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Nirvana Shatakam

नमामीशमीशाननिर्वाणनु विभुम्व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजन्निर्गुणं दिर्विकल्पं निरीहं। शिराकाश्यमाकाश्यवासंभजेयम् निराकारमोंकारमूलंतुरीयम् गिराज्यानगोतीतमीषंगिरीषं। करालं महाकाल कालं पुपालं नागार संसार पारं नतुबुह। उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। अनूभूत्व कोटी प्रभाष्री शरीरं। स्थुरंगोलि कल्लोलि नीचालु गंगा। लसत्भालबालें दुकन्के भुजंगाँ चलत्कुन्दलं ब्रूसुनेत्रं विशालं प्रियंशन्करं सर्वनाथं भजामे। प्रचंडंगं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडंगं अजंभानु कोटी प्रकाशं प्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगं कलातेत कल्यान कल्पान्तकारी सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभोमन्मथारे नयावतुमानाथपादारविन्दम् भजन्तिहलोकेपरेवानराणा अवर्थ सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद ब्रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं नेवकूजां नतोहं सदासर्वदाशं वतूभ्यं जराजन्मदूखवगतातप्यमानः प्रभोपाहियापन्नवामेशशंभोः इशमीशाननिर्वाणरूप। विभुम्व्यापकं ब्रह्मवेदर्स्वरूपं विजंगेर्गुणं दिर्विकल्पं निरीहं शिदाकाश्यमाकाश्यवासं धजेहं निराकारमोंकारमूलंतुरीयं गिराज्यानगोतीतमीषंगिरीषं करालंमहाकालकालंकुपालूनागारसंसारपारंनतो उशारात्रि संकाश गवरंग धीरं। अनोभूत्व कोटी प्रभाष्री शरीरं। स्थुरं मोलि कल्लोलि नीचारु बंगा। लसत्भालवालें दुकन्खे भुजंगाँ चलत्कुन्ददं दूसुनेत्रं विषालं। प्रियंशन्करं सर्वनाथं भजाने। प्रचन्डं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडं अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगं पलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभोमन्मथारे नयावत्कुमानाथपादारविन्दं अजन्ति हलोके परेवानराणान् नतावत सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद ब्रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं मेवकूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूध्यं जराजन्मदूखवगतातप्यमानं प्रभोपाहियापन्नवामीशशंदो। मामीशमीशाननिर्वाणरूपं। विभुम्यापकंब्रंःवेदस्वरूपं। जम्मेर् गुणम्मेर् विकल्पं निरीहं। शिराकाशमाकाशवासंधजेहं। निराकारमोंकारमूलंतुरीयं गिराज्यानदोतीतमीषंगिरीषं करालंमहाकालकालंकृपालंगुनागारसंसारपारंनतो तुषारात्रिसंकाश्वगव्रंगभीरं। मनुभूत्कोटीप्रभाश्रीशरीरं। स्पुरंगोलिकलोलिनीचालुगंगा लसत्भालवालेंदुकंठेबुजंगा चलत्कुन्दलं रूसुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नेलकंठं दयालं। उगाधीष चर्मांबरं उन्दमालं। प्रियंशन्करं सर्वनाथं भजामें प्रचंडं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं खंडं अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगं। आतीत कल्याण कल्पान्तः अरीः सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभोमन्मथारे नयावतुमानाथपादारविन्दं भजन्तीहलोकेपर प्रेवानरावणाम् तावत सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं नईवकूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूभ्यं जराजन् अदूखव् घतातप्यमानं प्रभोपाहियापन्नामीशशंभो। मामीशवीषाननिर्वाणरूपं। विभुम्यापकंग्रम्हवेदस्वरूपं। जम्नेर् गुणम्नेर् विकल्पनिरिहं। चिदाकाशमाकाशवासंधजेहं। निराकारमोंकारमूलंतुरीयं गिराज्यानगोतीतमीषंगिरीषं करालंमहाकालकालंकृपालुनागारसंसारपारंनतो उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। नू भूत्र कोटी