Transcript for:
वेव ऑप्टिक्स: एक त्वरित सारांश

हेलो बच्चो मेरा नाम है राजवन सिंग और मैं आप सभी का सुवागत करता हूँ इस mind map series में और आज हम लोग करने वाले हैं अपना wave optics का one shot quick revision जिसमें हम लोग अपने starting chapter के basic से start करते हुए end सारे points को cover करेंगे अगर आप देखें तो wave optics का जो ये fundamental part है आप लोगों ने interference वाला part कहीं न कहीं 11th class में भी पढ़ा होगा तो 11th class के waves का भी similar सा एक चोटा सा part यहाँ पर आता है और अगर आप देखें तो यहाँ पर जो phasor वाली चीजें हैं वो आपके alternating current में भी हमारे पास आती हैं तो अगर आप इस lecture को पढ़ रहे हैं तो आपके कहीं न कहीं पीछे वाले lectures का थोड़ा बहुत base भी clear होता है तो आज के जो हमारा lecture है इसमें हम लोग complete wave optics दिखेंगे जहाँ पर हमारे पास interference होगा, YDSC होगा, diffraction होगा, Doppler's effect होगा, polarization होगा यह सारी चीजों को हम लोग cover करेंगे बस आपको यहाँ पर यह चीज notice करनी है कि यह आपके लिए एक short note जैसा है तो आप सारी चीजों को अच्छे से एक बार recall कर पाएं ठीक है तो चलिए बेटा करते हैं lecture की शुरुआत अगर हम लोग wave optics के बारे में बात करें तो सबसे पहले हमारे पास point आता है कि wave के हमारे पास parameters क्या है अगर हम लोग किसी भी wave के parameters की बात करते हैं तो उसमें होता है velocity and frequency and amplitude अगर हम लोग velocity की बात करें तो velocity होता है कितनी speed से wave एक medium में propagate कर रही है तो ये source पर depend नहीं करता ये medium के property होती है कि medium decide करता है किसी भी wave की speed क्या है amplitude बात करें तो maximum displacement from the mean position that is your amplitude अब हमारे पास अगर मान लीजे matter wave है हमारे पास या फिर आपके electromagnetic wave है कोई भी अगर आप wave की बात करते हैं तो जब हम लोग wave बनाते हैं तो हमारे पास maximum displacement from the mean position वही आपका amplitude होता है amplitude आपका decide करता है source और वो amplitude sustain रहता है या नहीं रहता है वो decide करता है medium तो amplitude deciding factor होता है हमारे पास हमेशा source और यही amplitude intensity भी बाद में बनेगा तो आपको याद रखना है intensity भी कहीं न कहीं source dependent हमारे पास property basically होती है अब हमारे पास बात आता है कि sir medium का इसमें क्या role है अगर हमारे पास medium dissipative medium है means energy dissipate कर रहा है तो amplitude decrease होता हुआ चला जाएगा अगर non dissipative medium है तो हमारे पास amplitude constant basically रहेगा frequency है number of waves passing through a point per second कितनी waves एक second में pass कर रही है देट इज यूर फ्रीक्वेंसी और यह फ्रीक्वेंसी डिसाइड करता है हमारे पास सोर्स तो यह भी एक सोर्स की प्रॉपर्टी है तब वे ठीक है फिर इसके बाद हमारे पास कुछ टर्म है विच इज मोनोक्रोमेटिक बायक्रोमेटिक अगर बात करें मोनोक्रोमेटिक फिर हमारे पास आता है coherent sources का हमारे एक term आता है, अगर माल लिए दो sources हैं जिन में से कोई भी अगर light निकल रही है, उनकी frequency अगर same है तो उनको हम coherent sources बोलेंगे, मतलब माल लिए अगर frequency new और new है तो ये coherent हो गए, अगर frequency new 1 है और एक की frequency new 2 है, difference of frequencies हैं तो हमारे पास ये incoherent sources basically कहल हमारे पास कभी भी कोई दो वेव जब एक medium में पास कर रही होते हैं तो वो एक दूसरे के साथ interfere करती हैं उसकी हमारे पास condition होती है कि पहली बात वो coherent sources होने चाहिए coherent sources से निकली हुई light हमारे पास basically frequency same होगा हमारे पास तो यहाँ पर superposition basically possible हो पाता है phase difference या तो zero हो या तो constant हो हमारे पास phase difference अभी हम लोग बात करेंगे फेज होता क्या है किसी भी वेव का और phase difference दो वेव के बीच का जो phase difference हो या तो zero हो या फिर constant हो अगर नहीं होगा तो पूछा जा सकता है कि ऐसा क्या होता है अगर phase difference variable है तो आपका interference sustain नहीं होगा हम लोग बाद में देखेंगे bright fringe and dark fringes वो जादा देर के लिए sustain नहीं होगी फिर वो diminish कर जाएंगी खतम हो जाएंगी तो अगर हम लोग किसी भी wave की equation की बात करें तो wave की equation लिखे जाती है A sine omega t plus minus phi A होता है आपका amplitude यहाँ पर इन्होंने थोड़ा सा गलत लिख दिया है यहाँ पर आपका अगर देखा जाए तो A is your amplitude amplitude ठीक है यहाँ पर अगर हम लोग देखें तो this is your amplitude, A आपका amplitude of the wave है, साइन ओमेगा, ओमेगा is angular frequency, average नहीं, angular frequency हमारे पास यह रहता है, ओमेगा को आप 2π by T भी लिख सकते हैं, 2π by new भी रख सकते हैं, new is your frequency, और फाई होता है initial phase, बतलब जब T की value आप 0 डालेंगे तो wave कहां से start हो रही है, that is your initial phase, ओमेगा t प्लस माइनस वाइब दिस इस कॉल दी फेज ऑफ दी वेब राइट तो हमारे पास अगर कुछ इंपोर्टेंट टर्म्स की बात करें ओमेगा इकॉल टू केंद्र विधाली यह हमारे पास रिलेशन है ओमेगा और वी के बीच में तो आप के वी से याद कर सकते हैं क x आप कह सकते हैं के इस टू पाइ बा लैमडा इंटू पाथ डिफरेंस ठीक है तो वही टू पाइ बा लैमडा इंटू पाथ डिफरेंस अब यहाँ पर प्लस और माइनस को ध्यान रखना है अगर हमारे पास प्लस है इन दोनों में के एक्स प्लस माइनस ओमेगा टी के एक्स जो आपको याद रखने है तो सबसे पहले हमारे पास आता है हाइगन्स प्रिंसिपल हाइगन्स प्रिंसिपल के बारे में अगर हम लोग बात करें तो उन्होंने क्या बोला था कि हमारे पास कोई भी जो सोर्स होता है दैट एक्ट एज पॉइंट ऑफ डिस्टर्बेंस इन द फिर वह अपनी एक wave बनाते हैं, अगर हम लोग एक common tangent बना दे, in all of these wave fronts, तो हमें, in all of these waves, तो हमें मिलता है wave front, wave front basically क्या है, is a common tangent passing through all the points oscillating in same phase, अगर माल लिए कि आप एक swimming pool में हैं और एक लहर हमारे पास आती है, वो सारे points जो एक समय पर maximum पर आ रहे हैं, अगर आप उनको join कर देंगे, तो वो हमारे पास एक wave front बनेगा, लाजमी सा doubt है, कि इसके आशर लोवेस्ट पॉइंट के भी पॉइंट को कनेक्ट करके हम लोग वेफरंट बना सकते हैं, बिलकुल बना सकते हैं, जितने भी पार्टिकल सेम फेज में ओसिलेट कर रहे हैं, अगर आप उनको जॉइन करते हैं, तो एक कॉमन टैंजन