सुशालोजी का चाप्टर 5: समानता और असमानता

Oct 6, 2024

सुशालोजी का पहला लेक्चर: चाप्टर 5

विषय की शुरुआत

  • आज हम चाप्टर 5 से शुरुआत कर रहे हैं।
  • यह चाप्टर स्ट्रैटिफिकेशन पर आधारित है, जो सुशालोजी का एक बेसिक लेकिन महत्वपूर्ण विषय है।
  • इस चाप्टर में हम निम्नलिखित टॉपिक्स पर चर्चा करेंगे:
    • equality (समानता)
    • inequality (असमानता)
    • hierarchy (पदक्रम)
    • exclusion (बहिष्करण)
    • poverty (गरीबी)
    • deprivation (वंचना)

समानता (Equality)

  • समानता एक बहुत ही प्रचलित शब्द है, जो अक्सर सुशालोजी में उपयोग किया जाता है।
  • यूपीएससी के दृष्टिकोण से, समानता की परिभाषा पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।
  • समसामयिक दृष्टिकोण से, समानता की अवधारणा फ्रेंच क्रांति (1789) से शुरू होती है।
  • उस समय समाज तीन वर्गों में विभाजित था:
    • क्लर्जी (धार्मिक वर्ग)
    • नोबिलिटी (राजसी वर्ग)
    • कॉमनर्स (आम लोग)

समानता के प्रकार

  1. Formal Equality (औपचारिक समानता)

    • समाज में सभी सदस्यों के लिए समान कानून लागू होते हैं।
    • यह सभी को समान रूप से कानून का पालन करने के लिए समान अवसर प्रदान करता है।
  2. Equality of Opportunity (अवसर की समानता)

    • यह सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्तियों को उनके टैलेंट को प्रदर्शित करने का समान अवसर मिले।
    • सभी को समान प्रारंभिक बिंदु पर रखा जाएगा।
  3. Equality of Outcome (परिणाम की समानता)

    • यह मार्क्सवादी दृष्टिकोण है, जिसमें सभी का परिणाम समान होना चाहिए, चाहे उनकी स्थिति कुछ भी हो।
    • इस विचार को लागू करना समाज में कठिन है।

अन्य महत्वपूर्ण अवधारणाएँ

  • Peter Saunders ने समानता के तीन प्रकार बताये हैं:
    • औपचारिक समानता
    • अवसर की समानता
    • परिणाम की समानता
  • Louis Dumont के अनुसार, भारत में मानवों की पदक्रम (hierarchy) को समझना आवश्यक है।
  • Karl Marx के अनुसार, पूंजीवाद असमानता को बढ़ावा देता है और अंतिम परिणाम साम्यवादी समाज में समानता लाना होगा।

समापन

  • ये सभी अवधारणाएँ हमारी समझ को विस्तृत करेंगी और UPSC के उत्तरों में गहराई जोड़ेंगी।
  • हमारी कोशिश होगी कि हम इन सभी पहलुओं को अपने उत्तरों में शामिल करें ताकि वे और भी प्रभावशाली बनें।