प्रभाष्री शरीरं। सुरंगोलि कल्लोलि वीचालु गंगा। लसत्भान बालेंदु कन्ते भुजंगाँ चलत्कुन्दलं द्रूसुनेत्रं विशालं प्रियंशंकरं सर्वनाथं भजामे। प्रचंडंगं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडंगं अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेहं भवानीपतिम्भावगं। नातेत कल्यान कल्पान्तकारी सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभूमन्मथा नयावतुमानाथपादांदं भजन्तीहलोकेपरेवानराणांद। तावत सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद ब्रभो सर्वभूताधिवासं। नजानामि योगं जपं नेवकूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूप्यं जराजन्मदूखवगतातप्यमानं प्रभोपाहियापन् विभुम्व्यापकं ब्रह्मवेदर्स्वरूपं जंगेर् गुणम् देर् विकल्पं निरेहं। शिराकाश्यमाकाश्यवासं धजेहं। निराकारमं। प्रखार मूलं तुरीयं किराज्यान गोतीत मीशं गिरीशं करालं महाकाल कालं कुपालु नागार संसार पारं नतो उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। नू भूत्र कोटी प्रभाष्री शरीरं। सुरन्मोलि कल्लोलि नीचालु गंगा। यसत्धान बालेंदु कन्ठे भुजंगाँ चलत्कुन्ददं भूसुनेत्रं विषालं प्रियंशन्करं सर्वनाथं भजामे। प्रचन्डं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडं अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगं अतीत कल्यान कल्पातकारी। सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीदः प्रसीदः प्रभूमन्मथारी नयावतु वानाथपादारविन्दं भजन्ती हलोके परेवानराणाँ तावतु सुखंशान्तिसंतापनाशं। प्रसीद ब्रभु सर्वभूता धिवासं न जानामि योगं जपं नेव कूजां न तोहं सदासर्वदाशं भुतूभ्यं जराजन्मदूखवगतातप्यमानः प्रभोपायापन्नवामेशशंभो इशमिशाननिर्वाणरुम। विभुम्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिराकाशमाकाशवासं भजेहं। निराकार मोंकार मूलं तुरीयं गिराज्यान गोतीत मीषं गिरीषं करालं महाकाल कालं कुपालं नागार संसार पारं नतोप उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। अनोभूतु कोटी प्रभाष्री शरीरं। स्पुरन्मोलि कल्लोलि नीचारु गंगा। लसत्भालवालें दुकंते भुजंगा। चलत्कुन्दलं रूसुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नेलकंठं दयालं। उगाधीष चर्मांबरं उन्दमालं। प्रियंशंकरं सर्वनाथं भजामे प्रचंडं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं। अखंडंब अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिम् भल्याद्रियों प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिम् जेहं भवानी पतिम्भावगं कलातीत कल्यान कल्पान्तकारी सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभोमन्मथारी नयावतु मानाथपादारबिन्दं भजन्ति हलोकेपरेवानराणाँ नतावतु सुखंशान्तिसंतापनाशं। प्रसीद ब्रभो सर्वभूता धिवासं न जानामे योगं जपंवेव कूजां न तोहं सदासर्वदाशं भुतूभ्यं जराजन्मदूखवगतातप्यमानाँ प्रभोपाहियापन्नमामीशशंभोँ नीशमीशाननिर्वाणनु। विभुम्व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरोपं निजंगिर्गुणं दिर्विकल्पं निरीहं चिराकाश्यमाकाश्यवासंधजेहं निराकारमोंकारमूलंतुरीयं गिराज्यानगोतीतमीषंगिरीषं करालंमहाकालकालंकृपालुनागारसंसारपारंनतो उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं नोभूत्व कोटी प्रभाष्री शरीरं स्पुरन्मोलि कल्लोलि वीचालु गंगा लसत्भान बालेंदु कंठे भुजंगाँ। चलत्कुंदलं भूसुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नेलकंठं दयालं। गाधेश चर्मां बरंबुन्दमालं प्रियंशंकरं सर्वनाथं भजामें प्रचन्दं प्रकुष्ण। प्रगल्भं परेशं