जो होता है, that is your wave front, ठीक है तो अगर हम लोग बात करें, wave fronts के बारे में, इसमें थोड़ा सा correction कर लेंगे, अगर हमारे लिए spherical wave front, अगर मालीजे point source है, अगर हमारे पास point source है, जैसे मालीजे bulb है, तो उसके wave front spherical nature में हमारे पास होंगे, तो यहाँ पर point source लिखा हुआ होना चाहिए, point source अगर हम लोग बात करें, तो जो wave front होते हैं, that is in spherical nature, अगर हम लोग linear source के बारे में बात करें, तो linear source हमारे पास, सिलेंड्रिकल वेफरंट बेसिकली हमें देते हैं तो लीनियर सोर्स अगर है हमारे पास लीनियर सोर्स अगर है हमारे पास तो वो हमें देता है अगर जैसे मालिजिए बल्ब है तो इसमें से जो वेफरंट निकलेंगे वो सिलेंड्रिकल फॉर्म में हमारे पास निकलते हैं औ parallel light है तो wave fronts हमारे पास parallel light trees अगर है हमारे पास तो wave fronts हमारे पास उनके perpendicular होते हैं और sheets के form में basically हमारे पास होते हैं ठीक है तो source of light is a source of disturbance the energy source reaches point near it जैसी अगर आप एक bulb को जलाते हैं तो सबसे पहले वो अपने near about points तक energy को पहुंचाता है various point of an arbitrary surface when reached by a वेव फ्रेंड बिकम सेकेंडरी सोर्स आफ लाइट एमिटिंग सेकेंडरी वेव लेट्स मतलब जैसे आप इस सोर्स को ऑन करते हैं तो यह एनरजी इन पॉइंट से जाती है यह अपनी वेव बनाती है और इन वेव का अगर हम लोग ऐसा एक टेंजेंट बनाएं जो सारे पॉइंट को कनेक्ट कर रहा है ऑसिलेटिंग सेम फेस तो यह आपको एक वेव फ्रेंड मिलेगा फिर इसमें कि जब आप इनको एक कॉमन टेंजेंट से कनेक्ट करेंगे तो हमारे पास एक सेकंड वेवफ्रंट आएगा फिर जितने भी पॉइंट हैंगे यह अपना वेवफ्रंट बनाएंगे वह वेव बनाएंगे तो अगर मैं कॉमन टेंजेंट यहां पर बना दूं तो यह हमारे पास फिर से वेवफ्रंट आएगा तो बेसिकली वेवफ्रंट है क्या वेवफ्रंट एक बेसिकली आपका आर्मिटरी एक सरफेस है या आप कह सकते हैं लोकस ऑफ द पॉइंट है जो हमारे पास सीम फेज में ऑसिलेट कर अगर आप उनको ऑफिसमेंट कर देंगे तो यह वेवफ्रंट ठीक है तो हमारे पास जो यह हाइगन्स प्रिंसिपल है इससे हम लोगों ने लॉज आफ रिफ्लेक्शन और लॉज आफ रिफ्रेक्शन भी प्रूव कर रखे हैं आप आपने यह देखिए इस चीज को जरूर देखेगा अब आती है कि हमारे पास वेव फ्रंट के हमेशा परपेंडिकुलर अगर एनर्जी का फ्लो की बात करें तो यह चीज जरा यहां पर मार्क कर लेना एनर्जी हमेशा वेव फ्रंट के परपेंडिकुलर प्रोपगेट कर रह फिर थोड़ी दे बाद ये बना, फिर ये बना, फिर ये बना, energy जो निकल रही होगी, radially outward हमारे पास निकल रही होगी, wave front is always perpendicular to हमारे पास the flow of energy, अगर हम लोग reflection के बात में करें, तो ये, इस type के questions भी exam में आये हुए हैं, तो आपको wave front बनाने पड़ेंगे, अगर माल लीजे, plain mirror है, तो light हमारे पास इस type से आ रही है, तो wave front आपके एक ये है, एक ये है, एक ये है, perpendicular to the direction of flow of the light, आप बात कर सकते हैं, ठीक है, अगर माल लिए कौन के mirror पर हमारे पास light आती है तो आपको पता है incident light parallel है तो ये wave front है, after this अगर आप देखें तो ये हमारे पास converge कर जाएंगी, तो अब इनके wave front आपको कैसे बनाने है, ये इनका wave front है, ये इनका wave front है, ये इनका wave front है, ये इनका wave front है, इस प्रकार आपके wave front बने तो यह इसका वेव फ्रंट यह इसका वेव फ्रंट यह इसका वेव फ्रंट इस तरीके से हमारे पास वेव फ्रंट होता है अगर convex mirror की बात करें तो यह हमारे पास diverging है तो light हमारे पास आ रही है तो यह वेव फ्रंट है यह वेव फ्रंट है यह वेव फ्रंट है अगर आपको यहां पर वेव फ्रंट बनाने है तो यह इसका वेव फ्रंट है यह इसका वेव फ्रंट है यह इसका वेव फ्रंट है तो आपको incidence और reflected waves का आपको wave front बनाना आना चाहिए, prism का जो हमारे पास काम है, that is by the deviation, और dispersion, अगर हम लोग dispersion को neglect कर दे, तो इसका deviation का काम है, तो जो भी आपके wave front आ रहे हैं, थोड़ी देर बाद bend होके, light इस तरीके से जाती है, तो wave front आपके इस प्रकार से जाएंगे, और अगर मैं concave lens की बात करूँ, यह light को diverge कर देगा, तो आपके wave front इस प्रकार हमारे पास हो जाएंगे, wave front is always perpendicular to energy, आप कहीं पर भी बनाएंगे जरही देखना कि यह हमेशा 90 डिग्री जो भी एनर्जी का फ्लो है उससे यह हमेशा 90 डिग्री पर आपको मिलेंगे ठीक है तो यह हमारे पास हाइगन प्रिंसिपल का अब बात आती है हमारे पास इंटरफेरेंस की याद करिए अगर आपने टेन coherent sources कि हमारे पास frequency same होनी चाहिए अगर frequency same हुई तो हमारे पास यह जो इनका omega होता है वो आपको same मिलेगा ठीक है फिर phase difference या तो इन दोनो waves के बीच में या तो zero हो या तो फिर constant हो otherwise यह आपका जो interference है वो sustain नहीं किया जा सकता source हमारे पास closely placed हो हमारे पास जो source है वो पास पास हो और direction या state of polarization should be same अभी आपको polarization का पता होना चाहिए कि जो हमारे पास polarization की direction है that is the direction of electric field तो उनका अगर electric field इस plane में है तो दूसरे का भी electric field इसी plane में होना चाहिए तब ही ये super impose basically हो पाएंगे अगर एक का electric field इस plane में है दूसरे का electric field इस plane में है तो super position is not possible तो ये हमारे पास कुछ conditions है माल लीजिए कि एक source है जिसकी equation थी A1 sin omega t ये अपनी एक amplitude इसका अपना A1 है और दूसरी एक सोर से जो वेव आ रही है, that is A2 sin omega T plus 5, मतलब phase difference है, दोनों बराबर नहीं चल रहे हैं, अगर मैं इसको center रखके अगर यहां से एक circle बना दू, तो कहीं न कहीं अगर आप देखें, तो यह हमारे पास path difference basically आ रहा है, और अगर हमारे पास path difference something है, delta x, तो phase difference हो जाएगा, that will be 2 pi by lambda into delta x, simple सी बात, और वही हम लोगों ने य एंप्लीट्यूड एटू साइन ओमेगा टी प्लस फाइड जैसी है यहां पर हमारे पास सूपर इंपोज होएंगे तो हमारे पास वाइवन प्लस वाइटू करके आपको नॉर्मल एड करना है अपनी मैथमेटिक लगानी है तो रिजल्टेंट वेव जो यहां पर क्रस्ट के ऊपर आ रहा है तो destructive interference और अगर हमारे पास इन में से कोई scenario नहीं है तो interference है हम constructive और destructive का word ये basically use नहीं करते तो जो यहाँ पर resultant wave बनेगी that is having