हेलो दोस्तों मैं हूँ रोहीत और आप देख रहे हैं सिलिबस विथ रोहे आज हम एक बहुत ही दिल्चस्व टॉपिक पर बात करने वाले हैं रेशनलिजम यानि तरकवाद ये कैसा फिलोसॉफिकल अपरोच है जिसने हमारी सोच को बदलने का काम किया है तरकवाद ने हमें ये सिखाया है कि दुनिया को समझने के लिए हमारे पास सबसे बड़ा हथियार क्या है क्या हम अपने इंडरियों पे यानि सेंसेस पे भरूशा कर सकते हैं आज हम इस सवाल का जवाब ढूँढने की कोशिश करेंगे और इस सफर में हमें तीन बड़े दिमाग मदद करेंगे डेसकार्टेस, स्पिनोजा और लेबनेस इन तीनों फिलोसफर्स ने हमें ये समझाया कि हमारे जीवन का मूल तत्तु क्या है और हमें अपने आसपास की दुनिया को कैसे दिखना चाहिए सबसे पहले चलिए समझते हैं कि रेशनलिजम यानि तरकवाद है क्या सिंपल भाषा में कहों सत्तर क्वाद वो विशार धारा है जो ये कहती है कि हमारा असली ज्ञान और समझ सिर्फ तर्क के माध्यम से मिल सकती है यानि हम जो कुछ भी देखते, सुनते या महसूस करते हैं वो कभी कभी हमें गलत राह दिखाते हैं इसलिए हमें सिर्फ अपने तर्क पर भरोसा करना चाहिए आपने कभी ये सोचा है कि हम अक्सर अपने इंद्रियों पे भरोसा करते हैं जैसे जब हम कुछ देखते हैं, हमें लगता है कि हम देख रहे हैं वो सच है पर क्या ये हमेशा सच होता है? जैसे कभी आपने पानी में अपने हाथ को देखा होगा तो तूटा हुआ दिखाई देता है पर असल में तूटा नहीं होता। ऐसे ही बहुत बार हमारी आखे, हमारे कान हमें गलत सिगनल दे सकते हैं। इसी सवाल से शुरुवात की थी डिसकार्टिस ने। उन्होंने सोचा अगर हमारे सिंसेस हमें हमेशा सच नहीं बताते तो हम कैसे जानेंगे कि सच क्या है। डिसकार्टिस कहते हैं कि हमें पहले अपने पूरे ज्ञान को डाउट करना चाहिए, संका करनी चाहिए और तब तक करनी चाहिए जब तक हम किसी चीज़ पर पक्का बिश्वास न कर लें। इसी प्रोसेस से उन् कोगिटो एरगो सम यानी मैं सोचता हूँ इसलिए मैं हूँ I think, therefore I am यानी जब तक हम सोच रहे हैं हम अपने होने का सबसे पक्का सबूत दे रहे हैं स्पिनोजर ने एक और इंट्रेस्टिंग विशार दिया यानी हम और प्रकृति अलग नहीं है हम सब एक ही हैं, एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जब हम इस दुनिया को इस नजरिये से देखते हैं तो हम प्रकृति के नियम को समझने की कोशिश करते हैं और ये समझना सीखते हैं कि हमें कैसे इस दुनिया के साथ मिलकर चलना चाहिए लेबनेज ने एक और fascinating theory दे pre-established harmony उन्होंने कहा कि दुनिया एक तरह से एक perfect घड़ी की तरह है जिसमें सब कुछ अपने आप से harmonized है बिना किसी external interference के जैसे हमारे जिन्दगी के करिस systems जैसे technology, machine learning यह हमारी natural ecosystem सब अपने आप से काम करते हैं, harmoniously. तो आज हम इन तीनों philosophers के विशारों को explore करेंगे.
