और भाई लोग क्या आल चाल है कैसे हो तुम लोग सब इकदम ठीक ठाक तो यार आज हम लोग पढ़ने वाले हैं The Sermon at Banaras चेप्टर के बारे में यार सर्मन का मतलब होता है परवचन जब दामलोग धार्मिक परवचन देते हैं तो उसका मतलब होता है सर्मन लेकिन क्या तुम्हें ये पता है कि गौतम बुद्ध यार एक राज कुमार थे जी हाँ गौतम बुद्ध का जन्म यार एक राज परिवार में हुआ और वो एक राजा के पुत्र थे और क्यूंकि यार वो एक राजा के पुत्र थे तो यार उस समय में न जब उनका नामकरन हुआ तो बहुत सारे संत महात्मा संतवारों को बुलाया गया जो भी बरे महात्मा संत थे न यार उनको बुलाया गया और उनका नामकरन किया गया उनका नाम परा यार सिधार्थ और ये बात जब सिधारत के पिता को पता चला ना कि आगे चलकर सिधारत जो है एक बहुत ही महान राजा बनेगा या फिर एक सादू संथ बन जाएगा योगी बन जाएगा तो वो बहुत ज़्यादा घबरा गए क्योंकि यार वो राजा बना तो चलो ठीक है यार बहुत ही पूछते हैं कि ऐसा कोई उपाय बताए जिससे ये एक महान राजा ही बने सादू संत न बने और क्योंकि यार उस समय के सादू संत यार बहुत ही महान होते थे बहुत ही ज्यानी होते थे तो या सिधार्थ के पिता ये चीज करने के लिए मान जाते हैं और सिधार्थ गौतम को सारे सुख देते हैं यार कोई भी कस्ट नहीं होता है उसको कभी भी कस्ट नहीं होता है और इनके पिता ने ये भी एलान कर दिया था कि इसके पास कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जाएग उनके सामने यार कोई भी गिरुआ वस्त पेन के नहीं आता था जो पंडित का वस्तर होता है न यार जो कपरे होते हैं लाल पिले टाइप के वो पेन के उनके सामने कोई नहीं आता था उनको यार महल में सारे सुख दिये जाते थे और महल से कभी बाहर निकले नहीं दिया जा फिर यार सिद्धार्थ जो है 12 साल के हो गया, 12 साल के होने के बाद यार उनको स्कूल में भेद दिया गया पढ़ने के लिए, वहाँ पर इनको हिंदू एसक्रेड स्क्रिप्चस पढ़ने के लिए भेद दिया गया, मतलब कि यार जो हिंदू धर्म के सास्त्र होते हैं न, सास लेकिन या कहते हैं न किसी भी चीज से जितना तुम दूर जाना चाहते हो वो तुम्हारा उतना ही पीछा करती है तो वहीया सिधार्थ के साथ भी हुआ सिधार्थ को यार हमेसा ही सुख दिया गया और राजमहल में ही रखा गया लेकिन जब सिधार्थ गौतम 25 साल के हुए तो वो अपने सैनिक से पूछते हैं कि ये क्या है ये इंसान ऐसे क्यों लेटा हुआ है तो यार उनका सैनिक जो है बहुत ज़्यादा घबरा जाता है वो कहता है महराज मुझे छमा करे ये चीजे बताने की मुझे अनुमती नहीं है तो सिधारत गोतम कहते हैं कि मैं तुम्ह फिर या सिधार्थ का रत या थोड़ी दूर और आगे बढ़ता है तो उनको यार एक बुढ़ा व्यक्ती देखता है जो कि यार जुख कर चल रहा था तुमने देखा होगा यार बुढ़ा व्यक्ती न जुख के चलता है ऐसे उनके कंदे जुख जाते हैं तो वैसे भी बु� जो उनका पूरा मन ही बदल देता है उनकी पूरे विचार को बदल देता है यार उनको दिखता है कि चार लोग जो है एक इंसान को कंदे पर लेके जा रहे होते हैं तो वो अपने सैनिक से फिर पूछते हैं और इसको ऐसे क्यों ल महराज ये बुढ़ा वस्था की बाद के वस्था है तो सिधारत गौतम कहते हैं क्या मुझे भी मृत्यू आएगी तो उनका सैनिक्या जवाब देता है महराज मृत्यू सबको आती है सबको एक दिन मरना है फिर यार उनकी रथ थोड़ी दूर और आगे जाती है अपने जीवन के जितने भी कस्ट हैं उन सब से ये बहुत ज़्यादा परिशान हो गया और तब ही जाकर ये सादू बन गया है और