an amplitude ar sin omega t plus minus theta हमारे पास यहाँ पर रखना है अब इसका initial wave से जो हमारे पास shift है वो हमारे पास theta है तो जरह यहाँ पर देखना आर का आता है, अन्रूट में, a1 square प्लस a2 square प्लस 2, a1 a2 cos 5, तो याद रखना, अगर आपको कभी भी दो waves को add करना है, same thing as goes in alternating current, 3 sin omega t और 4 cos omega t को जब आपको जोड़ना होता था, तो याद करी आप क्या करते थे, 3 sin omega t, प्लस 4 sin omega t, प्लस 5 by 2 कि इनको vector ले लिया जाए, एक 3 amplitude का, एक 4 amplitude का, और उनके बीच का angle 90 degree, आप उनको जोड़ते थे तो similar चीज यहाँ पर basically हमारे पास हो रही होती है आपको क्या करना है इन waves के amplitudes को vector ले लेना है इनके बीच में जो भी हमारे पार phase difference है वो उनके बीच का angle ले लेना है और vector law basically यहाँ पर आपको लगा देने है तो resultant amplitude आपको a1 square root में a1 square plus a2 square plus 2 a1 a2 cos 5 के साब से मिलेगा और जो next final wave है वो इससे कितनी shifted है वो आपको basically निकालना होगा जैसे आप tan theta निकालते थे a2 sin phi upon a1 plus a2 cos phi, यह वाला हमारे पास formula रहेगा, use amplitude as vector and phase difference between them as angle between vectors, तो आप directly इस चीज़ को कर सकते हैं, अब बात आती है कि यहाँ पर अगर हमारे पर constructive हुआ तो path difference क्या हो सकता है, आप जरद ध्यान से सुनना मेरी बातों को, अगर माल लिए कि a sin omega t का function है, और दूसरा भी a sin omega t का function है, constructive interference हो जाता, means दोनों waves में, जब भी कोई shifting नहीं है path difference 0 है तो हमारे पास constructive interference होगा अब बात आती है दूसरा constructive interference क्या होगा कि माल लिए एक a sin omega t का function आपका इस प्रकार से था और मैंने दूसरा wave आपका यहाँ पर से बनाना साट किया such that आप देखें कि इनके बीच में जो path difference है crush crush के उपर trough trough के उपर फिर से constructive interference हो सकता है तो अब आपको ध्यान से सोचना है कि constructive interference के लिए path differences क्या हो सकते हैं, 0 हो सकता है, lambda, 2 lambda, 3 lambda, या फिर n lambda, तो यही हमारे पास condition है, constructive के लिए path difference 0, lambda, 2 lambda, 3 lambda, up to n lambda, और हमारे पास phase difference होता है, 2 pi by lambda, तो अगर आप देखे, तो यहाँ पर आपका जो function आएगा, that will be 2 n pi, है न, क्योंकि आप यहाँ पर 2 pi by lambda into path difference, basically यहाँ पर आपका value आएगा 2 pi by lambda into n lambda, तो ये lambda lambda हट जाएगा, 2 n pi, basically हमारे पास phase difference आएगा, n की value आप कहा से रख रहे हैं, n की value आप 0, 1, 2, 3, 4, 5, up to, जो भी आपको लेना है वो रख रहे हैं, जैसे अगर आप यहाँ पर मान लिजे, आपने n की value 0 रखी, तो ये 0 हो जाएगा, cos 0 is 1, a1 plus a2 का whole square बनेगा, तो resultant amplitude आपका, a1 plus a2 होता है, constructive interference में, means, जब भी wave constructive, इंटरफेरेंस करती है तो रिजल्टेंट एंप्लीट्यूड बढ़ जाता है एवं प्लस एटू हो जाता है इफ एवं इग्ल टू एटू है तो यह इनके बीच का जो path difference है, इसका starting point और इसका starting point के अगर आप बात करें, तो वो lambda by 2 है, तो हमारे पास यहाँ पर दूसरी wave का इस प्रकार होता, तो crush trough के उपर होता, trough crush के उपर होता, तो यहाँ पर destructive interference हमारे पास आ जाता, destructive interference के लिए path difference की condition क्या है, या तो shifting lambda by 2 की हो, या 3 lambda by 2 की, 5 lambda by 2 की, 7 lambda by 2 की, या 2n plus minus 1 lambda by 2, अब आप plus भी use कर सकते हैं, minus भी use कर सकते हैं, करते हैं मैं जनरली यूज करता हूं यहां पर हमारे लिए टू एंड माइनस वन लैमडा बाइट फायदा यह है क्योंकि जब हम लोग यंग डबल स्लेट एक्सपेरिमेंट की बात करेंगे तो आपका जीरों तो डार्क या सेंट्रल डार्क बेसिकली जैसे आप 2πi by lambda into 2n minus 1 lambda by 2 डालेंगे, lambda lambda कट जाएगा, 2n minus 1 into πi हमारे पास आएगा, अगर हम लोग यहाँ पे resultant amplitude की बात करें, तो resultant amplitude आपका a1 minus a2 basically आता है, if a1 is equal to a2 अगर है, तो resultant amplitude आपको basically 0 मिल जाता है, कि लिया अब आती है हमारे पास इंटेंसिटी की इंटेंसिटी आफ वेव हमेशा एंप्लीट्यूड के और एंप्लीट्यूड और फ्रेक्वेंसी पर डिपेंड करती है अगर हम लोग पॉइंट की बात करें तो फ्रेक्वेंसी से इंडिपेंडेंट हो हमारे पार I1 की बात करें, KA1 का square, I2 की बात करें, जैसे देखो, इसकी intensity KA1 square होईगी, इसकी intensity KA2 square होईगी, resultant intensity, अगर हम लोग इसी formula में देखें, तो यह आता I1 plus I2 plus 2 root I1 I2 cos 5, simple सी बात, और अगर आप maximum की बात करें, जैसे यहाँ पर, अगर आप maximum की बात करें, तो constructive interference में maximum होगा, तो आयता है root I1 plus root I2 का whole square, अब if I1 is equal to I2 is equal to I0, अगर हमारे पर दोनो intensity, यंग डबल सिलेट में भी इस प्रकार हमारे पास होगा, I1 is equal to I2 is equal to I0, I max ट्वाइस नहीं होके, 4 I0 maximum intensity हमारे पास मिलती है, अगर हम लोग यहाँ पर intensity की बात करें, तो यहाँ पर होता है root of I1 minus root of I2 का basically whole square, if I1 is equal to I2 is equal to I0 है, तो हमारे पास resultant intensity 0 मिलेगी, dark fringe जहाँ पर होगा, वहाँ पर resultant intensity आपको 0 मिलेगी, तो I mean by I max का जो आपका ratio है आप इस प्रकार से लिख सकते हैं अगर N identical coherent sources अगर एक point पर मिल रहे हैं माल लीजिए अभी तो हम लोगों ने दो sources की बात करी है तो यहाँ पर 4 times I0 maximum intensity I अगर N sources होते हैं यहाँ पर maximum intensity के अगर आप बात करें तो N square I0 होता है अगर wave incoherent हो गई तो superposition नहीं होगा intensity आपकी N times I हो जाएगी अब बात आती है fringe visibility के बारे में fringe visibility क्या है क्योंकि जब हम लोग कि एक जब यंग डबल चेलेट एक्सपेरिमेंट देखते हैं तो कुछ जगह पर ब्राइट ने साथ है कुछ जगह पर डार्कनेस बन रहे हैं डार्क प्रॉपर डार्क बन रहे तो आपको आइडेंटिफाई करने में दिक्कत नहीं होगी यह ब्राइट फ्रेंज है तो दोनों का एमटीट्यूड एवन एटू अलग-अलग है तो रिजल्टेंट इंटेंसिटी डिस्ट्रक्टिव के केस में जीरो नहीं अगले point पर हम लोग चलते हैं, that