जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी पर उसके प्रभाव

Jul 18, 2024

जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी पर उसके प्रभाव

पृथ्वी की विशेषता

  • सौरमंडल में केवल पृथ्वी पर जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ हैं।
  • पानी की लिक्विड फॉर्म और सही गैसों का अनुपात।
  • ऊंचे पहाड़, गहरी खाइयाँ, घास के मैदान, घने जंगल।
  • जीवों की विविधता: बैक्टीरिया से लेकर हाथियों और उड़ने वाले पक्षियों तक।

बदलती जलवायु के संकेत

  • पिछले दशकों में पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि।
  • मौसम में अनियमितताएँ: असामान्य बारिश, सूखा, बाढ़, जंगल में आग।
  • प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि।
  • अमेजन जंगल भी अछूते नहीं रहे।
  • जीवों की कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर।

मानव गतिविधियों का प्रभाव

  • भौतिक उन्नति और औद्योगिक क्रांति के बाद स्थितियाँ बिगड़ीं।
  • वनों की कटाई, जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग।
  • ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि।
  • ओजोन परत कमजोर हो रही है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड का अत्यधिक उत्सर्जन।

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव

  • वैश्विक तापमान में वृद्धि: 1850-1900 के बीच 0.95°C, 2011-2020 में 1.2°C।
  • सतह के तापमान में हर साल 0.2°C की वृद्धि।
  • ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ तेजी से पिघल रही है।
  • समुद्र स्तर में वृद्धि: 1993-2020 हर साल 3.3 मिमी।
  • ग्रीनहाउस गैसें सूरज की किरणों को अवशोषित करती हैं, हीट वेव्स को अंतरिक्ष में जाने से रोकती हैं।

पर्यावरणीय संकट

  • क्षीण होती ओजोन परत: अल्ट्रावायलेट किरणों का खतरा।
  • समुद्र के पानी का ऐसिडिक होना, ऑक्सीजन की कमी।
  • जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा।
  • ग्रेट बैरियर रीफ को खतरा।

भावी संकट

  • वर्ष 2030-2050 के बीच जलवायु परिवर्तन से 250000 मौतें।
  • सांस्कृतिक ढांचे पर असर: भूखमरी, बीमारियाँ, गरीबी।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे शताब्दी का सबसे भयानक संकट कहा है।
  • समाज में अपराध की संभावनाएँ।
  • जलवायु परिवर्तन से कृषि उत्पादन कम हो रहा है।

समाधान की आवश्यकता

  • ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने की जरूरत।
  • भूमि उपयोग में सुधार: जंगलों के क्षेत्रफल में वृद्धि।
  • सतत विकास की दिशा में कदम उठाना आवश्यक।
  • एक सुरक्षित भविष्य की नींव रखना जरूरी।