भारतीय मार्शल आर्ट्स का अध्ययन

Sep 10, 2024

संगीत पर अध्ययन

प्रस्तुतकर्ता

  • आदेश सिंह
  • स्टडी आईक्यू

विषय

  • आर्ट और कल्चर के संदर्भ में मार्शल आर्ट्स का अध्ययन

मार्शल आर्ट्स का परिचय

  • कलरी पाइट, सिलम,
  • पारी खांडा, थोड़ा, गटका, थांगटाविया

कलरी पाइट

  • यह भारत का सबसे पुराना मार्शल आर्ट फॉर्म है।
  • इसका निर्माण लगभग 4 वीं शताब्दी बीसी में हुआ।
  • इसके चार भाग हैं:
    • माइ पाइट: बॉडी कंडीशनिंग
    • कोल तारी बायट: वुडन वेपंस का इस्तेमाल
    • अंक थार पयट: शार्प वेपंस
    • वरुम काई: बेर हैंडेड डिफेंस

सिलम

  • यह भी एक पुराना मार्शल आर्ट फॉर्म है, जो मुख्यतः केरला में प्रचलित है।
  • इसका प्रयोग सेल्फ डिफेंस और फिजिकल फिटनेस के लिए किया जाता है।

पारी खांडा

  • यह बिहार, झारखंड, और उड़ीसा में प्रचलित है।
  • इसमें सोर्ड और शील्ड का प्रयोग होता है।

थोड़ा

  • यह कश्मीर की वैली में प्रचलित है।

गटका

  • यह पंजाब के सिखों द्वारा प्रचलित है।

थांगटाविया

  • यह मणिपुर में प्रचलित है।

विभिन्न मार्शल आर्ट्स के अन्य रूप

  • मर्दानी खेल, स्के,

कला का मूल्य

  • मार्शल आर्ट्स न केवल आत्मरक्षा का माध्यम है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक फिटनेस को भी बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष

  • भारत में प्राचीन संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने के लिए मार्शल आर्ट्स का संरक्षण आवश्यक है।
  • यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण भाग है।
  • इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को प्राचीन ज्ञान और कला से जोड़ा जा सकता है।