is intensity of the wave, ठीक है, intensity को अगर हम लोग amplitudes के term में बात करें, तो k a square के बारे में बात करें थी, अगर मालिजे कोई भी bulb है, इस bulb को मैं यहाँ जलाओंगा, और उसके पास रखूँगा अपना हाथ, तो बहुत जादा energy per unit area, per unit time हमारे पास आ रही हो अगर हमारे पास स्वेडिकल बल्ब है पॉइंट सोर्स है तो इसके वेब फ्रंट बनेंगे स्वेरिकल आर डिस्टेंस पर इंटेंसिटी पी नॉट अपन फोर पाई आर स्क्वेर इंटेंसिटी इज इनवर्सली प्रोपोर्शनल टू आर स्क्वेर फॉर आर स्वेरिकल पॉइंट आफ दी सिलेंडर आजेगा देट इस टू पाइ आर एल तो यहां पर टू पाइ आर एल हमारे पास आएगा इंटेंसिटी इज इनवर्सली प्रोपोर्शनल टू आर ठीक है तो आपको याद रखना है इसके ऊपर भी कई बार question आपके पूछे गए हैं हम लोगों ने interference के कुछ important questions भी देखे हुए हैं और आपने भी I hope यह चीज देखी हो अगर दो sources S1, S2 हैं number of maxima और number of minima points की बात करते हैं तो माल लिए जो light यहां से यहां हमारे पास आईएगी इनके path difference जीरो है इनका path difference हमारे पास जीरो है तो यहां पर आपको एक bright fringe मिलेगा और यहां पर आपको एक bright fringe basically मिलेगा जो ray इधर से आई और जो ray इधर से आई इनके बीच में path difference is 3 lambda तो आपको ही पता है कि यहाँ पर जब path difference 0 हो, lambda हो, 2 lambda हो, 3 lambda हो तो हमारे पास bright fringe मिलती है तो यहाँ पर भी आपको bright मिलेगा, यहाँ पर भी आपको bright मिलेगा this is corresponding to path difference of 3 lambda, this is corresponding to path difference of lambda equal to 0, जैसी wave आपकी इधर और इधर जाएंगे तो कुछ न कुछ path difference आएगा और यह path difference 0 से बढ़ते बढ़ते जैसी पहली बार लैमडा के बराबर होगा, तो आपको एक bright और मिलेगी, जहां path difference होगा लैमडा, फिर एक बार मिलेगा bright, जहां path difference होगा 2 लैमडा, फिर यहां पर भी similar चीज होगी, एक bright मिलेगा, एक bright मिलेगा, this is लैमडा, this is 2 लैमडा, इस लैमडा इस पूरा एमडा इस थ्री लैमडा तो इस पूरा एमडा इस लैमडा तो 12 ब्राइट मिलेंगी एंड सिमिलरली 12 डार्क फ्रिंज आपको बेसिकल यहां पर मिलेंगी तो यह टाइप क्वेश्चन बहुत इंपोर्टेंट है अगर हमारे पास सोर्स इस प्रकार है एक शोर्स यहां है एक शोर्स यहां है स्क्रीन यहां है तो हमारे पास यहां पर राइट बेसिकली मिलेगा जो हमारे पास इनफिनिटी की बात करोगे अ इस parallel की अगर आप बात करोगे तो यहाँ path difference 0 है तो basically इस direction में आपको एक bright मिलेगा इस direction में आपको bright मिलेगा लेकिन हमारी screen इसके perpendicular है तो जैसी आप 4 lambda की बात कर रहे हो फिर इससे जैसी अगर आप उपर गए होते हैं तो 3 lambda जैसी इनका path difference 3 lambda हुआ तो फिर से bright फिर हमारी path difference जैसी 2 lambda फिर से bright जैसी path difference lambda हुआ फिर से bright और फिर जो हमारे पास path difference 0 होगा तो फिर से bright वो लेकिन आपको screen पर नहीं मिल रही होगी तो आपसे पूछा जा सकता है कितनी bright fringes मिलेंगी कितनी dark fringes मिलेंगी तो याद रखना कि हमारे पास यहाँ पर circular form में fringes basically मिलती है तो उपर वाला और नीचे वाला एक ही fringe का part है नहीं है इसके बाद हम लोगने z parameter के बारे में बात करी थी जो हमें मदद करता है कितनी हमारे पास bright fringes पास है माल लीजे हमारे पास S1, S2 दो sources हैं जिनके बीच का distance हमारे पास D है और यहाँ पर आप से पूछी गई, जैसे यही वाला case है, दो sources इस प्रकार है, screen perpendicular था, दो sources इस प्रकार है, screen perpendicular है, यहाँ पर कौन सी bright fringe होगी, अगर आपको गिनना है, तो जरही चीज़ समझना, अगर एक wave इधर से इधर आई, और एक wave इधर से इधर आई, इनके बीच का path difference will be D only तो आपको पदा लग रहा है इन दोनों के बीच का path difference यही है which is lambda, जैसे आपने d by lambda को calculate out करा, say मैं यहाँ पे कह रहा हूँ this is हमारे पार 24 आ गया, d by lambda is 24, तो यह 24 lambda represent करने लग जाएगा, यह जो आपका z की value है, say d by lambda is 24, तो आपको समझ आ जाएगा कि यहाँ पर 24 lambda का path difference है, तो 24 lambda का path difference means 24th bright fringe यहाँ पर present हमारे पास, होगी तो इस प्रकार से आप Z परिमेटर से number of fringes count कर सकते हैं फिर इसके बाद हमारे पास YDSC का setup आता है YDSC के setup में हमारे पास एक source होता है उससे हमारे पास दो slits opened हैं और equidistant पर हम लोग generally रखते हैं आप source को displace भी कर सकते हैं कोई पंगे वाली बात नहीं है जैसे ये दोनों light up होते हैं तो light हमारे पास इधर से इधर भी गई इन दोनों में path difference is 0 तो सबसे पहले आपको central light मिलती है जहां intensity 4 i0 basically हमारे पास होती है जैसे आप इससे हलका सा उपर जाने की बात करते हैं तो path difference हमारे पास आता है और path difference बढ़ते बढ़ते जैसे lambda by 2 होता है तो first dark आता है और क्योंकि दोनों की intensity i0 और i0 थी तो वहाँ पर आपको dark fringe मिलती थी तो path difference जैसी lambda by 2 होगा, तो first dark मिलेगा intensity 0, and same thing यहाँ पर, lambda by 2, first dark intensity will be 0, फिर इसके बाद अगर आप जाएंगे, तो first bright मिलेगा intensity 400, जैसी path difference lambda by lambda का होगा, तो आपको first bright मिलेगा, इस प्रकार से आपको fringes basically मिलनी start होती है, अगर मान लिजे कि हमारे पास जो यह intensity का formula था, which was हमारे पास this, i1 plus i2 plus 2 root i1 i2 cos 5, अगर दोनो intensity i1 और i2 same है, ठीक है, I1 equal to I2 is equal to I0 अगर दोनों intensity हमारे पास same है तो resultant intensity अगर आप देखनी है तो 4 I0 cos square 5 by 2 आप लिख सकते हैं जब path difference 0 है, means constructive के case में धियान से देखना, constructive के case में तो path difference 0 है, तो phase difference 0 है तो 5 की value 0 डालते ही resultant intensity आपको 4 I0 मिलेगी मतलब आई नॉट की इंटेंशिटी, आई नॉट की इंटेंशिटी जाके अगर constructive कर गई तो वहाँ intensity 4 आई नॉट की हो जाएगी, ना कि 2 आई नॉट की, और अगर path difference लामडा बाई 2 है, means which is destructive, तो phase difference माल लीज़े पाई आ गया, और जैसे destructive है आपने यहाँ पर डाला, तो cos पाई ब यहाँ पर यह angle आपका हुआ है theta, तो यह small d is the separation between the slits, and this capital D is the separation between slit and screen, तो अगर आप