Descartes का doubt और तर्ग का process, Spinoza का प्रकृति और इश्वर का एक होना और Lebanese की pre-established harmony. यह सब कुछ हमारे जिन्दगी, हमारे governance और हमारे daily decisions को कैसे प्रभावित करते हैं. आपको अगर कोई सवाल आये या कोई सवजना हो तो कमेंट सेक्षन में जरूर लिखियेगा मैं आपके सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिश करूँगा आए रेशनलिजम यानि तरकवाद के इस सफर को शुरू करते हैं स� डेसकार्टिस को हम मॉडरन फिलोसोफी का फादर कहते हैं और इस बात का एक बड़ा कारण है उनका मेथर्डिक डाउट डेसकार्टिस ने एक सिंपल और पावरफुल सवाल पूछा मैं किस चीज के बारे में बिल्कुल निश्चित हो सकता हूँ यानि मुझे कौन सी बात का पूरा पूरा विश्वास है कि वो सच है ये सवाल सुनने में छुटा लगता है और सोचने पे हमें समझ आता है कि जिन्दगी में हम कितनी चीजें बिना सोचे समझे मान लेते हैं उसको सच मान लेते हैं, लेकिन क्या हमेशा ऐसा होता है? डिसकार्टिस कहते हैं कि अगर हमें सच्चाई तक महचना है तो पहले हमें अपने पुरानी सोच पे डाउट करना होगा यानि हमें सब कुछ शक की नज़र से देखना होगा डिसकार्टिस के अकॉर्डिंग अगर हम एक बार अपने सभी विचारों को डाउट करें तभी हम वो सच्चाई ढोड़ पाएंगे जो हर शक के बाद भी खड़ी रहें इस अपरोच को हम मेथोडिक डाउट कहते हैं जिसमें डिसकार्टिस ने सबसे पहले अपने इंद्रियों से मिलने वाली नॉलिज को शक के घेरे में डाल दिया उन्होंने कहा कि हमारे सेंसेस हमेशा हमें सच नहीं बताते कभी हम सपने देखते हैं और हमें वो सपना असली लगता है कभी कोई ओप्टिकल इलूजन हमें धोखा देता है तो फिर हम कैसे कह सकते हैं कि हम जो देख रहे हैं जो सुन रहे आप समझ रहे हैं ना, हमारे जीवन में बहुत से पल ऐसे होते हैं जब हमें लगता है कि जो हम सोच रहे हैं वो गलत हो सकता है। क्या कभी आपने ये सोचा है कि जो आप अब तक मान रहे थे वो गलत भी हो सकता है। डिस्कार्टिस का कहना था कि हमें अपने पुराने विशारू को तोड़ना होगा अगर हम सच्चाई तक पहुँचना चाहते हैं तो। चाहे हम साइंस पढ़ें, पॉलिटिक समझें या टेकनॉलिजी का डेवलप्मेंट देखें हर जगर डाउट और रीजन का रूल है जब हम नए इनवेंशन्स बनाते हैं तो हम पुरानी टेकनॉलिजी को डाउट करते हैं और तरक के माध्यम से नए सॉलूसस ढूटते हैं शक करो फिर तरक के साथ सचाय तक मौजने की कोशिश करो अब हम आगे ���ढ़ते हैं और बात करते हैं एक और महान फिलोसफर बारोख स्पिनोजा के बारे में स्पिनोजा की सोच डिसकार्टेस से बिल्कुल अलग थी पर उन्होंने भी अपने तर्ग से एक नए विचार को जन्म दिया जिसे हम मोनिज्म कहते हैं ये एक ऐसी सोच थी जो दुनिया को एक नए नजरिय से देखती है स्पिनोजा कहते हैं कि गौड और नेशर अलग अलग नहीं है बलकि दोनों एक ही है यानि प्रकृति ही इस्वर है और इस्वर ही प्रकृति है वो कहते हैं कि दुनिया में हर चीज एक ही सब्स्टेंस का हिस्सा है और इस सब्स्टेंस को हम कई नाम दे सकते हैं चाहे आप इसे गॉड कहिए या नेचर यह सोच मुनिजम कहलाती है यानि यह विचार कि दुनिया में सिर्फ एक ही प्रकृति या एक ही तत्व है बल्कि वही प्रकृति है जो हमें हर जगद दिखाई देती है प्रकृति के हर नियम, हर चीज जो होती है वो इश्वर का ही रूप है इसका मतलब है कि हमें अपने आपको और अपने आसपास की दुनिया को अलग नहीं समझना चाहिए हम