हे एवरीबडी मैं हूँ प्रिया और आज की इस वीडियो में हम Old Laws और New Laws का अच्छा खासा कमपारिशन करने वाले हैं ये समझेंगे कि इन New Laws में क्या सच में कोई Major Improvements, Additions या बदलाव आए हैं और इस एक Classic Case of Old Wine in a New Bottle दिखें New Laws की आने से The Entire Legal Landscape is About to Change और इस वीडियो को बनाने की पीछे मेरा पूरा Intention है आपको New Laws मास्टर करने की और करीब लेके आना और हाँ, Full Disclaimer that this video is going to be a challenge for you क्यों? क्योंकि ये किसी controversial, political या current of life का video नहीं है it's purely an academic video so you have to push yourself you have to do the hard work and I am going to help you and I promise you कि इस video के end होने तक you will feel much more confident about these laws तो चलिए इस video को start करते हैं और एक एक करके इन सारे topics को समझते हैं तो सबसे simple history समझते हैं तो पूरे criminal laws की journey start होती है Indian Penal Code के साथ जिसे draft किया था Thomas Bavinger मकॉले ने तो क्यों ना हम इस पूरी timeline को मकॉले centric कर दे मतलब before मकॉले मकॉले की आने से पहले चीजे कैसे थी इसे समझ लेते हैं तो मकॉले की आने के बाद चीजे कैसे थी इसे भी समझ लेते हैं तो before मकॉले मतलब Indian Penal Code, Criminal Procedure Code, Indian Evidence Act जिसे criminal laws आने से पहले इंडिया में हर religion के लोग अपने अपने laws फॉलो किया करते थे फिर आखे बृतिशेस को ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि इस system को हटा के वो एक common set of criminal laws लाने का सोच रहे थे चार मेन रीजन, पहला, इनकंसिस्टेंसी, ये जो लॉस थे ये बिलकुल भी युनिफॉर्म नहीं थे, तो काफी इनकंसिस्टेंट थे, दूसरा, नॉन कोडिफाइड, ये जो लॉस थे ये कहीं भी लिखे वे नहीं थे, तो काफी कंफ्यूजन क्रियेट करते थे, और तीस चलिए अब आपको एक चीज बताते हूँ कि इंडिया में दो तरीके के laws होते हैं substantive laws और procedural laws तो substantive laws मतलब किसी भी crime की definition क्या होगी उसकी punishment क्या होगी ये सारी चीजें बताते हैं वही procedural laws क्या करते हैं कि एक बार अगर crime हो गया तो उसके बाद आप FIR कैसे लिखा होगे court को कैसे approach करोगे court की क्या procedures होगी ये सारी चीजें बताते हैं simple न ठीक है तो video end होते तक बताना कि हमारे जो तीन criminal laws है उन में से substantive कौन से है procedural कौन से और हमारा constitution क्या है ठीक है तो यह अब जानते हैं कि मकॉले थे कौन और उन्होंने हमारे लॉज बनाए कैसे तो थॉमर्स बैबिंटन मकॉले एक बृतिश हिस्टोरियन थे और पॉलिटीशन थे जो बृतिश इंडिया में वेस्टरन एजुकेशन और लीगल रिफॉर्म्स लाने के लिए जाने तो 1834 में मकॉले और इनकी टीम ने IPC का first draft बनाया, जो कि simple codification था England की loss का, और इसमें कुछ चीज़ें यहां से भी borrow की गई थी, फिर IPC की draft को ready करके Governor General Council के सामने present किया गया, पर continuous amendment के चलते यह almost 20 साल बाद, 1856 में Legislative Council के सामने present हुआ, पर अब यहां होता है revolt of 1857, जब इंडिया का administration East India Company से हट कर, direct queen की control में चला गया और इसलिए IPC को enact होने में और time लगा और finally 1860 में ये enact और 1862 में ये enforce किया गया और ऐसे IPC बन गया इंडिया का official substantial criminal code अब substantive law लाने की बाद need feel हुई एक procedural law लाने की इसका major objective पता है क्या है Britishers के against हो रहे सभी बटे protest और opposition को suppress करना और बृतिशियों के फेवर में उनके एडवांटेज भी कुछ प्रोसीजर देना जैसे अरेस्ट वगर के तो चलिए क्रिमिनल प्रोसीजर कोड लाने की क्या टाइमलाइन थी इसे समझते हैं अब सबस्टांचल कोड लाने के बाद नीड कील हुई प्रोसीजर लॉ लाने तो आई पी सी की इनाक्मेंट के बाद 1861 में आया पहला क्रिमिनल प्रोसीजर कोड पर 1872, 82, 98 में ये भी कंटिनियस्ली अमेंड होता रहा याद रखना कि इसी duration में, मतलब 1872 में, Evidence Act को भी लाया गया, जिसे हम आगे discuss करेंगे. फिर, post-independence, Britishers द्वारा बनाई गई CRPC को हटा कर, Parliament ने एक नया CRPC draft किया in 1970, जो कि दो साल बाद lapse भी हो गई, जब Parliament dissolve हुई थी.