देखें तो d जितना angle, जैसे मालिजे यह हमारे पास d था, इस end से लेके इस end तक यह d था, और यह हमारे पा horizontal line थी, which was capital D, जैसी मैं इसको घुमाऊंगा, जैसी मैं इसको घुमाऊंगा, horizontal से आपको थीटा ही मिलेगा तो डी कॉस्ट थीटा एंडीशा इन थीटा पाथ डिफरेंस अगर आप बात करें किसी भी शिफ्टिंग पर जाने पर सेंट्रल से अगर आप कहीं पर भी जाते हैं तो पाथ डिफरेंस डवलप होता है डी साइन थीटा अगर हम स्माल एंगल एप् ठीक है small angles basically हमारे पास यह लगाते हैं तो अगर path difference हमारे पास d sin theta या dx by d है तो phase difference आपके बात करें 2 pi by lambda into dx by d कर सकते हैं और यहाँ पर आपको अगर intensity चाहिए तो 4i0 यहाँ का जो phase difference है वो रखेंगे आपको intensity basically मिल जाएगी ठीक है अब आज आती है हमारे पास यहाँ पर कुछ और चीजों को recall करने की अगर हम लोग bright fringe के बात करें तो bright fringe कहाँ पर बनती है जहाँ पर path difference आपका कितना हो जाए n lambda के बारे में तो जो हमारे पास डिफरेंस था dx by d को जैसे आप n lambda डालते हैं तो positions of bright fringe आपको मिल जाएंगी n की value 0 डालोगे तो central bright फिर first n 1 2 3 डालोगे तो आपको positions of bright fringe basically मिल जाएंगी dark fringe आपको कहा मिलती थी जहाँ पर path difference lambda by 2, 3 lambda by 2 5 lambda by 2 या 2n minus 1 lambda by 2 dark fringe मिलती थी तो जैसे आपका ये path difference dx by d के बराबर रखोगे तो x of dark and x of bright आपको मिल जाएगा तो n की value आपको यह कहां से रखनी है 1 से जैसे आप 1 रखोगे तो आपको सारे positions मिल जाएगे कहां पर first dark बनेगा कहां पर second dark बनेगा कहां पर third dark बनेगा तो यह alternatively बनते हैं तो fringe width बेसिकली क्या होता है the separation between the two consecutive bright और two consecutive dark is called the fringe width मतलब अगर आप fourth dark की बात कर रहे हो fourth dark की position और third dark की position minus करके जो निकालोगे separation वो आपका bright fringe का width मिल जाएगा अगर आप दो consecutive bright fringe के positions को minus करोगे, तो dark fringe की width मिल जाएगी, तो जो हमारे पास lambda d by fringe width की बात करें, beta की value बात करें, तो lambda d by d आपको यहाँ पर मिल जाता है, यहाँ पर fringe width जो beta आता है, that is lambda d by d, this is your fringe width, आप इन दोनों को minus कर लीजे, consecutive दो को minus करेंगे, क्योंकि यह वेवलेंथ पर dependent है, अगर हम लोग माल लीजे YDSC को एक liquid में dip कर देते हैं, तो wavelength 1 by mu times हो जाता है, तो इन liquid की अगर हम लोग बात करें, तो beta nu 1 by mu हो जाएगा, तो initial by mu, और fractional change और percentage change के बारे में भी आप यहाँ पर calculate out कर सकते हैं, ठीक है, अब हमारे पार्ट difference यह dx अब हम लोग फ्रिंज विजिबिलिटी की बात करी रहे थे तो I max minus I min upon I max plus I min हमाई पस था, 2 root I1 I2 upon I1 plus I2, याद रखना फ्रिंज विजिबिलिटी की जो वैल्यू होती है वो 0 से 1 के बीच में होती है, 1 is the maximum value, अगर आपका minimum intensity जहां dark बन रहा है वो 0 है, तो यह हट जाएगा, और अगर माल लो कि हमारे पार Imax equal to Imin है, minimum intensity और maximum intensity बराबर है, तो आपको fringe visibility will be 0, that means आप distinguish नहीं कर पाएंगे कि कहां bright है और कहां पर dark है, तो यह हमारे पास concept था fringe visibility का, right, अब हम लोगों ने modifications के बारे में बात करी थी, हो सकता है कि आप वहाँ पर light को tilt कर दे, अगर YDSC में अगर आपकी tilted light है by an angle हमारे पास theta, माल लीजिए यही है, आपने जो light को भेजा है, that is shifted by an angle theta, तो लॉजिकली समझना कि जैसे आप light को tilt करते हैं तो उसके initially light हमारे पास जा रही है जा रही है जा रही है जा रही है सबसे पहले ये वाला point illuminate होएगा तो इस वाले point और इस वाले point में अगर बात करें तो पहले से ही हमारे पास एक path difference होगा मैं यहाँ पर लिख देता हूँ path difference 0 होता था, logically देखें, अब ये वाला रास्ता और ये वाला रास्ता बराबर नहीं है, पहले से ही path difference है, that is d sin theta, so इस point पर अगर आप देखें, तो path difference is d sin theta, phase difference आप निकाल सकते हैं, 2 pi by lambda into 2 pi by pi नहीं है, 2 pi by lambda into d sin theta करके आप यहाँ पर phase difference निकाल सकते हैं, ज्यादा समझिए, पहले ऐसे जा रही थी तो दोनों एक साथ illuminate हुए तो यहाँ path difference 0 मिल रहा था यहाँ central bright आ रही थी लेकिन अगर मैं light को किसी angle theta पर shift कर दूँगा तो initial जो आपका path difference है d sign theta अब ये race जो जाएंगी तो इनमें पहले से जो path difference है वही मिलेगा यहाँ पर path difference है तो phase difference 2 pi by lambda into path difference d sign theta आ किया है तो आप उसको कैलकुलेट आउट यहां पर कर सकते हैं अब बात करते हैं सेंट्रल राइट हमारे पर शिफ्ट का होगी सेंट्रल राइट एक्चुली में उस पॉइंट पर जाएगी जहां पर आपका पाथ डिफरेंस कितना हो जाता है जीरो हो जाता है तो अगर अव याद करो, अगर हम लोग किसी भी x पर जाते हैं, तो path difference dx by d हमारे पास आएगा, logically सोचिए, जब dx by d इस d sign theta के बराबर हो जाएं, तो path difference क्या हो जाएगा, 0 तो dx by d, d sign theta के बराबर हो जाएं, तो यहाँ पर आपकी हमारे पास central bright shift कर जाएगी, तो shifting of central bright d sign theta की हमारे पास होती है अगर मान लिजे एक light किसी L length के, अगर एक light किसी L length पर किसी medium में जाती है, जिसका refractive index is mu, तो light यहाँ पर धीरे हो जाएगी, दूसरी वाली light आगे हो जाएगी, तो हमारे लिए, यहाँ पर, जो दूसरी वाली light है, जो इससे आगे होगी, इन दोनों के बीच में एक path difference डवल� पात डिफरेंस अगर आप देखें, ठीक है, हमारे पास, that will be mu minus 1 into t, ठीक है, that will be mu minus 1 हमारे पास into t, this is हमारे पास optical path, पहुत गलतियां कर रखी हैं भाई साहब ने, ठीक है, optical path length is mu L, ठीक है, हमारे पास यहाँ पर optical path length, ठीक है, अगर आप एक माइकस इडिलोजिकली समझना, जैसे माली लिए दो बंदे दोड़ रहे हैं, एक बंदे को दोड़ते दोड़ते पानी में से पास करना, एक हवा में ही नॉर्मल जमीन पर दोड़ रहा है, तो पानी वाला बंदा पीछे हो जाएगा, जब तक वो पानी से क्र� refractive index mu, तो इस वाले point पर अगर