ये सारी घटनाएं जो भी उन्होंने अभी देखी है यार ये सिधारत गौतम का विचार बदल देती है आखिरकार वो एक पीपल के पेर के नीचे आते हुआ बैठ जाते हैं और ठान लेते हैं कि मैं मेलिटेशन करूँगा, मैं ध्यान लगाऊँगा और तब तक ध्यान लगाऊँगा जब तक कि मुझे ये सारी ज्यान प्राप्ती नहीं हो जाती है। और साथ दिन बाद जब उनको ये ज्यान के प्राप्ती हो गई, तो वो जिस पेर के नीचे बैठे हुए थे, जिस पीपल के पेर के नीचे वो बैठे हुए थे, उसका नाम बदल कर वो बो ट और फिर वो ठान लेते हैं कि जो भी उनको ज्ञान के प्राप्ती हुई है उनकी शिक्षा वो सभी लोगों को देंगे अपने ज्ञान को सब के साथ बाटेंगे और सिखाएंगे और तब जाकर वो बुद्धा कहलाते हैं तो चलो जराब उनके परवचन को सुनते हैं आखिर कार किसा गौतमी को एक ऐसा सज्जन दिखता है जो कहता है कि मैं आपके बेटे के लिए कोई भी ऐसे मेडिसीन नहीं दे सकता, कोई भी ऐसी दवा नहीं दे सकता हूँ, लेकिन मैं एक ऐसे इंसान को जानता हूँ जो आपके बेटे को बचा लेगा, मैं एक ऐसे फिज और कहती है महराज मुझे ऐसी दवा दिजे जिससे मेरा बेटा जो है फिर से जीवित हो जाए गौतम बुद्ध यार मान जाते है और कहते है ठीक है मैं तुम्हारे बेटे को बचा लूँगा लेकिन तुम्हें मेरा एक काम करना होगा तुम्हें केवल उसी घर से लेके आना है एक मुठी सरसो का दाना जिसके घर में कोई न मरा हो न बेटा मरा हो, न पती मरा हो, न पिता मरा हो, न दोस्त मरा हो उसके घर में कोई भी मरा हुआ नहीं होना चाहिए और किसा गौतमी को कोई भी ऐसा घर नहीं मिला जिसमें एक भी इंसान न मरा हो धीरे यार अंधेरा हो जाता है किसा गौतमी यार ठक कर हार कर एक किनारे बैठ जाती है और रात में यार चमचमाती हुई लाइट को देखती देती है और आखिर कार वो टिम टिमाती लाइट बुच जाती है तो यार उसको समझ में आ गया था कि गौतम बुद्ध उसे क्या सिखाना चाह रहे हैं, क्या बताना चाह रहे हैं, तो अभी तक तो तुमने इस चेप्टर को यार एकदम कहानी के तौर पर सुना है, लेकिन अब मैं तुम्हें गौतम बुद्ध ने जो परवचन दिया है ना प्राणियों का प्रकृति है जैसे पके हुए फल को गिरने का खत्रा रहता है उसी परकार हर मनुष्य जो जनम लेता है उसको मरने का खत्रा सदा रहता है जैसे कुमार के बनाए हुए बरतन तूट कर समाप्त हो जाते हैं उसी परकार हर मनुष्य एवं संसार समाप्ती की ओर बुढा हो, मुर्ख हो, एवं ग्यानी हो, सब को एक नए एक दिन मरना है। एक पिता अपने पुत्र को नहीं बचा सकता, एक बंधू अपने संबंधियों को नहीं बचा सकता, क्योंकि मृत्य ही केवल इस संसार का सत्य है, बाकी सब महु माया है। इसलिए बुद्धिमान ब्यक्ती इस संसार के नियमों को जानते हैं, और वो कभी दुखी नहीं होते। ना रोने से और नहीं दुखी होने से किसी को मन की सांती मिलती है, इसके विपरीत उसका दुख और बढ़ता है। उसके सरीर को कस्ट मिलता है वह स्वेम रोगी होकर शिन्ने हो जाता है लेकिन उसका कस्ट कम नहीं होता वह जो सांती की खोज में है उसे सोक, शिकायत और दुख के तीर को निकाल देना चाहिए जो इस तीर को निकाल देता है उसे मन की शांती प्राप्त होती है वह जो अपने दुख पर पूरी तरह से काबू पा लेता है उसे दुख से मुक्ती मिल जाती है और आशीश की प्राप्ती होती है तो बच्चो कैसा लगा मेरा प्रवचन? अब जल्दी से लाल कलर के सस्क्राइब बटन को दबा कर घंटी बजा दो ताकि तुम्हें भी मन की शांती मिले और जैसे ही इस गुरू की कोई वीडियो पोस्ट हो तुरंत ही तुम्हारे पास आ जाए हैं फ्री का यार कर लो