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भारत में नेशनलिज्म का ऐतिहासिक विकास
Aug 14, 2024
क्लास 10th हिस्ट्री - नेशनलिज्म इन इंडिया
अध्याय का परिचय
लेखक:
मोहम्मद आश्रम
मुख्य विषय:
नेशनलिज्म इन इंडिया (NCERT पाठ्यक्रम का अध्याय 2)
संरचना:
चार भागों में विभाजित
पिछले अध्याय का संदर्भ
नेशनलिज्म इन यूरोप:
मिड 18वीं सदी में यूरोप में कोई नेशन स्टेट नहीं था।
लोग एक दूसरे को बिरादरी के रूप में पहचानते थे।
1830 से 1848 के बीच कई क्रांतियों ने नेशन स्टेट के गठन में सहायता की।
जर्मनी और इटली का एकीकरण महत्वपूर्ण था।
भारत में नेशनलिज्म का उदय
ब्रिटिशों का भारत में आगमन:
ब्रिटिशों ने भारत पर कब्जा किया, जिससे कॉलोनिय ल पीरियड शुरू हुआ।
कॉलोनियलिज्म और इंपीरियलिज्म के बीच का अंतर समझें।
भारतीयों को एकजुट होने की आवश्यकता महसूस हुई।
एंटी कॉलोनियलिज्म:
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की शुरुआत।
महात्मा गांधी का आगमन - दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद।
नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट और सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट पर चर्चा।
विश्व युद्ध के प्रभाव
विश्व युद्ध 1 (1914-1918):
राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन।
सरकारी व्यय में वृद्धि और टैक्स में वृद्धि।
खाद्य कमी और महंगाई।
महात्मा गांधी का सत्याग्रह
सत्याग्रह की अवधारणा:
सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित।
महात्मा गांधी द्वारा चंपारण, खेड़ा और अहमदाबाद में सत्याग्रह।
खिलाफत आंदोलन
खिलाफत आंदोलन:
हिंदू-मुस्लिम एकता की आवश्यकता।
गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन के आधार पर नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट की शुरुआत की।
नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट
संरचना:
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ।
मिडिल क्लास, छात्र, और औद्योगिक श्रमिकों की भागीदारी।
सामाजिक प्रभाव:
विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा।
सिविल डिसऑबेडियंस मूवमेंट
साल्ट मार्च:
नमक कानून का उल्लंघन।
गांधीजी का दांडी यात्रा।
सामाजिक भागीदारी:
महिलाओं का सक्रिय योगदान।
परिणाम और चुनौतियाँ
विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रियाएँ:
अमीर और गरीब किसानों के बीच मतभेद।
अनटचेबल्स और मुस्लिम राजनीतिक संगठनों का असंतोष।
सामाजिक एकता की भावना:
विविध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अनुभवों से एकता।
भारत माता की छवि का उदय।
निष्कर्ष
नेशनलिज्म का विकास एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारक शामिल हैं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न वर्गों की भागीदारी और उनके संघर्ष की आवश्यकता।
प्रस्तावना:
आगे के अध्याय में आगे बढ़ने की दिशा में।
सख्त मेहनत करते रहें।
समापन:
जय हिंद, जय भारत!
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