आप बात करें, logically समझना, अगर आप इस वाले point की बात कर रहें, जहाँ पर पहले आपका central bright था, तो यहाँ पर अगर कोई भी ray जाएंगी, तो अब इन में path difference 0 नहीं होगा, इसका path difference t into mu minus 1 आपको मिलेगा, तो phase difference मिलेगा, phase difference आये, तो आप intensity यह तो यह वाली light पहले से पीछे हो गई है, तो हम लोग अगर किसी x distance पर चले जाएं, तो यहाँ पर जो path difference बनता था, that is dx by d, अगर यही path difference, इसके अंदर के path difference से match कर गया, तो central light आपको वहाँ मिल जाएगी, तो path difference 0, central light कब मिलेगी, जब dx by d is equal to t into mu minus 1, तो आपका यहाँ से concept आजाएगा, तो phase difference, position of shifting, अगर हमारे पर दो slabs हैं, तो दोनों का path difference आपको जोड़ना है, अगर आप liquid में dip कर रहे हैं तो wavelength 1 by mu हो जाएगा और refractive index आपका mu of medium वो होता था relative refractive index ले लेते थे जैसे lenses के case में आपने देखा हो तो lens by surrounding तो आपके जितने भी formula है mu relative के हो जाएगे और जहाँ पर wavelength है वो 1 by mu का हो जाएगा ठीक है इसके बाद हमारे पास YDSE में हम लोग अगर white light के साथ करते हैं तो YDSE with white light को जरही चीज समझना वाइट लाइट के केस में हमारे पास सारे वेवलेंथ होते हैं तो जो पर्टिकुलर वेवलेंथ है दोनों से वहीं आपस में इंटरफेर करेंगे इस रेड रेड से करेगा यल्लो यल्लो से वॉलेट वॉलेट से तो सेंट्रल पॉइंट पर सारी फ्रिंज हो जाएगा मिनट वालेट वहां पर नहीं होगा तो रेडिस्ट फ्रिंज आपको यहां पर मिलती और पाद डिफरेंस जैसे थूंद बढ़ते-बढ़ते फोर थाउजन होता है तो रेड का डिस्ट्रक्टिव हमारे पास हो जाएगा तो रेड का डिस्ट्रक्टिव तो वालेट या ब्लू इस फ्रिंज आपको मिलती है मिशाब को कलर स्कैटर मिल जाएंगे बेसिकली ठीक है अगर हम लोग और अगर sources horizontal है, screen इस प्रकार है, तो आपको circular fringes basically मिलती है, अगर हमारे पार different slit width है, अगर slit width हमारे पास अलग है, तो intensity I1, I2 अलग-अलग होईगी, हमारे पास directly proportional to width of the, हमारे पास slit होईगी, अगर मालों दोनों में इसे एक की slit twice होगी, एक की width D है, एक की 2D है, तो intensity एक की 2I0 और एक की I0 आप लेंगे, तो maximum intensity और minimum intensity पर आपको ध्यान देना है, तो maximum intensity root I1 plus root I2 का whole square, minimum intensity root i1 minus root i2 का whole square, जब ये दोनों बराबर होती थी, तो ये हमारे पाए intensity का curve रहता है, maximum 4 i0, minimum 0, लेकिन अगर हमारे पाए अलग-अलग intensity हो गई, तो minimum 0 नहीं आगे, तो ये shifted curve आपको basically मिलता है, next part is diffraction, diffraction की अगर हम लोग बात करें, तो ये single slit interference है, means एक ही slit से आपके जितने भी, waves निकल रहे हैं, वो हमारे पास basically interfere कर रहे होते हैं, तो इसको हम single slit interference भी basically कहते हैं, ठीक है, तो ये दो प्रकार के होते हैं, Frenhofer's and Fresnel diffraction, Fresnel diffraction हमारे पास syllabus में नहीं है, Frenhofer's हमारे पास syllabus में है, जर ये चीज समझना, ठीक है, Frenhofer's में हमारे पास जो D है, capital D is very large, सकते हमारे पास यह वाला है जिसमें आप स्मॉल एंगल एप्रोक्सिमेशन लगा सकते हो डिफरेक्शन बेसिकली होता कि कभी भी लाइट किसी शार्प एंड से टकराती है तो बेंड हो जाती है जैसे आप जौरते जौरते पिलर से टकरा जाओगे यह रखना है कि इंटरफेरेंस जब हमारे पास हो रहा है तो जरूरी नहीं है दो स्लिट है इन दोनों के बीच में भी जब एकी स्लिट के points के बीच का interference की बात होती है तब हम बात करते हैं diffraction की और जब दो slits की बात हो रही है तो young double slit experiment की, clear, तो ऐसा नहीं है कि एक चीज हो रही है तो दूसरी चीज नहीं हो रही है, अब बात होती है कि हमारे पास अगर माली जे slit width b है, ठीक है, किसी भी angle अगर अगर आपको यह चोटा सा दिख रहा है तो मैं लिख देता हूँ, I0 जो आपकी intensity यहां गिरी, I0 sin2 beta by beta का square, यह होता है, beta की value होती है आपकी pi b, यहां पे भी ले रखा है, pi b sin theta by lambda, clear, जब यह देखना, जब theta की value आपके लिए 0 हो रही होगी, जब theta की value आपके लिए 0 हो रही ह वें थीटा इस टेंडिंग टू जीरो तो बीटा इस टेंडिंग टू जीरो तो साइन बीटा बाई बीटा इस टेंडिंग टू वन लिमिट की वैल्यू लग जाती है वन तो हमारे पास अगर आप देखें तो यहां पर जो आपको इंटेंशनी मिलती है वह आई क्योंकि sin n pi हमारे पास 0 है, n की value will not be equal to 0, in this case n की value should not be equal to 0, मतलब beta की value pi हो जाए, 2 pi हो जाए, 3 pi हो जाए, 4 pi हो जाए, तो अगर आप देखें तो pi, 2 pi, 3 pi, 4 pi, सब पे sin square beta 0 होगा, intensity आपको 0 मिलेगी, तो beta की value pi b sin theta is equal to n pi, pi b sin theta by lambda is equal to n pi, pi pi कट जाएगा, b sin theta is equal to n lambda, इस प्रकार से आपको angles मिलेंगे, तो जब first minima की बात करोगे small angle approximation तो theta equal to n lambda by b मैं यहां लिख देता हूँ sin theta is equal to n lambda by b हमारे पास होगा तो n की value 1 डालोगे तो first diffraction n की value 2 डालोगे तो second diffraction हमारे पास second minimum point आपको मिल जाएगे maximum point मिलते हैं जब आप इसको differentiate करके equal to 0 डालते हैं तो tan beta equal to beta की condition पर हमारे पास maximum point बेसिकली आपको मिल रहे होते हैं ठीक है इसके बाद हमारे पास इसका एक ग्राफ है सबसे पहले इसको देख लेते हैं तो हमारे पर यह जो डिफ्रेक्शन की अगर मैं यहाँ पर स्पेस अगर आप बनाना चाहें अपने नोट से आप चीज बना लीजेगा कि अगर आप डिफ्रेक्शन की बात करें तो यहा� है ना, थीटा की बात करें, तो थीटा is लैमडा by B आपका होता था, तो ये जो central disk है, इसको हम कहते है area disk, तो इसका angular width अगर आपको निकालना है, तो थीटा उपर भी है, थीटा इधर भी है, और माल लिजे ये हमारे पास D, length इस प्रकार था, ठीक है, तो angular width आपका हो जाएग और अगर आपको diameter या radius है तो d theta लगा दीजे, तो d theta करती आपको यह radius मिल जाएगा, तो इसको d से multiply करने पर आपको मिल जाएगा, intensity की बात करें, तो जरह यहाँ पर धियां से देखना, intensity हमारे पास inversely proportional to beta square है, जैसे जैसे आप दूर जा रहे होते हैं, तो denominator की वज़ा से हमारे पास intensity का drop basically आता है, numerator