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वंदना और इसका महत्व

ओम्म। कर्मों को बढ़ाना और कर्मों को कटाना यह हमारे ही हाथ में होता है। और इसलिए मैं आज आपको एक ऐसी प्रेणा देना चाहता हूँ। जिसे भुगवान महावीर ने कर्मक्षयी का महत्वपूर्ण साधन बताया है और जिसको कहा जाते है वन्दना। अब जब लोगडाउन के समय में घर पे ही हो तो धर्मों के धर्म हो जाए और फिजिकली फिट भी हो जाओ। भुगवान महावीर ने कहा वन्दनेनम भन्ते जीविक्यम जुनिये ये वन्ना से क्या लाब होता है। गोतन सामी ने ते बुगवान महावीर को प्रस्था पुछा दिने इधाओ के साथ तब बुगवान ने कहा कि वन्यनेनम निया गोयम कम्मंखवि वन्या से निर्च गुत्र कर्मक्षई हो जाते हैं और उच्छ गुत्र कर्मों का बंद होता है कि क्या होता है गुत्र किर्या खेवति स्थान और स्थिक्र जब हम जब हम वन्ना करते हैं तो हमारे अंदर में एक सम्रपणता का भाव होता है हमारे अंदर का इगो जीरो होता है और जब हमारे अंदर का इगो सुनित्व को प्राप्त होता है तो वन्ना सार्थक हो जाती है वन्ना अपना आप में ही हमारे सरीर के सारे ही अंगो को बल्कपदान करता ही है लेकिन जहां कहीं पर भी एक्टी प्रसर के पॉइंट है वो पॉइंट भी कर देता है साथ साथ में वन्ना के भाव अपना अपने ही एक नियंता और एक सिन्यता की भाव होता है। आपने देखा होगा कि जिस बात की आप अहंकार करते हो ना थोड़े दिनों में वो बात आपसे छुट जाती है। किसी को बहुत अच्छी सब्जी बनाने आती है। फिर उसका वो बिगड़ जाता है। किसी के किसी सब्जेक में अपना अहंकार प्रगट होता है। और फिर आपने देखा होगा कि वो अहंकार उसका चले ही नहीं� भगवान ने कहा कि जब हम अहुंकार करते हैं तब हम नीच गुत्र कर्मों का बंद करते हैं और नीच गुत्र कर्मों की कार्म हमारे पास जो कुछ ही उपलब्दी होती है वो सब सुन्नी हो जाती है और इसलिए मैंने को आज आपको यह कहना है कि आप घर पर ही हो चलो सुबह की सर्वात कर लो कि आप सुबह उठ के कि खुद तो अयाहिनम पयामिनम वन्नामि तिर्प चर को छुकाते हुए मस्तक को छुकाते हुए ननाई सामी शकारेमी सम्मानेमी कलानम मंगलम देवयम चेयम पजवाशामी मतएन वन्दामी आपने एक वन्दा की अहो भाव से वन्दाते हैं आप जब दुसरी वन्दा करोगे तो फिर आप इस खड़े हो जाओंगे तिक्खो तो पयाहे नमी पयाहे नमी वन्दा मी नमन्सामी फिर नमन्सामी करते हुए आप अपने मस्तक को जमीन तक ले डाओंगे और फिर वापिस एक बार ख़ाला करोगे और फिर कहोगे सकारेने सम्मारेने कलानम मंगनम देवयम सेव्यम पजवासम मथेन अंदामेश तिकूतों की राख्यावतिक तीन बार आयाह्यम पयाह्यम् ये ब्रह्वु मैं आपके आसपास से तदक्षिया करता हूँ आपके भावों को मैं सिकार करता हूँ बिन्दावी मैं आपको वर्णिन करता हूँ बिन्दावी मैं आपको नमस्कार करता हूँ सकारे भी मैं आपका सित्कार करता हूँ सम्माने भी मैं आपको कुछ न कुछ अर्पण करके आपका संवान करता हूँ फल्लानम आप कल्यान सरुथ है मंगलम आप मंगल सरुथ है देवयम अप देव शरुथ है चरियम अप ज्ञान शरुथ है पर जवाद शामी आपकी परिपाशन करते हुए मैं आपको अपने आपको समयदिक करते हुए मैं मेरे अहुंकार को मेरे इगो को मेरे इच्छाओं को आपके सामने सिंय करता हूँ मेरे मस्तक को अर्पन करता हू एक स्रेष्टता और एक सामनेता का भावादा है। कोई स्रेष्ट है तभी मैं जुख सकता हूँ। कोई उत्तम है तभी मैं उसके सामने जुख सकता और जब मैं उसकी उत्तमता का सिखार करता हूँ तब उसकी उत्तमता को मेरे अंदर में ग्रहन करने के भाव करता हूँ। प्रभु आपके अंदर के अनुभ आत्मगुणों को जब मैं सिखार करता हूँ तब मेरे अंदर में भी वो आत्मगुण प्रगट होने के बीच बो देता हूँ। और जब हमारे अंदर में आत्मगुणों को प्रगट करने के बीच बोय जाते हैं तब क्या होता है। एक अलग प्रकार की अनुभूति करते हैं और इसलिए मुझे आपको कहना है कि आपको बहुत भाव के साथ बहुत भाव के साथ इस वन्ना को करना है सब्बे उठ गए समय ही समय है आपने तीन वन्ना कर दी फरीजर के बाद आपको समय बढ़ गया आप इस आपने तीन वन्ना कर दी आपको 10 बजे वापिस मिल गया है अभी टाइम टेबल बना लो घर पर हो सर भी फिट हो जाएगा मन भी प्रसन हो जाएगा और निज्ञ गुत्र कर्मक्षई होने के कारण भगवान ने कहा कि जहां आपकी कदर नहीं होती वहां पर कदर होना शुरू हो जाएगा जहां आपके वेलियो नहीं होती वहां पर आपकी वेलियो होना शुरू हो जाएगा वो वेक्ति जब कुछ भी भाव को प्रगटता है उसका कोई प्रतिकार नहीं करता सब उसका सिकार कर लेते हैं आणाफरमनीति वो जो आजने देता है काप को ऐसा करना है उसी प्रकार से हो जाती है वो जो सोचता है उसी प्रकार से होने लगता है वो जो भी आदेश देता है उस आदेश का वेक्ति सिकार कर लेता है वन्ना ने बहुत सारे भावों को प्रगट किया है अगर में सास्त्र में आप देखोंगे तो बहुत सारी जग़ पर वन्ना के लिए इतना वर्णन आता है बस हम उस वन्नन भाव का सिकार करते हुए पुरे दिन में समय मिलते मिलते मिलते मिलते 27 वन्ना का संकल्प करें कि अभी रोज हम 27 बार वन्ना करेंगे अब देखोंगे एक दो दिन में ही आप फिशी के लिए एक अलग प्रकार की फिटनेस कानवभो करोगे आप एक अलग प्रकार के भाव का अनुभव करोगे और इसलिए मुझे आज आपको कहना है कि आपको एगरी डे 27 वन्ना का संकल्प करके इन दिनों को साथ तक करना