लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट 2008
परिचय
- पुराना बनाम नया पाठ्यक्रम: पहले LLP एक्ट का सिलेबस बड़ा था, अब इसे कम कर दिया गया है।
- महत्व: 6 मार्क्स का एक प्रश्न परीक्षा में आता है।
LLP की आवश्यकता
- पुरानी व्यवस्थाएं: कंपनी, प्रोप्राइटरशिप, पार्टनरशिप फर्म।
- समस्याएं:
- पार्टनरशिप की अनलिमिटेड लायबिलिटी।
- मिचुअल एजेंसी: एक गलती सभी की जिम्मेदारी।
- कंपनी: उच्च कम्प्लायंस और व्यक्तिगत रूचि की कमी।
- समाधान: LLP का गठन, जो पार्टनरशिप और कंपनी के फायदे मिलाकर बनी है।
LLP के लाभ
- फ्लेक्सिबलिटी, कम कम्पलायंस।
- स्थापना और समाप्ति में सरलता।
- लि मिटेड लायबिलिटी, फ्लेक्सिबल कैपिटल स्ट्रक्चर।
LLP एक्ट का इतिहास
- पारित: 12 दिसंबर 2008।
- प्रभाव: 31 मार्च 2009 से।
- उद्देश्य: LLP का निर्माण और नियमन।
LLP एक्ट की संरचना
- सेक्शन: 81
- शेड्यूल्स: 4
- पहला शेड्यूल: पार्टनर्स के मिचुअल राइट्स और ड्यूटीज।
- दूसरा शेड्यूल: पार्टनरशिप फर्म से LLP में परिवर्तन।
- तीसरा शेड्यूल: प्राइवेट कंपनी से LLP में परिवर्तन।
- चौथा शेड्यूल: अनलिस्टेड पब्लिक कंपनी से LLP में परिवर्तन।
प्राधिकरण और नियम
- नजरदारी: रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC)।
- रूल्स: सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा बनाए जाते हैं।
चैरिटेबल उद्देश्य
- LLP चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए नहीं बनाई जा सकती।
मुख्य परिभाषाएँ
- बॉडी कॉर्पोरेट: भारतीय और विदेशी कंपनियाँ और LLP शामिल हैं।
- बिजनस: कोई भी ट्रेड, प्रोफेशन, या ओक्युपेशन।
- फाइनेंशियल इयर: 1 अप्रैल से 31 मार्च तक।
- फॉरेन LLP: जो भारत के बाहर बनी है लेकिन भारत में व्यवसाय करती है।
पार्टनर्स और डेजिगनेटेड पार्टनर्स
- पार्टनर्स: इंडिविजुअल और बॉडी कॉर्पोरेट बन सकते हैं।
- डेजिगनेटेड पार्टनर्स: सिर्फ इंडिविजुअल्स, कम से कम एक भारतीय निवासी।
LLP के प्रमुख लक्षण
- बॉडी कॉर्पोरेट: LLP एक बॉडी कॉर्पोरेट है।
- पर्पेचुअल सक्सेशन: पार्टनर्स के बदलाव का कोई असर नहीं।
- सेपरेट लीगल एंटिटी: LLP का अलग कानूनी अस्तित्व।
- लिमिटेड लायबिलिटी: पार्टनर्स की जिम्मेदारी सीमित।
LLP की स्थापना
- इन्कॉर्पोरेशन डॉक्यूमेंट: इसके लिए फाइलिंग आवश्यक है।
- स्टेटमेंट: एडवोकेट, CS, CA या कोस्ट अकाउंटेंट द्वारा तैयार।
समापन
- नाम का आरक्षण: तीन महीने के लिए रिजर्व किया जाता है।
- नाम परिवर्तन: केंद्रीय सरकार के आदेश से।
LLP और पार्टनरशिप के बीच अंतर
- सेपरेट लीगल एंटिटी: LLP है, पार्टनरशिप नहीं।
- लीगल प्रोसीजर: LLP के लिए आवश्यक, पार्टनरशिप के लिए नहीं।
LLP और कंपनी के बीच अंतर
- एक्ट: LLP पर LLP एक्ट 2008, कंपनी पर कंपनीज एक्ट 2013।
- मैनेजमेंट: LLP में पार्टनर्स, कंपनी में डायरेक्टर्स।
छात्रों को यह ध्यान रखना चाहिए कि LLP का गठन करने के लिए सभी नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि कानूनी समस्याओं से बचा जा सके।