लेकिन उसी साल वापस से इसे reintroduce करके, हमारे official procedure criminal code को ला दिया गया in 1973. Hence, CRPC आया. in 1973 तो देखो, मकॉले ने IPC और CRPC पर काम करती हमें ये दोनों लॉस तो दे दे थे पर, evidence का क्या? एक evidentiary law की भी ज़रूरत थी तो यहाँ आता है Sir James Fitzjames Stephen Caroll, जो एक जाने माने British lawyer और judge थे, और judge होने के कारण, evidentiary और procedural law में इनकी strong expertise थी, unlike Macaulay, जिनके पास सिर्फ substantial law की knowledge थी, तो Stephen ने अपने काफी अच्छी insights दे, और 1872 में लाया गया Indian Evidence Act, जिसने हमें दे rules of evidence, अब इस पूरी timeline की 4 ऐसे major takeaways, जो हर law student को पता होने चाहिए, पहला, 1860 से लेकर 1872 इस timeline में तीनो criminal law codes को लाया गया फिर 1947 जो है Indian Independence का साल जब IPC और Evidence Act को continue किया गया और नए CRPC को लाया गया in 1973 due to modernization और societal changes को cater करने के लिए फिर 1955 से लेकर 2018 तक कई सारे major criminal law reforms लाये गये और फिर 2023 में ये सारे overhaul किये गये और इनकी जगह ले ली BNS, BNSS और BSNN अब मैं आपसे एक important question पूछती हूँ जो कभी ना कभी आपने भी सोचा होगा कि अगर किसी भी law में changes लाने होते तो वो कैसे किये जाते हैं तो इंडिया में अकसर किसी भी law में changes के suggestion law commission of India से आते हैं जो अपने recommendations और suggestions एक report के थूँ present करते हैं ये जो reports होते हैं ये senior legal professions हो जैसे retired judges हो गए senior academicians, professors, lawyers ये बनाते हैं चलिए लॉ कमिशन के कुछ important reports पर नज़र डालते हैं तो अपनी 262nd report लॉ कमिशन ने death penalty को abolish करने की बात की और ये कहा कि death penalty सिर्फ वसर terrorism related offenses में दी जानी चाहिए लॉ कमिशन ने simultaneous election, uniform, civil court पर भी अपनी report present की है इनकी 87th report जो है वो prisoner identification act की बात करती है जिसके basis पर criminal identification act लाया गया और इनकी 22nd report लोगों को हटाने की बात करती है इस पर सरकार ने इन नए लॉस्ट को ड्राफ्ट करने की जिम्मेदारी दी नाशनल लॉय उनिवर्सिटी दिल्ली को जिनकी देन वाइस चांसलर एस के डिफरेंट इसका नाम था कमिटी फॉर रिफॉर्म्स ऑन क्रिमिडल लॉस पर पास होने से पहले इसे विड्रॉप कर लिया गया इन्हें कुछ चेंजेस की गए और इने फिर से table किया गया and finally 1st July 2024 को ये new laws enforce हो गये इन नए laws को अगर आप नए तरीके से पढ़ना, समझना और अपनी understanding improve करना चाहते हैं तो do check out my new course on 3 new criminal laws जिसमें हमने इसी तरीके से पुराने laws और नए laws को साथ में comparative तरीके से आपको समझाया है कौन से major provisions में changes हुए हैं कौन से new provisions add हुए हैं कौन से हटाए गए हैं इतने सारे sections में इन में आप आपको ज्यादा धान देना है यह सब कुछ अच्छे समझाया गया अलांग विद इंपोर्टेंट लॉस तक यह सारी चीजें आपको अच्छे समझना है तो न्यू प्रिमिल लॉस को अगर आप अच्छी तरीके से समझना चाहते हैं इंट्रेस्टिंग तरीके से तो डू तो IPC के अंदर Offenses Against Women and Children के नाम का कोई separate dedicated chapter नहीं था। मतलब IPC के अंदर Offenses Against Women अलग-अलग chapters में scattered थे। कहीं पे Assault Attack की बात की गई है, कहीं Miscarriage की, कहीं Rape की। दूसरा, IPC में सिर्फ Males को ही as Perpetrators देखा गया है। इन ही problems को deal करने के लिए एक specific dedicated chapter बनाया गया है for Offenses Against Women and Children। और DNS के section 2 के अंदर इन ही gender neutral भी बनाया गया है with respect. to victim and offender दूसरा stricter timelines तो ये change बहुत important है आपको पता है CRPC की इतने सारे procedures में कहीं पर भी एक specified timeline नहीं थी जिस कारण कई बार justice मिलने में delay हो जाता था बहुत सारे trials बहुत लंबे चलते थे और इसलिए BNSS ने stricter timelines introduce किये 45 sections में speedy justice के लिए जो पहले CRPC में नहीं थे जैसे so BNSS के आने से सबसे अच्छी चीज जो introduce की गई है वो है timelines इन timeline की आने से क्रिमिनल प्रोसीजर में जो पहले डिले देखी जाती थी वो अब नहीं होगी। फ़र एक्जांपल, जैसे अब से आर्ग्यूमेंट सुनने के बाद जज्जमेंट मैक्स टो मैक्स 45 देश के अंदर पास हो जाना चाहिए। बेरी नाइस इनिशियेटिव, माजिस्ट्रेट ट्रायल शुरू करता है तो फर्स्ट हिरिंग के 60 देश के अंदर अंदर चार्जेस फ्रेम हो जाने चाहिए। 