श्री ठाकुर जी की बाल लीलाएं
बाल्यकाल
- ठाकुर जी अब बड़े हो रहे हैं और बाल लीलाएं कर रहे हैं।
- लाल जी एक वर्ष के हो गए हैं और दो दांत निकल आए हैं।
- नंद बाबा और यशोदा मैया की उंगली और कंधा पकड़ कर खेलते हैं।
यशोदा मैया का श्रिंगार
- ठाकुर जी के केश गुंगराले हैं, मैया श्रींगार करती है।
- ठाकुर जी केवल आभूषण पहनते हैं, वस्त्र नहीं।
नामकरण संस्कार
- नंद बाबा ने गर्गाचार्य जी से ठाकुर जी का नामकरण कराया।
- गर्गाचार्य जी ने खीर बनाकर ठाकुर जी को भोग लगाया।
- ठाकुर जी ने खीर खाई और गर्गाचार्य जी को साक्षात्कार कराया।
लीला विवरण
- ठाकुर जी की लीला में बाल सुलभ चपलता है।
- गर्गाचार्य जी को प्रेम का अनुभव कराया।
बृजवासियों का प्रेम
- बृजवासी प्रेम में आत्मलीन हैं, ठाकुर जी को परमात्मा नहीं मानते।
- भगवान ने कहा कि बृजवासियों का प्रेम उन्हें सबकुछ भुला देता है।
- जब नारद जी ने भगवान से पूछा तो भगवान ने ब्रजवासियों के प्रेम की महिमा बताई।
गोपियों का प्रेम
- गोपियां ठाकुर जी को अपने प्रेम से बांधती हैं।
- ठाकुर जी को गोपियों के प्रेम का अनुभव होता है।
ठाकुर जी की मधुरता
- ठाकुर जी के विभिन्न रूप और अवस्थाएं मधुर हैं।
- ठाकुर जी अपने ऐश्वर्य को भूलकर प्रेम में लीन हो जाते हैं।
दामोदर लीला
- दामोदर लीला में मैया ने ठाकुर जी को उखल से बांधा।
- ठाकुर जी ने प्रेम में बंधकर अपनी सत्ता प्रकट की।
निष्कर्ष
- बृजवासियों ने ठाकुर जी को प्रेम में बांधा।
- ठाकुर जी के प्रेम में बृजवासियों का समर्पण अद्वितीय है।
प्र भु के प्रति प्रेम
- गोपियों और बृजवासियों का ठाकुर जी के प्रति प्रेम अद्वितीय और अनन्य है।
- इस प्रेम के कारण ही भगवान ब्रज में रुकना चाहते हैं।
नोट: यह वर्णन श्री कृष्ण की बाल लीलाओं और बृजवासियों के प्रेम पर आधारित है।