया था इसी को Britain Boards Conference भी बोला जाता है तो इस Conference में क्या होता है?

Britain Boards Institution सेटब किये गए और ये Britain Boards Institution कौन-कौन से थे? तो पहला था International Monetary Fund यानि की IMF और दूसरा था International Bank for Reconstruction and Development यानि की IBRD जिसे हम आज के टाइम पर World Bank के नाम से जानते हैं तो ये दो body बनाई जाती हैं world को war से recover कराने के लिए अब हम देखते हैं कि इन दोनो institutions के काम क्या क्या थे तो IMF का काम था to deals with external surplus and deficits of its members nation मतलब किसी country में जादा production हुआ है और किसी country में कम production हुआ है तो आप उसमें surplus और deficits को manage करना ताकि आप उसमें countries में stability बनी रहें दूसरा था IBRD जिसका काम था कंट्रीज को फाइनेंसली सपोर्ट करना ताकि जिन कंट्रीज को वार में लॉस हुआ है वो आसानी से रिकबर कर सकें और दोस्तों इन दोनों इंस्टिटूशन्स में जो USA था यानि की अमेरिका था उसका डॉमिनिशन जादा था डिसीजन मेकिंग में मतलब वर्ल्ड की अलग-अलग करेंसी इसको डॉलर के साथ फिक्स कर दिया था और डॉलर को भी फिक्स कर दिया था गोल्ड के साथ मतलब 35 डॉलर बराबर होगा पर आउंस ओफ गोल्ड के जादा कंफीस होने की जरूरत नहीं है सिंपली आप इतना याद रखो कि जो ऐसा इसलिए था ताकि करेंसीज का एक्सेंज आसानी से हो सके दे आरली पोस्ट येर्स तो 1950 से 1970 का जो पीरिड था वो बहुत ज़ादा स्टैबल हो गया था क्योंकि इस पीरिड में जो वर्ल्ड ट्रेड था वो एनुअली 8% से ज़ादा ग्रो कर रहा था और ये जो ग्रोथ थी वो बहुत ज़ादा स्टैबल थी बिना किसी फ्लक्चुएशन के डी कोलोनाइजेशन और इंडिपेंडेंस दोस्तों वर्ल्ड वर्स सेकेंड के खतम होने के बाद लगबग 20 सालों में कई सारी एसियन और अफ्रीकन कंट्रीज को आजाधी मिल जाती है कॉलोनियल गवर्मेंट से लेकिन उसके बावजूद भी इन कंट्रीज में पौवर्टी, हंगर, लेक ओफ रिसोसेज ये सब समस्यां देखने को मिल रहे थी क्योंकि भले ही कॉलोनियल गवर्मेंट चली गए थी पर उन्होंने जो ट्रवल क्रियेट किया था यानि कि अत्याचार और लूट मचाई थी यानि कि वर्ल्ड बेंक ये केवल जो industrial countries थी यानि कि उस समय की जो developed countries थी in terms of industries उनकी ही मदद कर रहे थे और केवल उने ही financially support कर रहे थे बाकि इन developing countries पर कोई भी institution ध्यान नहीं दे रहा था तो जो developing countries थी यानि कि जो poverty से जूज रही थी उने इन institutions का जादा फाइदा नहीं मिल रहा था इसलिए ये countries क्या करती हैं अपने आपको organize करती हैं यानि कि एक group बनाती हैं जिसको बोला गया G77 तो ये जो गुरुप था डबलपेंग कंट्रीज का G77 वो क्या करता है डिमांड करता है न्यू की यानि के न्यू इंटरनेशनल एकॉनोमिक ओडर की तो न्यू इंटरनेशनल एकॉनोमिक ओडर के मताबद क्या होना था कि जितनी भी उनकी नैचुलर रिसोर्सेज है उन पर उनी की कंट्रीज का कबजा होना चाहिए दूसरा उनकी रो मटेरियल्स का उने फिर प्राइस मिलना चाहिए और जितने भी manufactured goods हैं developed countries में उन पर इनका भी access होना चाहिए तो ये था new यानि की new international economic order end of breton woods and the beginning of globalization दोस्तो 1960s के बाद US की जो economy थी वो down जाने लगती है इसके पीछे reason था क्योंकि US different different countries में investment वगेरा की हुए था जिस वएशे जब countries में prices decline हुए तो US की economy भी इस current से down हो जाती है और financial growth भी weak हो जाती है जिस वहेशे होता क्या है कि जो US dollar था जो कि world की principal currency बना हुआ था वो principal currency नहीं रहता है और जो fixed exchange rate का जो system था जो कि अभी तक चला आ रहा था उसे बदल कर floating exchange rate पर कर दिया जाता है दोस्तो जो developing countries थी वो पहले loan लेती थी international institutions से लेकिन उसके बाद क्या होता है इन्हें force किया जाता है western commercial banks और private lending institutions से loan लेने के लिए यह जो वैंक्स थी उनका interest rate बहुत जादा होता था इसलिए जो developing countries थी वो करज में चली जाती हैं income कम हो जाती है poverty बढ़ जाती है especially जो अफरिका था और जो Latin America था इनकी economical condition बहुत जादा बत्तर हो जाती है वही अगर हम बात करें चाइना की तो आपको तो पता ही है कि चाइना की population बहुत जादा है इसलिए वहाँ पर labor सस्ती थी जिस बज़े से कई सारी multinational companies एन की MNCs वहाँ पर आने लगती हैं जिस वजह से जो चाइना था वो बाद में जाकर वर्ल्ड मार्केट में एक सुपर पावर के रूप में वरता है सिमिलरली और भी कई सारी इस्टन कंट्रीज थी जैसे कि इंडिया इसके अंदर भी रेपिड इकानोमिक ट्रांसफॉर्मिशन दिखने को मिलता है तो हमें इस चेप्टर से क्या बदा चला कि जो वर्ल्ड है और जो वर्ल्ड के डिफरेंट डिफरेंट कंट्रीज है वो एक दूसरी के साथ काफी साथ कनेक्टेड है और ये तब भी कनेक्टेड थी अगर आपको ये वीडियो पसंद आई तो आप इस वीडियो को लाइक कर सकते हो और चाहो तो आप इस चैनल को सब्सक्राइब भी कर सकते हो ऐसी class 10 की वीडियो जागे देखने के लिए बाकी मिलते हैं नेक्स वी