भारत में बेरोजगारी का एक बड़ा कारण: 80% से अधिक लोग सरकारी नौकरी की तैयारी के कारण बेरोजगार हैं।
IAS Officers का नौकरी छोड़ना: कई IAS ऑफिसर्स त्यागपत्र दे रहे हैं, क्योंकि उनके लिए नौकरी में अपेक्षित खुशियां नहीं मिल पा रही हैं।
सरकारी नौकरी की वास्तविकता:
सरकारी नौकरी में 90,000 रुपये की सैलरी पर्याप्त नहीं होती है।
24 घंटे की ड्यूटी, वीकेंड्स पर काम, और कम वेतन की शिकायतें आम हैं।
करप्शन का मुद्दा
समाज का करप्शन: पूरे समाज में करप्शन व्याप्त है, और यह सिर्फ ऑफिसर्स तक सीमित नहीं है।
ब्यूरोक्रेसी का कॉलोनियल हैंगओवर: भारतीय ब्यूरोक्रेसी का ढांचा ब्रिटिश समय से चला आ रहा है, जिसमें सम ुचित सुधार नहीं हुए हैं।
कोचिंग माफिया
कोचिंग सेंटर्स का प्रभाव: कोचिंग सेंटर्स ने तैयारी को अत्यधिक ग्लैमराइज़्ड कर दिया है और छात्रों को 10वीं कक्षा के बाद से ही ट्रैप करना शुरू कर देते हैं।
कोचिंग माफिया का कामकाज: कोचिंग सेंटर्स का माफिया टॉपर्स के नामों का दुरुपयोग करते हैं और झूठे दावे करते हैं।
सिविल सर्विसेज की वास्तविकता
काम का भेदभाव: सिविल सर्विसेज में काम का बोझ और तनाव बहुत अधिक होता है, और प्रमोशन बिना परफॉर्मेंस के भी हो सकता है।
नॉन-इंग्लिश स्पीकर्स की दिक्कतें: सिविल सर्विसेज के एग्जाम में नॉन-इंग्लिश स्पीकर्स के तकलीफें बढ़ जाती हैं क्योंकि उनमें इंग्लिश का प्रधानता है।
रिलेशनशिप्स और परीक्षा तैयारी
उपदेश: परीक्षा की तैयारी के दौरान रिलेशनशिप्स से बचना चाहिए, क्योंकि यह एक तपस्या की तरह होता है, जहाँ पूर्ण समर्पण आवश्यक है।
FAQs (FAQs)
सरकारी नौकरी वाली मिथक और सत्य:
सरकारी नौकरी में आराम और स्थायित्व की धारणा गलत है।
वीकेंड में काम नहीं करने की धारणा भी गलत है।
सरकारी नौकरी बेहतर नहीं है, मिथक है।
निष्कर्ष
सिविल सर्विसेज की तैयारी और नौकरी की वास्तविकताएं बेहद कठोर हैं।
समाज और करप्शन का मुद्दा गहराई तक जुड़ा हुआ है।
कोचिंग सेंटर्स और माफिया का प्रभाव विद्यार्थियों पर बहुत बड़ा है।
परीक्षा की तैयारी के दौरान पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है।