श्री कृष्ण की बाल लीला और प्रेम

Nov 30, 2024

श्री ठाकुर जी की बाल लीलाएं

बाल्यकाल

  • ठाकुर जी अब बड़े हो रहे हैं और बाल लीलाएं कर रहे हैं।
  • लाल जी एक वर्ष के हो गए हैं और दो दांत निकल आए हैं।
  • नंद बाबा और यशोदा मैया की उंगली और कंधा पकड़ कर खेलते हैं।

यशोदा मैया का श्रिंगार

  • ठाकुर जी के केश गुंगराले हैं, मैया श्रींगार करती है।
  • ठाकुर जी केवल आभूषण पहनते हैं, वस्त्र नहीं।

नामकरण संस्कार

  • नंद बाबा ने गर्गाचार्य जी से ठाकुर जी का नामकरण कराया।
  • गर्गाचार्य जी ने खीर बनाकर ठाकुर जी को भोग लगाया।
  • ठाकुर जी ने खीर खाई और गर्गाचार्य जी को साक्षात्कार कराया।

लीला विवरण

  • ठाकुर जी की लीला में बाल सुलभ चपलता है।
  • गर्गाचार्य जी को प्रेम का अनुभव कराया।

बृजवासियों का प्रेम

  • बृजवासी प्रेम में आत्मलीन हैं, ठाकुर जी को परमात्मा नहीं मानते।
  • भगवान ने कहा कि बृजवासियों का प्रेम उन्हें सबकुछ भुला देता है।
  • जब नारद जी ने भगवान से पूछा तो भगवान ने ब्रजवासियों के प्रेम की महिमा बताई।

गोपियों का प्रेम

  • गोपियां ठाकुर जी को अपने प्रेम से बांधती हैं।
  • ठाकुर जी को गोपियों के प्रेम का अनुभव होता है।

ठाकुर जी की मधुरता

  • ठाकुर जी के विभिन्न रूप और अवस्थाएं मधुर हैं।
  • ठाकुर जी अपने ऐश्वर्य को भूलकर प्रेम में लीन हो जाते हैं।

दामोदर लीला

  • दामोदर लीला में मैया ने ठाकुर जी को उखल से बांधा।
  • ठाकुर जी ने प्रेम में बंधकर अपनी सत्ता प्रकट की।

निष्कर्ष

  • बृजवासियों ने ठाकुर जी को प्रेम में बांधा।
  • ठाकुर जी के प्रेम में बृजवासियों का समर्पण अद्वितीय है।

प्रभु के प्रति प्रेम

  • गोपियों और बृजवासियों का ठाकुर जी के प्रति प्रेम अद्वितीय और अनन्य है।
  • इस प्रेम के कारण ही भगवान ब्रज में रुकना चाहते हैं।

नोट: यह वर्णन श्री कृष्ण की बाल लीलाओं और बृजवासियों के प्रेम पर आधारित है।