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डिजिटल तानाशाही और सेंसरशिप पर चर्चा
Aug 10, 2024
डिजिटल तानाशाही और मीडिया पर सेंसरशिप
वर्तमान स्थिति
सामाजिक मीडिया पर सेंसरशिप
: सरकार हर प्लेटफार्म पर पूर्ण सेंसरशिप स्थापित करने का प्रयास कर रही है।
डिजिटल तानाशाही
: सवाल पूछने की स्वतंत्रता कम होती जा रही है।
प्रमुख कानून
तीन काले कानून
:
ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज रेगुलेशन बिल
टेली कॉम्यूनिकेशन्स एक्ट
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट
सरकार की रणनीति
सप्रीम लीडर का नियंत्रण
: मीडिया को नियंत्रित करने के लिए कठोर नियम बनाए जा रहे हैं।
स्वयं सेंसरशिप
: डर के कारण लोग खुद ही सेंसर करने लगे हैं।
ब्रॉडकास्टिंग बिल
नया प्रोग्राम कोड
: यह कोड डिजिटल प्लेटफार्म्स पर भी लागू होगा।
रीजिस्ट्रीकरण प्रक्रिया
: OTT प्लेटफार्मों के लिए भी अनिवार्य।
सरकारी नियंत्रण
: सरकार तय करेगी कि लोग क्या देखेंगे।
व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा
डाटा संग्रहण
: सभी उपयोगकर्ताओं को बायोमेट्रिक डेटा देना होगा।
सरकारी निगरानी
: सरकारी अफसर किसी भी संदेश को इंटरसेप्ट कर सकते हैं।
सवाल पूछने की स्वतंत्रता
संविधान की धारा 21
: सवाल पूछने वाले पत्रकारों पर सख्त नियम लागू।
आवश्यकता
: स्वतंत्र मीडिया की आवश्यकता।
सिविलियन अधिकार
प्रदर्शन पर नियंत्रण
: सरकार ने प्रदर्शन करने वालों की वीडियो हटाने के आदेश दिए।
राइट टू इंफॉर्मेशन (RTI)
: व्यक्तिगत डेटा मांगने की प्रक्रिया कठिन हो गई है।
निष्कर्ष
डिजिटल तानाशाही का खतरा
: सरकार के पास नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी होगी।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्राइवेसी का खतरा
: नागरिकों को सवाल पूछने और अपनी प्राइवेसी बचाने के लिए सतर्क रहना होगा।
सुझाव
सक्रिय होना ज़रूरी
: सही जानकारी के लिए सजग रहना और सवाल पूछते रहना आवश्यक है।
समर्थन देना
: अच्छे चैनलों को सब्सक्राइब करने की अपील।
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