की value हमेशा 0 और 1 के बीच में, तो intensity diffraction के case में drop हमारे पास होती है, याद रखना interference के case में 4 I0 और 0 रहती है, यहाँ पर intensity आपकी drop रहती है, central point पर intensity आपकी maximum मिलती है, I0 basically, ठीक है, तो यह था हमारे पास, अब आज आती है resolution की और Doppler's effect की, पहले Doppler's effect के बारे में बात कर लेते हैं, हमारे लिए जरद यहां से समझना, अगर मालिजे source रुका हुआ है तो इसमें से एक particular wavelength निकल रही थी, तो आपको एक particular frequency होगी, तो आप एक particular frequency को observe कर पा रहे होंगे, लेकिन अगर मालिजे की एक source ने अपनी wavelength निकाली और उसके बाद यह move करने लग जा तो compression of the wavelength भी हो सकता है, मालिजे की एक wave निकली तो इस point को मैंने fix कर लिया, लेकिन simultaneously source क्या कर रहा था, पास move कर रहा था तो जो यह आपकी wave बनी थी पहले जो wave बनी थी वो compress भी हो सकती है और अगर source आपका दूर जा रहा है तो यह wavelength आपकी बड़ी भी हो सकती है तो कहीं न कहीं source move करने की वज़े से wavelength पर impact आता है तो Doppler's ने क्या बोला कि अगर माल लीजिए देखो wavelength of red हमारे पास जादा होता है violet का हमारे पास कम होता है जब हमारे पास कोई भी source जैसे galaxy है वो अगर हमारे तरफ आ रही होगी तो जब वो तरफ आ रही होगी पास आ रही होगी तो हमारे पास wavelength कम हो जाएगा, wavelength कम होते हैं तो blue shift को हम लोग यहाँ पर कहते हैं, जब source पास आ रहा होता है, जब source दूर जा रहा है तो हमारे पास wavelength बढ़ जाता है, wavelength बढ़ते ही वो higher wavelength side जाता है, जिसको हम लोग red shift कहते हैं, तो Doppler's effect is change in wavelength, delta lambda by lambda is v by c, v is the speed of the source and c is the speed of the light, आ� अब आती है resolving power इसके ऊपर भी questions आपको अपने J mains में मिलेंगे resolving power and resolving limit logically समझिए कि हम लोगों की आखों की देखने की capacity infinite distance तक है आप stars तक चीजों को देख सकते हैं लेकिन वहाँ से जो light आ रही है आप ये नहीं बता सकते कि वहाँ पर एक ही star है या multiple star है तो अपने लिए problem है resolution की आपने कभी कबार रोड पर भी चलते हुए इस प्रकार से देखा होगा कि दूर से आती हुई गाड़ी की लाइट आपको एक point source दिखती है जैसे जैसे वो पास आती है वो पास आते आते उसका distance हमारे पास जैसे कम होता है तो हमारा angle उसको देखने वाला जैसे बहुत दूर ह जरदिहां से समझेगा, अगर मैं एक telescope के बारे में बात कर रहा हूँ, मैं किसी चीज को दूर की चीजों को देखना चाहता हूँ, तो मेरा purpose यह है कि मैं उनको अलग-अलग करके, दूर-दूर करके देख पाऊं, right, तो हमारे लिए एक telescope या फिर एक microscope का यह काम है कि हमें किसी कि हमारे आँखों पर angle बड़ा बनता है तो हम लोग उनको resolved form में देख पाते हैं तो अगर आप देखें तो resolving limit क्या होती है minimum separation किसी भी दो points के बीच का minimum separation या minimum angle जिससे हम लोग उनको अलग-अलग से देख पाते हैं that is called the resolving limit और inverse of resolving limit is called the resolving power तो जरा हम लोगों ने यह वाले दो points कर लिया है तो this is unresolved मतलब आपने एक instrument से telescope से किसी चीज को देखा तो माल लो आपके बाद बाइनो को ले बाइनो को लो से आप गैलेक्सी को नहीं देख सकते ना क्योंकि गैलेक्सी से आई मेज आने वाली हमारे पर अगर इसकी आप डिफ्रेक्शन पैटर्न की बात करें तो मालीजिए एक का डिफ्रेक्शन पैटर्न आपका ऐसा है और दूसरे का अगर आप डिफ्रेक्शन पैटर्न की बात करें ठीक है दूसरे का भी डिफ्रेक्शन पैटर्न आपका इसी प्रकार है यह जब दोनों के सेंट्रल मैक्सिमा मैच कर रहे हैं तो आप इनको अनरिजॉल्ड कहते हैं जस्ट रिजॉल्ड की बात करें, तो हमारे पास जस्ट रिजॉल्ड की कंडिशन आपको पता होनी चाहिए, कि एक का अगर माल लिजे, सेंटरल मैक्सिमा ऐसा है, तो दूसरे का सेंटरल मैक्सिमा, एक के मिनिमा पॉइंट पर आ जाए, तो आपको अलग-अलग से दिखाई डिफ्रेक्शन पैटर्न ऐसा है और दूसरे का डिफ्रेक्शन पैटर्न आपका ऐसा है तो आपको अलग-अलग से दोनों चीजें दिखाई देगी D है जो भी आपका diameter है जिसके थूँ आप उसको देख रहे हैं, वो भली telescope का aperture बोले या microscope का aperture बोले, ठीक है, तो real eye का criteria है, तो इन्होंने telescope के लिए कहा कि जो D थीटर, telescope में जैसे दो stars हैं अगर हम देख रहे हैं तो उनकी बीच का angle होना चाहिए, 1.22 lambda by B, B क्या है, ध्यान रख कि अगर टेल माइक्रोसकोप की बात करें तो 1.22 लैमडा बाइट टू साइन बीटा है तो रिवॉल्विंग पावर उसको अलटा कर दें तो साइन बीटा बाइट 1.22 लैमडा जरूर समझना हमारे पास यह बीटा बेसिकली क्या है अगर है तो हमारे पास इस एंगल अ ये cone, जैसे मालो एक lens है, मैंने कोई भी चीज को देख रहा है, तो वो एक cone के form में इस पर पड़ेगा, तो ये half angle इसका जो है, that beta, ये matter करता है, ठीक है, अब बात करो resolving power, जितना ज़्यादा beta होगा, उतनी ही ज़्यादा resolving की power होगी, वो इसको अलग-अलग कर पाएगा, इसल और दूसरी बात resolution power को और बढ़ाने के लिए wavelength में हम लोग यहां पर क्या कर सकते हैं एक liquid को भर सकते हैं जिसका refractive indexes भी हो, जैसे आप यहां पर अच्छे microscope में object और objective lens के बीच में एक liquid भरा होता है, उससे फाइदा क्या होता है ज़राज यहां पर ध्यान से देखना, फाइद क्योंकि जैसे हमारे पास जो भी रेज आएंगी, इस medium से पास होएंगी, तो wavelength आपका 1 by mu हो जाएगा, resolving power ज़रह देखना, inversely proportional to lambda है, तो ये mu उपर चला जाएगा, तो resolving power mu times हो गया है, mu is always greater than 1, तो resolving power बढ़ गई, तो वो और अच्छे से resolve कर पाएगा, तो हमारे पास mu sine beta है, य यह हमारे पास सारा चीजे थी एंड लास्ट बट नॉट दे लिस्ट इस द पोलराइजेशन पार्ट पोलराइजेशन इस द प्रोसेस फिर मैक्सिमम मतलब नेगेटिव मैक्सिमम फिर जीरो तो इस प्रकार से बहुत सारी एलेक्ट्रिक बढ़ती है फिर कम होती है फिर बढ़ती है फिर कम होती है फिर बढ़ती है फिर कम होती है इस प्रकार से चल रही होती है हर बदला इनफानाइट एलेक्ट्रिक फिल्म होती है और हर एलेक्ट्रिक प्रोफेक्शन आफ वे बेसिकली याद करो यह बेस तो पॉलरेजेशन क्या है हमारे पास देखो हम लोग जितनी भी चीजों कि तो मैं मैंने टिप्पी यहां पर कोई अभी पंगा नहीं है बेसिकली है कि हम लोग एक एलेक्ट्रिक्ट फिल्ड को रिस्ट्रिक्ट कर पाएं पर्टिकुलर प्लेन में ऑसिलेट करने के लिए ठीक है तो एलेक्ट्रिक फिल्ड की डायरेक्शन