समास और रस पर व्याख्यान नोट्स
परिचय
- नवीन सर्मा का स्वागत
- परीक्षा का समय, तैयारियों पर ध्यान
समास के भेद
- समास के प्रकार: 6 भेद
- करमधारय समास (एक पद विशेषण, दूसरा विशेष्य)
- उदाहरण: खोटी चांदी, खरा सोना, मोटी लड़की
- अव्ययी भाव समास (प्रथम पद अव्यय)
- उदाहरण: पिड़ती दिन, यथा संभव
- तत्पुरुष समास (प्रथम पद गौण)
- बहुव्रीहि समास (कोई पद प्रधान नहीं)
- दीगू समास (प्रथम पद संख्यावाची)
- उदाहरण: चौराहा (चार राहें)
- द्वंद समास (दो पदों का योग)
- उदाहरण: माता पिता, राजा प्रजा
समास के विशेषताएँ
- समास में पदों का संयोजन होता है, विशेषता स्पष्ट होती है।
- अव्ययी भाव में उपसर्ग होते हैं।
रस का परिचय
- रस: साहित्य से मिलने वाली आनंद अनुभूति।
- आचार्य भरत ने रस की संख्या 9 मानी है।
रस के प्रकार और स्थाई भाव
- सरंगार रस - प्रेम, संयोग का भाव
- विवत्स रस - घृणा का भाव (जुगुप्सा)
- वीर रस - उत्साह का भाव
- सांत रस - शांति का भाव
- हास्य रस - हास का भाव
- करुण रस - करुणा का भाव
- भयानक रस - भय का भाव
- अद्भुत रस - आश्चर्य का भाव
- संत रस - संतोष का भाव
प्रश्न और उत्तर
- निम्नलिखित समास में कौन सा अव्ययी भाव नहीं है?
- किस समास में सभी पद क्रिया विशेषण का काम करते हैं?
- द्वंद समास में सभी पद प्रधान होते हैं।
निष्कर्ष
- तैयारी का महत्व और जिम्मेदारी का एहसास
- विद्यार्थियों को मेहनत करने की सलाह
इन नोट्स में समास और रस के भेदों एवं उनके उदाहरणों को अच्छे से संक्षेप में बताया गया है। यह आपके अध्ययन में सहायक होंगे।