काकोरी कांड और वीर क्रांतिकारी

Aug 11, 2024

क्रांतिकारी और काकोरी कांड

आजादी का संघर्ष

  • आजाद भारत की सांसें वीर क्रांतिकारियों के योगदान का परिणाम।
  • कई वीर क्रांतिकारियों ने अपनी जान की बली दी।
  • आज हम एक महत्वपूर्ण घटना पर चर्चा करेंगे जिसने अंग्रेजों को भीतर तक हिला दिया।

19 दिसंबर 1927

  • शाहिद क्रांतिकारी:
    • अशफाक उल्ला खान
    • पंडित रामप्रसाद बिस्मिल
    • ठाकुर रोशन सिंह
  • इन तीनों को फांसी की सजा दी गई।

गांधी जी का आंदोलन

  • गांधी जी ने 1 अगस्त 1920 को सहयोग आंदोलन की शुरुआत की।
  • छात्रों ने सरकारी स्कूल और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया।
  • वकीलों ने अदालतों में जाने से इनकार किया।
  • आंदोलन का स्वरूप शांतिपूर्ण था।

4 फरवरी 1922

  • अंग्रेजों ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाईं।
  • 10 आंदोलनकारियों की मौके पर मौत।
  • गांधी जी ने सहयोग आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया।
  • कई क्रांतिकारी (जैसे राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान) निराश हुए।

काकोरी कांड

  • गांधी जी से मोहभंग के बाद युवा क्रांतिकारी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हुए।
  • हथियारों से लड़ाई की आवश्यकता समझी।
  • 9 अगस्त 1925 को काकोरी में लूट।
    • सरकारी खजाने से 4601 रुपये लूटे।
    • लूट के समय ट्रेन रोकी गई।
    • गोलीबारी में एक यात्री की मौत।

गिरफ्तारी और सजा

  • घटना के बाद 40 क्रांतिकारी गिरफ्तार।
  • 30 लोगों पर मुकदमा चला।
  • 1927 में फांसी की सजा सुनाई गई:
    • रामप्रसाद बिस्मिल
    • अशफाक उल्ला खान
    • राजेंद्र नाथ लाहिड़ी
    • ठाकुर रोशन सिंह

चंद्रशेखर आजाद

  • काकोरी कांड के बाद चंद्रशेखर आजाद फरार हो गए।
  • अंत में एनकाउंटर में शहीद हुए।

फांसी का दिन

  • 19 दिसंबर 1927 को तीनों को फांसी दी गई।
  • अंग्रेजों ने डर के मारे अलग-अलग जेल में फांसी दी:
    • अशफाक उल्ला खान: गोरखपुर जेल
    • राम प्रसाद बिस्मिल: फैजाबाद जेल
    • ठाकुर रोशन सिंह: इलाहाबाद जेल

भगत सिंह का संदेश

  • भगत सिंह ने लिखा: "मैं रहूं या ना रहूं, पर एक वादा है तुमसे, मेरे लहू का हर खतरा इंकलाब लाएगा।"

ये थे काकोरी कांड के वीरों की कहानी और उनकी शहादत।