अखंडं अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगंण। तातेत कल्यान कल्पान्तकारी सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभूमन्मथारे नयावतुमानाथपादारविन्दं भजन्तीहलोकेपरेवानराणा तावर्थ सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं नईव पूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूभ्यं जराजन् अदूखव् गतातप्यमानं प्रभोपाहियापन् अवामिशशंभू इशमीशान निर्वाण विभुम्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। जम्मेर्गुणम्मेर्विकल्पंनिरीहं। चिदाकाशमाकाशवासंधजेहं। निराकारमोमकारमूलंतुरीहं। गिराज्यान गोतीत मीशं गिरीशं करालं महाकाल कालं कुपालू गुनागार संसार पारं नतोः उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। उभूत्कोटी प्रभाष्री शरीरं। सुरंगोलि कलोलि नीचालु बंगा। लसत्भान बालेंदु कंठे भुजंगाँ चलत्कुन्दलं द्रूसुनेत्रं विषालं पसन्नाननम् मेलकंथं दयालं रुगाधीष चर्मां बरंबुन्द। प्रचंडं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं। अखंडंब अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनम्शूलपाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगंद। अतेत कल्यान कल्पान्तकारी सदासर्चनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभोमन्मथारे नयावतुमानाथपादारविन्दं अजन्ति हलोके परेवानराणाँ तावत सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद रभो सर्वभूताधिवासं अजानामि योगं जपं नईव पूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूप्यं जराजन्मदूखवगतातप्यमानं प्रभोपाहियापन् अमीश शम्भो नीशनीशान निर्वाण रूप विभुम्व्यापकं प्रम्हवेदस्वरूपं जम्मेर् गुणम्मेर् विकल्पं निरीहं। शिदाकाश्यमाकाश्यवासं धजेहं। निराकार मोमकार मूलं तुरीयं गिराज्यान गोतीत मीशं गिरीशं करालं महाकाल कालं कुपालं नागार संसार पारं नतो शारात्रि संकाश गवरंग भीरं। नोभूत्व कोटी प्रभाष्री शरीरं। सुरन्मोलि कल्लोलि नीचालु गंगा। यसद्धान बालें दुकण्के भुजंगा चलत्कुंदलं ब्रूसुनेत्रं विषालं। प्रसन्नाननं मेलकन्थं दयालं। गाधीष चर्मांबरं उन्दमालं। प्रियंशन्करं सर्वनाथं भजामे प्रचन्दं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडंब अजंभानु कोटी प्रकाशं। त्रयशूल निर्मूलनं शूलपाणिं। भजेहं भवानीपतिं भावगं। कलादेत कल्यान कल्पान्तारी सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभूमन्मथारे नयावतुमानाथपादारविन्दं भजन्तिहलोकेपरेवानराणा धावत सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद ब्रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं अईवकूजां नतोहं सदासर्वदाशं भूतूप्यं जराजन् अदूखव् घतातप्यमानं प्रभोपाहियापन् अमामिशशंभू इशमीशान निर्वाणर। विभुव्यापकं प्रम्मवेदस्वरूपं। निजम्नेर्गुणम्नेर्विकल्पनिरीहं। शिराकाश्यमाकाश्यवासंभजेहं। निराकारमों। प्रवाद्यों कार मूलं तुरीयं गिराज्यान गोतीत मीशं गिरीशं करालं महाकाल कालं कुपालं गुनागार संसार पारं नतोः उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। अनोभूत्वगोटी प्रभाष्री शरीरं। पुरंगोलिकलोलि वीचारु गंगा, लसद्धानवालेंदु कंते भुजंगा। चलत्कुन्दलं रूसुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नेलकंठं दयालं। रुगाधीष चर्मांबरं उन्दमालं। प्रियंशंकरं सर्वनाथं भजामे प्रचंडं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं। अखंडंब अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनम्शूलपाणिम् भजेहं भवानीपतिम्भावगंद। अतेत कल्यान कल्पान्तकारी