इस प्रकार दिखाते इस प्रकार और आप ऐसे भी बना लेना डायग्राम में इस प्रकार से भी दिखाया जाता है यह जो यह वाली एरो है वह ऑसिलेशन इस प्लेन का दिखा रहा है और यह जो डॉट है वह इस प्लेन का ऑसिलेशन दिखा रहा है पॉलराइज्ड लाइट की अगर बात करें तो रिप्रेजेंटेशन या तो आपको ऐसे मिलेगा ठीक है और या फिर ऐसे मिलेगा अगर आपको इस प्रकार से मिल रहा है दिखा रखा है डाइग्राम में दैट मीज ऑसिलेशन इस प्लेन में है और अगर इस प्रकार से दिखा रखा है तो ऑसिलेशन इस प्लेन में है ठीक है तो हमारे पस्तिया जो मेथड है पॉलरा by scattering है double reflection है reflection है reflection है तो reflection में सबसे important है Brewster's law अगर आपको याद हो Brewster's law ये कई बार पूछा गया है ठीक है Brewster's law Brewster's law क्या कहता था कि अगर आपकी unpolarized light यहाँ पर आके गिर रही है ठीक है एक unpolarized light आके गिर रही है at a certain angle theta such that such that कि reflected ray and refracted ray are perpendicular to each other तो रिफ्लेक्टिड रेस कंप्लीटली पोलराइज एंड रिफ्लेक्टिड रेस पार्शली पोलराइज ठीक है यह स्टेटमेंट याद रखना भाई तो ना मेरा स्टेटमेंट दुबारा वेन अन पोलराइज लाइट देखो भाई पहली बात यह हर मेटीरियल में नहीं होता एलीमेंट से ही बनाए जाते हैं ठीक है एक अन पोलराइज लाइट जब हमारे पर किसी मेटीरियल पर एक पोलराइज पर गिरती है तो एक ऐसा सर्टेन एंगल सच देट रिफ्लेक्टिड रे और रिफ्लेक्टिड रे इन दोनों के बीच का एंगल 90 डिगरी होता है, तो रिफ्लेक्टिड रे पॉलराइज और रिफ्लेक्टिड रे पार्शली पॉलराइज है, इसको हम ब्रिविस्टर्स लॉ कहते हैं, तो 10 थीटा बी इस इक्वल टू म्यू यह है ठीक है तो हमारे पास यह पार्टिफिकल राइस होती है यह कंप्लीटली पोलराइज होती है टबल रिफ्रेक्शन की बात करें तो हमारे पास कुछ ऐसे एम पोलराइज है मेड ऑफ सिलिकेट तो आपके लाइट किसी भी एंगल पर आती है तो यह दो हिस्सों में टूड़ जाती है एक होती है एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी रे इरे जो कहते हैं और एक होती है ऑर्डिनरी ने एक पिन दिखती थी एक पिन का एक ही पिन इमेज आता था आप उस पिन को रेप्लिकेट करते हुए पिन लगाते थे फिर आपको लेटरल शिफ्ट पता लगता था अगर मैं उस नॉर्मल ग्लास लैप को हटाकर सिलिकेट ग्लास लैप से रख दूं तो आपको लाइट आ जाती है और हमारे पास एक reflection law follow करके आ रही होती है, that is called the ordinary ray, जिसको अभी तक हम लोग पढ़ते हुए आ रहे हैं, अब आप कैसे पता लगाएंगे कि कौन extraordinary है, कौन ordinary है, एक आपने pin रखी glass slab रखा, glass slab को rotate करने की कोशिश करें, जैसे आप glass slab को rotate करेंगे, एक image बिलकुल नहीं हिलेगी, क् extraordinary इसका plane of oscillation इसी में है इनका perpendicular होता है और एक dot आप याद रखना ठीक है nickel by prism हमारे पर nickel by prism में यही वाली rate double refraction करवा रहे होते हैं बस बीच वाला material होता है Canada Balsam, Canada Balsam के case में वो इसका refractive index हमारे पास क्या होता है कम होता है as compared to nickel prism glass तो ordinary rate TIR कर जाती है यह इसको कोई मतलब नहीं है अदर वाइज इन दोनों का इसका लेटरल चिप्ट हो गया, दोनों का direction same है तो हम लोगों ने separate out नहीं करा, right, तो यहाँ पर ये TIR करके separate out हो जाती है, ordinary ray सारे laws of reflection, refraction को follow करती है, extraordinary ray को कोई लेना देना नहीं है, तो Nicole by prism को use करके आप अपना क्या कर सकते हैं, polarization कर सकते हैं, तो अगर light इस प्रकार से हमारे पास आ रही है और axis यह है तो यह इस प्रकार से जाने के बाद इसी प्रकार से oscillate होते हुए मिलेगी तो यह सारे जो oscillation है कहीं न कहीं खतम हो जाते हैं और इस प्रकार से oscillation मिलेगी अगर axis ऐसे है तो light जब आएगी तो इस प्रकार से oscillation मिलेगी अ ब्रिविस्टर स्लॉप पे उपर बहुत सारी चीज़ें पूछी गई हैं, बहुत बार फॉर्मला बेस पूछा गया है, दूसरा है small slu, small slu कहता है कि हमारे पास जो भी transmission axis है, कोई भी amplitude, जैसे जो amplitude of the wave अगर ऐसे ऐसे आता तो वो सीधा पास हो जाता, और अगर एक amplitude ऐसे ऐस उन्हें कहा कि अगर ये transmission axis है, ये amplitude है, ये angle θ है, तो A cos θ will be the transmitted amplitude, clear, और अगर amplitude A cos θ हो है, तो intensity, अगर आप देखें तो इसकी intensity होती, Ka square, और transmitted intensity के बात करते, Ka square cos square θ, तो ये हो जाती है transmitted intensity, incident intensity, cos square θ, याद रखना, अगर हमारे लिए θ की value 0 है, means, जो wave आ रही थी और axis भी यह है और wave भी ऐसे है तो इनके बीच का angle 0 है, cos 0 is 1, तो transmitted intensity सारी के सारी होगी, I0 intensity आई, I0 चली गई, अगर माल लिजिए axis transmission का यह है, wave ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे आई, तो इनके बीच का angle है 90, cos 90 is 0, तो यहाँ पर जो wave आएगी, यहाँ पर बिलकुल भी transmit न वेन अन पोलराइज लाइट इस पास्ट अगर यह वाला किसके लिए पोलराइज लाइट के लिए अगर मान लीजिए एक अन पोलराइज एक और सीटा एक और सीटा एक और सीटा सबका कॉस कंपनेंट जाएगा अगर आप averaging करेंगे ज़्यादा ध्यान से समझना अगर इसकी incident intensity I0 थी तो जो transmitted intensity होगी that is I0 cos square theta होगी और आप इसका average करेंगे क्योंकि बहुत सारी है और आपको ही पता है average of cos square theta is half तो जब आपके लिए बहुत बार पूछा हुआ है प्लीज ध्यान रखना कि अगर unpolarized light एक polarizer से पास करती है तो intensity सबसे पहले half होती है i0 by 2 ये plain polarized light बनेगी this is your plain polarized light इसका जो भी transmission axis होगा उसी axis पर ये हमारे पास oscillation होगा i0 by 2 तो unpolarized आपको लगाने है अब ये वाला 3 polarizer का एक question तो आपको आपको करवाया गया होगा ठीक है तो अनपुलराइज लाइट जैसी सबसे पहले पास होती है तो इसके ट्रांसमिशन एक्सिस के बाद यह हो जाता है आई नॉट बाइट मान लीजिए इस एक्सिस से यह कोई एंगल थीटा पर एक और पोलराइजर लाइट आए था मान लीजिए हमारे पास इस टाइप से था ठीक है यह अनपुलराइज लाइट आई हमारे पास और इसके पास होने और उसका एक और 90 minus theta है, यह theta है, यह 90 minus theta है, तो resultant amplitude intensity होता है, I0 by 8 sine square 2 theta, ठीक है, I0 by 8 sine square 2 theta, इसको जरूर देख लेना, ठीक है, तो I hope आपको यहां तक अपना पूरा wave optics आपको समझ आ गया होगा, ठीक है, तो फिर हम लोग मिलेंगे next lecture में till then टाटा बाई बाई take care पढ़ते रहिए मचा