ब्रह्मचर्य के महत्व और साधना

Mar 27, 2025

ब्रह्मचर्य परLecture Notes

ब्रह्मचर्य की महत्वता

  • ब्रह्मचर्य का पालन करना कठिन होता है।
  • स्वाभाविक ब्रह्मचर्य और अपने हाथों से ब्रह्मचर्य का नाश करने में भेद है।
  • परमहंस श्री ओंकारानंद सरस्वती के अनुसार, हाथ से कोई क्रिया या किसी कुसंग से ब्रह्मचर्य नष्ट नहीं होना चाहिए।

स्वाभाविक स्थिति

  • स्वाभाविक स्थिति में वीर्य का उफान होता है, जो ब्रह्मचर्य का नाश नहीं माना जाता।
  • यदि गलत क्रिया से ब्रह्मचर्य नष्ट होता है, तो उसे रोकना चाहिए।

ब्रह्मचर्य बनाए रखने के उपाय

  • व्यायाम: 2 किलोमीटर दौड़ना, प्राणायाम करना।
  • स्वस्थ आहार: सात्विक भोजन लेना।
  • शांत रहना: गंदी बातें नहीं सुनना और नहीं देखना।

ग्लानि और अहंकार

  • ग्लानि तब होती है जब हम नियम नहीं रख पाते।
  • अहंकार अधिक हो जाता है, जिससे गलत काम करना आसान लगता है।

सुख और दुख की भावना

  • गलत कार्य करने पर तुरंत ग्लानि होती है, लेकिन करते समय नहीं होती।
  • सुख के क्षणों में हम अपने ब्रह्मचर्य का नाश करते हैं।

तपस्वी जीवन

  • ब्रह्मचर्य एक तपस्या है, इसे साधारण नहीं समझना चाहिए।
  • गृहस्थ धर्म में संतान उत्पत्ति महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए स्वाभाविक ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।

गलत अभ्यास और उनके प्रभाव

  • गलत अभ्यास से जीवन खराब हो सकता है।
  • सही अभ्यास से गलत अभ्यास पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

साधक के अनुभव

  • साधक ने बताया कि गलत क्रिया उसके नियंत्रण में नहीं होती।
  • यह बताता है कि गलत धारणाएं हमें नष्ट कर सकती हैं।

निर्णय लेने की प्रक्रिया

  • मन की गलत सलाह पर ध्यान न दें।
  • सुख की भावना हमें गलत कार्य की ओर ले जाती है।

भक्ति और साधना

  • भगवत नाम जप, सत्संग और प्राणायाम का अभ्यास करें।
  • सात्विक भोजन और तपस्वी जीवन का पालन करें।

निष्कर्ष

  • मोबाइल और गंदे संग से दूर रहना।
  • एक स्वस्थ वातावरण बनाना जो दूसरों को भी प्रभावित करे।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।