सब एक ही प्रकृति का हिस्सा है यानि आप, मैं, पेड़, पौधी, जानवर, पृत्वी सब कुछ एक ही तत्व से बने हैं ये सब्स्टेंस प्रकृति या ईश्वर है तो स्पिनोजा के अकॉर्डिंग माइंड और बॉडी एक ही प्रकृति के हिस्सा है बस उनका नजरिया अलग है स्पिनोजा कहते हैं कि प्रकृति के साथ हमारा जुड़ाव सिर्फ फिजिकल नहीं है बलकि एक spiritual connection भी है जब हम प्रकृति के नियमों को समझने की कोशिश करते हैं तो हम ईश्वर के नियमों को समझते हैं इसका मतलब यह है कि प्रकृति के साथ मेल बना के चलना एक तरीके से spiritual awakening भी है तो दोस्तों, इस पिनोजा का मौनिजम अमें एक अनोखी दृष्टी देता है। वो कहते हैं कि प्रकृति और इश्वर एक ही है और हम सब उसी के हिस्सा हैं। अब हम बात करते हैं एक और दाशनिक थिंकर, गौटफ्रीड विल्हेल्म लेबनीज पर। लेबनीज ने अपने विशारों में एक ऐसी दुनिया का तसवूर किया जिसमें हर चीज एक अनोखे तालमेल से चलती है। उनका एक प्रमुख विशार था, Pre-Established Harmonica, एक ऐसी सोच जो समझने में कॉंप्लेक्स लगती है। लेकिन जब इसको जिन्दगी के उदारण से समझा जाए तो काफी रिलेटिबल है। अपने अपने पास पर हैं, लेकिन हर चीज दूसरी चीज के साथ एक जुडाव में भी है। लिबनीज ने कहा कि दुनिया में जो कुछ भी होता है, वो एक pre-established harmony के according होता है। इसका मतलब यह है कि हर चीज एक perfect system में set हैं, जिससे clock के अलग-अलग gears होते हैं, जो मिलकल काम करते हैं बिना एक दूसरे को directly touch कियें। यह एक fascinating idea है क्योंकि इसमें यह विशार है कि दुनिया का हर पहलू अपने आप चल रहा है, लेकिन फिर भी हर चीज एक दूसरे के साथ sink में है। लेमनिस की विशार में एक और इंट्रेस्टिंग पहलू है उन्होंने फ्री विल और डिटर्मि आप सोच रहे होंगे कि अगर सब कुछ पहले से इस रेट है तो हमारे चॉइसेज का क्या?
क्या हमारे पास सच में चॉइस है या सब कुछ पहले से ही लिखा गया है? लिबनीज ने कहा कि फ्री विल और प्रेस्टेपलिस्ट हार्मनी एक दूसरे के अपोजिट नहीं है वो कहते हैं कि दुनिया का हर event को हर specific way में set किया गया है लेकिन फिर भी हम अपने decisions लेने के लिए free हैं यह balance समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन Lebanese कहते हैं कि हम जो भी choices बनाते हैं वो उसी pre-established system के हिसाब से होती है जिससे हम शायद directly न समझ पाए इस दुनिया में हर चीज एक ऐसी system का हिस्सा है जो self-sustained है लेबनिस का एडिया हमें ये समझाता है कि सिस्टम्स को बनाने के बाद हमेशा कॉंस्टेंट इंटरवेंशन की जरूरत नहीं होती। अगर हम अपने सिस्टम को ठीक से डिजाइन करें तो वो अपने आप अपने प्री डिफाइन पास पर चलेंगे जैसे एक पर्फेक्ट घ� दोस्तों, आज हमने एक लंबी यात्रा की, हमने रेशनलिजम को समझा और इस विचार धारा के तीन महान दाशिनकों को विचारों को विश्लिशर किया, डिसकार्टीज, स्पिनोजा और लिबनीज. इन सबने अपने अपने तरीके से एक ही सवाल का जवाब ढूटा, हम सच् चाहे हम डाउट करें, प्रकृति और इंसान को एक समझें, या दुनिया के तालमेल को देखें, हमारा सोचने का तरीका ही सच्चाई को समझने का असली तरीका है, यह रेशनलिजम की असली संदेश है, और यही इन तीनों दाशिकों ने हमें सिखाया, मेरा नाम है रोहित और