7 days की अंदर अंदर investigating officer को देनी ही होगी without any delay तो ऐसे ही बहुत सारी और important time rate introduced की गई है जिससे की victim को speedy justice मिलेगा तीसरा community service as a new form of punishment तो BNS के अंदर petty offenses के लिए एक new type की punishment introduced की गई है जिसका नाम है community service जिसे काफी appreciate किया जा रहा है under trial prisoners की संक्या काफी जादा है convicted से जिस कारण prison congestion एक काफी serious issue है तो इसके अंदर जो offenders होंगे उन्हें jail नहीं भीजा जाएगा बलकि उनसे unpaid social work कराए जाएगा इससे prison congestion की problem तो solve हो रही है साथ में जो first time offenders है उन्हें fresh chance मिलता है reformation का चौथा infusion of technology तो नए laws को लाने के पीछे हमारा main motive क्या था to defeat colonial mindset प्लस हमने modernization की तरफ एक अच्छा step लिया है for example BNSS और BSA में टेक्नोलॉजी को बहुत अच्छी तरीके से infuse किया गया for example EFIR और इन बाकी concepts को अब expressly mentioned किया गया है digital evidence को impliedly documentary evidence consider किया जाएगा हाँ ये बात अलग है कि इसकी criticism में ये कहा जा रहा है कि इन सारे चीज़ों को enforce करने के लिए इंडिया के पास infrastructure की कमी है इसकी बाद next point है victim centric approach तो victims को ध्यान में रखते हुए major changes की गया है for example now the victim has the right to be informed within 90 days about the प्रोग्रेस अब इन्वेस्टिगेशन विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम जैसे नए कंसेप्ट भी इंटरड्यूस किए गए तो जो नेक्स्ट पॉइंट है कि थोड़ा डिवेटिवल है यह है पुलिस कस्टेडी और पावर टू पुलिस ऑफिसर्स की पर अगर इस 24 घंटे के अंदर investigation नहीं हुई तो, तो आ जाते हैं अगले step में, कि once presented before a magistrate, अब magistrate लेगा remand, पहले CRPC में क्या होता था, कि 15 days की police custody remand लेने की तुरंद बात दी जाती थी, और इसके बाद फिर judicial custody दिया जाता था, अगर investigation 15 दिनों के अंदर खतम नहीं होती थी बी एनेसेस ने क्या किया है कि अभी जो 15 देश की पुलिस कस्टेडी है ये पुलिस 60 देश जुडीशल कस्टेडी के केस में इनिशल 40 देश में कभी भी ले सकती है और 90 देश जुडीशल कस्टेडी के केस में इनिशल 60 देश में कभी भी ले सकती है तो दिक्कत ये हो गई है कि अब अक्यूसों शायद समझ में ना आएं कि आंटिसिपेटरी बेल कभ लेनी है किकी पुलिस कस्टेडी अब इस बीच कभी भी ली जा सकती है यहाँ पे इसलि� पुलिस की जो powers है वो बढ़ गई है और पुलिस atrocities होने की chances भी बढ़ गए हैं अब अगर हम application की बात करें कि मानों की कोई case बहुत पुराना है पर अभी भी चला आ रहा है तो उसमें पुराने laws लगेंगी की नए laws तो अगर हम substantial law की बात करें तो अगर कोई case एक जुलाई के पहले का है तो उसमें BNS apply नहीं होगा उसमें ITC ही लागू होगा पर अगर हम procedural law की बात करें तो भले ही वो case एक जुलाई के पहले का हो या अभी का हो या आगे का हो उसमें BNS is और BSA ही apply होंगे दोस्तों I am so proud of you कि आपने पूरा वीडियो complete कि आप end तक डटे रहे और आपकी इसी hard work के कारण आज हमने पुराने loss की history उन्हें लाने का objective substantive law और procedural law का difference law commission कैसे काम करती है इन नए loss को कैसे लाया गया था इनकी क्या major difference है ये सारी चीजें अच्छे सीखे अब इस वीडियो के मैं multiple parts बनाने अच्छे से कंजीम करें थोड़ा टाइम लेकर आनलाइज करें समझे डिस्कस करें तब तक नेक्स्ट वीडियो रेडी हो जाएगा तो अगर आपको आज के वीडियो पसंद आया और आप नए क्रिमिनल लॉस सीट में इंटरेस्ट हैं तो डू चेक आउट मैं कोर्स ऑन थ्र आपको कुछ नया सीखने को मिला हो that's it for now, see you in the next class, bye bye