बिहार की विशेष राज्य का दर्जा
परिचय
- बिहार की धरोहर:
- मदुबनी पेंटिंग, लिट्टी चोखे की खुशबू, भोजपूरी गीत।
- वर्तमान स्थिति:
- गरीबी, उच्च जनसंख्या घनत्व, कम साक्षरता, प्राकृतिक आपदाएँ।
विकास की चुनौतियाँ
- बिहार का विकास सभी आयामों पर पिछड़ रहा है।
- विधायिका और मुख्यमंत्री विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।
विशेष राज्य का दर्जा
- विशेष राज्य का दर्जा क्या है?
- केंद्र सरकार द्वारा किसी राज्य को दिया जाने वाला विशेष अधिकार।
- आर्थिक सहायता और विकास में बढ़ावा देने के लिए।
विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने के मापदंड
- 1979 में महावीर त्यागी की अध्यक्षता में पांचवीं वित्त आयोग की सिफारिश।
- पिछड़े राज्यों का विकास दर के आधार पर विशेष श्रेणी का दर्जा दिया जाता है।
- मापदंड:
- भौगोलिक कठिनाइयाँ, जनसंख्या घनत्व, आर्थिक पिछड़ापन।
विशेष राज्य का दर्जा मिलने के लाभ
- केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 90% धनराशि का भरण।
- धनराशि खर्च नहीं करने पर शेष धन अगले वर्ष में प्रेषित।
- करों में छूट:
- उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, आयकर, कारपोरेट कर में रियायत।
बिहार की वर्तमान स्थिति
- बुनियादी ढांचे की कमी।
- सिंचाई सुविधाओं और जलापूर्ति की कमी।
- गरीबी की स्थिति:
- वार्षिक आय 6000 रुपए से कम।
- विशेष श्रेणी का दर्जा मिलने से 2.5 लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता।
निष्कर्ष
- बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा महत्वपूर्ण है।
- सभी से सुझाव और विचारों की मांग।
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👉 यह नोट्स बिहार के विशेष राज्य का दर्जा पर आधारित हैं और इसकी आवश्यकता एवं लाभों को समझाते हैं।
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