सदासर्चनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभोमन्मथारे नयावतुमादाथपादादंगम् अजन्ति हलोके परेवानराणान नतावत सुखंशान्ति संतापनाशं प्रसीद ब्रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं नईव कूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूभ्यं जराजन्मदूखवगतातप्यमानं प्रभोपाहियापन् अमीश शम्भो इशमीशान निर्वाणरू विभूम्व्यापकं ग्रंः वेदस्वरूपं। जम्मेर् गुणम् विर्विकल्पं निरीयं। चिदाकाश्यमाकाश्यवासं भजेयं। निराकार्मोंकार्मूलंतुरीयं। गिराज्यान दोतीत मीशं गिरीशं करालं महाकाल कालं कुपालु नागाल संसार पारं नतोवं उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। नोभूत कोटी प्रभाष्री शरीरं। स्थुरं मोलि कल्लोलि नीचालु गंगा। लसत्भानवालें दुकन्ठे भुजंगाँ चलत्कुन्दलं भूसुनेत्रं विशालं। प्रियंशंकरं सर्वनाथं भजामे। प्रचंडंब् प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडंब् अजंभानु कोटी प्रकाशं प्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगं आतीत कल्याण कल्पान्तः अरीः सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभोहन्मथारे नयावतुमादाथपादारविन्दं जन्ती हलोके परेवानराणाँ तावत सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं नईवकूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूप्यं जराजन्मदूखवगतातप्यमानं प्रभोपाहियापन्नवामिशशंभू इशमीशान निर्वानरूप। वे भुम्यापकं प्रम्हवेदस्वरूप। जम्नेर् गुणम्नेर् विकल्पनिरिहं। चिदाकाशमाकाशवासंभजेहं। निराकारमोंकारमूलंतुरीयं गिराज्यानगोतीतं। विशं गिरीशं करालं महाकाल कालं कुपालु गुणागार संसार पारं नतोः उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। अनोभूत्व कोटी प्रभाश्री शरीरं। सुरन्मोलि कल्लोलि नीचालु गंगा। लसत्भालवालें दुकन्के भुजंगाः तत्कुन्दलं ग्रूसुनेत्रं विशालं। प्रियंशन्करं सर्वनाथं भजामे। प्रचंडंगं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडंगं अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगं। तातेत कल्यान कल्पान्तकारी सदासर्चनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभोहन् मथारे नयावतु मानाथ पादारंगं भजन्ती हलोके परेवानराणा आवर्थ सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद ब्रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं नईवकूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूप्यं जराजन्नदूखवगतातप्यमानाँ प्रभोपाहियापन्नमामिशशंभो इशमीशान निर्वाण विभुम्व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। जम्नेर् गुणम्नेर् विकल्पं निरीहं। शिराकाश्यमाकाश्यवासंभजे। निराकार मोंकार मूलं तुरीयं गिराज्यान गोतीत मीशं गिरीशं करालं महाकाल कालं कुपालुं गुनागार संसार पारं नतोहं उशारात्रि संकाश गवरंग भीरं। अनोभूत्र कोटी प्रभाष्री शरीरं। स्थुरं मोलि कल्लोलि नीचालु गंगा। लसत्भानवालें दुकन्ते भुजंगाँ चलत्कुन्ददं दूसुनेत्रं विषालं प्रियंशन्करं सर्वनाथं भजामे। प्रचंडंगं प्रकुष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडंगं अजंभानु कोटी प्रकाशं त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगं तातेत कल्यान कल्पान्तकारी सदासर्जनानन्ददातापुरारी शिदानन्दसंदोहमोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभोमन्मथारे नयावर्पुमानाथपादारविन्दं अजन्ति हलोके परेवानराणाँ तावत सुखं शान्ति संतापनाशं प्रसीद ब्रभो सर्वभूताधिवासं नजानामि योगं जपं नईवकूजां नतोहं सदासर्वदाशं भुतूप्यं जराजन्नदूखवगतातप्यमानां प्रभोपायापन्नमामेशशम्भो